Home Blog Page 7

बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अपने अनुभवों को साझा करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए​।

अनौपचारिक पत्र

बाढ़ पीड़ितों की मदद के दौरान हुए अनुभवों को साझा करते हुए मित्र को पत्र

 

दिनांक : 16 जून 2024

प्रिय मित्र प्रतीक,

तुम जानते हो कि पिछले दिनों हमारे लखनऊ जिले के एक गाँव में भयंकर बाढ़ आई हुई थी। यह गाँव गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है। गोमती नदी में भारी बारिश के कारण पिछले दिनों बहुत भयंकर बाढ़ आ गई थी और यह गाँव बाढ़ की चपेट में आ गया।

मैं एक सामाजिक संस्था से जुड़ा हुआ हूं इसलिए उस संस्था की तरफ से बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए राहत अभियान चलाया जा रहा था। मैंने भी उस राहत अभियान में भाग लिया। मैं अपनी संस्था की तरफ से वॉलिंटियर के रूप में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए गया।

हमने गाँव में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए यथासंभव प्रयत्न किए। हमारी संस्था की तरफ से पैकेट बंद खाने का इंतजाम किया गया था, जो हमने बाढ़ पीड़ितों के शिविर में जाकर वितरित किए।

बाढ़ पीड़ितों का शिविर गाँव से थोड़ा दूर एक मैदान में लगाया गया था। जहां पर सरकार द्वारा अस्थाई शिविर लगाए गए हैं। इनमें उन लोगों को पुनर्स्थापित किया जा रहा है, इनके घर बाढ़ में डूब गए हैं। हमने इन शिविरों में जाकर पैकेटबंद खाना वितरित किया। इसके अलावा हमने कुछ जरूरी दवाइयां भी वितरित की ।

हम बाढ़ पीढ़ितों की सहायता के लिए लगभग 3 दिन तक वहाँ पर रहे और अलग-अलग तरह के सहायता कार्य किए। मैंने वहाँ बाढ़ पीड़ितों के परिवारों के बच्चों को पढ़ाया भी था। उनकी स्कूल की कॉपी-किताबें पानी में बुरी तरह भीगकर खराब हो गईं थीं। हमने बच्चों के लिए कॉपी-किताबें भी वितरित की ।

इस बाढ़ पीड़ितों की सहायता करके सच मे बहुत अच्छा लगा। समाज सेवा में एक अलग ही आनंद है। किसी जरूरतमंद और निर्धन की सहायता करने में अनोखा आनंद मिलता है। मेरी तुमको सलाह है कि तुम भी हमारी सामाजिक संस्था से जुड़ जाओ। तुम्हें  भी समाज सेवा में बहुत आनंद आएगा।

तुम्हारा मित्र,
नयन


Related questions

साइबर क्राइम की जानकारी देते हुए छोटी बहन को पत्र लिखिए।

आपका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अपने मित्र को पत्र लिखकर आमंत्रित कीजिए।

मान लीजिए कि आप बहुत दिनों से स्कूल नहीं गए हैं। अपने किसी मित्र से इन दिनों विज्ञान विषय में करवाए गए कार्य की कॉपी स्कैन करके ई-मेल से भेजने का अनुरोध कीजिए।

ई-मेल लेखन

मित्र को कॉपी स्कैन करके भेजने का ई-मेल

दिनांक : 2 फ़रवरी 2024

To : pramod_1331@yahoo.co.in
From : jayesh.srivastav12@gmail.com

Subject : कक्षा कार्य की कॉपी स्कैन करके ई-मेल से भेजने का अनुरोध

प्रिय मित्र प्रमोद,

जैसा कि तुम जानते हो कि किसी कारणवश मैं स्कूल नहीं आ पा रहा हूँ। दरअसल मेरी मम्मी बहुत बीमार है, इस कारण मुझे उनकी देखभाल करनी पड़ रही है और मैं स्कूल नहीं जा पा रहा। मैं जानता हूँ कि मेरी पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा है। बाकी विषयों की पढ़ाई तो मैंने घर पर काफी कुछ कवर कर ली है, लेकिन मुझे विज्ञान विषय के बारे में विशेष चिंता है।

विज्ञान के प्रैक्टिकल आदि के नोट्स घर पर नहीं बनाये जा सकते। इस कारण में विज्ञान की पढ़ाई में पिछड़ गया हूँ। मेरा तुम से अनुरोध है, कि मेरी अनुपस्थिति में विज्ञान में जो भी पढ़ाई करवाई गई हो, जो कुछ नोट्स लिखवाए गए हों, प्रैक्टिकल आदि के जो नोट्स के हों, उन सब की कॉपी करके मुझे ई-मेल करके भेज सको तो तुम्हारी बड़ा उपकार होगा। मैं उन नोट्स देख कर अपनी पढ़ाई को कवर कर लूंगा। अभी मैं एक हफ्ता और स्कूल नहीं आ पाऊंगा। आशा है तुम मेरी मदद करोगे।

तुम्हारा मित्र,
जयेश ।


Other questions

आपके क्षेत्र में नकली दूध बेचने का धंधा खूब फल-फूल रहा है। इसकी रोकथाम हेतु स्वास्थ्य निरीक्षक को ई-मेल लिखिए।

आप पिकनिक पर गए। दोस्त को ई-मेल करें। ई-मेल में उसे पिकनिक के बारे में बताते हुए लिखें।

आपके क्षेत्र में सड़कों पर रोशनी न होने से अंधकार रहता है। नगर निगम के अधिकारी को पत्र लिखकर अपेक्षित प्रबंध करवाने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

हिंदी पत्र लेखन

सड़कों पर पर पर्याप्त रोशनी न रहने की शिकायत करते हुए नगर निगम के अधिकारी को पत्र

 

दिनांक : 23 अप्रेल 2024

 

सेवा में,
श्रीमान नगर निगम अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम,
दिल्ली।

विषय : सड़कों पर पर्याप्त रोशनी न होने के संबंध में।

महोदय,
मैं दिल्ली के शास्त्री नगर का निवासी हूँ। मैं आपको हमारे शास्त्री नगर की सड़कों पर रोशनी के उचित प्रबंध ना होने की समस्या के संबंध में ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ।

हमारे शास्त्री नगर की सड़कों पर नगर निगम द्वारा पर्याप्त लाइट नहीं लगाई गई है। जिस कारण सड़कों पर प्रायः अंधेरा रहता है। रात को आते जाते समय अंधेरा होने के कारण न केवल आने जाने वाले राहगीरों और कॉलोनी निवासियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है बल्कि असामाजिक तत्वों का भी भय बना रहता है।

महिलाओं का तो ऐसी स्थिति में आना जाना बेहद मुश्किल हो जाता है। कई निवासी अंधेरा होने के कारण गड्ढे आदि में भी गिर जाते हैं। अतः श्रीमानजी से अनुरोध है कि हमारी कॉलोनी की इस समस्या को संज्ञान में लेते हुए हमारी कॉलोनी की सभी गलियों की सड़कों पर नगर निगम द्वारा पर्याप्त रोशनी लगवाने की व्यवस्था करें ताकि कॉलोनी निवासियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना ना करना पड़े। आशा है आप हमारी शिकायत का संज्ञान लेंगे और शीघ्र ही त्वरित कार्रवाई करेंगे।

धन्यवाद,
सुभाष आहूजा,
शास्री नगर, दिल्ली


Related questions

विद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र देने का अनुरोध करते हुए एक प्रार्थना पत्र लिखिए ।

आप अपने आपको कक्षा सात की छात्रा मानते हुए विद्यालय में छात्राओं के शौचालय की सफाई करवाने हेतु विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय को प्रार्थना पत्र लिखिए।

निर्बल जन की सेवा कैसे की जा सकती है?

0

निर्बल जन की सेवा करने के लिए मन में सेवा भाव होना जरूरी है। किसी भी निर्बल जन सेवा करने के लिए पहले मन में सेवा भाव अपनाना आवश्यक है। बिना सेवा भावना के निर्बल जन की सेवा नहीं की जा सकती। किसी भी निर्बल जैन की सेवा एक औपचारिकता नहीं बल्कि उसके प्रति समर्पण की भावना है। निर्बल जन की सेवा करने के लिए हमें लोगो की पहचना करनी होगी जो वास्तव में निर्बल हैं। हमें उन लोगों की समस्याओं को जानकर उनके लिये उचित समाधान प्रदान करना होगा।

जैसे अनेक बेघर लोग होते हैं, जिनके पास रहने के लिए घर तक नही और वो सड़क किनारे फुटपाथ पर अपना जीवन गुजारने के लिए विवश है। ऐसे लोगों के लिए हम रहने के आवास का प्रबंध कर सकते हैं। इसके लिए हमें ऐसे स्वयंसेवी संस्थाओं से संपर्क करना होगा जो बेघर लोगों के लिए रहने का प्रबंध करती है। हम ऐसे लोगों के रहना का प्रबंध करने के लिए बड़े उद्योगपतियो और समाज के प्रतिष्ठित लोगों से भी संपर्क कर सकते है कि वो लोंग आगे आएं और बेघर लोगों के आवास के प्रबंध के लिए कुछ दान करें।

बहुत से निर्बलजन ऐसे हैं, जिनके पास पहनने  के लिए पर्याप्त कपड़े तक नहीं होते है। ऐसे कड़कती ठंड में कंपकपाते हुए अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर होते है। ऐसे लोगों के लिए कंबल और कपड़े आदि बांटकर उनकी सेवा कर सकते हैं। ऐसे असहाय लोगों के लिए जो दो वक्त का खाना मुश्किल से जुटा पाते है उनके लिए खाने का प्रबंध किया जा सकता है।

गरीब बस्ती में रहने वाले गरीब माँ-बाप के बच्चे जो पैसे के अभाव के कारण पढ़ाई से वंचित हैं, ऐसे बच्चों के लिए पढ़ाई का प्रबंध कर सकते हैं ताकि उन्हें शिक्षा मिले और वह अपने जीवन को संभाल सके। इस तरह ऐसे अनेक कार्य हैं जिनके माध्यम से हम निर्बल जन की सेवा कर सकते हैं।


Other questions

आप सीमा पर तैनात सैनिक नहीं हो है, परंतु फिर भी आप देश की सेवा कर सकते हैं, कैसे?​

‘समाज सेवा ही ईश्वर सेवा है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

तुम अपने देश की सेवा कैसे करोगे ?​अपने विचार लिखो।

पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

0

NCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर)

पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श भाग 2)

PAD : Meera (Class-10 Chapter-2 Hindi Sparsh 2)


पद : मीरा

पाठ के बारे में…

प्रस्तुत पाठ में मीराबाई द्वारा रचित पदों की व्याख्या की गई है। यह पद उन्होंने अपने आराध्य श्रीकृष्ण को संबोधित करके उन्हें समर्पित किए हैं। मीराबाई अपने आराध्य श्री कृष्ण से मनुहार कर रही है और उनके प्रति लाड़ भी जताती हैं। अवसर आने पर वह उन्हें उलाहना भी देती हैं। एक तरफ वह उनकी क्षमताओं का गुणगान करती हैं, उनका नित्य स्मरण करती है और दूसरे ही क्षण में उन्हें उनके कर्तव्य याद दिलाने की चेष्टा भी करती हैं। पाठ में मीराबाई के दो पद प्रस्तुत किए गए हैं। दोनों पद उनके ग्रंथ मीरा ग्रंथावली भाग 2 से संकलित किए गए हैं।



रचनाकार के बारे में…

मीराबाई भक्तिकाल की एक प्रसिद्ध संत कवयित्री थीं, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति सगुण भक्ति धारा का अनुसरण किया। वह मध्यकालीन भक्ति आंदोलन की आध्यात्मिक प्रेरणा रही हैं और स्त्री कवयित्रियों में उनका स्थान सर्वोच्च है। उन्होंने हिंदी (ब्रज) और गुजराती तथा राजस्थानी मिश्रित भाषाओं के पदों की रचना की।

मीराबाई का जन्म राजस्थान के जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) गाँव में सन 1530 ईस्वी में हुआ माना जाता है। मात्र 13 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज से कर दिया गया था, लेकिन वह बचपन से ही श्रीकृष्ण को अपना आराध्य बना चुकी थीं और उन्हें अपना पति मानती थीं। विवाह के कुछ वर्ष बाद उनके पति का देहांत हो गया। फिर उसके बाद उन्होंने पूरी तरह अपना जीवन श्री कृष्ण की आराधना में ही समर्पित कर दिया। उन्होंने अपना घर परिवार त्यागकर वृंदावन में डेरा डाल लिया और गिरधर गोपाल अर्थात श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भाव से समर्पित हो गईं।

उनके गुरु प्रसिद्ध संत रविदास (रैदास) थे। मीराबाई की कुल सात-आठ कृतियां ही उपलब्ध हैं, जिनमें उन्होंने अनेक पदों की रचना की है। सभी पद श्री कृष्ण के प्रति भक्ति भाव से ओतप्रोत है। मीराबाई के पदों में ब्रज, राजस्थानी, गुजराती भाषा का मिश्रण पाया जाता है। सन 1546 ईस्वी में मात्र 43 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।



हल प्रश्नोत्तर

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1 : पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?

उत्तर : मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती उस प्रकार की है, जिस तरह हरि या श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाद की भरी सभा में रक्षा की। उन्होंने द्रौपदी को वस्त्र प्रदान करके उन्हें लज्जित होने से बचाया था। जिस प्रकार उन्होंने नरसिंह का रूप धारण करके भक्त प्रह्लाद को बचाया और हिरणकश्यप का वध किया। जब मगरमच्छ ने हाथी का पैर अपने मुंह में जकड़ लिया था, तब उन्होंने हाथी की मगरमच्छ से रक्षा करके उसके प्राण बचाए। उसी प्रकार आप भी संकट की घड़ी में मेरी रक्षा करो और मुझे पीड़ा से मुक्त करो।


 

प्रश्न 2 : दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : दूसरे पद में मीरा श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं, क्योंकि वह हर समय श्याम के दर्शन करना चाहती हैं, उनके निकट रहना चाहती हैं। मीरा चाहती हैं कि उन्हें श्याम यानी श्रीकृष्ण की सेविका बनने का अवसर प्राप्त हो जाए। जब वह कृष्ण की सेविका बन जाएंगी तो बाग-बगीचे लगाएंगीजिसमें श्रीकृष्ण घूमेंगे।

इस तरह सुबह-सुबह कृष्ण के सुंदर मनोहारी रूप के दर्शन करने को मिला करेंगे। वह श्रीकृष्ण कुंज गलियों मे में श्रीकृष्ण की लीला के गीत गाना चाहती हैं ताकि उसका लाभ उठा सकें। श्रीकृष्ण की भक्ति को वह अपनी जागीर मानती हैं, और इस जागीर को हमेशा अपने पास संभाल कर रखना चाहती हैं। वह हर पल हर समय श्रीकृष्ण के पास रहना चाहती हैं, इसलिए वह श्याम यानी श्रीकृष्ण की चाकरी करना चाहती हैं।


 

प्रश्न 3 : मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रुप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?

उत्तर : मीरा ने श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन बड़े ही सुंदर तरीके से किया है। मीरा कहती हैं कि श्रीकृष्ण के सर पर मोर के पंखों का मुकुट है, जो उनके सुंदर मुखड़े पर बेहद शोभायमान प्रतीत हो रहा है। वह पीतांबर यानी पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके गले में फूलों की वैजयंती माला पड़ी हुई है। इस तरह उनका रूप बेहद दिव्य एवं मनोहारी लग रहा है। वह अपने इस सुंदरतम रूप में जब वे बाँसुरी बजाते हुए जब गाय चराते हैं, तो उनका रूप सौंदर्य और अधिक दिव्य एवं भव्य हो जाता है।


 

प्रश्न 4 : मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : मीराबाई की भाषा शैली मिश्रित भाषाओं की शैली रही है। उन्होंने अपने पदों में मिश्रित भाषा का प्रयोग किया है। मीराबाई मूलतः राजस्थान की रहने वाली थी, इसलिए उनके पदों में राजस्थानी भाषा का सबसे अधिक प्रभाव दिखाई पड़ता है। उन्होंने अपने जीवन का एक लंबा समय ब्रज में बिताया था और इसलिए उनके पदों में ब्रजभाषा का भी अच्छा खासा प्रभाव दिखाई देता है। इसलिए उनके पदों में राजस्थानी एवं ब्रजभाषा का मिश्रित प्रभाव दिखाई देता है। इसके अतिरिक्त मीराबाई के पदों में गुजराती शब्दों का भी प्रयोग किया गया है।

मीराबाई के पदों की भाषा शैली सरल एवं सहज है, जो तत्कालीन समाज की आम बोलचाल की भाषा थी और लोगों को सरल रूप से समझ में आ जाती थी। इसी कारण उनके पद बेहद लोकप्रिय हुए। मीराबाई के पदों में भाव भरा हुआ है और उनके पद प्रवाहमय है। उनके पद में भक्ति रस की प्रधानता है अलंकारों का भी प्रयोग उन्होंने कुशलता से किया है। उनके पदों में अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक, उपमा आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।


 

प्रश्न 5 : मीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?

उत्तर : मीराबाई श्री कृष्ण को पानी के लिए अनेक तरह के यतन-जतन करने के लिए तैयार हैं। वह  श्रीकृष्ण को पाने के लिए किसी भी तरह का कार्य करने को तैयार हैं। वह श्रीकृष्ण की सेविका बंद कर उनकी हर पल सेवा करना चाहती हैं। वह श्रीकृष्ण को सुबह सुबह घूमने भ्रमण करने के लिए बाग बगीचे लगाना चाहती हैं, ताकि सुबह-सुबह श्रीकृष्ण उन बाग-बगीचों में घूम सकें और वह श्रीकृष्ण के सुंदर रूप का दर्शन कर सकें।

वह वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण की लीलाओं के गीत गाना चाहती हैं। वह ऊँचे ऊँचे महलों में बड़ी-बड़ी खिड़कियां बनवाना चाहती हैं, ताकि वह उन खिड़कियों से श्रीकृष्ण के सुंदर मनोहारी रूप का जब चाहे तब दर्शन कर सकें। वह चाहती हैं कि वे कुसुम्बी रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को श्रीकृष्ण से मिलें और उनके दर्शन करें। इस तरह वह श्रीकृष्ण को पाने के लिए अनेक तरह के प्रयास करना चाहती हैं।



(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

1. हरि आप हरो जन री भीर। द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

उत्तर : सभी पंक्तियों का काव्य सौंदर्य इस प्रकार होगा :

1. हरि आप हरो जन री भीर।
   द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
   भगत कारण रुप नरहरि, धर्यो आप सरीर।

काव्य सौंदर्य : इन पंक्तियों के माध्यम से मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण को अपनी रक्षा के लिए पुकार रही हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण को पुकारने के लिए अनेक तरह के उदाहरण दिए हैं। वह कहती हैं कि जिस तरह श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के वस्त्र बढ़ाकर उनकी लाज की रक्षा के लिए, जिस तरह उन्होंने नरसिंह रूप धारण कर प्रह्लाद की रक्षा की, उसी तरह आप मेरी भी संकट की इस घड़ी में मेरी रक्षा करो।

पदों में मीराबाई ने राजस्थानी एवं ब्रज भाषा की मिश्रण भाषा का प्रयोग किया है।  पंक्तियों के अंत में ‘र’ वर्ण की ध्वनि का बार-बार प्रयोग हुआ है। हरि शब्द में श्लेष अलंकार का प्रयोग किया है, क्योंकि ‘हरि’ के यहां पर अनेक अर्थ निकलते हैं।

2.  बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
     दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।

काव्य सौंदर्य : इन पंक्तियों में भी मीराबाई श्री कृष्ण को अपनी रक्षा के लिए पुकार रही है। वह कहती हैं कि जिस तरह उन्होंने मगरमच्छ द्वारा गजराज को जकड़ लेने के बाद डूबते हुए गजराज को बचाया और उसके प्राणों की रक्षा करें। वैसे ही आपकी दासी मीराबाई भी आपसे से प्रार्थना करती है कि आप मेरे संकट की घड़ी में मेरी रक्षा करो।

पंक्तियों में मीराबाई ने दास्य भाव से भरी भक्ति का प्रदर्शन किया है। उन्होंने स्वयं को श्रीकृष्ण की दासी के रूप में प्रस्तुत किया है। पदों की भाषा ब्रज एवं राजस्थानी भाषा का मिश्रण है। ‘काटी कुंजर’ शब्द में अनुप्रास अलंकार की छटा बिखर रही है। पद की भाषाशैली सरल एवं सहज है।

3.  चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
    भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।

काव्य सौंदर्य : इन पंक्तियों में मीराबाई श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए, उनका निकटता पाने के लिए उनकी चाकरी करने तक को तैयार हैं। वह किसी भी शर्त पर श्रीकृष्ण की निकटता पाना चाहती हैं, ताकि वह रोज उनके दर्शन कर सकें। रोज उनके नाम का स्मरण कर सकें और उनके भक्ति की जागीर को पा सकें।

इन पंक्तियों में भी मीराबाई ने स्वयं को श्रीकृष्ण की दासी के रूप में प्रस्तुत किया है। पदों की भाषा ब्रज और राजस्थानी भाषा का मिश्रण है। खरची और सरसी शब्द तुंकात शब्दों का आभास दे रहे हैं। पक्ति में ‘भाव भगती जागीरी’ में अनुप्रास अलंकार और रूपक अलंकार की छटा बिखर रही है।



भाषा अध्ययन

प्रश्न 1 उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप लिखिए-
उदाहरण − भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर_______ बूढ़ता ________ धर्यो _______ लगास्यूँ _______ कुण्जर ________ घणा ________ बिन्दरावन _______ सरसी ________ रहस्यूँ _______ हिवड़ा _______ राखो _______ कुसुम्बी _______

उत्तर : उदाहरण के आधार पर पाठ में आए शब्दों के प्रचलित रुप इस प्रकार होंगे :
उदाहरण भीर − पीड़ा/कष्ट/दुख; री − की
चीर : वस्त्र
बूढ़ता : डूबता
धर्यो : रखना
लगास्यूँ  : लगाना
कुण्जर : हाथी
घणा : बहुत
बिन्दरावन : वृंदावन
सरसी  : अच्छी
रहस्यूँ  :  रहना
हिवड़ा  : हृदय
राखो  : रखना
कुसुम्बी  : लाल अथवा केसरिया


योग्यता विस्तार

प्रश्न 1 मीरा के अन्य पदों को याद करके कक्षा में सुनाइए।

उत्तर : ये एक प्रायोगिक कार्य हैं, विद्यार्थी मीरा के पदों को अलग-अलग स्रोतों से संकलिक करके उन्हें याद करें और कक्षा में सुनाएं।

प्रश्न 2 यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सके तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।

उत्तर : आजकल कैसेट मिलना संभव नही है। इसलिए विद्यार्थी सीडी अथवा पेनड्राइव अथवा इंटरनेट से मीरा के पदों के आडियों डाउनलोड करके उन्हे सुनें।


परियोजना

प्रश्न 1 मीरा के पदों का संकलन करके उन पदों को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।

उत्तर : मीरा के अलग-अलग पदों का संकलन करके चार्ट पर लिखें और भित्ति पत्रिका पर लगाएं।

प्रश्न 2 पहले हमारे यहांँ 10 अवतार माने जाते थे। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण प्रमुख हैं। अन्य अवतारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक चार्ट बनाएं।

उत्तर : भगवान विष्णु के दस अवतार इस प्रकार हैं…

  1. मत्स्य अवतार
  2. वराह अवतार
  3. कच्छप अवतार
  4. नरसिंह अवतार
  5. वामन अवतार
  6. परशुराम अवतार
  7. श्री राम अवतार
  8. श्री कृष्ण अवतार
  9. भगवान बुद्ध अवतार
  10. कल्कि अवतार

पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श भाग 2) (NCERT Solutions)

कक्षा-10 हिंदी स्पर्श भाग – 2 के अन्य पाठ

साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

मनुष्यता : मैथिलीशरण गुप्त (कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श भाग 2) (हल प्रश्नोत्तर)

पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-4 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

विद्यालय द्वारा आयोजित स्काउट/गाइड कैंप हेतु विद्यार्थियों को प्रधानाचार्य की ओर से निमंत्रित करते हुए सूचना लिखिए l

डी. ए. वी. महाविद्यालय,
चंडीगढ़,

सूचना

स्काउट/गाइड शिविर का आयोजन

दिनांक : 12/1/2024

विद्यालय के सभी छात्र व छात्राओं को सूचित किया जाता है कि 18-01-2024 को डी. ए. वी. विद्यालय में स्काउट एंड गाइड शिविर का आयोजन किया जा रहा है । स्काउटिंग गाइडिंग युवाओ के व्यक्तित्व विकास में बेहद सहायक आयोजन है जो एक सैन्य अधिकारी लॉर्ड रॉबर्ट स्टीफेन्सन स्मिथ बेडन पॉवेल द्वारा 1907 में प्रारंभ किया गया था ।

वर्तमान में स्काउट गाइड संगठन विश्व के 216 देशों और उपनिवेशों में संचालित है । लगभग 5 करोड़ सदस्यों के साथ यह विश्व का सबसे बड़ा वर्दीधारी संगठन है । सभी विद्यार्थियों से अनुरोध है कि वह सब स्काउट/गाइड शिविर में भाग लें ।

द्वारा,
रंजनप्रसाद  (प्रधानाचार्य)
डी. ए. वी महाविद्यालय,
चंडीगढ़ ।


Related questions

अपने मामाजी को पत्र लिखकर पिताजी के स्वास्थ्य में सुधार की सूचना दीजिए l

शिक्षा के विकास में सूचना और संचार की क्या भूमिका है?

विद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र देने का अनुरोध करते हुए एक प्रार्थना पत्र लिखिए ।

औपचारिक पत्र

चरित्र प्रमाण-पत्र का अनुरोध करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र

दिनांक : 12 जून 2024

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
डी.ए.वी महाविद्यालय, रोहतक (हरियाणा) ।

विषय :  चरित्र प्रमाण पत्र का अनुरोध

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय,
निवेदन इस प्रकार है कि मेरा नाम अखिलेश श्रीवास्तव है।  मैं कक्षा 9 विभाग ‘ब’ में पढ़ता हूँ। मेरे पिताजी एक सरकारी विभाग में अधिकारी हैं और उनका स्थानांतरण निकट के नगर कुरुक्षेत्र में हो गया है। इस कारण हम सभी को सपरिवार कुरुक्षेत्र में स्थानांतरित होना पड़ेगा। इस कारण मुझे यह विद्यालय छोड़ना पड़ेगा और नए शहर में नए विद्यालय में प्रवेश लेना पड़ेगा।

मैंने विद्यालय से लिविंग सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया है। मुझे नए विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए चरित्र प्रमाण पत्र की आवश्यकता है, ताकि मैं नए शहर में मैं विद्यालय में प्रवेश ले सकूं। अतः श्रीमान जी से अनुरोध है कि मुझे विद्यालय से चरित्र प्रमाण पत्र प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं नए शहर में नए विद्यालय में प्रवेश लेते समय चरित्र प्रमाण पत्र को दिखा सकूं। आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अखिलेश श्रीवास्तव,
डीएवी महाविद्यालय,
रोहतक,  हरियाणा ।


Related questions

आपके विद्यालय में पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसकी शिकायत करते हुए सुधार के लिए प्रार्थना करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

आपको परीक्षा में बहुत कम अंक मिले हैं जबकि आपके अनुसार पेपर अच्छे हुए थे। प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उत्तर-पुस्तिकाएं दिखाए जाने की प्रार्थना कीजिए।

रैयतवाड़ी व्यवस्था को किसके द्वारा लागू किया गया था?

0

रैयतवाड़ी व्यवस्था 18वीं शताब्दी में तत्कालीन ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रांत के गवर्नर जनरल सर थॉमस मुनरो द्वारा लागू किया गया था।

रैयतवाड़ी व्यवस्था 1820 में सर थॉमस मुनरो ने मद्रास और बांबे प्रांत के कई क्षेत्रों के साथ-साथ असम और कूर्ग प्रांतों में लागू की थी।

रैयतवाड़ी व्यवस्था के अंतर्गत किसानों को भूमि का स्वामी माना जाता था और उनके पास भूमि के स्वामित्व अधिकार होते थे यानी कि वह भूमि को बेच सकते थे, उसे गिरवी रख सकते थे अथवा उसे किसी को उपहार में दे सकते थे। तत्कालीन सरकार सीधे किसानों से ही कर की वसूली करती थी और बीच में कोई बिचौलिया नही होता था, जैसाकि पहले की जमींदारी व्यवस्था में होता था। किसानों से वसूल किए गए कर की दर शुष्क भूमि में 50% और आर्द्र भूमि में 60% होती थी। यदि किसानों का भुगतान करने में जो सरकार किसान को जमीन से बेदखल कर देती थी।

रैयतवाड़ी व्यवस्था क्या थी?

रैयतवाड़ी व्यवस्था किसान यह जमीदारी व्यवस्था से अलग एक तरह की व्यवस्था थी, जिसमें भूमि का स्वामी सीधे किसानों को बना दिया जाता था। पहले की जमींदारी व्यवस्था की तरह कोई बिचौलिया नहीं होता था, लेकिन जिन किसानों को भूमि का स्वामी बनाया जाता थास उन्हें उच्च दर पर कर का भुगतान करना पड़ता था और यह भुगतान नकद रूप में करना पड़ता था ना कि किसी वस्तु के रूप में। जैसा कि किसान पहले भारत की प्राचीन कृषि व्यवस्था में किसान पहले करते थे और राजा को फसल के अंश के रूप में कर का भुगतान करते थे।


Other questions

सरदार पूर्णसिंह का साहित्यिक परिचय दीजिए।

‘सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रयत्न करना चाहिए’ इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।

परीक्षा में आए कठिन प्रश्न-पत्र के बारे में दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

परीक्षा में आए कठिन प्रश्न-पत्र के बारे में दो मित्रों अरुण और विमल के बीच संवाद

 

अरुण ⦂ विमल तुम्हारा आज का प्रश्न पत्र कैसा रहा?

विमल ⦂ मेरा प्रश्न पत्र आज अच्छा नहीं गया। आज के प्रश्न-पत्र में बेहद कठिन प्रश्न थे। मैंने ऐसे प्रश्नों की तैयारी नहीं की थी। मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि प्रश्न पत्र में इतने कठिन प्रश्न आ जाएंगे।

अरुण ⦂ बिल्कुल मेरा भी वही हाल है। मेरा भी पेपर आज अच्छा नहीं गया। सच में बहुत ही कठिन प्रश्न थे। पता नहीं किसने यह प्रश्न पत्र तैयार किया था। हमने जितनी भी गाइड बुक तथा मॉडल प्रश्न पत्र देखे थे उनमें किसी में भी इस तरह के प्रश्न नहीं बताए गए थे।

विमल ⦂ वही तो बात है। मुझे बड़ी चिंता हो रही है कि कहीं इस विषय में फेल ना हो जाऊं।

अरुण ⦂ ऐसा क्यों कह रहे हो? क्या तुम्हारा पेपर बहुत अधिक खराब गया है?

विमल ⦂ हाँ मेरा पेपर सच में बहुत खराब गया है, लेकिन उम्मीद है कि मैं पासिंग मार्क्स ले आऊंगा। हालांकि यह डर है कि शायद ऐसा ना हो पाए।

अरुण ⦂ हौसला रखो। सब ठीक हो जाएगा तुम चिंता मत करो। तुम पास जरूर होगे। मैं भी पेपर लगभग इतना तो कर ही आया हूँ कि मैं पास हो जाऊंगा ऐसी उम्मीद है। हालाँकि बहुत अच्छे अंक शायद नही आएं।

विमल ⦂ चलो देखते हैं। अब इसकी चिंता छोड़कर अगले पेपर की तैयारी करते हैं। जो हो गया सो हो गया।

अरुण ⦂ बिल्कुल सही कह रहे हो।


Related questions

किसी शिक्षक की प्रशंसा करते हेतु दो छात्रों के मध्य हुए वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए l

वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर दो शिक्षकों के बीच संवाद लिखो

साइबर क्राइम की जानकारी देते हुए छोटी बहन को पत्र लिखिए।

पत्र लेखन

साइबर क्राइम की जानकारी देते हुए छोटी बहन को पत्र

 

दिनांक : 15 जून 2024

डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल,
छात्रावास, न्यू शिमला,
शिमला – 171009।

प्रिय बहन दिव्यांशी
स्नेह !

मैं यहाँ पर सपरिवार कुशलता से हूँ और आशा करती हूँ कि तुम भी छात्रावास में कुशलता से होगी और ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की मंगल कामना करती हूँ। माता-पिता को तुमसे बहुत उम्मीदें हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम उनकी उम्मीदों पर खरा उतरोगी । तुम एक बहुत ही समझदार और होशियार लड़की हो । लेकिन तुम्हारी बड़ी बहन होने के नाते मैं तुम्हें कुछ समझाना चाहता हूँ। तुमने शायद आजकल साइबर क्राइम के बारे में तो सुना ही होगा । लेकिन यह साइबर क्राइम (cyber crime) क्या है ? तुम्हें इसके बारे में जरूर चाहिये ।

दरअसल किसी भी कंप्यूटर का आपराधिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है । कंप्यूटर अपराध में किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करना और उसका गलत इस्तेमाल करना शामिल है। किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकाल लेना या चोरी कर लेना भी साइबर अपराध है । साइबर अपराध भी कई प्रकार के है जैसे कि स्पैम ईमेल, हैकिंग, फिशिंग, वायरस को डालना, किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी पर हर वक़्त नजर रखना आदि । मैं तुम्हें साइबर क्राइम से बचने के उपाय बताती हूँ, तुम इस बारे में अपने दोस्तों को ज़रूर बताना ।

अक्सर हर एक इंटरनेट यूजर को ऐसे ईमेल और मैसेज आते रहते हैं जिन पर अनजान लिंक मौजूद होते हैं ऐसे में हमें इन ईमेल और मैसेज में मौजूद अनजान लिंक पर कभी भी क्लिक नहीं करना चाहिये । कभी भी किसी भी वेबसाइट को विज़िट करते वक्त सबसे पहले HTTPS पर ध्यान देना चाहिये ।

अगर वेबसाइट के लिंक मे HTTPS के बजाय HTTP हैं तो हमें ऐसे वेबसाइट पर नहीं जाना चाहिए और अनजान वेबसाइट पर हमें भूलकर लॉगिन नहीं करना चाहिए और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को साझा नहीं करना चाहिये । अगर हम फ्री इंटरनेट के चक्कर मे आम वाईफाई का उपयोग करते हैं तो सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि आज के समय में फ्री Public वाई-फाई बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं। इससे हमारी डिवाइस चाहे वो मोबाइल या कम्प्यूटर, हैक हो सकती है। अकसर हम अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सोशल मीडिया साइट्स पर साझा कर देते हैं। ऐसा हमें कभी भी नहीं करना चाहिये।

यहाँ पर मैंने साइबर क्राइम के बारे संक्षेप में जानकारी देते हुए उससे बचाव के कुछ उपाय समझाएं हैं। जो कुछ भी तुम्हें बताया है, तुम उन बातों का ध्यान रखना। शेष मिलने पर ।

तुम्हारी बड़ी बहन,
आशिमा


Related questions

आपके पिताजी आपको छात्रावास भेजना चाहते है। आप वहाँ जाना नहीं चाहते। इस विषय में अपने नानाजी को पत्र लिखें कि वह पिताजी को मनाएं ताकि आपको वह छात्रावास न भेजें।

आपका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अपने मित्र को पत्र लिखकर आमंत्रित कीजिए।

सरदार पूर्णसिंह का साहित्यिक परिचय दीजिए।

0

सरदार पूर्णसिंह हिंदी के एक प्रसिद्ध निबंधकार थे। वह द्विवेदी युग के निबंधकार थे उन्होंने हिंदी में छः निबंध लिखे, जिनके नाम इस प्रकार है।

  1. आचरण की सभ्यता,
  2. मजदूरी और प्रेम,
  3. अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट व्हिटमैन,
  4. कन्यादान,
  5. पवित्रता
  6. सच्ची वीरता

सरदार पूर्णसिंह के निबंधों की भाषा खड़ी बोली से युक्त भाषा है। उन्होंने अपने निबंधों में जहाँ तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है तो फारसी और अंग्रेजी शब्दों का भी प्रयोग किया है। उनके निबंधों में व्यंगात्मकता, विचारात्मकता, वर्णनात्मकता, भावात्मकता आदि सभी का मिश्रण मिलता है। यही उनके निबंधों की विशिष्ट शैली है। उनके निबंध सरल और सहज भाषा में लिखे गए हैं, जो कि सरलता से आम पाठक को भी समझ में आ जाते हैं। उनके निबंधों में बड़े-बड़े उपदेश और गूढ़ बातें का समावेश नहीं है।

सरदार पूर्ण सिंह द्विवेदी युग के प्रसिद्ध निबंधकार रहे हैं। उनका जन्म सन 1881 ईस्वी में एबटाबाद नामक स्थान पर हुआ था जो कि वर्तमान समय में पाकिस्तान में पड़ता है। उनके पिता का नाम करतार सिंह था। उनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा रावलपिंडी में हुई।

जहाँ से उत्तीर्ण होने के बाद लाहौर में बस गए और लाहौर से उन्होंने एम.ए. परीक्षा उत्तीर्ण की। वे अध्ययन के लिए जापान भी गए और जहाँ उनकी भेंट उस समय जाापान आए हुए स्वामी रामतीर्थ से हुई। स्वामी रामतीर्थ के विचारों से इतना प्रेरित हुए कि वहीं पर उन्होंने सन्यास ले लिया। बाद में वह स्वामी जी के साथ ही भारत वापस आ गए। स्वामी जी की मृत्यु के बाद वे देहरादून बस गए और विवाह करके वहीं पर अध्यापन कार्य करने लगे। उनका निधन सन् 1931 में हुआ था।


Other questions

‘सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रयत्न करना चाहिए’ इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?

आपके पिताजी आपको छात्रावास भेजना चाहते है। आप वहाँ जाना नहीं चाहते। इस विषय में अपने नानाजी को पत्र लिखें कि वह पिताजी को मनाएं ताकि आपको वह छात्रावास न भेजें।

अनौपचारिक पत्र

नानाजी को पत्र

दिनांक : 18 जून 2023

 

प्रणाम नाना जी,
आशा करता हूँ आप सब ठीक होंगे । नानाजी, आज मैं आपको एक बहुत जरूरी बात बताने के लिए पत्र लिख रहा हूँ। नानाजी, मुझे पिताजी अगली कक्षा की पढ़ाई के लिए छात्रावास भेजना चाहते है । मैं छात्रावास में पढ़ाई करने नहीं जाना चाहता । मेरा मन नहीं कि मैं छात्रावास में पढ़ाई करूं। नानाजी, मुझे माँ-पिताजी और अपने भाई-बहनों से दूर रहना अच्छा नही लगता। मैं अपने परिवारजनों से दूर नहीं रह सकता। यदि पिताजी मुझे पढ़ाई के लिए जबरदस्ती छात्रावास भेज देंगे तो मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगेगा और मैं पढ़ाई नहीं कर पाऊँगा। इस तरह मैं अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाऊँगा।

नानाजी, मैं जानता हूँ कि पिताजी आपका बहुत सम्मान करते हैं। वह आपकी बात मानते हैं। नानाजी मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप पिताजी को समझाओ कि मुझे छात्रावास न भेजें। वह आपकी बात जरूर मानेंगे। आशा करता हूँ, आप मेरी बात को जरूर समझेंगे और पिताजी को मना लेंगे । आपके पत्र का इंतजार करूंगा । अपना ध्यान रखना

आपका प्यारा नाती,
अंश ।


Related questions

नाना की अचानक तबीयत खराब होने पर मामा को पत्र लिखिए​।

पिताजी को पत्र लिखकर बताइए कि ग्रीष्म ऋतु में पिकनिक मनाना चाहते हैं ?

‘सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए प्रयत्न करना चाहिए’ इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।

सरकार को भिखारियों के पुनर्वास के लिए पूरा प्रयत्न करना चाहिए। भिखारी केवल भिखारी नहीं होते। वह उस देश के नागरिक भी होते हैं, जिस देश में रह रहे होते हैं। इसलिए सरकार का परम कर्तव्य है कि वह अपने देश के हर नागरिक को अच्छा जीवन देने वाला वातावरण बनाए। कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से भिखारी नहीं बनता। उसकी सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों ही उसे भिखारी बनने पर मजबूर कर देती है। यदि किसी समाज या देश में भिखारियों की संख्या अधिक है तो इसका मतलब उस समाज या देश की आर्थिक स्थिति और आर्थिक नीतियां ठीक नहीं है। इसलिए यह सारा दायित्व सरकार का हो जाता है कि वह भिखारियों के पुनर्वास का कार्य करें और उन्हें भी एक सम्मानजनक एवं सुविधा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार दे।

सरकार को भी कार्यों के पुनर्वास के लिए निम्नलिखित प्रयास करने चाहिए…

  • सरकार को भिखारियों के आवास के लिए उचित प्रबंध करना चाहिए ताकि भिखारी सड़क पर बेघर बनकर ना रहे और किसी सुरक्षित आवास में रह सकें।
  • सरकार को भिखारी के जीवन-यापन हेतु उन्हें कुछ ऐसा रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए, जिससे वह स्वावलंबी बनकर सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।
  • सरकार को भिखारियों की काउंसलिंग करके उन्हें स्वाबलंबी जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करना चाहिए क्योंकि भीख मांगना कोई अच्छी प्रवृत्ति नहीं है।
  • भले ही कुछ भिखारी मजबूरी में भीख मांगते हो लेकिन कुछ भिखारी इसे अपना व्यवसाय भी बना लेते हैं। इसलिए सरकार को ऐसे लोगों की मानसिक काउंसलिंग करने की आवश्यकता है।
  • इस तरह यदि सरकार अपने प्रयासों द्वारा अपने समाज से भिखारियों की संख्या कम कर पाती है तो यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।

 

Other questions

‘यात्रा जिसे मैं भूल नहीं सकता’ विषय पर अनुच्छेद लिखिए।​

समाज में फैली बुराइयों का उल्लेख करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए​।

वापसी यात्रा में ईश्वरी ने बीर को क्यों डाँटा?

0

वापसी यात्रा में ईश्वरी ने बीर को इसलिए डांटा क्योंकि बीर ने असभ्य व्यवहार किया था। बीर ने ट्रेन में ना केवल एक गरीब यात्री को तमाचे मारे, उसे धक्का दिया उसे भला-बुरा कहा बल्कि उससे पहले ईश्वरी के घर पर ही नौकरों और मुंशी रियासत अली को डांटा फटकारा।

बीर पर जमीदारी के बनावटी रूप का नशा चढ़ चुका था और वह स्वयं को जमीदार का ही पुत्र समझने लगा था, और वह अपने स्वाभाविक विचारों को छोड़कर जमींदारों के पुत्र जैसा आचरण करने लगा। इसी कारण वापसी यात्रा में ईश्वरी ने बीर को डांटा, क्योंकि उस पर झूठी जमींदारी का नशा चढ़ चुका था।

‘नशा’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें ईश्वरी और बीर के दो मुख्य पात्र हैं। ईश्वरी जमीदार का बेटा है जबकि बीर एक साधारण क्लर्क का बेटा था। दोनों आपस में मित्र थे। बीर हमेशा जमींदारों के आचरण की आलोचना करता रहता था लेकिन ईश्वरी चुपचाप सुनता रहता था।

एक बार ईश्वरी बीर को अपने घर ले गया तो उसने अपने घर में बीर का सबसे परिचय यह कहकर कराया कि बीर भी एक जमीदार का बेटा है। ईश्वरी द्वारा बीर का ऐसा परिचय कराये जाने पर बीर थोड़ी देर के लिए स्वयं को जमीदार के पुत्र जैसा ही समझने लगा।

उस पर जमींदारी का नशा चढ़ चुका था। उसने ईश्वरी के घर पर जमीदार जैसा आचरण करना शुरु कर दिया। उसने नौकरों को तथा मुंशी को डांटा और ट्रेन में एक गरीब मुसाफिर को जरा सी गलती पर मारा। उस पर झूठी जमींदारी का नशा चढ़ चुका था इसलिए ईश्वरी ने बीर को डांटा।


Other questions

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?

‘जागा स्वर्ण-सवेरा’ का क्या अर्थ है ?

किसी शिक्षक की प्रशंसा करते हुए दो छात्रों के मध्य हुए वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए l

संवाद लेखन

किसी शिक्षक की प्रशंसा करते हुए दो छात्रों के मध्य हुआ वार्तालाप

 

छात्र-1 ⦂ सोहन कैसे हो ?

छात्र-2 ⦂ मैं ठीक हूँ, तुम कैसे हो?

छात्र-1 ⦂ मैं भी ठीक हूँ, मुझे एक बात का दुख हो रहा है।

छात्र -2 ⦂ किस बात का?

छात्र-1 ⦂ कल हिंदी वाली अध्यापिका का तबादला हो रहा है, वह जा रही है।

छात्र-2 ⦂ यार यह तो हिंदी की अध्यापिका की बहुत अच्छी है, मुझे भी दुःख हो रहा है।

छात्र-1 सही बोल रहे हो, हिंदी की अध्यापिका की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। वह सबसे अच्छा पढ़ाते थे। मुझे उनका पढ़ाना सबसे अच्छा लगता था।

छात्र-2 ⦂ मुझे भी, वह पढ़ाई के साथ हमें और भी अच्छी बाते समझाती है।

छात्र-1 ⦂ मुझे हिंदी की अध्यापिका की बहुत याद आएगी ।

छात्र-2 हमारी हिंदी की अध्यापिका बहुत का पढ़ाने का तरीका बहुत पसंद था, उनकी प्रशंसा सभी अध्यापक करते थे।

छात्र-1 ⦂ मैं कल उनके लिए एक उपहार लेकर आऊंगा।

छात्र-2 ⦂ मैं भी । हाँ हम लोगों को उन्हें उपहार देना चाहिए ताकी वह यहाँ से जाने के बाद भी हमें याद रखें।


Related questions

वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर दो शिक्षकों के बीच संवाद लिखो

महिला और दूधवाला के बीच हुए संवाद को लिखें।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर दो शिक्षकों के बीच संवाद लिखो

संवाद लेखन

वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर दो शिक्षकों के बीच संवाद

 

पहला शिक्षक ⦂ श्रीमान, क्या आप जानते हो कि भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के प्रतिरूप पर आधारित है, जिसे सन 1835 में लागू किया गया था?
दूसरा शिक्षक ⦂ जी हाँ , बिल्कुल इस शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य भारत में प्रशासन के लिए बिचौलियों की भूमिका निभाने तथा सरकारी कार्य के लिए विशिष्ट लोगों को तैयार करना था।
पहला शिक्षक ⦂ क्या आप वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुणों के बारे में जानते है?
दूसरा शिक्षक ⦂ जीहाँ , श्रीमान जी इसके बहुत से गुण है, जैसे – यह विविध विषयों और प्रौद्योगिकियों के बारे में हमारे ज्ञान के विस्तार को बढ़ाती है। यह हमें हमारी संस्कृति और नैतिकता के बारे में जानने में मदद करती है।
दूसरा शिक्षक ⦂ आपने बिल्कुल सही कहा। लेकिन इस शिक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा गुण है कि यह हमारे मस्तिष्क के विकास में सहायता प्रदान करती है और हमें शालीन बनाने में मदद करती है।
पहला शिक्षक ⦂ जी हाँ, इसके अलावा यह राजनीति के नियमों को सीखने में मदद करती है और इस शिक्षा प्रणाली से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है।
दूसरा शिक्षक ⦂ श्रीमान, यह शिक्षा प्रणाली हमें यह समझने में मदद करती है कि अपने अनपढ़ समकक्षों की तुलना में बेहतर व्यवहार कैसे किया जाये ।
पहला शिक्षक ⦂ दरअसल श्रीमान जी वर्तमान शिक्षा प्रणाली छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए प्रचलित की जा रही है। आज इंटरनेट के माध्यम से शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। छात्रों को विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जोड़कर किसी भी विषय का ज्ञान प्रदान करवाया जाता है।
दूसरा शिक्षक ⦂ आप बिल्कुल सही कह रहे हैं । शिक्षा प्रणाली के कुशल संचालन हेतु व शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु केन्द्र व राज्य सरकारों को अपनी मूक दर्शक मुद्रा को छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक सक्रिय पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिए, अन्यथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली निजी हाथों में कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों की तिजोरियों को भरने और देश के नवयुवकों को अंधकार में झोंकने का जरिया बनकर रह जाएगी ।


Related questions

दो सैनिकों के बीच हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

महिला और दूधवाला के बीच हुए संवाद को लिखें।

ऐसी मूढ़ता या मन की। परिहरि राम-भगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की॥ धूम-समूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घन की। नहिं तँह सीतलता न बारि, पुनि हानि होति लोचन की॥ ज्यों गच-काँच बिलोकि सेन जड़ छाँह आपने तन की। टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की॥ कहँ लौं कहौं कुचाल कृपानिधि! जानत हौ गति जन की। तुलसिदास प्रभु हरहु दुसह दु:ख, करहु लाज निज पन की॥ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।

ऐसी मूढ़ता या मन की।
परिहरि राम-भगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की॥
धूम-समूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घन की।
नहिं तँह सीतलता न बारि, पुनि हानि होति लोचन की॥
ज्यों गच-काँच बिलोकि सेन जड़ छाँह आपने तन की।
टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की॥
कहँ लौं कहौं कुचाल कृपानिधि! जानत हौ गति जन की।
तुलसिदास प्रभु हरहु दुसह दु:ख, करहु लाज निज पन की॥

संदर्भ : ये पंक्तियां तुलसीदास द्वारा रचित काव्य ‘विनय पत्रिका’ की चौपाईयां है।

प्रसंग : प्रसंग उस समय का है, जब तुलसीदास प्रभु श्रीराम के प्रति अपनी भक्तिभाव का प्रदर्शन करते हुए अपने चंचल मन की दशा को प्रकट कर रहे हैं।

व्याख्या : तुलसीदास की विनय पत्रिका की इन पदों का भावार्थ इस प्रकार है कि तुलसीदास कहते हैं कि हमारे मन की ऐसी दशा होती है कि यह प्रभु श्रीराम की भक्ति रूपी गंगा को छोड़कर ओस की बूंदों से प्राप्त होने के पीछे भागता है। ये बिल्कुल उसी प्रकार है जिस प्रकार कोई प्यासा पपीहा धुएँ को देख कर उसे बादल समझ लेता है और उस धुएँ की तरफ भागता है। धुएँ में उसे ना तो शीतलता मिलती है, ना ही उसे वहाँ पर जल प्राप्त होता है बल्कि धुएँ के कारण उल्टा नुकसान ही होता है और उसकी आँखों को नुकसान पहुंच सकता है, यही दशा हमारे मन की होती है।

तुलसीदास दूसरा उदाहरण देकर कहते हैं कि बिल्कुल उसी तरह जैसे कोई भूखा बाज काँच में अपने ही शरीर की परछाई को देखकर उस पर झपट कर चोंच मारने का प्रयास करता है। इससे उसकी चोंच को ही नुकसान पहुंचता है क्योंकि भ्रम के कारण ऐसा करता है। इसीलिए तुलसीदास कहते हैं कि मन के इस भ्रम का मैं कहां तक वर्णन करूं, यह मन इतना भ्रमित है कि हर समय भटकता ही रहता है।

वे प्रभु श्रीराम से प्रार्थना कर रहे हैं कि आप तो हमारे स्वामी है, हम दासों की दशा जानते हैं। हे प्रभु! आप ही मेरे इस दारुण दुख का हरण कर लीजिए और मुझे अपने प्रेम रूपी वात्सल्य की छांव में ले लीजिए।


Other questions

‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’ इस उक्ति का अर्थ बताकर इसकी व्याख्या करें।

कैलाश गौतम की कविता ‘नौरंगिया’ की व्याख्या कीजिए।

जब पंगत बैठ जाती तो बाबूजी भी धीरे-धीरे से आकर जीमने के लिए बैठ जाते थे। उन्हें देखकर बच्चे बहुत हंसते थे। लेखक के पिता का बच्चों के साथ खेलना उचित है? माता का आँचल के पाठ के आधार पर इस कथन के पक्ष या विपक्ष में अपना मत प्रस्तुत कीजिए।

0

जब पंगत बैठ जाती तो बाबूजी भी धीरे-धीरे से आकर जीमने को बैठ जाते। ‘माता के आँचल’ पाठ में लेखक ने जब अपने बचपन की इस घटना का वर्णन किया है तो इस घटना से लेखक के पिता का बच्चों के साथ इस तरह खेलना बिल्कुल उचित था।

हमारा विचार इसके पक्ष मे रहेगा। माता-पिता को अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चे अपने माता पिता के साथ सहज रूप से रहे और उनके साथ अपनी हर तरह की परेशानी को बता सकें। माता और पिता तथा संतान के बीच सरल-सहज आत्मीय संबंध होंगे तो बच्चा अपने मन की कोई भी बात माता को आसनी बता पाएगा और उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी सकारात्मक रूप से हो पाएगा।

अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के साथ बेहद सख्ती से पेश आते हैं, जिस कारण बच्चे माता-पिता के सामने खुल नहीं पाते और वो अपनी बहुत सी बातें अपने माता-पिता से छुपाते हैं। इससे वे अपने अंदर ही कुंठा पालते रहते हैं जो उनके विकास पर नकारात्मक असर डालती है।

यहाँ पर ‘माता के आँचल’ पाठ में लेखक के पिता का अपने बेटे और उसके दोस्तों के साथ खेलने से लेखक के अंदर एक आत्मीय प्रवृत्ति विकसित हुई और वह अपने माता पिता के साथ अधिक आत्मीय संबंध स्थापित कर पाया। इसलिए हमारी दृष्टि में इस तरह का व्यवहार बिल्कुल उचित था।


Other questions

ईमानदारी जीवन में उन्नति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है । इस उक्ति के पक्ष और विपक्ष में लिखिए ।

पक्षियों को पालना उचित है या नहीं? अपने विचार लिखिए।

‘चंद्रघंटा’ में कौन सा समास है? समास विग्रह भी करें।

0

चंद्रघंटा का समास विग्रह इस प्रकार होगा…

चंद्रघंटा : चंद्र रूपी घंटा
समास भेद : कर्मधारण्य समास

स्पष्टीकरण :

‘चंद्रघंटा’ में ‘कर्मधारण्य समास’ क्योंकि इसमें प्रथम पद एक विशेषण की तरह कार्य कर रहा है और द्वितीय पद एक विशेष्य है। यहाँ पर पहला पद एक उपमान है, और दूसरा पद उसका विशेष्य है। ‘चंद्र’ ये पद एक विशेषण की तरह कार्य कर रहा है जो द्वितीय पद ‘घंटा’ का विशेषण है। ये द्वितीय पद के लिए उपमान की तरह भी कार्य कर रहा है इसलिए ‘चंद्रघंटा’ में कर्मधारण्य समास’ होगा।

कर्मधारण्य समास

कर्मधारय समास की परिभाषा के अनुसार कर्मधारण्य समास में पहला पद एक विशेषण का कार्य करता है तथा दूसरा पद उसका विशेष्य होता है। कर्मधारय समास में पहला पद उपमान तथा दूसरा पद विशेष्य का कार्य करता है।

जैसे
विश्वव्यापी : विश्व में व्याप्त है जो
नीलांबर : नीला है जो अंबर

समास के संक्षिप्तीकरण की क्रिया समासीकरण कहलाती है। समासीकरण के पश्चात जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते हैं। समस्त पद को पुनः मूल शब्दों में लाने की प्रक्रिया ‘समास विग्रह’ कहलाती है।


Related questions

‘सिंहद्वार’ का समास विग्रह कीजिए।

पुरुषोत्तम का समास विग्रह कीजिए।

‘जागा स्वर्ण-सवेरा’ का क्या अर्थ है ?

0

‘जागा स्वर्ण सवेरा’ का अर्थ यह है कि चारों तरफ ज्ञानरूपी सुनहरा सवेरा हो गया अर्थात लोगों में जागरूकता आई, उनका ज्ञानोदय हुआ और यह ज्ञानोदय किसी सुनहरी सुबह के जैसा ही है।

ये पंक्तियां शंभूनाथ ’शेष’ द्वारा लिखित ‘वही देश है मेरा’ नामक कविता की हैं। उपरोक्त पंक्ति कविता के पहले पद्यांश की है, जो कि इस प्रकार है…

वही देश है मेरा वेद गाथाओं से गूंजा है,
जिसका अंबर नीला जहाँ राम घनश्याम
कर गए युग-युग अद्भुत लीला,
जहाँ बांसुरी बजे ज्ञान की,
जागा स्वर्ण-सवेरा,
वही देश है मेरा

अर्थात ये मेरा भारत देश वही देश है, जहाँ पर वेद रूप का ज्ञान का प्रवाह होता है, और वेद के इस ज्ञान की ध्वनि से पूरा वातावरण गूँज उठता है। ये वही भारत देश है, जहाँ राम और कृष्ण ने अपनी अद्भुत लीलायें रचाईं।। ये वही भारत देश है, जहाँ पर ज्ञान के स्वर फूटते हैं तो फिर एक नया सुनहरा सवेरा होता है, जो किसी ज्ञान का सवेरा होता है। ये सवेरा ज्ञान की सुनहरी आभा लिए होता है।


Others questions

मेरा प्रिय देश भारत (निबंध)

जिसमें सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे, दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन सा है? मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं, आनंद पथ जहांँ है, वह देश कौन सा है? जिसके अनंत धन से, धरती भरी पड़ी है, संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है? भावार्थ बताएं।

हालदार साहब के अनुसार देशभक्ति आजकल क्या होती जा रही है। ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर बताइए। (i) प्रेम की भावना (ii) लगाव की भावना (iii) मजाक की भावना (iv) त्याग की भावना

0

सही विकल्प होगा :

(iii) मजाक की भावना

 

विस्तृत विवरण

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर अगर कहे तो हालदार साहब की नजर में देशभक्ति आजकल मजाक की भावना बनती जा रही है। लोगों में अब देश के प्रति वैसी प्रेम की भावना नहीं रही जैसी स्वतंत्रता आंदोलन के समय होती थी। लोग केवल दिखावे की देशभक्ति करते हैं। जो व्यक्ति सच्ची देशभक्ति करता है, देश के प्रति अपनी भावना को प्रकट करता है, ऐसे लोग उसका मजाक उड़ाते हैं। उनकी नजरों में देशभक्ति मजाक की भावना बनती जा रही है।

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ स्वतंत्र प्रकाश द्वारा लिखी गई एक कहानी है, जिसमें उन्होंने एक कस्बे का वर्णन किया है। इस कस्बे में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक प्रतिमा कस्बे के चौराहे पर लगी थी। वह प्रतिमा तो पूरी तरह पत्थर की बनी थी लेकिन उस पर जो चश्मा लगा था वह चश्मा पत्थर का न होकर वास्तविक चश्मा लगा था जो कि अलग से फिट कर दिया गया था। यह काम कैप्टन नाम से प्रसिद्ध एक चश्मा बेचने वाले व्यक्ति ने किया था।


Other questions

नेताजी की मूर्ति से क्षमा मांगने के पीछे कैप्टन का क्या भाव छिपा होता था ? (नेताजी का चश्मा)

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। आप देश के नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

हालदार साहब ने जब मूर्ति के नीचे मूर्तिकार ‘मास्टर मोतीलाल’ पढ़ा, तब उन्होंने क्या-क्या सोचा?

कैप्टन की मृत्यु का समाचार देते वक्त पान वाला उदास क्यों हो जाता है?

महादेवी वर्मा के जन्म के समय लड़कियों की दशा कैसी थी? आज उसमे क्या परिवर्तन आया हैं?

0

महादेवी वर्मा के समय लड़कियों की दशा अच्छी नहीं थी। जब महादेवी वर्मा का जन्म हुआ था तब उनके समय समाज में लड़कियों के जन्म को बहुत अधिक अच्छा नहीं माना जाता था। यदि लड़की के जन्म से पहले ही लड़की के माता-पिता और उसके घर वालों को पता चल जाता कि जन्म लेने वाली संतान लड़की है, तो उसका जन्म लेने से पहले ही भ्रूण हत्या कर दी जाती थी।

यदि कोई लड़की जन्म ले भी ली होती तो भी या तो उसे जन्म लेते ही मार दिया जाता था, नहीं तो उसका पालन पोषण भेदभाव पर आधारित होकर किया जाता था। लड़की को बोझ के समान समझा जाता था। उसे पराया धन माना जाता था कि एक दिन उसका विवाह हो जाना है और वह अपने ससुराल चली जाएगी। लड़की की पढ़ाई पर बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। उसके खानपान और पोषण पर भी उतना अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। यदि संतान लड़की है तो उसके मुकाबले संतान लड़का होने पर लड़के पर अधिक ध्यान दिया जाता था और हर कार्य में भेदभाव किया जाता था।

लड़कियों को पौष्टिक भोजन कम मिलता था। लड़कों के मुकाबले उन्हें कम भोजन दिया जाता था। उनसे घर के सारे काम कराये जाते और उन्हें केवल घर चहारदीवारी और घरेलु कार्यो तक ही सीमित कर दिया जाता था। उनकी शिक्षा पर भी बहुत अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था।

हालांकि महादेवी वर्मा को इन सब स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उनके पूरे खानदान में 100 वर्ष बाद किसी लड़की का जन्म हुआ था। इस कारण उनके दादा बेहद खुश हुए थे और उन्होंने इसी खुशी में उनका नाम महादेवी रखा था। महादेवी वर्मा का पालन पोषण भी पूरे लाड़-प्यार से हुआ।

आज के समय की बात की जाए तो आज के समय में लड़कियों की स्थिति और उनकी दशा बदली है। आज लड़कियों की शिक्षा पर भरपूर ध्यान दिया जाता है। उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाता। लड़कियों को भी लड़कों के समान ही भरपूर पोषण युक्त खाना मिलता है।

लड़कियां आज जीवन के हर क्षेत्र में अपनी कला और प्रतिभा से अपनी उपस्थिति को दर्ज करा रही हैं, इसलिए आज लड़कियों की स्थिति सुधरी है। हालांकि कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में उतना अधिक बदलाव नहीं आया है लेकिन फिर भी स्थिति उतनी खराब नहीं है और धीरे-धीरे सब जगह बदलाव आ रहा है। शहरों में लड़कियों की स्थिति कहीं अधिक बेहतर है।


Other questions

किसके आने से लेखिका के जालीघर का वातावरण क्षुब्ध हो गया?

‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार क्या है?

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत के 6 मूल अधिकारों में से एक अधिकार है। यह भारत के संविधान में सभी नागरिकों को भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देने की बात सुनिश्चित करता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भारत के संविधान में अनुच्छेद 19(1)A में उल्लेखित है। इस अधिकार के अंतर्गत भारत के सभी नागरिकों को अपने विचार और राय स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है।

अपने विचार और राय स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने से तात्पर्य केवल बोलने से ही नहीं बल्कि अपने लेखन कार्य द्वारा, किसी फिल्म द्वारा, किसी चित्र द्वारा, किसी बैनर द्वारा, किसी नाटक द्वारा अथवा किसी भाषण के द्वारा भारत का कोई भी नागरिक स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त कर सकता है।

इस अधिकार के अंतर्गत किसी भी नागरिक पर उसके विचारों को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त करने के लिए अंकुश नहीं लगाया जा सकता। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मीडिया संस्थानों विशेषकर समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टीवी चैनल, विज्ञापन जगत, रंगमंच, फिल्म आदि में बहुत महत्व है, क्योंकि इस अधिकार के अंतर्गत वह स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को अभिव्यक्त कर सकते हैं। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।


Other questions

लोकतंत्र का अभिजनवादी सिद्धांत यानि विशिष्ट वर्गीय सिद्धांत के बारे में बताएं।

‘भूख से मरने वाले व्यक्ति के लिए लोकतंत्र का कोई अर्थ और महत्व नही’, ये किसने कहा था?

आदि + अंत की संधि और संधि का नाम लिखिए।

आदि + अंत की संधि और संधि का नाम इस प्रकार होगा :

आदि + अंत : आद्यांत

संधि भेद : यण संधि

नियम

‘यण संधि’ के इस नियम के अनुसार जब ‘इ’ अथवा ‘ई’ उनके साथ किसी दूसरे विजातीय स्वर का मेल होता है तो वह ‘या’ बन जाता है। यहाँ पर आदि के ‘इ’ और अंत के ‘अ’ मिलकर ‘य’ वर्ण बना रहे हैं। इस कारण यहाँ ‘यण संधि’ है। यण संधि’ स्वर संधि के 5 रूपों में से एक भेद है।

स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं,

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • अयादि संधि
  • यण संधि

  संधि के तीन भेद होते हैं।

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

Other questions

‘निः + आकार’ में संधि बताइए।

‘चक्रमस्ति’ का संधि-विच्छेद क्या होगा? ​

‘नवोत्पल’ संधि विच्छेद और संधि का नाम बताएं।

‘जो जिया न आपके लिए’ “पंक्ति” का भाव क्या है? (क) पर को पीड़ा के लिए (ख) परोपकार के लिए (ग) अपने स्वार्थ के लिए (घ) केवल अपने वाह अपने परिवार के लिए.

0

सही विकल्प होगा…

(ख) परोपकार के लिए

 

विस्तार से समझें…

‘जो जिया न आपके लिए’ इस पंक्ति का भाव यही होगा कि जो परोपकार का कार्य नहीं करता। जो दूसरों के लिए नहीं जीता, जिसने परोपकार का कोई कार्य नहीं किया हो। जो कभी दूसरों के काम नहीं आया हो, जिसने दूसरे के दुख को अपना दुख नहीं समझा हो, जिसने पर पीड़ा में अपनी पीड़ा नहीं महसूस की हो, ऐसा व्यक्ति कभी दूसरों के लिए नहीं जीता। वो केवल अपने स्वार्थ के लिए जीता है। उसे केवल अपने स्वार्थ की चिंता होती है, उसे दूसरों के दुख दर्द से कोई मतलब नहीं होता। ऐसा व्यक्ति परोपकार का कोई कार्य भी नहीं करते। वो केवल वही कार्य करते हैं, जहाँ पर उनके स्वार्थ की सिद्धि होती हो। यानि जहाँ पर उनका मतलब पूरा होता हो, उनको फायदा होता हो।


Other questions

जिसमें सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे, दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन सा है? मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं, आनंद पथ जहांँ है, वह देश कौन सा है? जिसके अनंत धन से, धरती भरी पड़ी है, संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है? भावार्थ बताएं।

हम भी सिंह¸ सिंह तुम भी हो¸ पाला भी है आन पड़ा। आओ हम तुम आज देख लें हम दोनों में कौन बड़ा।। निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

जिसमें सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे, दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन सा है? मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं, आनंद पथ जहांँ है, वह देश कौन सा है? जिसके अनंत धन से, धरती भरी पड़ी है, संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है? भावार्थ बताएं।

0

जिसमें सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे,
दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन सा है?
मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं,
आनंद पथ जहांँ है, वह देश कौन सा है?
जिसके अनंत धन से, धरती भरी पड़ी है,
संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है ?​

भावार्थ : कवि रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखित कविता ‘वह देश कौन सा है?’ की इन पंक्तियों का आशय यह है कि कवि कहते हैं कि वह देश कौन सा है?, जहाँ दिन रात सुगंधित फूल दिन रात विहँसते रहते हैं, यानी खिले रहते हैं और अपनी सुगंध से पूरे देश के वातावरण को सुगंध में बना देते हैं। वह देश कौन सा है?, जहाँ के मैदानों में पर्वतों में और वनों में हरियाली उसी प्रकार लहराती है, जिस तरह आग तेजी से अपने चारों तरफ फैलकर पूर पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लेती है। वह देश कौन सा है? जहां अनंत काल से अनेक महामानव जन्म लेते रहे हैं, ये भारत देश सभी देशों की शिरोमणि है।


Other questions

चरन चोंच लोचन रंग्यो, चलै मराली चाल। क्षीर-नीर बिबरन समय, बक उघरत तेहि काल।। ​भावार्थ बताएं।

सोभित कर नवनीत लिए। घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥ चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए। लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥ कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए। धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥ सूरदास के इस पद का भावार्थ लिखिए।

जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाए, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

0

जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बता दिया जाए वहाँ ‘व्यतिरेक अलंकार’ होता है। व्यतिरेक अलंकार किसी काव्य में वहाँ पर प्रयुक्त होता है, जहाँ पर उपमेय को उपमान से अधिक श्रेष्ठ बताया जाता है।

‘व्यतिरेक अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जहाँ कोई कारण स्पष्ट करते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से अधिक बताई जाए, वहाँ पर ‘व्यतिरेक अलंकार’ प्रकट होता है।

‘व्यतिरेक शब्द’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आधिक्य’ यानी अधिकता। जहाँ पर उपमेय में उपमान से गुणों की अधिकता दर्शायी गई हो, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।

उदाहरण के लिए…
का सरबरि तेहि देऊँ मयकूँ।
चाँद कलंकी वह निष्कलंकू।।

यहाँ पर नायिका के मुख की सुंदरता चाँद से भी अधिक आंकी गई है। सामान्यतः किसी स्त्री के मुख के सौंदर्य की उपमा चाँद से की जाती है और उसके सुंदर मुखड़े को चाँद के समान सुंदर बताया जाता है, लेकिन यहाँ पर स्त्री के मुख को चाँद से भी अधिक सुंदर बताया गया है। पंक्तियों से स्पष्ट होता है कि नायिका के सुंदर मुख की तुलना चाँद से भी नहीं की जा सकती क्योंकि चाँद में तो कलंक है जबकि नायिका का मुख तो निष्कलंक है। यहाँ पर नायिका का मुख उपमेय है जबकि चाँद उपमान है और नायिका के मुख यानि उपमेय को चाँद यानि उपमान से श्रेष्ठ बताया गया है। इसलिए इस पंक्ति में व्यातिरेक अलंकार है।

दूसरा उदाहरण समझते हैं…

जिनके जस प्रताप के आगे,
ससि मलिन रवि सीतल लागे।

यहाँ पर यश और प्रताप उपमेय हैं, जबकि उपमान चंद्रमा और सूर्य है। यश एवं प्रताप को चंद्रमा एवं सूरज से श्रेष्ठ कहा गया है। इस तरह इस पंक्ति में भी ‘व्यातिरेक अलंकार’ है।


Others questions

“बाल कल्पना के से पाले” में कौन सा अलंकार है?

बड़े-बड़े मोती से आँसू में कौन सा अलंकार है?

ट्यूशन का व्यापार आज शिक्षा का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। उसके कारणों की चर्चा करते हुए विद्यालय की शिक्षा का महत्व स्पष्ट कीजिए।

0

ट्यूशन का व्यापार आज शिक्षा का अनिवार्य अंग बनता जा रहा है। यह एक महत्वपूर्ण चिंतनीय विषय है। आज की शिक्षा परीक्षा केंद्रित हो जाने के कारण ही ट्यूशन के व्यापार को फलने-फूलने का भरपूर मौका मिल गया है।

शिक्षा प्राप्त करने की प्रक्रिया में विद्यार्थी का सबसे बड़ा और मुख्य उद्देश्य परीक्षा को किसी भी तरह पास करना होता है। ट्यूशन का व्यापार भी इसी बात पर केंद्रित होता है। जो शिक्षक ट्यूशन देते हैं अथवा जो कोचिंग इंस्टिट्यूट ट्यूशन देने की सर्विस उपलब्ध कराते हैं, वे विद्यार्थी को परीक्षा में अधिक से अधिक अंक दिलवाने का दावा करते हैं।

क्योंकि विद्यार्थी को परीक्षा में सर्वाधिक अंक चाहिए होते हैं ताकि वह परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सके, इसी कारण वो ट्यूशन के मायाजाल में उलझ जाता है। ट्यूशन शिक्षा का व्यापार बनने का मुख्य कार्य हमारी शिक्षा प्रणाली और विद्यालयों की अकर्मण्यता भी है। विद्यालयों में विद्यार्थियों की शिक्षा पर बराबर ध्यान नहीं दिया जाता। विद्यार्थियों को जो शिक्षा विद्यालय में मिलनी चाहिए उन्हें विद्यालय में नहीं मिल पाती जबकि उन पर परीक्षा में सफल होने का दबाव होता है। ऐसी स्थिति में वे अपनी पढ़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्यूशन की ओर आकर्षित होते हैं। ये उनकी विवशता होती है। बिना ट्यूशन के उनकी पढ़ाई ठीक तरह से नहीं हो पाती क्योंकि उन्हें विद्यालय में अपेक्षित पढ़ाई नहीं मिल पाती।

आज के समय में ट्यूशन एक व्यापार बन गया है, इसके लिए आवश्यक है कि इस व्यापार पर अंकुश लगाया जाए। ट्यूशन के कारण न केवल गरीब माता-पिता पर आर्थिक दबाव पड़ता है बल्कि विद्यार्थी पर भी मानसिक बोझ पड़ता है। विद्यालय की शिक्षा सबसे उत्तम शिक्षा है यदि विद्यालय सही तरह से शिक्षा देने की व्यवस्था करें तो विद्यार्थी को ट्यूशन लेने की आवश्यकता ही नहीं पढ़े।

इसलिए आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली में सुधार कर विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाए और विद्यालयों को इस तरह विकसित किया जाए कि इसमें पढ़ने वाले छात्र अपनी शिक्षा की सारी जरूरतों को पूरा कर सकें और उन्हें ट्यूशन अथवा कोचिंग इंस्टिट्यूट न जाना पड़े।


Others questions

आपके विचार से बच्चों पर माता-पिता का इतना दबाव अच्छा है या बुरा? तर्कसहित उत्तर दीजिए।

फिल्मों का समाज की उन्नति में विशेष योगदान हो सकता है? इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

0

NCERT Solutions (हल प्रश्नोत्तर)

साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श भाग 2)

SAKHI : Kabir (Class-10 Chapter-1 Hindi Sparsh 2)


साखी : कबीर

पाठ के बारे में…

इस पाठ में कबीर की साखी के माध्यम से अनेक नीति वचन कहे गए हैं। साखी शब्द का अर्थ होता है, साक्षी। साखी शब्द का तद्भव रूप है, जो किसी बात का साक्ष्य यानि प्रमाण है। साक्षी शब्द का प्रत्यक्ष सार्थक अर्थ होता है, प्रत्यक्ष ज्ञान। वह प्रत्यक्ष ज्ञान जो गुरु अपने शिष्य को प्रदान करता है। साखी एक दोहा छंद है और कबीर के अधिकांश दोहे साखी के नाम से ही प्रसिद्ध है। साखी एक प्रकार का दोहा छंद है। यह 13 और 11 के विश्राम वाला कुल 24 मात्राओं छंद होता है।


रचनाकार के बारे में…

कबीर भक्तिकालीन युग निर्गुण विचारधारा के प्रसिद्ध संत कवि रहे हैं, जो चौदहवीं शताब्दी में जन्मे थे। उन्होंने ईश्वर के निराकार रूप की आराधना पर जोर दिया है, और समाज में फैली कुरीतियों और धार्मिक आडंबरों पर तीखा प्रहार किया है। ऐसा माना जाता है कि कबीर का जन्म 1398 ईस्वी में काशी नगर में हुआ था। उनके गुरु का नाम रामानंद था। कबीर एक अनाथ बालक थे, जिन्हें नीरू-नीमा के जुलाहा दंपति ने पाला था।

जब कबीर का जन्म हुआ तो उस समय का समाज अनेक तरह की सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों से घिरा हुआ था और इस तरह की कुरीतियाँ भी अपने चरम पर थीं। कबीर स्वयं एक क्रांति कवि रहे। उन्होंने अपने दोहों कविता आदि के माध्यम से तत्कालीन समाज की कुरीतियों पर गहरी चोट की है और सामाजिक चेतना का संदेश दिया है। उन्होंने धर्म के बाहरी आडंबरों पर तीखा प्रहार किया तथा ईश्वर के निर्गुण रूप को समझने पर जोर दिया है।

कबीर की भाषा सधुक्कड़ी भाषा थी, जो मुख्यता पूर्वी जनपद की भाषा रही है। उनके भाषा में अनेक तरह के भाषाओं के शब्दों का मिश्रण भी मिलता है। इसी कारण उनके पदों में उनकी भाषा को सधुक्कड़ी भाषा कहा जाता है। कबीर का निधन 120 की आयु में मगहर में 1518 ईस्वी में हुआ।



हल प्रश्नोत्तर

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1 : मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे प्राप्त होती है?

उत्तर : मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता ऐसे प्राप्त होती है, क्योंकि जब हम मीठी वाणी बोलते हैं, तो सुनने वाले के ऊपर उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मीठी वाणी का असर हमेशा सुखद एवं सकारात्मक होता है। सुनने वाला प्रसन्न हो जाता है और वह उसी प्रसन्नता के भाव से अपना उत्तर भी देता है।

इससे हम पर भी उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और दोनों का मन प्रसन्न होता है। मीठी वाणी बोलने से हमारे अंदर के क्रोध और घृणा तथा सारी नकारात्मकता मिट जाती है। मीठी वाणी बोलने से हमें बदले में प्रेम भरा उत्तर ही प्राप्त होता है, जिससे ना केवल सुनने वाले का भी बल्कि हमारा हृदय भी प्रसन्न रहता है। इस प्रकार मीठी वाणी बोलने से बोलने वाले और सुनने वाले दोनों के तन और मन प्रसन्न और आनंदित रहते हैं।


 

प्रश्न 2 : दीपक दिखाई देने पर अंधियारा कैसे मिट जाता है? साखी के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : दीपक दिखाई देने पर अंधियारा उस प्रकार मिट जाता है, क्योंकि कवि ने दीपक और अज्ञान दोनों की तुलना की है। जिस प्रकार दीपक प्रज्वलित होने पर चारों तरफ का अंधकार मिट जाता है। उसी तरह मनुष्य के अंदर ज्ञान का दीपक प्रज्वलित होने पर उसके अंदर अज्ञानता का अंधकार मिट जाता है।

अज्ञानता से तात्पर्य है हमारे अंदर के अंह से है, जब तक हमारे अंदर अहं है, अहंकार है, तब तक हम ईश्वर को नहीं समझ सकते और ना ही ईश्वर को पा सकते हैं। जब हमारे अंदर आत्मज्ञान का प्रकाश होता है और हमारे अंदर का अहं रूपी अंधकार मिट जाता है, तब हमारे अंदर के सारे विकार, भ्रम और संशय रूपी अवगुण नष्ट हो जाते हैं और हमारे अंदर ज्ञान का प्रकाश जल उठता है। तब हम ईश्वर की प्राप्ति की राह पर चल पड़ते हैं।


 

प्रश्न 3 : ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते?

उत्तर : ईश्वर कण-कण में व्याप्त है, पर हम उसे इसलिए नहीं देख पाते क्योंकि ईश्वर देखने की नहीं समझने की चीज होती है। ईश्वर चारों तरफ कण-कण में व्याप्त है लेकिन हमारे अंदर अहंकार, क्रोध, अज्ञानता, घृणा, ईर्ष्या जैसे विकार समाए हुए हैं। इन विकारों के कारण हमारा मन दूषित रहता है और इन अवगुणों के कारण ना ही हम ईश्वर को देख सकते हैं ना ही उसे समझ सकते हैं।

ईश्वर को समझने के लिए हमें अपने अंदर के अहं को मिटाना पड़ेगा, अपने मन के अंधकार को खत्म करना पड़ेगा, तभी हमारे अंदर आत्मज्ञान होगा, तभी हमारा मन, हृदय निर्मल होगा और हम ईश्वर को देखना समझने की कोशिश करेंगे। हम अपने अंदर के अवगुणों दूर करने की कोशिश नहीं करते और इन्हीं अवगुणों के साथ ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर जैसे धार्मिक स्थलों में ढूंढते हैं, जबकि हम नहीं जानते कि ईश्वर हमारे अंदर ही है। जब तक हमारे अंदर का अज्ञानता का अंधकार नहीं मिटेगा, ईश्वर हमें किसी भी धार्मिक स्थल में नहीं मिलेगा।


 

प्रश्न 4 : संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी कौन? यहाँ ‘सोना’ और ‘जागना’ किसके प्रतीक हैं? इसका प्रयोग यहाँ क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कबीर के अनुसार संसार में दुखी वे लोग हैं, जो सांसारिक भोग-विलास में मगन हैं। जो सांसारिक सुख-सुविधाओं का भरपूर भोग कर रहे हैं। जिन्हें भोग-विलास करने से ही फुर्सत नहीं है। वह उस तथाकथित सुख के भ्रम जी रहे सुखी लोग है। कबीर के अनुसार दुखी लोग वे लोग हैं जिन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई है, जिनके सामने सांसारिक सुख-सुविधा और भोग-विलास कुछ नहीं है और उन्होंने इन सब को त्याग कर ईश्वर को पाने का मार्ग समझ लिया है।

कबीर के अनुसार ‘सोना’ अज्ञानता का प्रतीक है, क्योंकि जो लोग सांसारिक सुखों में लिप्त हैं, जो जीवन के भोगों को भोगने में डूबे हुए हैं, वह वास्तव में सोये हुए हैं। इसके विपरीत ‘जागना’ ज्ञान का प्रतीक है, और वे लोग जो सांसारिक सुखों को तुच्छ समझते हैं। जिनके सामने भोग-विलास कुछ नहीं है, जो ईश्वर को पाने के मार्ग पर चल पड़े हैं, वह जगे हुए हैं, क्योंकि उनके अंदर आत्मज्ञान हो गया है। कबीर इस सांसारिक दुर्दशा को लेकर चिंतित भी हैं।


 

प्रश्न 5 : अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

उत्तर : अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कवि ने कहा है कि मनुष्य को निरंतर अपनी आत्मशुद्धि करते रहने चाहिए। उसे अपने अंदर के दुर्गुणों का पता लगते रहना चाहिए। इसका सीधा और सरल उपाय यह है कि मनुष्य अपने पास अपने निंदकों को रखे, क्योंकि निंदक ही उसकी बुराई को उसके सामने बता सकते हैं। चाटुकार तो समय हमेशा उसकी तारीफ ही करेंगे और इससे उसे अपने अंदर के दुर्गुणों का पता नहीं चलेगा।

निंदक लोग व्यक्ति की त्रुटियों को व्यक्ति के सामने बोल सकते हैं, इसलिए व्यक्ति को अपने अंदर के दुर्गुणों का पता चलेगा और वह अपने दुर्गुणों को दूर करने का प्रयास कर सकता है। कबीर के अनुसार निंदक ही मनुष्य के सबसे अच्छे हितेषी होते हैं, क्योंकि वह उसकी दुर्गुणों को बताते जिससे मनुष्य अपने दुर्गुणों को दूर कर सकता है, तभी उसका स्वभाव निर्मल बनेगा।


 

प्रश्न 6 : ‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई’ −इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर : इस पंक्ति के द्वारा कबीर ने प्रेम का महत्व समझाया है। कबीर के अनुसार लोग ईश्वर को पाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं। वह तरह-तरह के उपाय आदि करते हैं और न जाने क्या-क्या यतन-जतन करते रहते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि ईश्वर को पाने के लिए बहुत बड़े-बड़े कार्य करने की जरूरत नहीं है, बल्कि एक छोटा सा अक्षर प्रेम ही ईश्वर को पा लेने के लिए पर्याप्त है।

जिसके अंदर प्रेम है, जिसने प्रेम को समझ लिया वह ज्ञानी हो गया। जो ज्ञानी हो गया, उसे समझो ईश्वर मिल गए। बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ लेने से कोई विद्वान नहीं बन जाता। सही मायनों में विद्वान वही व्यक्ति बनता है, जो प्रेम के सच्चे, शुद्ध, निर्मल, प्रेम को समझ लेता है। इसके अंदर प्रेम का भाव जग गया, वह ईश्वर को बेहद सरलता से पा सकता है, वही सच्चा ज्ञानी बन सकता है।



(ख)

प्रश्न 1 : निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये।          

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र लागै कोइ।
कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया कोइ।

उत्तर : दी गईं पंक्तियों के भाव इस प्रकार हैं…

1. बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र लागै कोइ।

भाव : इस पंक्ति का भाव यह है कि जो व्यक्ति ईश्वर के प्रति प्रेम को ही अपना सर्वस्व मानने लगता है, जिसके हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम रूपी विरह का सर्प वास करने लगता है, ऐसे व्यक्ति पर अन्य कोई भी मंत्र असर नहीं करता। उस पर किसी अन्य बात का असर नहीं होता। उसे केवल ईश्वर के प्रेम की धुन सुनाई देती है। वह व्यक्ति ईश्वर के प्रति प्रेम में इतना ऊँचा उठ जाता है कि वह सामान्य जीव नहीं रह जाता।

2. कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै बन माँहि।

भाव : इस पंक्ति का भाव यह है कि कबीर कहना चाहते हैं कि मनुष्य अपनी अज्ञानता के कारण ईश्वर को इधर-उधर ढूंढता रहता है। वह ईश्वर को मंदिर, मस्जिद या अन्य धार्मिक स्थलों में ढूंढता रहता है, जबकि उसे पता नहीं होता कि ईश्वर तो उसके अंदर ही निवास कर रहा है। बिल्कुल उसी प्रकार जिस तरह कस्तूरी हिरण की नाभि में कस्तूरी छुपी होती है। लेकिन हिरण कस्तूरी की सुगंध के कारण उसे अन्य जगह ढूंढता रहता है। उसे यह नहीं पता होता कि यह कस्तूरी की सुगंध उसकी नाभि से ही आ रही है।

3. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

भाव : इस पंक्ति का भाव यह है कि कबीर कहना चाहते हैं कि जब तक मनुष्य के अंदर मैं यानि अहं है, अज्ञान रूपी अंधकार है, तब तक वो ईश्वर को नहीं पा सकता। जब मनुष्य के अंदर से मैं यानी उसके अहं का भाव मिट जाएगा तो वो ईश्वर को समझ लेगा और ईश्वर को पा लेगा। कबीर कहना चाहते हैं कि अहंकार और ईश्वर दोनों साथ साथ नहीं रह सकते।

4. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया कोइ।

भाव : इस पंक्ति का भाव यह है कि कबीर कहना चाहते हैं कि बड़े-बड़े ग्रंथ, किताब में पढ़ लेने से कोई पंडित ज्ञानी नहीं हो जाता। विद्वान बनने के लिए प्रेम के मात्र ढाई अक्षर पढ़ना ही काफी है। जिसने प्रेम के ढाई अक्षर को पढ़ लिया, वही सबसे बड़ा ज्ञानी है। जब वह ज्ञानी बन जाएगा तो ईश्वर को पाने से कोई नहीं रोक सकता। ईश्वर को पाने के लिए अपने हृदय में प्रेम को बसाना होगा, प्रेम को समझना होगा। प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ने का तात्पर्य यही है कि विद्वान बनने के लिए बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने से ही ज्ञान नहीं आता बल्कि अपने मन में प्रेम को धारण करने से, सबके प्रति प्रेमभाव रखने से ज्ञान आता है।



 

प्रश्न 2 : पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। उदाहरण − जिवै – जीना औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास।

उत्तर : पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रुप उदाहरण के अनुसार लिखिए। उदाहरण − जिवै – जीना औरन, माँहि, देख्या, भुवंगम, नेड़ा, आँगणि, साबण, मुवा, पीव, जालौं, तास। निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप इस प्रकार होंगे : जीवा : जीना औरन : औरों को माँहि : के अंदर देख्या : देखा भुवंगम : साँप नेड़ा : पास आँगणि : आँगन साबण : साबुन मुवा : मुआ, नालायक पीव : प्रेम जालौं : जलना तास : उसका



योग्यता विस्तार

प्रश्न 1 : साधु में निंदा सहन करने से विनय शीलता आती है’ तथा ‘व्यक्ति को मीठी कल्याणकारी वाणी बोलनी चाहिए’ इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।

उत्तर : ये एक प्रायोगिक कार्य है। विद्यार्थी अपनी कक्षा में उपरोक्त विषयों पर चर्चा आयोजित करें।

प्रश्न 2 : कस्तूरी के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर : कस्तूरी एक पदार्थ होता है जो एक पशु हिरण की नाभि में पाया जाता है। ये अत्यन्त सुगंधित पदार्थ होता है।



परियोजना कार्य

प्रश्न 1 : मीठी वाणी/बोली संबंधी, ईश्वर प्रेम संबंधी दोहों का संकलन कर चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।

उत्तर : ये अलग-अलग स्रोतों से मीठी वाणी/बोली संबंधी, ईश्वर प्रेम संबंधी दोहों का संकलन करें और उन्हे चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर चिपकाए।

प्रश्न 2 : कबीर की साखियों को याद कीजिए और कक्षा में अंत्याक्षरी में उनका प्रयोग कीजिए।

उत्तर : विद्यार्थी कबीर के दोहों का संकलन करे और उन्हे अपनी कक्षा मे अत्याक्षरी खेलते समय प्रयोग करें। इससे न केवल उन्हे कबीर के दोहे याद होगे बल्कि उन दोहों के प्रति नैतिक शिक्षा रूपी संदेश को भी समझ सकेंगे।


कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श — Class-10 Chapter-1 Hindi Sparsh (NCERT Solutions)

कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श पाठ्य पुस्तक के अन्य पाठ

पद : मीरा (कक्षा-10 पाठ-2 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

मनुष्यता : मैथिलीशरण गुप्त (कक्षा-10 पाठ-3 हिंदी स्पर्श भाग 2) (हल प्रश्नोत्तर)

पर्वत प्रदेश में पावस : सुमित्रानंदन पंत (कक्षा-10 पाठ-4 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

तोप : वीरेन डंगवाल (कक्षा-10 पाठ-5 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)


Other questions

ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।। “इस पंक्ति में ‘ठगनी’ किसे कहा गया है?

कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

प्रेमी ढूँढ़त मैं फिरूँ, प्रेमी मिलै न कोइ। प्रेमी कूँ प्रेमी मिलै तब, सब विष अमृत होइ।। अर्थ बताएं।

आपके विचार से बच्चों पर माता-पिता का इतना दबाव अच्छा है या बुरा? तर्कसहित उत्तर दीजिए।

हमारे विचार के अनुसार बच्चों पर माता-पिता का इतना दबाव अच्छा और बुरा दोनों तरह से है, लेकिन इसमें अच्छाइयां अधिक है और बुराइयां कम है। इस विषय के संदर्भ में कुछ तर्क इस प्रकार हैं…

अच्छा : कोई भी माता पिता अपनी संतान का बुरा नहीं चाहते। वह हमेशा अपने बच्चों की भलाई चाहते हैं। इसलिए वह बच्चों पर कुछ दवाब बनाते हैं, ताकि उनके बच्चे अनुशासित रहें और अपने पढ़ाई आदि के प्रति सचेत रहें। यदि वे बच्चों पर दबाव नहीं बनाएंगे तो हो सकता है, बच्चे पढ़ाई के प्रति लापरवाह हो जाएं। इस तरह उनकी पढ़ाई प्रभावित हो सकती है और उनका करियर भी प्रभावित हो सकता है। माता पिता अपने बच्चों पर दबाव इसलिए बनाते हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ लिख कर कोई अच्छा करियर बना ले ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो जाए। इसीलिए बच्चों पर दबाव बनाते हैं ताकि बच्चे अपने करियर के प्रति गंभीर रहें।

बुरा : कभी-कभी माता-पिता बच्चों पर अनावश्यक दबाव बना देते हैं। बच्चों की जिस विषय में रुचि नहीं होती, जिस तरह की पढ़ाई में रुचि नहीं होती, माता-पिता उसे वही पढ़ाई करने के लिए दबाव बनाते हैं। उदाहरण के लिए किसी बच्चे को यदि विज्ञान विषय पढ़ने में रुचि नहीं है और वह कला अथवा कॉमर्स विषय लेना चाहता है, लेकिन माता-पिता दवाब बनाकर उसे विज्ञान विषय लेने के लिए ही विवश करते हैं। इससे बच्चा अरुचि होने के कारण विज्ञान विषय में सफल नही हो पाता है और उसकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इससे उसका भविष्य भी प्रभावित हो जाता है।

यदि बच्चे को उसकी रुचि के अनुसार उनकी उसकी मनपसंद का विषय लेने की छूट दी जाए तो शायद उस विषय में अधिक निपुण हो सकता है और किसी भी विषय में निपुण होने पर अच्छे करियर की संभावना होती है। अक्सर माता-पिता समाज की प्रवृत्ति के अनुसार चलते हैं। वह अपने बच्चे की रुचि नहीं बल्कि समाज की प्रवृत्ति देखते हैं। यदि समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील बनने की प्रवृत्ति अधिक है, तो वह अपने बच्चे को भी वही बनाना चाहते हैं। वो यह नहीं देखते कि उनके बच्चे की क्या बनने में रुचि है, इसी कारण में बच्चे पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं जो कि बिल्कुल उचित नहीं है।

किसी को भी अपनी रूचि के अनुसार अपने जीवन को डालने का अधिकार है। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के साथ माता-पिता की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह व्यवहार करें ताकि बच्चा अपनी हर परेशानी को माता-पिता से शेयर कर सके और वह बिना किसी दबाव के अपनी पढ़ाई की जरूरतों को माता-पिता को बता सके। आजकल के माता-पिता ऐसा करते भी हैं, लेकिन पहले के समय में ऐसा करना बहुत कम होता था।इस तरह हम कह सकते हैं माता द्वार माता पिता द्वारा बच्चों का जवाब बनाया जाना अच्छा भी है, और थोड़ा बुरा भी लेकिन इसमें अच्छाइयां अधिक है और बुराइयां कम है।

निष्कर्ष :
दोनों तर्को से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, कि माता-पिता का अपने बच्चों पर उनके भविष्य के ध्यान देना तो उचित है ताकि उनका बच्चा अपने सही करियर को चुन सके लेकिन इसमें माता-पिता को बहुत अधिक दवाब नही देना चाहिए। उन्हें अपनी इच्छा अपनी संताप पर नहीं थोपनी चाहिए और अपनी संतान की इच्छा का भी ख्याल रखना चाहिए कि वास्तव में वो क्या करना चाहते हैं।


Related questions

फिल्मों का समाज की उन्नति में विशेष योगदान हो सकता है? इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

छुट्टियों में आपने अपने दिन कैसे बिताए, इस बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।

मुहावरों को वाक्य में प्रयोग करें: क) नाक-भौंह सिकोड़ना ख) घड़ों पानी पड़ना

मुहावरों को वाक्य में प्रयोग और उनका अर्थ इस प्रकार होगा :

मुहावरा : नाक-भौंह सिकोड़ना

अर्थ : किसी बात पर अप्रसन्नता प्रकट करना। कोई मनपसंद का कार्य न होने पर खुश न होना, मनपंसद खाना न मिलने पर अप्रसन्न होना।

वाक्य प्रयोग-1 : राजू ने घर आकर जैसे ही यह देखा कि करेले की सब्जी बनी है तो करेले की सब्जी देखकर वह नाक-भौंह सिकोड़ना लगा।
वाक्य प्रयोग-1 : जैसे ही कचरे की गाड़ी गली में घुसी, सभी लोग नाक-भौंह सिकोड़ने लगे।
वाक्य प्रयोग-3 : सड़क किनारे बैठी उस भिखारिन को देखकर आस-पास से गुजरने वाले राहगीर नाक-भौंह सिकोड़ने लगते थे।

मुहावरा : घड़ों पानी पड़ना

अर्थ : कोई गलत कार्य करते हुए पकड़े जाने पर बेइज्जती होना। गलत कार्य करते हुए पकड़े जाना। गलती का पकड़ा जाना और शर्मिदा होना।

वाक्य प्रयोग-1 : जैसे ही मालकिन ने नौकरानी को चोरी-चोरी रसोई में से घी चुरा कर ले जाते हुए देखा तो नौकरानी पर घड़ों पानी पड़ गया।
वाक्य प्रयोग-2 : परीक्षा भवन में जब राजू के पास से नकल की पर्ची मिली तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
वाक्य प्रयोग-3 : वर्मा को रिश्वत लेते हुए जब भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते ने पकड़ा तो वर्मा जी की शक्ल देखकर ऐसा लगता था कि जैसे उन पर घड़ों पानी पड़ गया हो।


Other questions

दिए गए मुहावरों का अर्थवरों का अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग करें- क) हृदय पर साँप लोटना ख) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना​।

मुहावरों का अर्थ और वाक्यों में प्रयोग कीजिए 1. आँचल में छिपा लेना 2. आँसुओं का समुद्र उमड़ना

बहन के प्रेम की कौन-सी बात भाई के मन पर सदा के लिए छप गई?

0

बहन के प्रेम की वह बात भाई के मन पर छप गई, जब भाई बीमार पड़ा तो माँ ने भाई का सारा खाना पीना बंद कर दिया और उसे परहेज वाला खाना देना शुरू कर दिया था। भाई बेमन से खाना खाता था। उसे देखकर बहन को अच्छा नहीं लगता था। एक दिन बहन चुपचाप माँ से छुपकर भाई को गुड़ और चना दे गई। भाई ने बड़े चाव से गुड़ चना खाया। इस तरह बहन छुप-छुपकर अपने भाई का ध्यान रखती और उसे कुछ ना कुछ उसकी पसंद का खाने को देती रहती थी। बहन ने माँ को यह बात नहीं बताई और ना ही भाई ने माँ से कभी कुछ कहा। समय बीतता रहा। भाई अपनी बीमारी से उबर गया और ठीक हो गया। लेकिन बीमारी के समय बहन द्वारा भाई का इतना ख्याल रखे जाने वाली बात भाई के मन पर छप गई थी और बहन के स्नेह की ये बात उसे जीवन भर याद रही।

संदर्भ पाठ 

‘गुलाब सिंह’ — सुभद्रा कुमारी चौहान (कक्षा-8, पाठ-14, सरोज हिंदी पाठमाला)


Other questions

कवि क्या करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है?

आशय कीजिए- यह वह समय है जब बच्चा मनाता होगा कि काश! उसके पिता अनपढ़ होते ।

श्वेत कोयला किसे कहा जाता है? भूरा कोयला किसे कहा जाता है?

0
श्वेत कोयला (White Coal) किसे कहा जाता है?

सामान्य संदर्भ में श्वेत कोयला ‘जल विद्युत’ को कहा जाता है। जलविद्युत को श्वेत कोयला इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसका उत्पादन जल को ऊँचाई से से गिरा कर टर्बाइन की सहायता से विद्युत उत्पन्न की जाती है। इसीलिए इसे ‘श्वेत कोयला’ यानि ‘सफेद कोयला’ कहा जाता है। कोई भी कोयला ऊर्जा ईंधन का रूप होता है। जलविद्युत ईंधन का ही एक रूप है, इसलिए इसे श्वेत कोयला कहा जाता है। श्वेत कोयला नाम का एक पदार्थ भी है, जो सफेद आग पर कटी हुई लकड़ी को सुखाकर ईंधन का एक परिवर्तित रूप होता है। इसका यह परिवर्तित रूप चारकोल से भिन्न होता है। 16-17वीं  शताब्दी में सफेद कोयले का उपयोग किया जाता था। यह लकड़ी की तुलना में अधिक गर्मी पैदा करता था। इस कोयले का प्रयोग अधिकतर यूरोप व अमेरिका के ठंडी जलवायु वाले देशों में किया जाता है।

श्वेत कोयला (White Coal) शब्द पानी से प्राप्त हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जल विद्युत संयंत्रों द्वारा उत्पादित बिजली को श्वेत कोयला कहा जाता है क्योंकि यह स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत है। इसलिए श्वेत कोयला वास्तव में कोयला नहीं है बल्कि जल विद्युत ऊर्जा को इस नाम से संदर्भित किया जाता है।

भूरा कोयला (Brown Coal) किसे कहा जाता है?
  • भूरा कोयला ‘लिग्नाइट’ को कहा जाता है। कोयले के निर्माण की प्रक्रिया में उसके द्वितीय चरण में लिग्नाइट का रंग भूरा होता है, इसलिए इसे ‘भूरा कोयला’ कहा जाता है।
  • भूरा कोयला एक प्रकार का कम गुणवत्ता वाला बायोमास आधारित ठोस ईंधन है। इसे लिग्नाइट भी कहा जाता है।
  • यह काले कोयले से कम उर्जा-गहन होता है और अधिक कार्बन का उत्पादन करता है।
  • भूरा कोयला बायोमास देवदारु और पौधों के अवशेषों से बनता है जो धीरे-धीरे कोयले में परिवर्तित हो गए।
  • इसका इस्तेमाल बिजली उत्पादन और कुछ उद्योगों में इंधन के रूप में किया जाता है।
निष्कर्ष

इस प्रकार, श्वेत कोयला पानी से मिलने वाली नवीकरणीय ऊर्जा को संदर्भित करता है, जबकि भूरा कोयला एक ठोस ईंधन है जो वास्तविक रूप से कोयले की एक किस्म है।


Other questions

पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग निम्नलिखित में से किस विटामिन की कमी के कारण होता है? (अ) विटामिन A (ब) विटामिन B (स) विटामिन C (द) विटामिन D

टीकाकरण क्या है? टीकाकरण क्यों किया जाता है?

फिल्मों का समाज की उन्नति में विशेष योगदान हो सकता है? इस विषय पर अपने विचार लिखिए।

फिल्मों का समाज की उन्नति में योगदान

फिल्मों का समाज का समाज की उन्नति में विशेष योगदान हो सकता है । यदि फिल्म निर्माता केवल स्वार्थी न होकर जन-कल्याण के लिए शिक्षाप्रद फिल्में बनाए तो चलचित्रों से अच्छा मनोरंजन एवं शिक्षा का दूसरा कोई माध्यम नहीं है। हमारा भी यह कर्तव्य बनता है कि हम अधिक फिल्में न देखकर कुछ चुनिन्दा तथा अच्छी एवं ज्ञानवर्धक फिल्में ही देखें, जिससे हमारा मनोरंजन भी होगा तथा ज्ञानवर्धक भी होगा। आज हिंदी फिल्में, हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति का लोकदूत बनकर विश्व स्तर पर हिंदी की पताका फहरा रही है । फिल्में शिक्षा एवं मनोरंजन दोनों लक्ष्यों की पूर्ति करने में सहायक है ।

देश की जिन सामाजिक प्रथाओं, कुरीतियों, अच्छाइयों, बुराइयों, प्राचीन संस्कृतियों आदि के बारे में हमने केवल पढ़ा है या किसी बुजुर्ग से सुना है; आज हम फिल्मों के द्वारा उनके बारे में देख सकते हैं और सही गलत की पहचान कर सकते हैं । हमें फिल्मों द्वारा इतिहास, भूगोल, समाज, विज्ञान, संस्कृति आदि का भी भरपूर ज्ञान प्राप्त हो सकता है ।

आज फिल्म निर्माताओं तथा राष्ट्र के नायकों और समाज के पथ प्रदर्शकों को इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा, कि इस लोकप्रिय माध्यम का उपयोग राष्ट्रीय भावना के निर्माण के लिए किया जाए । देश में बढ़ती हुई अराजकता तथा अनेक अपराधों और अनैतिक कार्यों को फिल्मों द्वारा दिखाकर इसे जनता के सम्मुख रख कर इससे दूर रहने की प्रेरणा दी जा सकती है ।

युवा पीढ़ी इससे सृजनात्मक पक्ष को सीख सकती है, यदि इसके निर्माता इस तथ्य को भी समझें कि राष्ट्र और जन-जीवन के प्रति भी वे उत्तरदायी हैं । अच्छी और राष्ट्रीय स्तर की फिल्मों को प्रोत्साहन देना तथा फार्मूला फिल्मों को प्रतिबंधित करना सरकार का कर्तव्य है।

भारतीय संस्कृति के आदर्श तथा वर्तमान विश्व की स्थिति को सिनेमा प्रभावी ढंग से लोगों तक प्रेषित करें, तो इससे शांति और समृद्धि, सुख और समता के आदर्श को स्थापित किया जा सकता है।


Related questions

पक्षियों को पालना उचित है या नहीं? अपने विचार लिखिए।

‘नम्रता’ इस गुण के बारे में अपने विचार लिखिए।

प्लास्टिक की चीजों से हो रही हानि के बारे में किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर अपने सुझाव दीजिए।

औपचारिक पत्र

प्लास्टिक की हानियों के बारे में बात करते हुए संपादक को पत्र

 

दिनांक : 13 जून 2024

 

प्रति,
संपादक महोदय,
हिंदुस्तान टाइम्स,
नई दिल्ली

विषय : प्लास्टिक की चीजों से होने वाली हानि के संबंध में ।

 

संपादक महोदय,

मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से प्लास्टिक की चीजों से होने वाली हानि के बारे में सरकार तथा जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। आज के समय में प्लास्टिक इतना अधिक बढ़ गया है कि इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यदि आज की दुनिया को आप प्लास्टिक की दुनिया कहेंगे, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि जहाँ देखो वहाँ प्रत्येक वस्तु प्लास्टिक की बनी है। छोटे से छोटे सामान जैसे कि बच्चों के खिलौने, सामान रखने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे, कपड़ों के लिए प्लास्टिक बैग या फिर खाने-पीने के सामानों को रखने के लिए बिस्कुट और चॉकलेट के प्लास्टिक आदि में प्लास्टिक का इस्तेमाल होने लगा है।

अब ऐसे में अगर हम कहें कि आज हम प्लास्टिक की दुनिया में जी रहे हैं तो कुछ गलत नहीं होगा। सभी जानते हैं प्लास्टिक पॉलीमर से निर्मित एक प्रोडक्ट है, जो ना तो पानी में घुल सकता है और ना ही जलाने पर यह पूरी तरह से नष्ट होता है । प्लास्टिक को अंग्रेजी में ‘पॉलिथीन’ भी कहा जाता है, जो पर्यावरण को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाती है । प्लास्टिक को जलाने से उसमें से रसायन निकलते है जिससे वायु प्रदूषण होता है । उस धुएं में ज़्यादा देर सांस लेने से मनुष्य को भयंकर बीमारियां हो सकती है ।

प्लास्टिक मानव के लिए अत्यंत खतरनाक है । प्लास्टिक का निर्माण जाइलिन, एथेलेन ऑक्साइड और बेंजीन जैसे रसायनो से होती है । जब यह प्लास्टिक जलाशयों और समुद्र के जल में चले जाते है, तो वहां के जीव उसे खाना समझकर खा लेते है और प्लास्टिक उनके गले में अटक जाती है और उससे उनकी मौत हो जाती है ।

संपादक जी, मेरी राय में पर्यावरण की रक्षा के लिए हम मनुष्यों को प्लास्टिक से निर्मित वस्तुओं का खंडन करना चाहिए। प्लास्टिक से बनी हुई वस्तुओं के उपयोग से बचे। प्लास्टिक के स्थान पर कागज़ और जुट के बैग का इस्तेमाल करें । हमें जब भी दुकान से चीज़ें लेनी हो हमेशा कपड़े की थैली लेकर जानी चाहिए, ताकि प्लास्टिक में वस्तुएं ना लेना पड़े।

प्लास्टिक के इन भयानक और बुरे प्रभाव की जानकारी को लोगों में फैलाना चाहिए, ताकि वह इसे गंभीरता से ले। स्कूल और अन्य शिक्षा संस्थानों में प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताना ज़रूरी है, ताकि वह कम उम्र से सचेत हो जाए। इस तरह के प्रयासों से हम प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे और सतर्क रहेंगे।

मुझे आशा है कि आपके समाचार पत्र द्वारा मेरे इस पत्र के माध्यम से कुछ लोग अवश्य जागरुक होंगे। हम सभी को मिलकर ही प्लास्टिक जैसे दानव से अपनी पृथ्वी को बचाना होगा।

धन्यवाद सहित !

एक पाठक,
रजनीश मिश्रा ।


Related questions

मोबाइल का बच्चों द्वारा अधिक प्रयोग ना किया जाए इसके बढ़ते प्रयोग पर रोकथाम के लिए संपादक के नाम जन-जागृति पत्र लिखें।

नवभारत समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखकर बताये की दूरदर्शन का कार्यक्रम आपको क्यों पसंद नहीं आया?

‘पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग निम्नलिखित में से किस विटामिन की कमी के कारण होता है? (अ) विटामिन A (ब) विटामिन B (स) विटामिन C (द) विटामिन D

0

सही विकल्प होगा..

विटामिन B

स्पष्टीकरण :

‘पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग विटामिन ‘B’ की कमी के कारण होता है। जब शरीर में विटामिन B3 की अत्यधिक कमी हो जाती है, तो ‘पेलाग्रा’ नामक रोग उत्पन्न होता है। इस रोग में डायमेंशिया, दस्त और डर्मेटाइटिस जैसी समस्याएं यानि त्वचा पर चकत्ते पड़ना, दाने आने जैसे उत्पन्न होने लगती हैं। यदि समय पर इसका उचित उपचार ना मिले तो यह रोग जानलेवा भी हो सकता है।

विटामिन B3 को ‘नियोसिन’ भी कहा जाता है। इसी की कमी के कारण ‘पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग होता है। इसके प्रमुख लक्षण होते हैं…

प्रकाश के प्रति अत्याधिक संवेदनशीलता, बालों का झड़ना डर्मेटाइटिस (त्वचा पर चकत्ते पड़ना, दाने आना), शरीर में सूजन होना जीभ में सूजन होना, नींद ना आना दिल का आकार बढ़ना आदि ।

पेलाग्रा (Pellagra) निम्नलिखित कारणों से होता है:

  1. निकोटिनामाइड (नियासिन या विटामिन बी3) की कमी : पेलाग्रा का मुख्य कारण शरीर में निकोटिनामाइड की गंभीर कमी होना है। यह विटामिन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा के मेटाबॉलिज्म के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. गैर-संतुलित आहार : निकोटिनामाइड की कमी मुख्य रूप से कम प्रोटीन और अनाज के अधिक सेवन से होती है। गरीबी और भुखमरी भी इसका एक कारण हो सकता है।
  3. तंबाकू और शराब का दुरुपयोग : धूम्रपान और शराब के अत्यधिक सेवन से शरीर में विटामिन बी3 की कमी हो सकती है।
लक्षण
  1. त्वचा संबंधी समस्याएं: त्वचा में लालिमा, छाले, झुर्रियां और सूरज की रोशनी से संवेदनशीलता।
  2. मुंह और जीभ में घाव: मुंह में छाले और घाव बनना।
  3. डायरिया: पेट दर्द और डायरिया का होना।
  4. मानसिक लक्षण: अवसाद, चिड़चिड़ापन और भ्रम का होना।
  5. गंभीर मामलों में मस्तिष्क संबंधी समस्याएँ और मृत्यु भी हो सकती है।

बचाव के उपाय

  1. आहार में सुधार : निकोटिनामाइड युक्त भोजन जैसे मांस, अंडे, दाल, दूध और फलियों का सेवन करना।
  2. विटामिन बी3 की गोलियां : चिकित्सक द्वारा निर्धारित निकोटिनामाइड की गोलियां लेना।
  3. आहार में सुधार : संतुलित आहार लेना जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज लवण शामिल हों।
  4. अल्कोहल और तंबाकू का सेवन कम करना या छोड़ना।

समय रहते उचित उपचार करने पर पेलाग्रा पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसलिए संतुलित आहार लेना और विटामिन की कमी न होने देना महत्वपूर्ण है।


Related questions

टीकाकरण क्या है? टीकाकरण क्यों किया जाता है?

फयॉन्स क्या होता है? ये कहाँ पाये जातें हैं।

हम भी सिंह¸ सिंह तुम भी हो¸ पाला भी है आन पड़ा। आओ हम तुम आज देख लें हम दोनों में कौन बड़ा।। निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

0

हम भी सिंह, सिंह तुम भी हो,
पाला भी है आन पड़ा।
आओ हम तुम आज देख लें
हम दोनों में कौन बड़ा ।।

संदर्भ : ये काव्य पंक्तियां कवि ‘श्याम नारायण पांडे’ द्वारा लिखी गई ‘हल्दीघाटी’ नामक काव्य के प्रथम सर्ग से ली गई हैं। इन पंक्तियों का  प्रसंग उस समय का है, जब महाराणा प्रताप और शक्ति सिंह वन में शिकार खेलने गए और  उनमें आपस में वीरता के प्रदर्शन को लेकर विवाद हो गया था। इन पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है…

भावार्थ : महाराणा प्रताप शक्ति सिंह से कहते हैं कि मैं सिंह के समान यानि मैं वीर हूँ और तुम भी सिंह के समान यानि तुम भी वीर हो। आज हम दोनों का आमना-सामना हो रहा है। आज हम दोनों की शक्ति प्रदर्शन हो जाए। आज ये भी निश्चित हो जाएगा कि हम दोनों में से श्रेष्ठ वीर कौन है, कौन सही अर्थों में श्रेष्ठ वीर राजपूत है।


Other questions

सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान कोऊ थहरानी कोऊ थानहि थिरानी हैं। कहैं ‘रतनाकर’ रिसानी, बररानी कोऊ कोऊ बिलखानी, बिकलानी, बिथकानी हैं। कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं। कोऊ स्याम-स्याम कह बहकि बिललानी कोऊ कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं। संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

सतगुरु साँचा सूरिवाँ, सवद जु बाह्य एक। लागत ही मैं मिल गया,पड़ता कलेजे छेक।। संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।

दो सैनिकों के बीच हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

दो सैनिकों के बीच संवाद

 

पहला सैनिक ⦂ कैसे हो भाई?

दूसरा सैनिक ⦂ मैं ठीक हूँ। तुम बताओ आज बहुत खुश नजर आ रहे हो।

पहला सैनिक ⦂ हाँ भाई मैं बहुत खुश हूँ। ये लो मिठाई खाओ।

दूसरा सैनिक ⦂: शुक्रिया भाई लेकिन यह मिठाई किस खुशी में खिला रहे हो।

पहला सैनिक ⦂ मेरी छुट्टी मंजूर हो गई है।

दूसरा सैनिक ⦂ क्या तुम छुट्टी मंजूर होने की खुशी में मिठाई खिला रहे हो?

पहला सैनिक ⦂ नहीं-नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। दरअसल मेरी छोटी बहन की शादी है।

दूसरा सैनिक ⦂ ओह ! तो ये बात है। फिर तो मेरी तरफ से तुम्हे बधाई। अब तो तुम्हे अपनी बहन की शादी के लिए जाना ही होगा।

पहला सैनिक ⦂ हाँ भाई। मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरी सगी बहन की ही शादी हो रही हो।

दूसरा सैनिक ⦂ ऐसा क्यों? जिसकी शादी हो रही है क्यो वो तुम्हारी सगी बहन नहीं है क्या?

पहला सैनिक ⦂ भाई, वो मेरी सगी बहन से भी बढ़कर है। दरअसल मेरे माता-पिता ने उसे सगी बेटी की तरह पाला है।

दूसरा सैनिक ⦂ सगी बेटी की तरह पाला है। क्या मतलब?

पहला सैनिक ⦂ वह मेरे माता-पिता को एक मंदिर के सामने रोती हुई मिली थी, उसे कोई वहाँ छोड़ गया था।

दूसरा सैनिक ⦂ वाह भाई तुमने तो बहुत महान काम किया है। तुम्हें मेरा सलाम है।

पहला सैनिक ⦂ तुम्हें भी उसकी शादी में ज़रूर  आना है।

दूसरा सैनिक ⦂ हाँ-हाँ क्यों नहीं मैं ज़रूर आऊँगा ।


Related questions

महिला और दूधवाला के बीच हुए संवाद को लिखें।

अपने मित्र को मिट्टी के विभिन्न प्रकार बताते हुए एक संवाद लिखिए।

सरल मशीन कितने प्रकार की होती हैं? विस्तार से बताइए।

0
सरल मशीन छः प्रकार की होती है, जोकि निम्नलिखित है…
  1. उत्तोलक यानि लीवर
  2. पहिया
  3. घिरनी
  4. ढलवाँ तल
  5. पेंच
  6. फन्नी

उत्तोलक : उत्तोलक यानि लीवर एक तरह की वह मशीन होती है, जोकि किसी भार को उठाने का कार्य करती है। उत्तोलक के तीन बिंदु होते हैं, आलम्ब, आयास और भार। उत्तोलक भी तीन प्रकार के होते हैं।। प्रथम श्रेणी का उत्तोलक, द्वितीय श्रेणी का उत्तोलक तथा तृतीय श्रेणी का उत्तोलक।

पहिया : ये एक सरल मशीन है, जो घूर्णन करने वाली मशीन होती है अर्थात यह घूमने वाली एक सरल मशीन है। पहिए की क्षैतिज या ऊर्धवाकार आकार होती है तथा इसके किनारे वक्राकार होते हैं। जिससे यह गति करता है। पहिया एक बेहद प्राचीन मशीन है और यह हजारों वर्षों से सरल मशीन के रूप में प्रचलित है।

घिरनी : घिरनी एक सरल मशीन है जो कुएं से पानी आदि बाल्टी द्वारा पानी निकालने के लिए कार्य में लाई जाती है। घिरनी दो प्रकार की होती है। स्थिर घिरनी और चलायमान घिरनी।

ढलवाँ तल : एक सरल मशीन है, जो इसी वस्तु को उच्च स्थान से निम्न स्थान की ओर अथवा किसी वस्तु को निम्न स्थान से उच्च स्थान की ओर ले जाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।

पेंच : पेंच एक सरल मशीन है। इसमें घुमावदार कटाव होते हैं और किनारा वक्राकार होता है। इसका प्रयोग वस्तुओं को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।

फन्नी : पन्नी धातु अथवा लकड़ी का त्रिकोणीय टुकड़ा होता है, जिसका प्रयोग वस्तुओं को अलग करने के लिए अथवा उन्हें उठाने के लिए किया जाता है। चाकू, छुरी, छेनी आदि सामान्य रूप से इस्तेमाल किए जाने वाली फन्नी हैं।


Other questions

इतिहासकार से क्या अभिप्राय होता है? विस्तार से बताएं।

फयॉन्स क्या होता है? ये कहाँ पाये जातें हैं।

‘खान-पान द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रभाव’ विषय पर लघु निबंध लिखिए।

0

लघु निबंध

खान-पान द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रभाव

 

खान-पान का हमारे शरीर पर बहुत गहरा प्रभाव पढ़ता है हम अपने आस-पास अकसर देखते हैं कि कुछ लोग जरूरत से ज्यादा मोटे और कुछ लोग जरूरत से ज्यादा पतले या कमजोर होते हैं । इसी तरह अनेक बच्चे छोटी उम्र में ही मोटापे और कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं जबकि कुछ बच्चे काफी कमजोर या पतले होने की वजह से बीमारियों से ग्रसित होते हैं । क्या हमने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है ? ऐसा नहीं है कि इस तरह के लोग या बच्चे खाते-पीते नहीं है या उन्हें खाने की वस्तुएं नहीं मिलती हैं । दरअसल इस तरह के मोटापे या बीमारियों की सबसे बड़ी वजह होती है उनका संतुलित आहार नहीं खाना । संतुलित आहार नहीं लेने से न केवल शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है बल्कि व्यक्ति की उत्पादकता भी काफी कम हो जाती है ।

संतुलित आहार में शामिल विटामिन और मिनरल हमें ताजे फलों और सब्जियों से प्राप्त होते हैं । आयोडीन, आयरन, कैल्शियम और पोटेशियम महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं । इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है और हड्डियां मजबूत बनती है । संतुलित आहार में फाइबर का होना भी जरूरी है । फाइबर युक्त आहार का सेवन पाचन तंत्र के लिए काफी फायदेमंद होता है । मेडिकल साइंस के मुताबिक एक वयस्क को रोजाना करीब 25 से 30 ग्राम फाइबर जरूर लेना चाहिए ।

संतुलित भोजन के लिए सबसे जरूरी है खाने के साथ उचित मात्रा में पानी पीना । कम पानी पीने से शरीर में अनेक बीमारियों पैदा होती हैं । इसलिए खुद को हाइड्रेट रखने के लिए हर रोज कम से कम आठ से दस गिलास पानी पीना जरूरी है। संतुलित आहार लेते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि प्रतिदिन पांच ग्राम से कम नमक (करीब एक चम्मच के बराबर) और आयोडीन युक्त नमक ही खाना है । संतुलित आहार में मौजूद पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें शामिल प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ ही शरीर के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है । प्रोटीन न मिले तो गठिया, हृदय रोग, गंजापन जैसी तमाम बीमारियां हो जाए । प्रोटीन को प्रोटीन मिले इसके लिए मीट, अंडा, सी फूड, दूध, दही, सूखे मेवे खाना चाहिए जो प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। वहीं कार्बोहाइड्रेट लेने से शरीर को ऊर्जा मिलती है । यह कई बीमारियों को रोकने में सहायक है ।

साबुत अनाज, ब्राउन राइस, दाल, फलियां, आलू, केला इसके मुख्य स्रोत हैं। हम सभी जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज द्वारा ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरे समाज के आहार और पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाए। ऐसे में हाल ही में शुरू किया गया आहार क्रांति (उत्तम आहार-उत्तम विचार)’ अभियान न केवल बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों और महिलाओं को कुपोषण और गंभीर बीमारियों से बचाएगा बल्कि एक उन्नत समाज और श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण में काफी सहायक सिद्ध होगा।


Related questions

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान (निबंध)

मेरी अंतरिक्ष यात्रा (निबंध)

कवि क्या करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है?

0

कवि मनुष्य को सफलता पाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। कवि का कहना है कि यदि मनुष्य को अपने लक्ष्य को पाना है तो उसे अपने पथ पर निरंतर चलते रहना होगा। उसे हर समय प्रयास करते रहना होगा। यदि मनुष्य अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ता रहेगा तो उसे उसकी राह में अनेक ऐसे मनुष्य मिलेंगे जो उसका सहयोग करेंगे। इस तरह आपस में एक दूसरे का सहयोग करते हुए सभी अपने अपने लक्ष्य को की ओर बढ़ते रहेंगे और एक न एक दिन सफलता प्राप्त करके रहेंगे। मिलकर साथ चलने से परस्पर सहयोग द्वारा कोई भी कठिन से कठिन लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। कवि का यही कहने का भाव है। वह मनुष्य को सफलता पाने के लिए यही प्रवृत्ति अपनाने को प्रोत्साहित कर रहा है।


Other questions

गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन क्यों होता है या कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल क्यों होता है।

‘हम जब होंगे बड़े’ कविता का भावार्थ लिखें।

आशय कीजिए- “यह वह समय है जब बच्चा मनाता होगा कि काश! उसके पिता अनपढ़ होते।”

0

‘यह वह समय है जब बच्चा मनाता होगा कि काश! उसके पिता अनपढ़ होते।’ इस पंक्ति का आशय इस प्रकार है कि बच्चे एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ वो पूरी तरह से आजादी चाहते हैं। उनके मन में अब माता-पिता के प्रति वैसा सम्मान नहीं है। वह केवल माता-पिता को एक साधन समझते हैं। पिछली ज्यादातर माता-पिता अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे होते थे और अपनी संतान को खूब पढ़ाना चाहते थे, लेकिन आज बच्चे जिस पीढ़ी के हैं, उसकी पहली पीढ़ी यानी उनके माता-पिता भी पढ़े लिखे हैं। इसलिए वे अपनी संतान की पढ़ाई के प्रति जागरूक है।

आजकल के माता-पिता हर बात पर नजर रखते हैं कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। उनके बच्चे पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं या नहीं? वे कौन सी पढ़ाई कर रहे हैं। इसलिए वह अपने बच्चों को निरंतर टोकते रहते है। आजकल के माता-पिता टेक्निक फ्रेंडली भी हैं, इसलिए डिजिटल जगत और सोशल मीडिया में अथवा टीवी-मोबाइल पर उनका बच्चा क्या कर रहा है ये बात भी वे अच्छी तरह से जानते हैंं और अपने बच्चे पर लगातार नजर रखते है । ऐसे में बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता अनपढ़ होते तो शायद वह उन पर नजर नही रख पाते और ना ही समझ पाते। इस तरह बच्चे अपने माता-पिता को आसानी से चकमा दे सकते थे और अपनी मर्जी के अनुसार कार्य कर सकते थे। लेकिन माता-पिता पढ़े लिखे हैं इस कारण बच्चों द्वारा माता पिता को चकमा देना संभव नहीं होता। इसीलिए आज का यह समय है, जब बच्चे मनाते हैं, उसके माता-पिता अनपढ़ होते।


Other questions

बादल-सा सुख का क्या आशय है?

‘हम सब में है मिट्टी’- कथन से कवि का क्या आशय है?

महिला और दूधवाला के बीच हुए संवाद को लिखें।

संवाद लेखन

महिला और दूधवाला के बीच संवाद

 

दूधवाला ⦂ नमस्ते भाभी जी।

महिला ⦂ नमस्ते भईया, आज बहुत लेट आए हो?

दूधवाला ⦂ हाँ, भाभी जी, आज रास्ते में बहुत ट्रैफिक था।

महिला ⦂ अच्छा।

दूधवाला ⦂ (दूध की थैली महिला को देते हुए) ये लो भाभी जी, एक लीटर दूध। एक तारीख से दूध के दो रुपये ज्यादा देने होंगे दूध के दाम बढ़ गए हैं।

महिला ⦂ (दूध लेते हुए) भईया, ये क्या बात हुई। अभी दो महीने पहले ही तो आपने दाम बढ़ाए थे।

दूधवाला ⦂ हम क्या करें भाभीजी। हम जहाँ से थोक में दूध लेते हैं, वहीं से हमको ज्यादा दाम पर दूध मिल रहा है।

महिला ⦂ हर जगह देखो महंगाई हो रखी है। तुमने दूध के दाम तो बढ़ा दिए लेकिन आज कल आपका दूध बहुत पतला होता है, पहले की तरह प्योर नहीं होता।

दूधवाला ⦂ नहीं, भाभी जी दूध तो ठीक आता है।

महिला ⦂ भईया, मैं ठीक कह रही हूँ। अब दूध में पहले जैसे मोटी मलाई नहीं जम रही है। तुम दूध पानी जैसा दे रहे हो।

दूधवाला ⦂ भाभी जी, आप चिंता न करो। कुछ भूल हो गई होगी। कल से देखना आपको एकदम प्योर दूध मिलेगा।

महिला ⦂ ठीक है, देखती हूँ। एक तो दूध महंगा कर दिया और दूध भी पतला दे रहे हो। अगर ऐसा रहा तो मैं दूध बंद कर दूंगी।

दूधवाला ⦂ नही भाभीजी, कल से आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।

महिला ⦂ ठीक है, देखते है।


Related questions

अपने मित्र को मिट्टी के विभिन्न प्रकार बताते हुए एक संवाद लिखिए।

मणिपुर राज्य की विशेषता के बारे में बात करते हुए दो दोस्तों के बीच संवाद लिखिए।

नेताजी की मूर्ति बनवाने को लेकर लेखक ने नगर पालिकाओं की कार्यप्रणाली पर जो व्यंग्य किया है, उसे स्पष्ट कीजिए।

0

‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में नेता जी की मूर्ति बनवाने को लेखक ने नगर पालिकाओं की कार्य प्रणाली पर अनेक व्यंग्य किए है। लेखक के अनुसार कस्बे में नगरपालिका थी तो वह खानापूर्ति के लिए कुछ ना कुछ वह कार्य करवाते ही रहती थी। नगर पालिका बजट के हिसाब से कार्य करवाती थी और किसी भी बात का निर्णय लेने में उहापोह और चिट्ठी पत्री में भी काफी समय बर्बाद होता था। किसी भी कार्य की समय अवधि समाप्त हो जाने से पहले कार्य पूरे करने की जल्दी में वह उल्टा सीधा खानापूर्ति करके कार्यों को संपन्न कर लेते थे ताकि शासन प्रशासन को सही समय पर रिपोर्ट सौंपी जा सके। नगरपालिकाओं की यही कार्यशैली होती है कि वह खानापूर्ति पर अधिक ध्यान देते हैं ना कि कार्य के मूल सार्थकता और उसकी गुणवत्ता पर।

नगर पालिका ने जल्दी-जल्दी में आनन-फानन में जो मूर्ति बनाने का काम विद्यालय के ऐसे मास्टर को दे दिया जोकि मूर्ति बनाने का कोई बहुत वड़ा विशेषज्ञ नही था। इस कारण वो मूर्ति बनाते समय उसमे एक बड़ी कमी छोड गया और मूर्ति पर कोई चश्मा नही बनाया जोकि नेताजी के व्यक्तित्व की पहचान थी।


Related questions

नेताजी की मूर्ति से क्षमा मांगने के पीछे कैप्टन का क्या भाव छिपा होता था ? (नेताजी का चश्मा)

‘नेताजी का चश्मा’ कहानी के अनुसार देश के निर्माण मे बड़े ही नहीं बच्चे भी शामिल हैं। आप देश के नव निर्माण मे किस प्रकार योगदान देंगे?

‘पूस की रात’ कहानी की दो संवेदनात्मक विशेषताएं लिखिए।

0

‘पूस की रात’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक कहानी है, जिसमें उन्होंने ‘हल्कू’ नामक एक गरीब किसान की व्यथा का वर्णन किया है। ‘हल्कू‘ किसान के माध्यम से उन्होंने भारत के लगभग हर गरीब किसान की व्यथा को व्यक्त कर दिया है।

इस कहानी की दो संवेदनात्मक विशेषताएं इस प्रकार हैं…

  1. ‘पूस की रात’ कहानी भारत के गरीब किसान की व्यथा को व्यक्त करती है, जो कठोर परिश्रम तो करते हैं और अपने अथक परिश्रम से फसल भी उगा लेते हैं, लेकिन कोई ना कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण उनके परिश्रम का पूरा लाभ नहीं मिल पाता और उनकी आर्थिक स्थिति हमेशा ही दयनीय बनी रहती है। वे पूरी जिंदगी अभावों में ही गुजार देते हैं।
  2. ‘पूस की रात’ कहानी उन किसानों की कठिन परिस्थितियों को भी उजागर करती है, जो जीवन के संघर्षों से निरंतर जूझते रहते हैं। चाहे जाड़ों की हड्डियों को कंपा देने वाली ठंड हो या शरीर को झुलसा देने वाली सूर्य की तेज गर्मी हो, उन्हें हमेशा काम करते रहना पड़ता है, लेकिन वह अपने लिए आवश्यक साधन भी नहीं जुटा पाते। उन्हें ठंड में कंपकपाना पड़ता है तो गर्मी में उन्हें धूप से जलना पड़ता है। वे सभी के लिए अन्न उत्पन्न करते हैं, सबका पेट भरते हैं, लेकिन उनका जीवन हमेशा खाली ही रहता है।

Related questions

‘चीफ की दावत’ कहानी में ‘माँ’ के चरित्र की विशेषता लिखिए।

‘चाँदी का जूता’ कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में अलंकार है (क) श्लेष (ख) उपमा (ग) यमक (घ) अनुप्रास।

0

सही विकल्प होगा

(घ) अनुप्रास
काव्य पंक्ति : दीरघ-दाघ-निदाघ
अलंकार भेद : अनुप्रास अलंकार

स्पष्टीकरण

‘दीरघ-दाघ निदाघ’ में ‘अनुप्रास अलंकार’ इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ‘द’ वर्ण की आवृत्ति दो बार हुई है। क्योंकि हम जानते हैं कि अनुप्रास अलंकार उस काव्य में प्रकट होगा जहाँ पर किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार शब्द के प्रथम वर्ण के रूप में हुई हो।

‘अनुप्रास अलंकार किसी अलंकार का वह भेद होता है, जिसमें किसी भी शब्द के प्रथम वर्ण की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार हो तो वहाँ ‘अनुप्रास अलंकार’ प्रकट होता है। अथवा अनुप्रास अलंकार वहां भी प्रकट होता है, जहां पर कोई पूरे शब्द की आवृत्ति काव्य में एक से अधिक बार समान अर्थों में हो तो वहां पर भी अनुप्रास अलंकार प्रकट होता है।


Related questions

“बाल कल्पना के से पाले” में कौन सा अलंकार है?

‘गरजा मर्कट काल समाना’ में कौन सा अलंकार है?

ईमानदारी जीवन में उन्नति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है । इस उक्ति के पक्ष और विपक्ष में लिखिए ।

0

ईमानदारी के महत्व के कौन परिचित नहीं है? ईमानदारी का महत्व और ईमानदारी के फायदे तो सभी जानते हैं, लेकिन ईमानदारी का पालन कोई भी पूरी ईमानदारी से नहीं कर पाता। ईमानदारी अनेक लाभ हैं, लेकिन ये लाभ तुरंत नहीं मिलने बल्कि इनके लिए संयम रखना पड़ता है। जो लोग संयम नहीं रख पाते वे ईमानदारी के पथ से डगमगा जाते हैं। ईमानदारी के लाभ और हानि का विवेचन करते हुए ईमानदारी का पक्ष और विपक्ष प्रस्तुत है।

ईमानदारी का पक्ष :

  • ईमानदार व्यक्ति को समाज में सम्मान मिलता है और उसकी छवि नैतिक मूल्यों को मानने वाले एक आदर्श व्यक्ति के रुप में समाज में बनी होती है ।
  • ईमानदारी, मनुष्य को भरोसेमंद बनाती है ।
  • ईमानदारी ही एक ऐसा गुण होता है, जिससे सामने वाला का भरोसा आसानी से जीता जा सकता है ।
  • ईमानदार लोग निडर और निस्वार्थ होकर खुशीपूर्वक अपना जीवनयापन करते हैं ।
  • ईमानदार व्यक्ति, समाज में अपूर्व सम्मान एवं प्रतिष्ठा हासिल करता है ।
  • ईमानदारी, व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की भावना को जागृत करती है ।
  • ईमानदार व्यक्ति के मन में सदैव अच्छे विचार आते हैं और उसका मन शांत रहता है ।
  • ईमानदारी, मनुष्य को मानसिक रुप से भी खुशी प्रदान करती है ।

ईमानदारी का विपक्ष :

  • आपके कम दोस्त होंगे ।
  • ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकांश लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, जब वे जानते हैं कि आप सामाजिक मानदंडों का पालन करेंगे ।
  • दूसरे आपको नकारात्मक रूप से जवाब देंगे, जब आप उनकी भावनाओं की परवाह किए बिना ईमानदारी से अपनी राय देंगे ।
  • दूसरे आपको असभ्य पाएंगे ।
  • जब आप सच्चाई से अपनी राय व्यक्त करते हैं, जिस तरह से दूसरे आपसे उम्मीद करते हैं वैसे नहीं, तो वे आपको असभ्य समझेंगे ।
  • ईमानदारी की राह पर चलने में आपको सफलता पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है ।

Other questions

‘ईमानदारी’ एक जीवन शैली (निबंध)

छोटे भाई को ईमानदारी के विषय में समझाते हुए दो भाइयों के मध्य वार्तालाप लिखिए।

अपने मित्र को मिट्टी के विभिन्न प्रकार बताते हुए एक संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

मिट्टी के विभिन्न प्रकार के बारे में बात करते हुए मित्र से संवाद

 

पहला मित्र ⦂ इस बार फसल कुछ खास नहीं हुई है ।

दूसरा मित्र ⦂ हाँ तुम सही कह रहे हो।

पहला मित्र ⦂ इस बार बारिश भी तो ठीक से नहीं हुई है।

दूसरा मित्र ⦂ मित्र दरअसल हमारे क्षेत्र की मिट्टी चिकनी है।

पहला मित्र ⦂ तो क्या चिकनी मिट्टी अच्छी नहीं होती है ?

दूसरा मित्र ⦂ दरअसल चकनी मिट्टी की अपेक्षा दोमट मिट्टी में अधिक पोषक तत्व होते हैं, अधिक नमी होती है और इसकी जुताई चिकनी मिट्टी की अपेक्षा आसान होती है। दोमट मिट्टी बागवानी तथा कृषि कार्यों के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है।

पहला मित्र ⦂ क्या तुम्हें मालूम है कि भारत में मिट्टी के कितने प्रकार हैं ?

दूसरा मित्र ⦂ भारत में आठ प्रकार की मिट्टी है।

पहला मित्र ⦂ कौन-कौन सी मिट्टी होती है ?

दूसरा मित्र ⦂ लाल मिट्टी, काली मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी, क्षारयुक्त मिट्टी, हल्की काली एवं दलदली मिट्टी, रेतीली मिट्टी, जलोढ़ या कांप मिट्टी और वनों वाली मिट्टी।

पहला मित्र ⦂ तुम्हें मिट्टी की इतनी जानकारी कैसे हुई ?

दूसरा मित्र ⦂ मेरे चाचा ने मुझे बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र INDIAN COUNCIL OF AGRICULTRE (I .C. A.R.) ने भारतीय मिट्टी को आठ भागों में बांटा है, मेरे चाचा वहीं पर नौकरी करते हैं।


Other questions

मणिपुर राज्य की विशेषता के बारे में बात करते हुए दो दोस्तों के बीच संवाद लिखिए।

पिकनिक की योजना बनाते हुए भाई-बहन के बीच संवाद लिखिए।

‘अंधे की लकड़ी/लाठी’ मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

मुहावरा : अंधे की लकड़ी/लाठी
अर्थ : एकमात्र सहारा

वाक्य प्रयोग-1 : श्रवण कुमार अपने माता पिता के अंधे की लकड़ी/लाठी थे ।

वाक्य प्रयोग-2 :  रमेश के पिता रमेश से कहा कि मैंने सारी पूँजी तुम्हे पढ़ाने में लगा दी। अब तुम ही मेरी लिए अंधे की लकड़ी के समान हो।

मुहावरे वे वाक्यांश होते हैं, जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं। अक्सर बातचीत की प्रक्रिया में मुहावरों का प्रयोग करके अपनी बात को कहने को वजनदार बनाया जा सकता है।

किसी एक बड़ी बात को छोटे से मुहावरे के माध्यम से प्रभावशाली रूप में व्यक्त किया जा सकता है। मुहावरे में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्द अपने वास्तविक अर्थ से अलग कोई विशिष्ट अर्थ व्यक्त करते हैं।


Other questions

‘खदेड़ देना’ मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग करें।

दिए गए मुहावरों का अर्थवरों का अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग करें- क) हृदय पर साँप लोटना ख) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना​।

ओहदे को पीर की मजार कहने में क्या व्यंग्य है? ‘नमक के दारोगा’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

0

‘ओहदे को पीर की मजार कहने में’ ये व्यंग्य निहित है कि ओहदा अर्थात पद ऐसा होना चाहिए, जहाँ पर अधिक से अधिक ऊपरी कमाई का रास्ता बने।

नमक का दरोगा’ पाठ में मुंशी जी अपने पुत्र दरोगा बंशीधर को समझाते हुए कहते हैं कि नौकरी ढूंढते समय ऐसा ओहदा अर्थात पद ढूंढना जहाँ पर ऊपरी कमाई की अधिक संभावना हो। पद बड़ा छोटा नहीं होता। पद की ओर ध्यान नहीं देना बल्कि इस बात का ध्यान देना कि वहाँ ऊपरी कमाई की कितनी अधिक संभावना है। इसलिए छोटा पद हो और वहां पर ऊपरी कमाई अधिक हो तो उसको भी स्वीकार कर लेना। यह बात भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की प्रवृत्ति को बढ़ावा देने की ओर इंगित करती है। मुंशी जी अपने पुत्र बंशीधर को रिश्वतखोरी के लिए उकसा रहे हैं।


Other questions

पंडित अलोपदीन कौन थे? पंडित अलोपदीन की चारित्रिक विशेषताएं लिखिए। (नमक का दरोगा)

वंशीधर के पिता वंशीधर को कैसी नौकरी दिलाना चाहते थे?

न्यायालय से बाहर निकलते समय वंशीधर को कौन-सा खेदजनक विचित्र अनुभव हुआ?

गांधीजी को ‘कोटि-मूर्ति’ और ‘कोटि-बाहु’ क्यों कहा गया है ?

0

गांधीजी को ‘कोटि-मूर्ति’ और ‘कोटि-बाहु’ इसलिए कहा गया है, क्योंकि गांधीजी स्वाधीनता आंदोलन के समय कोटि भारतवासियों यानी करोड़ों भारतवासियों के पथ प्रदर्शक थे। गांधीजी उस समय जो भी करते, करोड़ों भारतवासी उसका अनुसरण करते थे। वह भारत वासियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे, यानी गांधी जी के अकेले गांधी जी नही थे, बल्कि गांधी जी के रूप में करोड़ों भारतवासी स्वयं गांधीजी के समान थे। इसीलिए गांधीजी कोटि मूर्ति के समान है। इसके अतिरिक्त गांधीजी की दो भुजाएं नहीं थीं। उनकी कोटि भुजाएं थीं। करोड़ों भारतीयों की भुजाएं गांधी जी की भुजाओं के समान थी। गांधीजी जिधर दृष्टि डालते करोड़ों आँखें उधर ही मुड़ जाती थीं। गांधीजी जिधर चल पड़ते, करोड़ों भारतवासी उनका अनुसरण करते उसी पथ पर चल पड़ते थे, इसी कारण गांधी जी को कोटि-मूर्ति और कोटि-बाहु कहा गया है।

कोटि शब्द के अनेक अर्थ होते हैं, यहाँ पर कोटि का अर्थ करोड़ से है। गाँधी करोड़ों व्यक्ति के रूप में थे तो उनकी करोड़ों भुजाएं थीं।


Other questions

गांधी जी हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादी क्यों बनना चाहते थे?

‘बस की यात्रा’ पाठ में लेखक ने गाँधीजी के किसी आंदोलन की बात की है। वे आन्दोलन कौन-कौन से हैं ? लेखक ने उनकी चर्चा क्यों की है?

‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी को आप क्या शीर्षक देना चाहेंगे और क्यों? लिखिए।

0

‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को हम अगर कोई दूसरा नाम देना चाहें तो यह नाम देना चाहेंगे..

अत्याचार का बोध’

‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी एक कैसे जमीदार और  एक बूढ़ी विधवा स्त्री पर अत्याचार किया और उस गरीब विधवा स्त्री की झोपड़ी को केवल इसलिए हटवा दिया क्योंकि वह उसके शानदार महल के सामने थी। इस तरह उसने उस बूढ़ी स्त्री को बेघर करके उस पर अत्याचार किया था। लेकिन बाद में कुछ ऐसी घटान घटी कि जमींदार को स्वयं द्वारा बुढ़िया पर किए गए अत्याचार का बोध हो गया इसलिए हम इस कहानी को ‘अत्याचार का बोध’ नाम देना चाहेंगे।

‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी ‘माधव राव सप्रे’ द्वारा लिखी गई कहानी है, जिसमें एक बूढ़ी स्त्री की झोपड़ी जमींदार के महल के सामने थी। जमींदार को अपने सामने साधारण सी झोपड़ी अच्छी नहीं लगती थी। उसे गरीब बुढ़िया की वह झोपड़ी अपने महल के सामने महल की शान और सुंदरता में दाग के समान लगती थी, इसलिए उसने षड्यंत्र करके अपने बाहुबल के जोर पर गरीब विधवा की झोपड़ी  को वहाँ से हटवा दिया, जिससे वह गरीब बुढ़िया बेघर हो गई ।


Other questions

‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी का उद्देश्य लिखिए। इस कहानी के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?

“हमारा जीवन दूसरों को सहायता करने से ही सफल होता है।” ‘गानेवाली चिड़िया’ कहानी के आधार पर बताइए?

आपके विद्यालय में पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसकी शिकायत करते हुए सुधार के लिए प्रार्थना करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

पीने का पानी की शिकायत के संबंध में प्रधानाचार्य को पत्र

 

दिनाँक – 10 जून 2024

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल,
न्यू शिमला,
शिमला 171001

विषय : पीने के पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करवाने के लिए पत्र ।

आदरणीय प्रधानाचार्य सर,

मेरा नाम सक्षम शर्मा है। मैं इस प्रतिष्ठित विद्यालय की कक्षा दसवीं का छात्र हूँ। मैं आपका ध्यान हमारे विद्यालय में पीने के पानी की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। विद्यालय में एक वाटर कूलर है जो कि कई दिनों से ख़राब पड़ा है। मैं और मेरी तरह अन्य विद्यार्थी सुबह अपने साथ पानी की बोतल लेकर आते हैं। जब वह बोतल समाप्त हो जाती है तो उसके बाद बहुत परेशानी होती है। इतनी गर्मी में बिना पानी के बहुत तकलीफ होती है। पिछले कुछ दिनों से पीने का पानी स्वच्छ नहीं आ रहा है। पानी में छोटे-छोटे कीड़े भी आ रहे हैं व पानी में बदबू भी आती है। गंदा तथा दुर्गंध युक्त पानी पीने के कारण छात्रों का स्वास्थ्य भी खराब होने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा स्कूल समाप्त होने से पहले ही पानी की टंकी खाली हो जाती है।

मेरा सभी विद्यार्थियों की तरफ से आपसे अनुरोध है कि आप कर्मचारियों से कहकर पानी की टंकी की सफाई हर सप्ताह करवाने की कृपा करें, जिससे छात्रों को पीने योग्य स्वच्छ पानी मिल सके और पीने का पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाने की कृपा करें । आशा है कि आप विद्यार्थियों की इस समस्या का निराकरण शीघ्र करेंगे।

धन्यवाद सहित

आपका आज्ञाकारी शिष्य

नाम : सक्षम शर्मा
कक्षा : दसवीं
अनुक्रमांक : 18


Other questions

आपको परीक्षा में बहुत कम अंक मिले हैं जबकि आपके अनुसार पेपर अच्छे हुए थे। प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उत्तर-पुस्तिकाएं दिखाए जाने की प्रार्थना कीजिए।

प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि विद्यालय में अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाए जाएं।

फ़ीस माफ़ी के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखो।

स्कूल में साफ-सफाई करवाने हेतु प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना-पत्र लिखिए​।

‘खदेड़ देना’ मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग करें।

‘खदेड़ देना’ मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग

मुहावरा : खदेड़ देना

अर्थ : डरा धमकाकर भगा देना

वाक्य प्रयोग-1 : भारतीय सेना नें युद्ध में पाकिस्तानी सेना को कारगिल से खदेड़ दिया
वाक्य प्रयोग-2 : मोहन की माँ को जैसे ही घर में चोर के घुसे होने का पता उन्होंने शोर मचा दिया। शोर को सुनकर आसपास से सभी लोग आ गए उन्होंने चोरों को खदेड़ दिया
वाक्य प्रयोग-3 : गाँववालों ने डाकुओं को ऐसा खदेड़ा कि उन्होंने फिर कभी गाँव का रूख नही किया।

मुहावरे की परिभाषा

मुहावरे वे वाक्यांश होते हैं, जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं। अक्सर बातचीत की प्रक्रिया में मुहावरों का प्रयोग करके अपनी बात तो कहने को वजनदार बनाया जा सकता है। किसी एक बड़ी बात को छोटे से मुहावरे के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। मुहावरे में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्द अपने वास्तविक अर्थ से अलग कोई विशिष्ट अर्थ व्यक्त करते हैं।


Other questions

‘मर्म को छूना’ इस मुहावरे का अर्थ पहचानकर लिखिए। (क) हँसी उडाना (ख) हृदय को छूना (ग) दुखित होना

दिए गए मुहावरों का अर्थवरों का अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग करें- क) हृदय पर साँप लोटना ख) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना​।

आपको परीक्षा में बहुत कम अंक मिले हैं जबकि आपके अनुसार पेपर अच्छे हुए थे। प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर उत्तर-पुस्तिकाएं दिखाए जाने की प्रार्थना कीजिए।

औपचारिक पत्र

उत्तर-पुस्तिकाएं को दिखाने का अनुरोध करते हुए प्रधानाचार्य को पत्र

दिनाँक  – 10 जून 20224

 

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
समरविला हाईस्कूल,
मयूर विहार, दिल्ली-110091

विषय : परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाएं दिखाए जाने का अनुरोध

आदरणीय प्रधानाचार्य सर,

मेरा नाम राहुल शर्मा है। आपके समरविला हाईस्कूल की ग्यारहवीं (ब) कक्षा का छात्र हूँ । मैं विद्यालय की क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ । मैं हर वर्ष परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करता हूँ। मैंने इस वर्ष अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 95%अंक प्राप्त किए थे। लेकिन वार्षिक परीक्षा में मेरे केवल 60%अंक ही आए हैं, जबकि मेरे सभी पेपर बहुत अच्छे हुए हैं। मुझे कम से कम 80% अंक आने की आशा थी। सर, मुझे अपनी उत्तर पुस्तिका को जाँचने के विषय में संदेह है। मैं अपनी उत्तर पुस्तिका को देखना चाहता हूँ ताकि उत्तर पुस्तिका की जाँच के विषय में अपने संदेह को दूर कर सकूं। इसलिए सर, मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है कि आप कृपया मेरी परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं दिखाने की कृपा करें और मेरी सभी उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच करवाएं । आपकी बहुत कृपा होगी ।

धन्यवाद सहित

आपका आज्ञाकारी शिष्य

राहुल शर्मा
कक्षा : 11-ब
अनुक्रमांक : 12
समरविला हाईस्कूल,
मयूर विहार,
नई दिल्ली-110091


Other questions

बहन के विवाह में शामिल होने को जाने हेतु पाँच दिन की छुट्टी लेने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए

अपने विद्यालय की वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति के लिए विद्यालय प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।।

विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र लेने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र लिखें।

प्रधानाचार्य को शुल्क मुक्ति हेतु प्रार्थना पत्र​ लिखें।

आपका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर अपने मित्र को पत्र लिखकर आमंत्रित कीजिए।

अनौपचारिक पत्र

जन्मदिन के लिए आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र

दिनाँक – 10 जून 2024

एस . ए. कॉन्प्लेक्स,
कसूमपट्टी, शिमला,
(हि. प्र.) 171002,

प्रिय मित्र मोहन
स्नेह !

आशा करता हूँ कि तुम वहाँ सकुशल होगे। यहाँ भी सब कुशल मंगल है। बहुत समय से तुम्हारा कोई पत्र नहीं मिला, मैं जानता हूँ कि तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएं चल रही थी। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम हर वर्ष कि तरह इस वर्ष भी प्रथम स्थान प्राप्त करोगे । मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आने वाली 15 जून को मेरा जन्मदिन है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मैं इसे बड़ी ही धूमधाम से मनाने जा रहा हूँ । मेरे जन्मदिन के अवसर पर मैं तुम्हें आमंत्रित कर रहा हूँ। तुम्हें जन्मदिन पर अवश्य आना है। तुम्हारे आने से मेरे जन्मदिन की खुशी दोगुनी हो जाएगी। तुम्हारी उपस्थिति मेरे लिए बहुत ही खास है।

अपने पिताजी और माता जी को मेरा सादर प्रणाम कहना तथा छोटों को प्यार देना । शेष मिलने पर ।

तुम्हारा मित्र,
सोहन


Other questions

विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए अपने मित्र को निमंत्रण पत्र लिखो ।

आपने अपना जन्मदिन कैसे मनाया उसके बारे में अपने मित्र को पत्र लिखिए।

अपने मित्र को पत्र लिखें जिसमें योग एवं व्यायाम का महत्व बताया गया हो।

अपने स्कूल में हुए नाटक के बारे में बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।

छोटे भाई को ईमानदारी के विषय में समझाते हुए दो भाइयों के मध्य वार्तालाप लिखिए।

संवाद लेखन

छोटे भाई को ईमानदारी के विषय में समझाते हुए दो भाइयों के मध्य वार्तालाप

 

बड़ा भाई ⦂ अंकुश, तुम्हें बहुत बधाई हो, तुम्हारी सरकारी नौकरी लग गई ।

छोटा भाई ⦂ हाँजी धन्यवाद, भैया ।

बड़ा भाई ⦂ तुम्हारी सरकारी नौकरी लग तो गई लेकिन आज मैं तुमसे एक वचन लेना चाहता हूँ।

छोटा भाई ⦂ वचन? कौन सा वचन भैया।

बड़ा भाई ⦂ तुम अपनी जॉब पूरी तरह ईमानदारी से करोगे।

छोटा भाई ⦂ हाँजी भाई, मैं पूरा वचन देता हूँ।

बड़ा भाई ⦂ तुम्हें हमेशा अपना काम ईमानदारी से करना है, कभी भी भ्रष्टाचार और बेईमानी का रास्ता कभी नहीं अपनाना है।

छोटा भाई ⦂ हाँजी मैं अपनी नौकरी ईमानदारी से करूंगा।

बड़ा भाई ⦂ ईमानदारी के रास्ते पर चलने से समाज में इज्ज़त बनी रहती है और सब लोग तारीफ करते है।

छोटा भाई ⦂ भाई, मैं हमेशा से ईमानदारी के रास्ते अपनाया और हमेशा ऐसा ही रहूंगा।

बड़ा भाई ⦂ शाबाश, हमें हमेशा अच्छे काम करने चाहिए।

छोटा भाई ⦂ ईमानदारी के रास्ते पर चलना हमारा धर्म है।

बड़ा भाई ⦂ यही सोच सब की होनी चाहिए, तभी हमारे देश से भ्रष्टाचार खत्म होगा।

 


Other questions:

पिकनिक की योजना बनाते हुए भाई-बहन के बीच संवाद लिखिए।

समाचार पत्र का महत्व समझाते हुए अनुज तथा अग्रज में हुआ संवाद लिखो।

दिन-प्रतिदिन बढ़ती गर्मी को लेकर रोहन और सोहन के बीच संवाद को लिखें।

क्रिकेट मैच के विषय में दो मित्रों की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़ गया है। कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

कुसंगति के बारे में बताते हुए छोटे भाई को पत्र

सेक्टर – 45, मयूर विहार,
नई दिल्ली

प्रिय भाई अनुपम,
स्नेह !

हम सब यहाँ पर सकुशल हैं और आशा करता हूँ कि तुम भी कुशलता से होंगे। कल तुम्हारे प्रधानाचार्य का पत्र मिला पढ़ कर बहुत दुख हुआ कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा में तुम्हें केवल 40% अंक ही मिले हैं और तो और तुम आजकल कक्षा मैं भी कम ही दिखाई देते हो ज्यादातर तुम्हारा समय स्कूल कैन्टीन में ही गुज़रता है। कक्षा कार्य भी पूरा नहीं होता है। उनका कहना है कि तुम बुरी संगति में पड़ गए हो और इसका असर तुम्हारी पढ़ाई पर पढ़ रहा है।

प्रिय भाई, तुम्हारा बड़ा भाई होने के नाते मैं तुम्हें समझना चाहता हूँ कि बुरी संगत बड़ी संक्रामक होती है, सरलता से उत्पन्न की जाती है, तेजी से फैलती है। यह खरपतवार की तरह होती है। जैसे खरपतवार फसल को सिमटा देते हैं, वैसे ही यह बच्चे-बड़े सब को निगल लेती है। इसके विपरीत अच्छाई देर से पनपती है, धीमे-से फैलती है, नीम समान कड़वी लग सकती है क्योंकि अच्छे लोग जबरन हाँ में हाँ नहीं मिलायेंगे। वे विश्लेषण करते हुए सुधार करना चाहेंगे फिर चाहे वह किसी को नापसंद क्यों न हो।

प्रिय भाई हमारे गुरु भी अनुशासन इत्यादि के कारण कठोर लगते है किन्तु जीवन-सुधार के लिए औषधि का कार्य करते हैं। इसलिए ‘अनुकूलता ढूँढने की चाह में कुसंगति के पास व सुसंगति से दूर न जाओ। ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ, तुलना करने, पीठ पीछे निन्दा, बातें घुमाने अथवा बढ़ाने -घटाने, झूठ बोलने, उपभोक्ता वादी, बाज़ार वादी, भौतिक वादी, कीमत लगाने इत्यादि मन दोषों से ग्रसित लोग जब आपसे बात करें तो एक निश्चित दूरी बनाकर रखो।

यदि तुम किसी प्रकार की कुसंगति में उलझ ही चुके हों तो कभी भी ऐसा न सोचना कि अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो बहुत दूर निकल गए हो और वापसी सम्भव नहीं। वास्तव में ‘जब जागो तभी सवेरा’ के तहत वहीं से पलटकर सही दिशा में लौट आओ। ईश्वर कभी शरणागत की अनदेखी नहीं करता। बाकी तुम समझदार हो, तुम जानते हो कि मैं तुम्हें क्या समझाना चाहता हूँ।

हम सभी को तुम से बहुत सी उम्मीदें हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि तुम उन उम्मीदों पर खरा उतरोगे। पत्र मिलते ही उत्तर जरूर देना। तुम्हारे पत्र के इंतजार में।

तुम्हारा बड़ा भाई,

ईशान


Other questions

अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए कि वह अपने स्कूल में सदा उपस्थित रहे और परीक्षा की भली-भाँति तैयारी करे।

आपको एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अपने पुराने स्कूल शिक्षक को धन्यवाद देने के लिए एक पत्र लिखें।

साक्षरता अभियान में सहयोग देने का अनुरोध करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

साक्षरता अभियान में सहयोग के लिए मित्र को पत्र

 

दिनाँक : 9 जून 2024

प्रिय मित्र आकाश,

तुम जानते हो हमारे देश में साक्षरता का प्रतिशत बहुत कम है। इसीलिए हमारे देश में अक्सर साक्षरता अभियान चलते रहते हैं। मैं भी एक सामाजिक संस्था से जुड़ा हूँ, जो पिछले कई दिनों से साक्षरता अभियान चला रही है। हम लोग अलग-अलग बस्तियों में जाकर निरक्षर लोगों को साक्षर करने का प्रयास करते हैं। मैं चाहता हूं कि तुम भी हमारे साक्षरता अभियान में जुड़ो और सहयोग करो। यह एक सामाजिक और परोपकार युक्त कार्य है अपने देश के लोगों को अधिक से अधिक साक्षर बनाने से हमारे देश का ही गौरव बढ़ेगा। जब हमारा देश का हर नागरिक शिक्षित होगा तो देश की प्रगति तेज गति से होने से कोई नहीं रोक सकता।

आशा है तुम भी साक्षरता के इस अभियान में अपना हाथ हटा कर पुण्य के भागी बनाना चाहोगे। तुम अपने निर्णय के बारे में मुझे बता देना। अभियान में कैसे जुड़ना है और क्या करना है, इसकी सारा विवरण मैं तुमसे मिलकर तुम्हें बताऊंगा।

तुम्हारा मित्र

अवधेश

 


Other questions

विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए अपने मित्र को निमंत्रण पत्र लिखो ।

आपने अपना जन्मदिन कैसे मनाया उसके बारे में अपने मित्र को पत्र लिखिए।

आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर आपके मन में कैसे खयाल आते हैं? लिखिए।

0

आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर हमारे मन में बेहद रोमांचक ख्याल आते हैं। आसमान में उड़ती हुई रंग बिरंगी पतंगों को देखकर हमारा मन रोमांचित हो उठता है। इन रंग बिरंगी पतंगों को देखकर हमारा मन करता है, काश हम भी पतंग होते तो हम भी यूं ही आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ रहे होते। तब सबका ध्यान हमारी और ही होता। हम भी पतंग की तरह स्वच्छंद भाव से आसमान में चारों दिशाओं में उड़ान भर रहे होते। जब हमारा मन करता तो हम नीचे आ जाते, हम बच्चों की खुशी और आनंद का कारण बनते, इससे हमारी खुशी भी दुगनी हो जाती।

“पतंग” कविता जो कि ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित की गई है। वह उनके एकमात्र कविता संग्रह से ली गई है। यह बेहद लंबी कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने बाल सुलभ आकांक्षाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। उन्होंने बाल क्रियाकलापों तथा प्रक़ति में आए परिवर्तनों को अभिव्यक्त करने के लिए बिंबों का प्रयोग किया है। कविता के माध्यम से उन्होंने बाल मन को टटोलने की कोशिश की है। कविता बिंबों के सहारे एक अनोखी दुनिया में ले जाती है, जो रंग बिरंगी दुनिया है। जहाँ पर बालमन आकांक्षाएं विचरण करती हैं।आलोक धन्वा हिंदी के प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म 1948 में बिहार के मुंगेर में हुआ था। उन्होंने अनेक कविताओं की रचना की जो उनके एकमात्र कविता संग्रह में संकलित की गई है। उन्हें राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान जैसे सम्मान मिल चुके हैं।

संदर्भ पाठ :
“पतंग”, आलोक धन्वा (कक्षा – 12, पाठ – 2, हिंदी, आरोह)


Other questions

‘पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूं मैं’ पंक्ति में ‘पुष्प पुष्प’ किसका प्रतीक हैं?

पाठ ईदगाह के आधार पर बताइए मेलों का हमारे जीवन में क्या महत्व है​?

0

‘ईदगाह’ पाठ के आधार पर अगर हम कहें तो मेलों का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है। मेले हमारी भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा है। यह सामाजिक समरसता और उत्सव की प्रासंगिकता को प्रकट करते हैं। मेले भारत  ग्रामीण संस्कृति और शहरी संस्कृति में न केवल समुदायिकता की भावना को पोषित करते हैं बल्कि यह लोगों को अपनी जरूरत की सभी चीजों को एक जगह पाने के अलावा मनोरंजन और अपनी कला के प्रदर्शन करने का भी माध्यम रहे हैं।

मेले भारत की लोक संस्कृति के प्रदर्शन का सशक्त जरिया रहे हैं। मेलों की संस्कृति भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलति रही है। भारत के हर क्षेत्र में कोई ना कोई मेला अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध रहा है। मेरे भारत की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने का उचित माध्यम रहे हैं। मेलों के माध्यम से भारत की लोक कला, शिल्प कला, रंगमंच और लोक संस्कृति को भी प्रचारित-प्रसारित किया जाता रहा है। 

मेले भारत के पर्व-त्योहार को मनाने का भी केंद्र बिंदु रहे हैं। जैसा कि ईदगाह कहानी स्पष्ट है कि यह ईद त्योहार को मनाने पर केंद्र मेला था। उसी तरह भारत के अनेक व्रत-त्योहार से संबंधित मेले हर वर्ष लगते हैं। चाहे वह दिवाली हो अथवा होली अथवा रक्षाबंधन अथवा जन्माष्टमी या नवरात्रि या दशहरा मेला। सभी त्योहारों पर किसी न किसी क्षेत्र में उस त्योहार पर केंद्रित मेला लगता रहता है।

रामलीला का मंचन भारत में सदियों से प्रचलित है। सितंबर अक्टूबर माह में भारत में भारत में विशेषकर उत्तर भारत में रामलीला पर मेला लगा काफी समय से प्रचलित रहा है और यह आकर्षण का केंद्र बिंदु भी रहा है। इस तरह अलग-अलग त्योहार पर केंद्रित होकर मेले लगते रहे हैं। मेले भारत की संस्कृति का परिचायक है। यह भारतीय संस्कृति को आगे ले जाने का कार्य करते हैं।


Other questions

प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी ‘ईदगाह’ के प्रमुख पात्र हामिद और मेले के दुकानदार के बीच हुआ संवाद लिखें।

प्रेमचंद की कहानियों का विषय समयानुकूल बदलता रहा, कैसे ? स्पष्ट कीजिए।

“बदलें अपनी सोच” पाठ में युगरत्ना की जगह आप होते तो संयुक्त राष्ट्र संघ में क्या भाषण देते ?

0

“बदलें अपनी सोच” पाठ के आधार पर अगर हम कहें तो युगरत्ना की जगह अगर हम होते तो हम ये भाषण देते। युगरत्ना की जगह अगर मैं होता/होती तो मेरा भाषण इस प्रकार होता…

“प्रिय संसार वासियों हमारी पृथ्वी हमारा घर है। यह हमारा आश्रय स्थल है। यह हमारे जीने का सहारा है। पृथ्वी हमें जीवन में सब कुछ प्रदान करती है। लेकिन जरा सोचिए! हम अपनी पृथ्वी को बदले में क्या दे रहे हैं। पृथ्वी ने हमें क्या नहीं दिया। वह हमें अपनी हर चीज दिल खोल कर देती है। पृथ्वी से ही हमें अनाज, फल-फूल, भोजन, वस्त्र, आवास आदि प्राप्त होता है। लेकिन हम बदले में पृथ्वी को क्या देते हैं। बल्कि हम तो इसी पृथ्वी का विनाश करने पर तुले हुए हैं।

पहले हमारी जो पृथ्वी हर जगह हरी-भरी नजर आती थी। अब वह कंक्रीट के जंगलों से ढक गई है। अब हमारे पृथ्वी से हरियाली गायब होती जा रही है ग्लेशियर लगातार पिघलते जा रहे हैं। पृथ्वी पर पानी की कमी होती जा रही है तो समुद्रों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है।

आप लोग जरा सोचिए! क्या इसके लिए हम सब मानव जिम्मेदार नहीं हैं? हम सब मानव के अंधाधुंध विकास कार्यों के कारण ही पृथ्वी की यह दशा हुई है। यदि हम समय रहते नहीं चेते और हमने अपनी पृथ्वी को बचाने के प्रयास आज से ही आराम नहीं किए तो एक दिन हमारा विनाश निश्चित है। तब सोचिए! हमारे द्वारा किए गए विकास कार्यों का क्या औचित्य रहेगा। जब तक हमारी पृथ्वी सुरक्षित है, तभी तक हम सुरक्षित हैं। इसीलिए हमें आज से ही अपनी पृथ्वी और उसके पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रयास आरंभ कर देनी चाहिए। धन्यवाद”


Other questions

‘शहरीकरण तथा पर्यावरण’ पर अनुच्छेद लिखिए।

पर्यावरण पर निबंध

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

‘निः + आकार’ में संधि बताइए।

0

‘निः + आकार’ में संधि और संधि का भेद

निः + आकार :  निराकार

संधि का भेद : विसर्ग संधि

विसर्ग संधि क्या है?

विसर्ग सधि में स्वर एवं व्यंजन का मेल होता है। विसर्ग संधि में जब दो शब्दों की संधि की जाती है, तो प्रथम शब्द के अंतिम वर्ण जोकि कोई स्वर या व्यंजन का मेल द्वितीय शब्द के प्रथम वर्म के स्वर या व्यंजन से होता है। स्वर और व्यंजन के मेल से जो संधि बनती है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

विसर्ग संधि के कुछ उदाहरण…

निस्सन्देह : निः +सन्देह
निराधार : निः +आधार
निस्सहाय : निः + सहाय
निर्भर : निः +भर
निष्कपट : निः +कपट
निश्छल : निः +छल
निरन्तर : निः + अन्तर
निर्गुण : निः + गुण
निस्सार : निः +सार
निर्मल : निः + मल
निस्तार : निः + तार
नीरव : निः + रव
नरोत्तम : नर + उत्तम


Other questions

जीवनाधार में कौन सी संधि है?

‘चक्रमस्ति’ का संधि-विच्छेद क्या होगा? ​

‘निर्झरी’ और ‘निर्झर’ संधि विच्छेद क्या होगा? संधि का भेद भी बताएं।

‘रामायण’ शब्द में क्या ‘अयादि संधि’ हो सकती हैं?

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान (निबंध)

0

निबंध

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान

 

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान : वैज्ञानिक प्रगति में भारत के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। भारत प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक देश रहा है और भारत देश में प्राचीन काल में अनेक महान वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को समृद्ध किया है। वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान पर निबंध प्रस्तुत है…

प्रस्तावना

भारत हमेशा विद्वानों की भूमि रही है। जब पूरे विश्व में अज्ञानता का अधिकार था, तब भारत में ऐसे अनेक ज्ञानी-विद्वान-विज्ञानी हुए जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को आलोकित किया। प्राचीन भारत के महान विज्ञानाचार्यों में आर्यभट्ट, वाराह्मीहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, नागार्जुन,सुश्रुत, भारद्वाज, धन्वंतरि जैसे अनेक विज्ञानी रहे हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को आलोकित किया है। आधुनिक भारत में भी अनेक वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान से इस विश्व के समृद्ध किया, जिनमें चंद्रशेखर वेंकटरमन, एस. रामानुजन, जगदीशचंद्र बसु, हरगोविंद खुराना, होमी जहाँगीर बाबा, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, प्रफुल्ल चंद्र राय आदि के नाम प्रमुख हैं।

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान

विश्व को शून्य की खोज भारत में हुई थी। भारत में आज अंक पद्धति के लिए गणना करने में शून्य का बेहद महत्व है। शून्य की खोज भारत में ही हुई और भारत में ही इस विश्व को शून्य के ज्ञान से परिचित कराया। आर्यभट्ट ने लगभग गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए और संख्याओं के मान के लिए उन्होंने अक्षरों की सांकेतिक भाषा बनाई।

आर्यभट्ट ने ही वर्गमूल, घनमूल, क्षेत्रफल, आयतन, वृत्त की परिधि आदि ज्ञात करने की विधियां भी प्रतिपादित की। आज भले ही बड़े-बड़े पश्चिमी देश अंतरिक्ष में सुदूर ग्रहों तक जा पहुंचे हों, लेकिन भारत ने प्राचीन काल में ही ग्रहों की स्थिति के ज्ञान से विश्व को परिचित करा दिया था। आर्यभट्ट ने सबसे पहले ग्रहों की स्थिति की विवेचना की और सौरमंडल आदि के बारे में बताया। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और कौन-कौन से ग्रह होते हैं, यह सारी बातें प्राचीन काल में ही भारत में जानी जा चुकी थीं।

वराहमिहिर ने फलित ज्योतिष संबंधी रचनाएं की और उन्होंने फलित ज्योतिष पर आधारित अनेक सिद्धांतों को प्रतिपादित किया। ब्रह्मगुप्त ने गणित और ज्योतिष का ज्ञान इस विश्व को दिया। उन्होंने गुणनफल निकालने की विधियों का भी प्रतिपादन किय। भास्कराचार्य ने पृथ्वी को गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से परिचित कराया।

महर्षि कणाद का परमाणु के मूल संकल्पना को प्रतिपादित करने में बड़ा योगदान रहा है। परमाणु के अस्तित्व की खोज सबसे पहले हमारे भारत में ही हुई और महर्षि कणाद ने परमाणु की स्थिति का ज्ञान सबसे पहले इस विश्व को दिया था, हालांकि इसका श्रेय पश्चिम के वैज्ञानिक लूट ले गए थे।

रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नागार्जुन की कोई सानी नहीं, उन्होंने स्वर्ण भस्म, रजत भस्म आदि बनाने की विधियां प्रतिपादित कीं। उन्होंने सोने और चाँदी के उपयोग और उनके औषधीय गुणों की जानकारी दी। उन्होंने रसायन शास्त्र के क्षेत्र में अनेक सिद्धांतों और रसायनों के उपयोग का वर्णन अपने ग्रंथों के माध्यम से किया। सुश्रुत को कौन नहीं जानता जिनका योगदान शल्य चिकित्सा में रहा है। विश्व की पहली शल्य चिकित्सा भारत में ही हुई थी और वह सुश्रुत ऋषि ने की थी। भास्कराचार्य ने गणित में पाई का मान चतुर्भुजों के क्षेत्रफल ज्ञात करने की विधि का वर्णन अपने ग्रंथों के माध्यम से किया।

भारद्वाज ऋषि तथा आत्रेय ऋषि ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया और काय चिकित्सा की आधारशिला भी रखी थी। भारत के आधुनिक विज्ञानियों की बात की जाए तो जगजीत चंद्र बसु ने भारत का नाम ऊँचा किया। उन्होंने भौतिक विज्ञान क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने बेतार के तार पर खोज की और तरंगों के संचार का माध्यम बनाने में सफलता प्राप्त की। जगदीश चंद्र बसु ने ही बताया था कि पौधों में संवेदनशीलता पाई जाती है।

रसायन के क्षेत्र में डॉ प्रफुल्लचंद्र राय ने पदार्थ के गुणधर्म का परीक्षण करके नई खोज की। वह भारत में आधुनिक रसायन के संस्थापक भी माने जाते हैं। डॉ हरगोविंद खुराना जोकि भारतीय मूल के ही अमेरिकी वैज्ञानिक थे, उन्होंने औषधि विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। वह नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का नाम भारत में सब जानते हैं। उन्हें महान गणितज्ञ माना जाता है। उन्होंने ऐसे गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए जो उससे पहले किसी ने नहीं प्रतिपादित किए थे। उन्होंने बड़ी से बड़ी संख्या को छोटी संख्या में विभक्त करने का सूत्र खोजा।

कम शिक्षा प्राप्त होने बेहद कम आयु में ही उन्होंने गणित जैसे जटिल विषय पर सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। डॉक्टर सत्येंद्र नाथ बसु ने रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र और गणित तीनो क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सी वी रमन चंद्रशेखर वेंकटरमन जोकि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं वह भी भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने प्रकाश तरंगों के प्रकीर्णन के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जो ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है। वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय और पहले एशियाई व्यक्ति थे।

डॉक्टर होमी जहाँगीर बाबा भारत के एक महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिन्होंने ब्रहाण्ड किरणों का शोध करके ‘कॉस्केड थ्योरी’ नामक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। होमी जहाँगीर भाभा के बाद विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के जनक भी माने जाते हैं। उन्हीं के प्रयासों से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगतिशील देशों के समकक्ष आकर खड़ा हो गया था। उनके अलावा प्रोफेसर सतीश धवन का नाम भी अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय रहा है।

डॉ मेघनाद साहा भी एक महान गणित शास्त्री थे। जिन्होंने भौतिक विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने परमाणु के गुणों का अध्ययन करके गणित के नियमों की सहायता से अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किए। उन्होंने एक वैज्ञानिक पंचांग भी बनाया था। एक अन्य भौतिक विज्ञानी श्रीनिवासन ने भी प्रकाश परमाणु और अणु के गुणधर्मों पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किए थे। अंत में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को कौन नहीं जानता जो भारत के मिसाइल मैन कहे जाते हैं। भारत के परमाणु कार्यक्रम में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

उपसंहार

इस तरह हम देखते हैं कि भारत भूमि प्राचीन काल से ही विज्ञानियों की धरती रही है। आधुनिक काल में ही नहीं प्राचीन काल में भी भारत में ऐसे अनेक विद्वान विज्ञानी ऋषि मुनि हुए जो जिन्होंने अपने विज्ञान संबंधी ज्ञान से इस विषय को समृद्ध किया था। उन्होंने यह सब ज्ञान तब दिया था, जब विश्व में हुई सब जगह अज्ञानता का अंधेरा फैला हुआ था। इसलिए भारत का विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी होने के कारण ही भारत को विश्व गुरु कहा जाता था।


Other questions

मेरा प्रिय देश भारत (निबंध)

‘भारतीय किसान’ इस विषय पर निबंध लिखें।

राजनीति का अपराधीकरण (निबंध)

देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है (निबंध)

पहला वनडे इंटरनेशनल दोहरा शतक (पुरुष) किसने और कब लगाया?

0

पहला वनडे इंटरनेशनल दोहरा शतक सचिन तेंदुलकर ने 24 फरवरी 2010 को साउथ अफ्रीका के विरुद्ध लगाया था। उन्होंने कुल 200 रन बनाए।

24 फरवरी 2010 का दिन वह दिन था, जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के इतिहास में किसी पुरुष खिलाड़ी द्वारा पहला दोहरा शतक लगाया गया था।

यह दोहरा शतक 24 फरवरी 2010 को भारत के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में साउथ अफ्रीका के विरुद्ध लगाया था। 24 फरवरी 2010 को भारत और साउथ अफ्रीका के बीच ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में एकदिवसीय क्रिकेट मैच खेला गया, जिसमें भारत ने पहले बल्लेबाजी की और सचिन तेंदुलकर ने ओपनर के रूप में एकदिवसीय क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया। यह दोहरा शतक किसी पुरुष क्रिकेट खिलाड़ी द्वारा लगा गया पहला दोहरा शतक था।

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे मैच की सीरीज चल रही थी जिसमें ग्वालियर के रूप सिंह स्टेडियम में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच मैच हुआ। भारत ने पहले बैटिंग करते हुए 300 रन बनाए, सचिन तेंदुलकर वीरेंद्र सहवाग के साथ ओपनिंग करने उतरे। वीरेंद्र सहवाग मात्र 25 रन के कुल योग पर आउट हो गए, उसके बाद सचिन तेंदुलकर ने दिनेश कार्तिक और यूसुफ पठान के साथ अलग-अलग महत्वपूर्ण साझीदारयां की उन्होंने 50वें ओवर की तीसरी गेंद पर 1 रन लेकर अपने स्कोर के 200 आंकड़े को छुआ। इस तरह उन्होंने भारतीय पुरुष क्रिकेट के वनडे इतिहास में पहला दोहरा शतक लगाया। उनका यह रिकॉर्ड उनके ही साथी खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग ने 1 साल 9 महीने 14 दिन बाद तोड़ दिया। जब भारत में 2011 में खेले जाने वाले वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत में बांग्लादेश के विरुद्ध कुल 219 रन की पारी खेली।

महिला और पुरुष खिलाड़ी दोनों के संदर्भ में बात की जाए तो एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का पहला दोहरा शतक ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ी बेलिंडा क्लार्क ने 16 दिसंबर 1997 को डेनमार्क के विरुद्ध लगाया था, जब उन्होंने कुल 229 रन बनाए।

पुरुष और महिला दोनों क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा अब तक कुल 12 दोहरे शतक लगाए जा चुके हैं, जो कि इस प्रकार हैं…

  1. 264 रन — रोहित शर्मा (भारत) विरुद्ध श्रीलंका — 2014
  2. 237 रन — मार्टिन गुप्टिल (न्यूजीलैंड) विरुद्ध वेस्टइंडीज — मार्च 2015
  3. 235 रन — एमेलिया कर (न्यूजीलैंड) विरुद्ध आयरलैंड — जून 2018
  4. 229 रन — बेलिंडा क्लॉर्क (ऑस्ट्रेलिया) (महिला खिलाड़ी) विरुद्ध डेनमार्क — दिसंबर 1997
  5. 219 रन — वीरेंद्र सहवाग (भारत) विरुद्ध वेस्टइंडीज — दिसंबर 2011
  6. 215 रन — क्रिस गेल (वेस्टइंडीज) विरुद्ध जिंबाब्वे — फरवरी 2015
  7. 210 रन — फखर ज़मान (पाकिस्तान) विरुद्ध जिंबाब्बे — जुलाई 2018
  8. 210 रन — इशान किशन (भारत) विरुद्ध बांग्लादेश — दिसंबर 2022
  9. 209 रन — रोहित शर्मा (भारत) विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया — नवंबर 2013
  10. 208 रन — रोहित शर्मा (भारत) विरुद्ध श्रीलंका — दिसंबर 2017
  11. 208 रन — शुभमन गिल (भारत) विरुद्ध न्यूजीलैंड — जनवरी 2023
  12. 200 रन — सचिन तेंदुलकर (भारत) विरुद्ध दक्षिण अफ्रीका — फरवरी 2010

Other questions

भारत ने अपना पहला टी-20 क्रिकेट मैच कब और किस टीम के विरुद्ध खेला था?

मेरा प्रिय खेल – क्रिकेट​ (निबंध)

बिहार के प्रथम राज्यपाल कौन थे?

0

बिहार के प्रथम राज्यपाल का नाम ‘जयरामदास दौलतराम’ था।

बिहार के प्रथम राज्यपाल ‘जयरामदास दौलतराम’ थे। जो भारत की आजादी के बाद 15 अगस्त 1947 को बिहार के प्रथम राज्यपाल बने।

वह 15 अगस्त 1947 से 11 जनवरी 1948 तक बिहार के राज्यपाल रहे। उसके बाद 12 जनवरी 1948 से बिहार ‘माधव श्रीहरि एनी’ बिहार के दूसरे राज्यपाल बने। यहाँ पर भारत की आजादी के बाद बने बिहार के राज्यपालों की बात हो रही है। बिहार में भारत की आजादी से लेकर अब तक कुल 33 राज्यपाल हो चुके हैं। जिनमें पहले राज्यपाल ‘जयरामदास दौलतराम थे’।

वर्तमान समय में बिहार के राज्यपाल ‘विश्वनाथ अर्लेकर’ हैं, जो 12 फरवरी 2023 से बिहार के नवीनतम राज्यपाल बने हैं। इससे पहले फागु चौहान बिहार के 32 वें राज्यपाल थे और कुल 39वें राज्यपाल थे। बिहार ब्रांच में कुल राज्यपालों की दृष्टि से आजादी से पहले से लेकर अब तक कुल 40 राज्यपाल हुए हैं। जिनमें सर ‘जेम्स सिफ्टन’ प्यार के पहले राज्यपाल थे, जो 1 अप्रैल 1936 को बिहार के राज्यपाल बने। लेकिन भारत की आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में बिहार के पहले राज्यपाल जयरामदास दौलतराम थे।


Other questions

संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष चुना/चुने जाने वाला/वाली एकमात्र भारतीय कौन था/थी ? A विजयलक्ष्मी पंडित B वी.के. कृष्णा मेनन C जवाहरलाल नेहरू D राजेश्वर दयाल

गैंडा अभ्यारण्य किस राज्य में अवस्थित है ? A. असम B. पश्चिम बंगाल C. उत्तर प्रदेश D. बिहार”

मणिपुर राज्य की विशेषता के बारे में बात करते हुए दो दोस्तों के बीच संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

मणिपुर राज्य की विशेषता बताते हुए दो दोस्तों के बीच संवाद

 

पहला दोस्त ⦂ (दूसरे दोस्त से) कैसे हो ? बहुत खुश दिखाई दे रहे हो ।

दूसरा दोस्त ⦂ हाँ ! खुशी की ही बात है इस बार मैं अपने पूरे परिवार के साथ मणिपुर घूमने जा रहा हूँ ।

पहला दोस्त ⦂ वाह ! भारत देश के सबसे खूबसूरत स्थानों के रूप में मणिपुर को भी गिना जाता है ।

दूसरा दोस्त ⦂ क्या तुम जानते हो मणिपुर ही वह स्थान हैं जहां से ही पोलो नामक खेल की शुरुआत हुई थी ।

पहला दोस्त ⦂ हाँ, मणिपुर के लोग पोलो को “सगोल कांजेई” कहते है ।

दूसरा दोस्त ⦂ मेरे पिता जी बता रहे थे कि व्यापारिक दृष्टि से भी मणिपुर का एक अलग ही स्थान है । मणिपुर में सुन्दर आभूषण बनाये जाते है जोकि अपनी हस्तकला का शानदार उदाहरण हैं ।

पहला दोस्त ⦂ क्या तुम जानते हो मणिपुर के स्थानीय भोजन में मुख्य रूप से चावल तथा मछली प्रसिद्धब है।

दूसरा दोस्त ⦂ हाँ ! मणिपुर के लोग बिना तेल का पकाया हुआ खाना बहुत ज्यादा पसंद करते है । इसके साथ ही यहाँ चाइनीस खाना भी बहुत अच्छा मिलता है । मैं तो वहाँ जाकर चाइनीस खाना ही खाऊँगा ।

पहला दोस्त ⦂ मणिपुर की राजधानी इम्फाल है और मणिपुर को साउथ एशिया का प्रवेश द्वार भी माना जाता है ।

दूसरा दोस्त ⦂ हाँ ! इसी कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु जी नें मणिपुर को “भारत का गहना” नाम दिया था।

पहला दोस्त ⦂ मैंने सुना है कि मणिपुर राज्य से ही रासलीला की उत्पत्ति हुई है । मणिपुर के लोग नृत्य गायन में बहुत रुचि रखते है ।

दूसरा दोस्त ⦂ हाँ ! तुम सही कह रहे हो । अच्छा अब मैं चलता हूँ क्योंकि कल सुबह हमें जल्दी निकलना है।

पहला दोस्त ⦂ ठीक है । अपना ख्याल रखना ।


Other questions

पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधे लगाते हुए दो छात्रों के मध्य संवाद को लिखिए।

आजकल महँगाई बढ़ती ही जा रही है। इससे परेशान दो महिलाओं की बातचीत संवाद के रूप में लिखिए।

पिकनिक की योजना बनाते हुए भाई-बहन के बीच संवाद लिखिए।

मेरी अंतरिक्ष यात्रा (निबंध)

0

निबंध

मेरी अंतरिक्ष यात्रा

 

भूमिका

अंतरिक्ष के प्रति सभी लोगों का आकर्षण रहा है और बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अंतरिक्ष जाना चाहते हैं। लेकिन अंतरिक्ष जाना हर किसी के बस की बात नहीं और हर किसी के लिए संभव नहीं है। यहां पर मेरी अंतरिक्ष यात्रा से संबंधित एक सुंदर सा निबंध प्रस्तुत है।

निबंध

मुझे शुरु से ही अंतरिक्ष के प्रति एक जिज्ञासा रही है। मेरा मैं शुरू से ही यह सपने देखता था कि मैं अंतरिक्ष की सैर कर रहा हूँ। मुझे पृथ्वी के बाहर के संसार में झांकने की जिज्ञासा रही है। हमेशा यही सपने देखते रहने के कारण हमेशा मेरे मन में अंतरिक्ष और पृथ्वी के बाहर के ग्रह आदि ही घूमते रहते थे। मैंने तय कर लिया था कि मैं अंतरिक्ष यात्री (एस्ट्रोनॉट) बनूंगा और पृथ्वी के बाहर अंतरिक्ष की सैर करूंगा। इसीलिए  रोज अंतरिक्ष से संबंधित किताबें पढ़ता और पत्रिकाएं पढ़ता, फिल्में और टीवी प्रोग्राम देखता ताकि मैं अधिक से अधिक अंतरिक्ष के विषय में जान सकूं।

एक दिन मैंने निश्चय कर लिया था बड़ा होकर अंतरिश्र यात्री ही बनूंगा। एक दिन यात्रा से संबंधित फिल्म देखते-देखते मैं सो गया और फिर मैं सपने में अंतरिक्ष की सैर करने लगा। मैंने देखा कि मैं बड़ा हो गया हूं और मैंने वैज्ञानिक के रूप में भारत के इसरो संस्थान को ज्वाइन कर लिया है। भारत अपना एक बड़ा अंतरिक्ष कार्यक्रम चलाने वाला है।

वह अंतरिक्ष पर एक और यान भेजने वाला है। अंतरिक्ष यात्री के रूप में 5 लोगों का चयन किया गया है। उन 5 लोगों में मेरा भी नाम आ गया है। मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। लगभग छः महीने तक हम लोगों की ट्रेनिंग हुई और हम लोगों को अंतरिक्ष में रहने लायक वातावरण के अभ्यस्ता बनाया गया।

छः महीने बाद हम लोग अंतरिक्ष यात्रा के लिए पूरी तरह तैयार हो गए थे। अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण की भी तैयारी हो चुकी थी। हम सब लोग तैयार हो गए स्पेस सूट पहनकर अपने अंतरिक्ष यान मे बैठ गये। यह बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव था। यान के प्रक्षेपण होते ही रॉकेट ने पृथ्वी की कक्षा को छोड़ दिया और अंतरिक्ष की ओर बढ़ चला। अंतरिक्ष में एक पहले से निश्चित कक्षा में हमारा यान रॉकेट अलग हो गया और अंतरिक्ष यान पृथ्वी के चक्कर लगाने लगा। अपने यान से पृथ्वी को देखने पर एक नीला सुंदर ग्रह दिख रही थी। यह बड़ा ही सुंदर दृश्य था।

हमारी पृथ्वी बड़ी ही सुंदर दिख रही थी। आसपास चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था और दूर-दूर अलग-अलग रहे छोटे छोटे ग्रह दिखाई दे रहे थे। हम लोग यान में सही से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे, क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं था। इस कारण हम यान में तैर कर अपने कार्य कर रहे थे। यहाँ तक कि हमारा खाना और पानी भी यान में तैर रहा था और उसे हमें पकड़-पकड़ कर खाना पड़ रहा था। हमें अपने यान में 5 दिन बिताने थे और वहां की सारी रिपोर्ट नीचे अंतरिक्ष एजेंसी में भेजने थी।

हममें ऐसे ही अंतरिक्ष का अध्ययन करते हुए 5 दिन बिताए और अंतरिक्ष के अलग-अलग अनुभव किये। 5 दिन पूरा होते ही हमारा वापस पृथ्वी की कक्षा में लैंड करा दिया गया और हम अपनी अंतरिक्ष एजेंसी में सफलतापूर्वक वापस आ गए। हमारी सफल अंतरिक्ष यात्रा सफल रही। अंतरिक्ष एजेंसी ने जिस काम के लिये हमे भेजा था, हमारा वह काम पूर्ण हुआ। हमें अपने देश की तरफ से सफल अंतरिक्ष अंतरिक्ष यात्रा के लिए पुरस्कृत भी किया गया।

मैं जब पुरुस्कार लेने स्टेज पर जा रहा था, तभी अचानक मेरी नींद खुल गई और तब मुझे पता चला कि ये एक सपना था। लेकिन मैंने निश्चय कर लिया था कि अपने सपने को पूरा अवश्य करना है। अंतरिक्ष यात्री बन कर अपने देश का नाम रोशन करना है और अंतरिक्ष यात्रा का पुरस्कार भी लेना है।


Other questions

मेरी प्रिय ऋतु – वसंत (निबंध)

नारी शिक्षा का महत्व (निबंध)

राजनीति का अपराधीकरण (निबंध)

‘भारतीय किसान’ इस विषय पर निबंध लिखें।

बादल-सा सुख का क्या आशय है?

0

बादल-सा सुख से कवि का आशय उस सुख से है, जो बेहद संघर्ष और क्रांति करने के पश्चात मिलता है।

‘बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों को क्रांति का प्रतीक बनाया है, जो भीषण गर्मी से त्रस्त मानव मन को शीतलता प्रदान करते हैं। बिल्कुल उसी तरह जिस तरह संसार में अत्याचार एवं अन्याय के शोषण से त्रस्त जन शोषकों के प्रति क्रांति करते हैं और क्रांति के परिणाम के बाद उन्हें जो न्याय प्राप्त होता है, उस सुख का अनुभव ही अलग होता है। उसी तरह जब गर्मी और ताप से त्रस्त व्यक्ति मानव मन को बादल अपनी मूसलाधार बारिश से शीतलता प्रदान करते हैं तो उसका अनुभव विशिष्ट होता है। बादल का सुख वही सुख है जो कड़े संघर्ष और क्रांति के पश्चात प्राप्त होता है।


Other questions

‘पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूं मैं’ पंक्ति में ‘पुष्प पुष्प’ किसका प्रतीक हैं?

कवि का नूतन कविता से क्या अभिप्राय है? (क) नवीन प्रेरणा (ख) नवजीवन (ग) क, ख दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं

बुद्धि लब्धि क्या है? विस्तार से बताएं। इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू) — Intelligent Quotient (IQ)

0

बुद्धि लब्धि इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू)

बुद्धि लब्धि या इंटेलीजेंट कोशेंट (आईक्यू) कई तरह के मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त एक गणना है। बुद्धि लब्धि की सहायता से किसी व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का आकलन किया जाता है ।

बुद्धि लब्धि — इंटेलीजेंट कोशेंट (आइक्यू) ‘बुद्धि लब्धि’ यानी ‘इंटेलीजेंट कोशेंट’ (Intelligent Quotient)  से तात्पर्य मनुष्य की बौद्धिक क्षमता के आकलन से होता है। बुद्धि लब्धि शब्द बौद्धिक क्षमता के मापन के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है।

हम सबको पता है कि किसी हर व्यक्ति की समान बुद्धि का स्तर समान नहीं होता। कोई बहुत अधिक बुद्धिमान होता है, तो कोई मध्यम स्तर का बुद्धिमान होता है। कोई व्यक्ति साधारण बुद्धि वाला होता है, तो कोई व्यक्ति मूर्ख होता है। किसी की भी बुद्धि का स्तर समान नहीं होता, इसी कारण कोई विद्वान बन जाता है, तो कोई वैज्ञानिक बन जाता है। कोई गणित, विज्ञान अथवा अर्थशास्त्र के बड़े-बड़े सूत्रों को आसानी से हल कर लेता है, तो कहीं कोई साधारण बुद्धि वाला होता है जो सामान्य बात को भी आसानी से समझ नहीं पाता और केवल साधारण कार्य करने तक ही सीमित रह जाता है।

मनुष्य की अलग-अलग बुद्धि क्षमता के अलग-अलग स्तर के अनेक कारण होते हैं। यह कारण कारण पारिवारिक कारण हो अथवा आनुवंशिक हो सकते हैं। सामाजिक कारण भी बुद्धि को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा व्यक्ति को मिलने वाली शिक्षा भी उसके बुद्धि के स्तर निर्धारित करने का एक मुख्य कारण हो सकती है।

मनुष्य की बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक उसकी बुद्धि का निरंतर विकास होता रहता है। विकास की इस प्रक्रिया में आयु की एक ऐसी अवस्था आती है, जब मनुष्य की बुद्धि स्थिर हो जाती है। उसके बाद मनुष्य की बुद्धि का विकास नहीं होता। यह बुद्धि के विकास का चरम बिंदु होता है। इस स्थिर बिंदु के बाद मनुष्य की बुद्धि का विकास रुक जाता है और वह बुद्धि की पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। बुद्धि लब्धि निरंतर परिवर्तनशील होती है और आयु के साथ-साथ बुद्धि लब्धि में परिवर्तन होता रहता है।

बाल्यावस्था और किशोरावस्था में जहां बुद्धि तीव्र होती है, वहीं प्रौढ़ावस्था में मनुष्य की बौद्धिक क्षमता में कमी भी आ सकती है बुद्धि लब्धि को मापने की प्रक्रिया में मानसिक आयु महत्वपूर्ण बिंदु होती है। मानसिक आयु से तात्पर्य उस आयु से होता है, जो किसी व्यक्ति के कार्यों द्वारा ज्ञात की जा सकती है जिस व्यक्ति से उसकी आयु में जिस सामान्य कार्य की अपेक्षा होती है, वह कार्य मनुष्य जिस क्षमता से करता है, उससे उसकी मानसिक आयु निर्धारित होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई 12 वर्ष का बच्चा यदि 16 वर्ष के बच्चे की क्षमता वाले सारे प्रश्नों को हल कर लेता है तो उसे इसकी मानसिक आयु माना जायेगा।

बुद्धि लब्धि (आईक्यू) को निकालने के लिये निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है।

बुद्धि लब्धि : मानसिक आयु X 100 /वास्तविक आयु

प्रतिभाशाली ➔ 140 या उससे उपर
अतिश्रेष्ठ 120 से 139
श्रेष्ठ 110 से 119
सामान्य 90 से 109
मन्द 80 से 89
सीमान्त मंद बुद्धि 70 से 79
मंद बुद्धि 60 से 69
हीन बुद्धि 20 से 59
जड़ बुद्धि 20 से कम

अलग-अलग आयु के अलग-अलग बालकों की बुद्धि-लब्धि की परीक्षा के लिए उनके लिए अलग-अलग प्रश्नों का सेट तैयार किया जाता है और उनकी आयु के अनुसार तैयार किए गए प्रश्नों के सेट से जो प्रश्न पूछे जाते हैं और उनके द्वारा दिए गए उत्तर के आधार पर बुद्धि लब्धि निकाली जाती है।

बुद्धि लब्धि बुद्धि का क्षेत्र व्यापक और जटिल होता है। बुद्धि के लिए एक निश्चित पैमाना बना पाना सरल कार्य नहीं होता। किसी भी व्यक्ति के व्यवहार से उसकी बुद्धि के स्तर का आकलन नहीं किया जा सकता। एक बुद्धिमान व्यक्ति भी खराब व्यवहार कर सकता है और एक कम बुद्धि वाला व्यक्ति अच्छा व्यवहार कर सकता है, इसलिए बुद्धि लब्धि के मापन के लिए एक विशिष्ट सूत्र को तैयार किया गया, जिसके आधार पर बुद्धि लब्धि का मापन किया जा सकता है। यह बुद्धि लब्धि का सूत्र ऊपर दिया गया सूत्र ही है।

बुद्धि लब्धि के जनक के तौर पर विद्वान टर्मन को जाना जाता है, जिन्होंने बुद्धि लब्धि के सूत्र का सर्वप्रथम सही और परिमार्जित रूप में प्रतिपादन किया था।


Other questions

बहु बुद्धिमत्ता के सिद्धांत के अनुसार कुल कितने प्रकार की बुद्धिमत्ता होती हैं​?

पढ़ाई के साथ खेलकूद क्यों आवश्यक है? अपने विचार लिखिए।

फयॉन्स क्या होता है? ये कहाँ पाये जातें हैं।

0

फयॉन्स का संबंध हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो से रहा है। फयॉन्स’ एक तरह का पदार्थ होता था, जो घिसी हुई रेत अथवा बालू में तरह-तरह के रंग तथा कई अन्य तरह के चिपचिपे पदार्थों के मिश्रण को तैयार कर उस मिश्रण को पका कर तैयार किया जाता था। इस पदार्थ को ‘फयॉन्स’ कहते थे।

फयॉन्स’ नामक इस पदार्थ से अनेक तरह के पात्र बनाए जाते थे, जिनमें कई तरह की कीमती तथा दुर्लभ वस्तुएं रखी जाती थीं। फयॉन्स से बने यह छोटे पात्र उस समय बहुत कीमती माने जाते थे, क्योंकि इनको बनाने की विधि बेहद जटिल थी। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो के उत्खनन स्थल से इस तरह के अनेक फयॉन्स प्राप्त हुए हैं।


Other questions

यायावर लोग घोड़ी के दूध को कहते थे…? 1. रूमी 2. कुम्मी 3. शमी 4. इनमें से कोई नहीं

अब्दुल फजल कौन था? अकबरनामा को उसके महत्वपूर्ण योगदान में से एक क्यों माना जाता है स्पष्ट कीजिए!

ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।। “इस पंक्ति में ‘ठगनी’ किसे कहा गया है?

0

‘ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।’ ‘इस पंक्ति में ‘ठगनी’ मोह माया को कहा गया है। कबीर सांसारिक मोह माया को ठगिनी के समान मानते हैं और वह कहते हैं कि यह मोह माया उनके मन को भरमाने का प्रयास कर रही है, लेकिन वह अपनी इस प्रयास में सफल नहीं हो सकती क्योंकि वह यानी कबीर उसके झांसे में नहीं आने वाले। वे मोहमाया भ्रम जाल में फंसने नहीं वाले। वह मोह-माया के जाल में नहीं फंसने वाले। उन्हें ईश्वर की सच्चे भक्ति और ज्ञान का अनुभव हो गया है और वह सांसारिक मोह-माया के जाल में ना फंस कर ईश्वर की भक्ति के मार्ग पर चल पड़े हैं।


Other questions

कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

कबीर घास न निंदिए, जो पाऊँ तलि होइ। उड़ी पडै़ जब आँखि मैं, खरी दुहेली हुई।। अर्थ बताएं।

‘अवधू गगन-मण्डल घर कीजै’ इस पंंक्ति में ‘अवधू’ का आशय बताइए। इस पंक्ति का भावार्थ भी स्पष्ट कीजिए।

यायावर लोग घोड़ी के दूध को कहते थे…? 1. रूमी 2. कुम्मी 3. शमी 4. इनमें से कोई नहीं

0

सही विकल्प :

2. कुम्मी

व्याख्यात्मक विवरण

यायावर लोग घोड़ी के दूध को कुम्मी (Kumiss) कहते थे। 12 वीं शताब्दी में मध्य एशिया के यायावर कबीलों का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन होता था। मध्य एशिया के मंगोलिया में उस समय अनेक तरह के चारागाह होते थे। यायावर लोगों का प्रमुख भोजन माँस एवं दूध होता था। मंगोल लोग घोड़े के मांस खाने के बहुत शौकीन होते थे। वह हर तरह के जानवर का मांस खा जाते थे, जिसमें गाय, भेड़, बकरी, कुत्ते, लोमड़ी, खरगोश, चूहे आदि थे। वह या तो सामान्य तौर पर माँस को पका कर खाते थे अथवा उसे उबाल कर खाते थे। कभी-कभी वह कच्चा माँस भी खा जाते थे। वह खाने के बर्तनों में सफाई का बेहद कम ध्यान रखते थे।

यायावर लोग घोड़ी के दूध पीने के बड़े शौकीन थे और वह घोड़ी के दूध को ‘कुम्मी’ (Kumiss) कहते थे।


Other question

बंगाल में 19वीं शताब्दी में होने वाले समाज सुधार की लहर को क्या नाम दिया गया था?

मंगोल सेना की सबसे बड़ी इकाई में कितने सैनिक शामिल थे?

“बाल कल्पना के से पाले” में कौन सा अलंकार है?

0

‘बाल कल्पना के से पाले’ में ‘उपमा अलंकार’ है।

काव्य पंक्ति : बाल कल्पना के से पाले

अलंकार भेद : उपमा अलंकार

स्पष्टीकरण

‘बाल कल्पना के से पाले’ में उपमा अलंकार’ इसलिए है क्योंकि यहां पर पाले की तुलना बाल कल्पना से की गई है। पाले को बाल कल्पना की उपमा दी गई है।

उपमा अलंकार में दो समान वस्तुओं की आपस में तुलना की जाती है। किसी एक व्यक्ति अथवा वस्तु की तुलना दूसरी किसी प्रसिद्ध व्यक्ति अथवा वस्तु से की जाए तथा दोनों वस्तुओं या व्यक्ति आदि में समानता का भाव दर्शाया जाए तो वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।

उपमा अलंकार में दो भिन्न व्यक्ति अथवा वस्तुओं के गुणों, आकृति आदि में समानता का भाव दर्शाया जाता है। इसलिए इन पंक्तियों में उपमा अलंकार है।


Other questions

‘गरजा मर्कट काल समाना’ में कौन सा अलंकार है?

‘गा-गाकर बह रही निर्झरी, पाटल मूक खड़ा तट पर है’ पंक्ति में अलंकार है।

प्रेमचंद के अनुसार फल और सब्जियां खाने के क्या फायदे हैं?

0

प्रेमचंद के अनुसार फल और सब्जियां खाने के यह फायदे हैं कि इससे सेहत अच्छी बनी रहती है। सुबह-सुबह फल खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और पाचन भी दुरुस्त रहता है। प्रेमचंद के अनुसार सब्जियां खाने से भी सेहत दुरुस्त रहती है। प्रेमचंद कहते हैं, सुबह-सुबह फल खाने चाहिए और रात को फल कभी नहीं खाने चाहिए। सुबह-सुबह फल खाने से ही फायदा होता है। उसी प्रकार सब्जियों में हरी सब्जियां खाना बेहद लाभदायक होता है। यह आँखों तथा पाचन शक्ति आदि के लिए बेहद अच्छी होती हैं। फल और सब्जियों से हमें प्रोटीन और विटामिन के रूप में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व मिलते हैं जो कि शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक हैं।


Other questions

लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि गुल्ली-डंडा सब खेलों का राजा है? (‘गुल्ली-डंडा’ – मुंशी प्रेमचंद)

लेखक ने ऐसा क्यों कहा कि प्रेमचंद में पोशाकें बदलने के गुण नहीं है? (प्रेमचंद के फटे जूते)

‘पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूं मैं’ पंक्ति में ‘पुष्प पुष्प’ किसका प्रतीक हैं?

0

पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूं मैं’ इस पंक्ति में पुष्प-पुष्प’ युवाओं का प्रतीक है। कवि सुमित्रानंदन पंत अपनी ध्वनि’ नामक कविता में कहते हैं कि वे हर उस फूल से आलस को खींच लेना चाहते हैं, आलस के प्रमाद में है अर्थात मैं वसंत ऋतु हर पुष्प से नींद के आलस्य को खींचकर उसमें स्फूर्ति भर देना चाहते हैं। यहाँ पर पुष्प से तात्पर्य देश के युवाओं से है। वह देश के युवाओं के अंदर व्याप्त आलस को खींचकर उनमें उमंग एवं उत्साह भर देना चाहते हैं, ताकि वह देश के विकास के पथ पर दौड़ सके और अपने कर्म के लिए तत्पर हो जाएं। वह हर युवा को प्राणवान और चुस्त बना देना चाहते हैं ताकि वह अपने आलस को त्याग कर कर्म के पथ पर गतिशील हो जाएं।

संदर्भ पाठ

‘ध्वनि’ कविता, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


Other questions

कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर करने के लिए क्या करना चाहता है?

फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन कौन सा प्रयास करता है?

कवि का नूतन कविता से क्या अभिप्राय है? (क) नवीन प्रेरणा (ख) नवजीवन (ग) क, ख दोनों (घ) इनमें से कोई नहीं

गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दनादन प्रतियोगिता क्या होती है? कृपया इसके बारे में लिखें।

0

‘गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दनादन’ यह शब्द काफी रोचक शब्द है। यह शब्द ‘क्रिकेट’ नामक खेल के हिंदी और देसी अर्थ के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है।हम सभी जानते हैं कि क्रिकेट के अंग्रेजों का खेल है। अंग्रेज हमारे देश में क्रिकेट खेल को लेकर आए। क्रिकेट का कोई देसी नाम नहीं था।

‘क्रिकेट’ नाम अंग्रेजों द्वारा दिया गया अंग्रेजी नाम है। क्रिकेट खेलने की शैली, इसमें प्रयोग किए जाने वाले गेंद और बल्ले के आधार पर क्रिकेट को हिंदी भाषा में परिभाषित किया जाए और उसका एक विशुद्ध देसी अर्थ तैयार किया जाए तो उसे कहेंगे ‘गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दना दन’। हालाँकि इतना लंबा नाम व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है और ना ही ठीक है, लेकिन क्रिकेट के हिंदी अर्थ के रूप में यह रोचक नाम क्रिकेट के हिंदी अनुवाद के तौर पर तैयार किया गया है।क्रिकेट में ही गोल गट्टम यानि गोल गेंद को लकड़ पट्टम यानि लकड़ी के बल्ले से दनादन मारा जाता है और रन बनाए जाते हैं। इसलिए…

गोलगट्टम लकड़ पट्टम दे दनादन = क्रिकेट


Related questions

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’ इस उक्ति का अर्थ बताकर इसकी व्याख्या करें।

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

0

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए केवल हमारे प्रयास से ही सब कुछ नहीं हो जाएगा। समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए किसी एकल व्यक्ति द्वारा बहुत कुछ नहीं किया जा सकता। गरीबों के जीवन स्तर सुधारने के लिए समाज के बड़े वर्ग को तथा सरकार को आगे आना होगा, तभी गरीबों का जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। हम गरीबों के जीवन स्तर सुधारने संबंधी कुछ सुझाव दे सकते हैं, इसमें अपना यथासंभव योगदान भी हम दे सकते हैं।

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए हमें सबसे पहले रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने होंगे। गरीबी का सबसे बड़ा एवं प्रमुख कारण बेरोजगारी होता है। यदि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार पर्याप्त रोजगार मिल जाए जिससे उसका जीवन स्तर ठीक प्रकार चल सके तो समाज में गरीबी दूर हो सकती है। गरीबी का दूसरा मुख्य कारण अशिक्षा और अज्ञानता है।

इसलिए गरीबी गरीब को दूर करने तथा गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार द्वारा ऐसा वातावरण निर्मित किए जाने की आवश्यकता है कि गरीब से गरीब व्यक्ति को भी आसानी से, सहज रूप से, सुलभता से शिक्षा प्राप्त हो जाए। गरीबी के अन्य कई छोटे-मोटे कारणों में नशाखोरी, गलत आदतें तथा धन की पीछने भागना भी होती है। यह सब कारण भी गरीबों को दूर करने के लिए उन्हें जागरूक करना आवश्यक है शिक्षा एवं रोजगार एवं शिक्षा यह तो सबसे ग़रीबी के सबसे प्रमुख कारण है यदि पर्याप्त रोजगार, शिक्षा उपलब्ध कराई जाए तो समाज में कोई व्यक्ति गरीब नहीं रहेगा और सभी व्यक्तियों का जीवन स्तर सुधर जाएगा।

इस तरह समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए अंकित किए जा सकते हैं इन सभी प्रयासों में यथासंभव योगदान दे सकते हैं समाज के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह ऐसी व्यक्ति की अवश्य मदद करें जो किसी न किसी समस्या से पीड़ित है यदि बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है तो उसे पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने में उसकी सहायता करें अथवा अपने पास से धन आदि देकर उसे कोई छोटा-मोटा रोजगार आरंभ करने के लिए प्रेरित करें इस तरह हम अपने छोटे-छोटे नागरिक प्रयासों से गरीबों का जीवन सुधार सकते हैं। लेकिन गरीबों को जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर प्रयास करना होगा, तभी सार्थक बात बनेगी ।


Other questions

गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन क्यों होता है या कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल क्यों होता है।

कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

0

निबंध

ग्लोबल वार्मिंग

भूमिका

ग्लोबल वार्मिंग आज के समय में वैश्विक समस्या है, जो कि पूरी पृथ्वी को अपनी चपेट मे लिए हुए है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की सेहत खऱाब हो रही है, और ये समस्य मानव के लिए भविष्य में बड़ा संकट खड़ा करने वाली है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?

आप सभी नें सुना ही होगा कि आजकल ग्लोबल वार्मिंग हो रही ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है और यह एक बहुत बड़ा खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से ज़्यादातर लोग नहीं समझते है।

कार्बन डाइऑक्साइड का अत्यधिक मात्रा में उत्सर्जित होने और वायुमंडल में जमा होने से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट में बढ़ोतरी हुई और इसकी वजह से हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगातार बढ़ रहा है। ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट के कारण तापमान में बढ़ोतरी होने की इस प्रक्रिया को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। विभिन्न गतिविधियां हो रही हैं जो तापमान बढ़ा रही हैं।

ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है। यह धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है। ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौती पूर्ण है। किसी भी समस्या को हल करने में पहला कदम समस्या के कारण की पहचान करना है। इसलिए, हमें पहले ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को समझने की आवश्यकता है जो हमें इसे हल करने में आगे बढ़ने में मदद करेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु और मौसम में तेज़ी से बदलाव हो रहे है। आजकल कभी-कभी सर्दी और गर्मी के मौसम में भी बारिश हो जाती है और बारिश के मौसम में बहुत कम बारिश होती है। इस प्रकार मौसम में अचानक बदलाव होना आने वाले समय में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। ग्लेशियर से लगातार तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप महासागरों का जल का स्तर भी तेज़ी से बढ़ रहा है और इसके कारण बाढ़ आने की संभावना भी बढ़ती जा रही है जो पूरी तरह से मानव जाति और जीव-जन्तुओं के लिए घातक साबित हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम

पृथ्वी के वातावरण पर ग्लोबल वार्मिंग ने बुरा असर डाला है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है जिससे पृथ्वी पर जीवन खतरे में पड़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग, जिसकी उत्पत्ति कार्बन और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, ने पृथ्वी पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाला है जिसमें समुद्र-तल के स्तर में बढ़ोतरी होना, वायु प्रदूषण में वृद्धि तथा अलग-अलग क्षेत्रों के मौसम में भयंकर बदलाव की स्थिति का पैदा होना शामिल है।

वायु पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने के कारण वायु प्रदूषण में भी इज़ाफा हो रहा है। इसका कारण यह है कि तापमान में वृद्धि से पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन गैस का स्तर बढ़ जाता है जो की कार्बन गैसों और सूरज की रोशनी की गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। वायु प्रदूषण के स्तर में होती वृद्धि ने कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को जन्म दिया है। खासकर सांस की समस्याएं और फेफड़ों के संक्रमण (infection) के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे अस्थमा के रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

जल पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप महासागर का पानी दिन प्रतिदिन गर्म हो रहा है और इन दोनों के चलते समुद्र में पानी का स्तर बढ़ गया है। इससे आने वाले समय में तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र के पानी के स्तर में और ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद है और यह चिन्ता का एक बहुत बड़ा कारण है क्योंकि इससे तटीय और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे मनुष्य जीवन के सामने बड़ा मसला खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा महासागर का पानी भी अम्लीय हो गया है जिसके कारण जलीय जीवन खतरे में है।

भूमि पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई जगहों के मौसम में भयंकर बदलाव हो रहे हैं। कई जगहों में बार-बार भारी बारिश तथा बाढ़ के हालत बन रहे हैं जबकि कुछ क्षेत्रों को अत्यधिक सूखा का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग ने न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि कई क्षेत्रों में भूमि की उपजाऊ शक्ति को भी कम कर दिया है। इसी वजह से कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

महासागरों पर प्रभाव और समुद्र के स्तर में वृद्धि

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की बर्फ पिघल रही है तथा महासागरों के पानी भी गरम हो रहा है जिससे समुद्र के पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। दूसरी तरफ, इन गैसों के अवशोषण के कारण महासागर अम्लीय होते जा रहे हैं और यह जलीय जीवन को बड़ा परेशान कर रहा है।

बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं

ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्वास्थ्य समस्याओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से साँस लेने की समस्याएं और फेफड़े के संक्रमण जैसी बीमारियाँ पनप रही है। इससे अस्थमा के रोगियों के लिए समस्या पैदा हो गई है। तेज़ गर्म हवाएं और बाढ़ भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इज़ाफे का एक कारण है। बाढ़ के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में जमा हुए पानी मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल है और इनके कारण होने वाले संक्रमणों से हम अच्छी तरह से जानते हैं।

जानवरों के विलुप्त होने का खतरा

ग्लोबल वार्मिंग के कारण न केवल मनुष्यों के जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं बल्कि इसने विभिन्न जानवरों के लिए भी जीवन कठिन बना दिया है। मौसम की स्थितियों में होते परिवर्तन ने पशुओं की कई प्रजातियों का धरती पर अस्तित्व मुश्किल बना दिया है। कई पशुओं की प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने की क़गार पर खड़ी हैं।

मौसम में होते बदलाव

ग्लोबल वार्मिंग से विभिन्न क्षेत्रों के मौसम में भारी बदलाव होने लगा है। भयंकर गर्मी पड़ना, तेज़ गति का तूफ़ान, तीव्र चक्रवात, सूखा, बेमौसम बरसात, बाढ़ आदि सब ग्लोबल वार्मिंग का ही कारण है।

उपसंहार

ग्लोबल वार्मिंग का तेज़ी से बढ़ना वैश्विक स्तर पर एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। ज्यादातर लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और उससे भविष्य में होने वाले खतरे के बारे में जानकारी नहीं है। हमें अपने आस पास के लोगों को ग्लोबल वार्मिंग से अवगत करवाना है और इसको कम करने लिए उचित उपायों से लोगों को रूबरू कराना होगा। हमें खुद भी इसके बारे में गंभीरता से विचार करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खतरे को कम किया जा सके।

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी चिन्ता का विषय बन चुका है। अब सही समय आ चुका है कि मानव जाति इस तरफ ध्यान दे तथा इस मुद्दे को गंभीरता से ले। कार्बन उत्सर्जन में कमी से ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों को कम किया जा सकता है। इसलिए हम में से हर एक को अपने स्तर पर कार्य करने की जरूरत है जिससे ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों पर क़ाबू पाया जा सके।


Other questions

पर्यावरण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध

मेरी प्रिय ऋतु – वसंत (निबंध)

‘भारतीय किसान’ इस विषय पर निबंध लिखें।

‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’ इस उक्ति का अर्थ बताकर इसकी व्याख्या करें।

0

‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’

अर्थ : इस उक्ति का तात्पर्य यह है कि भारत बहुल संस्कृति और भाषा की विविधता वाला देश है, यानी भारत में संस्कृत की विविधता से भरी हुई है और भारत में अनेक भाषाएं प्रचलित हैं। इसलिए एक कोस यानी हर लगभग तीन किलोमीटर के बाद भारत में संस्कृति और भाषण में थोड़ा बहुत परिवर्तन आ जाता है।

व्याख्या : यह उक्ति भारत की विविधता भरी संस्कृति को प्रकट करती है। इसमें बताया गया है कि भारत सांस्कृतिक विविधता से भरा होने बावजूद अनेकता में एकता को चरितार्थ करता है।

भारत एक संसार का ऐसा एकमात्र देश है, जिसमें अनेक संस्कृतियों हैं। अनेक तरह के खानपान, अनेक तरह की वेशभूषा है। भाषा के विषय में भी भारत में अनेक भाषाएं प्रचलित हैं। हर राज्य की अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति है, अपना खान-पान है और अपनी वेशभूषा है। यह भारत की विविधता से भरी संस्कृति को प्रकट करता है। इसी कारण भारत में हर एक किलोमीटर के बाद संस्कृति, भाषा, वेशवूषा, खानपान आदि में थोड़ा बहुत परिवर्तन आ जाता है। यही भारत की बहुलवादी संस्कृति की विशेषता है और अनेकता में एकता का प्रतीक है।


Other questions

निर्मम का क्या अर्थ है?

‘दया की दृष्टि सदा ही रखना’ – इसका क्या अर्थ है ?​

दिए गए मुहावरों का अर्थवरों का अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग करें- क) हृदय पर साँप लोटना ख) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना​।

‘भाइयों और बहनों’- शब्दों का प्रयोग किसने, कब तथा किसके लिए किया है? (पाठ- भेड़ और भेड़िया)

0

‘भाइयों और बहनों’ शब्द का प्रयोग बूढ़े सियार ने किया था। इन शब्दों का प्रयोग बूढ़े सियार ने तब किया, जब संत का छद्म वेश बनाकर बैठे भेड़िए के दर्शन करने के लिए हजारों भेड़े आईं और जब उन्होंने संत का रूप धारण किए भेड़िए को पहचान लिया तो वहां से वापस भागने लगी। तब बूढ़े सियार ने भेड़ों को रोकते हुए ‘भाइयों और बहनों’ शब्दों का प्रयोग किया। इन शब्दों का प्रयोग करके वह भेड़ों को समझा-बुझाकर रोक लेना चाहता था। उसने यह भेड़ों को यह समझाने की चेष्टा की कि डरो मत, यह भेड़िए एक बहुत बड़े संत हैं। इन्होंने हिंसा बिल्कुल छोड़ दी है, यह केवल आपका हित चाहते हैं।

‘भेड़ और भेड़िया’ कहानी ‘हरिशंकर परासाई’ द्वारा रचित एक व्यंग्यात्मक कहानी है, जिसके माध्यम से उन्होंने जंगल के भेड़ और भेड़ियों को आधार बनाकर राजनीति पर करारा व्यंग्य किया है।


Other questions

“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल जब भी” पंक्ति मे निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।

गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन क्यों होता है या कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल क्यों होता है।

‘इसरो’ का पूर्ण रूप हिंदी में क्या है? Full Form of ‘ISRO’?

0

इसरो का पूर्ण रूप यानी फुल फॉर्म इस प्रकार होगा :

इसरो : इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (Indian Space Research Organisation)

इसरो (ISRO) यानी ‘इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन’ जिसे हिंदी में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान’ कहते हैं, वह भारत सरकार का एक उपक्रम है। यह संस्थान अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करता है। इसरो भारत का अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है। इस संस्थान का मुख्यालय भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में स्थित है।

भारत सरकार के जो भी अंतरिक्ष संबंधित कार्यक्रम होते हैं। उन सब का संचालन इसरो ही करता है। इस संस्थान का मुख्य कार्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए आवश्यक तकनीक उपलब्ध कराना, अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए उपग्रहों और भू प्रणालियों आदि का विकास करना है।

इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी। इसकी स्थापना के समय का नाम ‘अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति’ (INSPSR) था। बाद में इसका नाम बदलकर इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान कर दिया गया।


Related questions

निम्न में से कौन सा रोग बैक्टीरिया द्वारा होता है? A. टोबैको मोजेक B. क्रूसीफर्स का ब्लैक रॉट C. गन्ने का रेड रॉट D. आलू की लेट ब्लाइट

1923 में स्वराज पार्टी बनाने के लिए मोतीलाल नेहरू के साथ मिलने वाला कांग्रेस का अन्य नेता कौन था? 1. बी. जी. तिलक 2. चित्तरंजन दास 3. एम. के. गाँधी 4. जी. के. गोखले

धर्म की अवधारणा को बतलाइए तथा भारत में पाए जाने वाले प्रमुख धर्म कौन-कौन-कौन से हैं?

0

वर्तमान समय में धर्म की अवधारणा से तात्पर्य किसी विशेष समुदाय से होता है, जो कोई विशिष्ट संस्कृति और पूजा पद्धति का पालन करता है। ऐसे व्यक्तियों का समूह जो जिसकी पूजा पद्धति भिन्न है, जो एक विशेष प्रकार की ईश्वर को मानता है, जिसके अपने अलग धार्मिक ग्रंथ हैं, ऐसे समुदाय को किसी विशेष धर्म का पालन करने वाला समुदाय कहा जाता है। वर्तमान संदर्भ में यही धर्म की अवधारणा है।

भारतीय दार्शनिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो धर्म का अर्थ है, अपने कर्तव्य का पालन करना। जीवन में जो मानवीय कर्तव्य हैं, उनका पालन करना ही धर्म है। नैतिकता को बनाए और नैतिकता के रास्ते पर चलते हुए जीवन का निर्वाह करना ही धर्म है, यही धर्म की मूल भारतीय अवधारणा है। आज धर्म का अर्थ बदल गया है और यह विशेष पूजा-पद्धति, अलग ईश्वर को मानने वाले समुदाय तक सीमित कर दिया गया है।

भारत में लगभग 7-8 धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। भारत में सबसे अधिक 79% लोग हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग हैं लगभग 15% हैं। सिक्ख धर्म को मानने वाले 2% से कुछ कम हैं। ईसाई धर्म को मानने वाले 2.5% हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले 0.70% लोग हैं। जैन धर्म को मानने वाले भी 0.50% से कम हैं। पारसी धर्म को मानने वाले कुछ अनुयायी हैं। इस तरह भारत में सबसे मुख्य धर्म हिंदू है और उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा धर्म मुस्लिम है।


Other questions

हमारा देश विकसित है या विकासशील?

कौन से नेता ने किसी लोकसभा चुनाव में एक ही समय में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा? कोई व्यक्ति अधिकतम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ सकता है?

“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल जब भी” पंक्ति मे निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।

0

“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल” का भाव

भाव : ‘थाल में सजा कर लाऊँ भाल’ इस पंक्ति में कवि अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव प्रकट कर रहा है। कवि अपने देश अर्थात अपनी मातृभूमि से कह रहा है कि माँ आपका मेरे ऊपर आपके बहुत बड़ा ऋण है। आपकी गोद में ही मैं पला-बढ़ा। आपने मेरे पास बड़े उपकार किए हैं। अब मेरे कर्तव्य निभाने का समय आ गया है। अब मैं अपना माथा थाली में सजाकर यदि आपके सामने पेश करूं तो आप इसे दया पूर्वक स्वीकार कर लें। आपके प्रति यही मेरी सच्ची श्रद्धा होगी। यही मेरे कर्तव्य का निर्वहन होगा। यहाँ पर थाल मतलब थाली और भाल मतलब माथा (सिर) है। कवि थाली में अपने सर को मातृभूमि के चरणों में पेश करना चाहता है, अर्थात वो मातृभूमि की रक्षा करते हुए उसकी सेवा करते हुए अपने जीवन का बलिदान करने से भी संकोच नहीं करता। कवि का यही कहने का भाव है।

संदर्भ पाठ :

कविता : ‘चाहता हूँ’, कवि : रामावतार शास्त्री (कक्षा-7 पाठ-1, हिंदी – झारखंड बोर्ड)


Other questions

लाए कौन संदेश नए घन! दिशि का चंचल, परिमल-अंचल, छिन्न हार से बिखर पड़े सखि! जुगनू के लघु हीरक के कण! लाए कौन संदेश नए घन! सुख दुख से भर, आया लघु उर, मोती से उजले जलकण से छाए मेरे विस्मित लोचन! लाए कौन संदेश नए घन! भावार्थ बताएं।

‘हम जब होंगे बड़े’ कविता का भावार्थ लिखें।

त्योहारों का जीवन में महत्व और संदेश (निबंध)

0

निबंध

त्योहारों का जीवन में महत्व और संदेश

 

प्रस्तावना

दुनिया में साल भर त्योहारों का सिलसिला चलता ही रहता है। दुनिया में भारत के अलावा शायद ही ऐसा को देश होगा जहाँ इतने त्यौहार मनाए जाते हैं। भारतीय लोगों का जीवन हमेशा त्योहारों से घिरा रहता है। त्योहारों के अभाव में यहाँ की कल्पना करना कठिन है।

त्योहारों का जीवन में महत्व और संदेश

त्योहार सब के जीवन में अहमियत रखते हैं। यहाँ की खुशियाँ और मनोरंजन का सबसे बड़ा संसाधन ही त्यौहार है। जो समय-समय पर आकर जीवन में ख़ुशी के पल भर देता है। त्योहारों के चक्र की शुरुआत श्रावण तीज के साथ होती है तथा गणगौर पर इसकी समाप्ति हो जाती है इसलिए किसी ने कहा है- तीज तीवाराँ बावड़ी ले डूबी गणगौर। हमारे द्वारा मनाए जाने वाले त्यौहार कुछ न कुछ प्रेरणा जरूर देते है। जिसमें होली रंगों का त्योहार, दीपावली रोशनी का त्योहार, रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का त्योहार तथा ईद भाईचारे का त्यौहार होता है।

हमारा देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जहाँ पूरे साल अलग-अलग त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों से हमारे जीवन में परिवर्तन और उल्लास का संचार होता है। त्यौहार अथवा पर्व सामाजिक मान्यताओं, परंपराओं व पूर्व संस्कारों पर आधारित होते हैं।

यहाँ आए दिन कोई-न-कोई त्यौहार आता ही रहता है क्योंकि जिस प्रकार प्रत्येक समुदाय, जाति व धर्म की मान्यताएँ होती हैं उसी प्रकार इन त्योहारों को मनाने की विधियों में अलग-अलग होती है। सभी त्योहारों की अपनी परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेता है। त्यौहार ही एक ऐसा वक़्त है जो किसी भी जाति के लोगों के बीच एकता बनाए रखने के प्रतीक है।

त्योहारों का महत्व

हमारे जीवन में त्योहारों का बहुत महत्व है , त्योहार हमारा एक साथी है, जो हमेशा जीवन में आकर खुशियों का संचार करता है, तथा गम को ले जाता है। हर पर्व को मनाने के अलग-अलग ढंग होते है। जैसे होली होलिका दहन, दीपावली में लक्ष्मी जी की पूजा, रक्षाबंधन में भाई की राखी, दुर्गा पूजा में दुर्गा माँ के सभी रूपों की पूजा और ईद पर चाँद की पूजा की जाती है।

हमारे जीवन में त्योहारों का बड़ा महत्व है। सभी त्योहारों की अपनी महत्व होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय एक साथ मिलकर भाग लेते है। सभी जन त्यौहार के आगमन से प्रसन्नचित्त होते हैं व विधि-विधान से, पूर्ण उत्साह के साथ इन त्योहारों में भाग लेते हैं। सभी त्योहा अपने जन्म-काल से लेकर अब तक उसी पवित्रता और सात्विक की भावना को संजोए हुए रखे हैं।

युग-परिवर्तन और युग का पटाक्षेप इन त्यौहार के लिए कोई मायने नहीं रखता इसीलिए तो सभी त्यौहार आज भी पुराने परम्परा के साथ हंसी-खुशी एकता के साथ मनाए जाते है। त्योहार का रूप चाहे बड़ा हो, चाहे छोटा, चाहे एक क्षेत्र विशेष तक ही सीमित हो, चाहे सम्पूर्ण समाज और राष्ट्र को प्रभावित करने वाला हो, फिर भी इसे सारे जन स दाय बड़े ही उल्लास के साथ इसका आनंद लेते है। इससे कलुषता और हीनता की भावना समाप्त होती है और सच्चाई, निष्कपटता तथा आत्मविश्वास की उच्च ओर श्रेष्ठ भावना का जन्म होता है इसीलिए सभी त्योहारों का बड़ा महत्व है।

सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के प्रतीक हैं त्योहत्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के प्रतीक हैं। जो की सभी जन-जीवन में जागृति लाते हैं। समष्टिगत जीवन में जाति की आशा-आकांक्षा के चिह्न हैं, उत्साह एवं उमंगों के प्रदाता हैं। राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का कारण हैं। जीवन की एक-रास्ता से ऊबे समाज के लिए त्यौहार वर्ष की गति के पड़ाव हैं।

वह भिन्न-भिन्न प्रकार के मनोरंजन, उल्लास और आनंद प्रदान कर जीवन-चक्र को सरस बनाते हैं। पर्व युगों से चली आ रही सांस्कृतिक परम्पराओं, प्रथाओं, मान्यताओं, विश्वासों, आदर्शों, नैतिक, धार्मिक तथा सामाजिक मूल्यों का वह मूर्त प्रतिबिम्ब हैं जो जन-जन के किसी एक वर्ग अथवा स्तर-विशेष की झाँकी ही प्रस्तुत नहीं करते। इसीलिए त्योहारों की व्यवस्था समाज-कल्याण और सुख-समृद्धि के उत्पादों के रूप में हुई थी।

हमारे देश के प्रमुख त्योहार

मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शों को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्यौहार को हम दो भागों में बांट सकते हैं। पहले वर्ग में धार्मिक त्यौहार आते हैं जैसे नागपंचमी, ईद, दशहरा, दीपावली, होली, कृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, रक्षाबंधन, भैया-दूज आदि त्यौहार इसी वर्ग में आते हैं।

दूसरे वर्ग में राष्ट्रीय पर्व हैं जिस में गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती, अध्यापक दिवस बलिदान दिवस प्रमुख त्यौहार माने जाते है। नाग पंचमी का त्यौहार सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इससे हमारे मन मे नाग देवता (शेष नाग) के प्रति श्रद्धा-भावना व्यक्त होती है। लोगों का विश्वास है कि इस दिन नाग देवता प्रसन्न होते है।

हमारे त्योहार

दीपावली का त्यौहार भी अत्यन्त ही प्रसन्नता और खुशियाँ भरा पर्व है। यह पर्व श्रीराम के अयोध्या आने की खुशी में मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस के अंधकार को पराजित करने के लिए प्रकाश का आयोजन करके सम्पन्न किया जाता है। होली का त्यौहार हमें संदेश देता है कि हम आपसी कटुता व वैमनस्य को भुलाकर अपने दुश्मनों से भी प्रेम करें। होली का त्योहार जीवन में रंग, मौज-मस्ती, आनंद, उल्सास, प्रेम और भाईचारे के बिखेरने का संदेश देता है।

दशहरा भारत का बहुत ही प्रसिद्ध और लोकप्रिय त्यौहार है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। भारत में विजयादशमी का पर्व जिस प्रकार असत्य पर सत्य की तथा अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश देता है। यह त्योहार रावण पर राम की जीत के सम्मान में पूरे देश में मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरा त्यौहार विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व प्राचीन परंपरा के अनुसार गुरु महत्व को प्रतिपादित करने से है। लोगों को यह मान्यता है कि इस दिन गुरु अपने शिष्य के हाथ में रक्षा सूत्र बांध करके उसे अभय रहने का वरदान देते है। परंपरा के अनुसार बहनें अपने भाइयों के हाथ में राखी का बंधन बांधकर उससे परस्पर प्रेम के निर्वाह का वचन दान लेती है।

जन्माष्टमी का त्यौहार श्रीकृष्ण के जन्मदिन की उपलक्ष में मनाया जाता है। रामनवमी का त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

नवरात्रि का व्रतोत्सव वर्ष में दो बार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और नौ दिन तक देवी के नौ रूपों की आराधना की जाती है। ये त्योहार स्त्रीशक्ति और मातृशक्ति की महत्ता का प्रतीक है।

ईसाइयों का त्यौहार क्रिसमस संसार से पाप के अंधकार को दूर करने का संदेश देता है। ईद और बकरीद मुस्लिम का प्रमुख त्यौहार है।

रमजान का पावन महीना आता है एवं रमजान का महीना व्रत, त्याग और तपस्या का महीना है। रमजान में स्वस्थ मुस्लिम लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखते हैं। सूर्यास्त के बाद नमाज़ पढ़ कर रोज़ा खोलते हैं।

इसी प्रकार हमारे कुछ राष्ट्रीय पर्व हैं। जैसे  गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, अध्यापक दिवस व गाँधी जयंती को सभी धर्मों, जातियों व संप्रदायों के लोग मिल-जुल कर खुशी से मनाते हैं। इन अवसरों पर सारा राष्ट्र उन महापुरुषों व देश भक्तों को याद करता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को सहर्ष न्यौछावर कर दिया।

इस प्रकार सभी त्योहारों के पीछे भारतीय जन जीवन में एक नई उमंग प्रदान करती हैं। राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान त्यौहार राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान हैं, राष्ट्र की एकात्मता के परिचायक हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक विस्तृत इस पुण्यभूमि भारत का जन- जन जब होली, दशहरा और दीपावली मनाता है, होली का हुड़दंग मचाता है, दशहरा के दिन रावण को जलाते है और दीपावली की दीप-पंक्तियों से घर, आँगन, द्वार को ज्यांतित करता है, तब भारत की जनता राजनीति-निर्मित उत्तर और दक्षिण का अन्तर समाप्त कर एक सांस्कृतिक गंगा-धारा में डुबकी लगाकर एकता का परिचय दे रही होती है।

दक्षिण का ओणम्, उत्तर का दशहरा, पूर्व की (दुर्गा) पूजा और पश्चिम का महारास,जिस समय एक-दूसरे से गले मिलते हैं, तब भारतीय तो अलग, परदेसियों तक के हृदय- शतदल एक ही झोंके में खिल जाते हैं। इसमें अगर कहीं से बैसाखी के भंगड़े का स्वर मिल जाए या राजस्थान की पनिहारी की रौनक घुल जाए तो कहना ही क्या ? भीलों का भगेरिया और गुजरात का गरबा अपने आप में लाख-लाख इंद्रधनुष की अल्हड़ता के साथ होड़ लेने की क्षमता रखते हैं। इसीलिए त्यौहार राष्ट्रीय एकता के रूप में हमारी पहचान हैं।

त्यौहार हमें क्या संदेश देते हैं

त्यौहार मनुष्य के जीवन को हर्षोल्लास से भर देते हैं। इन त्योहारों से उसके जीवन की नीरसता समाप्त होती है तथा उसमें एक नवीनता व सरसता का संचार होता है। ऐतिहासिक विरासत और जीवंत संस्कृति के सूचक ये त्योहार विदेशियों के समक्ष भी हमारे सरस और सजीले सांस्कृतिक वैभव का प्रदर्शन करते हैं और हमें गौरवान्वित होने का अवसर देते हैं। जीवन को नई ताजगी देते त्योहार जीवन में जीने का उत्साह और उल्लास का रंग भरते हैं, जिस से जीने का हौसला दोगुना हो जाता है।

रोजमर्रा की परेशानियों को भुला कर हमें सजने संवरने और नए स्वाद चखने का भी अवसर देते हैं। होली का त्योहार जहाँ मस्ती और मौज का संदेश देता है वहीं दीवाली अंधकार को दूर कर के जीवन में रोशनी भरने का। त्यौहार अच्छा खाना, अच्छा पहनना, खुश रहने और जीवन को खुशनुमा बढ़ाने का श्रेष्ठ माध्यम होते हैं। इस का उद्देश्य भाईचारे को बढ़ाते हुए एक दूसरे के दुख सुख का हम सफर बनना है।

दीवाली का त्यौहार आकाश में पटाखों की रोशनी और समृद्धि की अभिव्यक्ति है। आशाओं के उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार का महत्व जीवन के अनमोल पहलुओं से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार अमावस्या के अंधकार में ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ यानी अंधेरे से रोशनी की तरफ जाने का संदेश देता है।

विजयादशमी असत्य पर सत्य की विजय का संदेश देता है। रक्षाबंधन का पावन पर्व भाई-बहन के प्रेम और भाई का बहन की आजीवन रक्षा करने के संकल्प को याद करता है। ईद का त्यौहार हमें भाईचारे का संदेश देता है।

उपसंहार

इस प्रकार सभी त्यौहार और पर्व देश को एक सूत्र में बाँधे रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं अथवा हमारे त्यौहार राष्ट्रीय एकता को मजबूत करते हैं। वह भारतीय नागरिकों के मन में देशप्रेम व मित्रता का भाव जगाते हैं। हमारे त्यौहार हमारी भारतीय सांस्कृतिक परंपरा व भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं। ये त्यौहार हमारी संस्कृति की धरोहर हैं। इन पर्वों व त्योहारों के माध्यम से हमारी संस्कृति की वास्तविक पहचान होती है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि त्योहारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। बढ़ते शहरीकरण ने त्योहारों के महत्व को भुला दिया है, पर आज भी ग्रामीण इलाकों में त्योहारों की झलकियों को महसूस किया जा सकता है। यहाँ लोग त्योहारों को बड़े ही प्रेम के साथ मिलकर मनाते है। हमें हर पर्व को धूमधाम के साथ मनाकर उसका आनंद लेना चाहिए तथा हमारी संस्कृति और परम्परा को बनाए रखना चाहिए, लेकिन आज त्योहारों के अवसर पर ऐसे कार्य होते है, जो नुकसानदायक है, उनकी समाप्ति जरूरी है।


Related questions

मेरी प्रिय ऋतु – वसंत (निबंध)

राजनीति का अपराधीकरण (निबंध)

चाँद को कौन-सा ‘मरज़ ‘है और बिल्कुल ही गोल न हो जाएँ से क्या तात्पर्य है ?​ (चाँद से थोड़ी-सी गप्पें)

0

चाँद को घटते रहने और बढ़ते रहने का मरज़ (रोग) है।

चाँद जब घटता जाता है तो घटता ही चला जाता है और जब बढ़ता जाता है तो फिर बढ़ता ही चला जाता है, जब तक वह बिल्कुल गोल ना हो जाए। यहाँ पर बिल्कुल ही गोल ना हो जाए से तात्पर्य चाँद के आकार के गोल हो जाने से है। चाँद की प्रगति होती है कि महीने में वह एक बार करता है, कि वो एक बार बढ़ता है, तो अर्धचंद्राकार से धीरे-धीरे गोल रूप धारण कर लेता है, जब वह घटता जाता है तो गोल रूप से अर्धचंद्राकार होता जाता है। यहाँ पर बिल्कुल ही गोल ना हो जाने से तात्पर्य चंद्रमा के एकदम गोल रूप धारण करने से है।

शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘चाँद से थोड़ी-सी गप्पे’ में एक दस साल की लड़की चाँद से बातें करते हुए उसे उसके आकार के घटने बढ़ने का ताना-उलाहना दे रही है।


Other questions

‘चरणों में सागर रहा डोल’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?

रैंचिंग खेती से क्या तात्पर्य है?

गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन क्यों होता है या कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल क्यों होता है।

0

कविता अर्थात पद्य का अनुवाद गद्य की अपेक्षा कठिन इसलिए होता है क्योंकि गद्य का अनुवाद गद्यात्मक शैली में ही करना पड़ता है जबकि कविता एक पद्ययात्मक शैली में रचित की गई रचना होती है, जिसे गद्यात्मक शैली में अनुवादित करना होता है।

कविता का अनुवाद करते समय उसे गद्यात्मक शैली में परिवर्तित करते समय नए-नए शब्दों और वाक्यों का निर्माण करना पड़ता है। कविता के पद को व्याख्यात्मक रूप देना पड़ता है, इसी कारण कविता का अनुवाद गद्य की अपेक्षा अधिक कठिन होता है। पद्य शैली में रचित की की गई कविता आसानी से हर किसी को समझ नहीं आती, उसको समझने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता पड़ती है, जिन्हें भाषा में पूर्ण दक्षता प्राप्त हो और जो पद्य की समझ रखते हों। इसलिए उसमें अधिक श्रम लगता है। पद्य का अनुवाद करते समय नये शब्दों और वाक्यों की गद्य शैली में रचना करनी पड़ती है।

अनुवाद करने समय ये ध्यान भी रखना होता है कि कविता का मूल भाव और उसकी लय न बदलने पाये। कविता की लय और भाव ही उसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है। इसलिए कविता का अनुवाद करने समय विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है। यही कारण है कि गद्य की अपेक्षा कविता का अनुवाद कठिन होता है। कविता की अपेक्षा गद्य का अनुवाद सरल इसलिए होता है, क्योंकि गद्य का अनुवाद करते समय से उसे गद्य शैली में ही अनुवादित करना होता है अर्थात दोनों स्रोत और लक्ष्य दोनों एक ही शैली है, इसी कारण बहुत अधिक नए शब्दों या वाक्यों की आवश्यकता नही पड़ती। उसे स्रोत से लक्ष्य भाषा में बस परिवर्तित कर दिया जाता है। इसी कारण गद्य का अनुवाद करना सरल होता है।


Other questions

कवि का स्वप्न भंग किस जीवन-सत्य की ओर संकेत करता है?

उत्साह का प्रमुख लक्षण है। (क) जोश (ग) आनंद (ख) साहस (घ) आनंद और जोश

कवि का स्वप्न भंग किस जीवन-सत्य की ओर संकेत करता है?

0

कवि का स्वप्न भंग इस जीवन सत्य की ओर संकेत करता है कि स्वप्न केवल मिथ्या होते हैं। वास्तविकता और यथार्थ के धरातल पर उनका कोई भी औचित्य नहीं होता। जब तक हम स्वप्न देखते रहते हैं तब तक हमें बेहद खुशी का अनुभव होता है, हम आनंद और कल्पना के लोक में विचरते रहते हैं। यह सपने हमें हर्षित करते हैं। लेकिन जैसे ही हमारे स्वप्न समाप्त होते हैं। हम यथार्थ के धरातल पर आ जाते हैं। हम वास्तविकता का सामना करते हैं, तब हमें पता चलता है कि स्वप्न तो केवल मिथ्या था, वह सत्य नहीं था। तब हमारा ह्रदय छिन्न-भिन्न हो जाता है। तब हमें दुख होता है। स्वप्न मिथ्या होते हैं यही जीवन का सत्य है।


Other questions

‘हम सब में है मिट्टी’- कथन से कवि का क्या आशय है?

‘चरणों में सागर रहा डोल’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्साह का प्रमुख लक्षण है। (क) जोश (ग) आनंद (ख) साहस (घ) आनंद और जोश

0

सही विकल्प होगा…

(घ) आनंद और जोश

व्याख्या 

उत्साह का प्रमुख लक्षण आनंद व जोश है। सच्चा उत्साह वह उत्साह होता है, जिसके कारण मनुष्य कोई भी कार्य करने के लिए प्रेरणा प्राप्त करता है। उत्साह ही मनुष्य के जीवन में प्रेरणा का कार्य करता है और उसे कोई कार्य करने के लिए आगे बढ़ाता है। किसी भी कार्य में पूर्ण रूप से तत्पर होने के लिए उसके अंदर कुछ उत्साह होना बेहद आवश्यक होता है। मनुष्य जब किसी विशेष उद्देश्य के लिए कोई कार्य करने का संकल्प लेता है तो उसके अंदर एक उत्साह जगता है, यही उसे एक सुखद अनुभव कराता है। यही सुखद अनुभव ही उसे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करता है। इसीलिए उत्साह का प्रमुख लक्षण आनंद एवं जोश है।


Other questions

अपनी आँखों देखी किसी घटना का वर्णन अपने शब्दों में 7 लाइन में कीजिए।

‘मीठे अंगूर खाकर मन खुश हो गया।’ इस वाक्य में से विशेषण और विशेष्य छांटकर लिखें।

आपको एक अच्छा इंसान बनाने के लिए अपने पुराने स्कूल शिक्षक को धन्यवाद देने के लिए एक पत्र लिखें।

अनौपचारिक पत्र

पूर्व शिक्षक को धन्यवाद करते हुए पत्र

 

दिनांक- 21 अप्रेल 2024

 

प्रेषक – मोहित वर्मा,
112, रामगंज, राज प्रदेश

प्रेषिती – श्री अभय  प्रताप सिंह,
मनोहर विद्यालय, रामगंज, राज प्रदेश

आदरणीय सर,
सादर प्रणाम

आशा करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य अच्छा होगा। मैं मोहित वर्मा आपका पूर्व छात्र हूँ। आपके द्वारा दी गई शिक्षा मेरे जीवन में बहुत काम आई, इसलिए आज मैं आपको धन्यवाद लिखने के लिए पत्र लिख रहा हूँ । आज मैंने अपना लक्ष्य पा लिया है । आज मैं एक अच्छा डॉक्टर बन गया हूँ । आपने मुझे एक अच्छा इंसान बनाया है । आज मुझे अपने पुराने स्कूल के दिन बहुत याद आते है । आपने हमेशा हमें अच्छी बाते सिखाई और सही रास्ता दिखाया । आज मैं यहाँ तक आपकी वजह से पहुंचा हूँ । मैं जीवन भर इसके लिए आपको आभारी रहूंगा । मैं आपका दिल से धन्यवाद करता हूँ।

आपका शिष्य,
मोहित वर्मा ।


Related questions

आपका मित्र आई.आई.टी की परीक्षा में चयनित हो गया है उसे बधाई पत्र लिखिए।

अपने मित्र को विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए निमंत्रण पत्र लिखो ।

आपका मित्र आई.आई.टी की परीक्षा में चयनित हो गया है उसे बधाई पत्र लिखिए।

बधाई पत्र

मित्र को आई. आई. टी परीक्षा में चयनित होने के लिए बधाई पत्र

 

दिनांक-10-03-2024

प्रिय मित्र सुमित,

आशा करता कि तुम ठीक होगे । माफ़ी चाहता हूँ, थोड़ा विलंब से पत्र लिख रहा हूँ । सबसे पहले तुम्हें आई.आई.टी की परीक्षा में चयनित होने पर बहुत-बहुत बधाई हो । मुझे यह खबर सुनकर बहुत ख़ुशी हुई । आज तुम्हें तुम्हारी मेहनत का फल मिल गया । हम सब जानते कि तुमने इस परीक्षा के लिए बहुत मेहनत की है । मेरी तरफ़ से तुम्हें और तुम्हारे परिवार को बहुत-बहुत बधाई हो । तुम अपने जीवन में यूँ ही दिन-दूनी रात चौगुनी तरक्की करते रहो। मेरी यही शुभकामना है। हम लोग जल्दी मिलेंगे। तुम अपना ध्यान रखना। तुम्हारे पत्र का इंतजार करूंगा।

तुम्हारा मित्र,
अक्षय ।


Related questions

अपने मित्र को विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए निमंत्रण पत्र लिखो ।

मई महीने में आपके विद्यालय में हुई परीक्षा, इस बात को बताते हुए अपनी बुआजी को पत्र लिखिए।

आधुनिक युग में विज्ञापन को महत्व क्यों दिया जाता है ?

0

आधुनिक युग में विज्ञापन को महत्व इसलिए दिया जाता है, क्योंकि आज का आधुनिक युग प्रचार का युग है। बिना प्रचार के किसी भी उत्पाद की बिक्री और लोकप्रियता संभव नहीं हो पाती है।

आधुनिक युग में उत्पादों का दायरा विशाल और व्यापक हुआ है। उत्पादक अपने उत्पाद को दूर-दूर क्षेत्रों तक पहुंचा पा रहे हैं। अब वह केवल लोकल मार्केट तक सीमित रह नहीं रह गए हैं। दूर-दूर तक अपनी पहुंच बनाने के लिए उन्हें अपने उत्पाद के विज्ञापन का सहारा लेना पड़ता है ताकि लोग उनके उत्पाद के बारे में जाने और उनके उत्पाद को खरीदने के लिए प्रेरित हों। विज्ञापन का सहारा लेने का मुख्य कारण यह भी है आज मीडिया के अनेक साधन विकसित हो गए हैं। जैसे अखबार, टीवी, रेडियो, इंटरनेट आदि। इसलिए उत्पादक को अपने उत्पाद के प्रचार के लिए एक माध्यम मिल गया है तो वह इस माध्यम का पूरा लाभ उठाता है और अपने उत्पाद का विज्ञापन करता है, जिससे उसका उत्पाद दूर-दूर क्षेत्रों तक लोगों की जानकारी में आता है।

आधुनिक युग में विज्ञापन को महत्व देने का मुख्य कारण यह भी है कि आज का प्रचार एवं प्रतिस्पर्धा का युग है। एक ही उत्पाद के अनेक उत्पादक होते हैं जो कि अधिक से अधिक लोगों तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में प्रतिस्पर्धा में अपने उत्पाद को बनाए रखने के लिए उत्पादक को अपने उत्पाद के प्रचार की आवश्यकता होती है, इसीलिए आज का आधुनिक युग में विज्ञापन आवश्यक है।


Other questions

‘राष्ट्रभाषा’, ‘राजभाषा’ और ‘संपर्कभाषा’ भाषा के इन तीनों रूपों में अतंर स्पष्ट कीजिए।

किसके आने से लेखिका के जालीघर का वातावरण क्षुब्ध हो गया?

विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए अपने मित्र को निमंत्रण पत्र लिखो ।

अनौपचारिक पत्र

विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने के लिए मित्र को निमंत्रण पत्र

 

दिनांक : 1 मार्च 2024

प्रिय मित्र विमल,
खुश रहो,

मित्र, तुम जानते हो कि मेरे विद्यालय का वार्षिकोत्सव दिनाँक 5 मार्च को होने वाला है। इस वार्षिकोत्सव में अनेक तरह के आयोजन होगे। बाल मेला लगेगा। छात्रों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे तथा अनेक तरह की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। ये वार्षिकोत्सव बहुत मजेदार होने वाला है। मैने मंच पर अपने साथी छात्रों के साथ एक लघु नाटिका प्रस्तुत करने के कार्यक्रम में भाग लिया है। इसके अलावा मै मैंने बैंडमिंटन और कैरम की खेल प्रतियोगिता में भी भाग लिया है।

विद्यालय के छात्र अपने अभिभावको और मित्रों आदि को इस वार्षिकोत्सव में आमंत्रित कर सकते हैं। इसलिए मैं तुम्हे मेरे विद्यालय के वार्षिकोत्सव में आने का निमंत्रण देता हूँ। मैं चाहता हूँ कि जिन प्रतियोगिताओं में मैने भाग लिया है, उन्हें तुम सामने से देखो और मुझे प्रेरित करो। मेरे माता-पिता भी इस वार्षिकोत्सव में आने वाले हैं। तुम भी जरूर आना। 5 मार्च को सुबह 8 बजे तुम मेरे विद्यालय पहुँच जाना। मैं तुम्हें मेरी कक्षा अथवा विद्यालय के हॉल में मिलूंगा। तुम ज़रूर आना।

तुम्हारा मित्र,
रंजन ।


Related questions

आप पावनी है। आप छुट्टियों में गुजरात घूमने का कार्यक्रम बना रही हैं। सरदार पटेल की प्रतिमा भी देखना चाहती है। आपने जो कार्यक्रम बनाया है, उसमें क्या सुधार हो सकता है। अपने चचेरे भाई को लगभग 100 शब्दो में पत्र लिखिए।

मई महीने में आपके विद्यालय में हुई परीक्षा, इस बात को बताते हुए अपनी बुआजी को पत्र लिखिए।

किसी आँखों देखी घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

आँखों देखी घटना

 

मैंने एक घटना कुछ दिन पहले अपनी आँखों से देखी है। एक दिन की बात है जब मैं सुबह ऑफिस के लिए जा रही थी । मैं देखा सड़क के पास एक लड़की बहुत जोर-जोर से रो रही थी । सड़क के पास गुजरते हुए लोग कोई उसे नहीं पूछ रहा था । सब उसे देखकर रहे थे पर उसे पूछ नहीं रहा था । मैं उसे पास भाग-भाग कर गई । मैं उसे देखा तो उसे पैर में चोट लगी हुई थी । उसके पैर से बहुत खून निकल रहा था । मैं उसे चुप करवाया और थोड़ा हौसला दिया । मैंने एम्बुलेंस को बुलाया और उसे अस्पताल लेकर गई । उसने मुझे सारी बात बताई कि मैं रास्ते में पड़ी रही रोती रही पर मेरी किसी ने कोई मदद नहीं की । मुझे सुनकर बहुत बुरा लगा । आज के समय में इंसानियत खत्म हो गई है । कोई किसी की मदद नहीं करना चाहता ।


Other questions

हीरों की घाटी में पहुँचकर सिंदबाद को क्या-क्या अनुभव हुए? अपने शब्दों में लिखो।

‘स्वयं अनुभव किया हुआ आतिथ्य’ इस विषय पर अपने विचार 100 शब्दों में लिखिए।

हीरों की घाटी में पहुँचकर सिंदबाद को क्या-क्या अनुभव हुए? अपने शब्दों में लिखो।

0

हीरो की घाटी में पहुंचकर सिंदबाद को विचित्र अनुभव हुए। जैसे ही विशालकाय पक्षी के पंजों में दबा हुआ सिंदबाद हीरो की घाटी पहुंचा तो वहां सिंदबाद को चारों तरफ हीरे हीरे विखरे दिखाई दिए। हीरों के अलावा वहाँ चारों तरफ से सांप ही साँप नजर आ रहे थे। साँपों को देखकर सिंदबाद घबरा गया और एक गुफा में जाकर छुप गया। सुबह जब गुफा से बाहर निकला तो साँप नहीं दिखाई दिए। फिर उसे मांस के टुकड़े गिरते हुए दिखाई दिए। तब सिंदबाद को याद आया कि हीरे की घाटियों में लोग मांस के टुकड़े फेंका करते हैं, ताकि उनसे हीरे चिपक जाए और उकाब पक्षी मांस के टुकड़ों को जब चोंच में दबाकर लाएं तो उनके साथ हीरे भी आ जाएं।

सिंदबाद को वहाँ बड़े-बड़े उकाब पक्षी भी दिखाई दिए। सिंदबाद ने स्वयं को मांस के एक टुकड़े से बांध दिया। जब वो मांस का टुकड़ा एक उकाब पक्षी लेकर उड़ा तो उसके साथ बंधा सिंदबाद भी हीरो की घाटी से निकल आया ।


Related questions

अपनी किसी यादगार यात्रा के विषय में लगभग 200 शब्दों में लिखिए।

रक्षाबंधन पर अनुच्छेद लिखें, 200 शब्दों में।

प्रदोषे दीपकः चन्द्रः प्रभाते दीपकः रविः। त्रैलोक्ये दीपकः धर्मः सुपुत्रः कुल-दीपकः।। स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।। उत्तमे तु क्षणं कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम्। अधमे स्याद् अहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तकम्।। शैले-शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे। साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने।। उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे। राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति स बान्धवः।। सभी श्लोक का अर्थ बताएं।

0

सभी श्लोकों का अर्थ इस प्रकार है…

प्रदोषे दीपकः चन्द्रः प्रभाते दीपकः रविः।
त्रैलोक्ये दीपकः धर्मः सुपुत्रः कुल-दीपकः।।

अर्थ : जिस तरह संध्याकाल में चंद्रमा दीपक के समान होता है, अर्थात प्रकाश फैलाकर अंधकार भगाता है। सुबह के समय सूर्य दीपक के समान होता है, अर्थात वो अपने प्रकाश से अंधकार का नाश कर देता है। तीनों लोकों में धर्म दीपक के समान होता है अर्थात धर्म अज्ञानता के अंधकार को दूर करता है। उसी तरह सुपुत्र पूरे कुल के दीपक के समान होता है, अर्थात उत्तम गुणों वाला पुत्र पूरे परिवार (खानदान) का नाम उज्जवल करता है।

स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।

अर्थ : मूर्ख व्यक्ति केवल अपने घर में ही महत्व पाता है। धनी व्यक्ति केवल अपने गाँव-नगर में ही महत्व पाता है। राजा केवल अपने देश में ही सम्मान पाता है। परन्तु विद्वान व्यक्ति सब जगह महत्व-सम्मान पाते हैं। अर्थात इन तीनों व्यक्तियों की सम्मान पाने की एक सीमा है, लेकिन विद्वान सभी जगह पर पूजा जाता है। विद्वान का महत्व सर्वत्र व्याप्त है।

उत्तमे तु क्षणं कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम्।
अधमे स्याद् अहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तकम्।।

अर्थ : जो व्यक्ति उत्तम श्रेणी के होते हैं, उनका क्रोध केवल क्षण मात्र के लिए ही रहता है। वह क्षण मात्र को क्रोधित होकर शांत हो जाते हैं। जो व्यक्ति मध्यम श्रेणी के होते हैं, उनका क्रोध दो प्रहर अर्थात लगभग 4-6 घंटे तक ही रहता है। इसके बाद उनका क्रोध शांत हो जाता है। जो व्यक्ति निम्न श्रेणी के होते हैं, उनका क्रोध पूरे दिन रात बना रहता है। अर्थात वह एक दिन-एक रात क्रोध करने के बाद शांत हो जाते हैं। लेकिन जो व्यक्ति बेहद पापी और निकृष्ट श्रेणी के होते हैं, उनका क्रोध हमेशा सदैव बना रहता है। उनका क्रोध कभी भी उनका साथ नहीं छोड़ता और वह सदैव क्रोधित ही रहते हैं

शैले-शैले माणिक्यं मौक्तिकं गजे-गजे।
साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं वने-वने।।

अर्थ : सभी पहाड़ों-पर्वतों पर मणि नहीं पाई जाती। हर हाथी में गजमुक्त नामक मोती नहीं पाया जाता। जो व्यक्ति सज्जन होते हैं, ऐसे सज्जन व्यक्ति हर जगह नहीं पाए जाते। चंदन का वृक्ष भी सभी वनों में नहीं पाया जाता। अर्थात यह सभी वस्तुएं मणि, मोती, साधु, सज्जन और चंदन के वृक्ष दुर्लभ होते हैं और यह हर जगह नहीं पाए जाते हैं। इसी कारण इनका महत्व है

उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने यः तिष्ठति बान्धवः।।​

अर्थ : अच्छा बंधु और हितेषी मित्र कौन है, इसकी पहचान तब होती है। जब उत्सव के समय अथवा बुरे समय में, अकाल के समय में, राष्ट्र में उपद्रव होने के समय में, राज दरबार के समय में तथा अंत में श्मशान में जो साथ रहता है, वही सच्चा बंधु है, वही सच्चा हितैषी है, वही सच्चा मित्र है। अर्थात सच्चा बंधु-हितैषी जीवन के सुख-दुख हर पल में साथ रहता है, कभी साथ नहीं छोड़ता।


Other questions

अस्माकं देशस्य नाम भारतवर्षम् अस्ति। भारतवर्षम् एकः महान् देशः अस्ति। अस्य संस्कृतिः अति प्राचीना अस्ति। अस्य प्राचीनं नाम आर्यावर्तः अस्ति। पुरा दुष्यन्तः नाम नृपः अभवत्। सः महर्षेः कण्वस्य सुतया शकुन्तलया सह विवाहम् अकरोत्। तस्य भरतः नाम्नः पुत्रः अभवत्। इति कथयन्ति स्म यत् तस्य नामानुसारेण देशस्य नाम अपि भारतम् अभवत्।​ इस संस्कृत गद्यांश का हिंदी अनुवाद करें।

‘मीठे अंगूर खाकर मन खुश हो गया।’ इस वाक्य में से विशेषण और विशेष्य छांटकर लिखें।

0

‘मीठे अंगूर खाकर मन खुश हो गया।’

विशेषण : मीठे

विशेष्य : अंगूर

स्पष्टीकरण :

दिए गए वाक्य में  में ‘मीठे’ शब्द एक विशेषण है, जो ‘अंगूर’ विशेष्य के लिए प्रयुक्त किया गया है। अंगूर एक संज्ञा शब्द है, जो किसी विशेषण के लिए विशेष्य का कार्य करता है। विशेषण के लिए एक विशेष्य होना आवश्यक है।

‘मीठे’ एक गुणवाचक विशेषण है। यहाँ पर मीठे शब्द को बहुवचन रूप में प्रस्तुत किया गया है क्योंकि अंगूर के विशेषण के रूप में हमेशा बहुवचन प्रयुक्त किया जाता है, क्योंकि अंगूर हमेशा गुच्छे में होते हैं, इसलिए उनके लिए बहुवचन नियुक्त किया जाता है। गुणवाचक विशेषण वे विशेषण होते हैं, जो किसी भी वस्तु, पदार्थ स्थान आदि के गुण, दोष, अवस्था आदि को प्रकट करते हैंय़

दिए गए वाक्य में अंगूर एक संज्ञा शब्द है, यह जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आता है। मीठे शब्द अंगूर के विशेषण के रूप में प्रयोग किया जाता है जो अंगूर की विशेषता बता रहा है अर्थात अंगूर में मिठास है।

विशेषण से तात्पर्य उन शब्दों को है से है जो किसी संज्ञा शब्द की विशेषता को प्रकट करते हैं। विशेषण के पाँच भेद होते हैं।


Other questions:

‘दमा’ का विशेषण क्या होगा ?

‘शिमला’ में कौन सा समास है? बताएं।

बेफिक्र होकर सो जाने का दूसरा नाम ‘आजादी’ क्यों नहीं है?

0

बेफिक्र होकर सो जाने का दूसरा नाम आजादी इसलिए नहीं है, क्योंकि आजादी हमें बेफिक्र होकर सो जाने के लिए नहीं मिली है। आजादी अपने साथ जिम्मेदारियों का भार लेकर आती है। यदि हमें आजादी मिली है तो हमें आजादी के साथ कुछ उत्तरदायित्व भी मिले हैं, हमें उन उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना होगा। यदि हम बेफिक्र होकर सो जाएंगे तो हमारी आजादी खतरे में पड़ सकती है। अपनी आजादी को निरंतर बनाए रखने के लिए हमें हमेशा सदैव सचेत रहना पड़ेगा। सचेत रहकर ही अपनी आजादी को कायम रखा जा सकता है। इस संसार में आजादी और अधिकारों का हनन करने वालों की कमी नहीं। यदि हम सचेत नहीं रहेंगे तो कोई भी हमारी आजादी को छीन सकता है, हमारे अधिकारों का हनन कर सकता है इसलिए बेफिक्र होकर सो जाने का अर्थ आजादी नहीं है, क्योंकि तब हमारी आजादी पर संकट की छाया मंडरा रही है। यदि हम अपने उत्तरदायित्वों के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आजादी का प्रयोग करेंगे, तभी आजादी का अर्थ सार्थक है।


Other questions

यदि सरदार पटेल ने रियासतों को भारतीय संघ में न मिलाया होता तो क्या होता?

भारत विश्व में शांति कैसे स्थापित कर सकता है?

मंगोल सेना की सबसे बड़ी इकाई में कितने सैनिक शामिल थे?

0
मंगोल सेना की बड़ी इकाई में लगभग 10000 सैनिक शामिल होते थे। मंगोल सेना की इस बड़ी इकाई को ‘तुमन’ कहा जाता था।

‘तुमन’ नाम की इस इकाई में सैनिकों की संख्या 10000 के आसपास होती थी। इन सैनिकों में मंगोलों के अनेक कुलों व कबीलों के सैनिक शामिल होते थे। यह मंगोल सेना की सबसे बड़ी इकाई होती थी। इसके नीचे मंगोल सेना की छोटी इकाइयां होती थीं। यह छोटी सैनिक टुकड़ियों चंगेज खान ने अपने पुत्रों को अलग-अलग क्षेत्रों का अधिकार देने के लिए बनाई थीं। इन्हें उनके ‘नोयान’ कहा जाता था।

मंगोल सेना में कठोर अनुशासन पर और अधिक जोर दिया जाता था। इतना कठोर अनुशासन था कि अपने अधिकारी की अनुमति के बिना सैनिक अपने समूह से बाहर भी नहीं जा सकते थे और यदि वे ऐसा करते भी तो उन्हें कठोर दंड दिया जाता था। मंगोल सेना की यह एकीकृत सेना तेरहवीं शताब्दी के आसपास चंगेज खान ने विकसित की थी।


Other questions

अब्दुल फजल कौन था? अकबरनामा को उसके महत्वपूर्ण योगदान में से एक क्यों माना जाता है स्पष्ट कीजिए!

हड़प्पा सभ्यता की मुहरों के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

‘राष्ट्रभाषा’, ‘राजभाषा’ और ‘संपर्कभाषा’ भाषा के इन तीनों रूपों में अतंर स्पष्ट कीजिए।

0

‘राष्ट्रभाषा’, ‘राजभाषा’ और संपर्क भाषा’ के तीनों रूपों में मुख्य अंतर यह है कि राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है, जो देश की सबसे मुख्य भाषा होती है, उसे देश के अधिकांश व्यक्ति बोलते हैं। उस भाषा को किसी पूरे देश में सम्मान प्राप्त होता है और वह भाषा देश की भाषा के पहचान के तौर पर मानी जाती है। ऐसी भाषा को राष्ट्रभाषा कहा जाता है । ये भाषा आधिकारिक रूप से सरकार द्वारा राष्ट्रभाषा घोषित कर दी जाती है। राजभाषा वह भाषा होती है जो सरकार द्वारा सरकारी कामकाज का कार्य करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है। किसी भी देश की सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से सरकारी कामकाज के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा ही राजभाषा कहलाती है। राजभाषा के लिए आवश्यक नही कि वह राष्ट्रभाषा हो। हालाँकि अधिकांश देशों की राष्ट्रभाषा ही राजभाषा होती है। संपर्क भाषा वह भाषा होती है, जिसे सामान्य वर्ग से संबंधित व्यक्ति एक दूसरे से बातचीत के लिए प्रयोग में लाते हैं। संपर्क भाषा एक भाषा वाले व्यक्ति का दूसरी भाषा वाले व्यक्ति से संवाद स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संपर्क भाषा भाषा अलग-अलग क्षेत्रों के बीच संपर्क का कार्य करती है।


Other questions

भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने रूप है? लिखित भाषा किसे कहते हैं? मौखिक भाषा किसे कहते हैं?

मुहावरे का भाषा पर क्या प्रभाव पड़ता है​?