कैप्टन की मृत्यु का समाचार देते समय पान वाला उदास इसलिए हो गया था, क्योंकि उसे भी कैप्टन से थोड़ा बहुत लगाव हो गया था।
कैप्टन उसकी पान की दुकान के पास ही नुक्कड़ पर अपनी चश्मे की फेरी लगता था। दिन-प्रतिदिन उसे सामना होने के कारण दोनों में कुछ ना कुछ बातचीत अवश्य होती होगी। एक ही जगह पर पूरे दिन साथ-साथ रहने के कारण आपस में लगाव होना स्वाभाविक है। इसीलिए कैप्टन की मृत्यु का समाचार देते समय पान वाला उदास हो गया था।
पान वाला जब अपनी दुकान पर बैठा रहता होगा तो कैप्टन जब अपनी फेरी पर ग्राहकों को अपना चश्मा बेच रहा होता होगा तो पान वाला भी देखता होगा। वह नेताजी के मूर्ति पर कैप्टन द्वारा चश्मा लगाने और उतारते भी देखता होगा। इन सभी कामों से सहज रूप से लगाव हो जाना स्वाभाविक है। यही कारण था कैप्टन की मृत्यु का समाचार हालदार साहब को देते समय पान वाला उदास हो गया, क्योंकि अब उसे कैप्टन के वह सारे क्रियाकलाप देखने को नहीं मिलेंगे।
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