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नेपोलियन इंग्लैंड के साथ युद्ध क्यों नहीं करना चाहता था​?

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नेपोलियन के इंग्लैंड के साथ युद्ध न करने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे, जो निम्नलिखित हैं..

  1. समुद्री शक्ति की सीमा: इंग्लैंड उस समय दुनिया की सबसे शक्तिशाली नौसेना रखता था। नेपोलियन जानते थे कि ब्रिटिश नौसेना उनकी सेना के लिए एक बड़ी चुनौती होगी, विशेष रूप से लंबी समुद्री लड़ाइयों में।
  2. भौगोलिक बाधाएं: ला मांश की जलसंधि एक बड़ी प्राकृतिक बाधा थी। इंग्लैंड पर सीधा आक्रमण करना बेहद जटिल और जोखिम भरा था।
  3. आर्थिक प्रतिबंध: वह व्यापारिक प्रतिबंधों (महाद्वीपीय प्रणाली) के माध्यम से इंग्लैंड को कमजोर करना चाहता था, बजाय सीधे युद्ध के।
  4. कूटनीतिक रणनीति: नेपोलियन अधिकतर यूरोपीय महाद्वीप पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहते थे और इंग्लैंड के साथ सीधे टकराव से बचना चाहते थे।
  5. आंतरिक चुनौतियां: फ्रांस में आंतरिक राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन उनके लिए अधिक महत्वपूर्ण थे।

हालांकि, अंततः उन्हें इंग्लैंड के साथ युद्ध करना ही पड़ा, जिसमें उनकी हार हुई और वाटरलू की लड़ाई में उनका पतन हुआ।


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नेपोलियन बोनापार्ट का संक्षिप्त इतिहास

नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म 15 अगस्त 1769 को कॉर्सिका द्वीप के अजाक्सियो शहर में हुआ था। वह एक कॉर्सिकन परिवार में पैदा हुए थे, जिसमें उनके पिता कार्लो बोनापार्ट एक वकील थे और माता लेटीशिया रामोलिनो एक मजबूत और बुद्धिमान महिला थीं।

प्रारंभिक शिक्षा के दौरान, नेपोलियन ने फ्रांसीसी सैन्य अकादमी ब्रीएन में अध्ययन किया, जहां उन्होंने अपनी सैन्य रणनीति और युद्ध कौशल को निखारा। 1785 में, वे तोप चालक के रूप में फ्रांसीसी सेना में शामिल हुए और जल्द ही अपनी असाधारण बुद्धि और नेतृत्व क्षमता के लिए प्रसिद्ध हो गए।

फ्रांसीसी क्रांति के दौरान, नेपोलियन ने तेजी से प्रगति की। 1793 में, उन्होंने टूलॉन में एक महत्वपूर्ण युद्ध में ब्रिटिश सेनाओं को पराजित करके अपनी पहचान बनाई। 1796 में, वे इटली में फ्रांसीसी सेनाओं के कमांडर बने और वहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण जीत हासिल कीं।

1799 में, नेपोलियन ने फ्रांस में एक सफल तख्तापलट किया और खुद को फ्रांसीसी गणराज्य का पहला कंसल बना दिया। 1804 में, उन्होंने स्वयं को फ्रांसीसी साम्राज्य का सम्राट घोषित कर दिया, जिससे उनकी शक्ति और प्रभाव और भी बढ़ गया।

उनके शासनकाल में, नेपोलियन ने न केवल युद्ध में अपनी असाधारण रणनीति के लिए ख्याति अर्जित की, बल्कि प्रशासनिक सुधारों और नागरिक कानून (नेपोलियनिक कोड) के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने यूरोप भर में शासन प्रणाली को प्रभावित किया।


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आपका नाम अविनाश चटर्जी है। आपके क्षेत्र के नऐ वितरण की गड़बड़ी की शिकायत डाकिए द्वारा डाक करने के लिए अपने क्षेत्र के पोस्टमास्टर को एक ई-मेल लिखिए।

ईमेल लेखन

डाक वितरण में गड़बड़ी की शिकायत

To: postmasterr.roopnagar@indiapost.gov.in
From: avinashchatterji212@gmail.com
Subject: डाक वितरण में हो रही गड़बड़ी के बाबत

सेवा में,
पोस्टमास्टर महोदय,
मुख्य डाकघर,
रूपनगर, उत्तम प्रदेश

महोदय,

मैं अविनाश चटर्जी, निवासी C-12, आदर्श विहार, रूप नगर, आपको यह पत्र हमारे क्षेत्र में डाक वितरण में हो रही गड़बड़ियों के बारे में अवगत कराने के लिए लिख रहा हूँ।

पिछले एक महीने से हमारे क्षेत्र में डाक वितरण में कई प्रकार की समस्याएँ आ रही हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है:

  1. डाक का नियमित वितरण नहीं हो रहा है। कई दिनों तक कोई डाक नहीं आती और फिर अचानक कई दिनों की डाक एक साथ मिलती है।
  2. मेरे नाम की महत्वपूर्ण डाक अक्सर पड़ोसियों के यहाँ पहुँच जाती है, और कई बार पड़ोसियों की डाक मेरे यहाँ आ जाती है।
  3. कुछ महत्वपूर्ण पत्र और बिल क्षतिग्रस्त अवस्था में मिले हैं, जिससे महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ने में कठिनाई होती है।
  4. कई बार डाकिया बिना दरवाजे पर दस्तक दिए ही डाक को मेरे घर के बाहर छोड़ देता है, जिससे कुछ पत्र गुम हो जाते हैं या खराब मौसम में भीग जाते हैं।

मैं पिछले दो महीनों से इन समस्याओं का सामना कर रहा हूँ और इसके कारण मुझे कई व्यावसायिक और व्यक्तिगत परेशानियों का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से, मेरे बैंक के कुछ महत्वपूर्ण पत्र समय पर नहीं मिलने के कारण, मुझे वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ा है।

मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इस मामले पर गंभीरता से विचार कर शीघ्र कार्यवाही करें। मैं आपके कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से मिलने को भी तैयार हूँ, यदि आप इस मामले पर और अधिक जानकारी चाहते हैं।

आपके जल्द उत्तर की प्रतीक्षा में।

धन्यवाद।

सादर,

अविनाश चटर्जी
9876543210
avinashchatterji21@gmail.com

दिनांक: 20 मार्च, 2025


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कैप्टन की देशभक्ति के बारे में लिखिए।​ (नेताजी का चश्मा)

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‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में कैप्टन इस कहानी के मुख्य पात्रों में से एक है। वह एक साधारण सा, दुबला-पतला व्यक्ति है, जो चश्मे की फेरी लगाकर अपना गुजारा करता है। एक ऐसा चरित्र है जो अपनी देशभक्ति के लिए ‘नेताजी का चश्मा’ कहानी में अद्वितीय रूप से उभरता है। हालांकि वह एक साधारण चश्मा विक्रेता है, लेकिन उनकी देशभक्ति किसी भी तरह से कम नहीं है।

कैप्टन की देशभक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति के प्रति उनका समर्पण है। वह हर दिन मूर्ति के चश्मे को साफ करता हैं और उसकी देखभाल करता है। यह छोटा सा कार्य उनकी अगाध देशभक्ति और नेताजी के प्रति सम्मान को दर्शाता है। जब मूर्ति बनी थी तो मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था। चश्मा नेता सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व की एक पहचान थी। ये बात वह जानता था, इसलिए वह रोज अपने फेरी के चश्मों में से कोई न कोई चश्मा मूर्ति पर लगा देता था।

कैप्टन को नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गहरा लगाव था। वह उनके विचारों और देशभक्ति से प्रभावित था और अपने छोटे से कार्य के माध्यम से उनकी विरासत को जीवित रखना चाहते था। कैप्टन के लिए, नेताजी की मूर्ति महज एक पत्थर का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनके आदर्शों और बलिदानों का प्रतीक थी।

नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति को वह देख नहीं सकता था। यह त्याग उसकी देशभक्ति की पराकाष्ठा का प्रतीक है। कैप्टन का यह छोटा सा कार्य दर्शाता है कि देशभक्ति सिर्फ बड़े-बड़े कार्यों या त्यागों में ही नहीं, बल्कि हमारे दैनिक जीवन के छोटे-छोटे कार्यों में भी झलकती है। उनकी देशभक्ति शोर-शराबे और प्रदर्शन से दूर, शांत और निस्वार्थ है।

कैप्टन हमें सिखाता है कि देशभक्ति का अर्थ है अपने देश के महान नेताओं और उनके आदर्शों का सम्मान करना और उनकी विरासत को जीवित रखना। उनकी देशभक्ति हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश के प्रति अपना कर्तव्य निभा सकते हैं।


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विज्ञापन की दुनिया पर एक अनुच्छेद लिखें।

अनुच्छेद

विज्ञापन की दुनिया

 

विज्ञापन आधुनिक समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है। यह उत्पादों और सेवाओं के बारे में जानकारी देने का एक प्रभावशाली माध्यम है। विज्ञापन की दुनिया रंगीन और आकर्षक है, जो हमारी इच्छाओं और आवश्यकताओं को प्रभावित करती है।

आज विज्ञापन हर जगह मौजूद हैं – टेलीविजन, रेडियो, अखबार, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर। डिजिटल क्रांति ने विज्ञापन के तरीकों को बदल दिया है। अब कंपनियां अपने लक्षित दर्शकों तक पहुंचने के लिए डेटा विश्लेषण का उपयोग करती हैं।

विज्ञापन कला और विज्ञान का संगम है। इसमें रचनात्मकता, मनोविज्ञान और रणनीति का मिश्रण होता है। अच्छे विज्ञापन हमारे दिमाग में लंबे समय तक रहते हैं और हमारे खरीदारी निर्णयों को प्रभावित करते हैं।

हालांकि, विज्ञापनों का नकारात्मक पहलू भी है। कई बार ये भ्रामक होते हैं और अवास्तविक अपेक्षाएं पैदा करते हैं।


अन्य अनुच्छेद

वसंत पंचमी पर अनुच्छेद लिखें।

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शैलेंद्र/शैलजा जोशी, नारायण चौक, अमरावती से अपने जीवन में पिता के महत्त्वपूर्ण भूमिका के प्रति व्यक्त करते हुए पत्र लिखता/लिखती है।​

अनौपचारिक पत्र लेखन

पिता को पत्र

 

दिनांक: 15 मार्च, 2025

सेवा में,
श्री ओमप्रकाश जोशी
ग्राम – सिंधोरा
तहसील – धारणी
जिला – अमरावती

विषय: पिता के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करना

आदरणीय पिताजी,
सादर प्रणाम!

आशा है कि यह पत्र आपको स्वस्थ और प्रसन्न अवस्था में मिलेगा। मैं यहाँ नारायण चौक, अमरावती में अपने नए घर में सकुशल हूँ और अपने काम में व्यस्त हूँ।

पिताजी, आज मैं इस पत्र के माध्यम से आपको यह बताना चाहता/चाहती हूँ कि मेरे जीवन में आपका क्या महत्व है। कई बार हम अपने निकटतम लोगों के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन आज मैं अपने मन की बात आपसे साझा करना चाहता/चाहती हूँ।

मेरे जीवन में आप एक मजबूत स्तंभ की तरह हैं। बचपन से लेकर आज तक, आपने मुझे हमेशा सही मार्ग दिखाया है। आपके संघर्ष और परिश्रम ने मुझे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। आपका अनुशासन और समर्पण मेरे लिए एक आदर्श रहा है।

याद है, जब मैं छोटा/छोटी था/थी, तब आप मुझे स्कूल छोड़ने रोज सुबह चार किलोमीटर पैदल चलते थे, फिर काम पर जाते थे। मेरी शिक्षा के लिए आपने कितने त्याग किए, इसका मूल्य मैं कभी नहीं चुका सकता/सकती। आपने मुझे सिखाया कि कठिनाइयों के सामने कभी न झुकें और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें।

पिताजी, आप मेरे पहले गुरु हैं। आपने मुझे सच्चाई, ईमानदारी और मेहनत का महत्व समझाया। आपका सादा जीवन और उच्च विचार मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। आपके संस्कार और मूल्य ही मेरी पहचान हैं।

जब मैंने अपनी नौकरी के लिए अमरावती आना चाहा, तब आपने बिना किसी हिचकिचाहट के मुझे समर्थन दिया। आपने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं अपने सपनों को पूरा कर सकता/सकती हूँ। आपके इस भरोसे ने मुझे आत्मविश्वास से भर दिया।

आज मैं जो कुछ भी हूँ, वह आपके त्याग, समर्पण और प्यार के कारण हूँ। आपकी छत्रछाया में मैंने जीवन के कई मूल्यवान सबक सीखे हैं। आपके बताए हुए रास्ते पर चलकर मैंने अपना स्थान बनाया है।

पिताजी, कभी-कभी हम अपने माता-पिता को उनके जीवन में ही उनके महत्व के बारे में नहीं बता पाते। आज मैं आपको बताना चाहता/चाहती हूँ कि आप मेरे जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं। आपका प्यार, मार्गदर्शन और समर्थन मेरे लिए अनमोल है।

आशा है कि आप जल्द ही मेरे नए घर आएंगे। मैं आपका इंतज़ार कर रहा/रही हूँ।

आपका आज्ञाकारी पुत्र/पुत्री,
शैलेंद्र/शैलजा जोशी
नारायण चौक, अमरावती

 


अन्य पत्र

विद्यालय में होने वाले वार्षिक समारोह में आने के लिए माता-पिता को निमंत्रण देते हुए पत्र कैसे लिखें?

अपने पिताजी को अपनी परीक्षा की तैयारी के विषय में पत्र लिखिए।

आपके बड़े भैया विदेश गए हैं। वाट्सएप पर मनपंसद सामान लाने का संदेश लिखिए।

संदेश लेखन

बड़े भैया के लिए वाट्सएप संदेश

हाय भैया! कैसे हो? विदेश मैं आपका कैसा चल रहा है? यहाँ सब ठीक है, घर पर सब आपकी याद करते हैं।

वैसे भैया, आप कब तक वापस आ रहे हैं? भैया आपने जाते समय मुझसे वादा किया था कि आप मेरे लिए विदेश से मेरा मनपंसद गिफ्ट लाओगे। भैया, क्या मेरे लिए एक अच्छी क्वालिटी की डिजिटल कैमरा ला सकते हो? मुझे कंटेट क्रियेशन के लिए एक अच्छी क्वलिटी की कैमरा चाहिए।

और हां, अगर मिल जाए तो वहां का कोई लोकल चॉकलेट या मिठाई भी ले लेना। माँ के लिए वहाँ का कोई फेमस परफ्यूम भी ले आइए, उन्होंने खास तौर पर मुझे याद दिलाने को कहा था।

कोई दिक्कत हो तो बताइए, कोई प्रेशर नहीं है। बस सुरक्षित रहिए और जल्दी घर आइए। हम सब आपका इंतज़ार कर रहे हैं।

वापस मैसेज करना, बाय भैया 👍


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नाराज हुए मित्र को मनाने के लिए एक अनूठा संदेश लिखिए।

आप राकेश गर्ग है। आपके भैया भाभी को पुत्र प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर उनके लिए एक बधाई संदेश लिखिए।

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संदेश लेखन

नाराज हुए मित्र को मनाने के लिए अनूठा संदेश

दिनाँक: **/**/****

प्रिय मित्र मनीष,

जानता हूँ, मेरी गलती से तुम्हारा दिल दुखा है। तुम्हारे मन में जो भी है, वह सही है – तुम्हारी भावनाएँ महत्वपूर्ण हैं। पर याद करो वे पल जब हमने साथ में मुश्किलें झेली थीं, हँसी-ठिठोली की थी, और एक-दूसरे का साथ दिया था।

एक पेड़ अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है, चाहे उसकी शाखाएँ कितनी भी दूर क्यों न फैली हों। वैसे ही हमारी मित्रता – उसकी जड़ें गहरी हैं।

मेरी जिंदगी में तुम्हारा स्थान कोई नहीं ले सकता। मैं वादा करता हूँ कि आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।

क्या तुम मुझे एक और मौका दोगे? कल शाम को तुम्हारी पसंद का खाना, मेरी तरफ से। फिर से पुरानी यादों को ताज़ा करेंगे।

तुम्हारा हमेशा,
संदीप ठाकुर

 


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अपने मित्र को पत्र लिखकर दशहरे के त्योहार पर अपने घर पर आमंत्रित करें।

दुर्गा पूजा त्योहार की शुभकामनाएँ देते हुए मित्र को संदेश लिखिए।

आज शिक्षा के साधन के रूप में सिनेमा बड़ा उपयोगी साबित हुआ है। जो बात कक्षा में प्रभावी नहीं हो पाती, उसी बात को परदे पर देखकर बड़ी सरलता से समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए-ऐतिहासिक घटनाओं, युद्धों आदि को परदे पर सजीव रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। विज्ञान और भूगोल जेसे विषयों की जानकारी सिनेमा द्वारा अत्यंत रोचक ढंग से की जा सकती है। सामाजिक बुराइयों; अंध-विश्वासों, कुप्रथाओं आदि को समाप्त करने में सिनेमा महत्वपूर्ण प्रस्तुत भूमिका निभा सकता है। लेकिन सिनेमा के कुछ दोष भी हैं। अंग प्रदर्शन और मारधाड़ से भरी फिल्में नई पीढ़ी को गुमराह कर रही हैं, उन्हें चरित्रहीन भी बना रही हैं। अतः आज फिल्म निर्माताओं का यह दायित्व है कि वे ऐसी फिल्में बनाएँ जो राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करने वाली, सामाजिक-सांस्कृतिक रुचियों का परिष्कार करने वाली तथा स्वस्थ मनोरंजन देने वाली हों। उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- प्रश्न- 1. सिनेमा शिक्षा के साधन के रूप में किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हुआ है? आजकल अधिकांश फिल्में किस प्रकार की होती हैं तथा उनका नई पीढ़ी पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है? 2. अच्छे सिनेमा का समाज के उत्थान में क्या योगदान होता है? 3. 4. फिल्म निर्माताओं को किस प्रकार की फिल्में बनानी चाहिए? 5. समाज से बुराइयों को खत्म करने में सिनेमा कैसे योगदान दे सकता है। 6. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।​

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दिए गए गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है….

प्रश्न 1: सिनेमा शिक्षा के साधन के रूप में किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हुआ है?

उत्तर: सिनेमा शिक्षा के साधन के रूप में निम्न प्रकार से उपयोगी सिद्ध हुआ है:

  • जो बातें कक्षा में प्रभावी नहीं हो पातीं, उन्हें परदे पर देखकर आसानी से समझा जा सकता है।
  • ऐतिहासिक घटनाओं और युद्धों को सजीव रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • विज्ञान और भूगोल जैसे विषयों की जानकारी अत्यंत रोचक ढंग से दी जा सकती है।
प्रश्न 2: आजकल अधिकांश फिल्में किस प्रकार की होती हैं तथा उनका नई पीढ़ी पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?

उत्तर : आजकल अधिकांश फिल्में अंग प्रदर्शन और मारधाड़ से भरी होती हैं, जिनका नई पीढ़ी पर निम्न दुष्प्रभाव पड़ता है। आजकल की फिल्मों से  युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है। आजकल की फिल्मों से युवाओं में चरित्रहीनता बढ़ रही है।

प्रश्न 3: अच्छे सिनेमा का समाज के उत्थान में क्या योगदान होता है?

उत्तर: अच्छे सिनेमा का समाज के उत्थान में निम्न योगदान होता है:

  • सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वासों और कुप्रथाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शिक्षा को रोचक और प्रभावी बनाता है।
  • राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक रुचियों का परिष्कार करता है।
  • स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करता है।
प्रश्न 4: फिल्म निर्माताओं को किस प्रकार की फिल्में बनानी चाहिए?

उत्तर: फिल्म निर्माताओं को ऐसी फिल्में बनानी चाहिए जो:

  • राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करने वाली हों।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक रुचियों का परिष्कार करने वाली हों।
  • स्वस्थ मनोरंजन देने वाली हों।
  • शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक हों।
प्रश्न 5: समाज से बुराइयों को खत्म करने में सिनेमा कैसे योगदान दे सकता है।

उत्तर: सिनेमा समाज से बुराइयों को खत्म करने में निम्न प्रकार से योगदान दे सकता है:

  • सामाजिक बुराइयों को प्रभावी ढंग से दिखाकर उनके विरुद्ध जनमत तैयार कर सकता है।
  • अंधविश्वासों और कुप्रथाओं के दुष्प्रभावों को दिखाकर लोगों को जागरूक बना सकता है।
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प्रश्न 6: उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

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वाणी मनुष्य के लिए परमात्मा का एक अनुपम वरदान है। इस वरदान के कारण ही मनुष्य सचमुच मनुष्य है । यह वरदान एक अभिशाप भी बन सकता है, यदि इसका उपयोग समझ कर नही किया जाय तो । बिना सोच-विचार के मुह से निकले शब्द अनर्थ कर सकते हैं। इसीलिए यह परामर्श दिया गया है कि देखो और सुनों अथिक और बोलो कम । प्रश्नः 1. वाणी का वरदान किसे प्राप्त हुआ ? प्रश्नः 2. वरदान अभिशाप कब बन सकता है ? प्रश्नः 8. शब्द अनर्थ कैसे होते हैं ? प्रश्नः 9. गद्यांश में युग्म शब्द पहचान कर लिखिए । प्रश्नः 10. उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।

क) कवि को किस प्रकार सताया गया है? ख) ‘सताए हुए को सताना’ क्यों बुरा है? ग) कवि ने दान और भीख की बात क्यों की है? घ) कवि को किसका नियन्त्रण स्वीकार नहीं है? ङ) प्रकृति के पटल पर कवि को किस प्रकार अधूरा बनाकर मिटाया गया है? च) कवि ने अपने मिलन के बारे में क्या कहा है? ​

साहब तें सेवक बड़ो जो निज धरम सुजान । राम बाँधि उतरे उदधि, लाँघि गए हनुमान ।।​ अर्थ बताएं।

साहब तें सेवक बड़ो जो निज धरम सुजान ।
राम बाँधि उतरे उदधि, लाँघि गए हनुमान ।।​

संदर्भ : ये दोहा तुलसीदास कृत ‘दोहावली’ से लिया गया है। इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास भक्त को भगवान से भी अधिक बड़ा बता रहे हैं। उनके कहने का तात्पर्य भक्ति की शक्ति की व्याख्या करना है, ये भक्ति की शक्ति ही भक्त को भगवान से बड़ा बना देती है।

अर्थ :  तुलसीदास कहते हैं कि जो सेवक अर्थात भक्त अपने धर्म अर्थात कर्तव्य को अच्छी तरह जानता है, वह अपने स्वामी से भी बड़ा हो जाता है। श्री राम ने समुद्र पार करने के लिए पुल बनवाया था, जबकि हनुमान जी ने उसे एक छलांग में ही पार कर लिया।”

इस दोहे में भक्त और स्वामी के संबंध का सुंदर वर्णन किया गया है। यह बताता है कि जब कोई भक्त या सेवक अपने कर्तव्य के प्रति पूरी तरह समर्पित होता है और अपने धर्म (कर्तव्य) को अच्छी तरह से समझता है, तो वह अपने स्वामी से भी महान कार्य कर सकता है।

रामायण के अनुसार, श्री राम ने लंका जाने के लिए समुद्र पर सेतु (पुल) बनवाया था। वह भगवान के अवतार थे ओर शक्ति से परिपूर्ण थे। वे चाहते तो एक वाण से ही समुद्र को सुखा सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी शक्ति की मर्यादा रखी।  जबकि हनुमान जी ने अपनी शक्ति और भक्ति के बल पर समुद्र को एक छलांग में पार कर लिया था क्योंकि वह भक्त थे।

व्याख्या : इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास जी ने यह समझाने का प्रयत्न किया है कि भगवान भले ही अपनी शक्ति की मर्यादा रखें, लेकिन वह अपने भक्त को असीमित शक्ति प्रदान करते हैं। भगवान राम ने अपनी मर्यादा रखते हुए अपनी शक्ति का अधिक प्रयोग नहीं किया लेकिन उनके भक्त हनुमान ने अपनी शक्तियों का भरपूर प्रयोग किया क्योंकि वे भक्त थे। भगवान अपने भक्त को असीमित शक्ति प्रदान करते हैं। यही भक्ति की महिमा है। सच्चा भक्त अपने भगवान से अधिक महिमावान हो जाता है।


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कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

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Explanation:

Among the given options, fundamental rights is not a type of equality. Instead, fundamental rights are constitutional guarantees that protect individual liberties and ensure basic human rights.

The other options represent different types of equality:

  1. Natural Similarity Equality: This refers to the inherent human worth and basic human dignity that exists regardless of individual differences.
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  3. Social Equality: This concept promotes equal opportunities and treatment in society, eliminating discrimination based on gender, race, religion, or social class. It aims to provide fair access to resources, opportunities, and social interactions.

Fundamental rights, while crucial for protecting individual freedoms, are constitutional provisions that guarantee specific protections and liberties to citizens. They are not a form of equality themselves, but rather a mechanism to ensure equal treatment and protection under the law.


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किसी छात्र और प्रदूषण के बीच हुए एक संवाद लिखिए।​

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छात्र और प्रदूषण के बीच संवाद

 

छात्र : हैलो प्रदूषण! तुम हमारे वातावरण को इतना क्यों प्रभावित कर रहे हो?

प्रदूषण : प्रिय छात्र! मैं स्वयं इस काम के लिए जिम्मेदार नहीं हूँ। मैं तो तुम मनुष्यों के कार्यों का परिणाम ही हूँ। तुम मनुष्य द्वारा चलाए जाने वाले कारखाने, वाहन, और औद्योगिक गतिविधियाँ मुझे जन्म देती हैं।

छात्र : लेकिन तुम पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो। हमारी धरती को तुम बहुत नुकसान पहुंचा रहे हो।

प्रदूषण : सच कहता है! मेरे कारण वायु, जल और मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। श्वसन संबंधी रोग, जलवायु परिवर्तन – ये सब मेरे ही परिणाम हैं।

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सही जवाब है…

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स्पष्टीकरण :

‘हिमालय’ एक ‘व्यक्तिवाचक संज्ञा’ है। व्यक्तिवाचक संज्ञा वह संज्ञा होती है, जिसमें किसी व्यक्ति अथवा स्थान विशेष का नाम स्पष्ट होता है। व्यक्तिवाचक संज्ञा किसी व्यक्ति अथवा स्थान के नाम को स्पष्ट करती है। हिमालय एक पर्वत का नाम है, जो भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। इसीलिए हिमालय एक व्यक्ति वाचक संज्ञा है।

संज्ञा से तात्पर्य व्याकरण के उस रूप से है, जो किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, गुण अथवा भाव को प्रकट करती है।

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  3. समूहवाचक संज्ञा
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  5. भाववाचक संज्ञा

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‘भारत देश सीता-सावित्री का देश है।’ इस वाक्य में ‘सीता-सावित्री’ शब्द बोध कराते हैं- 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा का 2. समूहवाचक संज्ञा का 3. जातिवाचक संज्ञा का 4. भाववाचक संज्ञा का

निम्नलिखित वाक्यों से संज्ञा छाँटिए और उसके भेद लिखिए- वाक्य 1. अध्यापिका पढ़ाती हैं। 2. सच्चाई एक अच्छा गुण है। 3. हिमालय विशाल पर्वत है। 4. हीरा बहुमूल्य रत्न है। 5. भारतीय सेना बेहद कुशल सेना है। 6. जल ही जीवन है।

How did British respond to the civil disobedience movement?

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The British response to the Civil Disobedience Movement, which was launched by Mahatma Gandhi in 1930, was severe and multifaceted:

  1. Mass arrests: The British authorities arrested tens of thousands of protesters, including prominent leaders like Gandhi, Jawaharlal Nehru, and other Congress members. By December 1930, nearly 60,000 people had been imprisoned.
  2. Violent suppression: Police often used brutal force to break up peaceful protests, including lathi (baton) charges against non-violent demonstrators. Notable instances included violence against protesters at Dharasana Salt Works.
  3. Emergency powers: The government enacted emergency ordinances that gave them extraordinary powers to suppress the movement, including the ability to ban public gatherings, censor the press, and detain people without trial.
  4. Confiscation of property: The British confiscated the property and assets of those participating in the movement, particularly targeting the Indian National Congress.
  5. Political negotiations: Eventually recognizing they couldn’t simply crush the movement through force, the British engaged in negotiations. This led to the Gandhi-Irwin Pact of 1931, where Gandhi agreed to suspend the movement in exchange for the release of prisoners and allowing salt production for personal consumption.
  6. Divide and rule tactics: The British attempted to divide the movement by holding separate conferences for different religious and social groups, culminating in the Second Round Table Conference in London.

The British response demonstrated their determination to maintain control while also revealing the limits of their power in the face of widespread non-violent resistance, which ultimately strengthened the Indian independence movement.


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What do you understand by the term ‘nabobs’? Why were some British officials given this title post the Battle of Plassey and Buxar?

Who was Titu Mir? What was his contribution?

वसंत पंचमी पर अनुच्छेद लिखें।

अनुच्छेद

वसंत पंचमी

 

वसंत पंचमी हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह त्योहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है, जो ज्ञान, संगीत, कला और विद्या की देवी हैं। छात्र अपनी किताबों और लेखन सामग्री को देवी के चरणों में रखकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

वसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से पीले रंग का महत्व होता है, जो सरसों के फूलों के रंग का प्रतिनिधित्व करता है। लोग पीले वस्त्र धारण करते हैं, पीले मिठाइयाँ खाते हैं और घरों को पीले फूलों से सजाते हैं। इस दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहाँ छात्र सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ देते हैं और सरस्वती वंदना करते हैं।

वसंत पंचमी का त्योहार प्रकृति के नवीनीकरण का भी प्रतीक है। इस समय प्रकृति नए जीवन से भर जाती है, पेड़-पौधों पर नई कोंपलें निकलती हैं और चारों ओर हरियाली छा जाती है। किसान अपने खेतों में फसलों की बुवाई शुरू करते हैं और नए वर्ष की कृषि गतिविधियों की शुरुआत करते हैं।

यह त्योहार भारतीय संस्कृति में ज्ञान और शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। यह हमें याद दिलाता है कि विद्या ही वह साधन है जिससे मनुष्य सच्चे अर्थों में समृद्ध और सफल बन सकता है। वसंत पंचमी हमें नई शुरुआत, ज्ञान की खोज और निरंतर विकास का संदेश देती है।


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प्रातः कालीन भ्रमण पर अनुच्छेद लेखन करें।

रक्षाबंधन पर अनुच्छेद लिखें, 200 शब्दों में।

What do you understand about the terms ‘prey’ and ‘predators’?​

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The terms ‘prey’ and ‘predators’ describe fundamental ecological relationships in nature:

Predators are organisms that hunt, capture, and feed on other organisms. They are typically positioned higher in the food chain. Predators have evolved various adaptations for hunting success, including heightened senses, speed, strength, stealth, or specialized hunting techniques. Examples include wolves, eagles, sharks, and spiders.

Prey are organisms that are hunted and consumed by predators. They have evolved defensive adaptations to avoid being eaten, such as camouflage, speed, protective coverings, chemical defenses, or warning coloration. Examples include rabbits, deer, small fish, and insects.

This predator-prey relationship is crucial in ecosystems as it:

  • Controls population sizes
  • Influences natural selection
  • Transfers energy through food webs
  • Helps maintain biodiversity and ecosystem balance

In some cases, animals can be both predator and prey depending on the context – for example, a fox hunts rabbits but might be hunted by wolves.


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Distinguish between consignment and sale.

What is the difference between a volcano and an earthquake?

Distinguish between consignment and sale.

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Consignment and Sale

Consignment: In a consignment arrangement, an owner (consignor) gives possession of goods to another party (consignee) who attempts to sell them. The consignor retains ownership until the goods are sold. The consignee typically earns a commission on the sale but never owns the inventory. If items don’t sell, they’re returned to the consignor. The consignee acts as an agent for the consignor.

Sale: In a sale transaction, ownership transfers immediately from seller to buyer upon payment. The buyer takes full ownership and assumes all risks and benefits associated with the goods. The original seller no longer has any claim to the items once the sale is complete. The transaction is direct, with no third party involved.

Key Differences:

  1. Ownership: In consignment, ownership stays with the consignor until sold; in a sale, ownership transfers immediately.
  2. Risk: In consignment, the consignor bears most risk; in a sale, the buyer assumes all risk.
  3. Payment: In consignment, the consignee pays the consignor only after goods sell; in a sale, payment happens at the time of transaction.
  4. Return rights: Unsold consigned goods return to the consignor; sold goods generally don’t return to the seller.

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What is the difference between a volcano and an earthquake?

Write in detail about the Gandhara Civilization.

दिए गए विषय पर दिये गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। विषय – रेल के अनारक्षित डिब्बे में यात्रा संकेत बिन्दु – यात्रा का प्रयोजन, भीतर और बाहर का दृश्य, छोटे बड़े स्टेशन, उपसंहार

अनुच्छेद

रेल के अनारक्षित डिब्बे में यात्रा

 

प्रतिवर्ष गर्मियों में मैं अपने पैतृक गाँव जाता हूँ। इस बार अचानक यात्रा करनी पड़ी, जिससे आरक्षित टिकट नहीं मिल सकी। मजबूरी में अनारक्षित डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी, जो एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई।

सुबह-सुबह स्टेशन पहुँचा तो देखा, प्लेटफॉर्म पर भीड़ का सैलाब उमड़ा हुआ था। गाड़ी आते ही मानो युद्ध छिड़ गया। लोग अपना सामान लिए खिड़कियों, दरवाजों से अंदर घुसने की होड़ में लगे थे। बड़ी मुश्किल से मैं भी अंदर पहुँचा। सीट तो मिलने से रही, खड़े होने की जगह भी मुश्किल से मिली।

डिब्बे के भीतर का दृश्य अजीब था। कोई फर्श पर बैठा था, कोई अपने सामान पर, कुछ लोग खड़े थे। विक्रेताओं की आवाज़ें – “चाय गरम… समोसे तात्ते गरम”। फेरीवाले, भिखारी, दरवाजे पर लटके यात्री, सभी एक अजीब तस्वीर पेश कर रहे थे। खिड़की से झाँकने पर हरे-भरे खेत, पहाड़ियाँ, नदियाँ और छोटे-छोटे गाँव देखने को मिले, जो मन को सुकून देते थे।

बड़े स्टेशनों पर भीड़ और बढ़ जाती, लोग घुसने-निकलने की जद्दोजहद में लगे रहते। छोटे स्टेशनों पर कुछ क्षणों का विराम, स्थानीय विक्रेताओं की पुकारें और फिर सीटी की आवाज़। हर स्टेशन अपनी कहानी कहता।

यह यात्रा कष्टदायक होने के बावजूद जीवन का एक सच्चा प्रतिबिंब थी। अनारक्षित डिब्बे की यात्रा ने मुझे सिखाया कि जीवन में सुख-सुविधाओं के बीच भी कभी-कभी असुविधाओं से गुजरना ज़रूरी है, क्योंकि इन्हीं से हमें जीवन के वास्तविक अनुभव प्राप्त होते हैं।


और अनुच्छेद

दिए गए विषय पर दिये गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 शब्दों में एक निबंध लिखिए। विषय – परिवार की बढ़ती दूरियाँ संकेत बिन्दु – भूमिका, वर्तमान समय में पारिवारिक विघटन, हानियाँ, उपाय, निष्कर्ष

दिए गए विषय पर दिये गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए – जीने की कला संकेत बिन्दु – प्रस्तावना, औरों के लिए जीना, सहयोगपूर्ण जीवन, उपसंहार

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अनुच्छेद

परिवार की बढ़ती दूरियाँ

 

परिवार समाज की आधारशिला है, जहाँ प्रेम, सम्मान और आपसी सहयोग के बंधन में लोग एक साथ रहते हैं। परिवार ही वह स्थान है जहाँ हमारी जीवन यात्रा आरंभ होती है और हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। परंतु वर्तमान समय में आधुनिकता, तकनीकी विकास और व्यस्त जीवनशैली ने पारिवारिक संबंधों में दूरियाँ पैदा कर दी हैं।

आज के समय में संयुक्त परिवार का विघटन एक गंभीर चिंता का विषय है। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक दबाव के कारण लोग अपने परिवार से दूर होते जा रहे हैं। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने भौतिक रूप से एक ही छत के नीचे रहने वाले लोगों के बीच भावनात्मक दूरियाँ पैदा कर दी हैं। इसके परिणामस्वरूप बुजुर्गों को अकेलापन, बच्चों में संस्कारों की कमी और युवाओं में तनाव जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं।

इन दूरियों से होने वाली हानियाँ अनगिनत हैं। आपसी सहयोग का अभाव, भावनात्मक सुरक्षा की कमी, परिवारिक मूल्यों का ह्रास और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ इनमें प्रमुख हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए नियमित पारिवारिक बैठकें, संयुक्त गतिविधियों का आयोजन, डिजिटल डिटॉक्स और खुले संवाद को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

निष्कर्षतः, परिवार हमारी पहचान और अस्तित्व का आधार है। इसकी मज़बूती पर ही व्यक्ति और समाज का विकास निर्भर करता है। आवश्यकता है कि हम आधुनिकता के साथ चलते हुए भी अपनी जड़ों से जुड़े रहें और पारिवारिक बंधनों को मज़बूत बनाए रखें।


कुछ और निबंध…

‘दया’ धर्म का मूल है। इस विषय पर निबंध लिखें।

‘सहनशीलता’ पर एक लघु निबंध लिखो।

दिए गए विषय पर दिये गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए – जीने की कला संकेत बिन्दु – प्रस्तावना, औरों के लिए जीना, सहयोगपूर्ण जीवन, उपसंहार

अनुच्छेद

जीने की कला

जीवन एक अनमोल उपहार है, जिसे सार्थक बनाना हमारे हाथों में है। जीने की कला का मूल मंत्र है – स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए भी जीना। जो व्यक्ति केवल अपने सुख की चिंता करता है, वह वास्तव में जीवन के वास्तविक आनंद से वंचित रह जाता है। दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढना ही जीवन का सच्चा सुख है। सहयोगपूर्ण जीवन शैली अपनाकर हम न केवल अपने जीवन को सरल बनाते हैं, बल्कि समाज में सद्भावना का वातावरण भी निर्मित करते हैं। परस्पर सहयोग से जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान संभव हो जाता है। अंततः, जीने की कला का सार है – स्वार्थ से ऊपर उठकर परोपकार की भावना से जीवन जीना, जिससे हमारा जीवन सार्थक और संतुष्टिपूर्ण बन सके।


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परिवर्तन संसार का नियम है। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

सेल्फी शाप या वरदान इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।

निश्वसन और निःश्वसन में क्या अंतर है?

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निश्वसन और निःश्वसन के बीच अंतर इस प्रकार हैं…

निश्वसन (सांस लेना) और निःश्वसन (सांस छोड़ना) श्वसन प्रक्रिया के दो अलग-अलग चरण हैं। इनके बीच निम्नलिखित अंतर हैं:

1. गैसों का प्रवाह

  • निश्वसन में वायुमंडलीय ऑक्सीजन (O₂) गैस शरीर के अंदर जाती है, अर्थात ये साँस लेने की प्रक्रिया है।
  • निःश्वसन मे कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO₂) गैस शरीर से बाहर निकलती है अर्थात ये साँस छोड़ने की प्रक्रिया है।

2. फेफड़ों की स्थिति

  • निश्वसन की प्रक्रिया में फेफड़े फैलते हैं क्योंकि इसमें साँस लेने के प्रक्रिया में ऑक्सीजन अंदर खींची जाती है।
  • निःश्वसन की प्रक्रिया में फेफड़े सिकुड़ते हैं क्योंकि इसमें साँस छोड़ने की प्रक्रिया में कार्बन डाइ ऑक्साइड बाहर छोड़ी जाती है।

3. डायाफ्राम की स्थिति

  • निश्वसन में डायाफ्राम नीचे की ओर गतिविधि करता है। इस प्रक्रिया को संकुचन कहते हैं
  • निःश्वसन: डायाफ्राम ऊपर की ओर गतिविधि करता है। इस प्रक्रिया को शिथिलन कहते हैं।

4. वक्ष गुहा का आयतन

  • निश्वसन में वक्ष गुहा का आयतन बढ़ता है।
  • निःश्वसन में वक्ष गुहा का आयतन घटता है।

5. वातावरणीय दाब

  • निश्वसन में वातावरणीय दाब अधिक होता है, फुफ्फुसीय दाब कम होता है।
  • निःश्वसन में फुफ्फुसीय दाब अधिक होता है, वातावरणीय दाब कम होता है।

6. पसलियों की गति

  • निश्वसन  में पसलियाँ ऊपर और बाहर की ओर गति करती हैं।
  • निःश्वसन: पसलियाँ नीचे और अंदर की ओर गति करती हैं

7. प्रक्रिया की प्रकृति

  • निश्वसन: यह एक सक्रिय प्रक्रिया है जिसमें ऊर्जा खर्च होती है
  • निःश्वसन: यह आमतौर पर एक निष्क्रिय प्रक्रिया है।

8. अवधि

  • निश्वसन सामान्यतः निःश्वसन की तुलना में कम समय तक चलता है।
  • निःश्वसन: सामान्यतः निश्वसन की तुलना में अधिक समय तक चलता है।

9. कार्य

  • निश्वसन का मुख्य कार्य कोशिकाओं को ऑक्सीजन पहुँचाना होता है।
  • निःश्वसन का मुख्य कार्य शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट गैसों को निकालना होता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार निश्वसन और निःश्वसन एक ही श्वसन प्रक्रिया के पूरक चरण हैं जो शरीर में गैसों के आदान-प्रदान और कोशिकीय श्वसन को सुचारू रूप से संचालित करते हैं।


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जलीय पौधों में मूलरोम नहीं होते फिर भी इन पौधों को जल के अवशोषण में कठिनाई नहीं होती, क्यों?

‘परागकण’ का समास विग्रह एवं भेद लिखिये |

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परागकण का समास विग्रह इस प्रकार होगा…

परागकण :  पराग के लिए कण
समास भेद : तत्पुरुष समास 

स्पष्टीकरण :

परागकण में तत्पुरुष समास होगा।

तत्पुरुष समास की परिभाषा के अनुसार जब दोनों पदों में दूसरा पद प्रधान हो तो वहाँ तत्पुरुष समास होता है। परागकण में दूसरा पद पद प्रधान है इसलिए यहाँ पर तत्पुरुष समास होगा।

देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
राजा का पुत्र = राजपुत्र
शर से आहत = शराहत
राह के लिए खर्च = राहखर्च
तुलसी द्वारा कृत = तुलसीदासकृत

समास के संक्षिप्तीकरण की क्रिया समासीकरण कहलाती है। समासीकरण के पश्चात जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते हैं। समस्त पद को पुनः मूल शब्दों में लाने की प्रक्रिया ‘समास विग्रह’ कहलाती है।

समास के छ: भेद हैं

  • द्वन्द्व समास
  • द्विगु समास
  • तत्पुरुष समास
  • कर्मधारय समास
  • अव्ययीभाव समास
  • बहुव्रीहि समास

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सामासिक पदों का विग्रह कर समास के भेद बताओ। (1) राजनर्तकी (2) प्रतिक्षण (2) पीताम्बर (4) नीलकमल (4) राजा (5) पूरब (5) इहलोक (6) दोषी (7) आयात (8) पूर्णिमा (9) पंकज (10) राम-लक्ष्मण (11) आजीवन (12) नीलगाय

दिए गए शब्दों का समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए। 1. आरामकुर्सी 2. स्वरचित 3. गुणहीन 4. जीवनसाथी 5. धर्मवीर 6. अधर्म 7. मालगोदाम 8. परमानंद 9. वचनामृत 10. चौमासा 11. यथानियम 12. ऊँच-नीच 13. लंबोदर 14. महावीर 15. संसारसागर 16. पंजाब 17. प्रतिवर्ष ​ 18. चक्रपाणि 19. राजमहल 20. नीलकमल

कवयित्री ने समभावी किसे कहा है?

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कवयित्री ने समभावी उन लोगों के लिए कहा है, जो समान भाव रखते हैं यानी योग और भोग के बीच का रास्ता अपनाते है, यानि दोनों के प्रति समान भाव रखते हैं। कवयित्री का कहना है कि समभावी बनकर रहना चाहिए। हमको भोग और योग के बीच के मार्ग को अपनाना चाहिए। कवयित्री का कहना है कि केवल योग को अपनाने से ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती और हमेशा भोग करते रहने से भी मन सदैव वासनाओं में लिप्त रहता है और ईश्वर से ध्यान हट जाता है। इसलिए हमें समान वाक्य भोग और योग दोनों के प्रति समान भाव रखना चाहिए। कवयित्री के कहने का भाव है कि इंद्रियों का भरण पोषण नियंत्रित और संयमित होकर करना चाहिए। इंद्रियों को केवल इतनी छूट देनी चाहिए जिससे हमारा मन ईश्वर से नहीं भटके। हमें भोग और त्याग के बीच संतुलन बनाकर बीच का मार्ग अपनाना चाहिए यानि दोनों के प्रति समभावी रहना चाहिए तभी ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है। न तो हमेें बहुत अधिक त्याग करना चाहिए और ना ही बहुत अधिक भोग करना चाहिए।


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परिमल-हीन पराग दाग-सा बना पड़ा है, हा! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।” आशय स्पष्ट करें

निम्नलिखित रचनाओं में से ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ की रचना कौन सी है? (a) कदम्ब के फूल (b) कौशल (c) इंदिरा प्रियदर्शिनी (d) बातचीत में शिष्टाचार

“जानता हूँ, युधिष्ठिर ! भली भाँति जानता हूँ। किंतु सोच लो, मैं थककर चूर हो गया हूँ, मेरी सभी सेना तितर-बितर हो गई है, मेरा कवच फट गया है, मेरे शस्‍त्रास्‍त्र चुक गए हैं। मुझे समय दो युधिष्‍ठिर ! क्‍या भूल गए मैंने तुम्‍हें तेरह वर्ष का समय दिया था ?” क) वक्‍ता कौन है ? वह क्‍या जानता था ? ख) वक्‍ता इस समय असहाय क्यों हो गया था ? ग) श्रोता को तेरह वर्ष का समय क्‍यों दिया गया था ? घ) श्रोता को जो समय दिया गया था , उसके पीछे वक्‍ता का क्‍या उद्‌देश्‍य था ? क्‍या वह अपने उद्‌देश्‍य में सफल हो सका ?

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“जानता हूँ, युधिष्ठिर ! भली भाँति जानता हूँ। किंतु सोच लो, मैं थककर चूर हो गया हूँ, मेरी सभी सेना तितर-बितर हो गई है, मेरा कवच फट गया है, मेरे शस्‍त्रास्‍त्र चुक गए हैं। मुझे समय दो युधिष्‍ठिर ! क्‍या भूल गए मैंने तुम्‍हें तेरह वर्ष का समय दिया था ?”

क) वक्‍ता कौन है ? वह क्‍या जानता था ?

उत्तर : इस संवाद में वक्ता दुर्योधन है। वह जानता था कि उसने काल रूपी जिस अग्नि को पांडव के प्रति अपने लोभ, ईर्ष्या और षडयंत्र रूपी घी देकर भड़काया था, उसी कालाग्नि में उसी का कुल और उसके साथी, भाई-बंधु सब स्वाहा हो गए, अब उसकी बारी है ।

ख) वक्‍ता इस समय असहाय क्यों हो गया था ?

उत्तर : वक्ता यानी दुर्योधन इस समय असहाय इसलिए हो गया था, क्योंकि महाभारत के लंबे युद्ध के कारण उसे निरंतर निराशा और अवसाद मिल रहा था और उसकी हार निश्चित थी। उसने अपना सब कुछ खो दिया था।

ग) श्रोता को तेरह वर्ष का समय क्‍यों दिया गया था ?

उत्तर : श्रोता यानि युधिष्ठिर को दुर्योधन ने 13 वर्ष का वनवास समय इसलिए दिया गया था क्योंकि दुर्योधन ने युधिष्ठिर से शर्त लगाई थी कि यदि युधिष्ठिर द्यूत क्रीड़ा में हार गये तो उन्हें उनको अपने सभी भाइयों सहित 13 वर्ष के वनवास के लिए जाना पड़ेगा। उसके बाद भी उन्हें उनका राज्य वापस मिलेगा।

घ) श्रोता को जो समय दिया गया था, उसके पीछे वक्‍ता का क्‍या उद्‌देश्‍य था ?

उत्तर : दुर्योधन ने पांडवों को 13 वर्ष का वनवास इसलिए दिया था क्योंकि उसने सोचा था कि 13 वर्ष के वनवास की अवधि में पांडव कमजोर पड़ जाएंगे और वन के कठिन जीवन का वे सामना नहीं कर पाएंगे। इस तरह से पांडवों की तरफ से उसे कोई चुनौती नहीं मिलेगी।

ङ.) क्‍या वह अपने उद्‌देश्‍य में सफल हो सका ?​

उत्तर : दुर्योधन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया क्योंकि उसने जैसा सोचा था कि पांडव कमजोर पड़ जाएंगे। लेकिन वैसा हुआ नहीं। बल्कि पांडव 13 वर्ष का वनवास बिताकर वापस अपने राज्य को लेने के लिए आ गए थे और वह उतनी ही मजबूती से अपने राज्य को वापस लेने के लिए तत्पर थे


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युधिष्ठिर के अनुसार मनुष्य का साथ कौन देता है ?

यदि युधिष्ठिर को राजा बना दिया गया तो कदम-कदम पर हमें अपमानित किया जाएगा। उपर्युक्त वाक्य किसने किससे कहा है?

धृतराष्ट्र ने संजय को युधिष्ठिर के पास दूत बनाकर भेजा। संजय की बात सुनकर युधिष्ठिर असमंजस में क्यों पड़ गए?

महंगाई के बारे में बातचीत करती हुई दो गृहिणियों के मध्य हुए संवाद को लिखिए।

संवाद लेखन

बढ़ती महंगाई के बारे दो गृहणियो को बीच संवाद

रमा : बहन विमला, इस महंगाई का क्या करें। जीना मुश्किल हो गया है।

विमला : सही कहती हो बहन। सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं और दालों तथा तेल के तो कहने ही क्या।

रमा : हाँ बहन, हर चीज महंगी हो रही है और हमारे पतियों की तनख्वाह उतनी की उतनी ही है। समझ नहीं आता घर का बजट कैसे बनाएं।

विमला : यही हाल मेरे घर का है। पति महीने के आखिर में जो तन्ख्वाह का हाथ में देते हैं, वह अगले 2 दिन में ही खत्म हो जाती है। उसके बाद पूरा महीना गुजारा करना मुश्किल हो जाता है।

रमा : पता नहीं हमारी सरकार क्या कर रही है। वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण क्यों नहीं रखती?

विमला : बहन मैंने सुना है आजकल दुनिया में मंदी छाई हुई है। रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई के कारण भी पर बहुत प्रभाव पड़ा है और चीजों के दाम सब जगह बढ़ रहे हैं।

रमा : पता नहीं इस महंगाई से कब छुटकारा मिलेगा। सुनने में आ रहा है कि महंगाई और बढ़ सकती है।

विमला : सही कह रही हो, बहन। भगवान करे कि सरकार इस बारे मे कुछ करे हम लोगों को महंगाई से राहत मिले, नहीं तो हम लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा।

रमा : काश! ऐसा हो।


कुछ और संवाद

पहली बार मतदान करके लौटे विजय की अपने मित्र संजय से हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

अपनी सहेली के जन्मदिन पर जाने को लेकर माँ-बेटी के बीच संवाद लिखें।

पहली बार मतदान करके लौटे विजय की अपने मित्र संजय से हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

मतदान के विषय में दो दोस्तों के बीच संवाद

 

संजय : अरे ! कैसे हो विजय ? बहुत दिनों से दिखाई नहीं दिए ।

विजय : मैं ठीक हूँ , मैं अपनी नानी के घर गया हुआ था।

संजय : ओह ! लगता है तुम वोट डाल कर आए हो ।

विजय : हाँ , आज मैंने पहली बार वोट डाला है और वोट डालकर मुझे काफी खुशी मिली है ।

संजय : अच्छा इसका मतलब आज तुम पहली बार मतदान केंद्र आए हो , तो कैसा लगा ?

विजय :- नहीं , पहले मैं अपने पापा और मम्मी के साथ यह देखने आता था कि वोट कैसे डाला जाता है । मगर अब जब खुद पहली बार वोट डाला है तो अलग तरह का एहसास हुआ है । क्या तुमने वोट डाला ?

संजय : हाँ इस बार मैंने भी वोट डाला , पिछले चुनावों के दौरान मेरी उम्र कम रह गई थी और पहचान पत्र नहीं बन पाया था । मुझे भी वोट डालकर काफी अच्छा लगा ।

विजय : मैं हमेशा से चाहता था कि मैं अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट दूँ । मतदान के वक्त सभी प्रत्याशियों का भविष्य वोटर तय करते हैं । मतदान करके अपनी शक्ति का पता चलता है ।

संजय :- मतदान का अधिकार सभी को मिलता है, ताकि जो लोग काम नहीं करते उन्हें हटाकर दूसरों को मौका दिया जा सके । मैंने पहली बार अपने मताधिकार का उपयोग किया है ।

विजय :- मैंने मतदान की पूरी प्रक्रिया का आनंद लिया है और हर बार वोट देकर अपने अधिकार का इस्तेमाल करने का संकल्प लिया है।

संजय : लेकिन मित्र विजय ऐसे बहुत से लोग है जो मतदान को महत्व ही नहीं देते हैं ।

विजय : मित्र संजय , जो लोग वोट नहीं डालते हैं, मैं उनसे सिर्फ इतनी गुजारिश करूंगा कि सभी लोग वोट जरूर करें क्योंकि यह हमारा अधिकार है।

संजय : तुम बिल्कुल सही कह रहे हो मित्र ।


कुछ अन्य संवाद

स्कूल और अस्पताल में हुए एक काल्पनिक संवाद को लिखिए।

समय के महत्व को लेकर बेटा और पिता के बीच संवाद लिखिए।

यदि आपने किसी महान व्यक्ति जीवनी पढ़ी हो तो उसके बारे में अपने विचार लिखिए।

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कुछ दिनों पहले मैंने भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी पढ़ी। इस किताब को पढ़कर मेरे विचारों में काफी परिवर्तन आया है। इस किताब को सभी को पढना चाहिे।

इस किताब का नाम है – ‘विंग्स ऑफ़ फायर एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम (1999)।

ये किताब भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आत्मकथा है । इसमें अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 1999 तक के जीवन सफर के बारे में बताया गया है । अब्दुल कलाम हिन्दुस्तान के एक महान वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ थे । उन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु हथियार कार्यक्रमों के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई ।

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम भारतीय मिसाइल प्रौद्योगिकी को एक नए स्तर, एक नई ऊँचाई पर ले गए और इसलिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में भी जाना जाता है | पूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का 2015 में आज ही के दिन निधन हो गया था। राष्ट्रपति के पद के अलावा, उन्होंने विभिन्न क्षमताओं में कार्य किया और उन्हें राष्ट्र के लिए उनके योगदान के लिए याद किया जाता है । डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने देश के सबसे महत्वपूर्ण संगठनों में से एक डीआरडीओ और इसरो में कार्य किया ।  उन्होंने वर्ष 1998 के द्वितीय पोखरण परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 2002 में कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए और 5 वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षण, लेखन और सार्वजनिक सेवा में लौट आए थे। उनका कहना था कि “सपने वे नहीं होते जो आपको रात में सोते समय नींद में आए लेकिन सपने वे होते हैं जो रात में सोने न दें ।” ऐसी बुलंद सोच रखने वाले मिसाइल मैन अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम (डॉ॰ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम) ने जब देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फक्र से ऊंचा हो गया ।

  • डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है।
  • जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था।
  • ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की।
  • इसके अलावा डॉक्टर कलाम ने भारत के विकास स्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच भी प्रदान की।
  • कलाम ऐसे तीसरे राष्ट्रपति हैं जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ है, अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्ण और डॉक्टर जाकिर हुसैन हैं।
  • यह प्रथम वैज्ञानिक हैं जो राष्ट्रपति बने हैं और प्रथम राष्ट्रपति भी हैं जो अविवाहित हैं।
  • इसके अतिरिक्त कलाम ही ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जो राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद अभी जीवित हैं। इनके पूर्व के सभी राष्ट्रपति अब इस संसार में नहीं हैं।
  • एक राष्ट्रपति के अलावा वह एक आम इनसान के तौर पर वह युवाओं की पहली पसंद और प्रेरक हैं । उनके बातें, उनका व्यक्तित्व, उनकी पहचान न केवल एक राष्ट्रपति के रूप में हैं बल्कि जब भी लोग खुद को कमजोर महसूस करते हैं

कलाम का नाम ही उनके लिए प्रेरणा बन जाता है । एक बेहद गरीब परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता प्रमाण है।


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पृथ्वी-पुत्र किस विधा की रचना है?

“सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है। बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।”​ भावार्थ बताएं।

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सहनशीलता, क्षमा, दया को तभी पूजता जग है।
बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है।

संदर्भ : यह पंक्तियां ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा रचित कविता की पंक्तियां हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने मनुष्य के सहनशीलता वाले गुण का वास्तविक अर्थ बताया है कि सहनशीलता का गुण किस व्यक्ति पर शोभा देता है।

भावार्थ : कवि कहता है कि अभी रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं कि क्षमाशीलता एक महत्वपूर्ण गुण है यानी क्षमा करना मानव का सबसे सुंदर गुण है। लेकिन क्षमा करने का यह गुण केवल बलवान और वीरों को ही शोभा देता है। क्योंकि जिसके अंदर बल है, शक्ति है, सामर्थ्य है, वही क्षमा कर सकता है। क्षमा करने का गुण उसके दूसरें गुणों के निखार देता है। कायर व्यक्ति के लिए क्षमा करने का गुण उसकी कमजोरी का प्रतीक है, क्योंकि ऐसा करके वह केवल अपनी कमजोरी को ही छुपा सकता है।


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‘दाह जग-जीवन को हरने वाली भावना’ क्या होती है ? ​

गरीबों को दान करने हेतु अपने विद्यालय में आयोजित होने वाले ‘गर्म कपड़े दान मेले’ के प्रचार के लिए एक विज्ञापन 60 शब्दों में तैयार करें।

विज्ञापन लेखन

गर्म कपड़े दान मेले का विज्ञापन

वस्त्र दान मेला आप सब को सूचित किया जाता है कि दिनांक 25/02/2025 को वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला , चेओग के प्रांगण में हर वर्ष की भांति “ गर्म कपड़े दान मेले ” का आयोजन किया जा रहा है । दिसंबर और जनवरी माह में ठंड के प्रकोप को देखते हुए , इस मेले में चेओग के विभिन्न गावों में कार्य कर रहे गरीब प्रवासी मजदूरों और उनके परिवारों में गर्म वस्त्र बांटे जाएंगे ।

सभी शिमला वासियों से अनुरोध है कि इस मेले में गर्म वस्त्र दान कर गरीबों और ज़रूरत मंदों की मदद करें ।

प्रार्थी : प्रधानाचार्य,
वरिष्ठ मध्यमिक पाठशाला,
चेओग, शिमला (हिमाचल प्रदेश)


और कुछ विज्ञापन…

गर्म कपड़ों की बिक्री हेतु एक विज्ञापन तैयार करें।

कपड़े धोने का साबुन का विज्ञापन तैयार की कीजिए।

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग से होने वाली आपराधिक घटनाएं पर रिपोर्ट लिखिए।

रिपोर्ट लेखन

मोबाइल के बढ़ते प्रयोग के होने वाली आपराधिक घटनाओं पर रिपोर्ट

 

आज मोबाइल हम सब के जीवन का एक जरूरी उपकरण बन चुका है।  जब हम मोबाइल के फायदे की बात करते हैं तो इसके कुछ नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं । जिस तरह से हमारे जीवन को सरल बनाया है इंसान इसका गुलाम बनता जा रहा है । वह अपने जीवन की कल्पना भी इसके बिना नहीं कर सकता है । उसकी दिनचर्या मोबाइल से शुरू होकर रात्रि तक इसके इर्द-गिर्द या चारों तरफ घूमती है । यदि वह मोबाइल से थोड़ी भी देर लग रहे तो उसको बेचैनी होने लगती है । यह लत मोबाइल की स्क्रीन को बार-बार टच करने से लेकर उसकी किसी भी सोशल मीडिया एप जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब किसी की भी हो सकती है । इसमें व्यक्ति अपने आसपास के माहौल से व्यक्तियों से खुद को दूर कर लेता है और मोबाइल की दुनिया में ही खुद को समेट लेता है । इसके अत्यधिक उपयोग के कारण बहुत सी शारीरिक समस्याएं जैसे सिरदर्द आंखें कमजोर होना और चिड़चिड़ापन की शिकायत होने लगती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा घातक सिद्ध होती है । से उनको भूख भी कम लगती है । शारीरिक कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

  • मोबाइल गेम्स, विशेषकर पबजी की लत ने बच्चों के स्वभाव को आपराधिक और गुस्सैल बना दिया है । वैश्विक स्तर पर इस गेम के कारण जानलेवा प्रवृत्ति के कई मामले देखने के मिले हैं ।
  • इसी साल जनवरी में पबजी की लत वाले एक बच्चे ने अपनी मां सहित 3 भाई-बहनों की हत्या कर दी थी । वाशिंगटन में भी इसी तरह के मामले देखे गए ।
  • भारत के संदर्भ में बात करें तो ऐसे मामले अक्सर रिपोर्ट किए जाते रहे हैं । सितंबर 2019 में कर्नाटक में 21 साल के नवयुवक ने अपने पिता की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि उन्होंने पबजी खेलते समय मोबाइल छीन लिया था ।
  • इसी तरह बंगाल में मोबाइल गेम को लेकर हुई बहस में एडिक्टेड युवक ने अपने भाई की हत्या कर दी थी ।
  • एक बच्चा घर वालों के द्वारा मोबाइल छीनने से नाराज होकर चला गया था । घर वालों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर उसकी तलाश की और बाद में उसे बरामद कर लिया । उसने घर वालों के द्वारा मोबाइल खेलने से मना करने और इस बात को लेकर डांटने से नाराज होकर जाने की जानकारी पुलिस को दी थी ।

ऐसे कई मामले हैं, जो इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि बच्चों में मोबाइल फोन्स की बढ़ती सहज उपलब्धता और आक्रामक गेम्स की लत काफी गंभीर रूप लेती जा रही है ।


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लैंडलाइन तथा मोबाइल फ़ोन के बीच संवाद लिखिए।

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‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में शोषक वर्ग का प्रतीक कौन है ? (i) (क) चिड़िया (ख) बगुला (ग) मछली (घ) पत्थर

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सही जवाब होगा…

(ख) बगुला

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व्याख्या

‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता में शोषक वर्ग का प्रतीक ‘बगुला’ है।

‘चंद्रगहना से लौटती बेर’ कविता केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता में बगल शोषक वर्ग का प्रतीक है वह समाज के ढोंगी लोगों का भी प्रतीक है, जो ढोंगी होने के साथ-साथ शोषण भी करते हैं। वह ऊपर से तो शरीफ होने का दिखावा करते हैं लेकिन उनका आचरण कपट भरा होता है । वह शराफत का दिखावा करके शोषण करने के अवसर की तलाश मे रहते हैं।

जिस तरह बगुला तालाब के बीच में स्थिर खड़ा रहकर ऐसा दर्शाने का प्रयत्न करता है कि वह एक संत के समान है लेकिन मौका मिलने पर वह तालाब की मछलियों को खा जाता है। उसी तरह समाज के कुछ लोग भी ऐसे ही ढोंगी होते हैं, जो शरीफ होने का दिखावा करते हैं लेकिन उनके अंदर कपट भरा होता है और मौका मिलने पर वह कमजोर और असहाय लोगों का शोषण करने से नहीं चूकते।

इस कविता में बगुला धूर्त, क्रूर और शोषक वर्ग का प्रतीक है जो दिखावटी रूप से शांत और निर्दोष दिखता है, लेकिन वास्तव में वह छल-कपट से भरा होता है। वह मछलियों (शोषित वर्ग) को अपना शिकार बनाता है।

बगुले का चित्रण एक ऐसे व्यक्ति या वर्ग के रूप में किया गया है जो दिखने में भले और शांत लगते हैं, लेकिन उनका असली चरित्र शोषणकारी होता है। वे अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का शोषण करते हैं।


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Write a letter to your friend inviting him to attend the wedding of his elder brother.

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Informal Letter

Letter to friend

Dear Rahul,

I hope this letter finds you well. I’m writing with great joy to invite you to the wedding celebration of your elder brother Amit with Priya. The wedding is scheduled for Sunday, December 15th, at the Golden Palace Banquet Hall in New Delhi.

As one of my closest friends, your presence would mean a lot to me on this special occasion. The ceremonies will begin at 7:00 PM with the traditional welcome of the baraat, followed by the wedding rituals and dinner.

I know how much you’ve been looking forward to this day, and I’m excited to share in your family’s happiness. Please do let me know if you need any help with travel arrangements.

Looking forward to celebrating this joyous occasion with you and your family.

With warm regards,
Arun


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Write a letter telling to your friend that what you use to do when you arrive early at your school?

Write a letter to principal of your school to organize an essay competition in school.

राजनीतिक सिद्धांत क्या है? राजनीतिक सिद्धांत की प्रासंगिकता का वर्णन कीजिए।

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राजनीतिक सिद्धांत वह वैचारिक आधार है जो राजनीतिक व्यवस्था, शासन और समाज के बीच संबंधों को समझने का माध्यम बनता है। यह राजनीतिक दर्शन, विचारधारा और विश्लेषण का समग्र रूप है जो शासन के सिद्धांतों को परिभाषित करता है। विभिन्न विद्वानों ने इसे अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा है – कहीं यह सामाजिक व्यवस्था का आलोचनात्मक अध्ययन है, तो कहीं तथ्य और मूल्यों का सम्मिश्रण।

राजनीतिक सिद्धांत का महत्व केवल राजनेताओं या नौकरशाहों तक सीमित नहीं है। जैसे गणित का बुनियादी ज्ञान दैनिक जीवन में उपयोगी है, वैसे ही राजनीतिक सिद्धांतों की समझ एक जागरूक नागरिक के लिए आवश्यक है, विशेषकर लोकतांत्रिक व्यवस्था में। यह न्यायाधीशों, वकीलों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही यह आम नागरिकों को भी विचारशील और परिपक्व बनाता है।

राजनीतिक सिद्धांत हमें जीवन की वास्तविकताओं से जोड़ता है। समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय जैसे मूल्य सिर्फ सैद्धांतिक अवधारणाएं नहीं हैं। हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में जाति, धर्म, लिंग या वर्ग के आधार पर भेदभाव का सामना करते हैं। राजनीतिक सिद्धांत हमें इन मुद्दों पर गंभीरता से सोचने और तार्किक समाधान खोजने की प्रेरणा देता है।

यह हमारे विचारों और भावनाओं को परिष्कृत करने में मदद करता है। वाद-विवाद में भाग लेते समय हम अपने विचारों का तर्कसंगत बचाव करना सीखते हैं। राजनीतिक सिद्धांत हमें सुव्यवस्थित ढंग से सोचने और सार्वजनिक हित में प्रभावी संवाद करने का कौशल प्रदान करता है।

निष्कर्षतः, राजनीतिक सिद्धांत एक ऐसा ज्ञान-क्षेत्र है जो न केवल शैक्षणिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक जीवन में सक्रिय और जागरूक नागरिक बनने में भी हमारी मदद करता है।


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‘राजनीति का संबंध समाज में मूल्य के आधिकारिक आवंटन से है।’ यह कथन किसका है? 1. अरस्तु 2. लास्की 3. डेविड ईस्टन 4. गार्डनर

‘बालक की कामना’ इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

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‘बालक की कामना’ कविता श्रीनाथ सिंह द्वारा रचित एक सुंदर कविता है। ये कविता एक बालक के मनोभावों को प्रस्तुत करती है।

इस सुंदर कविता से हमें राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा की शिक्षा मिलती है। कवि एक बालक के माध्यम से स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझता है और देश को सम्मानित करने का संकल्प लेता है।

इस कविता में गाँव में रहकर पशुपालन और कृषि को बढ़ावा देने की इच्छा व्यक्त की गई है। यह भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्व को दर्शाता है। कविता में बालक कहता कि कोई भी भूखा या वस्त्रहीन न रहे, जो सामाजिक समानता और जवाबदेही की भावना को दर्शाता है।

कविता में शहर में रहकर नई तकनीक सीखने और उसे गाँवों तक पहुँचाने की बात कही गई है, जो विकास के लिए आवश्यक है। ये कविता भ्रष्टाचार, घूस और बेईमानी से दूर रहने का संकल्प महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षा देती है।

कविता में कवि अपना सर्वस्व देश की सेवा में अर्पित करने की बात करता है, जो सच्चे देशभक्त की पहचान है। यह कविता आधुनिक भारत के एक आदर्श नागरिक की कल्पना प्रस्तुत करती है, जो परंपरागत मूल्यों और आधुनिक विकास में संतुलन बनाते हुए देश की सेवा करना चाहता है।


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‘नमक का दरोगा’ पाठ की विधा क्या है ? (क) उपन्यास (ग) कहानी (ख) रेखाचित्र (घ) संस्मरण​

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सही जवाब है…

(ग) कहानी

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व्याख्या

‘नमक का दरोगा’ पाठ की विधा ‘कहानी’ है। हिंदी साहित्य में कहानी विधा साहित्य की वह विधा है, जिसमें एक कथा कही जाती है। इस विधा में जो कथा कही जाती है वह किसी के जीवन से संबंधित होती है। यह कथा बहुत अधिक लंबी नहीं होती। कहानी विद्या हिंदी साहित्य की एक लोकप्रिय विधा है जिसमें सबसे अधिक साहित्य रचा गया है।

‘नमक का दरोगा’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानी है। इस कहानी में उन्होंने वंशीधर नामक एक ईमानदार दरोगा की ईमानदारी को रेखांकित किया है।

इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं। मुंशी वंशीधर जो एक ईमानदार दरोगा है तथा पंडित अलोपदीन जो एक भ्रष्ट धनी व्यक्ति है। पंडित अलोपदीन अपने अवैध नमक के बोरियों को दरोगा बंशीधर द्वारा पकड़े जाने पर रिश्वत देखकर छुड़ाने का प्रयत्न करता है, लेकिन ईमानदार दरोगा रिश्वत लेने से इनकार कर देता है। कहानी इसी घटनाक्रम पर केंद्रित है।

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सबसे महान कहानीकार रहे हैं। जिनके द्वारा रचित अनेक कहानियां हिंदी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुई है। नमक का दरोगा कहानी भी उनकी बेहद प्रसिद्ध कहानियों में से एक कहानी है

 


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ओहदे को पीर की मजार कहने में क्या व्यंग्य है? ‘नमक के दारोगा’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

घीसा की माँ ने पुनर्विवाह के प्रस्ताव को क्या कहकर मना कर दिया?

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घीसा की माँ ने पुनर्विवाह के प्रस्ताव को यह कहकर मना कर दिया कि वह शेर की विधवा है, अब भल सियार के साथ विवाह नहीं करेगी।

घीसा का पिता कोरी जाति का युवक था। जब दोनों का विवाह हुआ तो विवाह के कुछ महीनों बाद ही हैजा की बीमारी के कारण घीसा के पिता की मृत्यु हो गई। उस समय घीसा की माँ की आयु बहुत अधिक नही थी। उसके समाज और गाँव के कई विधुर और अविवाहित व्यक्तियों ने उससे विवाह करने का प्रस्ताव रखा तो घीसा की माँ ने पुनर्विवाह के प्रस्ताव को न केवल ठुकरा दिया बल्कि स्पष्ट शब्दों में अपने गर्व को प्रकट करते हुए ये कहा…
‘हम सिंघ कै मेहरारू होइके का सियारन के जाब।’

इन उत्तर के द्वारा घीसा की माँ ने कहा कि वह एक शेर समान व्यक्ति की विधवा है, वह भला तुम सियार जैसे लोगों के साथ व्यक्ति क्यों करेगी।

इस तरह घीसा की माँ ने पुनर्विवाह के प्रस्ताव को गर्व भले अंदाज में ठुकरा दिया।

टिप्पणी

“घीसा” हिंदी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार ‘महादेवी वर्मा’ द्वारा लिखा गया एक रेखाचित्र है। इसमें उन्होंने घीसा नामक एक अनाथ बालक के साथ बिताए गए अपने संस्मरणों का वर्णन किया है। घीसा एक अनाथ बालक था लेकिन उसकी पढ़ने में बेहद रूचि थी। वह एक गरीब घर का बालक था क्योंकि उसकी मां एक विधवा स्त्री थी और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण घीसा को पढ़ा पाने में सक्षम नहीं थी। महादेवी वर्मा ने घीसा को शिक्षा प्रदान करने का दायित्व उठाया था। घीसा ने भी महादेवी वर्मा को अपना गुरु मानकर उनसे पूरी लगन से शिक्षा ग्रहण की। घीसा के साथ महादेवी वर्मा के जो भी संस्करण थे, इस पाठ में उन्होंने उन्हीं संस्करणों का वर्णन किया है।


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गिल्लू को किन से आपत्ति थी ? ​(गिल्लू – महादेवी वर्मा)

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।। इस दोहे का भावार्थ लिखें।

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग।
चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग।।

संदर्भ : यह दोहा रहीमदास द्वारा रचित है। इस दोहे के माध्यम से रहीमदास ने अच्छी संगत का प्रभाव बताया है।

भावार्थ : रहीमदास कहते हैं कि जो व्यक्ति सज्जन होते हैं, जिनका स्वभाव अच्छा होता है, उन पर किसी भी तरह की कुसंगति यानी बुरी संगत असर नहीं डाल सकती। सज्जन व्यक्ति किसी भी तरह की कुसंगति से अप्रभावित रहते हैं, बिल्कुल उसी तरह जिस तरह चंदन का वृक्ष पर अनेकों जहरीले सांप लिपटे रहते हैं, लेकिन उसके बावजूद भी चंदन के वृक्ष पर उन सांपों के जहर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह अपनी सुगंध बिखेरता रहता है।

व्याख्या : इस दोहे के माध्यम से रहीमदास जी ने सज्जन व्यक्ति को स्वभाव के महत्व को बताया है। उनके अनुसार अच्छी संगत में रहने वाले सज्जन व्यक्ति बेहद दृढ़ निश्चायी होते हैं। उन पर किसी भी तरह की कुसंगति का असर नहीं होता। वह अपने संकल्प के बल पर हर तरह की कुसंगति से अप्रभावित रहते हैं।

अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने उन्होंने चंदन के वृक्ष का उदाहरण दिया है। हम सभी जानते हैं कि चंदन का वृक्ष बेहद सुगंध बिखेरता है और वह अपनी सुगंधित लकड़ियों के लिए जाना जाता है। उसकी इसी सुगंध के कारण चंदन के वृक्ष पर अनेक तरह के जहरीले सांप भी लिपटे रहते हैं, लेकिन उन जहरीले सांप के जहर का प्रभाव चंदन के वृक्ष पर नहीं पड़ता और वह अपनी मधुर सुगंध निरंतर बिखेरता रहता है। वह अपने मूल स्वभाव को नहीं छोड़ता। उस पर जहरीले सांपों की कुसंगति का कोई असर नहीं होता।

इसी तरह अच्छे स्वभाव वाला व्यक्ति पर भी किसी तरह की कुसंगति का असर नहीं होता। वह हर तरह की संगति में रहने पर भी अपनी सज्जनता को नहीं छोड़ता।


अन्य दोहे…

लैकै सुघरु खुरुपिया, पिय के साथ। छइबैं एक छतरिया, बरखत पाथ ।। रहीम के इस दोहे का भावार्थ लिखिए।

मल मल धोये शरीर को, धोये न मन का मैल। नहाये गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।। कबीर इस दोहे का भावार्थ लिखें।

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं। (गुरु पूर्णिमा पर विशेष)

क. देवों और असुरों में युद्ध क्यों छिड़ा हुआ था? ख. ब्रह्मा जी ने इंद्र को क्या उपाय बताया? ग. ऋषि दधीचि का आश्रम कैसा था? घ. इंद्र की बात सुनकर दधीचि ने क्या कहा? ङ. देवताओं ने संपूर्ण विश्व की रक्षा किसकी सहायता से की? च. इस पाठ से क्या संदेश मिलता है?​

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क. देवों और असुरों में युद्ध क्यों छिड़ा हुआ था?

उत्तर : देवों और असुरों में युद्ध इसलिए छिड़ा हुआ था क्योंकि देवों और असुरों के बीच संघर्ष का इतिहास पुराना था। असुरों ने देवताओं को एक युद्ध में पराजित कर दिया था और वह स्वर्ग पर अधिकार करना चाहते थे, लेकिन देवता असुरों को स्वर्ग पर किसी भी स्थिति में अधिकार नहीं करने देना चाहते थे।

ख. ब्रह्मा जी ने इंद्र को क्या उपाय बताया?

उत्तर :  ब्रह्मा जी ने इंद्र को यह उपाय बताया कि वह पृथ्वी लोक के महर्षि दधीचि से सहायता लें। उनकी हड्डियों से बने वज्र से असुरों को पराजित किया जा सकता है।

ग. ऋषि दधीचि का आश्रम कैसा था?

उत्तर : ऋषि दधीचि का आश्रम बेहद सुंदर और शांत था। उनका आश्रम प्रकृति की गोद में एक सुरम्य स्थान पर स्थित था, जहाँ पर बेहद शांति का अनुभव होता था।

घ. इंद्र की बात सुनकर दधीचि ने क्या कहा?

उत्तर : इंद्र की बात सुनकर ऋषि दधीचि ने कहा कि वह देवताओं की सहायता के लिए अपने शरीर का बलिदान करने के लिए तैयार हैं और उनके शरीर की हड्डियों से देवता वज्र का निर्माण कर सकते हैं।

ङ. देवताओं ने संपूर्ण विश्व की रक्षा किसकी सहायता से की?

उत्तर : देवताओं ने संपूर्ण विश्व की रक्षा महर्षि दधीचि की सहायता से की। महर्षि दाधिचि की हड्डियों से बने वज्र से देवताओं ने असुरों को पराजित किया।

च. इस पाठ से क्या संदेश मिलता है?​

उत्तर : इस पाठ से हमें यह संदेश मिलता है कि संपूर्ण विश्व के कल्याण हेतु हमें अपने सर्वस्व को बलिदान करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। संपूर्ण विश्व और जनकल्याण के लिए यदि हमें अपने शरीर का बलिदान करना पड़े तो उसके लिए भी संकोच नहीं करना चाहिए। यह पाठ हमें किसी अच्छे उद्देश्य के लिए त्याग और बलिदान की शिक्षा देता है।


अन्य प्रश्न

वैदिक शिक्षा और विज्ञान (निबंध)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रश्न-1. राजा दशरथ ने वशिष्ठ मुनि से किस बात की चर्चा की? मुनि वशिष्ठ ने क्या सलाह दी? प्रश्न-2. पुत्रेष्ठि यज्ञ’ की तैयारी राजा दशरथ ने किस प्रकार की? प्रश्न-3. राजा दशरथ की रानियां ने किन-किन पुत्रों को जन्म दिया? प्रश्न-4. महर्षि विश्वामित्र के बारे में लिखिए। प्रश्न-5. महर्षि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से क्या मांग की? (पाठ – अवधपुरी में राम)

वर्तमान समय में विद्यार्थी का क्या दायित्व होना चाहिए? इस विषय पर एक लघु निबंध लिखें।

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लघु निबंध

वर्तमान समय में विद्यार्थी का दायित्व

 

विद्यार्थी किसी भी देश के कर्णधार होते हैं, क्योंकि वह देश का भविष्य होते हैं। वर्तमान युग हो या कोई भी युग हो, विद्यार्थी का दायित्व विशेष होता है क्योंकि उनका दायित्व उनमें संस्कारों की नीव रखता है। वर्तमान तकनीक युग मे विद्यार्थी का ये दायित्व और बढ़ जाता है क्योकि तकनीक और डिजिटल क्रांति के कई लाभ होने के साथ-साथ उसके दुष्प्रभाव भी हैं। वर्तमान युग में विद्यार्थियों को तकनकी और डिजिटल संसार के इन्ही दुष्प्रभाव से बचना है और एक विद्यार्थी के रूप में अपने सभी दायित्वो को कुशलता पूर्वक निभाना है।

विद्यार्थी राष्ट्र के भविष्य के निर्माता हैं। आज के विद्यार्थी कल के नागरिक बनेंगे, जो देश की प्रगति और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसलिए उनके कंधों पर कई महत्वपूर्ण दायित्व हैं।

सर्वप्रथम, विद्यार्थियों का प्रमुख कर्तव्य है अध्ययन। उन्हें अपनी शिक्षा को गंभीरता से लेना चाहिए और अपने ज्ञान को निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए। केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्यक है। उन्हें विज्ञान, तकनीक और नवीन खोजों से अवगत रहना चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण दायित्व है चरित्र निर्माण। एक विद्यार्थी को अनुशासित, ईमानदार और नैतिक मूल्यों से युक्त होना चाहिए। समाज में फैली बुराइयों से दूर रहकर, अच्छे संस्कारों को अपनाना उनका कर्तव्य है।

तीसरा, विद्यार्थियों को समाज के प्रति भी जागरूक रहना चाहिए। उन्हें सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उनके समाधान में योगदान देना चाहिए। स्वच्छता अभियान, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाना उनका कर्तव्य है।

अंत में, विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। खेलकूद और व्यायाम को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। साथ ही, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास को बढ़ावा देना भी आवश्यक है।

वर्तमान समय में विद्यार्थियों के दायित्व बहुआयामी हैं। उन्हें शैक्षिक, नैतिक और सामाजिक सभी स्तरों पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए, क्योंकि वे ही भविष्य के कर्णधार हैं।


सबंधित प्रश्न

आपको स्कूल जाना क्यों अच्छा लगता है?​ (एक विद्यार्थी के नज़रिए से बताएं)

‘दया’ धर्म का मूल है। इस विषय पर निबंध लिखें।

विद्यालय में अनुशासन पर आलेख लिखिए।

विद्यालय के प्रधानाचार्य को विद्यालय के पुस्तकालय में अधिक पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए एक पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

विद्यालय के प्रधानाचार्य को विद्यालय के पुस्तकालय पुस्तकों की संख्या बढ़ाने का प्रार्थना पत्र

 

दिनाँक : 4 अक्टूबर 2024

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सर्वोदय विद्यालय, नरेश विहार,
राजनगर (उत्तम प्रदेश)

विषय: विद्यालय पुस्तकालय में अधिक पुस्तकें उपलब्ध कराने का अनुरोध

माननीय महोदय,
सादर नमस्कार।

मेरा नाम अखिल कश्यप है। मैं सर्वोदय विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं आपका ध्यान हमारे विद्यालय के पुस्तकालय की वर्तमान स्थिति की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। हमारा पुस्तकालय छात्रों के लिए ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, परंतु वर्तमान में यहाँ पुस्तकों की संख्या और विविधता सीमित है। इस कारण हम छात्रों को अक्सर अपनी पसंद की पुस्तकें नहीं मिल पाती हैं। इस कारण हमें दूसरे स्रोतों से पुस्तके ढूंढने में अपना समय देना पडता है।

मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि हमारे विद्यालय के पुस्तकलाय में पुस्तको की संख्या बढ़ाने हेतु उचित कदम उठायें।

मेरा सुझाव है कि..

  1. पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की नवीनतम पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएँ।
  2. क्लासिक साहित्य के साथ-साथ समकालीन लेखकों की रचनाओं को भी शामिल किया जाए।
  3. विज्ञान, गणित, इतिहास, और भूगोल जैसे विषयों पर संदर्भ पुस्तकों की संख्या बढ़ाई जाए।
  4. छात्रों की रुचि के अनुसार कुछ मनोरंजक पुस्तकें भी शामिल की जाएँ।

इन पुस्तकों के अतिरिक्त, डिजिटल संसाधनों जैसे ई-बुक्स और ऑनलाइन शैक्षणिक सामग्री की उपलब्धता भी बढ़ाई जा सकती है।

मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के सुधार से हमारे छात्रों को अधिक ज्ञान प्राप्त करने और उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।

आपके सकारात्मक निर्णय की प्रतीक्षा में।

धन्यवाद।

भवदीय,
अखिल कश्यप,
कक्षा –  10ब,
अनुक्रमांक – 03


Other questions

विद्यालय द्वारा आयोजित स्काउट/गाइड कैंप हेतु विद्यार्थियों को प्रधानाचार्य की ओर से निमंत्रित करते हुए सूचना लिखिए l

अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय को एक प्रार्थना पत्र लिखें, जिसमें कक्षा के शरारती बच्चों द्वारा अनुशासन भंग करने की शिकायत की गई हो।

ग्राम किसे कहते हैं? ग्राम की क्या विशेषताएं होती है?​

ग्राम एक महत्वपूर्ण सामाजिक और प्रशासनिक इकाई है। ग्राम या गाँव एक छोटी बस्ती होती है जो शहरी क्षेत्रों से दूर, मुख्यतः ग्रामीण इलाकों में स्थित होती है। यह एक ऐसा समुदाय है जहाँ लोग परंपरागत रूप से कृषि और संबंधित गतिविधियों में संलग्न रहते हैं।

ग्राम की प्रमुख विशेषताएँ

  • कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था : अधिकांश ग्रामवासी कृषि, पशुपालन या इससे जुड़े व्यवसायों पर निर्भर रहते हैं।
  • छोटी जनसंख्या : शहरों की तुलना में ग्रामों में जनसंख्या कम होती है।
  • प्राकृतिक परिवेश : ग्राम प्राकृतिक वातावरण से घिरे होते हैं, जिसमें खेत, जंगल, नदियाँ आदि शामिल हो सकते हैं।
  • सामुदायिक संबंध : ग्रामों में लोगों के बीच घनिष्ठ सामाजिक संबंध होते हैं।
  • परंपरागत जीवनशैली : ग्रामीण समुदाय अक्सर परंपराओं और रीति-रिवाजों को महत्व देते हैं।
  • सीमित आधुनिक सुविधाएँ : शहरों की तुलना में ग्रामों में आधुनिक सुविधाएँ कम हो सकती हैं।
  • स्वशासन : भारत में पंचायती राज व्यवस्था के माध्यम से ग्रामों का स्थानीय स्तर पर प्रबंधन होता है।
  • प्राथमिक उत्पादन : ग्राम मुख्य रूप से प्राथमिक उत्पादों जैसे अनाज, फल, सब्जियाँ, दूध आदि के उत्पादन में योगदान देते हैं।
  • सामाजिक एकरूपता : ग्रामों में अक्सर समान जाति, धर्म या संस्कृति के लोग रहते हैं।
  • धीमी गति का जीवन : शहरों की भाग-दौड़ की तुलना में ग्रामीण जीवन अपेक्षाकृत शांत और धीमा होता है।

ये विशेषताएँ ग्रामों को शहरी क्षेत्रों से अलग करती हैं और उन्हें एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती हैं।


Other questions

‘ग्राम सुधार’ विषय पर ग्राम अधिकारी एवं ग्राम सेवक के बीच संवाद लिखें।

प्रातः कालीन भ्रमण पर अनुच्छेद लेखन करें।

अनुच्छेद

प्रातः कालीन भ्रमण

 

प्रातःकाल का भ्रमण दिन की एक सुंदर शुरुआत होती है। सूर्योदय से पहले उठकर, जब हम बाहर निकलते हैं, तो प्रकृति की ताजगी का अनुभव करते हैं। ठंडी हवा के झोंके, पक्षियों का कलरव, और ओस की बूँदों से सजी हरी घास मन को प्रफुल्लित कर देती है। प्रातः कालीन भ्रमण हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होता है। यह समय व्यायाम के लिए भी उत्तम होता है, चाहे वह तेज चलना हो या जॉगिंग। नियमित प्रातः भ्रमण से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। यह दिनभर के कार्यों के लिए ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है। इस प्रकार, प्रातः कालीन भ्रमण एक स्वस्थ जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग बन जाता है। जिसने भी प्रातः कालीन भ्रमण को अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लिया वो अच्छे स्वास्थ्य की सौगात पाता है।


Other questions

परिवर्तन संसार का नियम है। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

‘प्राकृतिक संकट तथा आपदाएँ’ इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखें।

बाज़ार क्या काम करते है? टूथपेस्ट और साबुन के उदाहरण से लेखक क्या कहना चाहता है? (पाठ – उपभोक्तावाद की संस्कृति)

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बाजार उपभोक्ता को लुभाने का काम करते हैं। वह उपभोक्ता को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के लुभावने ऑफर निकालते है। बाजार अपने उत्पादों को अलग-अलग श्रेणियां में बांटकर हर बात को एक नई विशेषता से चिन्हित कर देता है और उन विशेषताओं को मुख्य रूप से बताते हुए उपभोक्ता को लुभाने का प्रयास करता है। वह एक ही उत्पाद को कई श्रेणियां में अलग-अलग विशेषताओं के साथ बांट देता है, ताकि उपभोक्ता किसी एक विशेषता की ओर आकर्षित हो या एक से अधिक विशेषता की ओर आकर्षित होकर उसके अधिक से अधिक उत्पादों को खरीदें।

टूथपेस्ट और साबुन के उदाहरण से लेखक यही कहना चाहता है। लेखक का कहना है कि बाजार में पहले एक ही तरह का टूथपेस्ट आता था। अब बाजार में अलग-अलग तरह के टूथपेस्ट आ गए हैं। कोई टूथपेस्ट दांतों को मोती जैसे चमकाने का दावा करता है तो कोई टूथपेस्ट मुंह से दुर्गंध को हटाने का दावा करता है। कोई टूथपेस्ट मसूड़े को मजबूत करने की बात कहता है तो कोई दाँतों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने का दावा करता है। किसी टूथपेस्ट में नमक है तो किसी टूथपेस्ट में नीम या बबूल के गुण मौजूद हैं। कोई टूथपेस्ट तो प्राचीन काल के ऋषि मुनियों द्वारा स्वीकृत फार्मूले पर वनस्पति और जड़ी-बूटियों द्वारा बनाया गया है। जो मर्जी आपको पसंद आए वह चुन लीजिए। यही बाजारवाद और उपभोक्तवाद की संस्कृति है।

अब तो बाजार में तरह-तरह के साबुन भी आ गए हैं। किसी में हल्की खुशबू है तो किसी में तेज खुश्बू है। कोई साबुन दिनभर तरोताजा बनाए रखने का दावा करता है, तो कोई साबुन जर्म्स और पसीनो से छुटकारा लाने का दावा करता है। कोई साबुन रंग निखारने का भी दावा करता है तो कोई साबुन शुद्ध गंगा जल से बना है। किसी साबुन को किसी सिने स्टार के साथ जोड़कर उसकी लोकप्रियता को बढ़ाया जाता है। यही उपभोक्तावाद की संस्कृति है।

लेखक का यही कहना है कि टूथपेस्ट और साबुन के माध्यम से उपभोक्ता को तरह के आकर्षक ऑफरों से लुभाया जाता है और उन्हें एक ही उत्पाद की अलग-अलग श्रेणियां को अधिक से अधिक खरीदने के लिए प्रेरित किया जाता है।


Other questions

“हर एक संस्थान का कोई न कोई विकल्प जरूर होता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

आपके क्षेत्र में बाइकर्स के स्टंट से सारे कॉलोनीवासी परेशान हैं। इस समस्या के खतरे का उल्लेख करते हुए पुलिस अधिकारी से समाधान का आग्रह करते हुए और पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

बाइकर्स के स्टंट से होने वाली परेशानी के समाधान हेतु पुलिस अधिकारी को पत्र

 

दिनाँक 2 अक्टूबर  2024

 

सेवा में,
श्रीमान वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक
,
योगी नगर पुलिस थाना,
योगी नगर कॉलोनी,
राजापुर (उत्तम प्रदेश)

णाननीय वरिष्ठ निरीक्षक महोदय,
मेरा नाम मनन अरोड़ा है। मैं योगी नगर कॉलोनी का स्थाई निवासी हूँ। मैं हमारे योगी नगर कॉलोनी में पिछले कुछ समय से बाइकर्स युवकों द्वारा फैलाए गए आतंक से आपको अवगत कराना चाहता हूँ। ये बाइकर्स युवक तरह-तरह के स्टंट करके कॉलोनी वासियों की नाक में दम किए हुए हैं। ये युवा लड़के जोश में आकर कॉलोनी की सड़कों पर तेज रफ्तार में बाइक चलाते हुए स्टंट करते हैं, जिससे आसपास से गुजरते लोगों की जान पर बन आती है। कॉलोनी वासियों द्वारा रोकने पर भी यह युवा लड़के कुछ भी नहीं सुनते और दिन हो या देर रात यह कॉलोनी की सड़कों पर स्टंटबाजी करते रहते हैं। इन युवाओं पर अपने स्टंट के वीडियों बनाकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालने का चस्का भी लगा हुआ है जिससे इनकी हरकते और बढ़ती जा रही हैं।

कई बार इन्हीं में से कुछ युवा लड़कों के साथ दुर्घटना भी हो गई है और उन्हें तो चोट आई ही है, आसापस गुजरते हुए लोगों को भी चोट आई है। लेकिन फिर भी इनके इन पर कोई असर नहीं होता है और यह अपने हरकतों से अपने साथ-साथ आसपास गुजरने वाले लोगों को जीवन को भी खतरे मे डालते रहते हैं। इनकी में स्टंटबाजी के कारण कॉलोनी के आम निवासी सड़क पर निकलते समय खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते। इस कारण हमारी कॉलोनी में आना-जाना दूभर हो गया है।

मेरा आपसे अनुरोध है, आप तुरंत इस संबंध में उचित कार्रवाई करें और इन सभी बाइकर्स युवाओं द्वारा किए जाने वाले स्टंट पर अंकुश लगाने के लिए सख्त एक्शन लें ताकि हम सभी कॉलोनी वासियों को राहत मिले। कृपया त्वरित कार्रवाई करते हुए बाइसर्क युवाओ के साथ-साथ हम सभी के जीवन को भी खतरे से बचाएं।

धन्यवाद,

भवदीय,
मनन अरोड़ा,
योगीनगर कॉलोनी,
राजापुर (उत्तम प्रदेश)


Related letters

अपने इलाके में असामाजिक तत्वों की गतिविधियों को रोकने के लिए पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखिए।

बिहार में गुंडागर्दी समाप्त करने के लिए आईजी (IG) को एक पत्र लिखें।

बैसाखी का ऐतिहासिक महत्त्व स्पष्ट कीजिए।​

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बैसाखी का त्यौहार सिख धर्म और पंजाबी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला बेहद प्रमुख त्यौहार है। यह त्योहार भारत के पंजाब राज्य में प्रमुखता से मनाया जाता है। पंजाब के अलावा हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में भी ये त्यौहार काफी जोर-शोर से मनाया जाता है। देश के अन्य हिस्सों में भी अलग-अलग रूपों में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है इस कारण इस दिन को मेष संक्रांति भी कहा जाता है।

बैसाखी का त्यौहार को अप्रैल महीने की 13 या 14 तारीख को मनाया जाता है। यह सिख, हिंदू, बौद्ध तीनों धर्मों मनााय जाने वाला त्यौहार है।

बैसाखी का ऐतिहासिक महत्त्व

1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंजाब और उत्तर भारत में यह नए कृषि वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड बैसाखी के दिन ही हुआ था। बैसाखी का त्योहार पंजाबी संस्कृति का प्रतीक है, जिसमें लोक नृत्य और संगीत का विशेष महत्व है। ये त्योहार विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग इसे मिलकर मनाते हैं। ये त्योहार पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में फसल कटाई के बाद किसानों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है। कई व्यापारी इस दिन से नया खाता शुरू करते हैं। इस त्योहार का महत्व हिंदू सौर कैलेंडर और सिख नानकशाही कैलेंडर दोनों में महत्वपूर्ण स्थान है। ये त्योहार वसंत ऋतु के आगमन और प्रकृति के नवीनीकरण का प्रतीक त्योहार है।बैसाखी का त्योहार भारत की विविधता में एकता का प्रतीक, जो विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।

इस प्रकार, बैसाखी न केवल एक त्योहार है, बल्कि भारतीय इतिहास, संस्कृति और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


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त्योहारों का जीवन में महत्व और संदेश (निबंध)

अपने मित्र को पत्र लिखकर दशहरे के त्योहार पर अपने घर पर आमंत्रित करें।

स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का एकछत्र राज्य लगभग 15 वर्षों तक बने रहने के कारण बताइए।

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स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस का एकछत्र राज्य लगभग 15 वर्षों तक बने रहने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं…

1. स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत : कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने वाला प्रमुख संगठन था, जिससे उसे जनता का व्यापक समर्थन मिला।

2. मजबूत नेतृत्व : जवाहरलाल नेहरू जैसे करिश्माई नेताओं की उपस्थिति ने कांग्रेस को लोकप्रिय बनाए रखा।

3. राष्ट्रीय स्तर का संगठन : कांग्रेस के पास देशव्यापी मजबूत संगठनात्मक ढाँचा था, जो अन्य दलों के पास नहीं था।

4. विपक्ष की कमजोरी : इस अवधि में कोई मजबूत विपक्षी दल नहीं था जो कांग्रेस को चुनौती दे सके।

5. समावेशी नीतियाँ : कांग्रेस ने सभी वर्गों और समुदायों को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई।

6. आर्थिक नीतियाँ : मिश्रित अर्थव्यवस्था और पंचवर्षीय योजनाओं ने विकास की आशा जगाई।

7. गुटनिरपेक्ष विदेश नीति : नेहरू की गुटनिरपेक्ष नीति ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया।

8. सामाजिक सुधार : जाति प्रथा उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण जैसे कदमों ने व्यापक समर्थन दिया।

ये सभी कारण थे जिन्होंने कांग्रेस को लंबे समय तक भारतीय राजनीति पर अपना प्रभुत्व बनाए रखे में मदद की।


Other questions

भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?

म्यानमार को आज़ादी किसके नेतृत्व मे और कब मिली?

शीत युद्ध से क्या तात्पर्य है?

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शीत युद्ध से तात्पर्य उस युद्ध से होता है जो दो या दो से अधिक पक्षों के बीच बिना किसी हथियार के लड़ा जाता है। ऐसा युद्ध सामान्यतः दो देशों के बीच होता है। इस युद्ध में युद्ध से मैदान में हथियारों से युद्ध नही लड़ा जाता ना ही इस युद्ध में सक्रिय रूप से कोई सैनिक भाग लेते हैं। इस युद्ध में कोई हताहत नहीं होता।

शीत युद्ध एक तरह की तनावपूर्ण होड़ होती है जो दो शक्तियों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रहती है।ये युद्ध राजनीतििक और कूटनीतिक स्तर पर दो देशों के बीच लड़ा जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा और लोकप्रिय शीतयुद्ध अमेरिका और सोवियत संघ के बीच लड़ा गया था।  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चला लंबा तनावपूर्ण संघर्ष, जो लगभग 1947 से 1991 तक चला।

इसकी मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार थीं:

1. प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष का अभाव : दोनों देशों ने कभी सीधे युद्ध नहीं किया।

2. वैचारिक प्रतिद्वंद्विता : पूंजीवाद बनाम साम्यवाद का टकराव।

3. हथियारों की होड़ : दोनों पक्षों ने बड़े पैमाने पर परमाणु हथियार जमा किए।

4. प्रभाव क्षेत्र का विस्तार : दोनों देश अन्य देशों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे रहे।

5. अप्रत्यक्ष युद्ध : कोरिया, वियतनाम जैसे देशों में परोक्ष रूप से लड़ाई।

6. जासूसी और प्रचार युद्ध : O-दूसरे की गतिविधियों पर नज़र रखना।

7. अंतरिक्ष और तकनीकी प्रतिस्पर्धा : चंद्रमा पर पहुँचने की दौड़ जैसी गतिविधियाँ।

8. गुटनिरपेक्ष आंदोलन: कई देशों ने तटस्थ रहने का प्रयास किया।

शीतयुद्ध का अंत 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ हुआ, जिसने विश्व राजनीति को एक नया आकार दिया।

इस तरह इस युद्ध को शीत युद्ध कहा गया। जब भी किन्हीं दो देशों के बीच ऐसे ही तनावपूर्ण होड़ वाले संबंध होते हैं तो ऐसी स्थिति को शीत युद्ध ही कहा जाता है।


Other questions

यूरोपीय संघ स्वयं काफी हद तक एक विशाल राष्ट्र राज्य की तरह काम कर रहा है।” इस कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।

संधि कुरुत (सन्धि कीजिए) (1) क्लेदयन्ति + आपः (2) तदा+ आत्मानम् (3) नर + अपराणि (4) जीर्णानि +अन्यानि (5) कर्मणि + एव (6) सृजामि + अहम्​

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संधि कुरुत (सन्धि कीजिए)

(1) क्लेदयन्ति + आपः — क्लेदयन्त्यापो

(2) तदा+ आत्मानम् — तदात्मानम्

(3) नर + अपराणि — नरापराणि

(4) जीर्णानि +अन्यानि — जीर्णान्यानि

(5) कर्मणि + एव — कर्मण्येव

(6) सृजामि + अहम्​ — सृजाम्यहम्

संधि :

“वर्णानां सामीप्ये यत् परिवर्तनं भवति तत् संधिः इति कथ्यते। पदान्तवर्णस्य पदादिवर्णेन सह मेलनं संधिः। यथा – देव + आलयः = देवालयः।”

संधिविच्छेदः

“संधियुक्तपदानां पृथक्करणं संधिविच्छेदः। संहितायाः पदविभागः संधिविच्छेदः इति अपि उच्यते। यथा – देवालयः = देव + आलयः।”


अन्य प्रश्नः

‘चक्रमस्ति’ का संधि-विच्छेद क्या होगा? ​

निम्नलिखित शब्दों में संधि कीजिए- 1. सम् + चय 2. वाक् + मय 3. राका + ईश 4. सत् + मार्ग 5. निः + पक्ष 6. सु + आगत 6. उत् + लेख 7. एक + एक 8. तत् + लीन 9. तपः + बल

1. मातृभूमि को अमरों की जननी क्यों कहते हैं? 2. गाजर को भी मेजों पर क्यों स्थान मिलने लगा है? 3. आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय पायी है? 4. परसाईजी सम्मेलन में किस उद्देश्य से गये? 5. ‘अभिनव मनुष्य’ कविता के द्वारा मनुष्य की भौतिक साधना क्या है? 6. कृष्ण अपनी माता यशोदा के प्रति क्यों नाराज़ है? 7. ‘सोशल नेटवर्किंग’ एक क्रांतिकारी खोज है। कैसे? 8. लेखक कमरा छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया?​

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1. मातृभूमि को अमरों की जननी क्यों कहते है?

उत्तर : मातृभूमि को अमरों की जननी इसलिए कहा जाता है क्योंकि मातृभूमि अपने वीर सपूतों और महान व्यक्तियों को जन्म देती है, जो देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं। मातृभूमि की मिट्टी से जुड़े लोग अपने देश के लिए महान कार्य करते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। इस प्रकार, मातृभूमि उन महान आत्माओं को जन्म देती है जो अपने कार्यों, विचारों और बलिदानों से अमर हो जाते हैं, इसलिए उसे ‘अमरों की जननी’ कहा जाता है।

2. गाजर को भी मेजों पर क्यों स्थान मिलने लगा है?

उत्तर : गाजर को भी मेजों पर स्थान मिलने लगा है क्योंकि आजकल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। गाजर पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसके स्वास्थ्य लाभों को पहचाना गया है। इसलिए अब यह केवल पशुओं का चारा नहीं रही, बल्कि मानव आहार में भी महत्वपूर्ण स्थान पा रही है।

3. आधुनिक पुरुष ने किस पर विजय पायी है?

उत्तर : आधुनिक पुरुष ने प्रकृति पर इस तरह विजय पायी है कि मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक के माध्यम से प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करना और उनका उपयोग करना सीखा है।

4. परसाईजी सम्मेलन में किस उद्देश्य से गये?

उत्तर : परसाईजी सम्मेलन में मज़ाक उड़ाने के उद्देश्य से गए। वे ऐसे सम्मेलनों की निरर्थकता और दिखावटीपन का व्यंग्यात्मक चित्रण करना चाहते थे।

5. ‘अभिनव मनुष्य’ कविता के द्वारा मनुष्य की भौतिक साधना क्या है?

उत्तर : “अभिनव मनुष्य” कविता के अनुसार, मनुष्य की भौतिक साधना प्रकृति पर विजय पाना और उसे अपने अनुकूल बनाना है। मनुष्य ने विज्ञान और तकनीक के माध्यम से प्राकृतिक शक्तियों को नियंत्रित करना सीखा है।

6. कृष्ण अपनी माता यशोदा के प्रति क्यों नाराज़ है?

उत्तर : कृष्ण अपनी माता यशोदा से नाराज़ हैं क्योंकि वे उन्हें दूध पीने के लिए मजबूर कर रही हैं। कृष्ण बड़े होने का दावा करते हुए दूध पीने से इनकार कर रहे हैं।

7. ‘सोशल नेटवर्किंग’ एक क्रांतिकारी खोज है। कैसे?

उत्तर : ‘सोशल नेटवर्किंग’ एक क्रांतिकारी खोज है क्योंकि इसने संचार और सूचना के आदान-प्रदान के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। यह दुनिया भर के लोगों को जोड़ने, विचारों को साझा करने और तत्काल संवाद स्थापित करने का एक शक्तिशाली माध्यम बन गया है।

8. लेखक कमरा छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया ?​

उत्तर : लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय लिया क्योंकि वह वहाँ की परिस्थितियों से असंतुष्ट था। संभवतः कमरे में कोई समस्या थी या वह अपने रहने की जगह बदलना चाहता था।


Other questions

‘भारत के रूप अनेक’ इस विषय पर एक लघु निबंध लिखें।

हिन्दी भाषा में बोलते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। – बाँध शीश पर कफन बढ़े चलो जवान, आँधियों को मोड़ दे तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान। ​

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इन पंक्तियों का भावार्थ इस  प्रकार है…

बाँध शीश पर कफन बढ़े चलो जवान,
आँधियों को मोड़ दे तू बन के तूफान।
बढ़े चलो जवान। ​

संदर्भ :  यह पंक्तियां कवि ‘शिवराज भारतीय’ द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो जवान’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने देश की रक्षा के लिए युद्ध भूमि की ओर जा रहे सैनिकों को प्रेरणा देने का कार्य किया है।

भावार्थ : कवि कहते हैं कि सैनिकों तुम जो युद्ध भूमि में देश की सीमा और आन-बान की रक्षा करने के लिए जा रहे हो तो अपने सिर पर कफन बांधकर चलो। तुम निरंतर आगे बढ़ते रहो। कोई भी आंधी तूफान तुम्हारे निश्चय से तुम्हें डिगा नहीं सकता बल्कि तुम्हें आंधियों की दिशाओं को भी बदल देना है। तुम तूफान बनाकर आगे बढ़ते चलो और दुश्मन पर कहर बनकर टूट पड़ो। तुम्हें देश की रक्षा करने के लिए अपनी जान की भी परिवार नहीं करनी है और ऐसी कोई भी परिस्थिति आने पर अपना बलिदान करने में संकोच नहीं करना है।

‘बढ़े चलो जवान’ नामक कविता कवि शिवराज भारतीय द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने देश की रक्षा में लगे सैनिकों को प्रेरणा देने का कार्य किया है। पूरी कविता इस प्रकार है…

बांध शीश पर कफन
बढ़े चलो जवान,
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान

हिन्द की सरहद को
पार जा करे,
उसके शीश पर पलट
तू काल सा पड़े।
तुझसे होनहार पे,
हम सबको है गुमान।
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान

वीरों की धरा पे तूने
है लिया जन्म,
मां के वीर लाड़लो की
है तुझे कसम !
काल भी हो सामने,
उखड़ न पाए पांव।
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान


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वीर पुरुष जो देश पर बलिदान हो जाते हैं, वे दुख-सुख को समान भाव से क्यों देखते हैं?

गुरू पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत। वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।। (भावार्थ बताएं)

वंशागति और विविधता इन दो शब्दों से क्या तात्पर्य है?

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वंशागति और विविधता जीवविज्ञान के दो महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं। इन दोनों अवधारणाओं की विस्तृत व्याख्या इस प्रकार है…

वंशागति (Heredity)

वंशागति का अर्थ है मातापिता से संतान में गुणों का हस्तांतरण। इसके मुख्य बिंदु हैं:

  • यह जीन्स के माध्यम से होती है, जो DNA में मौजूद होते हैं।
  • शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक लक्षण वंशानुगत हो सकते हैं।
  • मेंडल के नियम वंशागति के मूल सिद्धांतों को समझाते हैं।
  • कुछ लक्षण प्रभावी होते हैं, जबकि अन्य अप्रभावी।
  • वंशागति जैव विकास का आधार है।

विविधता (Variation)

विविधता एक ही प्रजाति के भीतर या विभिन्न प्रजातियों के बीच पाए जाने वाले अंतर को दर्शाती है। इसके प्रमुख पहलू हैं:

  • यह प्राकृतिक चयन और अनुकूलन का आधार है।
  • आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक विविधता उत्पन्न करते हैं।
  • यह एक प्रजाति की जीवित रहने की क्षमता बढ़ाती है।
  • विविधता जैव विविधता का मूल है।
  • यह नए लक्षणों और प्रजातियों के विकास में मदद करती है।

संबंध

वंशागति और विविधता परस्पर संबंधित हैं। वंशागति विशेषताओं को पीढ़ियों तक पहुंचाती है, जबकि विविधता इन विशेषताओं में अंतर लाती है। दोनों मिलकर जैविक विकास और अनुकूलन को संभव बनाते हैं।

इन अवधारणाओं की समझ आधुनिक जीवविज्ञान, चिकित्सा विज्ञान और कृषि में महत्वपूर्ण है।


Other questions

अनुवांशिक लक्षणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चरणबद्ध संचरण क्या कहलाता है?

What is plasma, and what are its properties?​

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Plasma is often referred to as the fourth state of matter, alongside solids, liquids, and gases. It’s a unique and fascinating state with distinct properties. Let’s explore what plasma is and its key characteristics:

Definition of Plasma:

Plasma is an ionized gas consisting of positively charged ions and free electrons. It’s formed when a gas is heated to extremely high temperatures or subjected to strong electromagnetic fields, causing electrons to separate from atoms.

Properties of Plasma:

1. Electrical conductivity:
  • Plasma is an excellent conductor of electricity due to the presence of free charged particles.
  • It can respond to and generate electromagnetic fields.
2. Quasi-neutrality:
  • Overall, plasma is electrically neutral, with roughly equal numbers of positive and negative charges.
  • Local imbalances can occur, leading to interesting phenomena.
3. Collective behavior:
  • Particles in plasma interact collectively, showing complex behaviors and self-organization.
  • This leads to phenomena like plasma oscillations and waves.
4. Temperature:
  • Plasma can exist at extremely high temperatures, often millions of degrees Celsius.
  • In some cases, electrons and ions can have different temperatures (non-thermal plasma).
5. Low density:
  • Despite high temperatures, plasma often has low density compared to solids or liquids.

6. Debye shielding:
– Plasma can shield out electric potentials applied to it, known as Debye shielding.
– This occurs over a characteristic distance called the Debye length.

7. Magnetization:
  • Plasma can be strongly influenced by magnetic fields.
  • This property is crucial in applications like fusion reactors and plasma confinement.
8. Emission of electromagnetic radiation:
  • Excited atoms and ions in plasma emit light, which can be used for spectroscopic analysis.
9. Scalability:
  • Plasma phenomena can occur on vastly different scales, from tiny flames to vast regions of space.
10. Non-linear behavior:
  • Plasma often exhibits non-linear responses to stimuli, leading to complex and sometimes unpredictable behavior.

Examples of Plasma:

  • Natural: The sun, lightning, aurora borealis
  • Man-made: Neon signs, plasma TVs, fusion reactors, plasma cutting torches

Applications:

Plasma’s unique properties make it useful in various fields, including:

  • Astrophysics (studying stars and space plasmas)
  • Fusion energy research
  • Materials processing and semiconductor manufacturing
  • Medical treatments (plasma sterilization)
  • Lighting technologies

Understanding plasma and its properties is crucial for advancing technologies in energy, space exploration, and materials science, among other fields. Its complex behavior continues to be an active area of research in physics and engineering.


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What is difference between sexual and asexual reproduction.

1. दंडकवन में राम के आने का समाचार सुनकर ऋषि-मुनि क्यों प्रसन्न हुए? 2. राम ने ऋषियों से क्या प्रतिज्ञा की ? 3. शूर्पणखा कौन थी ? राम-लक्ष्मण ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों ? 4. रावण ने सीता का हरण किस प्रकार किया ? 5. मारीच कौन था? मारीच ने रावण को राम से शत्रुता न करने की सलाह क्यों दी? 6. कबंध राक्षस का नाम कबंध कैसे पड़ा ? कबंध ने राम को क्या सलाह दी ? 7. शबरी ने राम-लक्ष्मण का स्वागत कैसे किया ?

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1. दंडकवन में राम के आने का समाचार सुनकर ऋषि-मुनि क्यों प्रसन्न हुए?

उत्तर :  ऋषि-मुनि इसलिए प्रसन्न हुए क्योंकि वे राम के दिव्य चरित्र और शक्ति से परिचित थे। उन्हें आशा थी कि राम राक्षसों से उनकी रक्षा करेंगे। राम के दर्शन पाने की उनकी इच्छा पूरी होने वाली थी। उन्हें विश्वास था कि राम की उपस्थिति से वन में शांति और सुरक्षा आएगी।

2. राम ने ऋषियों से क्या प्रतिज्ञा की?

उत्तर : राम ने ऋषियों से प्रतिज्ञा की कि वे राक्षसों से ऋषियों की रक्षा करेंगे। वे वन में शांति और सुरक्षा स्थापित करेंगे। वे ऋषियों के आश्रमों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। वे अपने वनवास काल में धर्म की रक्षा करेंगे।

3. शूर्पणखा कौन थी? राम-लक्ष्मण ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों?

उत्तर :  शूर्पणखा रावण की बहन थी। राम-लक्ष्मण ने उसके साथ कठोर व्यवहार किया क्योंकि वह राम से विवाह करना चाहती थी और माता सीता को मारने की धमकी दे रही थी। राम के द्वारा शूर्पणखा के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने के बाद उसने अपना असली राक्षसी रूप दिखाया और आक्रामक हो गई। उसके दुष्ट इरादों को रोकने के लिए लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए।

4. रावण ने सीता का हरण किस प्रकार किया?

उत्तर : रावण ने सीता का हरण करने के लिए सबसे पहले उसने मारीच को स्वर्ण मृग का रूप धारण करने को कहा ताकि वह मृग का भ्रम के द्वारा राम को कुटिया में सीता से अलग किया जा सके। जब राम मृग का पीछा करने गए, तब रावण ने संन्यासी का वेश धारण किया और राम-सीता की कुटिया में आ गया। सीता कुटिया में एकदम अलग थीं, क्योंकि सीता ने लक्ष्मण को भी राम के पीछे भेज दिया था। सीता को छलने के बाद, रावण ने अपना असली रूप दिखाया और उसे बलपूर्वक अपने रथ में ले गया।

5. मारीच कौन था? मारीच ने रावण को राम से शत्रुता न करने की सलाह क्यों दी?

उत्तर :  मारीच एक राक्षस था जो रावण का मामा था। उसने रावण को राम से शत्रुता न करने की सलाह दी क्योंकि वह राम की दिव्य शक्ति से परिचित था। उसे पता था कि राम से शत्रुता लंका के विनाश का कारण बन सकती है। वह रावण के हित की चिंता करता था और उसे विनाश से बचाना चाहता था।

6. कबंध राक्षस का नाम कबंध कैसे पड़ा? कबंध ने राम को क्या सलाह दी?

उत्तर : कबंध का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उसका सिर और पैर शरीर में समा गए थे, जिससे वह एक विशाल कबंध (बैरल) जैसा दिखता था। कबंध ने राम को सलाह दी कि वह सुग्रीव से मित्रता कर लें। उसने राम को पंपा सरोवर के तट पर जाने की, जहां सुग्रीव निवास करता था। उसने राम को सुग्रीव की सहायता से सीता की खोज करने की सलाह भी दी।

7. शबरी ने राम-लक्ष्मण का स्वागत कैसे किया?

उत्तर : शबरी ने राम-लक्ष्मण का स्वागत करने के लिए पहले अपने आश्रम को साफ-सुथरा किया। उसने राम-लक्ष्मण को मीठे बेर खाने के दिए। उसने स्वयं चखकर मीठे बेर राम को अर्पित किए। उसने राम-लक्ष्मण को आतिथ्य प्रदान किया और उनकी सेवा की। उसने राम को पंपा सरोवर और सुग्रीव के बारे में बताया।


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धनेन बलवाल्लोके धनाद् भवति पण्डित:। पश्यैनं मूषकं पापं स्वजाति समतां गतम्। इस संस्कृत श्लोक का हिंदी अर्थ लिखें।

‘उषा की दीपावली’ और ‘मुस्कुराती चोट’ लघु कथा द्वारा प्राप्त संदेशों को लिखिए।

बाहर खाना खाने जाने के सम्बंध में पिता पुत्री के मध्य संवाद लेखन कीजिए।

संवाद

पिता पुत्री के मध्य संवाद

 

पिता ⦂ बेटी, आज शाम को क्या प्लान है?

पुत्री ⦂ पापा, मैं सोच रही थी कि आज हम सब बाहर खाना खाने चलें। क्या आप भी चलेंगे?

पिता ⦂ बाहर? लेकिन बेटा, घर पर भी तो अच्छा खाना बनता है। फिर बाहर जाने की क्या जरूरत?

पुत्री ⦂ हाँ पापा, मम्मी का खाना बहुत अच्छा होता है। लेकिन कभी-कभी बाहर जाना भी अच्छा लगता है। नया माहौल, अलग-अलग व्यंजन…

पिता ⦂ समझ सकता हूँ। लेकिन बाहर का खाना महंगा भी होता है और स्वास्थ्य के लिए भी ठीक नहीं होता।

पुत्री ⦂ आप सही कह रहे हैं पापा। लेकिन हम एक अच्छे रेस्तरां में जा सकते हैं जहाँ स्वास्थ्यवर्धक विकल्प भी हों। और रही बात खर्च की, तो मैंने अपनी पॉकेट मनी से कुछ बचत की है।

पिता ⦂ वाह! तुमने बचत भी की? यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन फिर भी…

पुत्री ⦂ पापा, प्लीज़! आज मम्मी को भी आराम मिल जाएगा। और हम सब साथ में कुछ समय बिता सकेंगे। आपको याद है, पिछली बार जब हम गए थे, कितना मजा आया था?

पिता ⦂ (मुस्कुराते हुए) हाँ, वो दिन बहुत अच्छा था। ठीक है, चलो आज चलते हैं। लेकिन याद रखना, यह एक विशेष अवसर है, रोज की आदत नहीं बननी चाहिए।

पुत्री ⦂ (खुशी से) धन्यवाद पापा! आप बेस्ट हैं! मैं अभी मम्मी को बताती हूँ। हम सब मिलकर तय करेंगे कि कहाँ जाना है।

पिता ⦂ ठीक है बेटा। और हाँ, अगली बार जब बाहर जाएँगे, तो तुम्हें अपनी बचत से खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। यह मेरी तरफ से एक इनाम है तुम्हारी जिम्मेदारी और समझदारी के लिए।

पुत्री ⦂ (पिता को गले लगाते हुए) आप सच में दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं! मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।

पिता ⦂ मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बेटा। चलो, अब जल्दी से तैयार हो जाओ।


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ऑनलाइन शिक्षा तथा ऑफ़लाइन शिक्षा के बीच अन्तर करते हुए दो मित्रों के मध्य संवाद लिखिए।

सिन्धु घाटी की सभ्यता के नष्ट होने के कौन-कौन से कारण थे?

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सिन्धु घाटी की सभ्यता के पतन के कई संभावित कारण माने जाते हैं। यहां मुख्य कारणों का उल्लेख किया गया है

1. जलवायु परिवर्तन

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन में जलवायु परिवर्तन का महत्वपूर्ण योगदान रहा। लंबे समय तक चले सूखे ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे खाद्य संकट उत्पन्न हुआ। सरस्वती नदी का सूखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह क्षेत्र की जीवनरेखा थी। नदियों के मार्ग में परिवर्तन ने जल संसाधनों की उपलब्धता को कम किया, जिससे सिंचाई और पेयजल की समस्या उत्पन्न हुई।

2. प्राकृतिक आपदाएं

बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने सिंधु घाटी सभ्यता को गंभीर रूप से प्रभावित किया। बार-बार आने वाली बाढ़ ने शहरों और कृषि भूमि को नष्ट किया, जिससे आर्थिक और सामाजिक संरचना को गहरा आघात पहुंचा। भूकंप ने भवनों और जल प्रबंधन प्रणालियों को क्षतिग्रस्त किया, जिससे शहरी जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इन आपदाओं से निपटने में असमर्थता ने सभ्यता की गिरावट को तेज किया।

3. पर्यावरणीय गिरावट

वनों की अंधाधुंध कटाई, मिट्टी का क्षरण और कृषि भूमि की उर्वरता में कमी ने पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ दिया। वनों के कटने से जल चक्र प्रभावित हुआ और वन्यजीवों का आवास नष्ट हुआ। मिट्टी के क्षरण ने कृषि उत्पादकता को कम किया, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ी। लगातार खेती से भूमि की उर्वरता घटी, जिसने दीर्घकालिक कृषि विकास को बाधित किया।

4. आर्थिक कारण

व्यापार मार्गों में परिवर्तन और आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के प्रमुख आर्थिक कारण थे। नए व्यापार केंद्रों का उदय होने से सिंधु घाटी के शहरों का महत्व कम हुआ। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, जैसे वनों की कटाई और खनिजों का अत्यधिक खनन, ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता को खतरे में डाला।

5. सामाजिक-राजनीतिक कारण

शासन व्यवस्था में गिरावट और सामाजिक असंतोष ने सिंधु घाटी सभ्यता को कमजोर किया। केंद्रीय नियंत्रण का कमजोर होना, शहरों के बीच समन्वय की कमी, और सामाजिक वर्गों के बीच बढ़ती असमानता ने आंतरिक संघर्ष को जन्म दिया। यह राजनीतिक अस्थिरता सभ्यता के समग्र पतन में एक महत्वपूर्ण कारक बनी।

6. बाहरी आक्रमण

कुछ विद्वान आर्य आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का एक कारण मानते हैं, हालांकि यह विषय अभी भी विवादास्पद है। यदि ऐसा हुआ भी, तो यह संभवतः एक लंबी प्रक्रिया थी, न कि एक अचानक घटना। बाहरी समूहों के आगमन ने स्थानीय संस्कृति और सामाजिक संरचना को प्रभावित किया होगा, जिससे सभ्यता की मूल विशेषताओं में परिवर्तन आया।

7. महामारी

बड़े पैमाने पर रोगों का प्रसार सिंधु घाटी सभ्यता के पतन में एक महत्वपूर्ण कारक रहा होगा। घने आबादी वाले शहरों में स्वच्छता की कमी, जल प्रदूषण, और कुपोषण ने महामारियों के फैलने की संभावना को बढ़ा दिया। इन महामारियों ने न केवल जनसंख्या को कम किया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संरचना को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया।

8. तकनीकी पिछड़ापन

नई तकनीकों को अपनाने में असमर्थता ने सिंधु घाटी सभ्यता को अन्य उभरती सभ्यताओं से पीछे छोड़ दिया। कृषि, धातुकर्म, और युद्ध तकनीक में नवाचार की कमी ने उत्पादकता और सुरक्षा को प्रभावित किया। यह तकनीकी पिछड़ापन व्यापार और आर्थिक विकास में भी बाधा बना, जिससे सभ्यता की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हुई।

9. जनसंख्या दबाव

बढ़ती जनसंख्या ने सिंधु घाटी सभ्यता के संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डाला। भोजन, पानी, और आवास की मांग में वृद्धि ने प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन किया। यह जनसंख्या दबाव शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से गंभीर था, जहां स्वच्छता और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी सेवाएं अपर्याप्त हो गईं।

10. शहरी नियोजन में समस्याएं

सिंधु घाटी के शहरों में जल निकासी और स्वच्छता व्यवस्था में गिरावट ने जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित किया। बढ़ती आबादी के साथ शहरी बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं हो पाया। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ीं, जो महामारियों के प्रसार का कारण बनीं। अपर्याप्त शहरी नियोजन ने सामाजिक असंतोष और पर्यावरणीय गिरावट को भी बढ़ावा दिया।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सिंधु घाटी सभ्यता का पतन एक जटिल प्रक्रिया थी और संभवतः इन कारणों के संयोजन ने इसके पतन में योगदान दिया। आधुनिक शोध इन कारणों की बेहतर समझ विकसित करने में मदद कर रहा है।


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मुअनजो-दड़ो नगर कितने हजार साल पुराना है?

हड़प्पा सभ्यता की मुहरों के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

जल ही जीवन है। इस विषय पर निबंध​ लिखें।

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निबंध

जल ही जीवन है

 

जल प्रकृति का अनमोल उपहार है। यह पृथ्वी पर जीवन का आधार है और इसके बिना किसी भी जीव की कल्पना नहीं की जा सकती। जल की महत्ता को समझते हुए ही हमारे पूर्वजों ने इसे ‘जीवन’ की संज्ञा दी है। वास्तव में, जल ही जीवन है।

मानव शरीर का लगभग 70% भाग जल से ही बना होता है। हमारे शरीर के सभी अंग और कोशिकाएँ जल पर ही निर्भर हैं। जल न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि हमारी त्वचा को भी स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करता है। पानी पीने से हमारा पाचन तंत्र सुचारु रूप से कार्य करता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता मिलती है।

जल केवल मानव जीवन के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त प्राणी जगत और वनस्पति के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। पेड़-पौधे अपना भोजन बनाने के लिए जल का उपयोग करते हैं। जल के बिना कृषि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही मानव बस्तियाँ नदियों के किनारे ही बसी हुई मिलती हैं।

जल का महत्व केवल जैविक प्रक्रियाओं तक ही सीमित नहीं है। यह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है। खाना पकाने, कपड़े धोने, सफाई करने जैसे कार्यों में जल का उपयोग अनिवार्य है। उद्योगों में भी जल का व्यापक उपयोग होता है। बिजली उत्पादन, परिवहन, और कई अन्य क्षेत्रों में जल एक महत्वपूर्ण संसाधन है।

परंतु दुर्भाग्य से, आज जल संकट एक वैश्विक समस्या बन गया है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण स्वच्छ जल की उपलब्धता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। जल प्रदूषण भी एक गंभीर चिंता का विषय है। इन समस्याओं से निपटने के लिए हमें जल संरक्षण और प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा।

हमें समझना होगा कि जल एक सीमित संसाधन है और इसका विवेकपूर्ण उपयोग करना हमारा कर्तव्य है। जल संरक्षण के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने होंगे। पानी की बर्बादी रोकना, वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना, और जल प्रदूषण को रोकना कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें हम अपना सकते हैं।

निष्कर्षतः, जल ही जीवन है यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। अतः हमारा यह परम कर्तव्य है कि हम जल का सम्मान करें, इसका संरक्षण करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस अमूल्य संसाधन को सुरक्षित रखें।


कुछ और निबंध

‘गुरु पूर्णिमा’ पर निबंध लिखिए।

‘हमारे राष्ट्रीय पर्व’ पर निबंध लिखो।

यम् मातापितरौ क्लेशम्, सहेते सम्भवे नृणाम्। न तस्य निष्कृतिः शक्या, कर्तुम् वर्षशतैरपि।। अर्थ बताएं।

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यम् मातापितरौ क्लेशम्, सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृतिः शक्या, कर्तुम् वर्षशतैरपि॥

अर्थ : अपनी संतान का पालन पोषण करने में माता-पिता जिस तरह का कष्ट कहते हैं, जिस प्रकार अनेक तरह की विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए अपने बच्चों का उत्तम पालन-पोषण करने का प्रयास करते हैं। उनके द्वारा अपनी संतान पर किए गए इस उपकार का प्रतिउपकार चुकाने में संतान 100 वर्षों में भी समर्थ नहीं हो सकती अर्थात अपने माता-पिता के द्वारा किए गए अपनी संतान के प्रति किए गए कार्य और पालन पोषण का उपकार संतान कभी भी नहीं उतार सकती।

व्याख्या : यहाँ पर माता-पिता द्वारा अपने संतान के पालन पोषण के महत्व को बताया गया है। इस श्लोक में बताया गया है कि माता-पिता अपनी संतान के पालन पोषण करने में कोई भी कसर बाकी नहीं रखते हैं। वह अपनी संतान को उत्तम से उत्तम सुख एवं सुविधा उपलब्ध कराते हैं, चाहे उसके लिए उन्हें अनेक तरह के कस्टों को क्यों न सहना पड़े।

माता-पिता स्वयं भूखे रखकर अपनी संतान को कभी भी भूखे नहीं रहने देते। माता-पिता सर्दी गर्मी में कष्ट कहते हैं लेकिन अपनी संतान पर आंच नहीं आने देते यानी वह अपनी संतान के पालन-पोषण में कोई भी कोताही नहीं करते। जब संतान बड़ी हो जाती है तो वह अपने माता-पिता के इस उपकार को कभी नहीं चुका पाती क्योंकि संतान कितना भी प्रयास कर ले माता-पिता द्वारा किए गए उपकारों का पार वह नहीं जा पाती।


अन्य श्लोक

धनेन बलवाल्लोके धनाद् भवति पण्डित:। पश्यैनं मूषकं पापं स्वजाति समतां गतम्। इस संस्कृत श्लोक का हिंदी अर्थ लिखें।

प्रदोषे दीपकः चन्द्रः प्रभाते दीपकः रविः। त्रैलोक्ये दीपकः धर्मः सुपुत्रः कुल-दीपकः।। स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।। उत्तमे तु क्षणं कोपो मध्यमे घटिकाद्वयम्। अधमे स्याद् अहोरात्रं चाण्डाले मरणान्तकम्।। शैले-शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे। साधवो नहि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने।। उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे। राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति स बान्धवः।। सभी श्लोक का अर्थ बताएं।

‘स्वाधीन भारत में हिन्दी का स्थान’ इस विषय पर हिंदी में 200 शब्दों में लिखें।

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निबंध

स्वाधीन भारत में हिन्दी का स्थान

स्वाधीन भारत में हिंदी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात, हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई। यह भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और देश की एकता का प्रतीक है।

हिंदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने हिंदी को जन-जन तक पहुंचाया। आजादी के बाद, हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया, जिससे इसका महत्व और बढ़ा।

शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी का योगदान अतुलनीय है। अनेक विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में हिंदी माध्यम से शिक्षा दी जाती है। साहित्य के क्षेत्र में हिंदी ने विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन जैसे साहित्यकारों ने हिंदी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

मीडिया और मनोरंजन जगत में हिंदी का बोलबाला है। फिल्में, टेलीविजन कार्यक्रम, और समाचार चैनल हिंदी में लोकप्रिय हैं। इंटरनेट पर भी हिंदी सामग्री की मांग बढ़ रही है।

हालांकि, अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से हिंदी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग अंग्रेजी को अधिक महत्व दे रहे हैं। लेकिन सरकार और समाज के प्रयासों से हिंदी का विकास जारी है।

निष्कर्षतः, स्वाधीन भारत में हिंदी का स्थान सुदृढ़ है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है और राष्ट्रीय एकता का माध्यम है। भविष्य में हिंदी का और अधिक विकास निश्चित है।


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धनेन बलवाल्लोके धनाद् भवति पण्डित:। पश्यैनं मूषकं पापं स्वजाति समतां गतम्। इस संस्कृत श्लोक का हिंदी अर्थ लिखें।

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धनेन बलवाल्लोके धनाद् भवति पण्डित:।
पश्यैनं मूषकं पापं स्वजाति समतां गतम्।।

अर्थ : धन कारण ही मनुष्य बलवान बनता है और धन के कारण ही मनुष्य बुद्धिमान बनता है। इस चूहे को देखो जो अपने बल के कारण ही अपनी जाति समूह में सब के बराबर और सबसे बड़ा हो गया है। श्लोक का भाव यह है कि धन मनुष्य को इस समाज में ऐसी शक्ति प्रदान कर देता है, जिससे वह अपनी इच्छा अनुसार कोई भी कार्य कर सकता है। धनी व्यक्ति यदि मूर्ख भी हो तो भी समाज में उसे लोग बुद्धिमान ही समझते हैं। यही धन की महिमा है।


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भगवद्गीता के किस श्लोक में बतलाया गया हैं कि हर मनुष्य को अपने धर्म के अनुसार कर्म करना चाहिए. जैसे- विद्यार्थी का धर्म है विद्या प्राप्त करना, सैनिक का कर्म है देश की रक्षा करना है। देह निर्वाह के लिए त्याग (संन्यास) का अनुमोदन न तो भगवान करते हैं और न कोई धर्मशास्त्र ही। (1) अध्याय 4 श्लोक 12 (2) अध्याय 16 श्लोक 12 (3) अध्याय 8 श्लोक 2 (4) अध्याय 3 श्लोक 8

क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जुर्म होने की संभावना को ख़त्म करने के उपाय। इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखें।

अनुच्छेद

क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जुर्म होने की संभावना को ख़त्म करना

 

किसी भी क्षेत्र में किसी तरह के जुर्म हर तरह के जुर्म को खत्म करने के लिए आवश्यक है कि उस क्षेत्र में कानून एवं पुलिस प्रशासन चुस्त एवं दुरस्त रहे। किसी भी क्षेत्र के कानून व्यवस्था को बनाए रखने का कार्य पुलिस का होता है। यदि पुलिस अपना कर्तव्य ठीक ढंग से निभाए और कानून व्यवस्था की स्थिति को स्वस्थ बनाए रखें, तो किसी भी क्षेत्र में जुर्म की संभावना को खत्म कर दिया जा सकता है। पुलिस का भय अपराधियों के हौसले को पस्त कर देता है। इसके अलावा क्षेत्र के नागरिकों का भी सहयोग होना आवश्यक है। यदि क्षेत्र के पुलिस के साथ सहयोग करें तथा अपराधियों के हौसले पस्त करने के लिए मिलजुल कर एक संगठित भाव से कार्य करें तो किसी भी क्षेत्र में जुर्म की संभावना को खत्म किया जा सकता है। जुर्म करने वाले व्यक्ति लोगों की कमजोरी का फायदा उठाते हैं। यदि किसी क्षेत्र के नागरिक साहसी होंगे तो अपराधियों की जुर्म करने की हिम्मत नही होगी। लोगों की जागरूकता एवं पुलिस प्रशासन तथा शासन व्यवस्था की तत्परता के मिले-जुले प्रयास से ही किसी भी क्षेत्र में जुर्म की हर संभावना को खत्म किया जा सकता है।


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कर्नल साहब के अनुसार, कौन-सा कार्य बहादुरी प्रदर्शित नहीं करता?

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कर्नल साहब के अनुसार पक्षियों को मारना और उन्हें धायल करके छोड़ देना कोई बहादुरी नहीं है। कर्नल साहब के अनुसार जीवो के प्रति दया होनी चाहिए। निर्दोष व निरीह पक्षियों को मारना या फिर उन्हें घायल करके यूं ही छोड़ देना यह कार्य बहादुरी प्रदर्शित नहीं करता।

‘बिशन की बहादुरी’ पाठ में कर्नल दत्ता ने उन दोनों लड़कों को डांटा था, जो तीतरों का शिकार कर रहे थे और तीतरों के मारने पर उन्हें डांटते हुए कहा था कि पक्षियों को मारना अथवा उससे भी ज्यादा उन्हें धायल करके छोड़ देना बहादुरी वाला कार्य नहीं है।


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भारत के रूप अनेक

 

हमारा भारत देश विविधाताओं से भरा हुआ देश है। इस देश मे अनेक भाषा बोली जाती हैं। हर राज्य की अपनी संस्कृति, वेशवूषा, भाषा, खान-पान है। भले ही भारत में भाषा, क्षेत्र, संस्कृति में विभिन्नता हो या फिर मान्यताओं में विभिन्नता हो , लेकिन राष्ट्रीयता तो एक ही है। जब छत्रपति शिवाजी महाराज का रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक किया गया था तो उस समय पवित्र काशी की प्रकांड पंडित ने देश के अलग-अलग कोनों में बहने वाली 7 नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कृष्णा, कावेरी और सिंधु के पानी से जलाभिषेक किया था।

भारत के अनेक राज्य में अलग-अलग भाषाएँ ,वेशभूषा, खान पान है फिर भी लोग एक साथ मिलजुल कर रहते हैं । भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। विविधता होने के कारण हमारे देश की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है, फिर हिंदी भाषा सारे भारत में आसानी समझ ली जाती है जो भारत को जोड़ने का कार्य भी करती है।

भारत खूबसूरती का भंडार हैं यह पर्यटक दूर-दूर से घूमने के लिए आते है। पश्चिम से ले कर पूरब, उत्तर से लेकर दक्षिण हर जगह भारत की नई खूबसूरती देखने को मिलती हैं। भारत में धार्मिक स्थलों की भी कोई कमी नहीं है। यहाँ श्रद्धालु श्रद्धा से भरा रहता हैं ।

भारत के संविधान को श्रेष्ठ संविधान माना जाता है। जहाँ धर्म, जात , रंग, रूप, वेशभूषा को किनारे रख कर इंसान को इंसान की तरह माना जाता है।

मेरे देश भारत में समान रूप से व्यवहार के लिए कुछ नियम बनाए गए है  जिसका पालन करना देश के नागरिकों के लिए जरूरी हैं । भारत की मिट्ठी में बहुत महान लोगो ने जन्म लिया जैसे राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, चाणक्य, तुलसीदास, सूरदास, कबीर, महात्मा गाँधी आदि जिन्होंने भारत का सिर गर्व से ऊँचा किया है।

योग और आयुर्वेद का जन्मदाता भी भारत को माना जाता हैं। पतंजलि द्वारा योग को बढ़ावा दिया गया और आज भारत की ही ताकत है।

इस तरह हमारा भारत देश विविधताओं से भरा होने के बावजूद अनेकता मे एकता का संदेश देता है. इसके भले ही अनेक रूप हों, लेकिन अंत में हमारे भारत का एक ही रूप है।


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मल मल धोये शरीर को, धोये न मन का मैल। नहाये गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।। कबीर इस दोहे का भावार्थ लिखें।

मल मल धोये शरीर को,
धोये न मन का मैल ।
नहाये गंगा गोमती,
रहे बैल के बैल ।।

भावार्थ : कबीरदास कहते हैं कि लोग अपने शरीर के मैल को मल-मल का साफ करते हैं। तरह-तरह के साबुन लगाकर अपने शरीर के मैल को साफ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वह अपने मन के मैल को साफ करने की कभी कोशिश नहीं करते। ऐसे लोग गंगा अथवा गोमती जैसी नदियों में नहा कर खुद को पवित्र मानते मानने लगते हैं। वे ये नही जानते कि भले ही बाहर से उनका शरीर को धोकर पवित्र मान लिया है, उनका मन अपवित्र ही रहता है। जब तक कोई व्यक्ति अपने मन के मैल को साफ नहीं करेगा यानि अपने मन में समाये हुए गंदे और दूषित विचारों को दूर नही करेगा तब तक उसका मन पवित्र नहीं होगा, वह व्यक्ति बैल ही बना रहेगा, वह सज्जन व्यक्ति नहीं बन सकता। वह सब पवित्र भाव से युक्त नहीं हो सकता। फिर वह चाहे किसी भी पवित्र नदी जैसे गंगा अथवा गोमती में कितना भी नहा ले, वह मूर्ख का मूर्ख ही रहेगा।


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गुरू पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत। वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।। (भावार्थ बताएं)

‘वीर बालक’ पाठ के आधार पर तैमूर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें।

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‘वीर बालक’ पाठ के आधार पर तैमूर के व्यक्तित्व पर प्रकाश…
‘वीर बालक’ पाठ के आधार पर तैमूर के चरित्र पर नजर डालें तो वह एक क्रूर एवं निर्मम विदेशी आक्रांता था, जो भारत में लूटपाट करने के उद्देश्य से आया था। वह किसी भी काफिर यानी इस्लाम के ना मानने वाले लोगों तथा अपने शत्रुओं के लिए बेहद क्रूर और निर्मम था। वह किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ता था। जो भी उसकी राह में आता था, वह उसको मारकर लूटपाट कर लेता था। उसका मुख्य उद्देश्य लूटपाट करना ही था। लेकिन वीर बालक बल करण की वीरता के आगे वह झुक गया। उसके जब वीर बालक बलकरण दृढ़ता से सामना करने के लिए तैयार हो गया तो उसकी वीरता को देखकर तैमूर झुक गया और उस गाँव से बिना लूटपाट किये चला गया। इस प्रकार वह क्रूर और निर्मम होकर भी वीरता का सम्मान करता था।

संदर्भ पाठ :

‘वीर बालक’ (कक्षा – 7, पाठ – 6, नई गुलमोहर)


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अपने विद्यालय की कक्षा में फ़र्नीचर की उचित व्यवस्था के संबंध में प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

फर्नीचर की उचित व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र

 

दिनांक – 20 सितंबर 2024

 

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
डी. ए. वी. पब्लिक स्कूल,
न्यू शिमला ।

विषय : कक्षा में फ़र्नीचर की उचित व्यवस्था बाबत।

महोदय , श्रीमान जी मैं आपके विद्यालय की बारहवीं “ब” का छात्र हूँ । मैं अपनी कक्षा की हालत को आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ । हमारी कक्षा की हालत बहुत ही दयनीय है | हमारी कक्षा में कुछ फर्नीचर (सामान) की बहुत आवश्यकता है । हमारी कक्षा में एक अलमारी की आवश्यकता है ताकि उसमें विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं रखी जा सकें । कक्षा का श्यामपट भी घिस चुका है और इस पर लिखा गया अच्छी तरह से दिखाई नहीं देता है । कृपया इसे बदलने की व्यवस्था करें।

हमारी कक्षा में विद्यार्थी ज्यादा है और बैठने के लिए कुर्सियाँ कम हैं इस कारण जो कक्षा में पहले आता है, उसे बैठने के लिए कुर्सी मिल जाती है और जो शेष विद्यार्थी रह जाते हैं, उन्हें जमीन पर बैठना पड़ता है और सर्दियों में जमीन पर बैठना किसी सज़ा से कम नहीं है।

अतः आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि आप मेरी इस समस्या को अपने संज्ञान में लें और शीघ्र ही कोई उचित कार्रवाई करें। आपकी इस कृपा के लिए मैं सदैव ही आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद सहित।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सचिन कंवर,
कक्षा – ग्यारवीं “ब,
अनुक्रमांक – 30,


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अपने मित्र को पत्र लिखकर दशहरे के त्योहार पर अपने घर पर आमंत्रित करें।

आपके दादा-दादी सुदूर गाँव में कहीं रहते हैं। छुट्टियों में आप उनके पास कुछ दिन रहने के लिए गए थे। उन दिनों का स्मरण करते हुए दादा-दादी को पत्र लिखिए।

अपने मित्र को पत्र लिखकर दशहरे के त्योहार पर अपने घर पर आमंत्रित करें।

अनौपचारिक पत्र

दशहरे के त्योहार लिए आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र

 

दिनांक – 27 सितंबर 2024

श्याम सिंह,
13/14, पुष्पा भवन,
सम्राट रोट,
दिल्ली – 110035मिले,

मिले,
राजीव गुप्ता,
345, माया विहार,
भोपालप्रिय मित्र राजीव,

स्नेह,
मैं यहाँ पर अपने परिवार के साथ कुशलता से हूँ और तुम्हारी कुशलता की मंगल कामना करता हूँ ।मेरा यह पत्र लिखने का खास कारण यह है कि आज से ठीक 15 दिन बाद दशहरे का त्योहार आ रहा है और हमारे यहाँ दिल्ली में विजयादशमी यानि दशहरे का त्योहार खूब धूम-धाम से मनाया जाता है। अनेक राज्य से लोग यहाँ दूर –दूर से रावण दहन और दुर्गा पूजा देखने आते हैं और मेले का खूब आनन्द उठाते हैं।

मैं चाहता हूँ कि तुम इस विजयादशमी को यहाँ मेरे घर दिल्ली आ जाओ। हम मिलकर विजयादशमी मनाएंगे और दुर्गा पूजा में भी भाग लेंगे। हमारे यहाँ  नवरात्रि बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है।  नौ दिनों तक देवी के अलग–अलग रूपों की झाँकियाँ निकलती है । दशहरा के दिन की तो बात ही निराली है।

मैं आशा करता हूँ कि तुम भी इस विजयादशमी पर यहाँ आ जाओगे और हम दोनों हमारे घर से थोड़ी दूर पर लगने वाले मेले का भी आनंद उठाएंगे।

अपने माता-पिता को मेरी ओर से चरण स्पर्श कहना और अब पत्र समाप्त करता हूँ। तुम अपने की सूचना पत्र द्वारा दे देना। शेष मिलने पर ।

तुम्हारा मित्र,
श्याम


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आपका छोटा भाई छात्रावास में रहकर खुश नहीं है क्योंकि अभी तक वह कोई दोस्त नहीं बना पाया है। अपने भाई को पत्र लिखकर कुछ सलाह दीजिए ताकि वह मित्र बना सके।

स्कूल और अस्पताल में हुए एक काल्पनिक संवाद को लिखिए।

संवाद

स्कूल और अस्पताल

 

स्कूल : नमस्ते अस्पताल मित्र! कैसे हैं आप?

अस्पताल : अरे स्कूल भाई, नमस्कार! मैं ठीक हूं, आप सुनाइए।

स्कूल : बस, ठीक चल रहा है। आजकल बच्चों को पढ़ाई में रुचि कम हो रही है। आप बताइए, आपके यहाँ क्या हाल है?

अस्पताल : मेरे यहाँ तो भीड़ कम नहीं होती। लेकिन कभी-कभी सोचता हूँ, काश लोग बीमार न पड़ें।

स्कूल : हाँ, यह तो है। मेरी विशेषता है कि मैं ज्ञान बाँटता हूँ, लेकिन कमी यह है कि सभी को एक जैसा नहीं सिखा पाता।

अस्पताल : मैं समझता हूँ। मेरी खूबी है कि मैं लोगों को स्वस्थ करता हूँ, पर कमी यह है कि हर किसी को बचा नहीं पाता।

स्कूल : लगता है हम दोनों का उद्देश्य एक ही है – मानव जाति की सेवा करना।

अस्पताल : बिल्कुल सही कहा आपने। हम दोनों मिलकर एक बेहतर कल बना सकते हैं।

स्कूल : हाँ, आप सही कह रहे हैं। चलिए, अपने-अपने कर्तव्य निभाते रहें।

अस्पताल : जरूर, मित्र। फिर मिलेंगे।


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लैंडलाइन तथा मोबाइल फ़ोन के बीच संवाद लिखिए।

गुड टच और बैड टच के बारे में बात करते हुए दो मित्रों के बीच हुए संवाद को लिखिए।

परिवर्तन संसार का नियम है। इस विषय पर अनुच्छेद लिखें।

अनुच्छेद

परिवर्तन संसार का नियम है

परिवर्तन संसार का अटल नियम है। प्रकृति से लेकर मानव समाज तक, हर चीज निरंतर बदलाव की प्रक्रिया से गुजरती है। मौसम बदलता है, ऋतुएँ आती-जाती हैं, और पीढ़ियाँ एक-दूसरे का स्थान लेती हैं। परिवर्तन कभी-कभी धीमा होता है, जैसे पहाड़ों का क्षरण, तो कभी तेज़, जैसे प्रौद्योगिकी में क्रांति। यह विकास और प्रगति का द्वार खोलता है, लेकिन साथ ही चुनौतियाँ भी लाता है। जो परिवर्तन को स्वीकार करते और उसके अनुरूप ढलते हैं, वे आगे बढ़ते हैं। परिवर्तन से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे अवसर के रूप में देखना चाहिए। क्योंकि अंततः, परिवर्तन ही जीवन का सार है। यही प्रकृति और संसार का नियम है। जो परिवर्तन को सहज रूप से स्वीकार करते है, वे जीवन में अपना रास्ते को आसान बनाने मे कामयाब होते है। जो लगो परिवर्तन को सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पाते वह जीवन में पिछड़ जाते हैं। इस परिवर्तन संसार का नियम है इस सत्य को स्वीकार करके हमें परिवर्तन के अनुरूप स्वयं को ढाल लेना चाहिए।


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साइबर युग, साइबर ठगी, सावधानियां एवं जागरूकता पर एक अनुच्छेद 120 शब्दों में लिखिए।

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‘उषा की दीपावली’ और ‘मुस्कुराती चोट’ लघु कथा द्वारा प्राप्त संदेशों को लिखिए।

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‘उषा की दीपावली’ और ‘मुस्कुराती चोट’ यह दोनों कहानी अलग-अलग संदेश देती हुई बेहद भावपूर्ण कथाएं हैं। यह दोनों लघु कथाएं शिक्षाप्रद लघु कथाएं हैं जो हमें जीवन के महत्वपूर्ण संदेश को देती हैं।

‘उषा की दीपावली’ लघुकथा के माध्यम से हमें खाने की बर्बादी न करने तथा गरीब लोगों के प्रति संवेदनशीलता अपनाने का संदेश दिया गया है। इस कहानी में ही मुख्य पात्र उषा नाम की एक बालिका और बवन नाम का एक बालक है। बवन बेहद गरीब है जो दूसरों के घर पर की बेकार की चीजों को एकत्रित करके अपने खाने का जुगाड़ करता है। उसे दो वक्त की भोजन ढंग से नहीं मिल पाता था। उषा एक संपन्न परिवार की बालिका है, जिसे अक्सर बाजारू खाने में अधिक रुचि है। उसके घर में खाने की कोई कमी नहीं लेकिन वह बाजार के खानों के प्रति अधिक रुचि रखती है।

बबन उसके घर पर सफाई करने आता है। एक दिन वह बबन को दीपावली के आटे के बने बुझे दीपक को इकट्ठा करते हुए देखती है, जिन्हें वह कचरे में ना डालकर अपनी अपने जेब में रख रहा था। उससे पूछने पर पता चला कि वह आटे के दीपकों को सेंककर खाएगऔर अपनी भूख को मिटाएगा। उषा इस बात से द्रवित हो उठती है। उसने सोचा एक तरफ उसके जैसे लोग हैं, जिनके पास खाने की कोई कमी नहीं और वह खाने की बर्बादी करते हैं, दूसरी तरफ बबन जैसे लोग हैं जो खाने के लिए इस तरह की संघर्ष करते हैं।

उषा बबन को ढेर सारा खान का सामान देती है और भविष्य में खान की बर्बादी न करने तथा गरीबों के प्रति संवेदनशीलता रखने की प्रतिज्ञा लेती है।

यह कहानी हमें खाने की बर्बादी न करने की सीख देती है। इस दुनिया में ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें दो वक्त का खाना ढंग से नहीं मिल पाता और कुछ लोग खाने की बर्बादी करते हैं। थोड़ा सा खाना खाकर बाकी खाना फेंक देते हैं, बिल्कुल भी सही प्रवृत्ति नहीं है।

‘मुस्कुराती चोट’ लघुकथा बबलू नामक एक ऐसे संघर्षशील की कहानी है, जो पिता की बीमारी के कारण अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहा। वह घर-घर जाकर रद्दी इकट्ठी करके अपने जीवन यापन की व्यवस्था करता है। उसकी माँ भी छोटी सी नौकरी करती है।

बबलू को पढ़ने का बेहद शौक है लेकिन पर्याप्त पैसे ना होने के कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाता। वह रद्दी में मिली किताबें को ही अपने पढ़ने का जरिया बना लेता है और अपनी उपयोगी किताबों को छांटकर अपने पढ़ने के लिए रख लेता है।

एक घर की मालकिन को उसकी इस बात का पता चलता है तो वह उसकी पढ़ाई के खर्चे का जिम्मा उठाती है। इससे उसके दुखी जीवन में मुस्कुराहट भर उठती है।

यह कहानी भी जीवन के संघर्षों को उठाती हुई कहानी है, जो हमें बताती है कि यदि किसी कार्य के प्रति लगन हो तो कहीं ना कहीं रास्ता अवश्य मिलता है। बबलू गरीबी के कारण वह भले ही पढ़ाई नहीं कर पा रहा था लेकिन उसने अपनी पढ़ाई की लगन को जारी रखा और उसे पढ़ाई का सहारा भी मिला।

‘उषा की दीपावली’ और ‘मुस्कुराती चोट’ ये दोनो लघुकथाएं हमें जीवन के संघर्ष से जूझने के प्रेरणा देने के साथ हमें असहायों और जरूरतमंदों के प्रति संवेदनशीलता अपनाने का भी सीख देती हैं। ये दोनों लघुकथाएं हमें दया, करुणा और मानवता का पाठ पढ़ाती हैं।


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ऑनलाइन शिक्षा तथा ऑफ़लाइन शिक्षा के बीच अन्तर करते हुए दो मित्रों के मध्य संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

ऑनलाइन शिक्षा एवं ऑफलाइन शिक्षा के बीच अंतर करते हुए दो मित्र मयंक और वरुण के बीच संवाद

 

मयंक ⦂ वरुण तुम्हें कौन सी शिक्षा अधिक पसंद है?, ऑनलाइन शिक्षा या ऑफलाइन शिक्षा?

वरुण ⦂ मुझे ऑफलाइन शिक्षा अधिक पसंद है।

मयंक ⦂ तुम्हें ऑफलाइन शिक्षा क्यों अधिक पसंद है?

वरुण ⦂ क्योंकि ऑफलाइन शिक्षा में हमें बाहर जाने के लिए मिलता है। हमें स्वाभाविक रूप से स्कूल में बैठकर पढ़ाई करने का अवसर मिलता है। हमें गैजेट्स पर बहुत अधिक निर्भर नहीं रहना पड़ता।

मयंक ⦂ लेकिन तुम तो जानते ही हो आजकल ऑनलाइन शिक्षा का क्या महत्व है। खासकर कोरोना के बाद ऑनलाइन शिक्षा का महत्व बढ़ा है।

वरुण ⦂ जानता हूँ, लेकिन तुमने देखा नही क्या कि होगा लगातार एक साल तक घर में ऑफलाइन शिक्षा लेकर हम कितने बोर हो गए थे। हम लोगों का इतना स्कूल जाने के लिए कितना मन करता था। हम लोग स्कूल में खेले कूदे, यह हमारा मन करता था।

मयंक ⦂ वह बात तो है लेकिन अब ऑनलाइन शिक्षा का जमाना है। सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है और आने वाला भविष्य ऑनलाइन शिक्षा का ही है।

वरुण ⦂ हाँ मैं जानता हूं लेकिन ऑफलाइन शिक्षा का का भी अपना महत्व है और दोनों में सामंजस्य रहना चाहिए, तभी सही होगा।

मयंक ⦂ हाँ वह होना चाहिए।

 

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समय के महत्व को लेकर बेटा और पिता के बीच संवाद लिखिए।

छोटी बहन से रक्षाबंधन की तैयारियों की बातचीत का संवाद लिखिए।​

सेल्फी शाप या वरदान इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।

अनुच्छेद

सेल्फी शाप या वरदान

 

सेल्फी शब्द कोई बहुत पुराना शब्द नहीं है और यह अभी हाल के कुछ वर्षों में ही प्रयोग में होने लगा है। सेल्फी का प्रचलन आरंभ में स्वयं का फोटो निकालने के लिए सुविधा के तौर पर हुआ था। ऐसे व्यक्ति जो अकेले होते थे और कोई दूसरा व्यक्ति उनका फोटो खींचने के लिए उपलब्ध नहीं होता था तो वह मोबाइल के माध्यम से खुद ही स्वयं का फोटो निकाल सकते थे। इस तरह यह एक आयडिया था। लेकिन धीरे-धीरे सेल्फी का शौक लोगों पर जुनून की तरह चढ़ने लगा है। आज सेल्फी वरदान की जगह शाप बनती जा रही है। ऐसी अनेक घटनाएं आए दिन टीवी में देखने व अखबार में पढ़ने को मिलती है कि सेल्फी खींचते-खींचते खींचने वाले का ध्यान बंट गया और उसके उसके साथ दुर्घटना हो गई। कुछ दिनों पूर्व एक लड़की सेल्फी निकाल रही थी और सेल्फी निकालते निकालते उसका ध्यान पीछे नही गया औरअचानक वह नदी के पानी में गिर गई और नदी के पानी के साथ बह गई। इस तरह उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सेल्फी निकालने का लोगों पर जुनून छाता जा रहा है। जहाँ देखो लोग सेल्फी निकालने में व्यस्त हो जाते हैं जिससे अन्य लोगों को भी असुविधा होती है। आज के संदर्भ में देखा जाए तो सेल्फी आज एक वरदान नहीं बल्कि शाप बन चुका है क्योंकि इसके कारण अनेक दुर्घटनाएं हुई है और बहुत से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसलिए हमें सेल्फी निकालने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा और सेल्फी को एक सामान्य आदत की तरह लेकर उसे सीमित करना होगा ।


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साइबर युग, साइबर ठगी, सावधानियां एवं जागरूकता पर एक अनुच्छेद 120 शब्दों में लिखिए।

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साइबर युग, साइबर ठगी, सावधानियां एवं जागरूकता पर एक अनुच्छेद 120 शब्दों में लिखिए।

अनुच्छेद

साइबर युग, साइबर जागरूकता, सावधानी एवं ठगी

 

साइबर का अर्थ

साइबर इंटरनेट से जुड़ा हुआ एक शब्द है, जो इंटरनेट पर होने वाली किसी भी गतिविधि को संदर्भित करता है। ये इंटरनेट से संबंधित शब्द है।

साइबर जागरूकता

साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता के अभाव में लोग ठगों के शिकार हो रहे हैं । इस तरह के अपराधों से बचने के लिए जनमानस को सतर्क रहना जरूरी है। इससे बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करें।

1.  हमें कभी भी अनजान व्यक्ति की फ़ेसबुक रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं करनी चाहिए ।
2.  अनजान नंबरों से भेजे गए लिंक भी नजरंदाज कर देने चाहिए।
3.  किसी भी प्रकार के आनलाइन जाब, फ्री रिचार्ज और लुभावने आफ़र से बचें ।
4.  यदि हमें कोई व्हाट्सएप पर कोई लॉटरी लगने का मैसेज भेजता है, तो कभी भी उसके द्वारा भेजे किसी भी लिंक पर क्लिक न करें।
5.  किसी भी अनजान ई-मेल से भेजे गए किसी भी लिंक पर क्लिक न करें।
आखिरकार क्या है यह साइबर ठगी ?
साइबर ठग अक्सर मैसेज और कॉल के जरिए लोगों को झांसा देते हैं कि किसी प्रमुख रियल एस्टेट कंपनी में निवेश करके भारी मुनाफा कमा सकते हैं। वो आपको मैसेज करते हैं कि आपकी अमेरिका में या किसी स्टेट या कंट्री में करोड़ों की लॉटरी लगी है, आपको लॉटरी का पैसा लेने के लिये पहले टैक्स का पैसा जमा कराना होगा।

साइबर सावधानी

1.  सावधान रहें, कोई भी प्रमुख कंपनी निवेशकों को फोन नहीं करती है ।
2.  सावधान रहें, कोई भी आपको अपने वाट्सऐप ग्रुप में शामिल ना कर सके ।
3.  सावधान रहें, क्योंकि आजकल बहुत सी कंपनियाँ इंस्टेंट लोन (ऋण) देने का दावा करती हैं कि वह बिना किसी डॉक्यूमेंट के लोन तुरंत दे देंगे । लेकिन सावधान हो जाएं कि आप ठगों के जाल में फँसते जा रहे है । वह आपसे आपकी सारी जानकारी व्यक्तिगत जानकारी ले लेते हैं और आपके फोन के द्वारा सारी जानकारी जैसे आपके बैंक के खाते की जानकारी , आपकी फ़ोटोज़ ( तस्वीरें ) और आपको blackmail (भयादोहन) करते हैं और आपसे पैसे ऐंठते हैं।


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(क) गहिरागुरोः जन्म कदा अभवत्? (ख) गहिरागुरुः कस्य स्थापनामकरोत्? (ग) केषां दुरवस्थां विलोक्य गुरुः दुःखी आसीत् ?​ (घ) गुरुः जनान् कस्य महत्त्वं अबोधयत्? (ड.) छत्तीसगढशासनेन गुरोः स्मृतौ किम् उद्घोषितम् ?

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(क) गहिरागुरोः जन्म कदा अभवत्?

उत्तराणि : गहिरागुरोः जन्म पूचाधिकएकोनविंशतिशततमे (1905) ख्रीस्ताब्दे रायगढ़मण्डलान्तर्गते गहिराग्रामेऽभवत्।

(ख) गहिरागुरुः कस्य स्थापनामकरोत्?

उत्तराणि : गहिरागुरः निजसमुदायस्य विकासाय त्रिचत्वारिंशतधिकैकोनविंशतिशततमे (1943) ख्रीष्ताब्दे गहिराग्रामे सनातनसन्तसमाजनाम संस्थां स्थापनाकरोत्।

(ग) केषां दुरवस्थां विलोक्य गुरुः दुःखी आसीत् ?

उत्तराणि : जनजातीयसमूहस्य दुरवस्थां विलोक्य गुरु भृशं दुःखी आसीत्।

(घ) गुरुः जनान् कस्य महत्त्वं अबोधयत्?

उत्तराणि : गुरुः जनान् स्वच्छतायाः महत्तवं अबोधयत्।

(ड.) छत्तीसगढशासनेन गुरोः स्मृतौ किम् उद्घोषितम् ?

उत्तराणि : छत्तीसगढशासनेन गुरोः स्मृतौ गहिरागुरुपर्यावरणं पुरस्कारं उद्घोषितम्।

संदर्भ पाठ ‘सन्तश्रीगहिरागुरः’ (कक्षा – 9, पाठ – 6 – षष्ठ पाठः)


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1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है? 2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है? 3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?

1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है? 2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है? 3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?

1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है? 2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है? 3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?

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1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है?

उत्तर : रहीम ने ऐसे व्यक्ति को मरे हुए व्यक्ति के समान बताया है, जो किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा कुछ मांगने पर उन्हें ‘ना’ बोल देता है और कुछ नहीं देता। रहीम के अनुसार व्यक्ति जो किसी के पास कुछ मदद मांगने के लिए जाते हैं, उसका आत्मसम्मान मर चुका होता है, इसलिए वह मांगने को जाता हैं, लेकिन उन से भी अधिक व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति के समान वो व्यक्ति है, जो किसी के द्वारा कुछ मांगने पर उन्हें कुछ नहीं देता और ना बोल देता है।

2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है?

उत्तर : रहीम के अनुसार तरुवर और सरोवर दोनों की यह विशेषता है कि दोनों स्वयं के लिए नहीं बल्कि परमार्थ के लिए कार्य करते हैं। तरुवर यानी वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते बल्कि उनके फल दूसरे लोग खाते हैं। उसी तरह सरोवर यानी तालाब अपना जल स्वयं नहीं पीता बल्कि दूसरे लोग उसके जल से अपनी प्यास बुझाते हैं। तरुवर और सरोवर दोनों में यही समानता है कि वह अपने लिए नहीं दूसरों के लिए कार्य करते हैं।

3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?

उत्तर : रहीम के अनुसार सज्जन व्यक्ति समाज के लिए धन संचय करते हैं। सज्जन व्यक्तियों की धनसंपदा ज्ञान के रूप में होती है। अपने लिए तो सभी संचय करते हैं लेकिन जो सज्जन व्यक्ति होते हैं, वह अपने लिए कुछ भी संचित नहीं करते। वह जो भी कार्य करते हैं जो भी संचय करते हैं, वह सब समाज में बांट देते हैं। उनका मुख्य धन उनका ज्ञान, उनका अनुभव, उनका परोपकार होता है, जो वह समाज को निरंतर प्रदान करते रहते हैं।


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रहीम जी के अनुसार जीवन में सत्संग का क्या महत्व है?

लैकै सुघरु खुरुपिया, पिय के साथ। छइबैं एक छतरिया, बरखत पाथ ।। रहीम के इस दोहे का भावार्थ लिखिए।

टीचर्स डे का महत्व पर अनुच्छेद लिखें।

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अनुच्छेद

टीचर्स डे

 

टीचर्स डे का महत्व प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में बहुत मायने रखता है। टीचर्स डे भारत में 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति तथा पहले उपराष्ट्रपति डॉ. ‘सर्वपल्ली राधाकृष्णन’ का जन्मदिन था। वह एक शिक्षक थे और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। इसलिए उनके जन्मदिवस की स्मृति में टीचर्स डे मनाया जाता है। टीचर्स डे के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षकों का महत्व समझाया जाता है जब इस दिन को मनाया जाता है तो विद्यार्थियों को पता चलता है कि शिक्षक का उनके जीवन में कितना योगदान है। विद्यार्थी जब किसी शिक्षक के पास आता है तो वह गीली मिट्टी के समान होता है, और शिक्षक कुम्हार की भांति मिट्टी को पात्र का आकार देता है, जो उपयोगी बनता है। इसलिए शिक्षक ही एक ऐसा व्यक्ति है जो किसी छात्र के जीवन को सही आकार देता है और उसे सक्षम बनाता है। अतः टीचर्स डे मना कर हम अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान का भाव प्रकट करते हैं। यह दिन शिक्षकों और छात्रों दोनों को प्रेरणा देने के लिए प्रेरणादायक दिन का कार्य करता है, इसीलिए शिक्षक डे मनाना आवश्यक है।


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भारत में टीचर्स-डे कब से मनाना शुरु हुआ था?

भारत का राष्ट्रीय शिक्षक दिवस सबसे पहले किस वर्ष मनाया गया था?

गाँधीजी के कथन अनुसार ‘असली भारत वास्तव में गाँवों में ही बसता है।’ स्पष्ट कीजिए।

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गांधीजी का ये कथन कि ‘असली भारत वास्तव में गाँवों में ही बसता है’ बिल्कुल सटीक है। गांधी जी ने अपने तत्कालीन समय के परिप्रेक्ष्य में यह कथन व्यक्त किया था, लेकिन उनका यह कथन आज 80 साल बाद भी प्रासंगिक है।

गांधी जी ने असली भारत के गांवों में बसने की जो बात कही थी, उसके अनेक कारण हैं। आइए उन कारणों को समझते हैं…

  • भारत एक कृषि प्रधान देश है जो प्राचीन काल से कृषि प्रधान देश रहा है। भारत की अधिकांश जनता गांव में वास करती है। जब गांधी जी ने यह कथन व्यक्त किया था, भारत की 80% जनता गांव में निवास करती थी। आज के समय में भी भारत की लगभग 65% जनता गांव में निवास करती है और पूरी तरह कृषि के ऊपर निर्भर है, इस तरह गांधी जी का यह कथन पूरी तरह सटीक बैठता है कि भारत गांवों में ही बसता है।
  • भारत की जो भी कृषि संबंधी गतिविधियां होती हैं, वह अधिकांशत गांवों में ही होती हैं। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख आधार है। भारत के गांव में अनेक तरह के ग्रामीण और कुटीर उद्योग भी प्रचलित हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था मैं अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • भारत के गांव का सामुदायिक जीवन और गांव की ग्रामीण संस्कृति भारत के गांवों को और अधिक विशिष्ट बनाती है। भारत के गांवों में पारिवारिक मूल्य और सामाजिक संबंध शहरों की अपेक्षा अधिक मजबूत और आत्मीयता से भरपूर होते हैं।
  • भारत के गांवों में पंचायती राज की व्यवस्था सदियों से चली आ रही है। गांव का पंचायती सिस्टम पंचायती व्यवस्था भारत के गांव के शासन को एक मजबूत आधार प्रदान करता है। भारत के गांव की ग्राम सभाएं भारत के लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करती हैं।
  • गांव प्रकृति के अधिक निकट होते हैं और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में अपनी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के गांव प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट नहीं करते बल्कि उनका संरक्षण करते हैं।
  • भारत के गांव भारत की अधिकांशत आबादी का वहन करते हैं, जो भारत की अधिकांश जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • भारत की संस्कृति को अगर बेहद बारीकी और नजदीकी से देखना हो तो भारत के गांव में जाना चाहिए, जहां पर भारत के अलग-अलग राज्यों की विभिन्न संस्कृतियों के मूल स्वरूप देखने को मिलेंगे।

यही सब कारण है जिसकी वजह से गांधी जी का यह कथन कि असली भारत गांवो में बास करता है।’ बिल्कुल सटीक और सही कथन है।


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गांधीजी को ‘कोटि-मूर्ति’ और ‘कोटि-बाहु’ क्यों कहा गया है ?

गांधी के आर्थिक विचारों के संदर्भ में कौन सा एक सही नहीं है? (1) वर्ग सहयोग की धारणा (2) कुटीर उद्योगों को महत्ता (3) न्यासधारिता को महत्ता (4) औद्योगीकरण को महत्व देना

सुभद्रा कुमारी चौहान की ‘हींगवाला’ कहानी के आधार पर इसके प्रमुख पात्र खान का चरित्र चित्रण कीजिए।

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सुभद्रा कुमारी चौहान की ‘हींगवाला’ कहानी में खान एक बहुआयामी पात्र के रूप में उभरता है। उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

1. सादगी और ईमानदारी : खान एक साधारण व्यापारी है जो हींग बेचकर अपना जीवनयापन करता है। वह अपने काम के प्रति समर्पित है और ईमानदारी से व्यवसाय करता है।

2. मानवीयता : दंगों के दौरान भी खान अपनी मानवीयता नहीं खोता। वह सावित्री के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जो उसकी संवेदनशीलता और परोपकारी प्रवृत्ति को दर्शाता है।

3. निष्पक्षता : खान धार्मिक या सामुदायिक पूर्वाग्रहों से मुक्त है। वह सभी के साथ समान व्यवहार करता है, जो उसके चरित्र की निष्पक्षता को प्रदर्शित करता है।

4. वफादारी : सावित्री के प्रति खान की वफादारी उल्लेखनीय है। वह हमेशा उसके घर पहले आता है और उसके परिवार की मदद करने में संकोच नहीं करता।

5. साहस : दंगों के माहौल में भी अपना काम जारी रखना और दूसरों की मदद करना खान के साहस को दर्शाता है।

6. सरलता : खान की सरलता उसके व्यवहार में झलकती है। वह जटिल परिस्थितियों में भी सीधे-सादे तरीके से काम करता है।

7. कर्तव्यनिष्ठा : अपने व्यवसाय के प्रति खान की प्रतिबद्धता उसकी कर्तव्यनिष्ठा को प्रकट करती है।

8. संवेदनशीलता : खान की संवेदनशीलता उसके द्वारा सावित्री के बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में दिखाई देती है।
इस प्रकार, खान का चरित्र एक ऐसे व्यक्ति का है जो सामाजिक विभाजन और तनाव के बीच भी मानवीय मूल्यों को बनाए रखता है। वह साम्प्रदायिक सद्भाव और मानवता के महत्व को प्रतिबिंबित करता है, जो कहानी का एक केंद्रीय संदेश है।


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पंजाब के किस गाँव को ‘हॉकी की नर्सरी’ कहा जाता है?

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पंजाब के संसारपुर नामक गाँव को हॉकी की नर्सरी कहा जाता है। संसारपुर गाँव पंजाब राज्य के जालंधर जिले में स्थित एक ऐसा गाँव है, जो दुनिया भर में हॉकी की नर्सरी के नाम से मशहूर है।

इसका मुख्य कारण यह है कि इस गाँव से लगभग 14 ऐसे हॉकी खिलाड़ी निकल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेलों में भारत के अलावा केन्या और कनाडा जैसे देशों का भी प्रतिनिधित्व किया है।

इसीलिए इतनी बड़ी संख्या में हॉकी खिलाड़ी देने वाले पंजाब राज्य के संसारपुर नामक इस गाँव को ‘हॉकी की नर्सरी’ के नाम से जाना जाता है। संसारपुर गाँव से जिन हॉकी खिलाड़ियों ने अपने खेल से अपने संसारपुर गाँव का नाम रोशन किया, उनमें गुरदेव सिंह कुलार, दर्शन सिंह, अजीतपाल सिंह, कर्नल बलबीर सिंह कुलार, कर्नल गुरमीत सिंह कुलार, बलवीर सिंह कुलार, तरसेम सिंह कुलार, जगजीत सिंह कुलार जैसे खिलाड़ियों के नाम प्रमुख हैं।


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पृथ्वी-पुत्र किस विधा की रचना है?

In which year New Panchayati Raj started in India?

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The New Panchayati Raj system in India was formally introduced in 1993 through the 73rd Constitutional Amendment Act. This amendment gave constitutional status to the Panchayati Raj Institutions (PRIs) and made them a fundamental part of India’s governance structure.

Key points about the New Panchayati Raj system:

1. The 73rd Amendment Act was passed by the Parliament in December 1992.

2. It came into effect on April 24, 1993, officially marking the beginning of the New Panchayati Raj system in India.

3. This amendment added Part IX to the Constitution, which deals with Panchayats.

4. It provided constitutional status to the three-tier system of Panchayati Raj at the village, intermediate, and district levels.

5. The act aimed to decentralize power and promote grassroots democracy by giving more authority to local self-government institutions.

While the concept of Panchayati Raj has existed in India for centuries in various forms, the 1993 amendment marked a significant shift by providing a constitutional framework and mandatory status to these local governance bodies across the country.

The concept of Panchayati Raj in India has a long history, but its modern incarnation has gone through several phases.

1. Ancient origins:
The idea of village self-governance through panchayats (councils of five elders) has existed in India for centuries.

2. Post-Independence era:
The formal introduction of Panchayati Raj in modern India began on October 2, 1959.
This date is significant because it’s when Prime Minister Jawaharlal Nehru inaugurated the first Panchayati Raj Institution (PRI) in Nagaur district of Rajasthan.

3. Initial implementation:
Following Rajasthan, Andhra Pradesh adopted the system in 1959.
Other states gradually implemented it over the next few years.

4. Balwant Rai Mehta Committee:
This committee, formed in 1957, recommended a three-tier structure of local self-government.
Its recommendations formed the basis for the initial Panchayati Raj system.

5. Challenges and variations:
Despite the initial enthusiasm, the implementation varied widely across states.
By the 1970s and 1980s, many PRIs had become ineffective due to various factors.

6. Constitutional status:
The New Panchayati Raj system was formalized in 1993 through the 73rd Constitutional Amendment.
This gave constitutional status to PRIs and mandated their implementation across India.

The Panchayati Raj system in its modern form was officially started on October 2, 1959. However, its current constitutional form began in 1993 with the implementation of the 73rd Amendment.


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Discuss the role of Nelson Mandela in the struggle against apartheid in the South Africa.

Who was Begum Udaipuri Mahal Sahiba?

तुलसीदास कहाँ जाने के लिए मना करते हैं और क्यों?

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तुलसीदास ऐसे घर या जगह पर जाने के लिए मना करते हैं, जहाँ पर प्रेम, स्नेह और सम्मान ना मिले। जिस घर में जाने पर लोग आपको देखते ही प्रसन्न न हों, जिनकी आँखों में आपको देखकर प्रेम न उमड़े, उस घर में कभी नहीं जाना चाहिए। भले ही उस घर से कितना भी लाभ क्यों ना हो।

इसलिए तुलसीदास प्रेम व स्नेह और आदर-सम्मान न मिलने वाली न मिलने वाली जगह पर जाने से मना करते हैं।

तुलसीदास अपने दोहे के माध्यम से कहते हैं

आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।
‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।।

अर्थात जिस घर में जाने पर लोग आपको देखते ही हर्षोल्लासित होकर प्रसन्न न हों। आपको देखकर जिनकी आँखों में प्रेम और स्नेह ना उमड़े, जो आपके आदर सत्कार सम्मान के लिए तत्पर ना हों, ऐसी जगह पर कभी नहीं जाना चाहिए। भले ही उसे घर से आपका कितना भी आर्थिक लाभ जुड़ा हो और आपको उसे घर से कितना भी लाभ क्यों ना हो रहा हो, ऐसे घर में जाने से हमेशा बचना चाहिए।

विशेष व्याख्या : यहाँ पर तुलसीदास सम्मान और स्वाभिमान को महत्व देते हैं और उनका इस दोहे के माध्यम से कहने का तात्पर्य है कि मानव के लिए अपना सम्मान और अपना स्वाभिमान महत्वपूर्ण है। जहां पर उसके सम्मान को ठेस पहुंचती हो ना तो उस जगह पर कभी भी नहीं जाना चाहिए।


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तुलसीदास कहाँ जाने के लिए मना करते हैं और क्यों?

तुलसीदास ने किन बालकों के बचपन के करतब का वर्णन किया है? माता का मन प्रसन्नता से कब और क्यों भर जाता है?

समय के महत्व को लेकर बेटा और पिता के बीच संवाद लिखिए।

संवाद

समय के महत्व पर बेटा और पिता के बीच संवाद

बेटा ⦂ पिताजी, आप हमेशा कहते हैं कि समय बहुत कीमती है। पर मुझे तो लगता है कि मेरे पास बहुत समय है। मैं तो अभी युवा हूँ।

पिता ⦂ बेटा, यही तो समझने की बात है। युवावस्था में ही समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए।

बेटा ⦂ लेकिन पिताजी, मैं तो अभी मज़े करना चाहता हूँ। पढ़ाई और काम के लिए तो पूरी ज़िंदगी पड़ी है।

पिता ⦂ देखो बेटा, समय एक अनमोल संपत्ति है जो एक बार निकल जाने पर वापस नहीं आती। जो समय बीत गया, वह लौटकर नहीं आएगा।

बेटा ⦂ हाँ, यह तो सही है। पर फिर भी मुझे लगता है कि मैं अभी से इतना गंभीर क्यों बनूँ?

पिता ⦂ गंभीर बनने की बात नहीं है। बात है समय के महत्व को समझने की। तुम मज़े भी करो, लेकिन साथ ही अपने लक्ष्यों के लिए भी काम करो। संतुलन बनाना सीखो।

बेटा ⦂ आपकी बात समझ में आ रही है। पर कैसे शुरुआत करूँ?

पिता ⦂ एक छोटी सी शुरुआत करो। अपना दिन नियोजित करो। हर दिन कुछ समय पढ़ाई के लिए, कुछ समय शौक के लिए, और कुछ समय परिवार के साथ बिताने के लिए निकालो।

बेटा ⦂ यह अच्छा विचार लगता है। मैं कोशिश करूँगा पिताजी।

पिता ⦂ शाबाश! याद रखो, समय का सही उपयोग करने से ही जीवन में सफलता मिलती है। और हाँ, कभी-कभी बस शांत बैठकर चिंतन करने का समय भी निकालना। यह भी बहुत ज़रूरी है।

बेटा ⦂ धन्यवाद पिताजी। आज मुझे समय के महत्व के बारे में बहुत कुछ समझ में आया।

पिता ⦂ बहुत अच्छे बेटा। मुझे विश्वास है कि तुम अपने समय का सदुपयोग करोगे और जीवन में बहुत आगे बढ़ोगे।


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छोटी बहन से रक्षाबंधन की तैयारियों की बातचीत का संवाद लिखिए।​

लैंडलाइन तथा मोबाइल फ़ोन के बीच संवाद लिखिए।

How does the cost of labour affect the price of goods and services?

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The cost of labour is a significant factor that affects the price of goods and services.
This is the explanation that how the cost of labour can influence the pricing of products and services:

1. Direct labour costs: The wages, salaries, and benefits paid to the workers directly involved in the production or delivery of goods and services are considered direct labour costs.

As these costs increase, the producer or service provider must raise the prices to maintain profitability.

2. Indirect labour costs: Costs associated with supporting and managing the workforce, such as HR, payroll, training, and supervision, are considered indirect labour costs.

Higher indirect labour costs also contribute to higher overall production or service delivery costs, leading to increased prices.

3. Productivity and efficiency: If labour costs rise but worker productivity or efficiency remains stagnant, the producer or service provider has to charge higher prices to offset the increased labour expenses.

Conversely, if productivity improves, it can help offset the impact of rising labour costs, allowing for more competitive pricing.

4. Competition and market dynamics: In a competitive market, if all producers or service providers face similar increases in labour costs, they may have to raise prices to maintain their profit margins.

However, if only one or a few providers experience significant labour cost increases, they may struggle to pass on the full cost to customers, as competition may limit their pricing power.

5. Pricing strategies: Producers and service providers may use different pricing strategies to manage the impact of labour costs, such as economies of scale, automation, or outsourcing to lower-cost labour markets.

These strategies can help them maintain competitive prices despite rising labour expenses.

6. Macroeconomic factors: Changes in the overall labour market, such as minimum wage increases or labour shortages, can lead to widespread increases in labour costs, driving up prices across various industries.

Factors like inflation, economic growth, and government policies can also influence the relationship between labour costs and prices.

In summary, the cost of labour is a crucial determinant of the prices charged for goods and services. Increases in labour costs, whether direct or indirect, often lead producers and service providers to raise their prices to maintain profitability and competitiveness in the market.


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What do you mean by physical capital and human capital.​

निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-​ (क) समस्या (ख) स्वभाव (ग) हैरान (घ) विस्मित।

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दिए गए शब्दो का वर्ण-विच्छेद इस प्रकार होगा…

(क) समस्या : स् + अ  + म् + अ + स् + य् + आ

(ख) स्वभाव : स् + व् + अ + भ् + आ + व् + अ

(ग) हैरान : ह् + ऐ + र् + आ + न् + अ

(घ)  विस्मित : व् + इ + स् + म् + इ + त् + अ

वर्ण-विच्छेद क्या हैं?

कोई भी शब्द अनेक प्रकार के वर्णों से मिलकर बना होता है। वर्ण के भी दो रूप होते है, स्वर तथा व्यंजन। स्वर तथा व्जंजन के रूप इन वर्णों के समूह से ही किसी शब्द का निर्माण होता है। जब किसी शब्द को उसके मूल वर्णों जो स्वर और व्यंजन के रूप में होते है, पृथक कर देने की क्रिया को वर्ण-विच्छेद कहते हैं।


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निम्नांकित शब्दों के वर्ण विच्छेद कीजिए। वार्तालाप , उज्ज्वल, प्रार्थना, श्रीकृष्ण, मक्खन, डलहौज़ी, पत्र, परीक्षा, ख्याल, मनुष्य।

वर्ण विच्छेद करो- (1) अध्यापक (2) बुधवार (3) प्रयोगशाला (4) मच्छर (5) सब्जियाँ (6) चौकीदार (7) परीक्षा (8) ज्योतिषी​।

हर बुराई का अंत ज़रूर होता है। इससे आप कितना सहमत हैं?

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हर बुराई का अंत जरूर होता है। इस बात से हम पूरी तरह सहमत हैं। बुराई सदैव टिकी नहीं रहती यदि बुराई सदैव के लिए टिकी रहेगी तो इस संसार में शांति और सुकून नहीं स्थापित हो पाएगा।

बुराई अंत होने के लिए ही उत्पन्न होती है। बुराई की जब अति हो जाती है तब वह अपने अंत की ओर अग्रसर होती है। जब तक बुराई का अंत नहीं होगा अच्छाई उत्पन्न नहीं होगी। बुराई का अंत अच्छाई ही करती है। बुराई एक दीर्घकालीन व्यवस्था नहीं है, यह एक अवगुण है जो मनुष्य प्राणियों में अल्प समय के लिए उत्पन्न होता है।  बुराई का अंत होना इसके उत्पन्न होने के समय ही निश्चित हो जाता है।

बुराई का अंत ही हमें एक आशा देता है। बुराई के कारण जो लोग बुराई से त्रस्त होते हैं उनके मन में भी सदैव यही आशा रहती है कि एक न एक दिन इस बुराई का अंत जरूर होगा और उन्हें राहत मिल सकेगी।

बुराई का अंत संसार में शांति और सद्भावना के लिए आवश्यक है। प्रकृति ने अच्छाई बुराई को इसीलिए बनाया है। बुराई का अंत होने के बाद ही अच्छाई उत्पन्न होती है। बुराई का अंत अच्छाई ही करती है। अच्छाई दीर्घकालिक के व्यवस्था के तहत उत्पन्न होती है लेकिन बुराई उस पर हावी हो जाती है लेकिन बाद में बुराई का जब अंत होता है तब फिर अच्छाई अपने को स्थापित कर देती है। इसीलिए हर बुराई का अंत होना निश्चित है इस बात में कोई संदेह नहीं।


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शब्दों की दरिद्रता इस विषय पर अपने विचार लिखो​।

“दहेज हत्या एक कानूनी अपराध” इस विषय पर लघु निबंध लिखिए।

‘इला के पाँव अब थकते नहीं थे।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।​ (जहाँ चाह वहाँ राह)

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‘जहाँ चाह वहाँ राह’ पाठ में ‘इला के पाँव अब थकते नहीं थे’ इस पंक्ति का आशय यह था कि अब अपने काम में पूरी तरह रम गई थी। उसने अपने पाँव से वह सब कुछ करना सीख लिया था जो लोग अपने हाथों से करते हैं। इला अपने पांव से ही हर तरह का काम करने में पारंगत हो गई थी। उसने तेज गति से काम करने में महारत हासिल कर ली थी। दैनिक जीवन के घरेलू काम, चाहे कपड़े धोना हो या बर्तन धोना हो या तरकारी काटना हो अथवा लिखना पढ़ना हो यह सारे काम इला बेहद तत्परता से अपने पाँव के सहारे कर लेती थी।

धीरे-धीरे उसने अपने पाँव के अंगूठे के बीच सुई थाम कर कच्चा रेशम पिरोना भी सीख लिया और 15-16 साल की आयु होते-होते इला काठियावाड़ी कसीदाकारी में माहिर हो गई थी। उसके उसने अपने पाँव से जिन परिधानों की कशीदाकारी की, उन परिधानों की प्रदर्शनी भी लगी। इन परिधानों में काठियावाड़ शैली के अलावा लखनऊ और बंगाल की शैली की भी झलक मिल रही थी।

धीरे-धीरे इला द्वारा बनाए गए परिधान लोकप्रिय होते गए। उसकी कला निखरती गई। वह अपने पाँव से ही अपने हुनर को साधने में लगी थी। उसके पाँव उसके जीवन की गति को आगे बढ़ाने में सहायक थे। अब उसके पाँव रूक नहीं रहे थे, वह पाँवो की सहायता से ही अपने जीवन को जीने लगी थी।

‘जहाँ चाह वहाँ राह’ पाठ में इला के दोनों हाथ बेजान थे। वह अपने हाथों से कोई भी कार्य नहीं कर पाती थी। हाथों से कार्य करने में अक्षम होने पर उसने पैरों से वह सारे कार्य करना सीख लिया जो आम लोग अपने हाथों से करते हैं। धीरे-धीरे उसने अपने पैरों को ही अपना हाथ बना लिया।

यह पाठ हमें यह सीख देता है कि यदि मन में कुछ करने की ठान लो तो रास्ते अपने आप बनते जाते हैं।


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अपराजिता शब्द का निम्नांकित में से कौन सा अर्थ है? (क) जो विकलांग हो (ख) जिसने हार ना मानी हो (ग) जो आपस का ना होगा (घ) जो दूसरों से भिन्न हो

‘मैं जानता हूँ कि जीवन का विकास पुरुषार्थ में है, आत्महीनता में नहीं।’ पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्ति में निहित भाव को लिखिए। (पाठ – अपराजेय)

ऊँटनी के दूध से दही क्यों नहीं जमाया जा सकता है?

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ऊँटनी के दूध से दही नहीं जमाया जा सकता है। इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण हैं:

1. प्रोटीन संरचना : ऊँटनी के दूध में कैसीन प्रोटीन की मात्रा कम होती है।  कैसीन दही जमने के लिए आवश्यक है।

2. वसा की संरचना : ऊँटनी के दूध में वसा के कण छोटे होते हैं और समान रूप से वितरित होते हैं। यह वसा का जमाव रोकता है, जो दही बनाने में महत्वपूर्ण है।

3. एंटीबैक्टीरियल गुण : ऊँटनी का दूध प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण रखता है। यह दही बनाने के लिए आवश्यक बैक्टीरिया के विकास को रोकता है।

4. pH स्तर : ऊँटनी के दूध का pH स्तर अन्य दूधों से अलग होता है। यह pH स्तर दही जमाने के लिए उपयुक्त नहीं होता।

5. लैक्टोज की मात्रा : ऊँटनी के दूध में लैक्टोज की मात्रा कम होती है। लैक्टोज दही बनाने वाले बैक्टीरिया के लिए आवश्यक है।

6. इम्यूनोग्लोबुलिन : ऊँटनी के दूध में उच्च मात्रा में इम्यूनोग्लोबुलिन होता है। यह भी बैक्टीरिया के विकास को रोकता है।

इन कारणों से, ऊँटनी का दूध दही बनाने के लिए प्राकृतिक रूप से अनुकूल नहीं होता। हालांकि, इसके अन्य स्वास्थ्य लाभ हैं और यह कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पोषण स्रोत है।


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हमारे सौरमंडल में क्या शुक्र ग्रह (वीनस) दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमता है और बाकी ग्रह वामावर्त (Anti Clockwise) घूमते हैं?

क्या आप जानतें हैं कि ब्लू व्हेल की जीभ का ही वजन एक वयस्क हाथी के वजन के बराबर होता है।

प्रेमचंद की उपन्यास कला पर प्रकाश डालिए।

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प्रेमचंद की उपन्यास कला पर प्रकाश

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के जाने-माने उपन्यासकार रहे हैं। उनके कालजयी उपन्यासों के कारण उनको उपन्यास सम्राट की उपमा से भी सम्मान दिया जाता है।

प्रेमचंद के उपन्यास भारतीय समाज का यथार्थवादी चित्रण करते हैं। वे ग्रामीण और शहरी जीवन की वास्तविकताओं को बखूबी प्रस्तुत करते हैं। उनके उपन्यास जाति व्यवस्था, गरीबी, शोषण, और महिलाओं की स्थिति जैसे सामाजिक मुद्दों को उठाते हैं। प्रेमचंद अपने पात्रों के माध्यम से मानवीय मूल्यों और नैतिकता पर जोर देते हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों में बेहद सरल और सहज भाषा का प्रयोग करते हुए भी समाज के गहन और गंभीर मुद्दों को उठाया है।

प्रेमचंद के उपन्यासों के पात्र जीवंत और यथार्थपरक होते हैं। उनके उपन्यासों को पात्रों से पाठक सीधा स्वयं का जुड़ाव महसूस करते हैं।  प्रेमचंद के उपन्यासों में कथानक का विकास तार्किक और स्वाभाविक रूप से होता है। उनके उपन्यास केवल समस्याओं का चित्रण ही नहीं करते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का आह्वान भी करते हैं। प्रेमचंद पात्रों के मनोविज्ञान को समझने और उसे प्रस्तुत करने में बेहद माहिर थे। उन्होंने अपने उपन्यासों के माध्यम से ये काम बखूबी किया है। प्रेमचंद ने कई बार  प्रतीकों का उपयोग करके भी गहन विचारों को व्यक्त किया है। प्रेमचंद के कुछ उपन्यास ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में लिखे गए हैं, जो तत्कालीन समाज का चित्रण करते हैं।

इस तरह हम पाते हैं कि प्रेमचंद की उपन्यास कला भारतीय साहित्य में एक मील का पत्थर है। उन्होंने हिंदी उपन्यास को नई दिशा दी और उसे सामाजिक यथार्थ से जोड़ा। उनकी उपन्यास कला न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि समाज को एक नई दृष्टि भी देती है।


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प्रेमचंद की कहानियों का विषय समयानुकूल बदलता रहा, कैसे ? स्पष्ट कीजिए।

‘हिंसा परमो धर्म:’ कहानी में कहानीकार कौन सा संदेश देते हैं? (हिंसा परमो धर्मः – मुंशी प्रेमचंद)

सुवास और सुरभि में क्या अंतर है?

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सुवास और सुरभि दोनों शब्द सुगंध या खुशबू से संबंधित हैं, लेकिन उनमें कुछ सूक्ष्म अंतर हैं। आइए इन दोनों शब्दों के बीच के अंतर को समझते हैं…

1. मूल अर्थ…
  • सुवास — ‘सु’ (अच्छा) + ‘वास’ (गंध) = अच्छी गंध
  • सुरभि — ‘सु’ (अच्छा) + ‘रभ’ (गंध) = प्राकृतिक सुगंध
2. संदर्भ…
  • सुवास — अधिक सामान्य रूप से किसी भी अच्छी गंध के लिए प्रयुक्त
  • सुरभि — प्राकृतिक या कोमल सुगंध के लिए विशेष रूप से प्रयुक्त
3. प्रयोग की दृष्टि से…
  • सुवास — दैनिक भाषा में अधिक प्रचलित
  • सुरभि — अधिक काव्यात्मक या साहित्यिक भाषा में प्रयुक्त
4. उपयोगिता…
  • सुवास — किसी भी प्रकार की सुगंध के लिए उपयोग किया जा सकता है
  • सुरभि — अक्सर फूलों या प्राकृतिक सुगंध के संदर्भ में अधिक प्रयुक्त होता है
5. भावात्मक प्रभाव…
  • सुवास — सामान्यतः तटस्थ भाव लिए होता
  • सुरभि — भावनात्मकता उत्पन्न होती है
6. व्युत्पत्ति…
  • सुवास — संस्कृत से सीधे व्युत्पन्न
  • सुरभि — संस्कृत से व्युत्पन्न, लेकिन अधिक काव्यात्मक रूप में विकसित

यद्यपि दोनों शब्द एक ही मूल विचार सुगंध को व्यक्त करते हैं, उनके उपयोग और भावात्मक प्रभाव में सूक्ष्म अंतर है। सामान्य बोलचाल में, ये शब्द अक्सर एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किए जा सकते हैं, लेकिन साहित्यिक या विशिष्ट संदर्भों में उनके बीच के अंतर को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण हो सकता है।


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प्रभाव और अभाव में क्या अंतर है?

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छोटी बहन से रक्षाबंधन की तैयारियों की बातचीत का संवाद लिखिए।​

संवाद

छोटी बहन से रक्षाबंधन की तैयारियों की बातचीत का संवाद

 

भाई ⦂ सुन वर्षा, इस साल रक्षाबंधन के लिए तेरा क्या प्लान है?

बहन ⦂ भइया, मैं आपको इस बार अपने हाथों से बनी रखी पहनाऊंगी।

भाई ⦂ वाह! यह तो बहुत अच्छा आइडिया है। तू राखी कैसी बनाएगी?

बहन ⦂ मैंने YouTube पर एक वीडियो देखा था। उसमें रंग-बिरंगे मोती और रिबन राखी बनाने का तरीका बता रहे थे।

भाई ⦂ अरे वाह! तो तू भी वैसी ही बनाएगी?

बहन ⦂ हाँ, और मैंने सोचा है कि इस बार मैं राखी की थाली को भी खुद सजाऊँगी।

भाई ⦂ बहुत बढ़िया! मुझे यकीन है कि तेरी राखी और थाली दोनों बहुत सुंदर होंगी।

बहन ⦂ और भइया, इस बार आप मुझे क्या गिफ्ट देंगे?

भाई ⦂ (हँसते हुए) अरे, वो तो सरप्राइज़ रहेगा! लेकिन हाँ, तेरी पसंद का ही कुछ होगा।

बहन ⦂ (खुश होकर) वाह भइया! मैं बहुत उत्साहित हूँ रक्षाबंधन के लिए।

भाई ⦂ मैं भी वर्षा। चल, अब मैं बाजार जा रहा हूँ। तेरे लिए जो गिफ्ट आर्डर किया था वो लेने जा रहा हूँ, कल तुझे सरप्राइज देना है।

बहन ⦂ ठीक है भइया, मैं राखी बनाने का सामान ले आई हूँ और राखी बनाने जा रही हूँ।

भाई ⦂ ठीक है।


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रक्षाबंधन पर निबंध।

रक्षाबंधन पर अनुच्छेद लिखें, 200 शब्दों में।

रक्षाबंधन के अवसर पर भाई-बहन के बीच हुए संवाद को लिखें।

Which gland is known as mixed gland and why?

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The gland known as a ‘mixed gland’ is the pancreas. It’s called a mixed gland because it performs both endocrine and exocrine functions. Let’s break this down:

1. Definition of a Mixed Gland:
A mixed gland is one that has both endocrine and exocrine functions.

2. The Pancreas as a Mixed Gland:
a) Endocrine Function:
– Produces hormones that are released directly into the bloodstream
– Involves the Islets of Langerhans, which make up about 1-2% of the pancreas
– Hormones produced include insulin, glucagon, somatostatin, and pancreatic polypeptide

b) Exocrine Function:
– Produces digestive enzymes that are released into the small intestine via ducts
– Makes up about 98-99% of the pancreatic tissue
– Secretes pancreatic juice containing enzymes like amylase, lipase, and trypsin

3. Why It’s Called Mixed:
– The combination of these two distinct functions in one organ makes it a “mixed” gland
– It’s unique in having significant roles in both the endocrine and digestive systems

4. Importance of Its Dual Function:
– Endocrine role: Crucial for regulating blood sugar levels and metabolism
– Exocrine role: Essential for proper digestion of proteins, fats, and carbohydrates

5. Structure Supporting Dual Function:
– The pancreas has a specialized structure that allows it to perform both functions
– Exocrine cells are arranged in clusters called acini
– Endocrine cells are grouped in the Islets of Langerhans, scattered throughout the organ

This dual nature of the pancreas makes it a unique and vital organ in the body, playing critical roles in both digestion and metabolic regulation.

 

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What is anaerobic respiration ?

Assertion : They run almost parallel to the eastern and South-eastern coasts. Reason: The eastern highlands have steep slopes on the eastern side and gentle slopes on the western side. a) A is true and R is the correct explanation of A. b) A is true but R is false. c) Both A and R are incorrect.

What is anaerobic respiration ?

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Anaerobic respiration is a type of cellular respiration that occurs in the absence of oxygen. Here’s a detailed explanation:

1. Definition:

  • Anaerobic respiration is a metabolic process where cells break down glucose to produce energy without using oxygen.

2. Occurrence:

  • In some microorganisms like certain bacteria and yeasts
  • In animal cells during intense physical activity when oxygen supply is insufficient

3. Process:

  • Begins with glycolysis (like aerobic respiration)
  • Does not use the Krebs cycle or electron transport chain
  • Produces significantly less ATP than aerobic respiration

4. Types:

a) Lactic acid fermentation:

  • Occurs in animal muscles during intense exercise
  • End product is lactic acid

b) Alcoholic fermentation:

  • Occurs in yeast and some bacteria
  • End products are ethanol and carbon dioxide

5. Energy yield:

  • Produces only 2 ATP molecules per glucose molecule (compared to 38 ATP in aerobic respiration)

6. Advantages:

  • Allows energy production when oxygen is unavailable
  • Faster than aerobic respiration, though less efficient

7. Disadvantages:

  • Less efficient in energy production
  • Can lead to the accumulation of lactic acid in muscles, causing fatigue

8. Applications:

  • Used in food production (e.g., bread making, fermentation in wine and beer)
  • Plays a role in certain industrial processes

9. In human physiology:

  • Occurs during intense exercise when oxygen demand exceeds supply
  • Can lead to oxygen debt, which is repaid during recovery

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Assertion (A): An athlete sometimes gets muscle cramps during vigorous exercise. Reason (R): Due to the lack of oxygen and increased production of carbon dioxide in the muscle cells, pyruvic acid is converted into acid.

What is amino acid? What are the functions of amino acid?

Assertion (A): An athlete sometimes gets muscle cramps during vigorous exercise. Reason (R): Due to the lack of oxygen and increased production of carbon dioxide in the muscle cells, pyruvic acid is converted into acid.

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To analyze this assertion and reason, let’s break down the information and examine it step-by-step:

Assertion (A): An athlete sometimes gets muscle cramps during vigorous exercise.
This statement is generally true. Muscle cramps are indeed a common occurrence during intense physical activity.

Reason (R): Due to the lack of oxygen and increased production of carbon dioxide in the muscle cells, pyruvic acid is converted into acid.

This reason contains some correct elements but also some inaccuracies. Let’s examine it:

1. Lack of oxygen: During intense exercise, muscles may experience a temporary lack of oxygen (hypoxia).

2. Increased CO2 production: This is correct. Intense exercise leads to increased CO2 production in muscle cells.

3. Pyruvic acid conversion: The statement is partially correct but oversimplified. In the absence of sufficient oxygen (anaerobic conditions), pyruvic acid is converted to lactic acid, not just “acid.”

Analyzing the relationship between A and R:

1. The reason (R) attempts to explain the cause of muscle cramps mentioned in the assertion (A).

2. While the accumulation of lactic acid can contribute to muscle fatigue, it’s not the primary cause of muscle cramps as implied.

3. Muscle cramps during exercise are more commonly associated with factors such as:

  • Dehydration
  • Electrolyte imbalances (especially sodium and potassium)
  • Muscle fatigue
  • Inadequate blood flow

4. The conversion of pyruvic acid to lactic acid is part of anaerobic respiration, which can contribute to muscle fatigue but is not directly responsible for cramps.

Conclusion:

The assertion (A) is correct, but the reason (R) is only partially correct and does not fully or accurately explain the cause of muscle cramps. While the build-up of lactic acid can contribute to muscle fatigue, it’s not the primary cause of cramps as implied by the reason given. The relationship between muscle cramps and lactic acid production is more complex than suggested here.


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What is amino acid? What are the functions of amino acid?

What are the difference between xylem and phloem transportation of materials.

What is amino acid? What are the functions of amino acid?

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Amino acids are organic compounds that serve as the building blocks of proteins. They are fundamental to life and play crucial roles in various biological processes. Let me break down the answer for you:

What is an amino acid?

1. Structure: Amino acids consist of an amino group (-NH2), a carboxyl group (-COOH), and a side chain (R group) attached to a central carbon atom.
2. Types: There are 20 standard amino acids used by cells to build proteins.
3. Classification: They can be essential (must be obtained from diet) or non-essential (can be synthesized by the body).

Functions of amino acids:

1. Protein synthesis:
– Primary function is to form proteins through peptide bonds.
– Proteins are crucial for structure, function, and regulation of cells and organs.

2. Energy source:
– Can be broken down for energy when carbohydrates are not available.

3. Neurotransmitter production:
– Some amino acids serve as precursors for neurotransmitters (e.g., tryptophan for serotonin).

4. Hormone synthesis:
– Certain hormones are derived from amino acids (e.g., thyroid hormones from tyrosine).

5. Immune function:
– Play a role in antibody production and immune cell function.

6. Tissue repair:
– Essential for wound healing and tissue regeneration.

7. pH regulation:
– Help maintain acid-base balance in the body.

8. Antioxidant functions:
– Some amino acids (like glutathione) act as antioxidants.

9. Enzyme production:
– Crucial components of enzymes that catalyze various biochemical reactions.

10. Transport of molecules:
– Some proteins formed from amino acids act as transporters across cell membranes.

11. Genetic code:
– Amino acids are coded for by DNA, forming the basis of genetic expression.

12. Metabolic regulation:
– Involved in various metabolic pathways and cellular signaling.

This list covers the main functions, but amino acids are involved in many other subtle and complex processes within living organisms. Their importance in biology and biochemistry cannot be overstated.

 

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What are the difference between xylem and phloem transportation of materials.

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What are the difference between xylem and phloem transportation of materials.

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Xylem and phloem are the two main types of vascular tissue in plants, responsible for transporting different materials throughout the plant. Here are the key differences between xylem and phloem transportation:

1. Direction of transport:

  • Xylem: Primarily upward, from roots to other parts of the plant
  • Phloem: Bidirectional, can move both up and down the plant

2. Materials transported:

  • Xylem: Mainly water and dissolved minerals
  • Phloem: Primarily organic compounds (sugars, amino acids) and some minerals

3. Cell types involved:

  • Xylem: Tracheids and vessel elements (dead cells at maturity)
  • Phloem: Sieve tubes and companion cells (living cells)

4. Mechanism of transport:

  • Xylem: Mainly passive transport driven by transpiration pull and root pressure
  • Phloem: Active transport using the pressure flow mechanism (requires energy)

5. Speed of transport:

  • Xylem: Generally faster
  • Phloem: Slower compared to xylem

6. Direction relative to gravity:

  • Xylem: Can work against gravity
  • Phloem: Can work with or against gravity

7. Energy requirement:

  • Xylem: Does not require direct energy input
  • Phloem: Requires ATP for active transport

8. Pressure within the tissue:

  • Xylem: Typically under tension (negative pressure)
  • Phloem: Under positive pressure

9. Cell wall characteristics:

  • Xylem: Thick, lignified walls
  • Phloem: Thinner walls, not lignified

10. Function in the plant:

  • Xylem: Primarily for water and mineral transport, also provides structural support
  • Phloem: Mainly for distribution of photosynthetic products and signaling molecules

11. Response to injury:

  • Xylem: Cannot be repaired if damaged
  • Phloem: Can be repaired to some extent

These differences reflect the specialized roles of xylem and phloem in plant physiology, with each tissue type optimized for its specific function in the plant’s transport system.


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How do Mendel’s experiments show that traits are inherited independently?

What is the scientific name of ginger?

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The scientific name of ginger is Zingiber officinale.

To break this down:

1. Zingiber is the genus name.
2. officinale is the specific epithet.

Information about ginger:

It belongs to the family Zingiberaceae, which also includes turmeric and cardamom.
The term ‘officinale’ in its name means ‘of the officina’ (the storeroom of a monastery where medicines were kept), indicating its long history of medicinal use.

Ginger is a flowering plant whose rhizome (underground stem) is widely used as a spice and in traditional medicine.

It’s native to Southeast Asia but is now cultivated in many tropical and subtropical regions around the world.

Ginger has been used for thousands of years for both culinary and medicinal purposes in various cultures.

The scientific naming system, known as binomial nomenclature, provides a standardized way to refer to species across different languages and cultures, which is particularly useful in scientific contexts.


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How do Mendel’s experiments show that traits are inherited independently?

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Mendel’s experiments demonstrating the independent inheritance of traits are a fundamental concept in genetics. Let’s break this down step-by-step:

1. Mendel’s Approach:

  • Mendel studied traits in pea plants that had clear, distinct variations (e.g., tall vs. short plants, yellow vs. green seeds).
  • He focused on ‘pure breeding’ lines, where plants consistently produced offspring with the same trait.

2. Key Experiment:

  • Mendel crossed plants with two different pairs of contrasting traits.
    For example, he might cross plants with round, yellow seeds with plants having wrinkled, green seeds.

3. First Generation (F1):

  • All offspring showed only one trait from each pair (e.g., all round and yellow seeds).

4. Second Generation (F2):

  • Mendel self pollinated the F1 plants and observed the traits in the F2 generation.
  • He found that the traits appeared in specific ratios.

5. The 9:3:3:1 Ratio:

  • In the F2 generation, Mendel observed approximately:
  • 9/16 plants with both dominant traits (e.g., round and yellow)
  • 3/16 with one dominant and one recessive trait (e.g., round and green)
  • 3/16 with the other dominant and recessive combination (e.g., wrinkled and yellow)
  • 1/16 with both recessive traits (e.g., wrinkled and green)

6. Independent Assortment:

  • This 9:3:3:1 ratio is exactly what you’d expect if the two traits were inherited independently.
  • If the traits were linked, you wouldn’t see all possible combinations in these proportions.

7. Mathematical Proof:

  • The 9:3:3:1 ratio can be derived from multiplying the individual 3:1 ratios for each trait.
    (3:1) × (3:1) = 9:3:3:1

8. Multiple Traits:

  • Mendel repeated this with various trait combinations and consistently found independent assortment.

9. Law of Independent Assortment:

  • Based on these results, Mendel formulated his Law of Independent Assortment, stating that alleles for different traits are passed to offspring independently of each other.

10. Limitations:

  • We now know this law doesn’t always hold true for genes located close together on the same chromosome (linked genes).

Mendel’s work was groundbreaking because it showed that traits are inherited as discrete units (what we now call genes) and that different traits are generally inherited independently of one another. This laid the foundation for our understanding of genetic inheritance.


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Explain some key points of present perfect continuous tense.

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The difference in vacuole size between tomato plants and cactus plants is related to their different adaptations to water availability in their respective environments. Let’s break this down:

1. Tomato plants:

    • Grow in environments with regular water availability
    • Have larger vacuoles to store more water
    • Use this stored water for various cellular processes and to maintain turgor pressure

2. Cactus plants:

    • Adapted to arid environments with limited water availability
    • Have smaller vacuoles as a water conservation strategy
    • Store water in specialized tissue (parenchyma) rather than in large vacuoles

The reasons for these differences are:

1. Water storage: Tomato plants can afford to store more water in vacuoles because they have regular access to water. Cacti need to conserve water, so they don’t store as much in vacuoles.

2. Cellular pressure: Larger vacuoles in tomato plants help maintain turgor pressure, keeping the plant upright and rigid. Cacti have other adaptations for structural support.

3. Metabolic needs: Tomato plants have higher metabolic rates and need more readily available water for photosynthesis and other processes.

4. Adaptation to drought: Cacti have evolved to minimize water loss, which includes having smaller vacuoles to reduce the surface area for potential water loss.

5. Specialized tissues: Cacti store water in specialized parenchyma tissue rather than in large vacuoles, which is more efficient for longterm water storage in arid conditions.

These differences highlight how plants have evolved different strategies to manage water based on their environmental conditions.


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संताप और अवचेतन के कवि के रूप में किस कवि ने ख्याति प्राप्त की है?

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संताप और अवचेतन के कवि के रूप में सीताकांत महापात्र ने ख्याति प्राप्त की है।

सीताकांत महापात्र संताप और अवचेतन के कवि के रूप में जाने जाते हैं। वह मुंलतः उड़िया भाषा के कवि थे। उनकी कविताओं में अवचेतन मन को जब झकझोरने वाली प्रकृति का वर्णन हुआ है। उनकी कविताओं में समुद्र के आसपास के प्राकृतिक बिंब है। समुद्र के आसपास के वातावरण को उन्होंने जीवन और मृत्यु की शाश्वत अनुभूति के साथ जोड़ा है। उनकी कविताओं में आकाश, अंधकार, सांझ, सवेरे, सूर्योदय, सूर्यास्त, समुंदर, यात्रा, मृत्यु दिशाएं आदि जैसे शब्द बार-बार प्रयुक्त हुए हैं। उनकी कविताओं में अवचेतन मन को जब झकझोरने वाली वाली ऐसी प्रवृत्ति है कि कविता को समझने के लिए गहन चिंतन की आवश्यकता पड़ती है।

जहाँ एक तरफ उनकी कविताओं में मृत्युबोध का शाश्वत चिंतन मिलता है, तो वहीं दूसरी तरफ उनकी कविताओं में जीवन की मधुर झंकार भी सुनाई देती है। जहाँ उनकी कविताओं में दुख एक अंधकार के रूप में प्रकट होता है तो वही आशा रूपी सुबह भी उनकी कविताओं में दृष्टिगोचर होती है। इसी कारण उन्हें संताप एवं अवचेतन के कवि के रूप में ख्याति प्राप्त हुई है।

सीताकांत महापात्र को सन 1993 में भारतीय साहित्य का सर्वोच्च पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। उनकी कविताओं का उड़िया भाषा से हिंदी भाषा में अनुवाद राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने किया है।


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पेड़-पौधे हमारे जीवन रक्षक ही नहीं अपितु प्राकृतिक मित्र भी हैं। इस कथन पर विचार कीजिए।

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विचार लेखन

पेड़-पौधे हमारे जीवन के रक्षक

 

पेड़-पौधे हमारे जीवन रक्षक ही नहीं बल्कि हमारे प्राकृतिक मित्र भी हैं, इस बात में संदेह वाली कोई बात नहीं है। पेड़-पौधे ना केवल हमें प्राणवायु यानी ऑक्सीजन प्रदान करने का सबसे बड़ा स्रोत हैं बल्कि वह हमें अनेक जीवनावश्यक वस्तुएं प्रदान करते हैं, जिनके बिना हमारा जीवन संभव नहीं।

एक सच्चा मित्र वही होता है, जो हमारा हित चाहता है और हमें हमेशा कुछ ना कुछ देने की आकांक्षा रखता है। बदले में वो हमसे कुछ पाने की आकांक्षा नहीं रखता। उसी प्रकार पेड़-पौधे भी हमें कुछ ना कुछ प्रदान करते हैं। बदले में वह हमसे कुछ पाने की आकांक्षा नहीं रखते, लेकिन यह हमारा कर्तव्य है कि हम पेड़ पौधों का सम्मान करें, उनके संरक्षण का कार्य करें ताकि वह निरंतर हमें कुछ ना कुछ प्रदान करते रहें।


तीतर का घाव भरने के लिए कर्नल दत्ता ने गेंदे का रस पिलाने को कहा। ऐसे ही कई घरेलू इलाज हमारे बड़े-बुजुर्गों की जानकारी में होते हैं। उनकी जानकारी प्राप्त कर सूचीबद्ध करें।

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कर्नल ने घाव भरने के लिए गेंदे का रस पिलाने के लिए कहा था. ऐसे ही कई घरेलू इलाज हमारे बड़े बुजुर्गों की जानकारी में भी होते रहे हैं।

हमारी दादी-नानी और माँ आदि सभी इस तरह के कई घरेलू इलाज करते रहे हैं। बचपन में जब भी मेरे कान में दर्द होता था तो मेरी माँ सरसों के तेल में लहसुन को भूनकर वह तेल कान में डाल देती थी, जिससे कान का दर्द मिट जाता था। सर्दी जुकाम होने पर हमारी दादी हमें लौंग, काली मिर्च, अदरक, तुलसी के पत्ते वाली चाय पीने की सलाह देती थी अथवा वह दालचीनी, लौंग, काली मिर्च आदि का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह देती थी।

हमारे दादा जी सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दाँतों पर घिसा करते थे। उनका कहना था, इससे दाँत सफेद रहते हैं। हमने भी उसको आजमाया और उपाय सही था। हमारे दादा जी नीम की दातुन से भी दाँत घिसा करते थे और उनके दाँत 70 साल की उम्र तक मजबूत रहे।

हमारे शरीर पर कोई गुम चोट लग जाती थी, तो हमारी माँ हल्दी का लेप लगाती थी, जिससे दर्द से राहत मिलती थी और सूजन भी जल्दी खत्म हो जाती थी। इस तरह के घरेलू उपाय जो हमारे बड़े बुजुर्ग करते थे और इनसे भी फायदा होता था।


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