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तीतर का घाव भरने के लिए कर्नल दत्ता ने गेंदे का रस पिलाने को कहा। ऐसे ही कई घरेलू इलाज हमारे बड़े-बुजुर्गों की जानकारी में होते हैं। उनकी जानकारी प्राप्त कर सूचीबद्ध करें।

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कर्नल ने घाव भरने के लिए गेंदे का रस पिलाने के लिए कहा था. ऐसे ही कई घरेलू इलाज हमारे बड़े बुजुर्गों की जानकारी में भी होते रहे हैं।

हमारी दादी-नानी और माँ आदि सभी इस तरह के कई घरेलू इलाज करते रहे हैं। बचपन में जब भी मेरे कान में दर्द होता था तो मेरी माँ सरसों के तेल में लहसुन को भूनकर वह तेल कान में डाल देती थी, जिससे कान का दर्द मिट जाता था। सर्दी जुकाम होने पर हमारी दादी हमें लौंग, काली मिर्च, अदरक, तुलसी के पत्ते वाली चाय पीने की सलाह देती थी अथवा वह दालचीनी, लौंग, काली मिर्च आदि का काढ़ा बनाकर पीने की सलाह देती थी।

हमारे दादा जी सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दाँतों पर घिसा करते थे। उनका कहना था, इससे दाँत सफेद रहते हैं। हमने भी उसको आजमाया और उपाय सही था। हमारे दादा जी नीम की दातुन से भी दाँत घिसा करते थे और उनके दाँत 70 साल की उम्र तक मजबूत रहे।

हमारे शरीर पर कोई गुम चोट लग जाती थी, तो हमारी माँ हल्दी का लेप लगाती थी, जिससे दर्द से राहत मिलती थी और सूजन भी जल्दी खत्म हो जाती थी। इस तरह के घरेलू उपाय जो हमारे बड़े बुजुर्ग करते थे और इनसे भी फायदा होता था।


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शब्दों की दरिद्रता इस विषय पर अपने विचार लिखो​।

प्रभाव और अभाव में क्या अंतर है?

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विचार लेखन

शब्दों की दरिद्रता

 

शब्दों की दरिद्रता एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति और समाज दोनों को प्रभावित करती है। यह मुख्यतः शिक्षा की कमी, पठन की आदत न होने और सीमित भाषाई अनुभव के कारण होती है। इसका प्रभाव व्यक्ति की अभिव्यक्ति क्षमता, संवाद कौशल और समझ पर पड़ता है, जो आगे चलकर सामाजिक और व्यावसायिक अवसरों को भी सीमित कर सकता है। इस समस्या का समाधान नियमित पठन, शब्दकोश का उपयोग और बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से किया जा सकता है।

डिजिटल युग में संक्षिप्त संवाद का बढ़ता चलन एक चुनौती है, जो शब्द दरिद्रता के बढ़ा रहा है। लोग संक्षिप्त संदेश के चक्कर में शब्दों के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ करते हैं, जिससे नए बेतुके शब्द बनते हैं। इस तरह मूल शब्द बिल्कुल बिगड़ जाते हैं। यही शब्द दरिद्रता को जन्म देते हैं। अंततः, शब्दों का समृद्ध भंडार न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक है, बल्कि समाज के सामूहिक ज्ञान और संस्कृति को भी समृद्ध करता है। किसी भी भाषा को बचाए रखने के लिए शब्दों की दरिद्रता जैसी स्थिति कभी भी पैदा न हो, यही उस भाषा के लिए हितकर है।


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‘किसी भी कार्य को करने के लिए दृढ़ता की आवश्यकता होती है।’ इस विषय पर अपने विचार लिखो।

बेहतर भविष्य के लिए सिर्फ व्यवहारिक विषयों (गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र) की पढ़ाई होनी चाहिए। इस पर विचार लिखें।

‘वीणापाणि’ का समास विग्रह क्या होगा?

वीणापाणि का समास विग्रह इस प्रकार होगा…

वीणापाणि : वीणा है जिसके पाणि (हाथ) में अर्थात देवी सरस्वती
समास भेद : बहुव्रीहि समास

स्पष्टीकरण

वीणापाणि मे बहुव्रीहि समास होता है। बहुव्रीहि समास में कोई पद प्रधान नही होता। अर्थात इसमें न तो प्रथम पद प्रधान होता है, और न उत्तर पद प्रधान होता है। इस समास मे दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद का निर्माण करते हैं, जो दोनों पदों के मूल अर्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करता है।

बहुव्रीहि समास में दोनों पद किसी तीसरे पद के लिए रूढ़ हो जाते हैं। ऊपर दिए पद ‘वीणापाणि’ में भी वीणा का अर्थ एक वाद्ययंत्र और पाणि का अर्थ हाथ है। लेकिन दोनो पद अपने मूल अर्थ को प्रकट न करके तीसरे पद के रूप में विद्या की देवी सरस्वती के एक नाम के लिए रूढ़ हो गए हैं।

बहुव्रीहि समास के कुछ अन्य उदाहरण..

गजानन – गज के समान आनन है जिनके अर्थात भगवान गणेश
गिरिधर – गिरि (पर्वत) को धारण करने वाले अर्थात भगवान श्रीकृष्ण
नीलकंठ – नीला है जिनका कंठ अर्थात भगवान शिव

 


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सामासिक पदों का विग्रह कर समास के भेद बताओ। (1) राजनर्तकी (2) प्रतिक्षण (2) पीताम्बर (4) नीलकमल (4) राजा (5) पूरब (5) इहलोक (6) दोषी (7) आयात (8) पूर्णिमा (9) पंकज (10) राम-लक्ष्मण (11) आजीवन (12) नीलगाय

दिए गए शब्दों का समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए। 1. आरामकुर्सी 2. स्वरचित 3. गुणहीन 4. जीवनसाथी 5. धर्मवीर 6. अधर्म 7. मालगोदाम 8. परमानंद 9. वचनामृत 10. चौमासा 11. यथानियम 12. ऊँच-नीच 13. लंबोदर 14. महावीर 15. संसारसागर 16. पंजाब 17. प्रतिवर्ष ​ 18. चक्रपाणि 19. राजमहल 20. नीलकमल

Write a letter telling to your friend that what you use to do when you arrive early at your school?

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Informal letter

A letter to a friend describing what one might do when arriving early at school

 

Date: 16 August 2024

Dear Ashutosh,

I hope this letter finds you well. I wanted to share with you how I spend my time when I arrive early at school. It’s become quite a routine for me, and I find it helps me start the day on a positive note.

Usually, I get to school about 30 minutes before the first bell rings. The first thing I do is head to the library. It’s quiet there, and I use this peaceful time to review my notes for the day’s classes or finish up any last-minute homework. Sometimes, if I’m feeling particularly studious, I’ll pick up a book and do some extra reading.

If the weather is nice, I like to take a short walk around the school grounds. It’s refreshing and helps me clear my mind before the busy day begins. I often bump into other early arrivers, and we chat for a bit, which is a nice way to ease into social interactions for the day.

On days when I’m feeling a bit sleepy, I’ll stop by the cafeteria for a quick breakfast or a cup of tea. This gives me an energy boost and helps me feel more alert for my morning classes.

Occasionally, I use this time to meet with teachers if I have any questions about assignments or need extra help with a subject. They appreciate the initiative, and it’s easier to have one-on-one time before classes start.

Lastly, I always make sure to organize my locker and ensure I have all the materials I need for the day. This helps me feel prepared and reduces stress during class transitions.

How about you? Do you ever arrive early at your school? If so, what do you like to do with that extra time?

Looking forward to hearing from you soon!

Best regards,
Neelesh,
Mount Green School,
Shimla


Other letters

Your cousin asked if she can visit you during the holiday, write her a reply letter.

Write a letter to principal of your school to organize an essay competition in school.

‘दया’ धर्म का मूल है। इस विषय पर निबंध लिखें।

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निबंध

दया धर्म का मूल है।

 

दया मानव जाति के सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक है। यह वह आधारशिला है जिस पर सभी धर्मों और नैतिक मूल्यों का निर्माण होता है। दया का अर्थ है दूसरों के दुख को समझना और उनकी मदद करने की इच्छा रखना। यह एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को मानवता से जोड़ता है और समाज में सद्भावना का संचार करता है।

जब हम दया दिखाते हैं, तो हम न केवल दूसरों की मदद करते हैं, बल्कि अपने आंतरिक व्यक्तित्व को भी समृद्ध करते हैं। दया से हमारे मन में करुणा, प्रेम और सहानुभूति जैसे भाव जागृत होते हैं, जो हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं। यह हमें स्वार्थ से ऊपर उठकर परोपकार की ओर ले जाती है।

सभी धर्मों में दया को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। हिंदू धर्म में अहिंसा और करुणा, बौद्ध धर्म में करुणा, ईसाई धर्म में प्रेम और क्षमा, इस्लाम में रहम – ये सभी दया के ही विभिन्न रूप हैं। दया धार्मिक सिद्धांतों का केंद्र बिंदु है, जो मनुष्य को नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है।

समाज में दया का प्रसार शांति, सौहार्द और विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। यह हमें एक ऐसे विश्व की ओर ले जाता है जहाँ सभी प्राणी एक-दूसरे के सुख-दुख में भागीदार हों। इसलिए, दया को धर्म का मूल मानना न केवल उचित है, बल्कि आवश्यक भी है।


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निम्नांकित शब्दों के वर्ण विच्छेद कीजिए। वार्तालाप , उज्ज्वल, प्रार्थना, श्रीकृष्ण, मक्खन, डलहौज़ी, पत्र, परीक्षा, ख्याल, मनुष्य।

दिए गए शब्दों का वर्ण विच्छेद इस प्रकार हैं..

वार्तालाप ⦂ व् + आ + र् + त् + आ + ल् + आ + प् + अ

उज्ज्वल ⦂  उ + ज् + ज् + व् + अ + ल् + अ

प्रार्थना ⦂  प् + र् + आ + थ् + अ + न् + आ

श्रीकृष्ण ⦂ श् + र् + ई + क् + ऋ + ष् + ण् + अ

मक्खन ⦂ म् + क् + ख् + अ + न् + अ

डलहौज़ी ⦂ ड् + अ + ल् + अ + ह् + औ + ज् + ई

पत्र प् + अ + त् + र् + अ

परीक्षा ⦂ प् + अ + र् + ई + क् + श् + आ

ख्याल ⦂ ख् + य् + आ + ल् + अ

मनुष्य ⦂  म् + अ + न् + उ + ष् + य् + अ

वर्ण विच्छेद क्या हैं?

हम सभी जानते हैं कि कोई भी शब्द व्यंजन के रूप में होते हैं। स्वर और व्यंजन के रूप में बने वर्णों से बने शब्द का विच्छेद करना ही और उन्हें उनके मूल वर्णों में पृथक करना ही वर्ण विच्छेद कहलाता है।


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लैंडलाइन तथा मोबाइल फ़ोन के बीच संवाद लिखिए।

संवाद लेखन

लैंडलाइन और मोबाइल फ़ोन के बीच संवाद

 

लैंडलाइन ⦂ (दुखी सा चेहरा बनाते हुए) मोबाइल भाई कैसे हो?

मोबाइल फ़ोन ⦂ (हैरानी से जवाब हुए) मैं तो ठीक हूँ पर तुम्हे क्या हुआ? इतना दुखी सा चेहरा क्यों बनाए हो।

लैंडलाइन ⦂ भाई, मैं बहुत परेशान हूँ, मुझे दुःख होता है, आज के समय में सब मुझे भूल गए है, सब तुम पर निर्भर हो गए है?
मोबाइल फ़ोन ⦂ हाँ भाई, ये बात तो सही कह रहे हो, आज के समय में लैंडलाइन को भूल कर सब मुझे तंग करते है। सब जगह मुझे घुमाते है।

लैंडलाइन ⦂ पहले के समय में सब मेरा इस्तेमाल करते थे, सब जरूरत के हिसाब से बात करते थे और अब सारा समय तुम्हारे साथ ही व्यस्त रहते हैं।

मोबाइल फ़ोन ⦂ हाँ यह तो है, आज के समय में बच्चे से लेकर बड़े मेरा प्रयोग करते है। कुछ लोग मेरा प्रयोग अच्छे के लिए करते है और कुछ लोग गलत काम के लिए इस्तेमाल करते है।

लैंडलाइन ⦂ यह तो सही कहा तुमने, आज के समय में सभी लोग तुम पर निर्भर हो गए है।

मोबाइल फ़ोन ⦂ हाँ, यह तो सत्य है, आज का मनुष्य मेरे बिना नहीं रह सकता है।

लैंडलाइन ⦂ मेरा अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। अब मुझे कोई नहीं पूछता।

मोबाइल फोन ⦂ ऐसा मत कहो तुम्हारा अस्तित्व खत्म नहीं होगा। हाँ ये बात अलग है कि मेरे आने के बाद तुम्हारा उपयोग कम जरूर हुआ है। परिवर्तन ही संसार का नियम है। बीता हुआ समय तुम्हारा था। अब मेरा समय है। इस सत्य को तुम्हे स्वीकारना ही होगा।

लैंंडलाइन  मै तुम्हारी बात से सहमत हूँ भाई। अब तुम अपने समय का आनंद लो।

मोबाइल हाँ भाई, अब चलता हूँ फिल मिलेंगे।

लैंडलाइन ⦂ ठीक है भाई।


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राधिका द्वारा गृह कार्य न कर पाने का कारण स्पष्ट करते हुए अध्यापक से की हुई बातचीत को संवाद के रूप मे लिखिए

जल में दो मछलियों के मध्य पानी की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

किस को प्रथम ‘इरास्टियन’ कहा जाता था?

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इरास्टियनवाद एक सिद्धांत है जो चर्च को पूरी तरह से राज्य की शक्ति के अधीन मानता है। इस सिद्धांत का नाम थॉमस इरास्टस (1524-1583) के नाम पर पड़ा है, जो एक स्विस चिकित्सक और धर्मशास्त्री थे। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि इरास्टस ने स्वयं वह सिद्धांत नहीं प्रतिपादित किया जो बाद में उनके नाम से जाना गया।

इरास्टस ने अपने ‘पचहत्तर थीसिस’ (1568) में मुख्य रूप से धार्मिक बहिष्कार के मुद्दे पर लिखा था। उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक अनुष्ठानों से लोगों को बाहर रखने का अधिकार चर्च के पास नहीं होना चाहिए। उनका मानना था कि एक ईसाई राज्य में, चर्च के बाहरी प्रशासन की जिम्मेदारी शासक की होनी चाहिए।

इरास्टस के विचारों का 17वीं सदी के इंग्लैंड में बड़ा प्रभाव पड़ा, जहां चर्च और राज्य के संबंधों पर बहस में ‘इरास्टियनवाद’ शब्द का प्रयोग किया गया।

अतः, यद्यपि थॉमस इरास्टस को ‘प्रथम इरास्टियन’ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उन्होंने वह सिद्धांत नहीं प्रतिपादित किया जो बाद में उनके नाम से जाना गया, फिर भी वे इस विचारधारा के मूल में हैं और इसलिए इस सिद्धांत का नाम उनके नाम पर पड़ा।


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“हर एक संस्थान का कोई न कोई विकल्प जरूर होता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

पृथ्वी-पुत्र किस विधा की रचना है?

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‘पृथ्वी-पुत्र’ निबंध विधा की रचना है।

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व्याख्या

‘पृथ्वी पुत्र’ ‘डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल’ द्वारा रचे गए निबंधों का एक संग्रह है। इस निबंध संग्रह का प्रकाशन सन् 1949 में सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली द्वारा किया गया था। ‘पृथ्वी पुत्र’ नाम के इस निबंध संग्रह में डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा अलग-अलग विषयों पर रचे गए निबंधों का संग्रह किया गया है।डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध साहित्यकार रहे हैं। जिन्होंने अनेक उल्लेखनीय निबंध लिखे हैं। वह अपने विचारशील एवं विवेचनात्मक निबंधों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक ग्रंथों की विशेषताएं भी प्रस्तुत की हैं। उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख निबंधों के संग्रह में पृथ्वी-पुत्र, कल्पवृक्ष, कल्पलता, मातृभूमि, वेद-विद्या, भारत की एकता, कला और संस्कृति, पूर्ण ज्योति आदि के नाम प्रमुख हैं।

इसके अलावा उन्होंने ऐतिहासिक व पौराणिक निबंध भी लिखे हैं, जिनमें महापुरुष श्रीकृष्ण, महर्षि वाल्मीकि और मनु अधिक नाम प्रमुख है। उन्होंने आलोचनात्मक ग्रंथ और शोध ग्रंथ भी लिखे हैं। ग्रंथों पर आधारित विवेचनात्मक अध्ययन के अंतर्गत उन्होंने मेघदूत : एक अध्ययन, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पद्मावत और संजीवनी व्याख्या, कादंबरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पाणिनिकालीन भारतवर्ष, कीर्ति लता, भारत सावित्री आदि ग्रंथों पर आधारित विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 7 अगस्त 1904 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था। उनका निधन 27 जुलाई 1967 को हुआ।


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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की काव्य रचना ‘सरोज स्मृति’ एक शोकगीत है। स्पष्ट करें।

भुवनत्रयम में कौन सा समास है?

‘भुवनत्रयम’ ससास विग्रह इस प्रकार है :

भुवनत्रयम : तीन भुवनों का समाहार
समास भेद : द्विगु समास

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स्पष्टीकरण

‘भुवनत्रयम’ में द्विगु समास में इसलिए है क्योंकि इस पद का समास विग्रह करने पर पहला पद एक संख्या को प्रदर्शित करता है।
द्विगु समास में पहला पर एक संख्यावाचक पद होता है, जो दूसरे पद के लिए संख्या प्रदर्शित करता है। दिगु समास का समास विग्रह करने पर पहला पद संख्या में परिवर्तित हो जाता है और दूसरा पद उस संख्या जो दूसरे पद के लिए संख्या प्रदर्शित करता है।

समास क्या हैं?

समास से तात्पर्य दो या दो से अधिक पदों को मिलाकर बने नए पद से होता है। यह नया पद सभी पदों का संक्षिप्त रूप होता है। सरल अर्थों में कहें तो दो या दो से अधिक अधिक पदों को एक ही पद में समेट लेने की क्रिया ही समासीकरण कहलाती है। समास की प्रक्रिया में दो या दो से अधिक पदों को एक नए पद में परिवर्तित कर दिया जाता है। नया पद एक सार्थक अर्थ प्रकट करता है, जो सभी मूल पदों के मिले-जुले अर्थ को भी प्रकट करता है।

समास के 6 भेद होते हैं जो कि इस प्रकार हैं…

• अव्ययीभाव समास
• तत्पुरुष समास
• कर्मधारय समास
• बहुव्रीहि समास
• द्विगु समास
• द्वंद्व समास


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‘विष्णु’ का समास विग्रह क्या होगा?

Discuss the role of Nelson Mandela in the struggle against apartheid in the South Africa.

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Nelson Mandela played a pivotal role in the struggle against apartheid in South Africa, becoming a global symbol of resistance against racial oppression and injustice. Here’s an overview of his crucial contributions:

1. Early activism:

Nelson Mandela’s journey in the fight against apartheid began in 1944 when he joined the African National Congress (ANC). His passion for equality and justice quickly became evident as he helped form the ANC Youth League, which aimed to invigorate the movement with fresh ideas and energy. As Mandela became more deeply involved in anti-apartheid activities, he organized and participated in peaceful protests and civil disobedience campaigns. These early experiences shaped his political ideology and set the stage for his future leadership role in the struggle against racial oppression.

2. Leadership in the ANC:

Mandela’s dedication and charisma propelled him to prominence within the ANC. By 1952, he had risen to the position of Deputy National President, a testament to his growing influence and leadership abilities. However, as the apartheid government’s repression intensified, Mandela recognized the limitations of peaceful resistance. In response, he co-founded Umkhonto we Sizwe (MK), the armed wing of the ANC, in 1961. This decision marked a significant shift in strategy, reflecting the mounting frustration with the lack of progress through non-violent means alone.

3. Imprisonment:

Mandela’s activities eventually led to his arrest in 1962, and he was subsequently sentenced to life imprisonment during the infamous Rivonia Trial in 1964. The next 27 years of his life were spent in prison, with the majority of that time on Robben Island. Despite the harsh conditions and isolation, Mandela’s spirit remained unbroken. His imprisonment paradoxically elevated his status, transforming him into a powerful symbol of resistance against apartheid. Throughout his incarceration, Mandela steadfastly refused offers of conditional release, insisting on nothing less than full political rights for all South Africans.

4. Negotiations and release:

The 1980s marked a turning point in Mandela’s imprisonment as he began engaging in secret negotiations with the apartheid government. These discussions, conducted while still behind bars, laid the groundwork for future peace talks. As international pressure mounted and the political landscape in South Africa began to shift, the government finally relented. Mandela’s release in 1990 was a momentous event, watched by millions around the world and signaling the beginning of the end for the apartheid regime.

5. Transition to democracy:

Upon his release, Mandela immediately took up the mantle of leadership, guiding the ANC through complex negotiations with the government for a peaceful transition to majority rule. His skills as a negotiator and his commitment to peaceful resolution were crucial during this volatile period. In recognition of their efforts to end apartheid through peaceful means, Mandela and F.W. de Klerk, the last apartheid-era president, were jointly awarded the Nobel Peace Prize in 1993. This accolade underscored the international community’s support for South Africa’s peaceful transition.

6. Presidency:

In 1994, Mandela achieved what once seemed impossible, becoming South Africa’s first democratically elected president. His presidency focused on national reconciliation and the ambitious goal of creating a “Rainbow Nation” where all races could coexist harmoniously. One of his most significant initiatives was the establishment of the Truth and Reconciliation Commission, which sought to address the human rights violations that occurred during apartheid. This approach emphasized healing and understanding over retribution, setting a powerful example for conflict resolution.

7. Legacy:

Mandela’s impact extended far beyond his presidency. His unwavering advocacy for forgiveness and unity played a crucial role in preventing potential civil war and racial violence in post-apartheid South Africa. On the global stage, Mandela became an icon for peace, reconciliation, and social justice, inspiring movements and leaders worldwide. Even after stepping down from official duties, he continued his work through the Nelson Mandela Foundation, focusing on various social causes. Mandela’s life and legacy stand as a testament to the power of perseverance, compassion, and the unyielding pursuit of justice.

Mandela’s leadership, sacrifice, and commitment to non-racial democracy were instrumental in dismantling the apartheid system and guiding South Africa through a challenging transition period. His emphasis on reconciliation rather than retribution helped set a powerful example for conflict resolution worldwide.


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Why political and social justice is meaningless without economic justice?

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Political and social justice are closely intertwined with economic justice, as economic factors often underpin and reinforce other forms of inequality and injustice. Here are some key reasons why political and social justice efforts may be limited without also addressing economic justice:

1. Economic power influences political power: Those with greater wealth and economic resources often have disproportionate influence over political processes and policy-making. This can lead to a system where the interests of the wealthy are prioritized over those of the general population.

2. Socioeconomic status affects access to opportunities: Education, healthcare, housing, and other essential services are often tied to one’s economic status. Without economic justice, disparities in these areas tend to persist and exacerbate social inequalities.

3. Poverty limits political participation: Those struggling with economic hardship may have less time, resources, or energy to engage in political processes or social movements, effectively limiting their voice in society.

4. Intersectionality of oppression: Economic injustice often intersects with and compounds other forms of discrimination based on race, gender, disability, etc. Addressing one form of injustice without tackling economic disparities may not fully address the root causes of inequality.

5. Social mobility: Without economic justice, it becomes difficult for individuals to move up the social ladder, perpetuating generational cycles of poverty and inequality.

6. Environmental justice: Economic disparities often correlate with exposure to environmental hazards and limited access to natural resources, affecting quality of life and health outcomes.

7. Criminal justice system: Economic status can influence outcomes in the legal system, from access to quality legal representation to the ability to pay fines or post bail.

8. Media representation and cultural influence: Economic power often translates to control over media narratives and cultural production, shaping societal norms and values.

While political and social justice initiatives are crucial, they may have limited long-term impact if not accompanied by measures to address underlying economic inequalities. Comprehensive approaches that consider the interconnected nature of political, social, and economic justice are often more effective in creating lasting, systemic change.


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Which sect of Christian believe that the Christ is the head of the church?

Amazing facts about ‘International Youth Day​.’

Assertion : They run almost parallel to the eastern and South-eastern coasts. Reason: The eastern highlands have steep slopes on the eastern side and gentle slopes on the western side. a) A is true and R is the correct explanation of A. b) A is true but R is false. c) Both A and R are incorrect.

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To answer this question, we need to analyze both the assertion (A) and the reason (R) separately, and then determine their relationship. Let’s break it down:

Assertion (A): They run almost parallel to the eastern and South-eastern coasts.

This statement is likely referring to the Eastern Ghats of India, which indeed run roughly parallel to the eastern and southeastern coasts of the Indian peninsula.

Reason (R): The eastern highlands have steep slopes on the eastern side and gentle slopes on the western side.

This statement is generally true for the Eastern Ghats. They have steeper slopes facing the coast (eastern side) and gentler slopes towards the inland (western side).

Now, let’s consider the relationship between A and R:

1. A is true: The Eastern Ghats do run parallel to the eastern and southeastern coasts.
2. R is true: The description of the slopes is accurate for the Eastern Ghats.
3. However, R is not explaining A. The reason given (slope characteristics) doesn’t explain why the highlands run parallel to the coast. These are two separate facts about the Eastern Ghats.

Given this analysis, the correct answer is:

b) A is true but R is false.

While both statements are factually correct, R is not the explanation for A. The parallelism of the Eastern Ghats to the coast is due to geological factors related to plate tectonics and the formation of the Indian subcontinent, not because of the slope characteristics.


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Why is there a difference in the climate of region close to the oceans and region far away from the oceans?

Why do birds fly south for the winter?

Why is there a difference in the climate of region close to the oceans and region far away from the oceans?

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There is indeed a significant difference in the climate of regions close to oceans compared to those far away from oceans. This is primarily due to the unique properties of water and its interaction with the atmosphere. These are the key points…

1. Thermal capacity:

    • Oceans have a much higher heat capacity than land. They absorb and release heat more slowly, moderating temperature fluctuations.

2. Maritime vs. Continental climate:

    • Coastal areas experience maritime climates with milder temperatures. Inland areas have continental climates with more extreme temperature variations.

3. Moisture content:

    • Oceans provide a constant source of moisture to the atmosphere. Coastal regions tend to be more humid and receive more precipitation.

4. Ocean currents:

    • Warm and cold ocean currents influence nearby land temperatures. For example, the Gulf Stream warms parts of Western Europe.

5. Sea breezes:

    • Daily temperature differences between land and sea create local wind patterns. These affect temperature and humidity in coastal areas.

6. Moderation of extreme weather:

    • Oceans can help buffer against extreme temperature changes. They can also influence the formation and intensity of storms.

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भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है?

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भारत का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाने के पीछे एक रोचक इतिहास है। इस तारीख का चयन कई कारणों से हुआ था।

भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त, 1947 को सत्ता हस्तांतरण की तारीख चुनी। इससे पहले मूल योजना 30 जून, 1948 तक सत्ता हस्तांतरण की थी, लेकिन माउंटबेटन ने इसे पहले लाने का फैसला किया। माउंटबेटन जल्द से जल्द सत्ता हस्तांतरण करके हिंसा की संभावना को कम करना चाहते थे। 15 अगस्त, द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ थी।

इसी कारण 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में यह विधेयक पेश किया गया। इसमें 15 अगस्त, 1947 को भारत में ब्रिटिश शासन के अंत और भारत व पाकिस्तान के स्वतंत्र राष्ट्रों की स्थापना का प्रावधान था।

माउंटबेटन का कहा यह दिखाना चाहते थे कि वे वे ही भारत-पाकिस्तान के बंटवारे और उनकी आजादी के पूरे सूत्रधार है, इसलिए उन्होंने अपनी इच्छा अनुसार ये तारीख चुनी।

यह तारीख न केवल भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक बनी, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संदर्भ भी रखती है। आज वर्षों बाद भी यह दिन भारतीयों के लिए गौरव, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया है।


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निम्न में से मैथिलीशरण गुप्त की रचना नहीं है (i) ‘सिद्धराज’ iii) ‘अनघ’ (ii) ‘इत्यलम्’ (iv) ‘प्रदक्षिणा’।

‘आहवान’ कविता के अनुसार (A) मूर्ति के बिना साँचा नहीं बन सकता (B) साँचे के बिना मूर्ति नहीं बन सकती (C) साँचे के बिना लोग संघर्षशील नहीं हो सकते (D) साँचे के बिना सफलता नहीं मिल सकती

Why do birds fly south for the winter?

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Birds fly south for the winter, a process known as migration, for several key reasons:

1. Warmth: Many bird species mate and nest in specific areas that are only comfortable during warmer months. When cold weather approaches, they migrate to warmer climates to avoid harsh winter conditions.

2. Food availability: Warmer regions typically offer more abundant food sources during winter months, which is crucial for the birds’ survival.

3. Water access: Migrating to southern regions ensures access to unfrozen water sources, which is essential for many bird species.

4. Breeding cycles: Migration allows birds to take advantage of optimal breeding conditions in different parts of the world at different times of the year.

An example of this migratory pattern is the American golden plover:

During spring and summer in the Northern Hemisphere, they breed north of Canada and Alaska.

In autumn, they travel thousands of miles to southeastern South America.

This allows them to experience summer conditions year-round, as they arrive in the Southern Hemisphere during its summer season.

When spring returns to the Northern Hemisphere, they reverse their journey, returning to their northern nesting grounds to breed.

These migratory patterns have evolved to allow birds to maximize their chances of survival and successful reproduction by taking advantage of the most favorable conditions in different parts of the world at different times of the year.


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Can all birds fly?

Which is the fastest animal on earth?

Can all birds fly?

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No, not all birds can fly. While most birds are capable of flight, there are several notable exceptions:

1. Flightless birds: Several species have lost the ability to fly over millions of years of evolution.

Examples include:

  • African ostrich
  • South American rhea
  • Australian emu
  • Kiwi
  • Cassowary
  • Penguins (Southern Hemisphere)

2. Penguins: Although they can’t fly through the air, penguins use their flipper-like wings to ‘fly’ through water, gliding efficiently in the ocean.

3. Temporary flightlessness: Some flying birds become temporarily incapable of flight during their molting period when they shed old feathers for new ones.

The loss of flight ability in some bird species is believed to be the result of evolutionary adaptations. Possible reasons include:

1. Isolation on oceanic islands with no predators, eliminating the need to fly for escape.
2. Abundance of food, reducing the need to fly long distances in search of sustenance.
3. Gradual disuse of wings over time.

Despite being flightless, these birds still possess wings, indicating their probable descent from flying ancestors. They have developed alternative survival strategies and adaptations suited to their specific environments.


Other questions

Which is the fastest animal on earth?

What is pelvic floor muscle in our body?

Which is the fastest animal on earth?

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The fastest animal on Earth is the cheetah.

Cheetahs can reach speeds of up to 60-70 mph (96-112 km/h) in short bursts over land. They are built for speed, with a slender body, long legs, and a flexible spine that allows them to cover great distances in a few bounds.

Some key facts about cheetah speed:

1. They can accelerate from 0 to 60 mph in just 3 seconds.
2. Their top speed can only be maintained for short distances, usually 200-300 meters.
3. Cheetahs use their long tail as a rudder to help them make sharp turns at high speeds.

It’s worth noting that while cheetahs are the fastest land animals, there are faster animals in other environments:

In the air: The peregrine falcon can dive at speeds over 240 mph (386 km/h).
In water: The sailfish can swim at speeds up to 68 mph (109 km/h).

In details:

Fastest Animals on Land, Air, and Water

In the animal kingdom, speed is often crucial for survival, whether for hunting or escaping predators. Let’s explore some of the fastest animals across different environments:

On Land:

1. Fastest Sprinter: The cheetah (Acinonyx jubatus) holds the title for the fastest land animal over short distances. It can:
Accelerate from 0 to 60 mph in less than 3 seconds
Reach top speeds of 60-70 mph
Maintain this speed only for short bursts

2. Fastest Long-Distance Runner:

The pronghorn (Antilocapra americana), also known as the American antelope, excels at sustained speed:
Can maintain nearly 35 mph over several miles
Reaches top speeds of about 55 mph during sprints
Possesses special adaptations like cushioned hooves and enhanced oxygen intake

Other notable fast land animals include:
Lions: Top speed of about 50 mph
Springbok: Can reach 55 mph when pursued
Blue wildebeest: Clocked at 50 mph

In the Air:

1. Fastest Bird Overall: The peregrine falcon (Falco peregrinus) is the speed champion of the animal kingdom:
Achieves flight-diving speeds of over 185 mph when hunting

2. Other Fast Birds:
Golden eagle: Dives at 150+ mph
White-throated needletail swift: 105 mph in horizontal flight
Eurasian hobby: Up to 100 mph

In Water:

While precise measurements can be challenging, two fish species stand out:

1. Black marlin (Makaira indica): Estimated top speed of up to 80 mph
2. Sailfish: Estimated top speed of at least 67 mph

Insects:
The common horsefly (Tabanus trimaculatus) has been recorded at speeds of up to 90 mph under certain experimental conditions, making it one of the fastest insects.

This data showcases the incredible diversity of speed adaptations across different animal groups and environments. Each of these animals has evolved unique features that allow them to achieve and utilize their impressive speeds for survival and success in their respective habitats.


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What is binary fission?

Write the summary of the poem ‘Refugee Blues’ by W H Auden.

प्रभाव और अभाव में क्या अंतर है?

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प्रभाव और अभाव में मुख्य अंतर यह होता है कि प्रभाव किसी एक व्यक्ति, दृश्य अथवा वस्तु के द्वारा किसी व्यक्ति पर पड़ने वाली व्यवस्था है, जो वह किसी व्यक्ति वस्तु अथवा दृश्य को देखकर अपने मन में अनुभव करता है, जबकि अभाव किसी इच्छित अथवा आवश्यक वस्तु, पदार्थ अथवा विचार के न होने की स्थिति से है।

प्रभाव किसी व्यक्ति वस्तु अथवा दृश्य के कारण उत्पन्न होने वाली एक मानसिक अवस्था होती है, जो किसी दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समुदाय को प्रभावित करती है और उनकी मनोस्थिति को बदलने की सामर्थ्य रखती है।

अभाव आप किसी वस्तु अथवा पदार्थ के ना होने की स्थिति है। जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई वस्तु, पदार्थ अथवा विचार नहीं है, जिसकी उसे कामना है तो वह अवस्था अभाव वाली अवस्था है। अभाव वही है, जो उसके पास नहीं है, जो वह चाहता है। इच्छित वस्तु के ना होने की अवस्था अभाव है।


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अभिराम और अविराम में अंतर कीजिए।

‘मोटर साइकिल सुविधा के लिए है, तेज चलाने या करतब दिखाने के लिए नहीं।’ यह समझाते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

मोटर साइकिल आराम से चलाने के संबंध में छोटे भाई को पत्र

दिनाँक : 14 अगस्त 2024

प्रिय अनुज रोहित,
खुश रहो,

आज मैं तुम्हे एक बहुमूल्य सलाह देने के संबंध में ये पत्र लिख रहा हूँ। दसवीं कक्षा में प्रथम आने पर पिताजी ने तुम्हे मोटरसाइकिल दिलाई। तुम्हे मोटरसाइकिल लेने की बड़ी इच्छा थी। पिताजी ने तुम्हारी मांग तो पूरी कर दी लेकिन तुम अब मोटसाइकिल का दुरुपयोग करने लगे हो।

मैंने अक्सर घर पर माँ से तुम्हारी शिकायत के बारे में सुना है और कई लोगों ने भी तुम्हारे बारे में यह शिकायत की है कि तुम मोटर साइकिल चलाते समय बेहद लापरवाही बताते बरत रहे हो। तुम्हें आजकल बाइक राइडिंग का बहुत शौक हो गया है और तुम अपने दोस्तों के साथ मोटरसाइकिल पर तरह-तरह के करतब दिखाते हो। माँ के समझाने से भी तो मानते नहीं हो। यह बात सुनकर मेरे मुझे बड़ी चिंता होती है।

प्रिय भाई, मोटरसाइकिल एक वाहन है, जो हमें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए एक साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह कोई करतब दिखाने का साधन नहीं है। तुम मोटरसाइकिल पर यूं ही ऐसे करतब दिखाओगे तो कोई भी दुर्घटना हो सकती है और तुम्हारे जीवन को खतरा उत्पन्न हो सकता है। सड़क पर मोटरसाइकिल से करतब दिखाने से अन्य लोगों को भी असुविधा होती है।

मेरा तुमसे अनुरोध है कि तुम मोटरसाइकिल चलाते समय करतब दिखाना बंद कर दो और मोटरसाइकिल को मोटरसाइकिल की तरह ही सावधानीपूर्वक एवं यातायात के नियमानुसार चलाओ, नहीं तो भविष्य में कोई भी दुर्घटना हो सकती है। यह न केवल नैतिक रूप से गलत कार्य है बल्कि कानूनी रूप से भी गलत कार्य है। तुम किसी कानूनी झंझट में भी फंस सकते हो। इसलिए मेरा सुझाव मानते हुए आज से ही मोटरसाइकिल पर करतब दिखाना बंद कर दो।

आशा है तुम मेरी बात अच्छी तरह समझ गए होगे और अपने बड़े भाई की बात जरूर मानोगे।

तुम्हारा अग्रज,
मोहित।


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आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़ गया है। कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।

अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए कि वह अपने स्कूल में सदा उपस्थित रहे और परीक्षा की भली-भाँति तैयारी करे।

छोटे भाई को ईमानदारी के विषय में समझाते हुए दो भाइयों के मध्य वार्तालाप लिखिए।

पशु भी प्राणी होते हैं। प्राणी मात्र के प्रति हमारा कर्तव्य होना चाहिए ? अपने शब्दों में लिखो । क्या हमें बाघ आदि पशुओं को मारना चाहिए ?

विचार/अभिमत

 

प्राणी अर्थात जो जीवित हो। इस पृथ्वी पर हर वह चीज़ जो सजीव है अर्थात साँस लेती है वह सभी प्राणी हैं। हमें प्राणियों की रक्षा करना हमारा दायित्व बनता है। वनों के साथ-साथ पशु (प्राणी) भी मानव के लिये महत्वपूर्ण संसाधन है इनसे मांस, खाल, हाथी दांत आदि प्राप्त होते है। इससे प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है आने वाले कुछ ही वर्षों में पशुओं (प्राणियों) की कुछ प्रजातियाँ पूर्णतः लुप्त हो जाने का भय है। इन्हें पर्यावरण संतुलन के लिये बचाना आवश्यक है।

पारिस्थितिकी तंत्र एवं जैव विविधता के संरक्षण में इनकी (प्राणियों) की मुख्य भूमिका है। इनके संरक्षण के लिए वन्य जीव संरक्षण अधिनियम भी बनाया गया है। इसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। तस्करों की सूचना देने वालों और वन्यजीवों (प्राणियों)के संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाए।

तहसील एवं ग्रामीण स्तर पर पशुओं (प्राणियों) के लिए सुरक्षा समितियों का गठन किया जाना चाहिए। वन्य जीवों की हत्या पर प्रतिबंध है।

वन्य प्राणी संरक्षण के उपाय

(1) वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों को बिना नुकसान पहुंचाए नियंत्रित करना।
(2) वन्य जीवों के शिकार पर पूर्णतः प्रतिबद्ध लगाना।
(3) वन्य क्षेत्रों में जैव मण्डल रिजर्व की स्थापना।
(4) राष्ट्रीय पार्क, अभयारण्य की स्थापना करना।
(5) वन्य जीवन प्रबंधन की योजनाओं को ईमानदारी से लागू करना।

भारतीय संस्कृति में बाघ हमेशा प्रमुख स्थान पर रहा है, कुछ दशक पहले, बाघों का लोगों द्वारा अपने विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए, जिसमें गैर-कानूनी कार्य भी शामिल है; जैसे – शरीर के अंगों, खाल (त्वचा), हड्डियों, दाँतों, नाखूनों आदि की तस्करी के लिए बड़े स्तर पर शिकार किया जाता था। इसके परिणाम स्वरूप पूरे भारत में बाघों की संख्या में बहुत अधिक कमी आई। नहीं ,हमें बाघों का शिकार नहीं करना चाहिए।

राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए रॉयल बंगाल बाघ को भारतीय मुद्रा नोटों के साथ-साथ डाक टिकटों में भी चित्रित किया गया है। राष्ट्रीय पशु के रूप में एक उचित महत्व प्रदान करने के लिए रॉयल बंगाल बाघ को भारतीय मुद्रा नोटों के साथ-साथ डाक टिकटों में भी चित्रित किया गया है। बाघ को इसी शक्ति, ताकत और चपलता के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु चुना गया है। यह अपने जंगल का राजा और रॉयल बंगाल टाइगर के जैसे नामों के कारण भी राष्ट्रीय पशु चुना गया है।


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सुख-दुख के समय हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? अपने विचार लिखें।

भारत की वास्तुकला यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। तर्क सहित विचार लिखिए।

सुख-दुख के समय हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए? अपने विचार लिखें।

आपने महान व्यक्तियों और संतों को कहते हुए सुना ही होगा कि चाहे जीवन में सुख आए या दुख मनुष्य को हमेशा एक सा ही रहना चाहिए। सुख आने पर बहुत खुश नहीं होना चाहिए और दुख आने पर बहुत दुख नहीं मनाना चाहिए। सुख-दुख में एक समान रहने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ है। सुख और दुख तो मनुष्य के जीवन में धूप और छाँव की तरह आते-जाते रहते हैं। सच्चा व्यक्ति वही व्यक्ति है जो सुख और दुख को समान भाव से ग्रहण करें। हमारे सुख दुःख का आधार हमारा मन है मन से ही सुख दुख पैदा होता है मन जो चाहता है वह मिले तो सुख न मिले तो दुख। क्रोध लोभ लालच आदि भी मन से ही उत्पन्न होता है हमारे दुख का मूल हमारा मन है।

सुख-दुख में हमारा व्यवहार एक सा होना चाहिए जैसे :-

  • हमें विनम्र रहना चाहिए ।
  • हमें सब्र रखना चाहिए ।
  • थोड़ा बर्दाश्त करना सीखें ।
  • बहुत कुछ नजरंदाज करना सीखें ।
  • किसी से भी ज्यादा उम्मीद ना करें ।
  • हर तरह की स्थिति में रहना सीखें ।
  • क्रोध ना करें ।
  • संतुष्टि रखें ।
  • खुश रहें ।
  • दूसरों पर अपने विचार ना थोपें ।
  • ईश्वर पर भरोसा रखें ।
  • हमेशा दूसरों की मदद करें ।
  • अपने मन पर काबू रखें ।

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इंटरनेट की लोकप्रियता के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।

इंटरनेट की लोकप्रियता के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।

अनुच्छेद लेखन

इंटरनेट की लोकप्रियता

 

इंटरनेट की लोकप्रियता आधुनिक समय में, पूरी दुनिया में इंटरनेट एक बहुत ही शक्तिशाली और दिलचस्प माध्यम बनता जा रहा है। इंटरनेट के हमारे जीवन में प्रवेश के साथ ही, हमारी दुनिया बड़े पैमाने पर बदल गई है इसके द्वारा हमारे जीवन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। यह विद्यार्थियों, व्यापारियों, सरकारी एजेंसियों, शोध संस्थानों आदि के लिये काफी फायदेमंद है। इससे विद्यार्थी अपने पढ़ाई से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है, व्यापारी एक जगह से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते है, इससे सरकारी एजेंसी अपने काम को समय पर पूरा कर सकती है तथा शोध संस्थान और शोध करने के साथ ही उत्कृष्ट परिणाम भी दे सकती है।

आज इंटरनेट की वजह से वैज्ञानिक पृथ्वी पर बैठे-बैठे अंतरिक्ष में गए हुए अंतरिक्ष यात्रियों से बात कर सकते हैं और उन्हें देख सकते हैं। पृथ्वी के बाहर घूमते हुए सैटेलाइट पृथ्वी पर इंटरनेट के माध्यम से ही सभी जानकारियाँ दिन-रात भेजती रहती हैं जिसके माध्यम से वैज्ञानिक पृथ्वी पर हो रहे कई प्रकार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखते हैं। इंटरनेट के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे किसी भी व्यक्ति से हम निशुल्क रुप से बात कर सकते हैं।

इंटरनेट के हमारे जीवन में प्रवेश केसाथ ही, हमारी दुनिया बड़े पैमाने पर बदल गई है इसके द्वारा हमारे जीवन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। यह विद्यार्थियों, व्यापारियों, सरकारी एजेंसीयों, शोध संस्थानों आदि के लिए काफी फायदेमंद है। इससे विद्यार्थी अपने पढ़ाई से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते है, व्यापारी एक जगह से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते है, इससे सरकारी एजेंसी अपने काम को समय पर पूरा कर सकती है तथा शोध संस्थान और शोध करने के साथ ही उत्कृष्ट परिणाम भी दे सकती है।


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कल्पना कीजिए कि आपको एक सप्ताह के लिए विदेश जाने का मौका मिला है। आप किस जगह पर जाना चाहेंगे? उसके बारे में 100-150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखें।

इस विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए – ‘जब मैं बीमार हुआ।’

क्या आपको लगता है कि अंतरिक्ष में जाना विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार तर्क सहित उत्तर दीजिए।

विचार/अभिमत

 

जी हाँ, यह कहना कि अंतरिक्ष में जाना विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार है, बिल्कुल सही है और आधुनिक युग को विज्ञान का युग कहना गलत नहीं होगा।

आज के जमाने में प्रत्येक व्यक्ति विज्ञान पर बहुत अधिक निर्भर है, हर घटना के पीछे का कारण विज्ञान है, फिर चाहे वह चक्रवात हो, तूफान या वर्षा होना हो या फिर पानी का उबलना और जमना आदि। विज्ञान  केवल उपकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि पृथ्वी से ब्रह्मांड तक विज्ञान को देखा जा सकता है। आसान शब्दों में  विज्ञान के अभाव में व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसकी सीमा तथा क्षेत्र दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक तथा किसी वस्तु या प्राणी का क्रमबद्ध ज्ञान, विज्ञान कहलाता है।

हम सभी जानते हैं, पानी का उबलना एक प्राकृतिक घटना है, पर पानी सदैव 100 डिग्री पर उबलता है तथा 0 डिग्री पर जमता है यह विज्ञान है। शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान का बहुत अधिक महत्व है।  कोरोना काल में विज्ञान के माध्यम से ही छात्र अपनी पढ़ाई को जारी रखने में सक्षम हुए हैं। आज हम लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से अपने घर बैठे ही अपने स्कूल की कक्षा ले सकते हैं।

इंटरनेट के माध्यम से वीडियो कॉल के जरिए हम अपनी कक्षा बिना रुके ले सकते हैं। साथ ही दुनिया भर की जानकारी हम मोबाइल पर एक क्लिक करके ही प्राप्त कर सकते हैं।  साईकिल, मोटर साईकिल, रिक्शा, कार, बस, मिसाइल, तथा हवाई जहाज का आविष्कार यह सब विज्ञान की ही देन है।

इसलिए अंतरिक्ष में जाना विज्ञान का सबसे बड़ा चमत्कार है, बिल्कुल सही है।


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भारत की वास्तुकला यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। तर्क सहित विचार लिखिए।

‘मन की एकाग्रता’ इस विषय पर अपने विचार लिखो।

उच्छवास में कौन सी संधि है​?

उच्छवास में संधि इस प्रकार होगी :

उच्छवास : उत् + श्वास

संधि भेद : व्यंजन संधि

‘उच्छवास’ में ‘व्यंजन संधि’ है।

व्यंजन संधि का नियम

जब ‘त्’ और ‘श्’ का मेल होता है तो ‘च्छ’ बनता है।

व्यंजन संधि क्या है?

जब दो शब्दों के मेल में पहले शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण व्यंजन होता है, तो इन व्यंजनों के मेल से बनी संधि ‘व्यंजन संधि’ कहलाती है।

संधि क्या है?

संधि से तात्पर्य दो शब्दों के संयोजन से होता है। जब दो शब्दों में से प्रथम शब्द के अंतिम वर्ण और द्वितीय शब्द के प्रथम वर्ण के संयोजन से जो नया शब्द बनता है, वह ‘संधि’ कहलाता है। इस संधि को पुनः उसके मूल शब्दों में अलग कर देना ‘संधि-विच्छेद’ कहलाता है।

संधि के तीन भेद होते हैं :

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

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दिए पदों का संधि-विच्छेद कीजिये : (अ) खाद्यान्न (ब) अनंतरत्न (स) भारतस्वर्णभूमिः (द) पीयूषतुल्यम (य) सदैवास्ति

वियना की संधि क्या थी ?

Give effects of summer solstice over the earth surface.

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These are the main effects of the summer solstice over the Earth’s surface:

1. Maximum tilt towards the sun: The Earth’s tilt toward the sun is at its maximum during the summer solstice.

2. Highest sun elevation: The sun appears at its highest elevation in the sky on this day.

3. Longest day: For locations north of the Tropic of Cancer, the summer solstice marks the longest day of the year in terms of daylight hours.

4. Noontime sun position: The sun’s noontime position changes very little for several days before and after the summer solstice.

5. Geographical significance: The sun is directly over the Tropic of Cancer (23.5° latitude North) during the summer solstice.

6. Extended daylight: Places north of the Tropic of Cancer experience their maximum number of daylight minutes around this time.

7. Temperature lag: Although it’s the longest day, it’s typically not the warmest day due to a lag between peak sunlight and peak temperatures. The warmest average temperatures often occur weeks after the solstice.

8. Energy accumulation: Even though daylight begins to decrease after the solstice, the Earth’s surface and atmosphere continue to accumulate more energy than they lose for some time, leading to rising average temperatures.

These effects demonstrate the significant impact the summer solstice has on daylight, temperature patterns, and overall climate across different parts of the Earth.


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What are the evidences from which we can conclude that the ordinary men in the Roman Empire enjoyed their life?

Name one town established by Firoz Shah Tughluq.

What are the evidences from which we can conclude that the ordinary men in the Roman Empire enjoyed their life?

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While it’s important to note that experiences varied greatly across the vast Roman Empire and over its long history, there are several pieces of evidence that suggest ordinary men in the Roman Empire often enjoyed aspects of their lives. Here are some key points:

1. Public Entertainment:

  • Amphitheaters and circuses hosted gladiatorial games, chariot races, and other spectacles.
  • These events were often free or low cost, allowing widespread access.
  • The Colosseum in Rome and similar structures across the empire attest to the popularity of these entertainments.

2. Public Baths:

  • Thermal baths were common throughout the empire, serving as social centers.
  • They provided hygiene facilities, exercise areas, and spaces for relaxation and socializing.
  • Remains of bath complexes are found in many Roman cities.

3. Taverns and Inns:

  • Numerous taverns (popinae) and inns (cauponae) existed in Roman cities.
  • These served as social gathering places for drinking, dining, and entertainment.
  • Archaeological evidence and frescoes depict scenes of daily life in these establishments.

4. Festivals and Holidays:

  • The Roman calendar included numerous religious festivals and public holidays.
  • These provided breaks from work and opportunities for celebration.
  • Saturnalia, for instance, was a popular winter festival with role reversals and giftgiving.

5. Sports and Games:

  • Ball games, board games, and gambling were popular pastimes.
  • Evidence includes dice, game boards, and written accounts of various games.

6. Theater:

  • Comedies and other theatrical performances were popular forms of entertainment.
  • Remains of theaters are found throughout the empire.

7. Art and Graffiti:

  • Wall paintings and mosaics often depict scenes of everyday life and enjoyment.
  • Graffiti found in Pompeii and other sites give insights into popular culture and humor.

8. Literature:

  • Works like Petronius’ “Satyricon” describe the lives and pleasures of ordinary people.
  • Poetry and other writings often reference common enjoyments.

9. Religious Practices:

  • Participation in various cults and religious rituals was an important part of life.
  • Mystery cults offered spiritual experiences and social connections.

10. Military Service:

  • For many, military service provided opportunities for travel, social mobility, and camaraderie.
  • Soldiers’ letters and inscriptions often speak of friendships and shared experiences.

11. Associations and Collegia:

  • Professional and social clubs provided networking and social opportunities.
  • Inscriptions and legal texts provide evidence of these organizations.

12. Urban Amenities:

  • Many Roman cities had forums, markets, and public spaces for gathering and commerce.
  • Aqueducts provided fresh water, improving quality of life.

It’s crucial to remember that these enjoyments weren’t universal. Factors such as social status, wealth, location, and historical period greatly influenced an individual’s quality of life.

Additionally, the experiences of slaves, the very poor, and those living in less developed parts of the empire would have been markedly different. However, these pieces of evidence suggest that many ordinary men in the Roman Empire had access to various forms of entertainment and social enjoyment.


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Name one town established by Firoz Shah Tughluq.

Who was Begum Udaipuri Mahal Sahiba?

Name one town established by Firoz Shah Tughluq.

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One town established by Firoz Shah Tughluq was ‘Hisar’ (also spelled Hissar)

 

Some key points about Hisar:

1. Foundation: Firoz Shah Tughluq founded Hisar in 1354 CE.

2. Location: It is located in the present-day state of Haryana, India.

3. Purpose: The town was established as a military outpost to strengthen the northwestern frontier of the Delhi Sultanate.

4. Name origin: “Hisar” is derived from the Arabic word “Hisar,” meaning “fort” or “fortified settlement.”

5. Features: Firoz Shah built a fort in Hisar, which still exists today. The town also had several mosques, palaces, and other buildings constructed during his reign.

6. Strategic importance: Hisar’s location made it an important center for trade and military operations in the region.

7. Water management: Firoz Shah also constructed canals to bring water to the town, improving its agricultural potential.

8. Current status: Today, Hisar is a significant city in Haryana, known for its historical monuments, agricultural university, and industrial development.

This town exemplifies Firoz Shah Tughluq’s policy of establishing new settlements and improving infrastructure throughout his empire. While he founded several other towns and cities, Hisar is one of the most well-known examples of his urban development initiatives.


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Why did Akbar enter into matrimonial alliances with the Rajputs?

Who was Begum Udaipuri Mahal Sahiba?

Who was Begum Udaipuri Mahal Sahiba?

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Udaipuri Mahal, also known as Begum Udaipuri, was a significant figure in the Mughal Emperor Aurangzeb’s life. Here are the key points about her:

1. Origin: Her exact origin is debated. She may have been from Kashmir, Udaipur, Georgia, Armenia, or Circassia. The uncertainty reflects the common practice of naming harem women after their place of origin or where they entered the imperial harem.

2. Background: Before entering Aurangzeb’s harem, she was a slave girl in Prince Dara Shikoh’s harem and had previously been a dancing girl.

3. Relationship with Aurangzeb: She was described as “the darling of Aurangzeb’s old age” and was known for her beauty, particularly her red hair. She deeply loved Aurangzeb and captivated him, causing jealousy among his other wives.

4. Motherhood: She gave birth to Prince Muhammad Kam Bakhsh on February 24, 1667.

5. Influence: Udaipuri Mahal was influential in the court. She accompanied Aurangzeb on military campaigns and influenced his decisions, including pardoning many faults of their son Kam Bakhsh.

6. Later life: She remained with Aurangzeb until his death in 1707, cultivating ties with important court eunuchs. She died in July 1707 in Gwalior, just four months after Aurangzeb’s death.

7. Personal traits: Interestingly, she was noted to be an alcoholic, which is a surprising detail given the Islamic context of the Mughal court.


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Why did Akbar enter into matrimonial alliances with the Rajputs?

A soil solution obtained from moist soil when seen under a microscope has: (a) Soil particles (b) Microorganisms (c) Water (d) Sand

Why did Akbar enter into matrimonial alliances with the Rajputs?

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Akbar, the third Mughal emperor of India, entered into matrimonial alliances with the Rajputs for several strategic reasons:

1. Political stability: By marrying Rajput princesses, Akbar aimed to create strong political ties with powerful Rajput kingdoms, reducing the likelihood of rebellion and ensuring stability in his empire.

2. Expansion of territory: These alliances helped Akbar peacefully expand his empire into Rajput-controlled areas without resorting to military conquest.

3. Military support: The Rajputs were renowned warriors. Through these alliances, Akbar gained access to their military strength, which he could use to defend and expand his empire.

4. Administrative efficiency: Rajput nobles, now related to the emperor, were appointed to high positions in the Mughal administration, bringing their expertise and local knowledge.

5. Religious tolerance: These marriages demonstrated Akbar’s policy of religious tolerance and his desire to unite Hindus and Muslims under Mughal rule.

6. Legitimacy: Allying with ancient Rajput dynasties lent additional legitimacy to the relatively new Mughal dynasty in India.

7. Cultural integration: These alliances facilitated cultural exchange between Mughals and Rajputs, contributing to the syncretic Indo-Islamic culture that flourished under Akbar.

8. Reduction of threats: By aligning with major Rajput powers, Akbar neutralized potential threats to his rule from these formidable opponents.

9. Economic benefits: The alliances opened up trade routes and economic opportunities in Rajput territories.

These matrimonial alliances were a key part of Akbar’s larger strategy of inclusive governance and empire-building, which contributed significantly to the stability and expansion of the Mughal Empire during his reign.


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Write difference between lever and an inclined plane?

What is pelvic floor muscle in our body?

रास्ते में सेठ जी ने क्या सोचा तथा उन्हें क्या परेशानी आई? (महायज्ञ का पुरुस्कार)

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‘महायज्ञ का पुरुस्कार’ कहानी में जब सेठजी धन्ना सेठ से मिलने नगर की ओर चले तो सेठ जी ने सोचा कि सूरज निकलने से पहले जितना ज्यादा रास्ता तय कर लेंगे, उतना ही अच्छा होगा।

ऐसा उन्होंने भरी गर्मी के दिनों में यात्रा करने से होने वाली परेशानी से बचने के लिए सोचा। आधा रास्ता तय करते-करते सेठ जी को थकान महसूस होने लगी। यह उनके लिए एक परेशानी थी क्योंकि वे अभी पूरा रास्ता तय नहीं कर पाए थे।थकान और गर्मी के कारण, सेठ जी ने जब सामने वृक्षों का कुंज और कुआँ देखा, तो उन्होंने थोड़ा विश्राम करने और भोजन करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक वृक्ष के नीचे शरण ली और वहाँ पर भोजन करने बैठ गए।

‘महायज्ञ का पुरुस्कार’ कहानी मानवीय करुणा और नि:स्वार्थ सेवा के महत्व को दर्शाती है। सेठजी जो बेहद धनी और उदार थे, व्यापार में घाटे कारण संकट में फंस जाते हैं। उन्होने अपने पुण्य कर्मों से संचित यज्ञ फल को बेचने का प्रावधान था। सेठजी भी धन्ना सेठ को अपना यज्ञ बेचने जाते हैं। रास्ते में भूख लगने पर जब अपने साथ लाया भोजन करने बैठे तोरास्ते में एक भूखे कुत्ते को अपना भोजन खिला देते हैं। यह छोटा सा पुण्या कार्य उनके जीवन को बदल देता है, और उन्हें अपने महायज्ञ का फल मिलता है। ये कहानी बताती है कि सच्चा धर्म दिखावे में नहीं, बल्कि निःस्वार्थ कर्म में है।


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A soil solution obtained from moist soil when seen under a microscope has: (a) Soil particles (b) Microorganisms (c) Water (d) Sand

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The correct answer is…

(b) Microorganisms.

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Explanation:

When a soil solution obtained from moist soil is observed under a microscope, one of the most prominent features you would see is microorganisms. This is because soil is a complex ecosystem teeming with microscopic life. These microorganisms include bacteria, fungi, protozoa, nematodes, and various other microscopic creatures that play crucial roles in soil health and nutrient cycling.

The soil solution is the liquid phase of the soil, consisting of water with dissolved minerals and organic compounds. When this solution is extracted and viewed under a microscope, the water itself (option c) would not be visible as it’s the medium in which everything else is suspended. Soil particles (option a) and sand (option d), being larger components, are typically filtered out when extracting the soil solution. Even if some very fine particles remained, they would not be the primary focus when examining soil biology.

Microorganisms, on the other hand, are abundant in the soil solution and are of great interest to soil scientists and ecologists. These tiny organisms are responsible for breaking down organic matter, fixing nitrogen, forming symbiotic relationships with plant roots, and contributing to overall soil fertility. Their presence and activity in the soil solution are indicators of soil health and biological activity. Therefore, when examining a soil solution under a microscope, it’s the microorganisms that would be the most significant and informative component to observe.


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Write difference between lever and inclined plane?

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Write difference between lever and an inclined plane?

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These are the key differences between a lever and an inclined plane:

Lever:

1. Definition: A rigid bar that rotates around a fixed point (fulcrum) to lift or move loads.
2. Types: Three classes based on fulcrum position (1st, 2nd, 3rd class levers).
3. Force application: Applied perpendicular to the lever arm.
4. Mechanical advantage: Depends on the ratio of effort arm to load arm.
5. Examples: Crowbar, scissors, nutcracker, seesaw.
6. Motion: Rotational movement around the fulcrum.

Inclined Plane:

1. Definition: A flat surface set at an angle to the horizontal.
2. Types: Simple inclined plane, wedge, screw.
3. Force application: Applied parallel to the plane’s surface.
4. Mechanical advantage: Depends on the ratio of length to height of the plane.
5. Examples: Ramps, slides, staircases, screws.
6. Motion: Linear movement along the plane’s surface.

Key differences:

1. Structure: Lever is a bar, inclined plane is a sloped surface.
2. Movement: Lever rotates, inclined plane facilitates linear motion.
3. Force direction: Perpendicular in levers, parallel in inclined planes.
4. Mechanical advantage calculation: Different formulas for each.
5. Versatility: Levers have more diverse applications in machinery.
6. Energy transformation: Levers convert rotational to linear force, inclined planes spread force over distance.

Both are simple machines that make work easier, but they operate on different principles and are suited for different tasks.


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What is pelvic floor muscle in our body?

What does ‘to force someone to do something’ mean? 1.Coercion 2. Intervene 3. Interpret 4. Secular state

What is pelvic floor muscle in our body?

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The pelvic floor muscles are a group of muscles that form a supportive structure at the base of the pelvis. Here are key points about the pelvic floor muscles:

1. Location: They span the area underneath the pelvis, running from the pubic bone at the front to the tailbone at the back.

2. Structure: The pelvic floor is composed of several layers of muscles and connective tissues.

3. Function: These muscles support several crucial functions:
– Support the pelvic organs (bladder, bowel, and uterus in women)
– Help maintain continence (control of bladder and bowel)
– Play a role in sexual function
– Stabilize the core and lower back

4. Shape: Often described as a ‘hammock’ or ‘sling’ that holds the pelvic organs in place.

5. Importance in pregnancy: They support the growing weight of the baby and assist during childbirth.

6. Exercise: Kegel exercises are specifically designed to strengthen these muscles.

7. Problems: Weak pelvic floor muscles can lead to issues like urinary incontinence, pelvic organ prolapse, and sexual dysfunction.

8. Gender differences: While both men and women have pelvic floor muscles, their structure and some functions differ due to anatomical differences.

9. Rehabilitation: Pelvic floor physical therapy can help address various pelvic floor disorders.

10. Lifestyle impact: Factors like obesity, chronic coughing, and heavy lifting can put strain on these muscles.

Understanding and maintaining the health of pelvic floor muscles is important for overall pelvic health and quality of life.


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What does ‘to force someone to do something’ mean? 1. Coercion 2. Intervene 3. Interpret 4. Secular state

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The correct answer is…

1. Coercion

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Explanation:

The phrase ‘to force someone to do something’ is best described by the term ‘coercion’ among the given options.

Coercion: This is the correct answer. Coercion refers to the practice of persuading someone to do something by using force or threats. It involves compelling a person to act in a certain way against their will. When you force someone to do something, you are essentially coercing them. This perfectly matches the meaning of the given phrase.

Intervene: This term means to become involved in a situation in order to influence or alter its course. While intervention can sometimes involve force, it doesn’t necessarily mean forcing someone to do something. Intervention could be supportive or mediative as well.

Interpret: This means to explain the meaning of something or to translate from one language to another. It has no direct relation to forcing someone to do something.

Secular state: This refers to a state or country that maintains an official position of neutrality in matters of religion, treating all religions equally under the law. This concept is completely unrelated to forcing someone to do something.

In conclusion, ‘coercion’ is the term that most accurately describes the act of forcing someone to do something, as it involves the use of force or threats to compel a person to act against their will.


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What is the longest river in Europe?

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What is the longest river in Europe?

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The longest river in Europe is the Volga River.

1. Length: The Volga is approximately 3,530 kilometers (2,193 miles) long.

2. Location: It runs through central Russia, flowing from the Valdai Hills northwest of Moscow southward to the Caspian Sea.

3. Drainage Basin: The Volga and its tributaries form the largest river system in Europe.

4. Economic Importance: It’s a crucial waterway for Russia, supporting agriculture, industry, and transportation.

5. Major Cities: Several important Russian cities are located along its banks, including Kazan, Nizhny Novgorod, and Volgograd.

6. Dams and Reservoirs: The river has been extensively dammed for hydroaelectric power, creating several large reservoirs.

7. Cultural Significance: Often called ‘Mother Volga’ in Russian culture, it holds great historical and symbolic importance.

8. Ecosystem: The Volga supports a diverse ecosystem and is home to various species of fish, including the famous Beluga sturgeon.

9. Delta: The Volga Delta, where the river meets the Caspian Sea, is the largest river delta in Europe.

10. Navigation: The river is navigable for most of its length and is connected to other major waterways via canals, forming a vast network of inland waterways.


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What is tide? Explain in detail.

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What is meant by the term PIL? ​

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The term PIL stands for Public Interest Litigation. It refers to legal action taken in a court of law for the protection of public interest.

Here are some key points about PIL:

1. Definition: It’s a litigation introduced in a court of law, not by the aggrieved party but by the court itself or by any other private party on behalf of the public interest.

2. Purpose: The main objective of PIL is to protect the rights and interests of the marginalized sections of society or to address issues of broad public concern.

3. Origin: In India, PILs were introduced in the late 1970s and were formally recognized by the courts in the 1980s.

4. Accessibility: PILs have made the judicial system more accessible to disadvantaged sections of society and have allowed citizens to raise issues of broader public importance.

5. Areas of Application: PILs can be filed in areas such as environmental protection, human rights violations, corruption in government, and other matters of public importance.

6. Procedure: Unlike traditional litigation, PILs can be initiated by sending even a letter to the court, which can then be treated as a writ petition.

7. Court’s Role: In PILs, courts often take a more active role, sometimes appointing commissions to investigate issues or monitoring the implementation of their orders.

8. Criticisms: While PILs have been praised for increasing access to justice, they have also been criticized for potentially overburdening the courts and for sometimes being misused for publicity or personal interests.

PILs have played a significant role in shaping public policy and protecting citizens’ rights in many countries, particularly in India where they have become an important tool for judicial activism.


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What do you mean by Constitution? Why was making of the Indian Constitution not an easy affair?​

In which country was a democratically elected government controlled by an absolute power?

क्या आप जानतें हैं कि ब्लू व्हेल की जीभ का ही वजन एक वयस्क हाथी के वजन के बराबर होता है।

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जीहाँ, ब्लू व्हेल (नीली व्हेल) की जीभ वास्तव में एक हाथी के वजन के बराबर हो सकती है, जो इस विशाल समुद्री स्तनधारी की असाधारण आकार का एक प्रमाण है।

नीली व्हेल, जो पृथ्वी पर सबसे बड़ा जानवर है, की जीभ लगभग 2.7 मीटर (9 फीट) लंबी और 3,600 किलोग्राम (8,000 पाउंड) तक वजन की हो सकती है। यह वजन एक वयस्क अफ्रीकी हाथी के औसत वजन के लगभग बराबर है। इतनी बड़ी जीभ नीली व्हेल को समुद्र से बड़ी मात्रा में पानी और क्रिल (छोटे झींगे जैसे जीव) को एक साथ निगलने में मदद करती है।

व्हेल अपनी विशाल जीभ का उपयोग पानी को बाहर निकालने और क्रिल को अपने मुँह में रखने के लिए करती है, जो उसका मुख्य भोजन है। यह अद्भुत तथ्य प्रकृति के विस्मयकारी डिजाइन और समुद्री जीवन की विविधता को दर्शाता है।

नीली व्हेल के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य

  • नीली व्हेल पृथ्वी पर सबसे बड़ा जानवर है, जो 29.9 मीटर तक लंबा और 199 टन तक वजनी हो सकता है।
  •  इसका शरीर ऊपर से भूरा-नीला और नीचे से हल्का रंग का होता है।
  •  इसकी चार उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो विभिन्न महासागरों में रहती हैं।
  •  ये आमतौर पर गर्मियों में ध्रुवीय क्षेत्रों और सर्दियों में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बीच प्रवास करती हैं।
  •  इनका मुख्य भोजन क्रिल होता है और ये फिल्टर फीडर हैं।
  •  नीली व्हेल अकेले या छोटे समूहों में रहती हैं।
  •  ये 8-25 हर्ट्ज की आवृत्ति में आवाज़ें निकालती हैं।
  •  1966 तक अत्यधिक शिकार के कारण ये लगभग विलुप्त हो गई थीं।
  •  वर्तमान में इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति माना जाता है।
  • जहाजों से टकराव, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन इनके लिए खतरा बने हुए हैं।

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हमारे सौरमंडल में क्या शुक्र ग्रह (वीनस) दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमता है और बाकी ग्रह वामावर्त (Anti Clockwise) घूमते हैं?

हमारे सौरमंडल में क्या शुक्र ग्रह (वीनस) दक्षिणावर्त (Clockwise) घूमता है और बाकी ग्रह वामावर्त (Anti Clockwise) घूमते हैं?

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जीहाँ, शुक्र ग्रह (वीनस – Venus) वास्तव में दक्षिणावर्त (retrograde) घूमता है। यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करता है, जो कि अधिकांश अन्य ग्रहों के विपरीत है।

लेकिन शुक्र सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह नहीं है जो दक्षिणावर्त घूमता है। वास्तव में, यूरेनस भी दक्षिणावर्त घूर्णन करता है।

अन्य ग्रहों का घूर्णन:

बुध, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, और नेप्च्यून सभी वामावर्त (prograde) घूमते हैं, यानी पश्चिम से पूर्व की ओर।

कारण

वैज्ञानिकों का मानना है कि शुक्र और यूरेनस के इस विपरीत घूर्णन का कारण उनके निर्माण के समय हुई कोई बड़ी टक्कर हो सकती है।

रोचक तथ्य

शुक्र का घूर्णन इतना धीमा है कि वहाँ एक दिन एक वर्ष से भी लंबा होता है। शुक्र ग्रह का अपनी धुरी पर पूरा घूर्णन काल 243 पृथ्वी दिवस के बराबर है। शुक्र ग्रह को पृथ्वी की परिक्रमा करने में 225 पृथ्वी दिन लगते हैं।

सौरमंडल में कुल आठ ग्रह हैं, जिनमें से छह (बुध, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, नेप्च्यून) वामावर्त घूमते हैं, जबकि दो (शुक्र और यूरेनस) दक्षिणावर्त घूमते हैं। यह विविधता हमारे सौरमंडल की जटिलता और अद्भुतता को दर्शाती है।


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सौर ऊर्जा क्या है? सौर ऊर्जा के क्या-क्या उपयोग है? बिजली की तुलना में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाए तो उसके क्या लाभ हैं?

मानव शरीर का निर्माण किन पाँच तत्वों से हुआ है?

“हर एक संस्थान का कोई न कोई विकल्प जरूर होता है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।

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‘हर एक संस्थान का कोई न कोई विकल्प जरूर होता है।’ इस कथन की पुष्टि के लिए कई तर्क दिए जा सकते हैं।

प्रतिस्पर्धा का सिद्धांत

किसी भी क्षेत्र में, जहाँ मांग है, वहाँ प्रतिस्पर्धा स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होती है। यह प्रतिस्पर्धा विकल्पों को जन्म देती है, जो ग्राहकों या उपभोक्ताओं को चुनने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।

विविधता की आवश्यकता

समाज में विभिन्न आवश्यकताएँ और प्राथमिकताएँ होती हैं। एक ही संस्थान सभी की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता, इसलिए विकल्प अनिवार्य हो जाते हैं।

नवाचार और विकास:

विकल्पों की उपस्थिति नवाचार को प्रोत्साहित करती है। यह संस्थानों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने और लगातार सुधार करने के लिए प्रेरित करता है।

आपातकालीन स्थितियाँ

किसी भी संस्थान के असफल होने या बंद होने की स्थिति में, विकल्प की उपस्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि आवश्यक सेवाएँ निरंतर उपलब्ध रहें।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता

विकल्पों की उपलब्धता लोगों को अपनी पसंद के अनुसार चुनने की स्वतंत्रता देती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यक्तिगत अधिकारों के अनुरूप है।

आर्थिक संतुलन

विकल्पों की उपस्थिति एकाधिकार को रोकती है। यह बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में मदद करती है।

तकनीकी प्रगति:

नई तकनीकों के आगमन से पारंपरिक संस्थानों के लिए वैकल्पिक समाधान उभर रहे हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन शिक्षा पारंपरिक शैक्षणिक संस्थानों का एक विकल्प बन गई है।

सामाजिक परिवर्तन

समय के साथ सामाजिक मूल्य और आवश्यकताएँ बदलती हैं। नए संस्थान उभरते हैं जो इन बदलती जरूरतों को पूरा करते हैं, इस प्रकार पुराने संस्थानों के लिए विकल्प बनते हैं।

निष्कर्ष

यह कहना बिल्कुल उचित होगा कि हर संस्थान का कोई न कोई विकल्प होना न केवल एक तथ्य है, बल्कि एक स्वस्थ, गतिशील और प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक भी है। विकल्पों की उपस्थिति विकास, नवाचार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देती है, जो किसी भी आधुनिक समाज के लिए महत्वपूर्ण है।


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निम्न में से कौन-सी रिपोर्ट नवीन लोक प्रशासन के विकास से सम्बन्धित है? (1) हनी रिपोर्ट (2) फुल्टन रिपोर्ट (3) एपिलबी रिपोर्ट (4) हाल्डेन रिपोर्ट

बुढ़िया की गाय चोरी होने की खबर सुनते ही मुंशी जी ने क्या-क्या बातें बनाईं? (गाय की चोरी)

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जब बुढ़िया की गाय चोरी हो गई तो मुंशी जी ने अपनी आदत के अनुसार बातों को बढ़ा-चढ़कर पेश किया। गाय चोरी होने की घटना की खबर सुनने के बाद पहले तो मुंशी जी ने अपनी तरफ से बात को जोड़ते हुए बातें बनाईं। मुंशी जी कहने लगे कि ‘अरे सभी यहीं सोते हैं, मैं खुद यहीं चबूतरे पर सो रहा था।’ फिर उन्होंने अपने अंदाज में बातों को घुमाते हुए कहा कि यह गाय जरूर 2ॉ बजे के करीब खोली गई है। मुझे कुछ आहट उसे वक्त सुनाई दी थी। मैं बहुत चौकन्ना होकर सोता हूँ। आहट सुनकर इधर-उधर देखा पर कुछ नजर नहीं आया। मैंने सोचा कि हवा के कारण आहट हुई होगी। उसके थोड़ी देर बाद मुझे कुछ खुरखुराहट भी सुनाई पड़ी। उस वक्त भी मेरे मन में यह विचार नहीं आया कि कोई गाय को खोलकर ले जा रहा है। उस समय मुझे ऐसा लगा कि जैसे गाय चल रही है, यही ख्याल करके मैं सो गया।

उसके बाद जब इस घटना की सूचना थानेदार को दी गई तो थानेदार के सामने मुंशी जी ने अपने द्वारा कही गई सारी बातों को नकार दिया जो उन्होंने थोड़ी देर पहले सभी लोगों से कहीं थी और कहा कि यह बात मैंने ऐसे ही अपनी तरफ से मनगढ़ंत बात बनाकर बोल दी थीं, मैंने कुछ नहीं देखा। इस तरह मुंशी जी ने बुढ़िया की गाय चोरी होने के बाद अपनी तरफ से मनगढ़ंत बातें मिलकर अपने अंदाज में बात कहीं थी।


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मुंशी जी किसी घटना की जानकारी को विस्तार कैसे देते थे​? (पाठ- गाय की चोरी)

मुंशी जी किसी घटना की जानकारी को विस्तार कैसे देते थे​? (पाठ- गाय की चोरी)

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मुंशी जी की आदत किसी भी घटना को नमक-मिर्च लगाकर अपने अंदाज में पेश करने की थी। जब भी उन्हें किसी घटना के बारे में जानकारी मिलती तो वह कुछ ना कुछ और चर्चा छोड़कर कुछ ना कुछ और जाने की कोशिश करते थे। फिर उन्हें जो भी जानकारी मिलती जाती, उसमें से अपनी तरफ से कुछ जोड़कर सुनाते जाते और आगे की बात भी मालूम करते जाते थे। इस तरह वह किसी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते थे। उनमें किसी भी बात को अपने अंदाज में विस्तार से बताने गुण था। उन्हें केवल छोटी सी बात का संकेत मिल जाना होता था फिर वह अपनी तरफ से ही उसमें नई-नई बातें जोड़कर बात को रोचक अंदाज में पेश कर देते थे। इसमें वह अपनी तरफ मनगढ़ंत बातें भी जोड़ते जाते थे।

संदर्भ पाठ

‘गाय की चोरी’ (कक्षा-7), लेखक – कमलेश्वर


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‘कामचोर’ कहानी हमें क्या संदेश देती है?

पत्र किसे कहते हैं? इसके भेद बताइए।

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पत्र से तात्पर्य उस विधा से होता है,, जिसमें किसी एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को संदेश भेजा जाता है। पत्र अपना संदेश दूसरों तक पहुंचाने की एक विधा है। पत्र लिखने की एक शैली होती है, जिसमें संबोधन तथा भाषा शैली का बहुत महत्व होता है। किसी भी तरह की सूचना, समाचार अथवा संदेश भेजने की प्रक्रिया को विस्तृत रूप से भेजने की प्रक्रिया को ही ‘पत्र’ कहते हैं। एक या दो पंक्तियों में लिखे गए संदेश को पत्र नहीं कहा जाता। पत्र वह होता है जिसमें कोई संदेश अथवा समाचार विस्तृत रूप से लिखा जाता है।

पत्र दो प्रकार के होते हैं

  • औपचारिक पत्र
  • अनौपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र : औपचारिक पत्र वह होते हैं, जो औपचारिक तरीके से लिखे जाते हैं। यह पत्र सरकारी कार्यालयों के आपसी व्यवहार अथवा विभागीय कार्यालय से संबंधित पत्र होते हैं। इसमें लिखने वाला पत्र लिखने वाला जो ‘प्रेषक’ या ‘प्रेषिका’ कहलाता/कहलताी है, वह जिसको पत्र लिखता/लिखती हैं, उसके लिए औपचारिक संबोधन का प्रयोग करता/करती है। औपचारिक पत्र में विधिवत रूप से विषय आदि डाला जाता है।

औपचारिक पत्र अनेक प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है

  • प्रार्थना पत्र
  • आवेदन पत्र
  • शिकायती पत्र
  • स्मरण पत्र
  • कार्यालय पत्र
  • विज्ञप्ति ज्ञापन
  • शासकीय पत्र
  • अर्ध-शासकीय पत्र
  • परिपत्र
  • अधिसूचना

अनौपचारिक पत्र : अनौपचारिक पत्र वह पत्र होते हैं, जो आपसी मित्र, संबंधियों आदि के बीच अनौपचारिक रूप से लिखे जाते हैं। यह पत्र व्यक्तिगत पत्र की श्रेणी में आते हैं। इन पत्रों की भाषा शैली अनौपचारिक होती है। ये पत्र जिसको लिखा जाता है, उसके लिए संबोधित करते समय निश्चित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक नहीं होता। इसमें विषय का उल्लेख भी नही किया जाता है।

अनौपचारिक पत्र भी अनेक प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं…

  • बधाई पत्र
  • शुभकामना पत्र
  • निमंत्रण पत्र
  • सामान्य पत्र
  • हालचाल संबंधी पत्र
  • परामर्श पत्र
  • सुझाव पत्र

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आपके दादा-दादी सुदूर गाँव में कहीं रहते हैं। छुट्टियों में आप उनके पास कुछ दिन रहने के लिए गए थे। उन दिनों का स्मरण करते हुए दादा-दादी को पत्र लिखिए।

आपका छोटा भाई छात्रावास में रहकर खुश नहीं है क्योंकि अभी तक वह कोई दोस्त नहीं बना पाया है। अपने भाई को पत्र लिखकर कुछ सलाह दीजिए ताकि वह मित्र बना सके।

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

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अपने मन को निर्मल बनाए रखने के लिए कबीर ने बड़ा ही अच्छा उपाय सुझाया है।

कबीर के अनुसार यदि हमें अपने स्वभाव को निर्मल बनाना है, तो हमारा मन सबसे पहले निर्मल होना आवश्यक है। यदि हम अपने मन को निर्मल, निष्कपट, अहंकार रहित बनाए रखना चाहते हैं तो हमें सदैव अपने पास एक निंदक रखने की आवश्यकता है। हमारी प्रशंसा तो सब करते हैं, वह हमारे अंदर की गलतियों के बारे में हम को नहीं बताएंगे।

इस तरह हमें हमारे अंदर अहंकार उत्पन्न होगा। हम स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझेंगे, जो हमारे लिए अच्छा नहीं है। हम अपनी गलतियों को दूर नहीं कर पाएंगे। निंदक हमारे सच्चे हितैषी होते हैं, जो हमारे अंदर की गलतियों को बताते रहते हैं, जिससे हमें अपनी गलतियों का पता चलता है और हम उन्हें दूर करने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए अपनी गलतियों को जानकर उनको दूर करने से ही हमारा स्वभाव हमारा मन निष्कपट, निष्कलंक और निर्मल बनेगा तब हमारा स्वभाव निर्मल बनेगा।


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दिए पदों का संधि-विच्छेद कीजिये : (अ) खाद्यान्न (ब) अनंतरत्न (स) भारतस्वर्णभूमिः (द) पीयूषतुल्यम (य) सदैवास्ति

दिए गए सभी शब्दों के संधि-विच्छेद इस प्रकार है…

(अ) खाद्यान्न : खाद्य + अन्न
संधि भेद : दीर्घ स्वर संधि

(ब) अनंतरत्न : अनंत + रत्न
संधि भेद : व्यंजन संधि

(स) भारतस्वर्णभूमिः : भारत + स्वर्णभूमि
संधि भेद : व्यंजन संधि

(द) पीयूषतुल्यम : पीयूष + तुल्यम
संधि भेद : व्यंजन संधि

(य) सदैवास्ति ​: सदैव + अस्ति
संधि भेद : दीर्घ स्वर संधि

संधि क्या है?

संधि से तात्पर्य दो शब्दों के संयोजन से होता है। जब दो शब्दों में से प्रथम शब्द के अंतिम वर्ण और द्वितीय शब्द के प्रथम वर्ण के संयोजन से जो नया शब्द बनता है, वह ‘संधि’ कहलाता है। इस संधि को पुनः उसके मूल शब्दों में अलग कर देना ‘संधि-विच्छेद’ कहलाता है। संधि के तीन भेद होते हैं :

  • स्वर संधि
  • व्यंजन संधि
  • विसर्ग संधि

स्वर संधि के पाँच उपभेद होते हैं…

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • अयादि संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि

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दिए गए शब्दों के संधि-विच्छेद और संधि के भेद लिखिए। देवालय, मनोबल, निस्संदेह, सम्मान, सत्याग्रह, परोपकार, उल्लास, स्वागत, वाङ्मय, नमस्ते, निरोग, निश्चल।

‘चक्रमस्ति’ का संधि-विच्छेद क्या होगा? ​

‘बस्स! बहुत हो चुका’ कविता का भावार्थ लिखें।

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बस्स! बहुत हो चुका कविता का भावार्थ

‘बस्स! बहुत हो चुका’ कविता ‘ओमप्रकाश वाल्मीकि’ द्वारा लिखी गई कविता है। ओमप्रकाश वाल्मीकि दलित चेतना के मुखर कवि रहे हैं, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से दलितों पर हुए अत्याचार तथा उनके शोषण से संबंधित अनेक कविताओं की रचना की। ‘बस्स बहुत हो चुका’ कविता भी दलितों पर वर्षों से जारी भेदभाव और शोषण की बात को उठाती है।

कविता इस प्रकार है…

जब भी देखता हूँ मैं झाड़ू या गंदगी से भरी
बाल्टी-कनस्तर किसी हाथ में

मेरी रगों में दहकने लगते हैं
यातनाओं के कई हज़ार वर्ष एक साथ

जो फैले हैं इस धरती पर
ठंडे रेतकणों की तरह।

मेरी हथेलियाँ भीग-भीग
जाती हैं पसीने से

आँखों में उतर आता है
इतिहास का स्याहपन

अपनी आत्मघाती कुटिलताओं के साथ।
झाड़ू थामे हाथों की सरसराहट
साफ़ सुनाई पड़ती है

भीड़ के बीच बियाबान जंगल में
सनसनाती हवा की तरह।

वे तमाम वर्ष वृत्ताकार होकर
घूमते हैं करते हैं छलनी लगातार

उँगलियों और हथेलियों को नस-नस में
समा जाता है ठंडा-ताप।

गहरी पथरीली नदी में असंख्य मूक पीड़ाएँ
कसमसा रही हैं मुखर होने के लिए
रोष से भरी हुईं।

बस्स! बहुत हो चुका
चुप रहना निरर्थक पड़े पत्थर

अब काम आएँगे संतप्त जनों के!

भावार्थ : कवि कहते हैं कि जब वह किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं, जो सफाई का कार्य कर रहा है अर्थात जब वह किसी सफाई कर्मी को बाल्टी और कनस्तर आदि ले कर सफाई करते हुए देखते हैं, तो उनका मन बेहद क्रोधित होता है। तब उन्हें सफाई कर्मियों के रूप में तथाकथित निचली जाति करार दिए गए लोगों के साथ प्रति शोषण की घटनाएं याद आ जाती है, जोकि हजारों वर्षों से चली आ रही हैं। तब उनकी कवि गुस्से के कारण कंपकपाने लगते हैं और वह पसीने से तरबतर हो जाते हैं।

उनकी आँखों में वह काला समय मंडराने रखता है, जिसमे निरंतर तथाकथित निचली जाति के करार दिए गए लोगों के साथ शोषण किया गया। झाड़ू लगाते हुए झाड़ू की आवाज की सरसराहट से उन्हें इन्हीं लोगों के शोषण की चीख की गूंज सुनाई देती है। तब उनकी आँखों में वह सारे दृश्य घूमने लगते हैं, जो तथाकथित निचली जातियों के शोषण का प्रतीक थे। तब उनके मन को बेहद पीड़ा होती है और उनका मन रूप रोष से भर जाता है।

कवि कहना चाहते हैं कि अब शोषण का यह कार्य बहुत हो चुका। अब चुप नहीं रहना है। अब हमें यानि दलित समाज को उठकर अपनी आवाज उठानी होगी और शोषण का विरोध करना होगा।


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सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ। धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ।। (भावार्थ बताएं)

यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।। भावार्थ बताएं।

हरिशंकर परसाई मूलतः निबंधकार है अथवा व्यंगकार ?

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हरिशंकर परसाई मूलतः एक व्यंग्यकार थे।

हरिशंकर परसाई हिंदी के एक प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे, जिन्होंने ऐसे अनेक व्यंग्य रचनाएं की, जो समाज की विसंगतियों पर कड़ा प्रहार करती थीं और मन को हल्के-फुल्के रूप से गुदगुदाती थीं। उन्होंने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से ना केवल पाठकों के मन को गुदगुदाया बल्कि सामाजिक विसंगतियों और वास्तविकताओं से भी पाठकों को अवगत कराया। उन्होंने इसके लिए धर्म, राजनीति हर तरह के क्षेत्र में अपने प्रयोगों को आजमाया। हरिशंकर परसाई प्रमुख रचनाओं में भेड़ और भेड़िया, भोलाराम का जीव. प्रेमचंद के फटे जूते, बस की यात्रा आदि के नाम प्रमुख हैं। इस तरह हम जान पाते हैं कि हरिशंकर परसाई मूलतः एक व्यंग्यकार थे।


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शुभम कक्षा 12वीं का छात्र है। वह एक प्राइवेट विद्यालय में पढ़ता है। उसके विद्यालय में पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कौशल भी सिखाए जाते हैं। जैसे- योग, संगीत, खेल आदि । शुभम योग का विद्यार्थी है वह प्रतिदिन एक घंटा योग सीखता है। योग के विद्यार्थी अनुशासन में रहकर योग सीखते हैं। योग करने से शरीर व मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। शुभम के स्कूल में शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए योग कराया जाता है। वैसे ही ‘झेन की देन’ पाठ में दिमाग की शांति के लिए चाय पीने के लिए की विधि अपनाई जाती है। उसे क्या कहते हैं? उसके विषय में विस्तार से वर्णन कीजिए।

‘कामचोर’ कहानी हमें क्या संदेश देती है?

वियना की संधि क्या थी ?

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वियना की संधि

वियना की संधि ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में यूरोपीय राष्ट्रों के बीच की गई एक संदेश थी, जो 1815 ईस्वी में ब्रिटेन, रूस, प्रशा एवं ऑस्ट्रेलिया जैसी तत्कालीन यूरोपीय शक्तिशाली राष्ट्रों के बीच की गई थी, जिन्होंने उस समय ने नेपोलियन को हराया था। इस संधि का मुख्य उद्देश्य यूरोप के लिए एक समन्वित समझौता तैयार करना था।

यह संधि ऑस्ट्रिया के राजधानी वियना में वियना कांग्रेस नाम से आयोजित सम्मेलन में की गई थी. इस सम्मेलन की अध्यक्षता ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने की थी। यह संधि 1815 ईस्वी में की गई। इस सम्मेलन में भाग लेने वाले समस्त देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे।

इस संधि को ही ‘वियना संधि’ के नाम से जाना जाता है। इस संधि का मुख्य उद्देश्य के लिए संबंधित विकास समझौता तैयार करना तथा उन सभी बदलावों को खत्म करना था जो नेपोलियन के साथ युद्ध करते समय किए गए थे। नेपोलियन ने यूरोप का नक्शा बदल कर रख दिया था फिर पुनर्स्थापित करना इस संधि का मुख्य उद्देश्य था।


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भारतीय राजनीति में 1990 के पश्चात् किन्हीं तीन उभरती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।

भारत की वास्तुकला यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। तर्क सहित विचार लिखिए।

राधिका द्वारा गृह कार्य न कर पाने का कारण स्पष्ट करते हुए अध्यापक से की हुई बातचीत को संवाद के रूप मे लिखिए

संवाद

गृह कार्य न कर पाने के कारण अध्यापक और छात्रा राधिका के बीच संवाद

 

अध्यापक ⦂ राधिका, कल मैंने जो गृहकार्य दिया था, वह तुमने क्या पूरा कर लिया?

राधिका ⦂ क्षमा करें सर। मैं गृहकार्य पूरा नहीं कर पाई।

अध्यापक ⦂ क्यों इसका क्या कारण है? तुम दिन-प्रतिदिन लापरवाह होती जा रही हो।

राधिका ⦂ नहीं सर, मेरे घर में कुछ समस्या थी। इस कारण मैं गृहकार्य नहीं कर पाई।

अध्यापक ⦂ क्या समस्या थी?

राधिका ⦂ सर, कल शाम को अचानक मेरे छोटे भाई की तबीयत अचानक खराब हो गई। मेरे घर में मैं और मेरी माँ ही थे। पिताजी शहर से बाहर गए हुए हैं। मैं और मेरी माँ छोटे भाई को लेकर तुरंत अस्पताल गए। भाई को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हम लोगों को रात भर अस्पताल में भाई की देखभाल के लिए रुकना पड़ा।

अध्यापक ⦂ अच्छा।

राधिका ⦂ हाँ, सर, और रात भर जगने के कारण, मैं सुबह थोड़ी देर के लिए ही सो पाई और सुबह उठते ही स्कूल आ गई। इस कारण मैं अपना गृह कार्य नहीं कर पाई।

अध्यापक ⦂ ठीक है, चलो तुम्हारी समस्या को देखते हुए तुम्हारी गलती माफ की जाती है। अब तुम्हारे भाई की तबीयत कैसी है?

राधिका ⦂ अब उसे आराम है। शाम तक उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी।

अध्यापक ⦂ ठीक है, अगर संभव हुआ तो शाम को मैं घर लौटते समय तुम्हारे घर पर तुम्हारे भाई को देखने आऊंगा।

राधिका ⦂ धन्यवाद सर, आगे से मैं गृहकार्य समय पर करने का पूरा ध्यान रखूंगी।

अध्यापक ⦂ कोई बात नहीं अचानक हुई समस्या के कारण गृहकार्य न कर पाने के लिए तुम दोषी नहीं हो।


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जल में दो मछलियों के मध्य पानी की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

बढ़ती गर्मी को लेकर दो महिलाओं के बीच बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

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‘झेन की देन’ पाठ में दिमाग की शांति के लिए चाय पीने की एक विशेष की विधि अपनाई जाती है, जिसे ‘टी-सेरेमनी’ कहा जाता है।

‘टी-सेरेमनी’ को आयोजित करने का विशेष तरीका होता है। ‘टी-सेरेमनी’ एक 6 मंजिली इमारत की छत पर झोपड़ीनुमा कमरे में आयोजित की जाती है, जिस की दीवारें दफ्ती की हुई बनी हुई हैं। फर्श पर चटाई बिजी है। वातावरण अत्यंत शांत होता है।

बाहर कमरे के बाहर ही एक बेडौल मिट्टी के बर्तन में पानी रखा होता है। आने वाले लोग यहाँ हाथ-पाँव धोकर ही अंदर जाते हैं। अंदर जाने पर चाज़ीन झुक कर सलाम करता है।

चाज़ीन वह व्यक्ति होता है, जो चाय बनाता है। फिर वह बैठने की जगह की ओर इशारा करता है। फिर वह चाय बनाने के लिए अँगीठी जलाता है। उसके बर्तन एकदम साफ-सुथरे और सुंदर होते हैं। वातावरण में इतनी शांति होती है कि चायदानी में उबलते पानी की आवाज साफ सुनाई देती है।

चाय बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करता और आराम से चाय बनाता है। फिर वह अपने दो-तीन घूंटभर कर ही चाय देता है। चाय पीने वाले लोग धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर एक घंटे में पीते हैं। चाय इस श्रेणी में केवल 3 लोग अधिकतम 3 लोग जा सकते हैं।


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कारतूस : हबीब तनवीर (कक्षा-10 पाठ-14 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)

पाठ ‘स्मृति’ के आधार पर आपके जीवन में घटित किसी अविस्मरणीय घटना का वर्णन करें।​

हिन्दी भाषा में बोलते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

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हिन्दी भाषा में बोलते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए :

सदैव स्पष्ट और सरल शब्दों का प्रयोग करें

हिन्दी भाषा बोलते समय भाषा का सरल और स्पष्ट होना अति आवश्यक है क्योंकि जब तक आपकी भाषा सरल और स्पष्ट रूप से सामने वाले व्यक्ति को समझ नहीं आएगी तो आपकी बातचीत करने का कोई भी फायदा नहीं अगर आपके समक्ष खड़ा व्यक्ति आपके द्वारा कहे गए शब्दों को ही नहीं समझ पाएगा पूर्णता आपके द्वारा कही गई बात वह उसके भावों को समझने में असमर्थ रहेगा ।

हावभाव पर रखें ध्यान

बातचीत के दौरान उचित प्रतिक्रिया के साथ-साथ उचित हाव-भाव भी अति आवश्यक है । कई बार देखा गया है कि बातचीत के दौरान गलत हावभाव भी बातचीत को विफल बना देते है । बातचीत करते समय अपने हाथ और शरीर की हलचल को सतर्क रखना बहुत जरूरी है ।

बहस करना कर सकता है बातचीत की क्रिया को विफल

बातचीत के दौरान तर्क वितरक करें किन्तु बहस कभी न करें । तर्क वितर्क का बात चीत में होना अति आवश्यक है । तर्क वितर्क करने से हमें कई नई जानकारी भी मिलती है और उसे मनुष्य की सोच भी विकसित होती है । लेकिन अपनी बात पर अड़े रहने से, जिद्द करने से बातचीत बहसबाजी का रुप ले लेती है । बहस करने से कई बार हमारे संबंध भी बिगड़ सकते है ।

आत्मविश्वास 

किसी भी भाषा को बोलते समय आत्मविश्वास होना बेहद आवश्यक है। अगर आप आत्म विश्वास के साथ नहीं बोलोगे तो सामने वाले को आपकी बात पर यकीन करना मुश्किल होगा ।


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आप भी कुछ कार्य में स्वतंत्रता चाहते होंगे, जिन्हें आप अपने माता-पिता या अन्य लोगों के अनुसार करते हैं। उन कार्यों के बारे में लिखिए यदि आपको स्वतंत्रता दी जाए तो आप उन्हें किस बदलाव के साथ करेंगे?

जनसंचार माध्यम की खूबियां और खामियां लिखिए।

आप भी कुछ कार्य में स्वतंत्रता चाहते होंगे, जिन्हें आप अपने माता-पिता या अन्य लोगों के अनुसार करते हैं। उन कार्यों के बारे में लिखिए यदि आपको स्वतंत्रता दी जाए तो आप उन्हें किस बदलाव के साथ करेंगे?

विचार/अभिमत

 

यदि हमें कुछ ऐसे कार्यों को करने की स्वतंत्रता दी जाए जो हम माता-पिता व अन्य लोगों की तरह कर सकें तो हम उन कार्यों को अपने अनुसार कुछ बदलाव के साथ करना पसंद करेंगे। वह कार्य कुछ इस प्रकार हो सकते हैं…

हमें अपनी पसंद के अनुसार अपनी पढ़ाई और विषय चुनने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे की रूचि किसी और विषय में होती है, लेकिन माता-पिता के दवाब में बच्चा वो विषय ले लेता है, जो उसे पसंद नही है, जिनमें उसकी रूचि नही है। इसका उल्टा ही प्रभाव होता है। रूचि न होने के कारण बच्चा उस विषय से संबंधित पढ़ाई में बहुत अधिक उन्नति नही कर पाता है और इससे उसकी पढ़ाई पर असर पड़ता है। हमें आगे हमें आगे भविष्य में क्या बनना है, इस बात को निर्धारित करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। हमें यदि डॉक्टर बनना है तो डॉक्टर बनने की निर्णय और पसंद हमारी होनी चाहिए ना कि हमारे माता-पिता की। हमें यदि इंजीनियर बनना है तो इंजीनियर बनने की पसंद हमारी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए यदि हमें चित्रकार बनना है, लेकिन माता-पिता हमें डॉक्टर बनाना चाहते हैं, ये ठीक नही है।

यदि हमें अपनी इच्छानुसार पढ़ाई करने के समय के निर्धारण करने की स्वतंत्रता दी जाए तो हम अपनी सुविधा के अनुसार पढ़ाई का समय निर्धारित कर लेंगे, जिससे हमपर एक निश्चित समय पर पढ़ाई करने का सवाब नहीं रहेगा और जब हमारा मूड फ्रेश होगा तब हम अपनी पढ़ाई करेंगे। अक्सर ऐसा होता है कभी-कभी पढ़ाई करने का मूड नहीं होता लेकिन माता-पिता या बड़े जनों की दबाव में आकर हमें बेमन से पढ़ाई करनी पड़ती है।

ऐसी स्थिति में पढ़ाई करने का कोई फायदा नहीं होता। पढ़ाई हमेशा ताजे दिमाग से करनी चाहिए ताकि जो कुछ पढ़ें वह दिमाग में अंकित हो जाए। पूरा यदि हमें मनपसंद खाना खाने की छूट दी जाए तो हम वह ही खाएंगे जो पसंद है। इसका मतलब यह नहीं कि हम जंक फूड और बाहर का हानिकारक खाना खाना शुरु कर दें।

हमारे कहने का मतलब है कि हमें अपनी मन के अनुसार सही खाना खाने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। हमें बाहर आने-जाने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, ताकि देर से घर लौटने पर हमें सफाई न देनी पड़े और जब हमें घर से बाहर जाना हो हम घर से बाहर जा सकें। इससे यह फायदा होगा कि यदि किसी दोस्त के साथ में देर हो गई है तो घर वापस जल्दी लौटने का दवाब नहीं रहेगा।


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‘मन्नू भंडारी’ द्वारा लिखित ‘दो कलाकार’ कहानी के दोनों पात्रों का परिचय दीजिए। आपका प्रिय कलाकार कौन और क्यों है? इस पर विचार व्यक्त कीजिए।

तकिये ने लेखक की बात सुनना क्यों बंद कर दिया था?

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‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ पाठ में तकिये ने लेखक की बात सुनना इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि इससे पहले लेखक ने भी आलस्य के कारण तकिये की बात को नही सुना था। दरअसल लेखक को देर रात तक पढ़ने की आदत थी इस कारण लेखक देर सुबह तक सोया रहता था। लेखक का तकिया लेखक को सुबह-सुबह जल्दी जगा देता था लेकिन लेखक आलस्य के कारण समय पर नहीं उठता और बिस्तर पर पड़ा रहता था। देर से उठने की लेखक की इसी आदत के कारण लेखक का दफ्तर जाना और दैनिक जीवन के अन्य कार्य अवयवस्थित होने लगे। अब लेखक सुबह जल्दी उठना चाहता था लेकिन वह अपने तकिये से मिन्नते भीं करता कि उसे सुबह समय पर जगा दे लेकिन तकिये ने लेखक बात सुननी बंद कर दी थी।

‘वह चिड़िया एक अलार्म’ घड़ी पाठ लेखक गोविंद कुमार गुंजन द्वारा लिखा गया संस्मरण पाठ है, जिसमें लेखक ने अपने उन दिनों का वर्णन किया है, जब लेखक की नई-नई नौकरी लगी थी और वह अपने घर से दूर एक कमरा किराए पर लेकर रहता था।

लेखक देर रात तक पढ़ते रहने के कारण सुबह देर से उठता था। लेखक को बचपन में उसके पिता ने बताया था कि  बिस्तर पर तकिए को यह कह कर सो जाओ कि सुबह मुझे जल्दी उठा देना तो सुबह अपने आप जल्दी आँखें खुल जाती है। लेखक ने इस बात का प्रयोग बचपन में कई बार किया और उसका यह प्रयोग सफल भी रहा और उसकी आँख समय पर खुल जाती थी, लेकिन जब लेखक अलग कमरा किराए पर लेकर रहने लगा तो वह देर रात तक सोने लगा। शुरू शुरू में उसके तकिए से कहकर सोने पर उसकी आँख जल्दी खुल जाती थी लेकिन बाद में वह आलस्य के कारण देर से उठने लगा तो तकिया ने भी उसकी बात सुननी बंद कर दी, लेकिन बाद में लेखक के कमरे में चिड़िया ने घोषणा बना लिया और वह चिड़िया लेखक के लिए अलार्म घड़ी बन गई क्योंकि वह चिड़िया लेखक को रोज सुबह समय पर जगा देती थी।


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निम्न में से मैथिलीशरण गुप्त की रचना नहीं है (i) ‘सिद्धराज’ iii) ‘अनघ’ (ii) ‘इत्यलम्’ (iv) ‘प्रदक्षिणा’।

आपके दादा-दादी सुदूर गाँव में कहीं रहते हैं। छुट्टियों में आप उनके पास कुछ दिन रहने के लिए गए थे। उन दिनों का स्मरण करते हुए दादा-दादी को पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

दादा-दादी को पत्र

दिनाँक – 11 अगस्त 2024

 

आदरणीय दादा-दादी,
सादर चरण स्पर्श

मैं यहाँ पर बिल्कुल स्वस्थ हूँ और आशा है कि आप दोनों स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। दादाजी-दादीजी मैं घर पर ठीक प्रकार से पहुँच गईं हूँ। आपके कहे अनुसार घर पहुँचते ही तुरंत पत्र लिख रही हूँ।

दादाजी-दादीजी, आपके पास बिताए गए वो कुछ दिन मेरे लिए अविस्मरणीय रहे। शहर की भाग-दौड़ से दूर, आपके गाँव में बिताया गया हर पल मेरे लिए एक नया अनुभव था। सुबह-सुबह चिड़ियों की चहचहाहट से जागना, ताजी हवा में सांस लेना, और दादी के हाथ के बने गरमा-गरम पराठों का स्वाद – ये सब याद आते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है।

दादाजी, आपके साथ खेतों में घूमना और प्रकृति के बारे में सीखना बहुत रोचक था। आपने जो पेड़-पौधों और पक्षियों के बारे में बताया, वो मेरे लिए नई जानकारी थी। दादीजी, आपके साथ रसोई में बिताया गया समय भी बहुत खास था। आपने जो पारंपरिक व्यंजन बनाना सिखाए, उन्हें मैं यहाँ भी बनाने की कोशिश करूंगी।

शाम को आँगन में बैठकर तारों को निहारना और आप दोनों का मुझे कहानियाँ सुनाना मेरा सबसे पसंदीदा समय था। आपके जीवन के अनुभव और सीख मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं।

मुझे याद है कि जब मैं वापस आ रही थी, तो आप दोनों की आँखों में आँसू थे। मैं भी भावुक हो गी थी। आप दोनों का प्यार और स्नेह मेरे लिए अनमोल है।

मैं जल्द ही फिर से आपसे मिलने आऊँगी। अब पत्र समाप्त करती हूँ। आप दोनों तक अपना ध्यान रखिएगा।

आपका प्यारी पोती,
मेघा


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अपने दादाजी से योग दिवस तथा उसके महत्व के विषय में जानकारी लेते हुए योग दिवस के महत्व पर संवाद लिखिए।

अपनी नानी माँ या दादी माँ को पत्र लिखकर सूचित करें कि इन गर्मी की छुट्टियों में आप उनके पास आ रहे हैं​।

भारत की वास्तुकला यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। तर्क सहित विचार लिखिए।

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भारत की वास्तुकला वास्तव में देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। इसके पक्ष में कुछ प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं…

विविधता : भारतीय वास्तुकला में अनेक शैलियाँ दिखाई देती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रतिबिंबित करती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में नागर शैली, दक्षिण में द्रविड़ शैली, और कश्मीर में कश्मीर शैली।

धार्मिक प्रभाव : मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च भारत की बहु-धार्मिक संस्कृति को दर्शाते हैं। अजंता-एलोरा की गुफाएँ बौद्ध धर्म के प्रभाव को, जबकि ताज महल इस्लामी वास्तुकला के प्रभाव को प्रदर्शित करता है।

ऐतिहासिक विकास : भारतीय वास्तुकला विभिन्न ऐतिहासिक काल के प्रभावों को दर्शाती है। मौर्य काल के स्तंभ, गुप्त काल के मंदिर, और मुगल काल के किले इस विकास को प्रदर्शित करते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग : स्थानीय पत्थर, लकड़ी और अन्य सामग्रियों का उपयोग भारतीय वास्तुकला में देखा जा सकता है, जो देश के प्राकृतिक संसाधनों के साथ लोगों के संबंध को दर्शाता है।

5. कला और शिल्प : भारतीय इमारतों पर नक्काशी, मूर्तिकला और चित्रकला देश की समृद्ध कला परंपरा को प्रदर्शित करती है।

ये तर्क दर्शाते हैं कि भारतीय वास्तुकला न केवल भवन निर्माण की कला है, बल्कि यह देश के इतिहास, संस्कृति, धर्म और परंपराओं का एक जीवंत अभिलेख भी है।


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मेरा प्रिय देश भारत (निबंध)

जल में दो मछलियों के मध्य पानी की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

जल में दो मछलियों के मध्य पानी की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए हुआ संवाद

पहली मछली ⦂ क्या हुआ बहन ? इतनी उदास क्यों लग रही हो, क्या सोच रही हो?

दूसरी मछली ⦂ क्या बताऊँ बहन आजकल पानी की कमी बढ़ती जा रही है और हमारा और मनुष्यों का आने वाला कल खतरे में है, ना जाने क्या होगा ? बस यही सोच रही हूँ।

पहली मछली ⦂ बहन चिन्ता तो मुझे भी होती है लेकिन केवल जीव–जंतुओं की मनुष्यों की नहीं?

दूसरी मछली ⦂ क्यों बहन क्या हुआ? तुम मनुष्यों से इतना नाराज़ क्यों हो?

पहली मछली ⦂ पानी की कमी की समस्या का कारण भी तो यह मनुष्य ही है। इनकी स्वार्थी प्रवृति के कारण ही ऐसा हो रहा है।

दूसरी मछली ⦂ वह कैसे?

पहली मछली ⦂ ये स्वार्थी मनुष्य वनों की कटाई कर रहे हैं, जिसके कारण ही ऐसा हो रहा है।

दूसरी मछली ⦂ वह कैसे? मैं कुछ समझी नहीं बहन।

पहली मछली ⦂ ओह ! तुम बहुत भोली हो बहन, कम पेड़ों वाले क्षेत्रों की तुलना में अधिक हरियाली वाले स्थानों में वर्षा काफी अच्छी होती है। जब उचित बारिश होगी तो पानी की कमी नहीं होगी। बढ़ते उद्योग और शहरी करण वनों की कटाई के मुख्य कारण हैं।

दूसरी मछली ⦂  क्या सिर्फ यही एक कारण है?

पहली मछली ⦂ नहीं , इसका एक और बड़ा कारण है, मनुष्यों की बढ़ती हुई जनसंख्या ।

दूसरी मछली ⦂ वह कैसे बहन?

पहली मछली ⦂ दरअसल बढ़ती आबादी को जीवन यापन के लिए पर्याप्त भोजन, पानी की भी आवश्यकता होती है। अनियंत्रित तरीके से पानी का उपयोग भी बढ़ गया गया है। साफ़ पानी के स्रोत जनसंख्या की तुलना में बहुत कम हैं और यह पानी की कमी के प्रमुख कारणों में से एक है।

दूसरी मछली ⦂ बहन इसका मतलब यह हुआ कि मनुष्यों को जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना होगा। तभी इस समस्या का हल निकल पाएगा।

पहली मछली ⦂ तुमने बिल्कुल ठीक कहा। अब मनुष्यों को भी यह बात समझ लेनी चाहिए, इसी में हम सब की भलाई है।


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बढ़ती गर्मी को लेकर दो महिलाओं के बीच बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

धरती के संरक्षण के बारे बात करते हुए दो मित्रों के बीच संवाद लिखिए।

निम्न में से मैथिलीशरण गुप्त की रचना नहीं है (i) ‘सिद्धराज’ iii) ‘अनघ’ (ii) ‘इत्यलम्’ (iv) ‘प्रदक्षिणा’।

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सही विकल्प होगा…

(ii) ‘इत्यलम्’

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विस्तृत विवरण

निम्नलिखित में ‘इत्यलम्’ मैथिलीशरण गुप्त की रचना नहीं है। ‘इत्यलम्’ अज्ञेय यानि सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय द्वारा रचित रचना है। यह एक काव्य कृति है, जिसकी रचना सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ने की थी। शेष तीनों रचनाएं ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा रचित रचनाएं हैं।

सिद्धराज मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित एक काव्य रचना है, जिसमें उन्होंने मध्यकालीन वीरों पर आधारित कविताएं रची है। सिद्धराज का प्रकाशन 1936 ईस्वी में हुआ।

‘अनघ’ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित एक मौलिक नाटक है। अनघ का प्रकाशन 1925 में हुआ।

‘प्रदक्षिणा’ भी मैथिली शरण गुप्त द्वारा रचित एक काव्य है। प्रदक्षिणा का प्रकाशन 1950 की में हुआ था। सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय द्वारा रचित रचना ‘इत्यलम्’ का प्रकाशन 1946 में हुआ था।


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निम्नलिखित रचनाओं में से ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ की रचना कौन सी है? (a) कदम्ब के फूल (b) कौशल (c) इंदिरा प्रियदर्शिनी (d) बातचीत में शिष्टाचार

‘कलम का सिपाही’ किस विधा की रचना है?

मीरा ने गोविंद को मोल ले लिया। कैसे ?

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मीराबाई ने अपनी भक्ति की शक्ति से गोविंद को मोल ले लिया है। मीराबाई ने श्रीकृष्ण अर्थात गोविंद अर्थात के प्रति अपनी भक्ति के लिए अपने घर, परिवार तथा संसार के अन्य लोगों किसी की भी परवाह नहीं की। उन्होंने सबके व्यंग वालों को झेला। सब की आलोचना आए। सही फिर भी वह अपने भक्ति के मार्ग पर अधिक होकर चलती रहीं। उन्होंने अपने आराध्य प्रभु श्रीकृष्ण यानि गोविंद के प्रति अपनी भक्ति को निरंतर जारी रखा। मीराबाई ने अपनी आँखों के तराजू पर तोल कर अपनी अनमोल श्रद्धा और भक्ति रूपी अनमोल पंचुका कर गोविंद को मोल ले लिया है। यानी उन्होंने अपनी भक्ति की शक्ति के द्वारा मूल्य झुकाकर गोविंद को मोल ले ले लिया है। इस तरह मीराबाई ने अपनी भक्ति की शक्ति द्वारा गोविंद को मोल लिया।


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कवि ने लाल शिखाएँ किसे कहा है?

‘कामचोर’ कहानी हमें क्या संदेश देती है?

कवि ने लाल शिखाएँ किसे कहा है?

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कवि ने लाल शिखाएँ वीर अमर शहीद सैनिकों के बलिदान से उपजी तेज अग्नि को कहा है, जो वीर अमर शहीदों ने अपने जीवन का बलिदान देकर प्रज्वलित की थी।

‘कलम आज उनकी जय बोल’ कविता जो कि ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा लिखी गई है, उसकी कुछ पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है।

पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल.

भावार्थ : कवि दिनकर जी ने वीर अमर शहीदों की महिमा का गुणगान करते हुए कहा है कि इन अमर शहीदों ने दीपक की भांति जलकर जो तेज लाल अग्नि प्रज्वलित की उसकी गरम लपटे चारों दिशाओं में उठ रही हैं। इस तेज अग्नि स और उन वीर सिंह समान सैनिकों की गर्जना से सारी पृथ्वी कंपायमान होकर हिल रही है।


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‘आह्वान’ कविता से ली गई पंक्ति “बैठे हुए हो व्यर्थ क्यों? आगे बढ़ो, ऊँचे चढ़ो” का क्या भाव है?

कवि ने सब को एक होकर चलने को क्यों कहा है ?

‘कामचोर’ कहानी हमें क्या संदेश देती है?

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‘कामचोर’ कहानी इस्मत चुगताई द्वारा लिखी गई एक हास्यपद कहानी है, यह हास्यपद कहानी होने के साथ-साथ एक शिक्षाप्रद कहानी भी है। यह कहानी बच्चों को यह संदेश देती है कि बच्चों को अपने घर के घरेलू कार्यों के प्रति लापरवाह नहीं होना चाहिए। उन्हें अपने घर के कामों में बड़ों का यथासंभव सहयोग करना चाँहिए। इसके लिए वह अपनी रुचि के अनुसार कार्य चुन सकते हैं, जिससे वह लगन से वह कार्य करके अपने बड़ों का हाथ बंटा सकें।

इसके अलावा यह कहानी बड़ों को यह सीख देती है कि बच्चों को उनकी रूचि एवं लगन एवं उनकी सामर्थ्य के अनुसार घर का कोई कार्य सौंप देना चाहिए, जिससे वह वह कार्य को मन से कर सकें। उनकी इच्छा के विपरीत कोई भी कठिन कार्य उनको नहीं करने को नहीं देना चाहिए। बड़ों का यह कर्तव्य है कि बच्चों को निरंतर छोटे-मोटे रुचि पूर्ण कार्यों में लगाये रखें ताकि वह अनुशासन और कर्म और परिश्रम का महत्व समझ सकें। बच्चों को अधिक लाड़ प्यार में कारण उनसे घर का कोई भी कार्य ना करवाना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करवाने के जैसा है, इससे बच्चे उद्दण्डी एवं लापरवाह बनते हैं।


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आपका छोटा भाई छात्रावास में रहकर खुश नहीं है क्योंकि अभी तक वह कोई दोस्त नहीं बना पाया है। अपने भाई को पत्र लिखकर कुछ सलाह दीजिए ताकि वह मित्र बना सके।

अनौपचारिक पत्र

छोटे भाई को सलाह देते हुए पत्र

 

दिनांक : 10 अगस्त 2024

प्रिय छोटे भाई अमित,
खुश रहो

आशा करता हूँ, तुम छात्रावास में ठीक होगे और तुम्हारा मन लग गया होगा। मुझे पता चला है कि तुम कुछ दिनों से परेशान हो । परेशानी का कारण यह है कि तुम खुश नहीं हो क्योंकि अभी तक तुम्हारा कोई दोस्त नहीं बना । इस बात के लिए तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है । तुम्हें बहुत सोच-समझकर अपने दोस्त बनाने है । तुम्हें सबसे पहले यह सोचना है कि तुम घर से दूर छात्रावास में पढ़ाई करने आए हो । तुम्हें मन लगाकर पढ़ाई करनी है और अपनी लक्ष्य को प्राप्त करना है । तुम्हें अच्छी संगति में रहना है । तुम्हें अच्छे दोस्त बनाने है । ऐसे दोस्त बनाने है जो विश्वास करने लायक हो । ऐसे दोस्त हो हमेशा अच्छे कामों में साथ दे । तुम्हें ज्यादा चिन्ता नहीं लेनी है । हमेशा खुश रहना है । खुश रहोगे तभी तुम्हारा मन पढ़ाई में लगेगा । आशा करता हूँ, तुम मेरी बातों को समझोगे और खुश रहोगे । अपना ध्यान रखना। जल्दी ही मिलने आऊंगा ।

तुम्हारा बड़ा भाई,
पुनीत


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आपका छोटा भाई कुसंगति में पड़ गया है। कुसंगति से बचने की शिक्षा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए।

आपका छोटा भाई विद्यालय की तरफ से कहीं घूमने जा रहा है, उसे एक पत्र लिखिए।

प्रत्येक सुबह नई आशा लेकर आती है। स्पष्ट करें​।

प्रत्येक सुबह हमारे लिए एक नई आशा लेकर आती है, क्योंकि सुबह ताजगी का प्रतीक है। सुबह एक नए आरंभ का प्रतीक होती है। सुबह तब ही आती है, जब अंधकार चला जाता है। जब अंधकार दूर भागता है, तब नई सुबह आती है। उसी प्रकार हमारे जीवन में यदि निराशा है, तो हमें अपने जीवन में आशा के लिए नई सुबह को लाना होगा, जो हमारे लिए एक नई आशा बने।

प्रत्येक सुबह इस बात का प्रतीक होती है कि अधंकार रूपी रात ढल गई है। अब नई सुबह में नया आरंभ करने का समय आ गया है। जो बीत गया है, वह बीँत गया है, वह एक अंधकार भरी रात थी। अब नई सुबह का आगमन हो चुका है। अब जो वर्तमान चल रहा है और जो भविष्य आने वाला है, उसकी ओर देखने की जरूरत है। इसलिए प्रत्येक सुबह एक नई आशा लेकर आती है, इस बात में तनिक भी संदेह नही है।


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आरक्षित वन और संरक्षित वन में क्या-क्या अंतर हैं, स्पष्ट कीजिए।

सदाबहार वर्षावन ‘जीवोम’ की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। ​

भारतीय राजनीति में 1990 के पश्चात् किन्हीं तीन उभरती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।

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भारतीय राजनीति में 1990 के पश्चात तीन उभरती प्रवृतियां इस प्रकार हैं..

  1. राष्ट्रपति की सक्रियता में वृद्धि : 1990 के बाद भारतीय राजनीति में यह परिवर्तन आया है कि राष्ट्रपति की सक्रियता में वृद्धि हो गई है। 1990 के बाद गठबंधन की राजनीति का दौर शुरू हो गया था। इस कारण राष्ट्रपति की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई। अलग-अलग क्षेत्रों की शक्ति में वृद्धि होने के कारण गठबंधन की राजनीति तथा सत्ता की खींचतान में राष्ट्रपति को अपनी भूमिका सिद्ध करनी थी। इसीलिए राष्ट्रपति की सक्रियता में वृद्धि हुई हालांकि इस दौर में प्रधानमंत्री पद की गरिमा और उसकी स्थिति में थोड़ी गिरावट अवश्य देखी गई लेकिन राष्ट्रपति की सक्रियता बढ़ती चली गई है। उसके बाद से स्थिति बदस्तूर जारी है।
  2. संसद के प्रभाव में कमी : 1990 के बाद भारतीय राजनीति में संसद के प्रभाव में कमी आई है। व्यवस्थापिका ने अपनी शक्तियों कार्यकुशलता व सम्मान बनाए रखा हो या उसमें वृद्धि की हो ऐसा दिखता तो है, लेकिन अन्य संस्थाओं की अपेक्षा संसद के प्रभाव में कमी आई है और उसका आंशिक रूप से पतन हुआ है। एक दल वाली सरकारों के काल में संसद एक प्रभावकारी संस्था के रूप में कार्य करती थी। पहले संसद में विभिन्न विवादों पर बहस होती थी लेकिन कानून भी पास होते थे, लेकिन आज के समय में स्थिति बदल गई है। अब संसद में इतना अधिक गतिरोध बढ़ गया है कि संसद का रोज का कामकाज हमेशा ठप ही रहता है। संसद का कोई भी सत्र बिना विवाद के संपन्न नहीं होता।
  3. भारत का अर्ध-संघ से महासंघ की ओर रुझान : 1990 के बाद भारतीय राजनीति में मुख्य परिवर्तन यह आया कि अब भारत का अर्ध-संघ से महा-संघ की ओर रुझान बढ़ा है। पहले क्षेत्रीय दलों का अपना प्रभाव बना रहता था और वर्तमान समय में भी क्षेत्रीय दलों का अपना-अपना प्रभाव है, लेकिन राष्ट्रीय परिदृश्य पर बहुत अधिक महत्व नहीं रखते। अधिकतर क्षेत्रीय दल केवल अपने राज्य तक ही सीमित हैं और अपने राज्य के क्षेत्रीय मुद्दों को ही प्राथमिकता देते हैं। राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उनका कोई भी ना ना तो रुचि है और ना ही प्रभाव है। इस कारण क्षेत्रीय मुद्दे राष्ट्रीय राजनीति पर हावी नहीं हो पाते और राज्य तक ही सीमित रह जाते हैं।

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राजनीति शास्त्र के पिता माने जाते हैं? ((1) सुकरात (2) अरस्तु (2) चाणक्य (4) कार्ल मार्क्स

‘राजनीति का संबंध समाज में मूल्य के आधिकारिक आवंटन से है।’ यह कथन किसका है? 1. अरस्तु 2. लास्की 3. डेविड ईस्टन 4. गार्डनर

जनसंचार माध्यम की खूबियां और खामियां लिखिए।

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जन संचार

जनसंचार से तात्पर्य उन सभी साधनों के अध्ययन एवं विश्लेषण से है जो एक साथ बहुत बड़ी जनसंख्या के साथ संचार सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होते हैं । प्रायः इसका अर्थ सम्मिलित रूप से समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, चलचित्र से लिया जाता है जो समाचार एवं विज्ञापन दोनों के प्रसारण के लिये प्रयुक्त होते हैं । जनसंचार माध्यमों के जरिए प्रकाशित या प्रसारित संदेशों की प्रकृति सार्वजनिक होती है । जन संचार के लिए औपचारिक संगठन होता है ।

जन संचार के प्रमुख माध्यम हैं, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, फ़िल्म, टेलीविजन, रेडियो, टेलीफोन, इंटरनेट, पुस्तकें आदि ।

प्रिंट माध्यम की खूबियां

  1. छपाई के कारण शब्दों में स्थायित्व ।
  2. रुचि एवं इच्छानुसार समय मिलने पर पढ़ना ।
  3. संदर्भ की तरह प्रयोग ।
  4. पढ़ते समय सोचने-समझने के लिए अपनी सुविधानुसार आजादी
  5. इसकी भाषा अनुशासन पूर्ण होती है ।

प्रिंट माध्यम की खामियां

  1. निरक्षरों के लिए अनुपयोगी।
  2. घटना की तात्कालिक जानकारी न मिल पाना।
  3. स्पेस का ध्यान रखना होता है।
  4. छपी हुई त्रुटियों का निराकरण नहीं।
  5. इसकी भाषा अनुशासन पूर्ण होती है ।
  6. लेखक पाठक के शैक्षिक ज्ञान के अंतर्गत ही लिख सकता है।

रेडियो माध्यम की खूबियां

  1. कहीं भी सुना जा सकता है ।
  2. शब्दों का माध्यम है ।
  3. उलटा पिरामिड शैली में समाचार ।
  4. साक्षर-निरक्षर सभी के लिए समान से उपयोगी
  5. रेडियो श्रोताओं रने संचालित माध्यम मना जाता है ।

रेडियो माध्यम की खामियां

  1. समाचारों पर विचार करते हुए रुक-रुककर नहीं सुना जा सकता।
  2. एकरेखीय माध्यम है।
  3. समाचार के समय का इंतजार करना पड़ता है।
  4. कम आकर्षक।
  5. श्रोताओं को बाँधकर रखना प्रसारण कर्ताओं के लिए कठिन होता है।

टेलीविजन माध्यम खूबियां

1. देखने एबं सुनने का माध्यम।
2. सजीव प्रसारणा।
3. ब्रेकिंग न्यूज को व्यवस्था।
4. आकर्षक माध्यम।
5. कम-रने-कम शब्दों में अधिकतम खबरें पहुँचाने में समर्था।

टेवीविजन माध्यम की खामियां

1. घटनाओँ क्रो बढ़।-चढाकर दिखाना।
2. विज्ञापनों को अधिकता।
3. निष्पक्षता संदिग्ध।
4. अत्यधिक बाजारोन्मुखा।
5. मानक एवं शिष्ट भाया का अभाव।

इंटरनेट माध्यम की खूबियां

1. हर समय समाचार एवं सूचनाएँ उपलब्ध।
2. अत्यंत तीव्र गति वाला माध्यम।
3. ज्ञान एवं मनोरंजन का अदृभुत खजाना।
4. समूचा अखबार इंटरनेट पर।
5. साहित्यक पत्रकारिता हेतु उचित मंच।

इटंरनेट माध्यम की खामियां

1. अश्लीलता फैलाने वाला।
2. दुष्प्रचार का साधना।
3. महँगा साधना।
4. श्रामक खबरों का भरमार।
5. हिंदी के किसी मानक फैंट का अभाव।


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जनसंचार माध्यमों के क्या खतरे है?​ बताइए।

सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति और इंटरनेट का महत्व (निबंध)

Your cousin asked if she can visit you during the holiday, write her a reply letter.

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Informal Letter

Letter to cousin

 

Date: 9 August 2024

Dear Pooja,
How are you,

I am thrilled you are considering visiting during the holiday! It would be wonderful to spend some quality time together and catch up. Our house is not so big, but we have a comfortable guest room and you are welcome to use.

If you decide to come, let me know your travel dates so I can plan accordingly. I had love to show you around our city and introduce you to some of my favorite spots. We could also plan some day trips to nearby attractions if you’re interested.

Don’t worry about bringing much luggage, just yourself and a good mood! We will take care of the rest.

Let me know if you have any questions or if there’s anything specific you had like to do during your stay.

Your lovingly sister,
Kanika


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Write the summary of the poem ‘Refugee Blues’ by W H Auden.

Explain some key points of present perfect continuous tense.

Write the summary of the poem ‘Refugee Blues’ by W H Auden.

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Summary of the poem ‘Refugee Blues’ by W.H. Auden

‘Refugee Blues’ is a poignant poem that depicts the plight of Jewish refugees fleeing Nazi persecution in the late 1930s. The poem is written in the voice of a Jewish refugee speaking to their partner or companion.

The poem describes various scenes and situations that highlight the refugees’ desperate circumstances:

  • They are denied a home and country, contrasted with the freedom of animals and birds.
  • They face bureaucratic obstacles and indifference from potential host countries.
  • The speakers recall the violence and oppression they fled, including the destruction of their synagogue.
  • They experience isolation and alienation in their new surroundings.
  • The poem emphasizes the contrast between the refugees’ desperation and the normalcy of life around them.
  • It touches on themes of loss, displacement, and the search for safety and belonging.

Throughout, Auden uses repetition and a blues-like structure to reinforce the refugees’ sense of hopelessness and the cyclical nature of their struggles. The poem serves as a powerful critique of the international community’s response to the refugee crisis of that time.


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Explain some key points of present perfect continuous tense.

Write a short note on judge’s life in 150 words.

Explain some key points of present perfect continuous tense.

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These are the key points of the present perfect continuous tense:

1. Formation: Subject + have/has been + present participle (verb + -ing)

2. Used for actions that:
– Started in the past and continue up to the present
– Have been happening recently and may still be ongoing

3. Often used with time expressions like ‘for,’ ‘since,’ ‘all day,’ ‘lately’
4. Emphasizes the duration or continuity of an action
5. Can indicate a temporary situation
6. Often explains present results or states
7. Contrasts with simple present perfect by focusing on the action’s duration rather than its completion
8. Common in questions starting with ‘How long…?’


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Write a short note on judge’s life in 150 words.

What is binary fission?

Write a short note on a judge’s life in 150 words.

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Short notes

A judge’s Life

 

A judge’s life is characterized by responsibility, integrity, and careful deliberation. Their days are filled with reviewing case files, presiding over courtroom proceedings, and rendering decisions that significantly impact people’s lives. Judges must maintain impartiality, interpreting laws and applying them fairly to each unique situation.

Outside the courtroom, judges often engage in ongoing legal education to stay current with evolving laws and precedents. They may also participate in community outreach programs to promote legal awareness and civic engagement.

The role demands emotional resilience, as judges frequently encounter distressing cases and must make difficult decisions. They must also navigate the public nature of their position, balancing their professional duties with personal privacy.

Despite the challenges, many judges find their work deeply fulfilling. They play a crucial role in upholding justice, protecting individual rights, and maintaining social order, making their profession both demanding and rewarding.


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What is binary fission?

Which layer of soil is the home for living organism​?

पढ़ाई की प्रगति के बारे में बताते हुए पिताजी के नाम एक पत्र लिखिए।

अनौपचारिक पत्र

पढ़ाई की प्रगति के विषय में पिताजी को पत्र

 

दिनांक – 9 अगस्त 2024

 

मिले – श्री राधेश्याम सिंह
सूबेदार, भारतीय सेना,
मथुरा छावनी,
मथुरा

द्वारा – अंकुश सिंह,
दारागंज, भोपाल ।

आदरणीय पिताजी,
सादर चरण स्पर्श ।

मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ और आशा करता हूँ, आपका स्वास्थ्य भी ठीक होगा।  पिताजी माँ ने बताया कि कल आपका पत्र आया था। अपने पत्र में आपने माँ से मेरी पढ़ाई की प्रगति के विषय में पूछ रहे थे तो पिताजी मैं आपको बता दूं कि मेरी पढ़ाई ठीक प्रकार चल रही है। अगले महीने बाद मेरी अर्धवार्षिक परीक्षाएं होने वाली है और मैंने अपनी परीक्षाओं की तैयारी करनी आरंभ कर दी है। वार्षिक परीक्षा में मैंने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने का लक्ष्य निर्धारित किया है और मैं चाहता हूं कि मैं कम से कम 80% अंकों के साथ उत्तीर्ण होऊं। मुझे अपने पढ़ाई की तैयारी पर पूरा विश्वास है कि मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकूंगा और आपकी आशाओं पर भी खरा उतरूंगा।

पिताजी, आपका स्वास्थ्य कैसा है? आप देश की रक्षा में तत्परता से लगे है ये देखकर मुझे आपपर गर्व होता है। पिताजी, छट्टियों में जब भी आप घर पर वापस आओ तो मेरे लिए कुछ अच्छी-अच्छी ज्ञानवर्धक पुस्तक के लिए लेकर आना। मेरी और छोटी बहन की तरफ से आपको चरण स्पर्श।

आपका पुत्र,
अंकुश


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अपने मामाजी को पत्र लिखकर पिताजी के स्वास्थ्य में सुधार की सूचना दीजिए l

अपने पिताजी को अपनी परीक्षा की तैयारी के विषय में पत्र लिखिए।

आपके विद्यालय में खेल का मैदान नहीं है, विद्यालय में खेल के मैदान को बनवाने के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखें।

औपचारिक पत्र

खेल के मैदान की मांग करते हुए प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र

 

दिनांक – 9 अगस्त 2024

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
सर्वोदय विद्यालय,
चंडीगढ़ ।

विषय: विद्यालय में खेल का मैदान बनवाने हेतु प्रार्थना पत्र ।

 

माननीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अंकिता रावत, कक्षा – 10 की छात्रा हूँ। मैं आपका ध्यान हमारे विद्यालय में खेल के मैदान की अनुपस्थिति की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ।

खेल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानसिक विकास और टीम भावना को भी बढ़ावा देते हैं। एक उचित खेल मैदान की कमी के कारण हम छात्र इन लाभों से वंचित रह जाते हैं। इसके अतिरिक्त, खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने की हमारी क्षमता भी सीमित हो जाती है। विद्यालय में मैदान होने के कारण हम सभी छात्र-छात्राएं मैदानी खेलों से वंचित हो रहे हैं।

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया विद्यालय परिसर में एक खेल मैदान बनवाने पर विचार करें। यह न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होगा, बल्कि विद्यालय की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगा।

आशा करती हूँ कि आप इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे और शीघ्र ही सकारात्मक कदम उठाएंगे।

धन्यवाद।

भवदीया,
अंकिता रावत,
सर्वोदय विद्यालय,
कक्षा 10-A,
अनुक्रमांक – 02


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अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय को एक प्रार्थना पत्र लिखें, जिसमें कक्षा के शरारती बच्चों द्वारा अनुशासन भंग करने की शिकायत की गई हो।

विद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण पत्र देने का अनुरोध करते हुए एक प्रार्थना पत्र लिखिए ।

What is binary fission?

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Binary fission is a form of asexual reproduction commonly observed in single celled organisms, particularly in prokaryotes like bacteria. Let’s we concise explanation of binary fission:

1. Definition: It’s a process where a parent cell divides into two identical daughter cells.

2. Process:

  • The cell grows and replicates its genetic material (DNA)
  • The DNA attaches to the cell membrane
  • The cell elongates
  • A septum (dividing wall) forms at the center of the cell
  • The cell splits into two identical daughter cells

3. Key characteristics:

  • Produces genetically identical offspring (clones)
  • Typically results in rapid population growth
  • Does not involve gametes or specialized reproductive structures

4. Organisms: Common in bacteria, some protists (like amoeba), and some organelles within eukaryotic cells (like mitochondria)

5. Speed: Can occur very rapidly, with some bacteria capable of dividing every 20 minutes under optimal conditions

6. Variations: While most common in prokaryotes, some single celled eukaryotes use modified forms of binary fission

7. Importance: Critical for bacterial reproduction and survival, also significant in some medical and industrial applications

Binary fission is a fundamental biological process that allows for the rapid reproduction of single celled organisms, playing a crucial role in their survival and adaptation.


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What is difference between sexual and asexual reproduction.

Write any three functions performed by the stem of a plant?

Amazing facts about ‘International Youth Day​.’

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These are some interesting facts about International Youth Day:

  • International Youth Day is observed annually on August 12th.
  • It was established by the United Nations General Assembly in 1999.
  • The day aims to raise awareness about the challenges and issues facing youth globally.
  • Each year has a specific theme focused on youth-related topics. For example, the theme for 2023 was “Green Skills for Youth: Towards a Sustainable World.”
  • The day is celebrated in various ways worldwide, including concerts, workshops, cultural events, and conferences.
  • It provides a platform for young people to voice their opinions and participate in decision-making processes.
  • The UN defines youth as persons between the ages of 15 and 24 years old.
  • According to the UN, there are currently about 1.2 billion young people aged 15 to 24 years in the world, accounting for 16% of the global population.
  • International Youth Day highlights the importance of education, employment, and civic engagement for young people.
  • The day also promotes intergenerational understanding between young people and older generations.
  • Many countries use this day to announce youth-oriented policies or initiatives.
  • Social media plays a significant role in spreading awareness about International Youth Day, with dedicated hashtags trending annually.

These facts highlight the importance of International Youth Day in addressing global youth issues and promoting youth empowerment.


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Is rubber and coconut are cash crops of the coastal plains?

संकल्प बल के महत्व पर एक प्रेरणादायक कहानी लिखें।

लघु कहानी

संकल्प का बल

 

यह एक बहुत ही पुरानी कहानी है उस समय की जब बच्चे गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने जाते थे । एक दिन गुरु अपने शिष्य के साथ चले जा रहे थे अचानक रास्ते में एक बड़ी चट्टान दिखी।

एक शिष्य ने गुरु से पूछा – गुरुदेव! यह चट्टान बड़ी कठोर है, क्या चट्टान से भी कठोर कोई चीज है ?
गुरु कुछ बोलें इससे पहले ही दूसरा शिष्य बोला – चट्टान से भी कठोर है लोहा, जो इस चट्टान को भी तोड़ डालने का सामर्थ्य रखता है।
तो दूसरे शिष्य ने पूछा कि – गुरुदेव, क्या लोहे से भी ज्यादा कठोर कोई चीज है?
तीसरे शिष्य ने तुरन्त जबाव दिया – लोहे से भी ज्यादा प्रभावशाली है अग्नि, जो लोहे को भी पिघला देने की सामर्थ्य रखती है ।
तभी चौथे शिष्य ने कहा कि गुरुदेव, अग्नि से भी ज्यादा प्रभावशाली है पानी, जो अग्नि को भी बुझा देने का सामर्थ्य रखता है।
तभी पाँचवें शिष्य ने कहा – मुझे तो पानी से भी ज्यादा प्रभावशाली दिखाई पड़ती है, हवा, जो पानी को भी उड़ा ले जाती है।
अगला शिष्य कुछ बोलने ही वाला था कि गुरु बोले – सुनो ! सबसे ज्यादा प्रभावशाली यदि कुछ है तो वह है मनुष्य के मन का संकल्प। मनुष्य अपने संकल्प के बल पर पाषाण को तोड़ सकता है, लोहे को गला सकता है, आग को बुझा सकता है, पानी को उड़ा सकता है। सब कुछ मनुष्य के संकल्प पर निर्भर है। मनुष्य का संकल्प यदि दृढ़ है तो बुरे–से-बुरे संस्कारों को भी जीत सकता है।


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संकल्प बल के महत्व पर एक प्रेरणादायक कहानी लिखें।

जीवों के प्रति राहुल कैसा भाव प्रकट करता है? (माँ कह एक कहानी- मैथिलीशरण गुप्त) ​

अपने क्षेत्र में हो रहे शोर-गुल से आपको पढ़ाई में हो रही असुविधा का वर्णन करते किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।

औपचारिक पत्र

शोरगुल के संबंध में संपादक को पत्र

 

दिनांक – 8 अगस्त 2024

 

सेवा में,
संपादक महोदय,
दि हिमाचल टाइम्स,
शिमला ।

विषय : शोर-गुल के कारण पढ़ाई में हो रही असुविधा बाबत ।

महोदय,
आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से मैं अपनी समस्या को सरकार तथा प्रशासन तक पहुंचाना चाहता हूँ। कृपया आप मेरे इस पत्र को अपने समाचार पत्र के पहले पृष्ट में प्रकाशित करें। आजकल हमारे जीवन में लाउडस्पीकरों का प्रयोग किया जाना आम बात है । आए दिन ऐसे कार्यक्रम होते रहते हैं चाहे बड़े हो या छोटे जिनमें लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल आम बात है । मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, भजन कीर्तन, विवाह आदि में लाउड स्पीकरों का प्रयोग किया जाता है।

लेकिन मेरी शिकायत है कि लाउडस्पीकरों का प्रयोग करने वाले दूसरों को हो रही असुविधा का ख्याल नहीं रखते है। देर रात तक लाउडस्पीकर बजते रहते हैं। बच्चों की पढ़ाई पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पढ़ रहा है। बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने वाली है। बच्चे ऐसे माहौल में पढ़ नहीं पा रहे हैं।

अतः संपादक महोदय जी, मैं आपके अखबार के माध्यम से हमारे क्षेत्र की इस समस्या के बारे में प्रशासन और सरकार से अनुरोध करना चाहता हूँ कि वह लाउडस्पीकरों के अनियंत्रित प्रयोग पर रोक लगाएं तथा इसके प्रयोग से संबंधित बनाए गए नियमों का सख्ती से पालन करवाएं।

धन्यवाद सहित,निवेदक
मोहन लाल
हमीरपुर ।


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संपादक के नाम पत्र लिखकर प्रखंड कार्यालय में व्याप्त अनियमितता का उल्लेख करें।

आप वेणु राजगोपाल हैं। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ दिल्ली के संपादक के नाम एक पत्र लिखकर सामाजिक जीवन में बढ़ रही हिंसा पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

सामासिक पदों का विग्रह कर समास के भेद बताओ। (1) राजनर्तकी (2) प्रतिक्षण (2) पीताम्बर (4) नीलकमल (4) राजा (5) पूरब (5) इहलोक (6) दोषी (7) आयात (8) पूर्णिमा (9) पंकज (10) राम-लक्ष्मण (11) आजीवन (12) नीलगाय

सामासिक पदों का विग्रह कर समास के भेद इस प्रकार होंगे…

(1) राजनर्तकी : राज की नर्तकी
समास भेद : तत्पुरुष समास

(2) प्रतिक्षण : हर क्षण
समास भेद : अव्यवीभाव समास

(3) पीताम्बर : पीत (पीला) है अम्बर जिसका अर्थात श्रीकृष्ण
समास भेद : बहुव्रीहि समास

(4) नीलकमल : नीला है जो कमल
समास भेद : कर्मधारण्य समास

(5) राजा : प्रधान शासक
समास भेद : अव्यवीभाव समास

(6) इहलोक : यह लोक अर्थात पृथ्वी
समास भेद :
बहुव्रीहि समास

(7) दोषी : दोष युक्त
समास भेद : अव्यवीभाव समास

(8) आयात : मंगाया है जो
समास भेद : कर्मधारण्य समास

(9) पूर्णिमा : पक्ष की अंतिम तिथि है जो
समास भेद : कर्मधारण्य समास

(10) पंकज : कीचड़ में जन्मा अर्थात कमल
समास भेद : बहुव्रीहि समास

(11) राम-लक्ष्मण : राम और लक्ष्मण
समास भेद : द्वंद्व समास

(12) आजीवन : पूरे जीवन
समास भेद : अव्यवीभाव समास

(13) नीलगाय : नीली है जो गाय
समास भेद : कर्मधारण्य समास


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‘विष्णु’ का समास विग्रह क्या होगा?

धूलि-धूसर का समास-विग्रह करें।

Which layer of soil is the home for living organism​?

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The layer of soil that is the home for the majority of living organisms is the topsoil or the A-horizon.

The topsoil is the uppermost layer of the soil profile, which is typically dark in color and rich in organic matter. This is the layer where the majority of the soil’s biological activity takes place.

Some key characteristics of the topsoil that make it the home for living organisms:

Organic matter: The topsoil contains a high concentration of decomposed plant and animal matter, which provides food and nutrients for various organisms.

Nutrient availability: The topsoil is the most nutrient-rich layer due to the presence of organic matter and the cycling of nutrients through the activities of living organisms.

Aeration: The topsoil is usually loose and well-aerated, providing the necessary oxygen for the respiration of soil organisms.

Moisture retention: The organic matter in the topsoil helps retain moisture, creating a suitable environment for the survival of soil organisms.

The living organisms that thrive in the topsoil include:

Microorganisms: Bacteria, fungi, actinomycetes, protozoa, and algae.
Small invertebrates: Earthworms, arthropods (such as insects, spiders, and mites), and nematodes.
Plant roots: The roots of most plants are concentrated in the topsoil layer.

These organisms play vital roles in the soil ecosystem, including decomposition, nutrient cycling, soil structure formation, and supporting plant growth.


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Write any three functions performed by the stem of a plant?

स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र मे खाद्य वस्तुओं में मिलावट तथा उससे होने वाले दुष्परिणामों को स्पष्ट करते हुए एक शिकायती पत्र लिखिए

औपचारिक पत्र

खाद्य वस्तुओं की मिलावट की शिकायत के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र

 

दिनांक : 8 अगस्त 2024

 

सेवा में,
श्रीमान मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी,
शिमला नगर स्वास्थ्य विभाग,
शिमला (हि. प्र.) ।

विषय : खाद्य सामग्रियों में मिलावट संबंधी शिकायत ।

महोदय, मैं शिमला की खलिनी कॉलोनी की निवासी हूँ और इस पत्र के माध्यम से खाद्य वस्तुओं की मिलावट के संबंध में आपके समक्ष शिकायत प्रेषित कर रही हूँ। महोदय, आजकल बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री में बड़े स्तर की मिलावट पाई जा रही है। इस कारण हम सभी निवासियों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया है।

बाजार में खुलेआम धड़ल्ले से मिलावटी सामग्री बिक रही है। दुकानदारों को शिकायत करने पर वह विवाद करने लगते हैं। ऐसा लगता है उनकी और मिलावटखोरों की ऊपर के अधिकारियों आदि से मिलीभगत है, इसी कारण उन्हें मिलावट का कोई ध्यान नहीं रह पाता। ये मिलावटखोर अधिक मुनाफे के चक्कर में आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारण मुझे अपने परिवार के स्वास्थ्य की भी चिंता होने लगी है।

महोदय, एक जागरूक गृहिणी होने के नाते मेरा दायित्व बनता है कि संबंध में अपना विरोध प्रकट करूं। मेरा आपसे निवेदन है कि इस संबंध में तुरंत ही उचित कार्यवाही करें और खाद्य सामग्री में मिलावट करने वाले मिलावटखोरों और दुकानदारों पर उचित लगाम लगाएं। आशा है, जनता के हित को ध्यान में रखते हुए आप शीघ्र ही इस संबंध में उचित कार्रवाई करेंगे।

धन्यवाद,

भवदीया,
कृति अरोड़ा,
खलिनी,
शिमला ।


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आपके क्षेत्र में सड़कों पर रोशनी न होने से अंधकार रहता है। नगर निगम के अधिकारी को पत्र लिखकर अपेक्षित प्रबंध करवाने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

पीलिया रोग की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए​।

वर्ण विच्छेद करो- (1) अध्यापक (2) बुधवार (3) प्रयोगशाला (4) मच्छर (5) सब्जियाँ (6) चौकीदार (7) परीक्षा (8) ज्योतिषी​।

दिए गए शब्दों का वर्ण विच्छेद इस प्रकार होगा..

(1) अध्यापक : अ् + ध् + य् + आ +प् + अ + क् + अ

(2) बुधवार : ब् + उ +ध् + अ + व् + आ + र् + अ

(3) प्रयोगशाला : प् + र् + अ + य् + ओ + ग् + अ + श् + आ + ल् + आ

(4) मच्छर : म् +  अ + अ + च् + छ् + अ + र् + अ

(5) सब्जियाँ : स् + अ + ब् + ज् + इ + य् + आ + ँ

(6) चौकीदार :  च् + औ + क् + ई + द् + आ + र् + अ

(7) परीक्षा : प् + अ + र् + ई + क् + श् + आ

(8) ज्योतिषी : ज् + य् + ओ + त् + इ + ष् + ई

वर्ण विच्छेद क्या हैं? 

हम सभी जानते हैं कि कोई भी शब्द अनेक तरह के वर्णों से मिलकर बनता है। किसी शब्द की संरचना के लिए कम से कम दो वर्णों की आवश्यकता होती है। यह वर्ण स्वर अथवा व्यंजन किसी भी रूप में हो सकते हैं। जिन वर्णों को मिलाकर उस शब्द की संरचना हुई होती है, उस शब्द को उसके मूल वर्णों में पृथक कर देने की क्रिया को वर्ण विच्छेद कहते हैं।


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दिए गए शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए- (क) पुस्तक- (ख) रंगीन (ग) सर्प (घ) दर्पण (ङ) संगीत (च) स्मृतियाँ (छ) स्पष्ट (ज) संभावना (झ) आविष्कार (ञ) पूजनीय (ट) आदर्श (ठ) सौंदर्य (ड) ग्राहक (ढ) अस्पताल (ण) रेणु

‘आज्ञा’, ‘अवज्ञा’, ‘ज्ञानी’, ‘विद्वान’ इन शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें।

Write any three functions performed by the stem of a plant?

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The stem of a plant performs the following three important functions:

1. Support

  • The stem provides structural support to the plant, holding up the leaves, flowers, and fruits.
  • It acts as a framework that allows the plant to grow upright and maintain its shape.
    The stem’s strength and rigidity, provided by the vascular tissues and supporting tissues
  • like collenchyma and sclerenchyma, help the plant withstand the forces of gravity and wind.

2. Transport

  • The stem serves as a transportation system, carrying water and dissolved nutrients (xylem) from the roots to the leaves and other aboveground parts of the plant.
  • It also transports the food (photosynthates) produced in the leaves downward to the roots and other parts of the plant (phloem).
  • The vascular tissues (xylem and phloem) running through the stem facilitate this essential transport function.

3. Storage

  • The stem can store various substances, such as food reserves, water, and other metabolites, that the plant can use as needed.
  • Some plants have specialized stems (e.g., rhizomes, tubers, bulbs) that serve as storage organs, allowing the plant to survive adverse conditions and regrow in the next growing season.
  • The parenchyma cells in the stem provide the necessary storage capacity for these reserve materials.

These three key functions support, transport, and storage performed by the stem are crucial for the overall growth, development, and survival of the plant.


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What is difference between sexual and asexual reproduction.

What will happen if we add a few drops of NaOH solution in NA2CO3

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When a few drops of NaOH (sodium hydroxide) solution are added to Na2CO3 (sodium carbonate) solution, the following reaction takes place:

Na2CO3 + 2NaOH → 2Na2CO3 + H2O

Here’s what happens…

1. Sodium carbonate (Na2CO3) is a salt that can undergo a reaction with a strong base like sodium hydroxide (NaOH).

2. When NaOH is added to the Na2CO3 solution, the hydroxide ions (OH-) from NaOH react with the carbonate ions (CO3^2-) from Na2CO3, forming bicarbonate ions (HCO3-).

3. The overall reaction produces more sodium carbonate (Na2CO3) and water (H2O) as the products.

The reaction can be summarized as follows:

Reactants:
Sodium carbonate (Na2CO3)
Sodium hydroxide (NaOH)

Reaction:
Na2CO3 + 2NaOH → 2Na2CO3 + H2O

Products:
Increased concentration of sodium carbonate (2Na2CO3)
Water (H2O)

The addition of NaOH to Na2CO3 solution shifts the equilibrium of the reaction towards the production of more sodium carbonate, resulting in an increased concentration of Na2CO3 in the solution.


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निम्नलिखित शब्दों के संधि विच्छेद करें। (1) सम्मान (2) अधोगति (3) अभाव (4) कुपात्र (5) बहिष्कार (6) चिस्थायी (7) पुननिर्माण (8) अंतर्मन (9) अंतरात्मा (10) अधोमुखी।

दिए गए सभी शब्दों के संधि विच्छेद इस प्रकार होंगे…

(1) सम्मान : सम् + मान
संधि भेद : व्यंजन संधि

(2)अधोगति : अधः + गति
संधि भेद : विसर्ग संधि

(3) अभाव : अ + भाव
संधि भेद : दीर्घ स्वर संधि

(4) कुपात्र : कु + पात्र
संधि भेद : दीर्घ स्वर संधि

(5) बहिष्कार : बहिः +कार
संधि भेद : विसर्ग संधि

(6) चिस्थायी : चिर + स्थायी
संधि भेद : विसर्ग संधि

(7) पुनर्निर्माण : पुनः + निर्माण
संधि भेद : विसर्ग संधि

(8) अंतर्मन : अंतः + मन
संधि भेद : विसर्ग संधि

(9) अंतरात्मा : अंतः + आत्मा
संधि भेद : विसर्ग संधि

(10) अधोमुखी : अधः + मुखी
संधि भेद : विसर्ग संधि

संधि क्या है?

संधि से तात्पर्य दो शब्दों के संयोजन से है। जब दो शब्दों का संयोजन किया जाता है तो वह संधि कहलाती है। दोनों के शब्दों के संयोजन में प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण और द्वितीय शब्द का प्रथम वर्ण संयोजन की प्रक्रिया में प्रयोग में लाए जाते हैं। इन दोनो वर्णो की संरचना बदल जाती है। संधि के बाद दो शब्दो से एक नया शब्द बनता है। इस नये शब्द को पुनः उसके मूल शब्दों में पृथक कर देने की क्रिया को संधि विच्छेद कहते हैं।


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महर्षि का संधि विग्रह कीजिए​। संधि का नाम लिखें।

निम्नलिखित शब्दों में से कौन से शब्द में उपसर्ग नहीं है? (क) प्रवसति (ख) इच्छति (ग) निशीदति (घ) अपनयति​।

सही विकल्प होगा…

(ख) इच्छति 

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स्पष्टीकरण 

उपरोक्त शब्दों में से ‘इच्छति‘ शब्द में उपसर्ग नही है।

इच्छति में उपसर्ग नही है। इच्छति एक पूर्ण शब्द है। इसमें किसी उपसर्ग का प्रयोग नहीं किया है।
शेष तीनो शब्दों में उपसर्ग है। तीनों शब्दों में जिन उपसर्गों के प्रयोग किया गया है, वो इस प्रकार है..

प्रवसति : प्र + वसति (प्र : उपसर्ग)
निशीदति : नि + षीदित (नि : उपसर्ग)
अपनयति : अप + नयति (अप : उपसर्ग)

निष्कर्ष
इच्छति एक पूर्ण शब्द है, इसमें कोई उपसर्ग का प्रयोग नही हुआ है।

उपसर्गों को जानें..
उपसर्ग वे वाक्यांश होते हैं, जो किसी शब्द के आरंभ में लगकर उस शब्द को एक विशेषता प्रदात करते हैं। इसलिए उपसर्ग उस  शब्द के लिए एक विशेषण का कार्य करते हैं।


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उपसर्ग और प्रत्यय की परिभाषाएं। (हिंदी व्याकरण)

हमें भारत में चुनावी सुधार की आवश्यकता क्यों है?

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भारत में चुनावी सुधार की आवश्यकता

भारत पूरी दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है। भारत का लोकतंत्र सभी देशों के लिए एक प्रेरणा और उदाहरण है। भारत का लोकतंत्र पिछले 70 सालों से अधिक समय उतना ही मजबूत है और सफलतापूर्वक चल रहा है। इन सब विशेषाताओं के बावजूद भारत की चुनावी प्रणाली में कुछ खामियां है, जिनमें सुधारों की आवश्यकता है। यदि ये सुधार कर लिए जायें तो भारत का लोकतंत्र और अधिक मजबूत होगा। भारत की चुनाव प्रणाली में क्या-क्या खामियां हैं और भारत में चुनाव में सुधारो की क्यों और कैसी आवश्यकता है? आइए इस विषय को समझते हैं…

धनबल का प्रभाव

वर्तमान चुनावी प्रक्रिया में धनबल का बहुत अधिक प्रभाव देखा जाता है। धनी उम्मीदवार और राजनीतिक दल अपने वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करके चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ना मुश्किल हो जाता है और लोकतंत्र की भावना कमजोर पड़ती है।

घोटाले और भ्रष्टाचार

चुनावी प्रक्रिया में घोटाले और भ्रष्टाचार की घटनाएं आम हो गई हैं। उम्मीदवार और दल अक्सर गैरकानूनी तरीकों का प्रयोग करके अपना लाभ उठाते हैं। इससे लोकतंत्र की विश्वसनीयता और जवाबदेही प्रभावित होती है, क्योंकि जनता का विश्वास कमजोर पड़ता है।

उम्मीदवारों की क्षमता का अभाव

चुनावों में योग्य और कुशल उम्मीदवारों की कमी है। अक्सर ऐसे उम्मीदवार चुने जाते हैं जो जनता के हितों से दूर हैं और केवल अपने स्वार्थ में लगे रहते हैं। इससे जनता के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं हो पाता और शासन में कुशलता कम होती है।

खर्च का अनियंत्रित वृद्धि

चुनावों में होने वाला लगातार बढ़ता खर्च व्यवस्था को दबाव में डाल रहा है। यह जनता पर अतिरिक्त बोझ डालता है और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि उम्मीदवार और दल अपने वित्तीय संसाधनों को वापस हासिल करने के लिए गैरकानूनी उपाय अपनाते हैं।

मीडिया की भूमिका

मीडिया अक्सर वैचारिक रूप से एक पक्षीय और जनहित से दूर होकर कार्य करता है। वह अक्सर किसी एक राजनीतिक दल या उम्मीदवार को बढ़ावा देता है और दूसरों को नजरअंदाज कर देता है। इससे जनता को सही और तटस्थ जानकारी नहीं मिलती, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।


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एक प्रजातांत्रिक देश में संविधान का क्या महत्त्व है?

इनमें से कौन सा तर्क लोकतंत्र के पक्ष में है? A. लोकतंत्र में लोग खुद को स्वतंत्र और समान मानते हैं। B. लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ दूसरों की तुलना में टकरावों को ज्यादा अच्छे से सुलझाती हैं। C. लोकतांत्रिक सरकारें लोगों के प्रति ज़्यादा उत्तरदायी होती हैं। D. उपरोक्त सभी।​

एक प्रजातांत्रिक देश में संविधान का क्या महत्त्व है?

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प्रजातंत्रात्मक देशों में संविधान का महत्वपूर्ण स्थान होता है। संविधान एक देश के मूल कानून का प्रतिनिधित्व करता है, जो देश के शासन का आधार बनता है।

संविधान में नागरिकों के मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रताओं को प्रदान किया जाता है। यह सरकार और नागरिकों के बीच की सीमाएं निर्धारित करता है और शासन के विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का संतुलन बनाए रखता है। संविधान सरकार को सीमित और जवाबदेह बनाता है, ताकि वह नागरिकों के हितों की रक्षा कर सके।

इसके अतिरिक्त, संविधान देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक व्यवस्थाओं को भी परिभाषित करता है। यह देश के विकास और लोकतंत्र के मजबूत आधार का निर्माण करता है। संविधान किसी भी प्रजातंत्रात्मक देश का मूल आधार है और इसका पालन करना व्यक्तियों और संस्थाओं दोनों के लिए अनिवार्य है।

संविधान का महत्व प्रजातांत्रिक देशों में निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है:

1. मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रताओं का प्रावधान
  • संविधान नागरिकों के मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रताओं को गारंटी देता है।
  • इससे नागरिकों को सरकार के संचालन में सक्रिय भागीदारी करने का अधिकार प्राप्त होता है।
2. शासन व्यवस्था का आधार
  • संविधान देश की शासन व्यवस्था का मूल आधार है।
  • इसमें सरकार के विभिन्न अंगों (कार्यपालिका, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका) के कर्तव्य और शक्तियों को परिभाषित किया जाता है।
3. शक्तियों का संतुलन
  • संविधान सरकार की शक्तियों को सीमित करके एक संतुलित व्यवस्था बनाता है।
  • इससे किसी एक संस्था या व्यक्ति द्वारा शक्ति का दुरुपयोग रोका जा सकता है।
4. देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था
  • संविधान देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था को परिभाषित करता है।
  • इससे देश के समग्र विकास और लोकतांत्रिक ढांचे का मजबूत आधार तैयार होता है।
5. कानूनी प्राथमिकता
  • संविधान देश का सर्वोच्च कानून है, जिसका पालन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को करना अनिवार्य है।
  • यह कानूनी प्राथमिकता देश के प्रजातंत्र को मजबूत करती है।

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भारत के संविधान में प्रदत्त 6 मौलिक अधिकारों का विस्तार से वर्णन करें।

भारत का संविधान निर्माता किसे कहा जाता है?

Is rubber and coconut are cash crops of the coastal plains?

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Yes, rubber and coconut are indeed considered cash crops that can be grown in coastal plains.

Rubber and coconut are indeed considered cash crops that can be grown in coastal plains. Coastal regions provide suitable conditions for the cultivation of these crops due to factors like climate, soil type, and proximity to water sources. Both rubber and coconut farming can thrive in coastal areas with the right amount of rainfall, temperature, and soil quality. These crops contribute significantly to the economy of regions where they are cultivated, including coastal plains.

Rubber

Rubber is a major cash crop cultivated in the coastal regions of several countries, including India, Malaysia, and Indonesia. It requires a hot and humid climate with abundant rainfall, which is characteristic of many coastal areas. 

Coconut

Coconut is another significant cash crop in coastal regions. It thrives in tropical coastal areas with sandy soils and high humidity.

Therefore, both rubber and coconut are well-suited to the climatic conditions of coastal plains and are economically important crops for many countries


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Explain the political difference between Slave dynasty and Khilji dynasty.

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Political differences between Slave dynasty and Khilji dynasty

The Slave (or Mamluk) dynasty and the Khilji dynasty were two important ruling houses in medieval India, specifically during the Delhi Sultanate period. These are the key political differences between both dynasty…

1. Origin and establishment:

The Slave Dynasty, also known as the Mamluk Dynasty, was founded in 1206 by Qutb ud-Din Aibak, a former slave of Muhammad Ghori. This dynasty marked the beginning of the Delhi Sultanate and was characterized by rulers who were originally Turkic slaves who rose to power through military prowess and political acumen. In contrast, the Khilji Dynasty was established in 1290 by Jalal ud-Din Khalji, who overthrew the last Slave ruler. The Khiljis were of Turkic-Afghan origin and were not former slaves. They took control of an already established sultanate, building upon the foundation laid by the Slave Dynasty.

2. Political structure:

The Slave Dynasty operated under a relatively decentralized power structure. They relied heavily on the loyalty of former slaves and military commanders to maintain control, which often led to power struggles and instability. The Slave rulers often struggled to maintain control over distant provinces, resulting in a fragmented empire. On the other hand, the Khilji Dynasty implemented a more centralized administration. They introduced reforms to strengthen central authority and reduce the power of the nobility and military commanders. This centralization allowed for more efficient governance and greater control over the expanding territory of the sultanate.

3. Territorial expansion:

Under the Slave Dynasty, territorial expansion was primarily focused on consolidating power in North India. Their conquests were limited, extending only to parts of Bengal and Central India. The Slave rulers were more concerned with establishing a firm grip on their existing territories rather than aggressive expansion. In contrast, the Khilji Dynasty pursued a policy of aggressive expansion. They extended their control to most of the Indian subcontinent, including significant portions of South India. The most notable conqueror of this dynasty, Alauddin Khilji, led campaigns that reached as far south as Tamil Nadu, greatly expanding the sultanate’s territory and influence.

4. Administrative reforms:

The Slave Dynasty largely maintained many existing administrative systems, adapting them to suit their needs. Their most significant contribution was the introduction of the Iqta system, a form of land grants used for revenue collection. However, they did not implement widespread reforms to the existing administrative structure. The Khilji Dynasty, particularly under Alauddin Khilji, implemented significant administrative and economic reforms. These included market regulations, price controls, and a new tax system. These reforms were aimed at strengthening the central government’s control over the economy and improving revenue collection, marking a significant departure from the administrative practices of the Slave Dynasty.

5. Relations with nobility:

The Slave Dynasty relied heavily on the support of Turkish nobles and military commanders to maintain their rule. This dependence often led to power struggles among noble factions, weakening the central authority. The sultans had to constantly balance the interests of various powerful groups to maintain stability. In contrast, the Khilji Dynasty attempted to curb the power of the nobility. Alauddin Khilji, in particular, created a new nobility loyal to him and implemented strict control measures to limit the influence of powerful nobles. This shift in approach helped to strengthen the sultan’s position and reduce internal conflicts.

6. Military organization:

The Slave Dynasty primarily relied on Turkish cavalry and feudal levies for their military strength. While they maintained a standing army, they faced challenges in mobilization and coordinating large-scale military campaigns. The Khilji Dynasty, recognizing the importance of a strong military for their expansionist policies, reorganized the military structure. They implemented a system of regular salary payments to soldiers, which improved loyalty and discipline. The Khiljis also expanded and strengthened the standing army, making it a more effective tool for both conquest and maintaining internal order.

7. Cultural and religious policies:

The Slave Dynasty was generally more tolerant towards local Hindu populations. While they focused on establishing Islamic rule in North India, they did not aggressively pursue policies of religious conversion or cultural suppression. This approach allowed for a degree of cultural synthesis and relative stability in their territories. The Khilji Dynasty, particularly under Alauddin Khilji, implemented stricter Islamic laws and practices. They were also more aggressive towards Hindu kingdoms, especially in South India, during their conquests. This shift in policy led to increased tensions between the Muslim rulers and their Hindu subjects, but also facilitated the spread of Islamic influence across a larger part of the subcontinent.

8. Legacy:

The Slave Dynasty’s primary legacy was the establishment of the foundation of the Delhi Sultanate. They introduced Islamic architectural styles to India, with monuments like the Qutb Minar standing as enduring symbols of their rule. Their reign marked the beginning of a new era in Indian history, introducing Islamic governance to large parts of North India. The Khilji Dynasty’s legacy is characterized by the expansion of the sultanate to its greatest territorial extent. They left a lasting impact through their administrative and economic reforms, many of which continued to influence governance in the region long after their rule. The Khiljis’ aggressive expansion also led to the spread of Islamic culture and institutions to new areas of India, significantly altering the subcontinent’s political and cultural landscape.


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अर्जुन लाल सेठी कौन थे? भारत के मुक्ति संग्राम में उनकी क्या भूमिका रही?

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अर्जुन लाल सेठी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी थे। भारत के मुक्ति संग्राम में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही।

अर्जुनलाल सेठी का जन्म 9 सितंबर, 1880 को जयपुर के एक जैन परिवार में हुआ था। 1902 में उन्होंने इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास की।

1906 में उन्होंने जयपुर में वर्धमान विद्यालय की स्थापना की, जो वास्तव में क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने का केंद्र था। उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन के लिए धन जुटाने की योजनाएं बनाईं। 23 दिसंबर, 1912 को दिल्ली में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। हार्डिंग बम कांड के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सबूत के अभाव में उन्हें सज़ा नहीं दी जा सकी, लेकिन बिना मुकदमा चलाए जेल में रखा गया। बाद में उन्हें 5 वर्ष का कारावास मिला और वेल्लोर जेल भेज दिया गया।

वेल्लोर जेल में उन्होंने राजनीतिक कैदियों के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ 70 दिन की भूख हड़ताल रखी। 1920 में रिहा होने के बाद, वे अजमेर में रहने लगे। उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद जैसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों को मार्गदर्शन दिया। मेरठ षड्यंत्र कांड और काकोरी कांड के अभियुक्तों को अपने घर में शरण दी। गांधीवादी कांग्रेसियों से मतभेद के कारण वे कांग्रेस से अलग हो गए। आर्थिक कठिनाइयों का सामना करते हुए, उन्होंने अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर बच्चों को अरबी और फ़ारसी पढ़ाना शुरू किया। 23 दिसंबर, 1941 को उनका निधन हो गया।

अर्जुन लाल सेठी राजस्थान की राजनीतिक चेतना जागृत करने वाले प्रमुख नायकों में से एक थे और उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


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आरक्षित वन और संरक्षित वन में क्या-क्या अंतर हैं, स्पष्ट कीजिए।

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आरक्षित वन और संरक्षित वन दोनों ही वन संरक्षण के महत्वपूर्ण रूप हैं, लेकिन इनमें कुछ मुख्य अंतर हैं। आइए इन दोनों के बीच के अंतरों को विस्तार से समझतें हैं…

 मापदंड आरक्षित वन संरक्षित वन
 परिभाषाये वन विशेष रूप से संरक्षित वन क्षेत्र होते हैं और पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में होते हैं।ये वन सरकार द्वारा कम कठोर नियमों के तहत संरक्षित वन क्षेत्र होते हैं। इन वनों में स्थानीय समुदाय का दखल भी होता है।
 उद्देश्यइन वनों का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन स्थापित करना है।इन वनों का उद्देश्य वन संसाधनों का सतत उपयोग और स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है।
 कानूनी स्थितिये वन भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 20 के अन्तर्गत आरक्षित किए जाते हैं।ये वन भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 29 के अन्तर्गत संरिक्षत किए जाते हैं।
 मानवीय गतिविधियां.इन वनों में सरकार द्वारा अत्यधिक सीमित (केवल अनुसंधान, अध्ययन, सीमित पर्यटन) जैसे मानवीय गतिविधियों की ही अनुमति होती है।इन वनों में भी गतिविधियों पर भी सरकारी नियंत्रण होता है लेकिन स्थानीय समुदायों को अनेक गतिविधियों को छूट होती है।
 प्रबंधन ये वन पूरी वन विभाग द्वारा नियंत्रित किए जातें है। इनके नियम-कानून बड़े कठोर होते हैं।इन वनों के नियम कानून अपेक्षाकृत लचीले होते है, और इनमें स्थानीय भागीदारी को प्रोत्साहन दिया जाता है।
 वन्यजीव संरक्षणइन वनों में प्राथमिक फोकस वन्यजीव संरक्षण होता है। इन वनों में दुर्लभ प्रजाति के वन्यजीव पाए जाते हैं।इन वनों में वन्यजीव संरक्षण महत्वपूर्ण होता है लेकिन प्राथमिक फोकस नहीं होता है।
प्राकृतिक संसाधनइन वनों में जो भी प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं उनकी पूरी तरह देखभाल की जाती है और उनकी सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाते हैं।इन वनों में प्राकृतिक संसाधनों के ह्रास को रोकने के लिए उपाय किए जाते हैं और उन क्षेत्रों को संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है।
वनों का दर्जाइन वनों को किसी भी तरह का राष्ट्रीय उद्यान या वन्य जीव अभ्यारण नहीं बनाया जा सकता है।इन वनों को राष्ट्रीय उद्यान अथवा वन्य जीव अभ्यारण में बदला जा सकता है।
वनों का प्रतिशतभारत के आधे से अधिक वन आरक्षित वनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।भारत के कुल वनों का क्षेत्र संरक्षित वनों की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।

 


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पूर्वी तटीय मैदान और पश्चिमी तटीय मैदान में अंतर बताइए।

सरदारी और बादशाहत में अंतर बताइए​।

बढ़ती गर्मी को लेकर दो महिलाओं के बीच बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।

संवाद लेखन

बढ़ती गर्मी को लेकर दो महिलाओं के बीच बातचीत

 

मीना ⦂ अरे विनीता, कैसी हो? बाहर तो भयंकर गर्मी पड़ रही है।

विनीता ⦂ हाँ मीना, सच में। इस साल गर्मी ने तो हद ही कर दी है।

मीना ⦂ बिल्कुल सही कहा। पिछले हफ्ते से तो घर से निकलना ही मुश्किल हो गया है।

विनीता ⦂ मैं भी यही सोच रही थी। दोपहर में तो बाहर जाना असंभव सा लगता है।

मीना ⦂ और ये ए.सी. बिल! इतनी गर्मी में ए.सी. चलाए बिना रहा नहीं जाता, पर बिजली का बिल देखकर दिल बैठ जाता है।

विनीता ⦂ वही तो। मैंने तो अब घर में पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं। कहते हैं इससे घर का तापमान कम रहता है।

मीना ⦂ अच्छा विचार है। मैं भी यही करने की सोच रही थी। वैसे तुम क्या सोचती हो, क्या ये जलवायु परिवर्तन का असर है?

विनीता ⦂ हाँ, लगता तो यही है। हर साल गर्मी बढ़ती जा रही है। हमें अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने होंगे।

मीना ⦂ सही कहा। चलो, अब मैं चलती हूं। घर जाकर एक ठंडा शरबत पीने का मन कर रहा है।

विनीता ⦂ अच्छा विचार है। मैं भी चलती हूं। अपना ख्याल रखना और गर्मी से बचकर रहना।


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फलवाले और माताजी के बीच सौदेबाज़ी का संवाद लिखिए​।

गुड टच और बैड टच के बारे में बात करते हुए दो मित्रों के बीच हुए संवाद को लिखिए।

भाषा वही श्रेष्ठ है, जिसको जनसमूह आसानी से समझ लें। उपवाक्य को पहचानें और उसका भेद लिखें।

इस वाक्य में रेखांकित उपवाक्य का भेद इस प्रकार होगा…

भाषा वही श्रेष्ठ है जिसको जनसमूह आसानी से समझ लें।

आश्रित उपवाक्य :  जिसको जनसमूह आसानी से समझ ले।
उपवाक्य का भेद : विशेषण आश्रित उपवाक्य

स्पष्टीकरण

यह उपवाक्य ‘विशेषण आश्रित उपवाक्य’ है क्योंकि वह प्रधान उपवाक्य की विशेषता को प्रकट कर रहा है। उपवाक्य किसे कहते हैं उपवाक्य उन वाक्यों को कहते हैं, किसी वाक्य का एक हिस्सा होते हैं। साधारणतः कोई भी वाक्य दो उपवाक्यों प्रधान उपवाक्य और आश्रित उपवाक्य में विभाजित होता है। प्रधान उपवाक्य का अर्थ आश्रित उपवाक्य के अर्थ को सुनिश्चित करता है। बिना प्रधान उपवाक्य के आश्रित उपवाक्य का कोई अर्थ नहीं बनता।

आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं,

  • संज्ञा आश्रित उपवाक्य
  • विशेषण आश्रित उपवाक्य
  • क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य

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हमें बुराई के खिलाफ़ आवाज उठाना चाहिए। ‘खिलाफ़’ शब्द का पद परिचय किजिये​।

मैं धीरे-धीरे चलता हूँ। इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ के लिए सही विकल्प पहचानिए। (क) क्रिया-विशेषण, कालवाचक, ‘चलता हूँ’ क्रिया। (ख) क्रिया-विशेषण, स्थानवाचक, ‘चलता हूँ’ क्रिया। (ग) क्रिया-विशेषण, रीतिवाचक, ‘चलता हूँ’ क्रिया। (4) क्रिया-विशेषण, परिमाणवाचक, ‘चलता हूँ’ क्रिया।

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विस्तार से समझें

मैं धीरे धीरे चलता हूँ। इस वाक्य में ‘धीरे-धीरे’ एक क्रिया विशेषण है जो कि ‘रीतिवाचक क्रिया विशेषण’ है। यह ‘चलता हूँ’ क्रिया की विशेषता को प्रकट कर रहा है। इसीलिए ‘मैं धीरे धीरे चलता हूँ।’ में ‘धीरे-धीरे’ क्रिया-विशेषण है और ‘चलता हूँ’। क्रिया है।

रीतिवाचक क्रिया-विशेषण किसी क्रिया विशेषण का वह भेद होते हैं, जिनके माध्यम से किसी कार्य को करने की रीति यानि तरीके का बोध होता है वह होता है। यहाँ पर ‘चलता हूँ’ एक किया है, जिसको करने की रीति का बोध ‘धीरे धीरे’ के माध्यम से हो रहा है, इसीलिए ये एक ‘रीतिवाचक क्रिया विशेषण’ है।

क्रिया विशेषण वे शब्द होते हैं, जो किसी की क्रिया की विशेषता को प्रकट करते हैं।

क्रिया विशेषण चार प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार हैं।

  • रीतिवाचक क्रिया विशेषण
  • कालवाचक क्रिया विशेषण
  • स्थानवाचक क्रिया विशेषण
  • परिमाणवाचक क्रिया विशेषण

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हमें बुराई के खिलाफ़ आवाज उठाना चाहिए। ‘खिलाफ़’ शब्द का पद परिचय किजिये​।

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हमें बुराई के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए। इस वाक्य में ‘खिलाफ’ शब्द का पद-परिचय इस प्रकार होगा :

हमें बुराई के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।

खिलाफ़ शब्द का पद परिचय…
खिलाफ़ : भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक ।

पद-परिचय क्या है?

हिंदी व्याकरण में पद-परिचय पदों को एक व्याकरणिक परिचय देने की विधा है। हिंदी व्याकरण में कोई भी शब्द जब स्वतंत्र रूप में प्रयोग किया जाता है, तब वह शब्द ही रहता है। लेकिन यही शब्द जब वाक्य में प्रयोग किया जाता है, तो वह पद बन जाता है। यह पद व्याकरण के नियमों से बंध जाता है और उसका एक ‘पद-परिचय’ होता है। पद परिचय में देते समय लिंग, वचन, काल, कारक आदि महत्वपूर्ण कारक होते हैं। पद परिचय देते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान मे रखा जाता है…

  • संज्ञा
  • सर्वनाम
  • विशेषण
  • क्रिया-विशेषण
  • क्रिया
  • अव्यय
  • समुच्चयबोधक
  • संबंधबोधक
  • विस्मयादिबोधक

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‘कनक’ शब्द के अलग-अलग अर्थ बताकर वाक्य लिखिए।​

‘सहनशीलता’ पर एक लघु निबंध लिखो।

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लघु निबंध

सहनशीलता का महत्व

 

भारतीय संस्कारों में सहनशीलता को बहुत महत्व दिया गया है। सहनशीलता का गुण व्यक्ति को तभी मिलता है, जब उसके अंदर अच्छे संस्कारों का समावेश हो। सहनशीलता एक बहुत बड़ा गुण है। जो मानव को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। मानव को जीवन में विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। सहनशीलता, जिसे हम सहनशक्ति के नाम से भी जानते हैं, ऐसा गुण है जिससे व्यक्ति अपनी अनुकूलता एवं प्रतिकूलता, दोनों को सहन कर पाता है।

किसी का जीवन सदैव एक सा नहीं रहता।  सहनशीलता हमें आलोचना, निंदा, अपमान, घृणा, ईर्ष्या, एवं हर अन्य प्रकार की बुरी भावनाओं के प्रति अनुचित प्रतिक्रिया करने से बचाती है और इन्हें सहज एवं सहर्ष रूप से स्वीकार करने की शक्ति प्रदान करती है। सहनशीलता का यही गुण बहुत कुछ संस्कारों पर ही निर्भर करता है।

आजकल नई पीढ़ी में सहनशीलता की मात्रा कम होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण भौतिकता वाद, एकाकी परिवार, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है। संस्कारों के अभाव माता-पिता विभिन्न समस्याओं में उलझे रहने के कारण बच्चों को अधिक समय नहीं दे पाते। अनेक परिवारों में बुजुर्गों का सानिध्य बच्चों को नहीं मिल पाता है। टीवी, मोबाइल, इंटरनेट में खोए रहने वाले बच्चों में सदगुण व दुर्गुण अधिक पैदा हो रहे हैं।

संचार जगत के विभिन्न-विभिन्न माध्यम बच्चों को पाश्चात्य जगत के संपर्क व प्रभाव में लाकर भारतीय संस्कृति से दूर ले जाते हैं। परिणाम यह होता है कि बच्चे अपने माता-पिता तक की बात को अनसुना कर जाते हैं। ऐसे में उनके अंदर सहनशीलता का भी अभाव हो रहा है। संस्कारों के अभाव के कारण ही

आज बच्चों में सहनशीलता समाप्त होती जा रही है। उन्हें जरा-जरा सी बात पर क्रोध आ जाता है। क्रोध तो स्वास्थ्य के लिए भी घातक माना गया है। ऐसे में बच्चों के अंदर सहनशीलता और सभी के साथ आत्मीय संबंध बनाने की बात सिखाना जरूरी है। निष्कर्ष आप अपने अंदर सहनशीलता के गुणों को विकसित कर सकते हैं और इस गुण द्वारा क्रोध को कम कर सकते हैं।


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सुबह जल्दी उठने पर एक लघु निबंध लिखो।

‘मानव जीवन में कम्प्यूटर का महत्व’ इस विषय पर एक लघु निबंध लिखें।

‘सेवा’ इस शब्द का कुछ वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

‘सेवा’ शब्द का वाक्यों में इस प्रकार होगा…

1) निःस्वार्थ सेवा भाव ही कामयाबी का मूल मंत्र है।
2) जो अपने माँ–बाप की सेवा नहीं करते उनकी गति नहीं होती।
3) देश सेवा करना बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है।
4) सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरू नानक देव जी के मूल सिद्धांत सेवा, विनम्रता और समानता है।
5) आज सम्पूर्ण विश्व में गौ सेवा का संकल्प दोहराया जा रहा है।
6) युग-युगांतर से प्रचलित वाणी सेवा परमो धर्म: को आत्मसात कर चरितार्थ करने वालों को ही भविष्य में महा मानव की उपाधि मिलती है।
7) सेवा भावना से ही एक सफल समाज की स्थापना हो सकती है।
8) जन्म देकर बच्चों का भविष्य बनाने के लिए कठिन रास्तों से गुजरने वाले माता-पिता की सेवा निस्वार्थ भाव से होनी चाहिए।
9) सेवा केवल मानव जाति की ही नहीं, बल्कि, संसार के सभी जीव-जंतुओं की सेवा आवश्यक है।
10) हम सभी को समाज की मजबूती का संकल्प लेना चाहिए और इसके लिए हमारे अंदर परोपकार एवं सेवा भाव होना जरूरी है।
11) माता-पिता के साथ-साथ परिजन एवं गुरूजन के सम्मान व सेवा के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी अपने अंदर सेवा भावना रखनी चाहिए ।


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निम्नलिखित वाक्यों के वचन बदलकर लिखिए : 1. लड़के ने आम खाया। 2. पौधा सूख गया । 3. सभा में कवि पधारा । 4. बंदर वृक्ष पर बैठा है। 5. नौकर मॉल जा रहा है। 6. यह कमरा साफ और सुंदर है।​

दिए गए वाक्यों में से विशेषण चुनकर उनके भेदों के नाम लिखिए- क) बाहर कुछ लोग खड़े हैं। ख) पाँच मीटर कपड़ा लाओ। ग) कुछ पक्षी पेड़ पर बैठे हैं। घ) वह किताब मेरी है। ङ) थोड़ी चीनी नीचे गिर गई।

सुबह जल्दी उठने के लाभ पर एक लघु निबंध लिखो।

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लघु निबंध

सुबह जल्दी उठने के लाभ

 

सुबह जल्दी उठने से हमारा स्वास्थ्य तो सही रहता ही है साथ ही हमारे मन को भी शांति मिलती है। आयुर्वेद से लेकर मेडिकल साइंस तक , हर स्तर पर सुबह जल्दी उठने को सेहत के लिए फायदेमंद बताया गया है। सुबह जल्दी उठने वालों में चिंता को छोड़ने और पूरे दिन अधिक उत्पादक होने की क्षमता होती है।

आदतन आधार पर जल्दी जागने से मानसिक स्वास्थ्य में काफी सुधार हो सकता है और अवसाद जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। स्वस्थ दिमाग का मतलब है अधिक उत्पादकता , जीवन , ऊर्जा और सकारात्मक जीवन शैली पर सकारात्मक दृष्टिकोण। दिन में नींद और नींद की कमी से अवसाद और मनोवैज्ञानिक रोगों का खतरा बढ़ सकता है।  सुबह जल्दी उठने से हमारा पाचन तंत्र अधिक कुशलता से काम करता है जो आंत से संबंधित स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से काफी हद तक छुटकारा दिलाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो सुबह उठने से मनुष्य का दिमाग तेज चलता है और वो ज्यादा बेहतर सोच सकता है।

सुबह मनुष्य के शरीर में ऊर्जा सबसे ज्यादा होती है और सुबह जल्दी उठकर वो इसका सदुपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद सिद्धांत के अनुसार सुबह सूर्य निकलने से पहले जग जाना चाहिए , वहीं मेडिकल साइंस कहता है कि सुबह 6 बजे तक जग जाने और वॉक-व्यायाम करने की दिनचर्या आपके लिए काफी लाभदायक हो सकती है।

अगर आपको लगता है कि सुबह जल्दी उठने से आपकी नींद पूरी नहीं होगी तो यहां आपको फिर से विचार करने की आवश्यकता है।

शोध बताते हैं कि जो लोग जल्दी उठते हैं , वह रात में जल्दी सोने के समय का प्रबंधन कर सकते हैं। इससे न सिर्फ आपकी दिनचर्या में सुधार होता है साथ ही इसे बेहतर गुणवत्ता वाली नींद प्राप्त करने में भी सहायक माना जाता है। शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए नींद की गुणवत्ता का बेहतर रहना आवश्यक माना जाता है ।


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‘गुरु पूर्णिमा’ पर निबंध लिखिए।

‘विष्णु’ का समास विग्रह क्या होगा?

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विष्णु का समास विग्रह

विष्णु : व्यापक अणु अर्थात भगवान विष्णु
समास का नाम : बहुव्रीहि समास

विष्णु में बहुव्रीहि समास होता है |

स्पष्टीकरण

‘विष्णु’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है, व्यापक अणु अर्थात जो इस सृष्टि में सर्वत्र व्याप्त हों। ये शब्द भगवान विष्णु के नाम के अर्थ में रूढ़ हो गया है, इसलिए यहाँ पर ‘बहुव्रीहि समास’ होगा।

बहुव्रीहि समास की परिभाषा के अनुसार जब मूल पदों में कोई भी पद प्रधान ना हो और उन पदों को जोड़कर एक नये पद की रचना हो और वह पद नए तीसरे अर्थ को संकेत करता हो अर्थात मूल शब्दों के अर्थ नए शब्द के अर्थ को प्रकट करता हो तो वहां पर बहुव्रीहि समास होता है।

विष्णु शब्द में भी मूल पदों में कोई पद प्रधान नहीं है, और नए पदों को जोड़कर जो नया पद बन रहा है वह मूल पदों से भिन्न किसी तीसरे अर्थ की ओर संकेत कर रहा है। इसलिए ‘विष्णु’ में बहुव्रीहि समास है।


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दिए गए शब्दों का समास विग्रह करके समास का नाम लिखिए। 1. आरामकुर्सी 2. स्वरचित 3. गुणहीन 4. जीवनसाथी 5. धर्मवीर 6. अधर्म 7. मालगोदाम 8. परमानंद 9. वचनामृत 10. चौमासा 11. यथानियम 12. ऊँच-नीच 13. लंबोदर 14. महावीर 15. संसारसागर 16. पंजाब 17. प्रतिवर्ष ​ 18. चक्रपाणि 19. राजमहल 20. नीलकमल

धूलि-धूसर का समास-विग्रह करें।

विद्यालय में अनुशासन पर आलेख लिखिए।

आलेख

विद्यालय में अनुशासन

 

अनुशासन के बिना कोई भी समाज एवं राष्ट्र अपने उद्देश्यों की पूर्ति नहीं कर सकता है। अनुशासन की हर क्षेत्र में आवश्यकता होती है। अनुशासन में व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। अतः अनुशासन व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्वों को कुशलतापूर्वक निभाने की प्रेरणा देता है। अनुशासन मनुष्य को अपने उत्तरदायित्वों को निभाने की प्रेरणा देता है और कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति देता है। विद्यालयों में अनुशासन का पालन करने वाले व्यक्तियों में अनेक गुणों का विकास होता है। इसलिए व्यक्तिगत दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, अनुशासन व्यक्ति में सच्चरित्रता लाता हैं।

विद्यालय में अनुशासन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है –

  • अनुशासन छात्र के व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है।
  • अनुशासन अध्यापकों के लिए आवश्यक है।
  • अनुशासन सामाजिक आवश्यकता है।
  • अनुशासन अच्छे प्रशासन के लिए आवश्यक है।
  • अनुशासन योग्यताओं का भावपूर्ण उपयोग है।
  • अनुशासन विद्यार्थियों के ध्यान को दृढ़ बनाने के लिए आवश्यक है।

अनुशासन के अभाव में शक्ति का ह्रास होता है, अतः अनुशासन शक्ति की प्राप्ति और उसका प्रयोग करने हेतु महत्त्वपूर्ण है। अनुशासन में रहने से शिक्षा की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती है। विद्यालय की सारी व्यवस्था में अनुशासन और नियमों को लागू करने के पीछे यही बात है। यही कारण है कि अच्छे अनुशासित विद्यालयों के छात्र जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं।


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साइबर अपराध का आतंक विषय पर एक आलेख तैयार कीजिए।

देश के प्रति युवकों का कर्तव्य क्या हैं? इस पर एक लेख लिखिए।

देश के प्रति युवकों का कर्तव्य

यदि अपने देश को विकसित देश के रूप में बदलना है तो हमें अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा। स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक युवकों ने अपना बलिदान दिया था जैसे भगतसिंह, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां आदि शहीदों ने अपने साहस और देशप्रेम से भारतवासियों में आज़ादी की दीवानगी भर दी थी। अब देश के स्वाभिमान और गौरव की रक्षा के लिए भी युवकों को ही आगे आना होगा।

हर एक युवक का कर्तव्य और जिम्मेदारी है जिसे उसे व्यक्तिगत रूप से निभाने की आवश्यकता है। सरकारी या निजी कार्यालयों में काम करने वाले युवकों को समय पर जाना चाहिए और समय बर्बाद किए बिना अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए क्योंकि एक सच्ची कहावत है कि ‘यदि हम समय को नष्ट करते हैं, तो समय हमें नष्ट कर देगा।’

समय कभी किसी का इंतजार नहीं करता है, यह लगातार चलता है और हमें समय से सीखना चाहिए। हमें तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक हमें अपने जीवन में लक्ष्य नहीं मिल जाता। हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य, हमारे देश को सच्चे अर्थों में एक महान देश बनाना है। देश के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने व याद दिलाने के लिए कोई विशेष समय नहीं होता, हालांकि ये प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार हैं कि वह देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे। उन्हें समानता में विश्वास करना चाहिए और समाज में उचित समीकरण के साथ रहना चाहिए।

देश की प्रगति युवकों पर निर्भर है। आज जरूरत है ऐसे प्रबुद्ध युवाओं की जो समाज को संकीर्णताओं से मुक्त करके उसे विशाल और व्यावहारिक दृष्टि दें। वह  जाति प्रथा को समाप्त करें। समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव दूर करें। वह बिना दहेज लिए विवाह करने का व्रत लें और इस प्रकार देश को दहेज के दानव से मुक्त करें। वे देहातों में शिविरों का आयोजन करें और उनके द्वारा सामाजिक समस्याओं का समाधान करें।

इस प्रकार युवक चाहें तो अनेक तरह से देश की सेवा कर सकते हैं और यह उनका कर्तव्य भी बनता है। वह जुआ, शराब, चोरी, बेईमानी से बचें और अपनी शक्तियों का देश के उत्कर्ष में सदुपयोग करें। वह राम, कृष्ण, अर्जुन के समान वीर बनकर देश के दुष्ट तत्त्वों का नाश करें। वे बुद्ध और महावीर के समान सन्मार्ग पर ले चलें और गाँधी के समान आत्मशक्ति से संपन्न बनें। वह अच्छे नेता, सेनापति, शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर और कलाकार बनकर देश के विकास में अपना योगदान दें।


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देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है (निबंध)

सिनेमा के लाभ व हानियाँ के बारे में बताते हुए एक लेख लिखें।

डायरी लेखन क्या है? कोई तीन प्रसिद्ध डायरियों और उनके लेखकों के नाम लिखिए।

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डायरी लेखन से तात्पर्य गद्य की उस विधा से है, जिसमें डायरी लिखने वाला व्यक्ति निजी स्तर पर अपने जीवन में घटित घटनाओं का क्रमबद्ध तरीके से वर्णन करता है।

इस वर्णन में उसकी बौद्धिक एवं भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का मिलाजुला भाव प्रकट होता है। डायरी लेखन अक्सर वही व्यक्ति करते हैं, जो बौद्धिक स्तर पर मंजे हुए होते हैं, अथवा भावनात्मक अधिक सुदृढ़ होते हैं। डायरी लेखन जीवन की दैनंदिनी घटनाओं का विवरण होता है, जिसमें व्यक्ति तिथिवार तरीके से दिनभर की गतिविधियों का लेखन करता है और उसने अपनी भावनाओं अपने विचारों को भी कागज पर शब्दबद्ध करता है।

तीन डायरियों और उनके लेखकों के नाम इस प्रकार हैं।
डायरी : पैरों में पंख बांधकर
लेखक : रामवृक्ष बेनीपुरी

डायरी : रूस में 25 मास
लेखक : राहुल सांकृत्यायन

डायरी : एक साहित्यिक की डायरी
लेखक : गजानन माधव मुक्तिबोध

डायरी क्या है?

डायरी गद्य की विधा है, जिसमें एक नोटबुक होती है, जिसमें 365 पेज होते हैं, जिन पर पूरे वर्ष की तिथि क्रमानुसार ऊपर मुद्रित होती हैं, और नीचे का पूरा पेज खाली होता है। जिस पर डायरी लेखक द्वारा उस दिन की घटनाओं का विवरण लिखा जाता है। इसमें लेखक अपने विचारों को और अपनी भावनाओं को शब्दबद्ध करता है। वह घटनाओं को अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। बहुत सी डायरी लेखन बिना तिथि के भी की जाती है। यहाँ पर लेखक रोजाना करके किसी घटना के बारे में लिखता है उस दिन की तिथि को अंकित कर देता है। इस डायरी में तिथि मुद्रित नहीं होती।


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दोनों बैल दढ़ियल व्यक्ति की कैद से कैसे मुक्त हुए? (दो बैलों की कथा)​

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निम्नलिखित रचनाओं में से ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ की रचना कौन सी है? (a) कदम्ब के फूल (b) कौशल (c) इंदिरा प्रियदर्शिनी (d) बातचीत में शिष्टाचार

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सही उत्तर है…

(a) कदम्ब के फूल

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विस्तृत विवरण

उपरोक्त रचनाओं में से ‘कदम्ब के फूल’ सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना है।

‘कदम्ब के फूल’ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित एक कहानी है । इसके अलावा सुभद्रा कुमारी चौहान ने अनेक काव्य कृतियां, कहानियां तथा बाल साहित्य की भी रचना की है। ‘झांसी की रानी’ उनकी बेहद प्रसिद्ध कविता थी, जिसकी पंक्तियां ‘बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।’ आज भी हर किसी को याद है।

सुभद्रा कुमारी चौहान (1904-1948) हिंदी साहित्य की प्रमुख कवयित्री और लेखिका थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय सहभागी भी रहीं।

सुभद्राकुमारी चौहान हिंदी साहित्य की एक अन्य महान कवयित्री महादेवी वर्मा की सखी भी थी। दोनों कवयित्रियां समकालीन थीं और बचपन से ही साथ पली-बढ़ीं और सहेलियां रहीं। दुर्भाग्यवश सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन एक कार दुर्घटना में मात्र 44 वर्ष की आयु में 15 फरवरी 1948 को हो गया था।

ये ध्यान देने वाली बात है कि सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित ‘कदम्ब का पेड़’ नाम से एक कविता भी है।
इस तरह ‘कदम्ब के फूल’ और ‘कदम्ब का पेड़’ ये दोनों रचनाएं सुभद्रा कुमारी चौहान की हैं।


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