‘दो कलाकार’ कहानी हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका ‘मन्नू भंडारी’ द्वारा लिखी एक सामाजिक कहानी है, जो दो सहेलियों अरुणा एवं चित्रा पर केंद्रित है। अरुणा और चित्रा दोनों इस कहानी की मुख्य पात्र हैं। वह एक हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती हैं और दोनों में गाढ़ी मित्रता है, हालांकि दोनों के स्वभाव में भिन्नता है।
अरुणा को समाज सेवा में अनेक रुचि है, जबकि चित्र को कला में अधिक रुचि है और वह एक सफल चित्रकार बनना चाहती है। अरुणा गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाती है और समाज सेवा के कार्य करती जबकि चित्रा अपनी चित्रकला प्रतिभा को निखारने में लगी रहती है। दोनों के स्वभाव भिन्नता होने के बावजूद तो दोनों में गहरी मित्रता है और आसपास के लोग तक उनकी मित्रता से ईर्ष्या करते हैं।
अरुणा
अरुणा का स्वभाव व्यवहारिकता पर केंद्रित है। वह जीवन की व्यवहारिकता को समझती है। इसलिए वह अपनी सहेली चित्रा की तरह बेजान चित्रों को कागज पर उकेरने की जगह सजीव चित्रों को संवारती है। ये सजीव चित्र वे असहाय बच्चे हैं, जो अपनी माँ के मरने पर अनाथ हो चुके हैं। वह मानवता को अधिक प्राथमिकता देती है, और वास्तविक समाज सेवा के कार्य करना चाहती है। इसीलिए वह भिखारिन के मर जाने पर उसके अनाथ बच्चों को गोद ले लेती है और उनको पालती पोसती है।
चित्रा
चित्र का स्वभाव अरुणा के विपरीत है। वह केवल अपने यश और प्रसिद्ध के लिए काम करती है। यद्यपि वह कलाकार है लेकिन उसमें व्यवहारिकता नहीं है। वह केवल संवेदनशील घटनाओं पर चित्र बनाने में यकीन करती है लेकिन उसके अंदर वास्तविक संवेदनाएं नहीं है। यदि उसके अंदर वास्तविक संवेदनाएं होती तो वह भिखारिन के मर जाने पर भिखारिन के शव के पास बैठे उसके रोते-बिलखते बच्चों वाले दृश्य का स्केच वहीं बैठकर नहीं बनाती बल्कि उन बच्चों की मदद करने का प्रयास करती। वह है एक संवेदनहीन कलाकार है। उसकी प्रतिभा केवल बेजान रेखाचित्रों खींचने तक ही सीमित है।
इस तरह इस कहानी के दो मुख्य पत्र दोनों कलाकार अलग-अलग स्वभाव होने के बावजूद भी एक दूसरे की पक्की सहेली है।
अंत में…
यदि सच्चे कलाकार की बात की जाए तो अरुणा सच्ची कलाकार है क्योंकि उसने कागज बेजान चित्र नहीं बनाए बल्कि सजीव चित्र बनाए।
मेरे प्रिय कलाकार की बात की जाए तो मेरी प्रिय कलाकार भारत की प्रसिद्ध कालजयी दिवंगत पार्श्वगायिका लता मंगेशकर हैं, क्योंकि उनके गाने मेरे मन को छूने लेते हैं। उनकी आवाज में अनोखा जादू है। भारत के इतिहास में उनके जैसी गायिका नहीं हुई है। उनके हर गाने को सुनकर मुझे असीम शांति का अनुभव होता है। उनकी गाने सहाबहार हैं और हर पीढ़ी द्वारा उतनी ही तन्मयता से सुने जाते हैं। यद्यपि वह आज हमारे बीच शरीर के रूप में मौजूद नहीं हैं लेकिन अपने गानों और आवाज के रूप में वह हर पल हमरे बीच हैं।
Other question
यदि अरुणा उन दोनों बच्चों की देखभाल नहीं करती, तो उन बच्चों के साथ क्या-क्या हो सकता था?