1. रहीम ने कैसे व्यक्ति को मरे व्यक्ति के समान बताया है?
उत्तर : रहीम ने ऐसे व्यक्ति को मरे हुए व्यक्ति के समान बताया है, जो किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा कुछ मांगने पर उन्हें ‘ना’ बोल देता है और कुछ नहीं देता। रहीम के अनुसार व्यक्ति जो किसी के पास कुछ मदद मांगने के लिए जाते हैं, उसका आत्मसम्मान मर चुका होता है, इसलिए वह मांगने को जाता हैं, लेकिन उन से भी अधिक व्यक्ति मरे हुए व्यक्ति के समान वो व्यक्ति है, जो किसी के द्वारा कुछ मांगने पर उन्हें कुछ नहीं देता और ना बोल देता है।
2. तरुवर और सरोवर की क्या विशेषता है?
उत्तर : रहीम के अनुसार तरुवर और सरोवर दोनों की यह विशेषता है कि दोनों स्वयं के लिए नहीं बल्कि परमार्थ के लिए कार्य करते हैं। तरुवर यानी वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते बल्कि उनके फल दूसरे लोग खाते हैं। उसी तरह सरोवर यानी तालाब अपना जल स्वयं नहीं पीता बल्कि दूसरे लोग उसके जल से अपनी प्यास बुझाते हैं। तरुवर और सरोवर दोनों में यही समानता है कि वह अपने लिए नहीं दूसरों के लिए कार्य करते हैं।
3. सज्जन व्यक्ति किसके लिए धन संचय करते है?
उत्तर : रहीम के अनुसार सज्जन व्यक्ति समाज के लिए धन संचय करते हैं। सज्जन व्यक्तियों की धनसंपदा ज्ञान के रूप में होती है। अपने लिए तो सभी संचय करते हैं लेकिन जो सज्जन व्यक्ति होते हैं, वह अपने लिए कुछ भी संचित नहीं करते। वह जो भी कार्य करते हैं जो भी संचय करते हैं, वह सब समाज में बांट देते हैं। उनका मुख्य धन उनका ज्ञान, उनका अनुभव, उनका परोपकार होता है, जो वह समाज को निरंतर प्रदान करते रहते हैं।
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रहीम जी के अनुसार जीवन में सत्संग का क्या महत्व है?
लैकै सुघरु खुरुपिया, पिय के साथ। छइबैं एक छतरिया, बरखत पाथ ।। रहीम के इस दोहे का भावार्थ लिखिए।