गांधीजी का ये कथन कि ‘असली भारत वास्तव में गाँवों में ही बसता है’ बिल्कुल सटीक है। गांधी जी ने अपने तत्कालीन समय के परिप्रेक्ष्य में यह कथन व्यक्त किया था, लेकिन उनका यह कथन आज 80 साल बाद भी प्रासंगिक है।
गांधी जी ने असली भारत के गांवों में बसने की जो बात कही थी, उसके अनेक कारण हैं। आइए उन कारणों को समझते हैं…
- भारत एक कृषि प्रधान देश है जो प्राचीन काल से कृषि प्रधान देश रहा है। भारत की अधिकांश जनता गांव में वास करती है। जब गांधी जी ने यह कथन व्यक्त किया था, भारत की 80% जनता गांव में निवास करती थी। आज के समय में भी भारत की लगभग 65% जनता गांव में निवास करती है और पूरी तरह कृषि के ऊपर निर्भर है, इस तरह गांधी जी का यह कथन पूरी तरह सटीक बैठता है कि भारत गांवों में ही बसता है।
- भारत की जो भी कृषि संबंधी गतिविधियां होती हैं, वह अधिकांशत गांवों में ही होती हैं। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख आधार है। भारत के गांव में अनेक तरह के ग्रामीण और कुटीर उद्योग भी प्रचलित हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था मैं अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- भारत के गांव का सामुदायिक जीवन और गांव की ग्रामीण संस्कृति भारत के गांवों को और अधिक विशिष्ट बनाती है। भारत के गांवों में पारिवारिक मूल्य और सामाजिक संबंध शहरों की अपेक्षा अधिक मजबूत और आत्मीयता से भरपूर होते हैं।
- भारत के गांवों में पंचायती राज की व्यवस्था सदियों से चली आ रही है। गांव का पंचायती सिस्टम पंचायती व्यवस्था भारत के गांव के शासन को एक मजबूत आधार प्रदान करता है। भारत के गांव की ग्राम सभाएं भारत के लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करती हैं।
- गांव प्रकृति के अधिक निकट होते हैं और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में अपनी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत के गांव प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट नहीं करते बल्कि उनका संरक्षण करते हैं।
- भारत के गांव भारत की अधिकांशत आबादी का वहन करते हैं, जो भारत की अधिकांश जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- भारत की संस्कृति को अगर बेहद बारीकी और नजदीकी से देखना हो तो भारत के गांव में जाना चाहिए, जहां पर भारत के अलग-अलग राज्यों की विभिन्न संस्कृतियों के मूल स्वरूप देखने को मिलेंगे।
यही सब कारण है जिसकी वजह से गांधी जी का यह कथन कि असली भारत गांवो में बास करता है।’ बिल्कुल सटीक और सही कथन है।