‘झेन की देन’ पाठ में दिमाग की शांति के लिए चाय पीने की एक विशेष की विधि अपनाई जाती है, जिसे ‘टी-सेरेमनी’ कहा जाता है।
‘टी-सेरेमनी’ को आयोजित करने का विशेष तरीका होता है। ‘टी-सेरेमनी’ एक 6 मंजिली इमारत की छत पर झोपड़ीनुमा कमरे में आयोजित की जाती है, जिस की दीवारें दफ्ती की हुई बनी हुई हैं। फर्श पर चटाई बिजी है। वातावरण अत्यंत शांत होता है।
बाहर कमरे के बाहर ही एक बेडौल मिट्टी के बर्तन में पानी रखा होता है। आने वाले लोग यहाँ हाथ-पाँव धोकर ही अंदर जाते हैं। अंदर जाने पर चाज़ीन झुक कर सलाम करता है।
चाज़ीन वह व्यक्ति होता है, जो चाय बनाता है। फिर वह बैठने की जगह की ओर इशारा करता है। फिर वह चाय बनाने के लिए अँगीठी जलाता है। उसके बर्तन एकदम साफ-सुथरे और सुंदर होते हैं। वातावरण में इतनी शांति होती है कि चायदानी में उबलते पानी की आवाज साफ सुनाई देती है।
चाय बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करता और आराम से चाय बनाता है। फिर वह अपने दो-तीन घूंटभर कर ही चाय देता है। चाय पीने वाले लोग धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर एक घंटे में पीते हैं। चाय इस श्रेणी में केवल 3 लोग अधिकतम 3 लोग जा सकते हैं।
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