शुभम कक्षा 12वीं का छात्र है। वह एक प्राइवेट विद्यालय में पढ़ता है। उसके विद्यालय में पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य कौशल भी सिखाए जाते हैं। जैसे- योग, संगीत, खेल आदि । शुभम योग का विद्यार्थी है वह प्रतिदिन एक घंटा योग सीखता है। योग के विद्यार्थी अनुशासन में रहकर योग सीखते हैं। योग करने से शरीर व मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। शुभम के स्कूल में शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए योग कराया जाता है। वैसे ही ‘झेन की देन’ पाठ में दिमाग की शांति के लिए चाय पीने के लिए की विधि अपनाई जाती है। उसे क्या कहते हैं? उसके विषय में विस्तार से वर्णन कीजिए।

‘झेन की देन’ पाठ में दिमाग की शांति के लिए चाय पीने की एक विशेष की विधि अपनाई जाती है, जिसे ‘टी-सेरेमनी’ कहा जाता है।

‘टी-सेरेमनी’ को आयोजित करने का विशेष तरीका होता है। ‘टी-सेरेमनी’ एक 6 मंजिली इमारत की छत पर झोपड़ीनुमा कमरे में आयोजित की जाती है, जिस की दीवारें दफ्ती की हुई बनी हुई हैं। फर्श पर चटाई बिजी है। वातावरण अत्यंत शांत होता है।

बाहर कमरे के बाहर ही एक बेडौल मिट्टी के बर्तन में पानी रखा होता है। आने वाले लोग यहाँ हाथ-पाँव धोकर ही अंदर जाते हैं। अंदर जाने पर चाज़ीन झुक कर सलाम करता है।

चाज़ीन वह व्यक्ति होता है, जो चाय बनाता है। फिर वह बैठने की जगह की ओर इशारा करता है। फिर वह चाय बनाने के लिए अँगीठी जलाता है। उसके बर्तन एकदम साफ-सुथरे और सुंदर होते हैं। वातावरण में इतनी शांति होती है कि चायदानी में उबलते पानी की आवाज साफ सुनाई देती है।

चाय बनाने में कोई जल्दबाजी नहीं करता और आराम से चाय बनाता है। फिर वह अपने दो-तीन घूंटभर कर ही चाय देता है। चाय पीने वाले लोग धीरे-धीरे चुस्कियां लेकर एक घंटे में पीते हैं। चाय इस श्रेणी में केवल 3 लोग अधिकतम 3 लोग जा सकते हैं।


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