हर बुराई का अंत जरूर होता है। इस बात से हम पूरी तरह सहमत हैं। बुराई सदैव टिकी नहीं रहती यदि बुराई सदैव के लिए टिकी रहेगी तो इस संसार में शांति और सुकून नहीं स्थापित हो पाएगा।
बुराई अंत होने के लिए ही उत्पन्न होती है। बुराई की जब अति हो जाती है तब वह अपने अंत की ओर अग्रसर होती है। जब तक बुराई का अंत नहीं होगा अच्छाई उत्पन्न नहीं होगी। बुराई का अंत अच्छाई ही करती है। बुराई एक दीर्घकालीन व्यवस्था नहीं है, यह एक अवगुण है जो मनुष्य प्राणियों में अल्प समय के लिए उत्पन्न होता है। बुराई का अंत होना इसके उत्पन्न होने के समय ही निश्चित हो जाता है।
बुराई का अंत ही हमें एक आशा देता है। बुराई के कारण जो लोग बुराई से त्रस्त होते हैं उनके मन में भी सदैव यही आशा रहती है कि एक न एक दिन इस बुराई का अंत जरूर होगा और उन्हें राहत मिल सकेगी।
बुराई का अंत संसार में शांति और सद्भावना के लिए आवश्यक है। प्रकृति ने अच्छाई बुराई को इसीलिए बनाया है। बुराई का अंत होने के बाद ही अच्छाई उत्पन्न होती है। बुराई का अंत अच्छाई ही करती है। अच्छाई दीर्घकालिक के व्यवस्था के तहत उत्पन्न होती है लेकिन बुराई उस पर हावी हो जाती है लेकिन बाद में बुराई का जब अंत होता है तब फिर अच्छाई अपने को स्थापित कर देती है। इसीलिए हर बुराई का अंत होना निश्चित है इस बात में कोई संदेह नहीं।
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