मुंशी जी की आदत किसी भी घटना को नमक-मिर्च लगाकर अपने अंदाज में पेश करने की थी। जब भी उन्हें किसी घटना के बारे में जानकारी मिलती तो वह कुछ ना कुछ और चर्चा छोड़कर कुछ ना कुछ और जाने की कोशिश करते थे। फिर उन्हें जो भी जानकारी मिलती जाती, उसमें से अपनी तरफ से कुछ जोड़कर सुनाते जाते और आगे की बात भी मालूम करते जाते थे। इस तरह वह किसी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते थे। उनमें किसी भी बात को अपने अंदाज में विस्तार से बताने गुण था। उन्हें केवल छोटी सी बात का संकेत मिल जाना होता था फिर वह अपनी तरफ से ही उसमें नई-नई बातें जोड़कर बात को रोचक अंदाज में पेश कर देते थे। इसमें वह अपनी तरफ मनगढ़ंत बातें भी जोड़ते जाते थे।
संदर्भ पाठ
‘गाय की चोरी’ (कक्षा-7), लेखक – कमलेश्वर
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बुढ़िया की गाय चोरी होने की खबर सुनते ही मुंशी जी ने क्या-क्या बातें बनाईं? (गाय की चोरी)