संवाद लेखन
बढ़ती महंगाई के बारे दो गृहणियो को बीच संवाद
रमा : बहन विमला, इस महंगाई का क्या करें। जीना मुश्किल हो गया है।
विमला : सही कहती हो बहन। सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं और दालों तथा तेल के तो कहने ही क्या।
रमा : हाँ बहन, हर चीज महंगी हो रही है और हमारे पतियों की तनख्वाह उतनी की उतनी ही है। समझ नहीं आता घर का बजट कैसे बनाएं।
विमला : यही हाल मेरे घर का है। पति महीने के आखिर में जो तन्ख्वाह का हाथ में देते हैं, वह अगले 2 दिन में ही खत्म हो जाती है। उसके बाद पूरा महीना गुजारा करना मुश्किल हो जाता है।
रमा : पता नहीं हमारी सरकार क्या कर रही है। वस्तुओं के दाम पर नियंत्रण क्यों नहीं रखती?
विमला : बहन मैंने सुना है आजकल दुनिया में मंदी छाई हुई है। रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई के कारण भी पर बहुत प्रभाव पड़ा है और चीजों के दाम सब जगह बढ़ रहे हैं।
रमा : पता नहीं इस महंगाई से कब छुटकारा मिलेगा। सुनने में आ रहा है कि महंगाई और बढ़ सकती है।
विमला : सही कह रही हो, बहन। भगवान करे कि सरकार इस बारे मे कुछ करे हम लोगों को महंगाई से राहत मिले, नहीं तो हम लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा।
रमा : काश! ऐसा हो।
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