संवाद
गेंद और बल्ला के बीच संवाद
(क्रिकेट की गेंद और बल्ला आपस में बातचीत कर रहे हैं।)
बल्ला ⦂ और सुनाओ गेंद, आजकल क्या चल रहा है?
गेंद ⦂ मेरा तो ठीक चल रहा है, तुम अपना सुनाओ। तुम आजकल बहुत चौड़े हो रहे हो।
बल्ला ⦂ क्यों क्या बात हो गई, बहन?
गेंद ⦂ तुम मुझ पर तीखा प्रहार करते हो और मुझे सीधे बाउंड्री के बाहर फेंकने की कोशिश करते हो। तुम्हें मुझ पर जरा भी दया नहीं आती।
बल्ला ⦂ हा हा हा, अरे वह मैं नहीं करता। मैं जिसके हाथ में होता हूँ, वह करता है। यानि ये सब बल्लेबाज करता है, इसमें मेरा क्या दोष?
गेंद ⦂ यह तुम इतनी जोर से मुझे पर वार करते हो कि मैं सीधे बाउंड्री के बाहर गिरती हूँ, तब मुझे बड़ा दर्द होता है।
बल्ला ⦂ अच्छा। सॉरी मेरी वजह से तुम्हे तकलीफ होती है।
गेंद ⦂ तुम्हारे तो मजे हैं। तुम केवल बल्लेबाज के हाथ में रहते हो। जब कि मुझे मैदान में चारों तरफ भटकना पड़ता है। कोई मुझे इधर फेंकता है, कोई मुझे उधर फेंकता है। मेरे शरीर का अंग-अंग दुखने लगता है। उस पर तुम मुझ अलग प्रहार करते हों। सब मुझे फेंकते या पीटते ही रहते हैं।
बल्ला ⦂ अरे, मैं भले ही बल्लेबाज के हाथ में रहता हूँ, लेकिन बल्लेबाज मुझ पर भी बहुत जोर लगाता है। तुम्हें यह नहीं पता कि तुम कितनी सख्त हो। जब मैं तुम पर प्रहार करता हूँ, तो मुझे भी दर्द होता है।
गेंद ⦂ अच्छा ऐसी बात है। हम दोनों में क्या कर सकते हैं। हम दोनों का ये कर्म है। हम लोग इसीलिए बने हैं।
बल्ला ⦂ हाँ, सही बात कहती हो। क्रिकेट के खेल में हम दोनों अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। हमारा जन्म जिस कार्य के लिए हुआ है, वह कार्य कर रहे हैं। तुम गेंदबाजों की शान हो तो मैं बल्लेबाजों की शान हूँ। यही हमारी पहचान है।
गेंद ⦂ सही कहते हो।
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