संवाद लेखन
वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर दो शिक्षकों के बीच संवाद
पहला शिक्षक ⦂ श्रीमान, क्या आप जानते हो कि भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के प्रतिरूप पर आधारित है, जिसे सन 1835 में लागू किया गया था?
दूसरा शिक्षक ⦂ जी हाँ , बिल्कुल इस शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य भारत में प्रशासन के लिए बिचौलियों की भूमिका निभाने तथा सरकारी कार्य के लिए विशिष्ट लोगों को तैयार करना था।
पहला शिक्षक ⦂ क्या आप वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुणों के बारे में जानते है?
दूसरा शिक्षक ⦂ जीहाँ , श्रीमान जी इसके बहुत से गुण है, जैसे – यह विविध विषयों और प्रौद्योगिकियों के बारे में हमारे ज्ञान के विस्तार को बढ़ाती है। यह हमें हमारी संस्कृति और नैतिकता के बारे में जानने में मदद करती है।
दूसरा शिक्षक ⦂ आपने बिल्कुल सही कहा। लेकिन इस शिक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा गुण है कि यह हमारे मस्तिष्क के विकास में सहायता प्रदान करती है और हमें शालीन बनाने में मदद करती है।
पहला शिक्षक ⦂ जी हाँ, इसके अलावा यह राजनीति के नियमों को सीखने में मदद करती है और इस शिक्षा प्रणाली से व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है।
दूसरा शिक्षक ⦂ श्रीमान, यह शिक्षा प्रणाली हमें यह समझने में मदद करती है कि अपने अनपढ़ समकक्षों की तुलना में बेहतर व्यवहार कैसे किया जाये ।
पहला शिक्षक ⦂ दरअसल श्रीमान जी वर्तमान शिक्षा प्रणाली छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए प्रचलित की जा रही है। आज इंटरनेट के माध्यम से शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। छात्रों को विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जोड़कर किसी भी विषय का ज्ञान प्रदान करवाया जाता है।
दूसरा शिक्षक ⦂ आप बिल्कुल सही कह रहे हैं । शिक्षा प्रणाली के कुशल संचालन हेतु व शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु केन्द्र व राज्य सरकारों को अपनी मूक दर्शक मुद्रा को छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक सक्रिय पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिए, अन्यथा वर्तमान शिक्षा प्रणाली निजी हाथों में कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों की तिजोरियों को भरने और देश के नवयुवकों को अंधकार में झोंकने का जरिया बनकर रह जाएगी ।