Sign in
Home
Questions
Common
GK
IQ
Puzzel
Subject
English
Economy
History
Geography
Science
Physics
Chemistry
Biology
EVS
Political Science
Psychology
Sociology
Technology
हिंदी
Sanskrit
हिंदी
निबंध
संवाद लेखन
पत्र लेखन
रचनात्मक लेखन
व्याकरण
दोहे-चौपाइयां
मुहावरे-लोकोक्तियां
श्लोक
Board Solutions
NCERT Solutions
more
About Us
Contact Us
Disclaimer
Privacy Policy
Terms & Conditions
All Posts
Sign in
Welcome!
Log into your account
your username
your password
Forgot your password?
Password recovery
Recover your password
your email
Search
Sign in
Welcome! Log into your account
your username
your password
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
your email
A password will be e-mailed to you.
Sign in / Join
Home
Questions
Common
GK
IQ
Puzzel
Subject
English
Economy
History
Geography
Science
Physics
Chemistry
Biology
EVS
Political Science
Psychology
Sociology
Technology
हिंदी
Sanskrit
हिंदी
निबंध
संवाद लेखन
पत्र लेखन
रचनात्मक लेखन
व्याकरण
दोहे-चौपाइयां
मुहावरे-लोकोक्तियां
श्लोक
Board Solutions
NCERT Solutions
more
About Us
Contact Us
Disclaimer
Privacy Policy
Terms & Conditions
All Posts
More
Search
Home
दोहे-चौपाइयां
दोहे-चौपाइयां
दोहे-चौपाइयां
मल मल धोये शरीर को, धोये न मन का मैल। नहाये गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।। कबीर इस दोहे का भावार्थ लिखें।
MONIKA
-
September 20, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।। अर्थ बताकर व्याख्या करें।
SHISHIR
-
August 1, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ। धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ।। (भावार्थ बताएं)
SHISHIR
-
July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।। भावार्थ बताएं।
SHISHIR
-
July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
गुरू पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत। वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।। (भावार्थ बताएं)
SHISHIR
-
July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष। गुरू बिन लखै न सत्य को, गुरू बिन मिटै न दोष।। (भावार्थ बताएं)
SHISHIR
-
July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं। (गुरु पूर्णिमा पर विशेष)
SHISHIR
-
July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
मन लागा उन मन्न सौं, गगन पहुँचा जाइ। देख्या चंद बिहूँणां, चांदिणाँ, तहाँ अलख निरंजन राइ।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
-
July 15, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पिंजर प्रेम प्रकासिया, अंतरि भया उजास। मुख कस्तूरी महमहीं, बाँणी फूटी बास।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
-
July 15, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पंखि उड़ानी गगन कौं, पिण्ड रहा परदेस । पानी पीया चंचु बिनु, भूलि या यहु देस ।। व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
-
June 24, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
थल थल में बसता है शिव ही, भेद न कर क्या – हिन्दू मुसलमाँ। ज्ञानी है तो स्वयं को जान, वहीं है साहिब की पहचान।। (भावार्थ बताएं)
SHISHIR
-
June 24, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
ऐसी मूढ़ता या मन की। परिहरि राम-भगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की॥ धूम-समूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घन की। नहिं तँह सीतलता न बारि, पुनि हानि होति लोचन की॥ ज्यों गच-काँच बिलोकि सेन जड़ छाँह आपने तन की। टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की॥ कहँ लौं कहौं कुचाल कृपानिधि! जानत हौ गति जन की। तुलसिदास प्रभु हरहु दुसह दु:ख, करहु लाज निज पन की॥ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
-
June 18, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?
MONIKA
-
June 1, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे। भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी।। हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा। त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा। जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी। कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।। आँधी पीछे जो जल बुठा, प्रेम हरि जन भींनाँ। कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनाँ।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं।
MONIKA
-
May 26, 2024
0