कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल।
आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल​।।

अर्थ : कबीरदास कहते हैं कि हरि यानि भगवान के नाम का स्मरण करना ही इस संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है। भगवान के नाम के स्मरण करने के अलावा अन्य सभी मार्ग कष्टों भरे हैं। यही संसारिक एक दुखों का कारण हैं। कवि ने भगवान के नाम के स्मरण के अतिरिक्त शुरू से लेकर आखिर तक चलकर सब जांच-परख लिया है और उन्होंने पाया है कि यह सभी रास्ते दुख भरे हैं। ये सभी सांसारिक रास्ते दुखों का कारण है, इसलिए ईश्वर के नाम के स्मरण करना ही सबसे श्रेष्ठ कार्य है। यही सभी दुखों से मुक्ति दिलाएगा। कबीर के कहने का तात्पर्य यह है कि साधना और भक्ति का मार्ग ही सर्वोत्तम उपाय है, जिससे संसार के दुखों से छुटकारा मिल सकता है। सांसारिक दुखों और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए ईश्वर की भक्ति के पथ पर चलना ही सर्वोत्तम उपाय है, यह बात उन्होंने जांच परख कर कही है।


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