‘बालक की कामना’ कविता श्रीनाथ सिंह द्वारा रचित एक सुंदर कविता है। ये कविता एक बालक के मनोभावों को प्रस्तुत करती है।
इस सुंदर कविता से हमें राष्ट्रप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा की शिक्षा मिलती है। कवि एक बालक के माध्यम से स्वतंत्र भारत के नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझता है और देश को सम्मानित करने का संकल्प लेता है।
इस कविता में गाँव में रहकर पशुपालन और कृषि को बढ़ावा देने की इच्छा व्यक्त की गई है। यह भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के महत्व को दर्शाता है। कविता में बालक कहता कि कोई भी भूखा या वस्त्रहीन न रहे, जो सामाजिक समानता और जवाबदेही की भावना को दर्शाता है।
कविता में शहर में रहकर नई तकनीक सीखने और उसे गाँवों तक पहुँचाने की बात कही गई है, जो विकास के लिए आवश्यक है। ये कविता भ्रष्टाचार, घूस और बेईमानी से दूर रहने का संकल्प महत्वपूर्ण नैतिक शिक्षा देती है।
कविता में कवि अपना सर्वस्व देश की सेवा में अर्पित करने की बात करता है, जो सच्चे देशभक्त की पहचान है। यह कविता आधुनिक भारत के एक आदर्श नागरिक की कल्पना प्रस्तुत करती है, जो परंपरागत मूल्यों और आधुनिक विकास में संतुलन बनाते हुए देश की सेवा करना चाहता है।
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