कवि ने लाल शिखाएँ वीर अमर शहीद सैनिकों के बलिदान से उपजी तेज अग्नि को कहा है, जो वीर अमर शहीदों ने अपने जीवन का बलिदान देकर प्रज्वलित की थी।
‘कलम आज उनकी जय बोल’ कविता जो कि ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा लिखी गई है, उसकी कुछ पंक्तियों का भावार्थ इस प्रकार है।
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं,
जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल.
भावार्थ : कवि दिनकर जी ने वीर अमर शहीदों की महिमा का गुणगान करते हुए कहा है कि इन अमर शहीदों ने दीपक की भांति जलकर जो तेज लाल अग्नि प्रज्वलित की उसकी गरम लपटे चारों दिशाओं में उठ रही हैं। इस तेज अग्नि स और उन वीर सिंह समान सैनिकों की गर्जना से सारी पृथ्वी कंपायमान होकर हिल रही है।
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