कवि ने सबको एक होकर चलने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि हम सभी मनुष्य एक ही परमपिता परमेश्वर की संतान हैं। यदि हम सब मनुष्य एक होकर चलेंगे तो अपने लक्ष्य को अधिक सरलता से प्राप्त कर सकते हैं। यदि हम धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति, देश आदि का भेदभाव बुलाकर एक होकर चलेंगे तो मिल जुल कर एक दूसरे का सहयोग करते हुए अपने लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे। अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलते हुए एक दूसरे का सहयोग करते हुए निरंतर आगे बढ़ना ही मनुष्यता कहलाती है। यही मानवता का सबसे बड़ा गुण है। इसीलिए इसी गुण के कारण मनुष्य जाति में शांति एवं सद्भाव उत्पन्न हो सकता है और मनुष्य की उन्नति एवं कल्याण तभी संभव है।
इसी कारण ‘मनुष्यता’ कविता में कवि मैथिली शरण गुप्त ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा दी है। ‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने मनुष्य के महत्वपूर्ण गुण मनुष्यता का विवेचन किया है और मनुष्य को मनुष्यता का गुण अपनाने की सलाह दी है।