‘हम जब होंगे बड़े’ कविता का भावार्थ लिखें।

कविता का भावार्थ

हम जब होंगे बड़े

हम जब होंगे बड़े, देखना
ऐसा नहीं रहेगा देश।
अब भी कुछ लोगों के दिल में
नफरत अधिक, प्यार है कम.
हम जब होंगे बड़े, घृणा का
नाम मतकर लेंगे दम।

हिंसा के विषमय प्रवाह में
कब तक और बहेगा देश
भ्रष्टाचार जमाखोरी की,
आदत बड़ी पुरानी है
यह कुरीतियां मिटा हमें तो
नई चेतना लानी है।
एक घरौंदे जैसा आखिर
कितना और ढहेगा देश?

इसकी बागडोर हाथों में
जरा हमारे आने दो,
थोड़ा सा बस पांव हमारा
जीवन में टिक जाने दो।

हम खाते हैं शपथ, दुर्दशा
कोई नहीं सहेगा देश।
हम भारत का झंडा हिमगिरी
से ऊंचा फहरा देंगे,
रेगिस्तान, बंजरों तक में
हरियाली लहरा देंगे।

घोर अभावों की ज्वाला में
कल तक नहीं दहकेगा देश

संदर्भ : यह कविता कवि बालस्वरूप राही द्वारा रचित कविता है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने आने वाली पीढ़ी यानी बच्चों के मन के भावों को प्रकट किया है।

कविता में बच्चे अपने मन के भावों को प्रकट करते हुए कहते हैं कि जब वह बड़े होंगे तो देश में जो भी नकारात्मकता फैली हुई है, उसे सकारात्मक में बदलकर रख देंगे। कविता के माध्यम से कवि ने भाभी पीढ़ी के मन के विचारों को सकारात्मक रूप में प्रकट करने की चेष्टा की है।

भावार्थ : कवि कहते हैं कि बच्चों का कहना है, जब वह बड़े होंगे तो भारत देश ऐसा नहीं रहेगा, जैसा इस समय है। जहाँ पर लोगों के दिल में घृणा बहुत अधिक है। लोग एक दूसरे से घृणा करते हैं, लोगों के दिल में प्यार की कमी है। लोग घृणा की आग में जलते जा रहे हैं। वह जब बड़े होंगे तो इस घृणा को संसार से मिटा देंगे।

कवि कहते हैं कि बच्चों का कहना है कि वर्तमान समय में चारों तरफ हिंसा और मारकाट मची हुई है। लोग एक दूसरे का गला काटने से नहीं चूकते। चारों तरफ समाज में नकारात्मकता ही फैली हुई है। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों में जमाखोरी आदत बहुत गहराई तक फैली हुई है। ये आदत भारतवासियों में काफी समय से हैं। यह सारी बुरी आदतें समाज की कुरीति के समान है।

वह जब बड़े होंगे तो वह समाज की इन कुरीतियों को मिटाएंगे। वह समाज में जागृति लाएंगे ताकि भ्रष्टाचार और जमाखोरी का नाम और निशान मिट जाए और देश विकास के पथ पर आगे बढ़े।

बच्चे कहते हैं कि जब वह बड़े होंगे और जैसे ही इस देश की बागडोर यानि देश का संचालन उनके हाथों में आएगा वह अपने देश को उतार-चढ़ाव वाले इस वातावरण से बाहर निकलने में पूरा जोर लगा देंगे और देश को अधोगति में जाने से बचाएंगे। वह देश में पहली अव्यवस्था को मिटा कर देश की दुर्दशा को सुधारेंगे और पूरे संसार में भारत का सम्मान बढ़ाएंगे।

बच्चे कहते हैं कि वह भारत के ध्वज को हिमालय से भी ऊंचा फहराएंगे। वह अपने सार्थक प्रयासों द्वारा रेगिस्तान और बंजर धरती पर भी हरियाली ला देंगे यानी बच्चे कहते हैं कि वह देश के हर हिस्से को विकसित और समृद्ध बनाएंगे। वह देश में फैले हर तरह के अभाव को दूर करेंगे। उनका एकमात्र उद्देश्य यही है कि देश में संपन्नता और समृद्धि आए और हर हर भारतवासी खुश रहे।

कविता का मूल भाव

इस कविता के माध्यम से कवि ने छोटे नन्हे बच्चों के मन के भावों को व्यक्त किया है कि वह बड़े होकर अपने देश के लिए क्या करना चाहते हैं। वह देश में फैली नकारात्मकता और सभी तरह की बुराइयों को दूरकर देश में सकारात्मक लाने चाहते हैं तथा भारत की समृद्धि में अपना पूरा योगदान देना चाहते हैं। ये कविता आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देने का कार्य करती है, और नई पीढ़ी को देश का जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है।


Other questions

‘भ्रष्टाचार जमाखोरी की आदत बड़ी पुरानी है, यह कुरीतियां मिटाने हमें तो नई चेतना लानी है।’ इस पंक्ति का सरल भावार्थ बताएं। (कविता – हम जब होंगे बड़े)

समाज में फैली बुराइयों का उल्लेख करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए​।

देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है (निबंध)

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions