कर्नल साहब के अनुसार पक्षियों को मारना और उन्हें धायल करके छोड़ देना कोई बहादुरी नहीं है। कर्नल साहब के अनुसार जीवो के प्रति दया होनी चाहिए। निर्दोष व निरीह पक्षियों को मारना या फिर उन्हें घायल करके यूं ही छोड़ देना यह कार्य बहादुरी प्रदर्शित नहीं करता।
‘बिशन की बहादुरी’ पाठ में कर्नल दत्ता ने उन दोनों लड़कों को डांटा था, जो तीतरों का शिकार कर रहे थे और तीतरों के मारने पर उन्हें डांटते हुए कहा था कि पक्षियों को मारना अथवा उससे भी ज्यादा उन्हें धायल करके छोड़ देना बहादुरी वाला कार्य नहीं है।
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