अपने मन को निर्मल बनाए रखने के लिए कबीर ने बड़ा ही अच्छा उपाय सुझाया है।
कबीर के अनुसार यदि हमें अपने स्वभाव को निर्मल बनाना है, तो हमारा मन सबसे पहले निर्मल होना आवश्यक है। यदि हम अपने मन को निर्मल, निष्कपट, अहंकार रहित बनाए रखना चाहते हैं तो हमें सदैव अपने पास एक निंदक रखने की आवश्यकता है। हमारी प्रशंसा तो सब करते हैं, वह हमारे अंदर की गलतियों के बारे में हम को नहीं बताएंगे।
इस तरह हमें हमारे अंदर अहंकार उत्पन्न होगा। हम स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझेंगे, जो हमारे लिए अच्छा नहीं है। हम अपनी गलतियों को दूर नहीं कर पाएंगे। निंदक हमारे सच्चे हितैषी होते हैं, जो हमारे अंदर की गलतियों को बताते रहते हैं, जिससे हमें अपनी गलतियों का पता चलता है और हम उन्हें दूर करने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए अपनी गलतियों को जानकर उनको दूर करने से ही हमारा स्वभाव हमारा मन निष्कपट, निष्कलंक और निर्मल बनेगा तब हमारा स्वभाव निर्मल बनेगा।
Related questions
कबीर अपना चरखा चलाते हुए भजन क्यों गाते रहते थे?
साखी : कबीर (कक्षा-10 पाठ-1 हिंदी स्पर्श 2) (हल प्रश्नोत्तर)