1. दंडकवन में राम के आने का समाचार सुनकर ऋषि-मुनि क्यों प्रसन्न हुए?
उत्तर : ऋषि-मुनि इसलिए प्रसन्न हुए क्योंकि वे राम के दिव्य चरित्र और शक्ति से परिचित थे। उन्हें आशा थी कि राम राक्षसों से उनकी रक्षा करेंगे। राम के दर्शन पाने की उनकी इच्छा पूरी होने वाली थी। उन्हें विश्वास था कि राम की उपस्थिति से वन में शांति और सुरक्षा आएगी।
2. राम ने ऋषियों से क्या प्रतिज्ञा की?
उत्तर : राम ने ऋषियों से प्रतिज्ञा की कि वे राक्षसों से ऋषियों की रक्षा करेंगे। वे वन में शांति और सुरक्षा स्थापित करेंगे। वे ऋषियों के आश्रमों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। वे अपने वनवास काल में धर्म की रक्षा करेंगे।
3. शूर्पणखा कौन थी? राम-लक्ष्मण ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया और क्यों?
उत्तर : शूर्पणखा रावण की बहन थी। राम-लक्ष्मण ने उसके साथ कठोर व्यवहार किया क्योंकि वह राम से विवाह करना चाहती थी और माता सीता को मारने की धमकी दे रही थी। राम के द्वारा शूर्पणखा के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने के बाद उसने अपना असली राक्षसी रूप दिखाया और आक्रामक हो गई। उसके दुष्ट इरादों को रोकने के लिए लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट दिए।
4. रावण ने सीता का हरण किस प्रकार किया?
उत्तर : रावण ने सीता का हरण करने के लिए सबसे पहले उसने मारीच को स्वर्ण मृग का रूप धारण करने को कहा ताकि वह मृग का भ्रम के द्वारा राम को कुटिया में सीता से अलग किया जा सके। जब राम मृग का पीछा करने गए, तब रावण ने संन्यासी का वेश धारण किया और राम-सीता की कुटिया में आ गया। सीता कुटिया में एकदम अलग थीं, क्योंकि सीता ने लक्ष्मण को भी राम के पीछे भेज दिया था। सीता को छलने के बाद, रावण ने अपना असली रूप दिखाया और उसे बलपूर्वक अपने रथ में ले गया।
5. मारीच कौन था? मारीच ने रावण को राम से शत्रुता न करने की सलाह क्यों दी?
उत्तर : मारीच एक राक्षस था जो रावण का मामा था। उसने रावण को राम से शत्रुता न करने की सलाह दी क्योंकि वह राम की दिव्य शक्ति से परिचित था। उसे पता था कि राम से शत्रुता लंका के विनाश का कारण बन सकती है। वह रावण के हित की चिंता करता था और उसे विनाश से बचाना चाहता था।
6. कबंध राक्षस का नाम कबंध कैसे पड़ा? कबंध ने राम को क्या सलाह दी?
उत्तर : कबंध का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उसका सिर और पैर शरीर में समा गए थे, जिससे वह एक विशाल कबंध (बैरल) जैसा दिखता था। कबंध ने राम को सलाह दी कि वह सुग्रीव से मित्रता कर लें। उसने राम को पंपा सरोवर के तट पर जाने की, जहां सुग्रीव निवास करता था। उसने राम को सुग्रीव की सहायता से सीता की खोज करने की सलाह भी दी।
7. शबरी ने राम-लक्ष्मण का स्वागत कैसे किया?
उत्तर : शबरी ने राम-लक्ष्मण का स्वागत करने के लिए पहले अपने आश्रम को साफ-सुथरा किया। उसने राम-लक्ष्मण को मीठे बेर खाने के दिए। उसने स्वयं चखकर मीठे बेर राम को अर्पित किए। उसने राम-लक्ष्मण को आतिथ्य प्रदान किया और उनकी सेवा की। उसने राम को पंपा सरोवर और सुग्रीव के बारे में बताया।
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