‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ पाठ में तकिये ने लेखक की बात सुनना इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि इससे पहले लेखक ने भी आलस्य के कारण तकिये की बात को नही सुना था। दरअसल लेखक को देर रात तक पढ़ने की आदत थी इस कारण लेखक देर सुबह तक सोया रहता था। लेखक का तकिया लेखक को सुबह-सुबह जल्दी जगा देता था लेकिन लेखक आलस्य के कारण समय पर नहीं उठता और बिस्तर पर पड़ा रहता था। देर से उठने की लेखक की इसी आदत के कारण लेखक का दफ्तर जाना और दैनिक जीवन के अन्य कार्य अवयवस्थित होने लगे। अब लेखक सुबह जल्दी उठना चाहता था लेकिन वह अपने तकिये से मिन्नते भीं करता कि उसे सुबह समय पर जगा दे लेकिन तकिये ने लेखक बात सुननी बंद कर दी थी।
‘वह चिड़िया एक अलार्म’ घड़ी पाठ लेखक गोविंद कुमार गुंजन द्वारा लिखा गया संस्मरण पाठ है, जिसमें लेखक ने अपने उन दिनों का वर्णन किया है, जब लेखक की नई-नई नौकरी लगी थी और वह अपने घर से दूर एक कमरा किराए पर लेकर रहता था।
लेखक देर रात तक पढ़ते रहने के कारण सुबह देर से उठता था। लेखक को बचपन में उसके पिता ने बताया था कि बिस्तर पर तकिए को यह कह कर सो जाओ कि सुबह मुझे जल्दी उठा देना तो सुबह अपने आप जल्दी आँखें खुल जाती है। लेखक ने इस बात का प्रयोग बचपन में कई बार किया और उसका यह प्रयोग सफल भी रहा और उसकी आँख समय पर खुल जाती थी, लेकिन जब लेखक अलग कमरा किराए पर लेकर रहने लगा तो वह देर रात तक सोने लगा। शुरू शुरू में उसके तकिए से कहकर सोने पर उसकी आँख जल्दी खुल जाती थी लेकिन बाद में वह आलस्य के कारण देर से उठने लगा तो तकिया ने भी उसकी बात सुननी बंद कर दी, लेकिन बाद में लेखक के कमरे में चिड़िया ने घोषणा बना लिया और वह चिड़िया लेखक के लिए अलार्म घड़ी बन गई क्योंकि वह चिड़िया लेखक को रोज सुबह समय पर जगा देती थी।