मीराबाई ने अपनी भक्ति की शक्ति से गोविंद को मोल ले लिया है। मीराबाई ने श्रीकृष्ण अर्थात गोविंद अर्थात के प्रति अपनी भक्ति के लिए अपने घर, परिवार तथा संसार के अन्य लोगों किसी की भी परवाह नहीं की। उन्होंने सबके व्यंग वालों को झेला। सब की आलोचना आए। सही फिर भी वह अपने भक्ति के मार्ग पर अधिक होकर चलती रहीं। उन्होंने अपने आराध्य प्रभु श्रीकृष्ण यानि गोविंद के प्रति अपनी भक्ति को निरंतर जारी रखा। मीराबाई ने अपनी आँखों के तराजू पर तोल कर अपनी अनमोल श्रद्धा और भक्ति रूपी अनमोल पंचुका कर गोविंद को मोल ले लिया है। यानी उन्होंने अपनी भक्ति की शक्ति के द्वारा मूल्य झुकाकर गोविंद को मोल ले ले लिया है। इस तरह मीराबाई ने अपनी भक्ति की शक्ति द्वारा गोविंद को मोल लिया।
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