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भावार्थ
Tag: भावार्थ
हिंदी
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। – बाँध शीश पर कफन बढ़े चलो जवान, आँधियों को मोड़ दे तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान।
MONIKA
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September 26, 2024
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दोहे-चौपाइयां
मल मल धोये शरीर को, धोये न मन का मैल। नहाये गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।। कबीर इस दोहे का भावार्थ लिखें।
MONIKA
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September 20, 2024
0
हिंदी
‘बस्स! बहुत हो चुका’ कविता का भावार्थ लिखें।
MONIKA
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August 11, 2024
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हिंदी
‘आह्वान’ कविता से ली गई पंक्ति “बैठे हुए हो व्यर्थ क्यों? आगे बढ़ो, ऊँचे चढ़ो” का क्या भाव है?
MONIKA
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August 6, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार।। अर्थ बताकर व्याख्या करें।
SHISHIR
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August 1, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं। (गुरु पूर्णिमा पर विशेष)
SHISHIR
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July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
मन लागा उन मन्न सौं, गगन पहुँचा जाइ। देख्या चंद बिहूँणां, चांदिणाँ, तहाँ अलख निरंजन राइ।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
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July 15, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पिंजर प्रेम प्रकासिया, अंतरि भया उजास। मुख कस्तूरी महमहीं, बाँणी फूटी बास।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
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July 15, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पंखि उड़ानी गगन कौं, पिण्ड रहा परदेस । पानी पीया चंचु बिनु, भूलि या यहु देस ।। व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
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June 24, 2024
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दोहे-चौपाइयां
थल थल में बसता है शिव ही, भेद न कर क्या – हिन्दू मुसलमाँ। ज्ञानी है तो स्वयं को जान, वहीं है साहिब की पहचान।। (भावार्थ बताएं)
SHISHIR
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June 24, 2024
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हिंदी
आशय स्पष्ट कीजिये- भाई-भाई मिल रहें सदा ही टूटे कभी न नाता, जय-जय भारत माता।
MONIKA
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June 21, 2024
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दोहे-चौपाइयां
ऐसी मूढ़ता या मन की। परिहरि राम-भगति-सुरसरिता, आस करत ओसकन की॥ धूम-समूह निरखि चातक ज्यों, तृषित जानि मति घन की। नहिं तँह सीतलता न बारि, पुनि हानि होति लोचन की॥ ज्यों गच-काँच बिलोकि सेन जड़ छाँह आपने तन की। टूटत अति आतुर अहार बस, छति बिसारि आनन की॥ कहँ लौं कहौं कुचाल कृपानिधि! जानत हौ गति जन की। तुलसिदास प्रभु हरहु दुसह दु:ख, करहु लाज निज पन की॥ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
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June 18, 2024
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हिंदी
‘जागा स्वर्ण-सवेरा’ का क्या अर्थ है ?
SHISHIR
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June 17, 2024
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हिंदी
जिसमें सुगंध वाले, सुंदर प्रसून प्यारे, दिन-रात हँस रहे हैं, वह देश कौन सा है? मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकतीं, आनंद पथ जहांँ है, वह देश कौन सा है? जिसके अनंत धन से, धरती भरी पड़ी है, संसार का शिरोमणि, वह देश कौन-सा है? भावार्थ बताएं।
MONIKA
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June 15, 2024
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हिंदी
ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।। “इस पंक्ति में ‘ठगनी’ किसे कहा गया है?
MONIKA
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June 7, 2024
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हिंदी
“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल जब भी” पंक्ति मे निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
MONIKA
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June 3, 2024
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दोहे-चौपाइयां
कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?
MONIKA
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June 1, 2024
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हिंदी
लाए कौन संदेश नए घन! दिशि का चंचल, परिमल-अंचल, छिन्न हार से बिखर पड़े सखि! जुगनू के लघु हीरक के कण! लाए कौन संदेश नए घन! सुख दुख से भर, आया लघु उर, मोती से उजले जलकण से छाए मेरे विस्मित लोचन! लाए कौन संदेश नए घन! भावार्थ बताएं।
MONIKA
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May 27, 2024
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हिंदी
‘हम जब होंगे बड़े’ कविता का भावार्थ लिखें।
MONIKA
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May 26, 2024
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हिंदी
‘भ्रष्टाचार जमाखोरी की आदत बड़ी पुरानी है, यह कुरीतियां मिटाने हमें तो नई चेतना लानी है।’ इस पंक्ति का सरल भावार्थ बताएं। (कविता – हम जब होंगे बड़े)
MONIKA
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May 26, 2024
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हिंदी
औंधाई सीसी सु लखि बिरह-बरनि बिललात । बिचहीं सूखि गुलाब गौ छींटौ छुई न गात ।। अर्थ बताएं।
MONIKA
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May 21, 2024
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हिंदी
पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए “वर्ण-वर्ण के फूल खिले थे, झलमलकर हिम बिन्दु झिले थे, हलके झोंके हिले मिले थे, लहराता था पानी।” “लहराता था पानी। ‘हाँ, हाँ यही कहानी।”
SHISHIR
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May 20, 2024
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हिंदी
पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए “लक्ष्य सिद्धि का मानी कोमल कठिन कहानी।”
MONIKA
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May 20, 2024
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हिंदी
पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए “गाते थे खग कल-कल स्वर से, सहसा एक हंस ऊपर से, गिरा बिद्ध होकर खर-शर से, हुई पक्ष की हानी।” “हुई पक्ष की हानी। करुणा भरी कहानी।”
SHISHIR
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May 20, 2024
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हिंदी
सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान कोऊ थहरानी कोऊ थानहि थिरानी हैं। कहैं ‘रतनाकर’ रिसानी, बररानी कोऊ कोऊ बिलखानी, बिकलानी, बिथकानी हैं। कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं। कोऊ स्याम-स्याम कह बहकि बिललानी कोऊ कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं। संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
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May 11, 2024
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हिंदी
चरन चोंच लोचन रंग्यो, चलै मराली चाल। क्षीर-नीर बिबरन समय, बक उघरत तेहि काल।। भावार्थ बताएं।
SHISHIR
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May 5, 2024
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हिंदी
लैकै सुघरु खुरुपिया, पिय के साथ। छइबैं एक छतरिया, बरखत पाथ ।। रहीम के इस दोहे का भावार्थ लिखिए।
SHISHIR
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May 4, 2024
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हिंदी
अँखियाँ हरि दरसन की भूखी। कैसे रहैं रूपरसराची, ये बतियाँ सुनी रू।। अवधि गनत इकटक मग जोवत, तब एती नहिं झूखी। अब इन जोग सँदेसन ऊधो, अति अकुलानी दूखी।। ‘बारक वह मुख फेरि दिखाओ, दुहि पय पिवत पतूखी। सूर सिकत हुठि नाव चलायो, ये सरिता है सूखी।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
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May 1, 2024
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हिंदी
औरै भाँति कुंजन में गुंजरत भीर भौर, औरे डौर झौरन पैं बौरन के हूवै गए। कहै पद्माकर सु औरै भाँति गलियानि, छलिया छबीले छैल औरै छबि छ्वै गए। औँर भाँति बिहग-समाज में आवाज़ होति, ऐसे रितुराज के न आज दिन द्वै गए। औरै रस औरै रीति औरै राग औरै रंग, औरै तन औरै मन औरै बन ह्वै गए। इस पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
MONIKA
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May 1, 2024
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हिंदी
रस के प्रयोगनि के सुखद सु जोगनि के, जेते उपचार चारु मंजु सुखदाई हैं । तिनके चलावन की चरचा चलावै कौन, देत ना सुदर्शन हूँ यौं सुधि सिराई हैं ॥ करत उपाय ना सुभाय लखि नारिनि को, भाय क्यौं अनारिनि कौ भरत कन्हाई हैं । ह्याँ तौ विषमज्वर-वियोग की चढ़ाई भई, पाती कौन रोग की पठावत दवाई है।। अर्थ स्पष्ट कीजिए
SHISHIR
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May 1, 2024
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हिंदी
ये सुमन लो, यह चमन लो, नीड़ का तृण-तृण समर्पित, चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ। भावार्थ बताएँ।
MONIKA
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April 30, 2024
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हिंदी
‘जो किसी में हो बड़प्पन की कसर’ पंक्ति आशय स्पष्ट कीजिए।
MONIKA
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April 29, 2024
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हिंदी
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि। मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तौ सुमिरन नाहिं।। भावार्थ लिखिए।
MONIKA
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April 28, 2024
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हिंदी
भाव स्पष्ट कीजिए। व्याकुल व्यथा मिटानेवाली वह अपनी प्राकृत विश्रांति ।
MONIKA
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April 22, 2024
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हिंदी
लहरों के आने पर काई की दशा कैसी हो जाती है?
MONIKA
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April 9, 2024
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Sanskrit
अग्निः काष्ठाज्जायते मथ्यमानात् भूमिः तोयं खन्यमाना ददाति । सोत्साहानां नास्त्यसाध्यं नराणाम् मार्गारब्धाः सर्वयत्नाः फलन्ति ।। अर्थ लिखें (हिंदी & English)
MONIKA
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April 6, 2024
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हिंदी
सोभित कर नवनीत लिए। घुटुरुनि चलत रेनु तन मंडित मुख दधि लेप किए॥ चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए। लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥ कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए। धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥ सूरदास के इस पद का भावार्थ लिखिए।
MONIKA
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March 31, 2024
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हिंदी
काट अन्ध-उर के बन्धन-स्तर वहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर, कलुष-भेद तम-हर, प्रकाश भर जगमग जग कर दे! इन पंक्तियों का भावार्थ बताएं।
SHISHIR
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March 5, 2024
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