गाते थे खग कल-कल स्वर से,
सहसा एक हंस ऊपर से,
गिरा बिद्ध होकर खर-शर से,
हुई पक्ष की हानी।
हुई पक्ष की हानी। करुणा भरी कहानी।
संदर्भ : यह पंक्तियां कवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ द्वारा रचित कविता “माँ, कह एक कहानी” से ली गई है। इस कविता में यशोधरा अपने पुत्र राहुल को उनके पिता सिद्धार्थ की कहानी के बारे में बता रही है। यह प्रसंग उस समय का है, जब यशोधरा पुत्र राहुल को उस घटना का वर्णन कर रही हैं जब राहुल के पिता सिद्धार्थ बगीचे में घूम रहे थे, तभी एक घायल उनके पास आकर नीचे गिरा।
व्याख्या : उस सुबह में आकाश में चारों तरफ मधुर-मधुर स्वर में यह चहचहाते हुए पक्षी विचरण कर रहे थे और आकाश का दृश्य बड़ा ही मनमोहक था। तभी अचानक एक हंस घायल अवस्था में ऊपर से नीचे आकर गिरा। हंस का शरीर तीरों से घायल था। एक तीर से उसका एक पंख भी कट गया था। बालक राहुल इस इस घटना को सुनकर बोला, कि हंस का एक पंख कट गया, निश्चय ही ये कहानी करुणा से भरी हुई है।
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