ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।। “इस पंक्ति में ‘ठगनी’ किसे कहा गया है?

‘ठगनी क्यूँ नैना झमकावै, तेरे हाथ कबीर न आवै।’ ‘इस पंक्ति में ‘ठगनी’ मोह माया को कहा गया है। कबीर सांसारिक मोह माया को ठगिनी के समान मानते हैं और वह कहते हैं कि यह मोह माया उनके मन को भरमाने का प्रयास कर रही है, लेकिन वह अपनी इस प्रयास में सफल नहीं हो सकती क्योंकि वह यानी कबीर उसके झांसे में नहीं आने वाले। वे मोहमाया भ्रम जाल में फंसने नहीं वाले। वह मोह-माया के जाल में नहीं फंसने वाले। उन्हें ईश्वर की सच्चे भक्ति और ज्ञान का अनुभव हो गया है और वह सांसारिक मोह-माया के जाल में ना फंस कर ईश्वर की भक्ति के मार्ग पर चल पड़े हैं।


Other questions

कबीर सुमिरन सार है, और सकल जंजाल। आदि अंत सब सोधिया, दूजा देखौं काल।। अर्थ बताएं?

कबीर घास न निंदिए, जो पाऊँ तलि होइ। उड़ी पडै़ जब आँखि मैं, खरी दुहेली हुई।। अर्थ बताएं।

‘अवधू गगन-मण्डल घर कीजै’ इस पंंक्ति में ‘अवधू’ का आशय बताइए। इस पंक्ति का भावार्थ भी स्पष्ट कीजिए।

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions