“थाल मे लाऊँ सजाकर भाल” का भाव
भाव : ‘थाल में सजा कर लाऊँ भाल’ इस पंक्ति में कवि अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव प्रकट कर रहा है। कवि अपने देश अर्थात अपनी मातृभूमि से कह रहा है कि माँ आपका मेरे ऊपर आपके बहुत बड़ा ऋण है। आपकी गोद में ही मैं पला-बढ़ा। आपने मेरे पास बड़े उपकार किए हैं। अब मेरे कर्तव्य निभाने का समय आ गया है। अब मैं अपना माथा थाली में सजाकर यदि आपके सामने पेश करूं तो आप इसे दया पूर्वक स्वीकार कर लें। आपके प्रति यही मेरी सच्ची श्रद्धा होगी। यही मेरे कर्तव्य का निर्वहन होगा। यहाँ पर थाल मतलब थाली और भाल मतलब माथा (सिर) है। कवि थाली में अपने सर को मातृभूमि के चरणों में पेश करना चाहता है, अर्थात वो मातृभूमि की रक्षा करते हुए उसकी सेवा करते हुए अपने जीवन का बलिदान करने से भी संकोच नहीं करता। कवि का यही कहने का भाव है।
संदर्भ पाठ :
कविता : ‘चाहता हूँ’, कवि : रामावतार शास्त्री (कक्षा-7 पाठ-1, हिंदी – झारखंड बोर्ड)