‘जागा स्वर्ण सवेरा’ का अर्थ यह है कि चारों तरफ ज्ञानरूपी सुनहरा सवेरा हो गया अर्थात लोगों में जागरूकता आई, उनका ज्ञानोदय हुआ और यह ज्ञानोदय किसी सुनहरी सुबह के जैसा ही है।
ये पंक्तियां शंभूनाथ ’शेष’ द्वारा लिखित ‘वही देश है मेरा’ नामक कविता की हैं। उपरोक्त पंक्ति कविता के पहले पद्यांश की है, जो कि इस प्रकार है…
वही देश है मेरा वेद गाथाओं से गूंजा है,
जिसका अंबर नीला जहाँ राम घनश्याम
कर गए युग-युग अद्भुत लीला,
जहाँ बांसुरी बजे ज्ञान की,
जागा स्वर्ण-सवेरा,
वही देश है मेरा
अर्थात ये मेरा भारत देश वही देश है, जहाँ पर वेद रूप का ज्ञान का प्रवाह होता है, और वेद के इस ज्ञान की ध्वनि से पूरा वातावरण गूँज उठता है। ये वही भारत देश है, जहाँ राम और कृष्ण ने अपनी अद्भुत लीलायें रचाईं।। ये वही भारत देश है, जहाँ पर ज्ञान के स्वर फूटते हैं तो फिर एक नया सुनहरा सवेरा होता है, जो किसी ज्ञान का सवेरा होता है। ये सवेरा ज्ञान की सुनहरी आभा लिए होता है।