भाई-भाई मिल रहें सदा ही टूटे कभी न नाता, जय-जय भारत माता
इन पंक्तियों का आशय इस प्रकार हैं…
आशय : कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित कविता ‘जय-जय भारत माता’ की पंक्तियों का आशय यह है कि भारत के सभी नागरिक भाईचारे की भावना से रहे। यहाँ पर जो भी अलग-अलग धर्मों जातियों से संबंधित लोग हैं, वह भाई-भाई भाई बनकर रहें। भाईचारे की भावना से रहें और भारत की प्रगति में अपना योगदान दें। भाईचारे का ये नाता कभी ना टूटे। कविता की पूरी पंक्तियां इस प्रकार हैं..
कमल खिले तेरे पानी में धरती पर हैं आम फले,
इस धानी आँचल में देखो कितने सुंदर भाव पले,
भाई-भाई मिल रहें सदा ही टूटे कभी न नाता,
जय-जय भारत माता। जय-जय भारत माता।
भावार्थ : कवि कहते हैं, हे भारत माता! तुम्हारे भूभाग रूप सरोवर जो कमल खेले हैं, अर्थात भारत में रहने वाले जो निवासी सभी कमल के समान है। वे सब मिलजुल कर भाईचारे की भावना से रहें। भारत माता के धानी आंचल में पलने वाले निवासी भाईचारे की भावना से रहें ये भाईचारा कभी न टूटे।
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