देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है (निबंध)

निबंध

देशप्रेम दिखावे की वस्तु नहीं है

 

देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है, यदि हम आधुनिक पीढ़ी में देशप्रेम की बात करे तो बड़े ही अफ़सोस की बात हैं कि अपनी फल-फूली राष्ट्रभक्ति की विरासत लिए हमारी पीढ़ी राष्ट्र के नाम पर उदासीन प्रतीत होती है। देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है, पर आज की पीढ़ी इसे एक वस्तु ही समझने लगी है । मात्र कुछ दिनों पन्द्रह अगस्त या छब्बीस जनवरी को ही उनका देश प्रेम जगता है कुछ कार्यक्रमों की आहुति के बाद वह अगले सीजन तक के लिए सुप्त हो जाता है। क्या है यह देशप्रेम ? आइए जानते हैं । 

आधुनिक पीढ़ी का देशप्रेम

आज के समय में धीरे-धीरे खत्म होती जा रही देश प्रेम की यह भावना राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य की अच्छी निशानी नहीं हैं । हमारे युवकों छात्र छात्राओं में वतन पर मर मिटने का जज्बा हमें उत्पन्न करना होगा, तथा इस कार्य में शिक्षण संस्थान एवं हमारे गुरुजन अहम भूमिका निभा सकते हैं।

देशप्रेम का अर्थ

अपने देश, अपनी जन्मभूमि से लगाव रखना देश – प्रेम हैं। मनुष्य जिस भूमि पर जन्म लेता है अपना पेट उसके अन्न से भरकर शारीरिक व मानसिक विकास करता हैं उससे प्रेम करना स्वाभाविक है । जो लोग देश से प्रेम करते हैं वे उन सारे कामों से दूर रहते हैं जो देश की बुनियाद को कमजोर करते हैं चाहे वह जात-पात, ऊँच-नीच, गरीब–अमीर, भाषा, क्षेत्र और दूसरे सारे मामलों में पक्षपात की बात हो या फिर किसी भी देशवासी के स्वाभिमान को चोट अथवा नुकसान पहुंचाने की बात हो ।

देशभक्ति का मतलब केवल दिखावा नहीं है बल्कि हम जहाँ हैं, वहाँ कोई काम ऐसा नहीं करें जो देश के लिए घातक हो । देशभक्त वही कहा जा सकता है जो कि मानवीय मूल्यों और मातृभूमि की सेवा के प्रति समर्पित हो । ऐसा नहीं है तो हम देशभक्त नहीं कहे जा सकते देशभक्ति का सीधा सा मतलब यही है कि जहाँ हम रहते हैं, काम करते हैं वहाँ अपना काम ईमानदारी से पूरा करें, देश को सामने रखें और इस प्रकार गुणवत्ता से काम करें कि देश के लिए काम आए ।

देश-प्रेम में त्याग

अपने देश से प्रेम करने वाला राष्ट्र भक्त अपना सर्वोच्च त्याग करने के लिए तैयार रहता हैं । एक देशभक्त अपने देश के हित के प्रति निःस्वार्थ भाव महसूस करता है । वह अपने देश के हित और कल्याण को सबसे पहले रखता रखते है । देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है, यह हमारा अपना घर है, जिसकी रक्षा के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। वह बिना सोचे समझे अपने देश के प्रति त्याग करने के लिए तैयार भी हो जाता है । हमें यह विचार करना चाहिए कि हमें देश ने क्या नहीं दिया, जबकि बदलें में हम उसे क्या दे पाए है हमारा योगदान भारत के लिए क्या रहा हैं, अपना पेट भरना और शाम को सोकर अगले दिन कोल्हू के बैल की भांति अपने स्वार्थों में लग जाना तो पशुत्व की निशानी हैं।

एक पवित्र भावना

देश प्रेम एवं भक्ति राष्ट्र पर कीजिए, आपके जाने के बाद दुनिया याद रखेगी । अपने वतन की दीवानगी क्या-क्या नहीं करवाती वतन की खातिर जेल, यातनाएं, फांसी, गोली,यह सब कुछ तो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने किया और आज भी हम उनके सम्मान एवं राष्ट्र प्रेम में सिर झुकाकर नमन करते हैं। एक व्यक्ति के लिए राष्ट्र ही उसका गौरव होता है इसलिए अपने भारतीय होने पर गर्व करिए और इसके लिए कुछ करने का जज्बा व दीवानगी को जीवित रखिए।

देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है बहुत झंडे फहरा लिए, भाषण दे दिए, अब वक्त आ गया है कुछ करने का । देशभक्ति का राग अलापना और दिखावा करना छोड़ें, पाखण्ड और प्रपंचों को तिलांजलि दें और देश के भीतर हमारी अस्मिता को कमजोर करने वाले देशद्रोहियों और भ्रष्ट तत्वों को बेनकाब करें। यही असली देशभक्ति है जो देश को सुरक्षित, संरक्षित और विकसित करने के लिए जरूरी है।

देशभक्ति का मतलब केवल दिखावा नहीं है बल्कि हम जहाँ हैं, वहाँ कोई काम ऐसा नहीं करें जो देश के लिए घातक हो।
देशभक्त वही कहा जा सकता है जो कि मानवीय मूल्यों और मातृभूमि की सेवा के प्रति समर्पित हो । ऐसा नहीं है तो हम देशभक्त नहीं कहे जा सकते। हम अपनी ड्यूटी के प्रति पाबंद रहें, पूरे समय काम करें और हर दिन इतना काम करें कि हमारे जिम्मे काकोई सा काम लम्बित न रहे ।

हमारे संपर्क में आने वाला प्रत्येक देशवासी हमारा अपना है, उसका कामकरना, उसे सुकून देना हमारा फर्ज है। यह हर देशवासी का नैसर्गिक स्वभाव होना चाहिए कि हम अपनेदेश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी बनें, उसके काम करें और उसे अहसास दिलाएं कि हर देशवासी आपस में भाई-भाई हैं।

देशप्रेम का दिखावा

एक तरफ हम देशभक्ति और देश के लिए काम करने की बातें करते हैं और दूसरी तरफ हम भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और कमीशनबाजी के फेर में लोगों को तंग करते हैं, पैसा न मिलने तक काम लटकाते या बिगाड़ देते हैं, अपना-पराया करते हैं। जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद फैलाते हैं। पैसों, जेवरों और हराम के भोग-विलास के संसाधनों और लचीली देहों से शारीरिक सुख पाने के लालच में आतंकवादियों को पनाह देते हैं, ड्रग माफियाओं के एजेंट की तरह काम करते हैं। देश के विभाजन का ताना-बाना बुनते हैं, संस्कृति और सभ्यता का चीरहरण करते हैं, अपने ही आस-पास रहने वाले और अपने पेशे से संबंधित लोगों से ही कुछ पाने की उम्मीद रखते हैं, बेवजह तंग करते हैं, शोषण करते हुए तनाव देते हैं और अपने आपको अधीश्वर मानकर आसुरी भावों का नंगा खेल रचते हैं।

यह सब कुछ हम करते हैं तब हम देशभक्त नहीं बल्कि देशद्रोही हैं जो अपनी देश की जड़ों को ही कमजोर कर रहे हैं । लानत है ऐसा करने वाले उन लोगों को जो मातृभूमि को बेचने के षड़यंत्र लगे हुए हैं । जो भ्रष्ट, कमीशन बाज और रिश्वतखोर है वह देश को भी बेचने में पीछे नहीं रहता ।यह ही लोग हैं जो देश के शत्रु हैं । अरे भाई देश नहीं रहेगा तो हम लोग कहाँ रहेंगे, एक बार फिर किसी के गुलाम हो जाएंगे । इसकी फिक्र। इन बिकाऊ लोगों को नहीं है । वर्तमान समय में देश को आतंकवादियों और हमारे देश के भीतर बैठे भ्रष्ट, बेईमान और कामचोरों को ठिकाने लगाना हर सच्चे देश भक्त का सबसे बड़ा फर्ज है ।

उपसंहार

हम सब को समझना होगा कि देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है, किसी का उसके मूल भूमि के प्रति प्यार उसके देश के प्रति उसका सबसे शुद्धतम रूप है । एक व्यक्ति जो अपने देश के लिए अपने हितों का त्याग करने के लिए तैयार रहता है, हमें उसे सलाम करना चाहिए है । दुनिया के प्रत्येक देश को ऐसी भावना रखने वाले लोगों की अत्यधिक आवश्यकता है । देश के सुधार और विकास के लिए देशभक्ति की भावना आवश्यक है क्योंकि ये देश के लोगों को एक साथ लाने तथा उन्हें प्रेम, हर्ष, के साथ-साथ एक दूसरे की देखभाल करने की खुशी का अनुभव करने में भी मदद करता है ।


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