निबंध
भारत के बदलते गाँव
परिवर्तन सृष्टि का नियम है। समय बीतने के साथ परिवर्तन होता रहता है। परिवर्तन के इस प्रभाव से कोई अछूता नहीं रह पाता। भारत के गाँव भी परिवर्तन के प्रभाव से अछूते नहीं है। समय के साथ भारत के गाँव भी बदलते जा रहे हैं। भारत के गाँव भी अब शहरों के साथ होड़ करने लगे हैं। पहले भारत के गाँव का स्वरूप अलग होता था। भारत के गाँव प्रकृति से जुड़े होते थे और उनका जीवन पूरी तरह प्राकृतिक होता था। भारत के गाँव तकनीकी रूप से इतने संपन्न नहीं थे। यहाँ तक कि बहुत से गाँवों में बिजली तक नहीं होती थी।
विकास की प्रक्रिया ने भारत के गाँव के स्वरूप को भी बदलना शुरू कर दिया है। भारत के गाँव भी अब बदलते जा रहे हैं। भारत के किसी गाँव चले जाएं तो गाँव जैसा अनुभव नहीं होता। ऐसा लगता है किसी छोटे शहर में आ गए हैं। इंटरनेट की पहुंच ने भारत के गाँव का स्वरूप बदल दिया है। विकास की प्रक्रिया में भारत के गाँव सड़कों से जुड़ गए हैं। अब वहाँ जाने के लिए कच्चे मार्ग नहीं बल्कि पक्की सड़कें हैं। इसीलिए गाँव और शहर के बीच आना-जाना आसान हो गया है। विकास का असर भारत के गाँव के जीवन शैली पर भी पड़ा है।
इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में भारत के गाँव अछूते कैसे रह सकते हैं? इसीलिए भारत के गाँव भी शहरों के साथ कदमताल मिलाकर चलने लगे हैं। आज भारत के गाँव में डीजे बजना आम है। इंटरनेट की पहुंच भी भारत के गांव में हो चुकी है। सोशल मीडिया पर वीडियो और कंटेंट बनाने में भारत के ग्रामीण युवा पीछे नहीं हैं। इंस्टाग्राम पर रील हो अथवा यूट्यूब वीडियो हर जगह भारत के गाँव के युवा माहिर होते जा रहे हैं और वह शहर के युवाओं को भी मात देने लगे हैं।
अब भारत के गाँवों का स्वरूप ऐसा नहीं रहा, जहाँ पर कच्चे मकान होते थे। मिट्टी के चूल्हे पर सोंधी-सोंधी खुशबू वाली रोटी बनती थी। गाँव में चौपाल आदि लगती थी। ग्रामीण लोक-संगीत के कार्यक्रम होते थे। अब भारत के गाँव में डीजे बजते हैं। मिट्टी के चूल्हे की जगह गैस और सिलेंडर पहुंच चुका है। मकान भी पक्के हो गए हैं। गाँव में बिजली आ गई है, अब भारत के गाँव अब गाँव नहीं बल्कि एक छोटे से शहर का अनुभव कराते हैं। भारत के गाँवों में खेती भी अब आधुनिक तरीके से होने लगी है। यह सब बातें भारत के बदलते गाँव के स्वरूपों को स्पष्ट करती हैं।
Related questions
‘पुस्तकालय की आत्मकथा’ पर निबंध लिखिए।