लघु निबंध
जब मैं पाठशाला देरी से पहुँचा
पाठशाला देरी से पहुंचना बहुत शर्मिंदगी का कारण बन जाता है जब विद्यालय में सख्त अनुशासन हो और अपने कक्षाध्यापक बेहद अनुशासन प्रिय हों तथा समय के बेहद पाबंद हो। मेरे कक्षा अध्यापक भी समय के बेहद पाबंद थे। वह कक्षा में 1 मिनट की भी देरी बर्दाश्त नहीं करते थे और यदि कोई छात्र कक्षा में देरी से पहुंचा तो वह उसे कक्षा में प्रवेश नहीं देते और उसे पूरे पीरियड बाहर रखते थे। मैं हमेशा अपनी पाठशाला नियत समय पर पहुंच जाता था, लेकिन एक दिन ऐसी घटना हो गई कि मुझे पाठशाला पहुंचने में देर हो गई।
हुआ यूँ कि कि पिछली रात को हम सभी परिवार के लोग किसी पारिवारिक समारोह में बाहर गए थे। वापस आते आते रात के 2 बज गए। अगले दिन पाठशाला जाना था। मैं रात के 3 बजे सोया। मैं आमतौर पर सुबह 6 बजे उठ जाता हूँ और 8 बजे तक रेडी होकर पाठशाला के लिए निकल पड़ता हूँ। मेरी पाठशाला का समय 8:30 बजे है। मैं 20 मिनट में पाठशाला पहुँच जाता हूँ। इस तरह मैं हमेशा अपनी पाठशाल 10 मिनट पहले पहुँच जाता था। लेकिन उस दिन मुझे उठने बहुत देरी हो गई। यदि मुझे उठने में कभी देरी हो जाती है, तो मेरी माँ मुझे उठा देती हैं लेकिन उस दिन मेरी माँ भी बहुत देर से उठी थीं, इसलिए वह भी मुझे समय पर नही उठा पाईं। जब उनकी आँख खुली तो सुबह के 7:30 बज रहे थे। उन्होंने फटाफट मुझे उठाया।
समय बहुत हो चुका था। उन्होंने बोला कि आज पाठशाला मत जाओ और छुट्टी की अर्जी लगा दो, लेकिन मैं बोला नहीं मैं कोशिश करता हूँ जाने की। मैं फटाफट तैयार होकर चला जाऊंगा। मैं उस दिन नहाया भी नहीं और फटाफट कपड़े बदल कर तुरंत पाठशाला के लिए चला गया। घर से निकलते निकलते मुझे 8:15 बज चुके थे। घर से पाठशाला तक जाने में लगभग 20 मिनट लग जाते हैं, इसी कारण में 8:35 पर पाठशाला पहुंच पायाष नहीं तो मैं अक्सर 10 मिनट पहले ही पाठशाला पहुंच जाता हूँ। पहला पीरियड शुरू हो चुका। कक्षाध्यापक तक पढ़ा रहे थे। पहले तो मुझे विद्यालय में गार्ड ने रोक फिर बहुत रिक्वेस्ट करने पर जब उसने अंदर प्रवेश करने दिया।
जब मैं अपनी कक्षा पहुंचा तो मेरे कक्षा अध्यापक मुझे देखकर हैरान रहे उन्हें पता था कि मैं कभी नहीं आता हूँ हमेशा समय पर आ जाता हूँ। उन्होंने मुझे देर से आने का कारण पूछा। मैंने उन्हें कारण बता दिया। मेरी ईमानदारी से कही बात और इससे पहले कभी देर से ना आने के कारण मेरी पहली गलती जानकर मुझे कक्षा में प्रवेश दे दिया और कहा, आइंदा कभी दोबारा कभी देर से आए तो तुम्हें कक्षा में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इस तरह मुझे उस दिन कक्षा में प्रवेश मिल गया। उसके बाद मैं कभी पाठशाला देरी से नहीं पहुंचा और यदि कभी में मुझे उठने में देर हो भी जाती है तो मैं उस दिन छुट्टी की अर्जी लगा देता हूँ।
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