लघु निबंध
भीषण गर्मी से बेहाल जनजीवन
भीषण गर्मी से सारा जनजीवन बेहाल है। चारों तरफ भीषण गर्मी का प्रकोप है। क्या मनुष्य? क्या पशु-पक्षी? सभी प्राणी इस भीषण गर्मी से प्रकोप से त्रस्त हैं। सभी के हाल बेहाल हैं। सूरज देवता जब आसमान में चमकते हैं तो ऐसा लगता है कि वह बहुत गुस्से में हैं। इसी कारण वह आसमान में आग बरसा रहे हैं, जिसने सभी प्राणियों के तन को झुलसा दिया है।
भीषण गर्मी के इस प्रकोप में आइसक्रीम, शरबत आदि देखकर मन ललचा उठाता है। पानी से प्यार हो जाता है और ऐसा लगता है कि ठंडे पानी में ही दिन-भर मस्ती करते रहो।
भीषण गर्मी के प्रकोप से मानव का तन बिल्कुल त्रस्त हो जाता है। वह दिन में जरा भी कार्य नहीं कर पाता। कड़ी धूप में 5 मिनट चलना दूभर हो जाता है। पूरा शरीर चंद मिनटों में पसीने तर-बतर हो जाता है। भीषण गर्मी में उन श्रमिकों के ऊपर घनघोर अत्याचार हो जाता है, जिन्हें कड़ी धूप में काम करना पड़ता है, क्योंकि उनकी रोजी-रोटी का सवाल है।
झुलसा देने वाली गर्मी के प्रकोप से कब निजात मिलेगी? यह सवाल हर किसी के मन में उमड़ता रहता है। लोगों को बरसात का ही इंतजार होता है कि कब बरसात आए और इस भीषण गर्मी से राहत मिले और लोगों के तन-मन को वर्ष की फुहारें आनंदित कर दें।
सच में गर्मी का प्रकोप बेहद भयंकर होता है। गर्मी के कारण किसी भी कार्य में मन नहीं लगता मन उत्साहित नहीं होता। मानव मन का स्वभाव है कि आसपास के वातावरण का उसके तन और मन पर प्रभाव पड़ता है। जब इतनी भीषण झुलसा देने वाली गर्मी पड़ती है तो इसका दुष्प्रभाव भी मानव के तन और मन पर पड़ता है, वह उत्साह से कार्य नहीं कर पाता। भीषण गर्मी से प्रकोप से लोगों की कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। सचमुच भीषण गर्मी के प्रकोप जनजीवन बेहाल हो जाता है।
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दिन-प्रतिदिन बढ़ती गर्मी को लेकर रोहन और सोहन के बीच संवाद को लिखें।