‘विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के चुनावी उद्देश्य’ 2024 के आम लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए निबंध लिखिए।

निबंध

विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के चुनावी उद्देश्य

 

राजनीतिक पार्टियाँ चाहे किसी भी विचारधारा की हों, चाहे कोई भी पार्टी हो, हर राजनैतिक पार्टी के कॉमन चुनावी उद्देश्य होता है, वह कॉमन चुनावी उद्देश्य है कि किसी भी तरह सत्ता को प्राप्त करना। सत्ता की कुर्सी प्राप्त करना उनका एक बड़ा उद्देश्य होता है, इसके लिए सारी राजनीतिक पार्टियां सभी तरह के साम-दाम-दंड-भेद अपनाती हैं।

सभी राजनीतिक पार्टियां घोषणा पत्र के नाम पर अपनी भविष्य की योजनाओं को पेश करती हैं कि वह सत्ता में आने पर क्या-क्या करने वाली हैं, लेकिन सामान्यतः यह देखा क्या है कि जितनी भी राजनीतिक पार्टियां हैं, उनके घोषणा पत्र में जो-जो वादे किए होते हैं, सत्ता में आने पर राजनीतिक पार्टियां उन वादों में से अधिकतर वादों को भूल जाती हैं और औपचारिकता के लिए इक्का-दुक्का वादे ही करती हैं।

किसी भी राजनीतिक पार्टी का यह इतिहास नहीं रहा है कि उसने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए सभी बातें शत-प्रतिशत ज्यों-के-त्यों पूरे किए हों। उनके द्वारा किए गए वादे मतदाता को अपनी तरफ वोट करने के लिए आकर्षित करने का एक हथियार होता है।

वर्तमान समय के लोकसभा चुनाव यानी 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में देखा जाए तो अलग-अलग पार्टियों के चुनावी उद्देश्य अलग-अलग हैं। इस समय देश में दो मुख्य राष्ट्रीय पार्टियों हैं, एक वर्तमान सत्ता में सत्तारुढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी है जो 10 साल से भारत की केंद्रीय सत्ता में काबिज पार्टी है। दूसरी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी है जो 10 साल पहले तक के 10 सालों तक सत्ता में रही और उससे पहले भी 1947 से 1995 तक उसने लगभग 43-44 साल तक भारत की सत्ता पर राज किया है।

वर्तमान समय में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। संख्या बल की दृष्टि से देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी बेहद मजबूत स्थिति में है और तो उसे स्पष्ट रूप से बहुमत प्राप्त है जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी अपने इतिहास के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है, वह कांग्रेस पार्टी जिसने 55 सालों तक देश की सत्ता पर राज किया, वह इस समय अपने न्यूनतम स्तर पर है और उसके खाते में केवल 56 लोकसभा सीटें ही हैं।

चुनावी उद्देश्य

दोनों राजनीतिक दल के चुनावी उद्देश्यों को ध्यान में रखा जाए तो दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के चुनावी उद्देश्य अलग-अलग हैं। भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर का निर्माण, दुश्मन देश को घर में घुसकर जवाब देना, तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य, धारा 370 को हटाना, देश में सड़कों का निर्माण, देश की 80 करोड़ जनता को मुफ्त राशन आदि जैसी चुनावी मुद्दों पर टिकी हुई है।

भारतीय जनता पार्टी की मुख्य विचारधारा धर्म पर आधारित है और वह बहुसंख्यक हिंदू धर्म को केंद्र में रखकर अपनी राजनीति करती है और बहुसंख्यक समाज को अपनी ओर लुभाने का प्रयास करती है। भारतीय जनता पार्टी का चुनावी उद्देश्य यह है कि वह जातियों में बंटे बहुसंख्यक हिंदू समाज को हिंदू धर्म के नाम पर एकजुट करके उन्हें अपने पाले में खींचता चाहती है, ताकि वह तीसरी बार भी लोकसभा चुनाव में सत्ता प्राप्त कर सके।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सेकुलर विचारधारा वाली पार्टी है। वह अल्पसंख्यक समाज, विशेष कर मुस्लिम समाज पर अधिक ध्यान केंद्रित करती है। वह मुस्लिम अल्पसंख्यक को अपने पाले में खींचना चाहती है और अल्पसंख्यक समाज ही उसका मुख्य कोर वोटर है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अहम मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई तथा देश में हिंदू-मुस्लिम समुदाय में बढ़ती वैमनस्यता है। वह इन मुद्दों के लिए सत्तारुढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को दोषी मानती है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इन मुद्दों को केंद्र में रखकर चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है। वह उसका चुनावी उद्देश्य है कि वह यदि सत्ता में आई तो अपनी सेकुलर का विचारधारा को आगे बढ़ाएगी। हालांकि उसकी चुनावी उद्देश्यों में मुस्लिम पुष्टिकरण की नीति प्रभावी रही है और वह अक्सर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए जानी जाती है।

इस तरह दोनों मुख्य राष्ट्रीय दलों के चुनावी उद्देश्य अलग-अलग मुद्दों पर अलग-अलग हैं। इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा कई अन्य राष्ट्रीय पार्टियां भी हैं, जिनका उतना व्यापक प्रभाव नहीं है, जिनमें आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि के नाम प्रमुख हैं।

इसके अलावा ऐसी कई क्षेत्रीय पार्टियों हैं जो केवल अपने राज्यों तक ही सिमटी हुई है। इनमें कुछ पार्टियों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है तो कुछ पार्टियों नए बने इंडिया एलायंस के साथ हैं, जिसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर रही है।

संक्षेप में कहा जाए तो 2024 के लोकसभा चुनाव ही नहीं कोई भी लोकसभा चुनाव हो, सभी राजनीतिक पार्टियों का मुख्य उद्देश्य किसी भी तरह सत्ता को हासिल करना होता है। इसके लिए वह अपने मुख्य विरोधी पर किसी भी तरह के झूठे आरोप लगाने से भी नहीं चूकतीं है।

राजनीतिक पार्टियों सत्ता हासिल करने के लिए बड़े-बड़े वादे करती हैं और बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन यदि उन्हें सत्ता प्राप्त हो जाती है तो वह उन सभी को भूलकर अपना हित साधने में लग जाती हैं।

भारत की राजनीति में यही सबसे बड़ी विडंबना है, जिस कारण देश विकास के पद पर उस तीव्र गति से नहीं चल पा रहा है जैसा कि उसे चलना चाहिए था।


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