नारी शिक्षा का महत्व (निबंध)

निबंध

नारी शिक्षा का महत्व

 

जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारा देश पुरुष प्रधान देश है, और इस पुरुष प्रधान समाज में नारियों को हमेशा से ही नीची नजर से देखा गया है। और केवल पुरुष ही नहीं बल्कि कुछ रूढ़िवादी सोच वाली औरतें भी नारियों को नीची नजर से देखती हैं। समाज की मानसिकता है कि लड़कियों का काम सिर्फ शादी करना, फिर बच्चे पैदा करना, और बच्चों और परिवार की देखभाल करना है।

प्राचीन समय में लड़कियों को शिक्षा सहित हर चीज से वंचित रखा जाता था । आज के आधुनिक युग में भी ग्रामीण क्षेत्रों और दुनिया के बहुत से हिस्सों में लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी है। आज भी बहुत सी बच्चियों की दुनिया सिर्फ शादी, बाल बच्चे और घर के कामों तक ही सीमित है । शिक्षा हमारे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है । शिक्षा सब के लिए प्राथमिक होनी चाहिए ।

महिलाएं भी हमारे समाज का हिस्सा है, इसलिए शिक्षा पर सब का बराबर का हक है, चाहे फिर वह लड़का हो या लड़की ।स्वतंत्रता के बाद हमारे देश की साक्षरता दर में काफी सुधार आया है, लेकिन फिर भी कुछ क्षेत्रों में अभी भी लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है। महिला और पुरुष दोनों ही समाज के लिए समान रूप से आवश्यक हैं, वह दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं। इसलिए महिलाओं को भी हर क्षेत्र में समान अवसर मिलने चाहिए, चाहे फिर वह शिक्षा हो, नौकरी हो या अन्य कार्य।

शिक्षा मनुष्य का सर्वांगीण विकास करती है। यह हमारी मानसिक, सामाजिक व आर्थिक विकास में मदद करती है, शिक्षा हमारे व्यक्तित्व को ही नहीं बल्कि हमारा चरित्र निर्माण और हमारे विभिन्न कौशलों को भी निखारती हैं, जो कि समाज में रहने के लिए आवश्यक है। इसलिए महिलाओं की शिक्षा पर भी उतना ही जोर देना चाहिए जितना कि पुरुषों की शिक्षा पर दिया जाता है ।

एक माँ को बच्चे की पहली शिक्षक माना जाता है । एक निरक्षर महिला अपने बच्चे की अच्छी देखभाल और उसे अच्छा वातावरण नहीं दे सकती। वह स्वच्छता के प्रति जागरूक नहीं होती है, अर्थात बच्चों को अच्छी परवरिश देने में असफल रहती है। शिक्षा महिलाओं को परिवार प्रबंधन, बच्चों की अच्छी देखभाल उनको अच्छी परवरिश देने में सक्षम बनाती है।

अगर एक महिला शिक्षित होगी तो एक पूरा परिवार शिक्षित कर देती हैं। एक शिक्षित महिला हमें एक बेहतर समाज का निर्माण करने में मदद करेगी। महिलाओं को शिक्षित करना मतलब हमारे देश की आधी आबादी को शिक्षित करना है। शिक्षित महिला जीवन के किसी भी पड़ाव पर किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहती है।

शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है और उन्हें आत्मनिर्भर बना कर एक खुशहाल और आरामदायक जीवन जीने में मदद करती है। एक शिक्षित महिला समाज से सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, बाल श्रम, लैंगिक पक्षपात, भेदभाव आदि को खत्म करने में भी मदद करेगी । शिक्षित महिलाएं परिवार ही नहीं बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी पुरुषों के समान योगदान दे सकती हैं ।

सरकार ने लड़कियों की शिक्षा के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” उनमें से एक है, जिसने बेटियों की शिक्षा प्रोत्साहन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। किसी भी देश का विकास महिलाओं की साक्षरता दर पर निर्भर करता है। जिस देश की महिलाएं शिक्षित होती हैं, वह देश अधिक मजबूत और खुशहाल होता है।

बदलते समय के साथ अब लोगों की सोच भी बदल रही है। अब लोग अपनी लड़कियों को भी लड़कों के समान उच्च से उच्च शिक्षा दिला रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप अब लड़कियां भी हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही हैं । लेकिन दुःख का विषय है कि कुछ पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लड़कियों की शिक्षा को महत्व नहीं दिया जाता, क्योंकि वे लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं । लोगों को जागरूक होना पड़ेगा और अगर वे चाहते हैं के उनकी बेटियां बोझ न बने तो उन्हें अपनी बेटियों को शिक्षित करना चाहिए ताकि वह आत्मनिर्भर बन सकें ।

लड़कियों को शिक्षित करने से ही हमारे देश की साक्षरता दर बढ़ेगी। अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा के लिए अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है, और यह केवल सरकार की ही नहीं बल्कि हम सब की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी है कि हम अपनी बच्चियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उनकी शिक्षा पर जोर दे क्योंकि नारियाँ हमारा सम्मान हैं, हमारा भविष्य हैं।


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