वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान (निबंध)

निबंध

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान

 

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान : वैज्ञानिक प्रगति में भारत के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। भारत प्राचीन काल से ही वैज्ञानिक देश रहा है और भारत देश में प्राचीन काल में अनेक महान वैज्ञानिक हुए हैं जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को समृद्ध किया है। वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान पर निबंध प्रस्तुत है…

प्रस्तावना

भारत हमेशा विद्वानों की भूमि रही है। जब पूरे विश्व में अज्ञानता का अधिकार था, तब भारत में ऐसे अनेक ज्ञानी-विद्वान-विज्ञानी हुए जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को आलोकित किया। प्राचीन भारत के महान विज्ञानाचार्यों में आर्यभट्ट, वाराह्मीहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, नागार्जुन,सुश्रुत, भारद्वाज, धन्वंतरि जैसे अनेक विज्ञानी रहे हैं, जिन्होंने अपने ज्ञान से इस विश्व को आलोकित किया है। आधुनिक भारत में भी अनेक वैज्ञानिकों ने अपने ज्ञान से इस विश्व के समृद्ध किया, जिनमें चंद्रशेखर वेंकटरमन, एस. रामानुजन, जगदीशचंद्र बसु, हरगोविंद खुराना, होमी जहाँगीर बाबा, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई, सतीश धवन, प्रफुल्ल चंद्र राय आदि के नाम प्रमुख हैं।

वैज्ञानिक प्रगति में भारत का योगदान

विश्व को शून्य की खोज भारत में हुई थी। भारत में आज अंक पद्धति के लिए गणना करने में शून्य का बेहद महत्व है। शून्य की खोज भारत में ही हुई और भारत में ही इस विश्व को शून्य के ज्ञान से परिचित कराया। आर्यभट्ट ने लगभग गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए और संख्याओं के मान के लिए उन्होंने अक्षरों की सांकेतिक भाषा बनाई।

आर्यभट्ट ने ही वर्गमूल, घनमूल, क्षेत्रफल, आयतन, वृत्त की परिधि आदि ज्ञात करने की विधियां भी प्रतिपादित की। आज भले ही बड़े-बड़े पश्चिमी देश अंतरिक्ष में सुदूर ग्रहों तक जा पहुंचे हों, लेकिन भारत ने प्राचीन काल में ही ग्रहों की स्थिति के ज्ञान से विश्व को परिचित करा दिया था। आर्यभट्ट ने सबसे पहले ग्रहों की स्थिति की विवेचना की और सौरमंडल आदि के बारे में बताया। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और कौन-कौन से ग्रह होते हैं, यह सारी बातें प्राचीन काल में ही भारत में जानी जा चुकी थीं।

वराहमिहिर ने फलित ज्योतिष संबंधी रचनाएं की और उन्होंने फलित ज्योतिष पर आधारित अनेक सिद्धांतों को प्रतिपादित किया। ब्रह्मगुप्त ने गणित और ज्योतिष का ज्ञान इस विश्व को दिया। उन्होंने गुणनफल निकालने की विधियों का भी प्रतिपादन किय। भास्कराचार्य ने पृथ्वी को गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत से परिचित कराया।

महर्षि कणाद का परमाणु के मूल संकल्पना को प्रतिपादित करने में बड़ा योगदान रहा है। परमाणु के अस्तित्व की खोज सबसे पहले हमारे भारत में ही हुई और महर्षि कणाद ने परमाणु की स्थिति का ज्ञान सबसे पहले इस विश्व को दिया था, हालांकि इसका श्रेय पश्चिम के वैज्ञानिक लूट ले गए थे।

रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नागार्जुन की कोई सानी नहीं, उन्होंने स्वर्ण भस्म, रजत भस्म आदि बनाने की विधियां प्रतिपादित कीं। उन्होंने सोने और चाँदी के उपयोग और उनके औषधीय गुणों की जानकारी दी। उन्होंने रसायन शास्त्र के क्षेत्र में अनेक सिद्धांतों और रसायनों के उपयोग का वर्णन अपने ग्रंथों के माध्यम से किया। सुश्रुत को कौन नहीं जानता जिनका योगदान शल्य चिकित्सा में रहा है। विश्व की पहली शल्य चिकित्सा भारत में ही हुई थी और वह सुश्रुत ऋषि ने की थी। भास्कराचार्य ने गणित में पाई का मान चतुर्भुजों के क्षेत्रफल ज्ञात करने की विधि का वर्णन अपने ग्रंथों के माध्यम से किया।

भारद्वाज ऋषि तथा आत्रेय ऋषि ने चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया और काय चिकित्सा की आधारशिला भी रखी थी। भारत के आधुनिक विज्ञानियों की बात की जाए तो जगजीत चंद्र बसु ने भारत का नाम ऊँचा किया। उन्होंने भौतिक विज्ञान क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने बेतार के तार पर खोज की और तरंगों के संचार का माध्यम बनाने में सफलता प्राप्त की। जगदीश चंद्र बसु ने ही बताया था कि पौधों में संवेदनशीलता पाई जाती है।

रसायन के क्षेत्र में डॉ प्रफुल्लचंद्र राय ने पदार्थ के गुणधर्म का परीक्षण करके नई खोज की। वह भारत में आधुनिक रसायन के संस्थापक भी माने जाते हैं। डॉ हरगोविंद खुराना जोकि भारतीय मूल के ही अमेरिकी वैज्ञानिक थे, उन्होंने औषधि विज्ञान और शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। वह नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का नाम भारत में सब जानते हैं। उन्हें महान गणितज्ञ माना जाता है। उन्होंने ऐसे गणितीय सिद्धांत प्रतिपादित किए जो उससे पहले किसी ने नहीं प्रतिपादित किए थे। उन्होंने बड़ी से बड़ी संख्या को छोटी संख्या में विभक्त करने का सूत्र खोजा।

कम शिक्षा प्राप्त होने बेहद कम आयु में ही उन्होंने गणित जैसे जटिल विषय पर सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। डॉक्टर सत्येंद्र नाथ बसु ने रसायन शास्त्र, भौतिक शास्त्र और गणित तीनो क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सी वी रमन चंद्रशेखर वेंकटरमन जोकि नोबेल पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं वह भी भारत के एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने प्रकाश तरंगों के प्रकीर्णन के सिद्धांत का प्रतिपादन किया था जो ‘रमन प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है। वह भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय और पहले एशियाई व्यक्ति थे।

डॉक्टर होमी जहाँगीर बाबा भारत के एक महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक थे, जिन्होंने ब्रहाण्ड किरणों का शोध करके ‘कॉस्केड थ्योरी’ नामक सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। होमी जहाँगीर भाभा के बाद विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान के जनक भी माने जाते हैं। उन्हीं के प्रयासों से भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रगतिशील देशों के समकक्ष आकर खड़ा हो गया था। उनके अलावा प्रोफेसर सतीश धवन का नाम भी अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय रहा है।

डॉ मेघनाद साहा भी एक महान गणित शास्त्री थे। जिन्होंने भौतिक विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने परमाणु के गुणों का अध्ययन करके गणित के नियमों की सहायता से अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किए। उन्होंने एक वैज्ञानिक पंचांग भी बनाया था। एक अन्य भौतिक विज्ञानी श्रीनिवासन ने भी प्रकाश परमाणु और अणु के गुणधर्मों पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किए थे। अंत में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को कौन नहीं जानता जो भारत के मिसाइल मैन कहे जाते हैं। भारत के परमाणु कार्यक्रम में उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।

उपसंहार

इस तरह हम देखते हैं कि भारत भूमि प्राचीन काल से ही विज्ञानियों की धरती रही है। आधुनिक काल में ही नहीं प्राचीन काल में भी भारत में ऐसे अनेक विद्वान विज्ञानी ऋषि मुनि हुए जो जिन्होंने अपने विज्ञान संबंधी ज्ञान से इस विषय को समृद्ध किया था। उन्होंने यह सब ज्ञान तब दिया था, जब विश्व में हुई सब जगह अज्ञानता का अंधेरा फैला हुआ था। इसलिए भारत का विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी होने के कारण ही भारत को विश्व गुरु कहा जाता था।


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