निबंध
ग्लोबल वार्मिंग
भूमिका
ग्लोबल वार्मिंग आज के समय में वैश्विक समस्या है, जो कि पूरी पृथ्वी को अपनी चपेट मे लिए हुए है। ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी की सेहत खऱाब हो रही है, और ये समस्य मानव के लिए भविष्य में बड़ा संकट खड़ा करने वाली है।
ग्लोबल वार्मिंग क्या है ?
आप सभी नें सुना ही होगा कि आजकल ग्लोबल वार्मिंग हो रही ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती जा रही है और यह एक बहुत बड़ा खतरा है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसा शब्द है जिससे लगभग हर कोई परिचित है। लेकिन, इसका अर्थ अभी भी हम में से ज़्यादातर लोग नहीं समझते है।
कार्बन डाइऑक्साइड का अत्यधिक मात्रा में उत्सर्जित होने और वायुमंडल में जमा होने से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट में बढ़ोतरी हुई और इसकी वजह से हमारी पृथ्वी का तापमान बढ़ने लगातार बढ़ रहा है। ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट के कारण तापमान में बढ़ोतरी होने की इस प्रक्रिया को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। विभिन्न गतिविधियां हो रही हैं जो तापमान बढ़ा रही हैं।
ग्लोबल वार्मिंग हमारे हिम ग्लेशियरों को तेजी से पिघला रहा है। यह धरती के साथ-साथ इंसानों के लिए भी बेहद हानिकारक है। ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना काफी चुनौती पूर्ण है। किसी भी समस्या को हल करने में पहला कदम समस्या के कारण की पहचान करना है। इसलिए, हमें पहले ग्लोबल वार्मिंग के कारणों को समझने की आवश्यकता है जो हमें इसे हल करने में आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु और मौसम में तेज़ी से बदलाव हो रहे है। आजकल कभी-कभी सर्दी और गर्मी के मौसम में भी बारिश हो जाती है और बारिश के मौसम में बहुत कम बारिश होती है। इस प्रकार मौसम में अचानक बदलाव होना आने वाले समय में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। ग्लेशियर से लगातार तेजी से पिघल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप महासागरों का जल का स्तर भी तेज़ी से बढ़ रहा है और इसके कारण बाढ़ आने की संभावना भी बढ़ती जा रही है जो पूरी तरह से मानव जाति और जीव-जन्तुओं के लिए घातक साबित हो सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम
पृथ्वी के वातावरण पर ग्लोबल वार्मिंग ने बुरा असर डाला है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है जिससे पृथ्वी पर जीवन खतरे में पड़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग, जिसकी उत्पत्ति कार्बन और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, ने पृथ्वी पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाला है जिसमें समुद्र-तल के स्तर में बढ़ोतरी होना, वायु प्रदूषण में वृद्धि तथा अलग-अलग क्षेत्रों के मौसम में भयंकर बदलाव की स्थिति का पैदा होना शामिल है।
वायु पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने के कारण वायु प्रदूषण में भी इज़ाफा हो रहा है। इसका कारण यह है कि तापमान में वृद्धि से पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन गैस का स्तर बढ़ जाता है जो की कार्बन गैसों और सूरज की रोशनी की गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। वायु प्रदूषण के स्तर में होती वृद्धि ने कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को जन्म दिया है। खासकर सांस की समस्याएं और फेफड़ों के संक्रमण (infection) के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे अस्थमा के रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
जल पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप महासागर का पानी दिन प्रतिदिन गर्म हो रहा है और इन दोनों के चलते समुद्र में पानी का स्तर बढ़ गया है। इससे आने वाले समय में तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र के पानी के स्तर में और ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद है और यह चिन्ता का एक बहुत बड़ा कारण है क्योंकि इससे तटीय और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे मनुष्य जीवन के सामने बड़ा मसला खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा महासागर का पानी भी अम्लीय हो गया है जिसके कारण जलीय जीवन खतरे में है।
भूमि पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई जगहों के मौसम में भयंकर बदलाव हो रहे हैं। कई जगहों में बार-बार भारी बारिश तथा बाढ़ के हालत बन रहे हैं जबकि कुछ क्षेत्रों को अत्यधिक सूखा का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग ने न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि कई क्षेत्रों में भूमि की उपजाऊ शक्ति को भी कम कर दिया है। इसी वजह से कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
महासागरों पर प्रभाव और समुद्र के स्तर में वृद्धि
ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की बर्फ पिघल रही है तथा महासागरों के पानी भी गरम हो रहा है जिससे समुद्र के पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। दूसरी तरफ, इन गैसों के अवशोषण के कारण महासागर अम्लीय होते जा रहे हैं और यह जलीय जीवन को बड़ा परेशान कर रहा है।
बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं
ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्वास्थ्य समस्याओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से साँस लेने की समस्याएं और फेफड़े के संक्रमण जैसी बीमारियाँ पनप रही है। इससे अस्थमा के रोगियों के लिए समस्या पैदा हो गई है। तेज़ गर्म हवाएं और बाढ़ भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इज़ाफे का एक कारण है। बाढ़ के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में जमा हुए पानी मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल है और इनके कारण होने वाले संक्रमणों से हम अच्छी तरह से जानते हैं।
जानवरों के विलुप्त होने का खतरा
ग्लोबल वार्मिंग के कारण न केवल मनुष्यों के जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं बल्कि इसने विभिन्न जानवरों के लिए भी जीवन कठिन बना दिया है। मौसम की स्थितियों में होते परिवर्तन ने पशुओं की कई प्रजातियों का धरती पर अस्तित्व मुश्किल बना दिया है। कई पशुओं की प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने की क़गार पर खड़ी हैं।
मौसम में होते बदलाव
ग्लोबल वार्मिंग से विभिन्न क्षेत्रों के मौसम में भारी बदलाव होने लगा है। भयंकर गर्मी पड़ना, तेज़ गति का तूफ़ान, तीव्र चक्रवात, सूखा, बेमौसम बरसात, बाढ़ आदि सब ग्लोबल वार्मिंग का ही कारण है।
उपसंहार
ग्लोबल वार्मिंग का तेज़ी से बढ़ना वैश्विक स्तर पर एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। ज्यादातर लोगों को ग्लोबल वार्मिंग और उससे भविष्य में होने वाले खतरे के बारे में जानकारी नहीं है। हमें अपने आस पास के लोगों को ग्लोबल वार्मिंग से अवगत करवाना है और इसको कम करने लिए उचित उपायों से लोगों को रूबरू कराना होगा। हमें खुद भी इसके बारे में गंभीरता से विचार करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खतरे को कम किया जा सके।
ग्लोबल वार्मिंग बड़ी चिन्ता का विषय बन चुका है। अब सही समय आ चुका है कि मानव जाति इस तरफ ध्यान दे तथा इस मुद्दे को गंभीरता से ले। कार्बन उत्सर्जन में कमी से ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों को कम किया जा सकता है। इसलिए हम में से हर एक को अपने स्तर पर कार्य करने की जरूरत है जिससे ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों पर क़ाबू पाया जा सके।