मेरा प्रिय त्योहार – दिवाली (निबंध)

निबंध

मेरा प्रिय त्योहार – दिवाली

 

भारत त्योहारो का देश हैं, जितने अधिक त्योहार भारत में मनाये जातें हैं, उतने दुनिया में किसी और देश में नही मनाये जाते हैं। भारत में अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, और यहाँ पर त्योहारों की भरमार हैं। हर किसी का कोई न कोई प्रिय त्योहार होता है। प्रिय त्योहारों की बात की जाये तो मैं अपने प्रिय त्योहार के बारे में आपको बताती हूँ।

प्रस्तावना

जैसा कि हम सब जानते हैं भारत त्योहारों वाला देश है, और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सभी देशों में सारा साल विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। भारत एक विविधता वाला देश है, जहां अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं । सभी धर्मों के अलग-अलग त्योहार होते हैं, जिन्हें वे अपने अपने तरीके से मनाते हैं। भारत में त्योहारों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा गया है– राष्ट्रीय त्योहार, धार्मिक त्योहार और मौसमी त्योहार।

राष्ट्रीय त्योहार : राष्ट्रीय त्योहारों को राष्ट्रीय स्तर पर सभी धर्मों के लोग आपसी मतभेद भुलाकर मनाते हैं ,जैसे –26 जनवरी को गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती आदि।

धार्मिक त्योहार : जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, अलग-अलग धर्मों के लोग अपने-अपने त्यौहार मनाते हैं। जैसे कि दिवाली, होली, दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी आदि हिंदुओं के त्योहार हैं । ईद–उल–फितर और मुहर्रम आदि मुसलमानों के त्योहार हैं। क्रिसमस, ईस्टर, गुड फ्राइडे, आदि ईसाइयों के त्यौहार हैं। गुरु पर्व, गुरु नानक जयंती आदि सिखों के त्यौहार हैं।

मौसमी त्योहार : यह त्यौहार अलग-अलग मौसमों में फसलों के स्वागत के लिए मनाए जाते हैं। जैसे असम में बिहू, तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी, हिमाचल में मिंजर आदि। भारत में अनेकों त्योहार मनाए जाते हैं। और हर त्यौहार का अपना अपना महत्व है। भारत में मनाए जाने वाले हर त्योहार के पीछे कोई ना कोई कहानी छुपी होती है।

मेरा प्रिय त्योहार

इन सब त्योहारों में दिवाली मेरा सबसे प्रिय त्योहार है और इस त्यौहार को पूरा देश बड़े ही हर्षोल्लास से मनाता है। दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है जिसका अर्थ है “दीपों की पंक्ति”। इसलिए दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को पड़ता है।

भारत में दिवाली को बड़े व्यवसायिक लोगों द्वारा वित्तीय नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। दिवाली भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। दिवाली का यह भव्य उत्सव पाँच दिनों तक चलता है।

दिवाली का पहला दिन धनतेरस होता है। इस दिन धन के देवी देवता की पूजा की जाती है, इस धातु की खरीदारी विशेषकर सोना-चाँदी की खरीदारी को बेहद शुभ माना जाता है। सोना-चाँदी न खरीद पाने की स्थिति में लोग अन्य धातुओं की वस्तुओं की खरीदारी शगुन के रूप में करते हैं।

उत्सव के दूसरे दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली मनाई जाती है। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से पहले अपने सभी पापों को मिटाने के लिए सुगंध वाले तेल का इस्तेमाल करते हैं।
तीसरा दिन इस उत्सव का मुख्य दिन है । “दिवाली” का दिन। इस दिन लक्ष्मी की पूजा की जाती है और दिये और मोमबत्तियां आदि जलाए जाते हैं। कुछ लोग पटाखे भी जलाते हैं।

दिवाली उत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा या पाड़वा मनाया जाता है। कहते हैं इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर देवराज इंद्र को पराजित किया था। इस दिन लोग गाय के गोबर से एक छोटी सी पहाड़ी बनाकर इसकी पूजा करते हैं।
उत्सव का पाँचवां और आखिरी दिन भाई दूज का होता है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर, उनके लंबे और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं, और भाई भी अपनी बहनों को कीमती उपहार देते हैं।

इस प्रकार दिवाली का यह उत्सव मनाया जाता है। दिवाली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यह त्यौहार भगवान श्रीराम के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन श्रीराम अपने 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका के राजा रावण को मारकर अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वापस अयोध्या लौटे थे। राम के वापस अयोध्या लौटने के स्वागत और उनकी जीत का जश्न मनाने के लिए अयोध्या के लोगों ने घी के दिए जलाए थे। तब से लेकर आज तक हर साल इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे सब लोग बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं। दिवाली की तैयारियां दिवाली के कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों और कार्यालयों, दुकानों आदि की साफ सफाई करते हैं । उन्हें नया जैसा दिखने के लिए उनकी मरम्मत और रंग आदि करवाते हैं। सभी भवनों को रंग-बिरंगी रोशनी से नई दुल्हन की तरह सजाया जाता है। दिवाली आते ही बाजारों में बाहर सी आ जाती है । सारे बाजार रंग बिरंगी रोशनी से चमक उठते हैं। सब लोग खरीदारी में जुट जाते हैं। लोग नए नए कपड़े, किताबें, घरों के लिए विभिन्न चीजें खरीदते हैं।

दिवाली के दिन लोग मिठाइयां पटाखे आदि खरीदते हैं। इस दिन लोग स्वादिष्ट पकवान और मिठाइयाँ आदि बनाते हैं। अपने मित्रों और सगे संबंधियों को आमंत्रित करते हैं, और एक दूसरे को उपहार देते हैं। लोग घरों और आंगन में रंगोली बनाते हैं । और दिये और मोमबत्तियां जलाकर घरों को रोशन करते हैं। तो कुछ लोग पटाखे फुलझड़ियां आदि जलाते हैं। रात को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी माता घरों और कार्यालयों आदि में आती हैं, और सब को अपना आशीर्वाद देती है। इसलिए इस दिन घरों और कार्यस्थलों को साफ करके मंदिर की तरह सजाया जाता है। घरों से दूर रहकर नौकरी पेशा करने वाले लोग सब अपने घरों को लौटते हैं, ताकि अपने परिवारों के साथ दिवाली का त्योहार मना सकें।

दिवाली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसे सभी धर्मों के लोग धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार हम सबके जीवन में खुशियों के रंग भर कर हमारे जीवन को रोशन कर देता है। लोग आपसी मतभेद भूलकर एक दूसरे को गले लगाकर और उपहार और मिठाइयां देकर खुशियां बांटते हैं। दिवाली के त्यौहार को बच्चों से लेकर बड़ों तक अमीर से लेकर गरीब तक हर कोई बड़े ही उत्साह से मनाता है। इसलिए दिवाली मेरा सबसे प्रिय त्यौहार है। परंतु इस उत्सव के बीच हम अपने पर्यावरण का ख्याल रखना भूल जाते हैं। लोग पटाखे आदि जलाते हैं जो कि कुछ हानिकारक सामग्रियों से बने होते हैं। जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है। पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है। कई बार आपने सुना भी होगा, पटाखों के कारण कई बड़े हादसे भी हो जाते हैं। कई बार पटाखे चलाते हुए बच्चों को चोट लग जाती है तो कई बार घरों में आग भी लग सकती है ।

पटाखों की ध्वनि जानवरों के लिए भी नुकसानदायक होती है। इसलिए हमें दिवाली में अपनी खुशियों के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए अर्थात पटाखे आदि नहीं जलाने चाहिए। दिवाली रोशनी का त्योहार है। इसलिए हमें अपने जीवन को पटाखों के धुएं में धुंधला नहीं बल्कि दिये जलाकर रोशन करना चाहिए। इस प्रकार दिवाली का त्योहार बेहद हर्षोल्लास से मनाया जाता है

उपसंहार

हमारे जीवन में त्योहारों का बहुत महत्व है, जो हमारे जीवन को खुशियों से भर देते हैं। अपने परिवार के साथ समय बिताने का त्यौहार सबसे अच्छा मौका होते हैं। त्योहार हम सबके दिलों से नफरत मिटाकर हम सब को एक दूसरे के करीब लाते हैं इसलिए लोगों को सारा साल त्यौहारों का इंतजार रहता है।


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