निबंध
ईमानदारी – एक जीवन शैली
ईमानदारी एक जीवन शैली यह आज के समय की सबसे जरूरी आवश्यकता है, क्योंकि ईमानदारी एक अच्छे समाज के निर्माण के लिए बेहद जरूरी है। ईमानदारी ही एक उत्तम नागरिक बनने के प्रमुख गुणों में से एक गुण है, जो किसी भी देश के नागरिक में होना आवश्यक है ताकि वह देश विकास के पथ पर निरंतर आगे चल सके।
भूमिका
हम सब ने एक कहावत तो हमेशा सुनी होगी कि ईमानदारी एक सर्वश्रेष्ठ नीति है अर्थात ईमानदारी से चलने वाला व्यक्ति जीवन में अवश्य सफल होता है, क्योंकि यह सर्वश्रेष्ठ नीति उसे कोई भी गलत कार्य करने से रोकती है और गलत कार्य करने वाले व्यक्ति के मन में जीवन में कुछ भी गलत नहीं होता। यदि हम सब ईमानदारी को अपनी जीवनशैली बना ले तो फिर हमारा जीवन उन्नति के पथ पर निरंतर अग्रसर हो सकता है। ईमानदारी केवल एक गुण नहीं बल्कि यह मानव का स्वभाव है, मानव का आचरण है। ईमानदारी से ही मानव के व्यक्तित्व का निर्धारण होता है और ईमानदारी से ही व्यक्ति का चरित्र बनता है ।
ईमानदारी क्या है?
ईमानदारी का अगर हम दूसरा नाम ले तो वह है, विश्वास। जो ईमानदार होता है, वह विश्वास करने योग्य जरूर होता है। क्योंकि वह कोई ऐसा कार्य नहीं करता जो किसी के विश्वास को ठेस पहुँचाता हो। ईमानदारी और विश्वास दोनों एक दूसरे के पर्याय हैं। ईमानदार व्यक्ति पर लोग सहज रूप से विश्वास कर लेते हैं, क्योंकि लोगों को मालूम रहता है कि यह व्यक्ति ईमानदार है। इसलिए यह हमारे नुकसान वाला कोई भी कार्य नहीं करेगा और अपने स्वार्थ के लिए जो कार्य अनैतिक हो वह नहीं करेगा, इसीलिए लोग उस पर विश्वास कर लेते हैं।
ईमानदारी की राह में कांटे भी होते हैं, क्योंकि ईमानदार व्यक्ति को जीवन में अनेक तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। जो व्यक्ति ईमानदारी का पालन करता है वह भले ही ईमानदारी के पथ पर हमेशा चलता रहता है। ईमानदारी को अपनी आदत बना लेता है तो उसे उसका अच्छा फल अवश्य मिलता है। वो सुकून से अपना जीवन जीता है क्योंकि उसके अंदर कोई अपराध बोध नही होता। ईमानदार व्यक्ति के मन में किसी भी तरह का अपराध नहीं होता। वह किसी का अहित नहीं करता। किसी का नुकसान नहीं करता इसलिए उसके अंदर कोई भी अपराध नहीं होता और वह सकारात्मक जीवन जीता है।
इसके विपरीत बेईमान व्यक्ति के मन में हमेशा एक अपराधबोध रहता है। वह स्वयं से ही कटने लगता लगता है। भले ही बेईमानी से वह अनेक सुख-सुविधायें जुटा ले लेकिन उसकी अंतरात्मा हमेशा धिक्कारती रहती है कि उसने कुछ न कुछ गलत अवश्य किया है। यही अपराधबोध उसे पूरी जीवन मानसिक शांति प्रदान नही करता।
बेईमान व्यक्ति बेईमानी के तरीकों से भौतिक सुख-सुविधा के साधन भले ही जुटा लें, वे सुख में जीवन व्यतीत भले ही कर लें, लेकिन वह अपने शरीर को ही सुख दे पाता है। वह अपने मन को शांति नहीं दे पाता क्योंकि उसके मन में हमेशा ग्लानि रहती है कि उसने कुछ ना कुछ गलत किया है, किसी के अधिकारों का हनन किया है और यही ग्लानि उसे मानसिक शांति नहीं प्रदान करती। जबकि ईमानदार व्यक्ति कभी किसी के साथ गलत नहीं करता। वह केवल उतना ही लेता है जो उसके अधिकार का है, जो नैतिक दृष्टि से सही है। इसलिए वह अपराध मुक्त भाव से जीता है और यही भाव उसे मानसिक शांति प्रदान करता है। ईमानदार व्यक्ति भले ही बहुत अधिक भौतिक सुख-सुविधाएं नहीं जुटा पाता हो, लेकिन मानसिक शांति की उसके पास कोई कमी नहीं होती।
जीवन में मानसिक शांति अधिक महत्वपूर्ण है। बहुत ज्यादा ढेर सारे भौतिक सुख साधन हों, लेकिन मानसिक शांति नहीं हो तो उनका कोई महत्व नहीं होता। जबकि भौतिक सुख-साधनों की कमी हो लेकिन मानसिक शांति हो, संतोष हो तो जीवन अच्छा तरह से जिया जा सकता है। ईमानदार व्यक्ति उत्तम नागरिक बनता है और देश के विकास में अपना योगदान दे सकता है। कोई भी भ्रष्टाचार वाला कार्य नहीं करता। इसी कारण वह देश को नुकसान पहुंचाने वाला भी कोई कार्य नहीं करता। इसलिए जिस देश के नागरिक ईमानदार हो उस देश के विकास को करने से कोई नहीं रोक सकता।
बेईमानी और भ्रष्टाचार ही सारी समस्याओं की मूल जड़ है। यह दोनों कारण किसी के अधिकार का हनन करके दूसरे को आवश्यकता से अधिक प्रदान करने वाले कार्य हैं। इसलिए ईमानदारी का महत्व ऐसी स्थिति में बढ़ जाता है।