लघु कथा
एकता में बल
एकता में बड़ा ही बल होता है, इस बात में कोई संदेह नहीं है। इस संबंध में एक लघु कथा इस प्रकार है…
सेठ राम लाल के 3 पुत्र थे, रमेश, महेश और सुरेश। तीनों अपने पिता के साथ व्यापार में सहयोग करते थे और सारा परिवार मिलजुल कर रहता था। जब तक सेठ रामलाल जिंदा रहे, उनके पुत्र मिलजुल कर रहे। लेकिन सेठ रामलाल की मृत्यु के बाद तीनों पुत्रों में मनमुटाव होने लगा। आपसी झगड़ों और मनमुटाव के कारण तीनों भाइयों ने अपना व्यापार अलग-अलग कर लिया।
तीनों एक ही घर में रहते थे लेकिन तीनों ने अब घर का बंटवारा कर लिया और घर के बीच दीवारें लग गईं। नौबत यहाँ तक आ गई कि तीनों में बातचीत तक बंद हो गई। तीनों ने व्यापार अलग-अलग कर लिया। इस कारण व्यापार भी कमजोर पड़ गया और बाजार पर उनकी पकड़ ढीली पड़ गई क्योंकि तीनो भाई एक-दूसरे के प्रति होड़ रखने लगे इसी का फायदा उठाते हुए प्रतिद्वंदी व्यापारियों ने बाजार पर अधिकार स्थापित करना शुरू कर दिया।’
तीनो भाई व्यापार पर अपनी पकड़ ढीली करती चले गए और उनके प्रतिद्वंदी बाजार पर छा गए। एक बार बड़े पुत्र रमेश का किन्ही दबंग लोगों विवाद हो गया और उसके घर पर दबंगों ने हमला कर दिया। दबंग रमेश और उसके परिवार को मार-पीटकर चले गए और उसके धन आदि लूट ले गए। दोनों छोटे भाई महेश और सुरेश देखते रहे, लेकिन अपने बड़े भाई की मदद करने नहीं आए। यह देख कर दबंगों का हौसला और बढ़ गया।
अगली बार उन्होंने महेश के घर पर हमला कर दिया और वहाँ से सब लूट कर ले जाए। रमेश और सुरेश भी उनकी मदद करने नहीं आए। दबंग लोग सुरेश को भी मारपीट कर और लूट कर चले गए। रामलाल के छोटे भाई श्यामलाल के यह सब पता चला तो उन्होंने तीनों भतीजों को बुलाकर कहा, तुम तीनों आपसी झगड़े के कारण अपनी एकता खो चुके हो। यदि तुम तीनों मिलकर रहो, तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मेरी सलाह मानो अपना मनमुटाव भुलाकर मिलकर रहो और मिलकर काम करो, तब देखना कोई भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, मेरी बात आजमा कर देखो।
तीनों भाइयों ने श्यामलाल की बात को ध्यान से सुना। वह भी रोज-रोज के झगड़ों से तंग आ गए थे। कुछ दिनों बाद इस बार दबंगों ने इस बार सुरेश के घर को निशाना बनाया। वे सबसे छोटे भाई सुरेश के अंदर घुसे तो रमेश और महेश को पता चल गया। रमेश और महेश सहित सभी लोगों ने मिलकर दबंगों का मुकाबला किया। यह देखकर बदमाश घबरा गए। कुछ भाग खड़े हुए और कुछ पकड़ लिए गए।
इस तरह जब तक तीनों भाई अलग-अलग थे तब तक दबंग उनकी फूट का फायदा उठाते रहे, लेकिन जब तीनों मिल गए तो बदमाश कुछ नहीं कर पाए। अब तीनों भाइयों को एकता का मतलब समझ में आ गया था। तीनों भाइयों ने अपने मकान की दीवारें गिरा कर पूरा मकान पुनः एक कर लिया और व्यापार भी एक कर लिया। अब वे वापस अपनी पुरानी स्थिति पा चुके थे। अब कोई भी बदमाश उनके घर पर हमला करने की हिम्मत नहीं कर पाता था, इसीलिए एकता में बल होता है। हमेशा मिल जुल कर रहना चाहिए।
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