‘दो बैलों की कथा’ कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई एक ऐसी कहानी है, जिसके माध्यम से उन्होंने पशुओं के प्रेम और उनकी संवेदनाओं व्यक्त किया है। इस कहानी से पता चलता है कि पशुओं में भी संवेदनाएं एवं भावनाएं होती हैं। यह कहानी हीरा एवं मोती नाम के दो बैलों पर आधारित है। दोनों बैलों की चारित्रिक विशेषताएं इस प्रकार हैं…
- हीरा मोती की अपेक्षा शांत स्वभाव का बैल है। वह बैलों के जन्म को अपनी नियति मानता है। गया द्वारा पीटे जाने पर वह इसे अपना नियति यानी भाग्य मानकर चुपचाप पिटाई सह लेता है, वह तुरंत आक्रोश नहीं दिखाता।
- मोती हीरा के विपरीत गुस्सैल स्वभाव का बैल है। वह किसी भी तरह के अन्याय अत्याचार के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया करता है। जब उसे गया के आदमी पीटने के लिए आते हैं तो वह उनसे लड़ने के लिए तैयार हो जाता है, लेकिन हीरा उसे रोक लेता है।
- हीरा के अंदर हिम्मत है। कांजी हाउस में बंद पड़े रहने पर वह हिम्मत दिखाता है, और आजाद होने के लिए कांजी हाउस की दीवार को तोड़ने का प्रयास करता है। उसकी अपेक्षा मोती उतनी हिम्मत नही दिखा पाता।
- हीरा-मोती दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना और भाईचारा है। दोनों किसी भी तरह का संकट आने पर भी एक-दूसरे का साथ नही छोड़ते।
- हीरा शांत स्वभाव का था। मोती चंचल स्वभाव का स्वभाव का बैल था। जब दोनों गया के घर से भाग निकले थे तब रास्ते में मटर का खेत आने पर मोती उसमें घुसकर फसल को खाने को घुस गया। हीरा ने उसे मना किया लेकिन वह नहीं माना।
- इस तरह हीरा एवं मोती दोनों के स्वभाव में भिन्नता थी। जहाँ हीरा शांत स्वभाव का सीधा साधा बैल था और हर बात को चुपचाप सह लेता था, वहीं मोती क्रोधी स्वभाव का था। उसे जल्दी गुस्सा आ जाता था और वह किसी भी बात को तुरंत नहीं सहता था और प्रतिक्रिया देता था।
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जापान को सभ्य देशों में क्यों गिना गया। पाठ ‘दो बैलों की कथा’ के आधार पर बताइए?