यदि अरुणा उन बच्चों की देखभाल नहीं करती तो वह बच्चे अपनी माँ के अभाव में बेघर हो जाते और उनका जीवन संकट में पड़ जाता। बच्चों की भिखारिन माँ मर गई थी। ऐसी स्थिति में बच्चे अनाथ हो गए थे। अनाथ बच्चों का कोई सहारा ना होने के कारण उन्हें या तो फुटपाथ पर रहना पड़ता अथवा किसी अनाथ आश्रम में जाना पड़ता। तब उनके भविष्य का कोई आधार नहीं बन पाता और उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता था।
अरुणा ने भिखारिन की मृत्यु के बाद उसके बच्चों को अपनाकर उनकी देखभाल करते अनोखी मानवीयता का परिचय दिया था। उसने उन बच्चों के भविष्य को संभाला था, इसलिए यदि अरुणा उन बच्चों की देखभाल नहीं करती तो उन बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो सकता था। वह दर-दर भटक सकते थे। उन्हें फुटपाथ पर रहना पड़ सकता था। अथवा किसी अनाथ आश्रम में रहना पड़ता था, जहाँ पर उनका कोई भविष्य नहीं होता। यदि अरुणा उन बच्चों की देखभाल नही करती तो उन बच्चों के भविष्य का कोई आधार नही बन पाता।
संदर्भ पाठ
दो कलाकार, लेखिका – मन्नू भंडारी,