हमें भारत में चुनावी सुधार की आवश्यकता क्यों है?

भारत में चुनावी सुधार की आवश्यकता

भारत पूरी दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है। भारत का लोकतंत्र सभी देशों के लिए एक प्रेरणा और उदाहरण है। भारत का लोकतंत्र पिछले 70 सालों से अधिक समय उतना ही मजबूत है और सफलतापूर्वक चल रहा है। इन सब विशेषाताओं के बावजूद भारत की चुनावी प्रणाली में कुछ खामियां है, जिनमें सुधारों की आवश्यकता है। यदि ये सुधार कर लिए जायें तो भारत का लोकतंत्र और अधिक मजबूत होगा। भारत की चुनाव प्रणाली में क्या-क्या खामियां हैं और भारत में चुनाव में सुधारो की क्यों और कैसी आवश्यकता है? आइए इस विषय को समझते हैं…

धनबल का प्रभाव

वर्तमान चुनावी प्रक्रिया में धनबल का बहुत अधिक प्रभाव देखा जाता है। धनी उम्मीदवार और राजनीतिक दल अपने वित्तीय संसाधनों का दुरुपयोग करके चुनावों में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं। इससे गरीब और मध्यम वर्ग के उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ना मुश्किल हो जाता है और लोकतंत्र की भावना कमजोर पड़ती है।

घोटाले और भ्रष्टाचार

चुनावी प्रक्रिया में घोटाले और भ्रष्टाचार की घटनाएं आम हो गई हैं। उम्मीदवार और दल अक्सर गैरकानूनी तरीकों का प्रयोग करके अपना लाभ उठाते हैं। इससे लोकतंत्र की विश्वसनीयता और जवाबदेही प्रभावित होती है, क्योंकि जनता का विश्वास कमजोर पड़ता है।

उम्मीदवारों की क्षमता का अभाव

चुनावों में योग्य और कुशल उम्मीदवारों की कमी है। अक्सर ऐसे उम्मीदवार चुने जाते हैं जो जनता के हितों से दूर हैं और केवल अपने स्वार्थ में लगे रहते हैं। इससे जनता के लिए उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं हो पाता और शासन में कुशलता कम होती है।

खर्च का अनियंत्रित वृद्धि

चुनावों में होने वाला लगातार बढ़ता खर्च व्यवस्था को दबाव में डाल रहा है। यह जनता पर अतिरिक्त बोझ डालता है और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि उम्मीदवार और दल अपने वित्तीय संसाधनों को वापस हासिल करने के लिए गैरकानूनी उपाय अपनाते हैं।

मीडिया की भूमिका

मीडिया अक्सर वैचारिक रूप से एक पक्षीय और जनहित से दूर होकर कार्य करता है। वह अक्सर किसी एक राजनीतिक दल या उम्मीदवार को बढ़ावा देता है और दूसरों को नजरअंदाज कर देता है। इससे जनता को सही और तटस्थ जानकारी नहीं मिलती, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।


ये भी पढ़ें…

एक प्रजातांत्रिक देश में संविधान का क्या महत्त्व है?

इनमें से कौन सा तर्क लोकतंत्र के पक्ष में है? A. लोकतंत्र में लोग खुद को स्वतंत्र और समान मानते हैं। B. लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ दूसरों की तुलना में टकरावों को ज्यादा अच्छे से सुलझाती हैं। C. लोकतांत्रिक सरकारें लोगों के प्रति ज़्यादा उत्तरदायी होती हैं। D. उपरोक्त सभी।​

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions