सही उत्तर है…
(4) जनपद का
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व्याख्या
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में स्थानीय, द्रोणमुख, खार्वटिक, संग्रहण आदि का विभाजन जनपद (राज्य के क्षेत्रीय विभाजन) के संदर्भ में किया गया है। यह विभाजन राज्य के प्रशासनिक और आर्थिक संगठन का एक महत्वपूर्ण पहलू था।
जनपद राज्य का एक क्षेत्रीय या प्रशासनिक विभाजन था। यह राज्य प्रशासन की मूल इकाई थी। उस समय विभिन्न प्रकार के जनपद होते थे। जिनका वर्गीकरण इस प्रकार था..
स्थानीय : यह एक प्रमुख नगर या शहर के आसपास का क्षेत्र था। इसमें आमतौर पर 800 गाँव होते थे।
द्रोणमुख : यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था, जो आमतौर पर नदियों के संगम पर स्थित होता था। इसमें लगभग 400 गाँव शामिल होते थे।
खार्वटिक : यह एक छोटा व्यापारिक केंद्र था। इसमें लगभग 200 गाँव होते थे।
संग्रहण : यह एक ऐसा क्षेत्र था जहाँ राजस्व एकत्र किया जाता था। इसमें आमतौर पर 10 गाँव शामिल होते थे।
इस विभाजन का उद्देश्य राज्य प्रशासन को अधिक कुशल और प्रभावी बनाना था। यह कर संग्रह, न्याय प्रशासन और सामान्य प्रशासन में मदद करता था।
विभिन्न प्रकार के जनपद विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के केंद्र थे। यह व्यापार और वाणिज्य के विकास में सहायक था। यह विभाजन सामाजिक संगठन और समुदाय निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। इस प्रकार का विभाजन राज्य की रक्षा और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद करता था।
यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि यह विभाजन गुप्तचरों, दंड के प्रकार या अमात्यों से संबंधित नहीं है। यह विशेष रूप से राज्य के भौगोलिक और प्रशासनिक संगठन से संबंधित है। कौटिल्य ने इस विभाजन को राज्य के कुशल प्रबंधन और विकास के लिए आवश्यक माना था।
इस प्रकार का विभाजन कौटिल्य की दूरदर्शिता को दर्शाता है, जो एक बड़े राज्य के प्रभावी प्रशासन के लिए सुव्यवस्थित संरचना की आवश्यकता को समझते थे।