सही उत्तर है…
(1) स्वप्रेरणा से बनी स्थानीय समितियाँ और (2) जन-समितियों द्वारा उच्चतर समिति निर्माण
════════════════════════════════════════════════════════════
व्याख्या
एम.एन. राय द्वारा परिकल्पित ‘संगठित-लोकतंत्र’ की अवधारणा और उसके अंगों की व्याख्या निम्नलिखित है:
1. स्वप्रेरणा से बनी स्थानीय समितियाँ
- राय का मानना था कि लोकतंत्र की शुरुआत नीचे से होनी चाहिए।
- उन्होंने स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा स्वेच्छा से गठित समितियों की कल्पना की।
- ये समितियाँ स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करेंगी और निर्णय लेंगी।
2. जन-समितियों द्वारा उच्चतर समिति निर्माण
- स्थानीय समितियाँ आपस में मिलकर उच्च स्तर की समितियों का निर्माण करेंगी।
- यह प्रक्रिया नीचे से ऊपर की ओर होगी, जिससे सत्ता का विकेंद्रीकरण सुनिश्चित होगा।
3. राय के ‘संगठित-लोकतंत्र’ के अन्य महत्वपूर्ण पहलू
- प्रत्यक्ष लोकतंत्र : उन्होंने प्रतिनिधि लोकतंत्र के बजाय प्रत्यक्ष लोकतंत्र पर जोर दिया।
- राजनीतिक शिक्षा : नागरिकों को राजनीतिक रूप से शिक्षित और जागरूक बनाने पर बल।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता : व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को सर्वोच्च प्राथमिकता।
- आर्थिक लोकतंत्र : राजनीतिक लोकतंत्र के साथ-साथ आर्थिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर जोर।
यह ध्यान देने योग्य है कि राय का ‘संगठित-लोकतंत्र’ मॉडल उच्च समितियों द्वारा जन-समितियों पर नियंत्रण की अवधारणा को खारिज करता है। इसके बजाय, यह शक्ति के नीचे से ऊपर की ओर प्रवाह पर जोर देता है।
राय का यह मॉडल एक ऐसे लोकतांत्रिक समाज की कल्पना करता है जहाँ नागरिक सक्रिय रूप से शासन में भाग लेते हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया में सीधे शामिल होते हैं। यह विचार भारतीय राजनीतिक चिंतन में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है, जो लोकतंत्र को और अधिक सहभागी और प्रत्यक्ष बनाने का प्रयास करता है।