मानवेन्द्र नाथ राय का ‘उत्कट-मानववाद’ जाना जाता है? (1) नव मार्क्सवाद (2) शास्त्रीय मार्क्सवाद (3) वैज्ञानिक समाजवाद (4) नव मानववाद

सही उत्तर है….

(4) नव मानववाद

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व्याख्या

मानवेन्द्र नाथ राय का ‘उत्कट-मानववाद’ नव मानववाद के रूप में जाना जाता है।  एम.एन. राय, जो शुरुआत में एक मार्क्सवादी थे, ने बाद में अपने विचारों को विकसित करके ‘उत्कट-मानववाद’ या ‘नव मानववाद’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया। यह एक ऐसा दर्शन है जो मानव की केंद्रीयता और महत्ता पर जोर देता है।

नव मानववाद की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं…

  • मानव केंद्रितता : इस दर्शन में मनुष्य को सभी मूल्यों और विचारों का केंद्र माना गया है। राय का मानना था कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है।
  • तर्कवाद और वैज्ञानिक दृष्टिकोण : नव मानववाद अंधविश्वास और धार्मिक डॉग्मा को खारिज करता है और तर्क एवं विज्ञान पर आधारित समाज की वकालत करता है।
  • व्यक्तिवाद : यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा पर बल देता है, लेकिन साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी की भी वकालत करता है।
  • नैतिक मूल्य : राय ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मानवीय मूल्यों पर जोर दिया।
  • राजनीतिक लोकतंत्र : नव मानववाद लोकतांत्रिक व्यवस्था का समर्थन करता है, जहां व्यक्ति की स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा हो।
  • आर्थिक न्याय : यह आर्थिक शोषण के विरुद्ध है और समाज में आर्थिक न्याय की स्थापना पर बल देता है।
  • सांस्कृतिक स्वतंत्रता : यह विचारधारा सांस्कृतिक विविधता और स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करती है।

एम.एन. राय का नव मानववाद मार्क्सवाद और पूंजीवाद दोनों से अलग एक तीसरा मार्ग प्रस्तुत करता है। यह एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जहां व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा सर्वोपरि है, लेकिन साथ ही सामाजिक उत्तरदायित्व भी है। यह विचारधारा भारतीय राजनीतिक चिंतन में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती है।


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