निम्नलिखित राजनीतिक अवधारणों को उद्भव के क्रम में व्यवस्थित करें। (1) आध्यात्मिक राष्ट्रवाद (11) सप्तांग राज्य (III) नव-मानववाद (IV) होमरूल की अवधारणा (1) II, I, IV, III (2) II, IV, I, III (3) I, II, III, IV (4) II, III, I, IV

सही उत्तर है, विकल्प…

(2) II, IV, I, III

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व्याख्या :

1. सप्तांग राज्य (II) : यह सबसे प्राचीन अवधारणा है। यह कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित है, जो लगभग 300 ईसा पूर्व का है। सप्तांग राज्य की अवधारणा में राज्य के सात अंगों का वर्णन है – स्वामी (राजा), अमात्य (मंत्री), जनपद (राज्य का क्षेत्र), दुर्ग (किला), कोष (खजाना), दंड (सेना), और मित्र (सहयोगी)।

2. होमरूल की अवधारणा (IV) : यह 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में उभरी। भारत में, एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने 1916 में होमरूल लीग की स्थापना की। यह अवधारणा भारतीयों द्वारा भारत के स्वशासन की मांग पर केंद्रित थी।

3. आध्यात्मिक राष्ट्रवाद (I) : यह अवधारणा 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में श्री अरबिंदो घोष द्वारा विकसित की गई। उन्होंने राष्ट्रवाद को एक आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में देखा, जिसमें देश की आत्मा की खोज और उसकी अभिव्यक्ति शामिल थी।

4. नव-मानववाद (III) : यह सबसे नवीन अवधारणा है, जिसे एम.एन. रॉय ने 1940 के दशक में विकसित किया। यह मार्क्सवाद और पूंजीवाद दोनों से अलग एक वैकल्पिक राजनीतिक दर्शन प्रस्तुत करता है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवीय मूल्यों पर जोर देता है।

इस प्रकार, इन अवधारणाओं का सही कालक्रम है, सप्तांग राज्य (सबसे पुराना), होमरूल की अवधारणा, आध्यात्मिक राष्ट्रवाद, और अंत में नव-मानववाद (सबसे नया)।


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