कथन (A): गांधी के ‘रामराज’ की अवधारणा राज्यविहीन समाज की है। कारण (R): इस संदर्भ में वे साम्यवाद के ‘राज्य विहीनता से प्रभावित थे। (1) (A) और (R) दोनों सही है व (R), (A) की सही व्याख्या है (2) (A) और (R) दोनों सही है, किन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है (3) (A) सही है किन्तु (R) गलत है (4) (A) गलत है किंतु (R) सही है

इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प…

(3) है – (A) सही है किन्तु (R) गलत है।

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व्याख्या
कथन (A): गांधी के ‘रामराज’ की अवधारणा राज्यविहीन समाज की है।

यह कथन सही है। गांधीजी के ‘रामराज’ की अवधारणा वास्तव में एक ऐसे आदर्श समाज की कल्पना थी जहाँ लोग स्वशासन के माध्यम से अपना प्रबंधन करते हैं और जहाँ राज्य की न्यूनतम भूमिका होती है। उनका मानना था कि सच्चा लोकतंत्र वह है जहाँ लोग अपने नैतिक मूल्यों और आत्म-अनुशासन के आधार पर स्वयं का शासन करते हैं, बिना किसी बाहरी नियंत्रण या दबाव के।

कारण (R): इस संदर्भ में वे साम्यवाद के ‘राज्य विहीनता से प्रभावित थे।

यह कारण गलत है। गांधीजी की राज्यविहीन समाज की अवधारणा साम्यवाद से प्रेरित नहीं थी। उनके विचार भारतीय दर्शन, विशेष रूप से उपनिषदों और भगवद्गीता से, तथा पश्चिमी विचारकों जैसे लियो टॉलस्टॉय और जॉन रस्किन से प्रभावित थे। गांधीजी का ‘रामराज’ एक नैतिक और आध्यात्मिक आधार पर आधारित था, जबकि साम्यवादी राज्यविहीनता की अवधारणा वर्ग संघर्ष और क्रांति पर आधारित थी।

इसलिए, जबकि गांधीजी की ‘रामराज’ की अवधारणा वास्तव में एक प्रकार की राज्यविहीन समाज की कल्पना थी, यह साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित नहीं थी। उनकी अवधारणा का स्रोत और दर्शन पूरी तरह से अलग था।


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गांधी स्वयं को कहते थे एक…? (1) दार्शनिक अराजकतावादी (2) राष्ट्रवादी (3) समाजवादी (4) उपरोक्त में कोई नहीं

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