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2) कुटीर उद्योगों को प्राथमिकता
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व्याख्या :
नेहरू की आर्थिक नीतियों के संदर्भ में कुटीर उद्योगों की प्राथमिकता अप्रासंगिक है।
जवाहरलाल नेहरू की आर्थिक दृष्टि भारत के तीव्र औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण पर केंद्रित थी। उनकी नीतियां मुख्य रूप से निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित थीं:
1. तीव्र मशीनीकरण : नेहरू का मानना था कि बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण और मशीनीकरण ही भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकता है। उन्होंने भारी उद्योगों और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।
2. आर्थिक नियोजन : नेहरू ने पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से केंद्रीय आर्थिक नियोजन को अपनाया। यह नीति देश के संसाधनों के समन्वित और प्राथमिकता-आधारित उपयोग पर केंद्रित थी।
3. मिश्रित अर्थव्यवस्था : नेहरू ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सह-अस्तित्व पर आधारित मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाया। इसमें महत्वपूर्ण और रणनीतिक क्षेत्रों में सरकारी नियंत्रण के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी भी शामिल थी।
इन नीतियों के विपरीत, कुटीर उद्योगों को प्राथमिकता देना नेहरू की मुख्य आर्थिक रणनीति का हिस्सा नहीं था। हालांकि उन्होंने लघु और कुटीर उद्योगों के महत्व को पूरी तरह नकारा नहीं, लेकिन उनका प्राथमिक ध्यान बड़े पैमाने के आधुनिक उद्योगों पर था। कुटीर उद्योगों को प्राथमिकता देना गांधीजी के आर्थिक दर्शन का एक प्रमुख हिस्सा था, न कि नेहरू का।
नेहरू का मानना था कि केवल बड़े पैमाने के उद्योग और आधुनिक तकनीक ही भारत को गरीबी और पिछड़ेपन से बाहर निकाल सकते हैं। इसलिए, उनकी नीतियां मुख्य रूप से तीव्र औद्योगिकीकरण, नियोजित विकास और मिश्रित अर्थव्यवस्था पर केंद्रित थीं, न कि कुटीर उद्योगों पर।